मध्य प्रदेश सरकार ने वन्य जीव के हमले से मौत पर मुआवजा राशि बढ़ाकर 25 लाख रुपये करने का लिया निर्णय


भोपाल : मध्य प्रदेश में वन्य जीव के हमले से किसी भी व्यक्ति की मृत्यु होने पर आठ लाख रुपये के स्थान पर अब 25 लाख रुपये देने का निर्णय राज्य सरकार ने लिया है। वन विभाग मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव की घोषणा के अनुसार जंगलों में वन्यप्राणी के हमले में मरने वाले व्यक्तियों को 25 लाख रुपये हर्जाना देने का प्रस्ताव तैयार कर रहा है। इसमें आर्थिक सहायता दो किस्त में दी जाएगा।

वन्यप्राणी के हमले पर व्यक्ति की मृत्यु पर उसके स्वजन को तुरंत 10 लाख रुपये दिए जाएंगे। शेष 15 लाख रुपये की बैंक में एफडी की जाएगी। इसमें 10 लाख रुपये की एफडी पांच साल बाद और शेष पांच लाख रुपये की एफडी 10 साल बाद तोड़ी जाएगी। यह राशि मृतक के वारिसों को ब्याज सहित भुगतान की जाएगी।

एक साल में करीब 40 मामले

वर्तमान में वन विभाग के पास एक साल में जनहानि के करीब 40 मामले आते हैं, जिनमें मुआवजा देने के लिए करीब तीन करोड़ रुपयों का बजट रखा जाता है। यह प्रस्ताव जल्द ही कैबिनेट में प्रस्तुत करने की तैयारी है। महाराष्ट्र में इसी तरह वन्यजीव के हमले से मृत्यु पर स्वजन को राशि दी जाती है।

बता दें कि मप्र में वर्तमान में जनहानि पर मुआवजा राशि आठ लाख रुपये, उपचार पर हुआ व्यय तथा स्थाई अपंगता पर दो लाख रुपये दिए जाते हैं। वहीं महाराष्ट्र में वन्यप्राणी के हमले से जनहानि पर 25 लाख, छत्तीसगढ़ में छह लाख और उत्तर प्रदेश, राजस्थान व गुजरात में पांच-पांच लाख रुपये मुआवजा दिया जाता है।

पांच साल में 292 से अधिक लोगों की मौत

मध्य प्रदेश में बाघ-तेंदुआ सहित अन्य मांसाहारी वन्यप्राणियों के जंगल से बाहर निकलकर नजदीक की बस्ती में पहुंचने की घटनाएं बढ़ रही हैं। इससे मानव-वन्यप्राणी द्वंद की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। पिछले पांच साल में वन्यप्राणियों के हमले में 292 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।

वहीं वर्ष 2023-24 से अक्टूबर माह तक वन्यप्राणी के हमले से जनहानि, व्यक्ति के घायल होने और पशु हानि के प्रकरणों में 15 करोड़ तीन लाख रुपये की राशि पीड़ित परिवारों को क्षतिपूर्ति के रूप में भुगतान की जा चुकी है।

मप्र से सटे राज्यों में अलग-अलग है मुआवजा राशि

छत्तीसगढ़ : जनहानि पर छह लाख रुपये व स्थाई अपंगता पर कोई राशि देय नहीं है।

उत्तर प्रदेश : जनहानि पर पांच लाख रुपये, स्थाई अपंगता पर चार लाख रुपये।

राजस्थान : जनहानि पर पांच लाख रुपये, स्थाई अपंगता पर तीन लाख रुपये।

गुजरात : जनहानि पर पांच लाख रुपये, स्थाई अपंगता पर दो लाख रुपये।

महाराष्ट्र : जनहानि पर 25 लाख रुपये एवं स्थाई अपंगता पर साढ़े सात लाख रुपये।

बुलंदशहर में भुने चने खाने से दादा-पोते की मौत, बहू और पोती की हालत गंभीर

बुलंदशहर : जिले के नरसैना थाना क्षेत्र के गांव बरवाला में एक परिवार के सभी सदस्यों की भुने हुए चने खाने के बाद अचानक ही तबीयत बिगड़ गई. जिसके बाद दादा-पौत्र (पोते) की मौत हो गई. जबकि की बहू और पोती का इलाज अस्पताल में चल रहा है.

परिवार के सदस्यों को इस दौरान खून की उल्टियां होने लगीं थीं.नरसैना थाना क्षेत्र के गांव बरवाला में कलवा (58) अपने परिवार के साथ रहते थे. कलवा रविवार की शाम दौलतपुर की एक दुकान से भुने हुए चने खरीद कर लाए थे. देर रात भुने हुए चनों को परिवार के सभी सदस्यों ने खाया. 

चने खाते ही परिवार के सभी सदस्यों की तबीयत बिगड़ने लगी. कलवा, उसकी पुत्रवधु, पौत्र व पोती शिवानी को खून की उल्टियां होने लगीं. चीख पुकार सुनकर मोहल्ले के लोग कलवा के घर पहुंचे और मदद में जुट गए. इससे पहले की लोग कुछ समझ पाते कलवा ने दम तोड़ दिया.

आनन-फानन में लोग परिवार के बाकी तीन सदस्यों को अस्पताल ले गए. रास्ते में कलवा के पौत्र गोलू (7) की भी मौत हो गई. कलवा की बहू जोगिन्द्री देवी और पोती शिवानी का कस्बे के निजी अस्पताल में इलाज चल रहा है. इस घटना से गांव में दहशत का माहौल है।

जांच टीम का गठन : एसडीएम स्याना गजेंद्र सिंह ने बताया कि दादा-पोते की मौत हो गई है. परिवार के बाकी दो सदस्यों को निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है. नायब तहसीलदार और डीओ फूड सेफ्टी की अगुवाई में जांच टीम का गठन कर दिया गया है. 

जांच रिपोर्ट आने के बाद ही मौत की वजह का पता लग पाएगा. रिश्तेदारों के मुताबिक पीड़ित परिवार ने रात में भुने हुए चने का सेवन किया था.

फूड सेफ्टी विभाग ने की कार्रवाई :

स्थानीय लोगों का आरोप है कि 'फूड सेफ्टी विभाग के अफसर टार्गेटेड कार्रवाई करते हैं. जहां मिलावटी और मानक के उलट खाद्य सामग्री बिकती है, वहां विभाग के अफसर जांच करने तक नहीं आते हैं. यही वजह है कि जगह-जगह मिलावटी खाद्य सामग्री का सेवन खुलेआम किया जा रहा है.' डीओ फूड सेफ्टी विनीत कुमार का कहना है कि जांच के लिए टीम रवाना कर दी गई है. संयुक्त रिपोर्ट आने के बाद ही पता चल जाएगा कि मौत कैसे हुई.

राजस्थान में जीका वायरस का पहला मामला, जयपुर में एक व्यक्ति की मौत

जयपुर: राजधानी जयपुर में वर्ष 2018 में जीका वायरस ने हाहाकार मचाया था. उस समय राजधानी जयपुर के शास्त्री नगर स्थित भट्टा बस्ती में बड़ी संख्या में इस वायरस से पीड़ित मरीज सामने आए थे. हालांकि, उस समय किसी भी व्यक्ति की मौत जीका वायरस के चलते नहीं हुई थी, लेकिन एक बार फिर इस वायरस ने चिकित्सा विभाग में हड़कंप मचा दिया है.

दरअसल, बीते दिन एक निजी अस्पताल में जयपुर के रहने वाले एक वृद्ध की मौत जीका वायरस से होने की आशंका जताई जा रही है. जयपुर के रहने वाले 66 वर्षीय राजेंद्र को करीब 5 दिन पहले जयपुर के इस अस्पताल में भर्ती किया गया था. प्राइवेट अस्पताल ने अपने स्तर पर जांच करवाई तो मरीज में जीका वायरस रिपोर्ट हुई और उसके बाद मरीज की मौत हो गई.

मामले को लेकर चिकित्सा विभाग जयपुर जोन के जॉइंट डायरेक्टर डॉक्टर नरोत्तम शर्मा का कहना है कि करीब 6 साल पहले जीका वायरस आउटब्रेक एक क्षेत्र में हुआ था.

हालांकि, उस वायरस से किसी व्यक्ति की मौत नहीं हुई थी, लेकिन जयपुर के एक व्यक्ति को कुछ दिन पहले अस्पताल में भर्ती किया गया था और उसकी मौत हो गई है. आशंका है कि राजस्थान में जीका वायरस से मौत का यह पहला मामला है.

पुणे भेजा सैंपल : डॉक्टर नरोत्तम शर्मा का कहना है कि जिस मरीज की मौत हुई है उसे हाइपरटेंशन और अन्य बीमारियां भी थीं और फिलहाल निजी अस्पताल की रिपोर्ट के अनुसार

जीका वायरस की पुष्टि हुई है. ऐसे में राज्य सरकार की ओर से भी सैंपल नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ वायरोलॉजी पुणे भेजे गए हैं, जिसकी रिपोर्ट के बाद ही जीका वायरस की पुष्टि हो सकेगी. 

डॉक्टर नरोत्तम शर्मा का कहना है कि जीका वायरस के लक्षण भी आम बुखार की तरह होते हैं, लेकिन गर्भवती महिलाओं को सबसे ज्यादा खतरा होता है.

आसपास के क्षेत्र में सर्वे : मृतक मरीज जिस क्षेत्र का रहने वाला था, चिकित्सा विभाग की टीम ने उस क्षेत्र में स्क्रीनिंग का काम शुरू कर दिया है. एंटी लार्वा एक्टिविटी शुरू कर दी गई है और यदि किसी व्यक्ति में लक्षण दिखाई देते थे तो उसे चिकित्सकिय परामर्श दिया जाएगा. 

फिलहाल, पूरी स्थिति नियंत्रण में है और टीम लगातार काम कर रही है. चिकित्सकों का कहना है कि जीका वायरस के लक्षण आसानी से दिखाई नहीं देते हैं.

जयपुर में हुआ था आउटब्रेक : वर्ष 2018 में राजधानी जयपुर के शास्त्री नगर भट्टा बस्ती इलाके में जीका वायरस के मामले बड़ी संख्या में देखने को मिले थे. जिसके बाद चिकित्सा विभाग गया था. उस दौरान तकरीबन 150 से अधिक पॉजिटिव केस जीका वायरस के सामने आए थे।

मामी ने पति के साथ मिलकर की थी प्रेमी भांजे की हत्या, 6 महीने बाद गिरफ्तार


उत्तर प्रदेश के झांसी जिले में एक महिला और उसके पति ने मिलकर अपने प्रेमी भांजे की हत्या कर दी। घटना 6 महीने पहले हुई थी, लेकिन पुलिस को आरोपियों की गिरफ्तारी में इतना समय लग गया।

पुलिस ने बताया कि महिला और उसके पति ने मिलकर प्रेमी भांजे की हत्या कर दी और शव को कुएं में फेंक दिया। पुलिस ने शव को बरामद कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया था।

पुलिस ने इस मामले के खुलासे के लिए पंपलेट छपवाकर जगह-जगह बंटवाए। शख्स की शिनाख्त तब हुई, जब उसके भाई ने पंपलेट को देखा। इसके बाद पुलिस ने जांच पड़ताल तेज की और आरोपी पति-पत्नी को गिरफ्तार कर लिया।

मध्य प्रदेश: बाबा बागेश्वर की पदयात्रा में मंत्री दिलीप अहिरवार ने लिया हिस्सा


छतरपुर: कथावाचक बाबा बागेश्वर धीरेन्द्र शास्त्री हिंदुओं को एक करने और जातपात खत्म करने के लिए 9 दिनों की पैदल यात्रा पर निकले हैं. यात्रा बागेश्वर धाम से ओरछा तक चल रही है. वन एवं पर्यवारण राज्यमंत्री दिलीप अहिरवार भी यात्रा में शामिल हुए. पन्ना जिले के गुनौर से विधायक डॉ राजेश वर्मा भी पदयात्रा में शामिल होने पहुंचे।

महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय की कुलपति ने भी बाबा बागेश्वर की यात्रा का स्वागत किया. कांग्रेस ने सरकारी तंत्र के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए कहा कि इसकी शिकायत राज्यपाल से करेंगे।

वन एवं पर्यावरण राज्यमंत्री दिलीप अहिरवार हुए शामिल

हिन्दू जगाओ यात्रा पर निकले बाबा बागेश्वर की पद यात्रा में वन एवं पर्यावरण राज्यमंत्री दिलीप अहिरवार भी शामिल हुए. उन्होंने बाबा की यात्रा का स्वागत किया. राज्यमंत्री दिलीप अहिरवार ने मंदिरों में दलित पुजारी होने की बाबा की बात का समर्थन किया है. उन्होंने कहा कि "हम भी ब्राह्मणों का सम्मान करते हैं. पूजा पद्धति के लिए ब्राह्मणों का सम्मान हमेशा से होता आया है और आज भी है. दलित समाज के भी लोग कई मंदिरों में है. विपक्ष को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि कांग्रेस को हर बात पर तकलीफ है अगर हिन्दू किसी के साथ खड़ा हो तो उन्हें दर्द होता है, सनातन की बात हो तो कांग्रेस को दर्द होता है।

गुनौर विधायक डॉ राजेश वर्मा ने लिया संकल्प

बागेश्वरधाम के पीठाधीश्वर धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री की पदयात्रा में पन्ना जिले के गुनौर विधायक डॉ राजेश वर्मा भी शामिल हुए. इस पदयात्रा का समापन ओरछा में 29 नवंबर को होगा. यहां विधायक राजेश वर्मा ने संकल्प लिया कि वे बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के साथ समापन में ओरछा पहुंचेंगे. पदयात्रा के प्रभारी सदानंद गौतम ने बताया कि " आज नौगांव से देवरीबांधा तक 22 किमी का सफर तय किया. 

महाराज श्री की इस पदयात्रा में हजारों श्रद्धालु शामिल हो रहे हैं. महाराज श्री प्रतिदिन 20 किलोमीटर से अधिक की यात्रा कर रहे हैं. इस दौरान बागेश्वर धाम सरकार हिंदुओं को एकजुट होने और जात पात खत्म कर आगे बढ़ने का संकल्प दिला रहे हैं।

भोपाल में नकली एएसपी पकड़ाई, वर्दी पहनकर दिखा रही थी रौब


भोपाल:- राजधानी के न्यू मार्केट में फर्जी आईपीएस बनकर घूम रही एक युवती को टीटी नगर थाना पुलिस ने पकड़ा है। इंदौर की यह युवती एडिशनल एसपी की वर्दी में अपने भाई के साथ न्यू मार्केट में घूम रही थी। इस दौरान उसने वहां नियमित गश्त कर पुलिस कर्मियों पर रौब जमाने की कोशिश की। पुलिस कर्मियों को शक हुआ तो पूछताछ में युवती के फर्जीवाड़े की पोल खुल गई।

दिखा रही थी वर्दी का रौब

बताया जा रहा है कि इंदौर की 28 वर्षीय शिवानी चौहान न्यू मार्केट में अपना रौब जमाने में कामयाब हो गई थी। इसी दौरान उसे वहां खड़े पुलिसकर्मी दिख गए। साथ आए भाई-भाभी को वर्दी का असर दिखाने के लिए वह पुलिस वालों के पास गई और भौंरी का रास्ता पूछने लगी। पुलिस वाले पहले तो एक एएसपी रैंक की अफसर को इस तरह देखकर चौंके, फिर उनका ध्यान युवती की वर्दी के साथ लगे नेमप्लेट पर गया।

नेमप्लेट देख हुआ शक

वर्दी पर लगी नेमप्लेट पर उसके नाम के साथ नंबर लिखे हुए थे। ऐसा नंबर अक्सर आरक्षक-प्रधान आरक्षक श्रेणी के पुलिस कर्मियों के नेमप्लेट पर लिखा जाता है। यह उनका रेजिमेंटल नंबर होता है, जिससे पुलिस लाइन में आरक्षक की पहचान होती है। अधिकारियों के नेम प्लेट पर इस तरह का नंबर नहीं लिखा जाता।

पुलिस ने दर्ज किया अपराध

पुलिस कर्मियों ने उससे उसका बैच, प्रशिक्षण, भोपाल के वरिष्ठ अधिकारियों के नाम आदि पूछने शुरू किये तो वह घबरा गई।

पुलिस उसे गिरफ्तार कर थाने लाई, जहां निजी मुचलके पर जमानत देकर रिहा कर दिया गया।

पुलिस ने उस पर लोक सेवक की वर्दी पहनकर खुद को आईपीएस दिखाने के अपराध में मामला दर्ज किया है।

यह अपराध साबित हुआ तो उसे अधिकतम तीन महीने की जेल और पांच हजार रुपये तक जुर्माने की सजा हो सकती है।

पुलिस को सुनाई भावुक कहानी

पुलिस की पूछताछ में नकली आईपीएस बनी शिवानी चौहान ने बताया कि मैं कई वर्षों से यूपीएससी की तैयारी कर रही थी। मेरी मां चाहती थी कि मैं बड़ी अधिकारी बनूं। फिलहाल वे बीमार हैं और उन्हें खुश करने के लिए ही मैंने बोल दिया था कि मेरा चयन हो गया है और मैं आईपीएस बन गई हूं। इसके लिए इंदौर में वर्दी सिलवाई, बेल्ट-बूट लिया, यूट्यूब पर आईपीएस के वीडियो देख-देखकर एएसपी की रैंक और बैच आदि लगाये।

घरवालों से कहा, मीटिंग के लिए भोपाल जाना है

पुलिस के अनुसार 28 वर्षीय शिवानी चौहान इंदौर में एमआईजी थाना क्षेत्र के एमआर-9 में परिवार के साथ रहती है। युवती ने बताया कि उसके पिता देशराज सिंह चौहान नगर निगम की उद्यानिकी शाखा में हैं। वह पिछले करीब छह वर्षों से यूपीएससी की तैयारी कर रही थी। उसने 2018 और 2019 में परीक्षा भी दी थी, लेकिन चयन नहीं हो सका था। शुक्रवार को मीटिंग के लिए कहकर भोपाल आई थी। उसका मौसेरा भाई भी उसके साथ था, इसलिए वह रौब दिखाना चाहती थी और इसी चक्कर में उसकी पोल खुल गई।

बेंगलुरु में दिल दहलाने वाली वारदात आई सामने दो बच्चों की गला दबाकर की गई हत्या, मां या पिता कौन है गुनहगार लगा रहे हैं एक दूसरे पर आरोप


बेंगलुरु:- कर्नाटक के सबसे विकसित शहर बेंगलुरु में को एक चौंका देने वाली घटना सामने आई। यहां दो बच्चों की उनके माता-पिता में से एक ने कथित तौर पर गला घोंटकर हत्या कर दी। इसकी जानकारी पुलिस ने दी। पुलिस ने कहा कि एक बच्चा सात और दूसरा तीन साल का है। मामला सुब्रमण्यपुरा पुलिस स्टेशन क्षेत्र में रिपोर्ट किया गया है।

दंपती मूलरूप से झारखंड के रहने वाले हैं। पुलिस झारखंड के रहने वाले पिता और मां की जांच कर रही है, दंपती बच्चों की हत्या के लिए एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं। बच्चों की पहचान सात वर्षीय शुबम और तीन वर्षीय सिया के रूप में की गई। उनकी मां को गर्दन में चोट लगने के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया है। वहीं, पिता एक ऑटो चालक है जिसको पुलिस ने हिरासत में ले लिया है और उससे पूछताछ की जा रही है।

दंपती के बीच वैवाहिक विवाद चल रहा है

डीसीपी साउथ डिवीजन, लोकेश जगलासर ने कहा कि गुरुवार दो बच्चों की हत्या की सूचना मिली थी। प्रारंभिक चरण में अब तक की जांच से पता चला है कि बच्चों की रस्सी से गला घोंटकर हत्या की गई है। अब, दोनों माता-पिता द्वारा विरोधाभासी दावे किए जा रहे हैं कि बच्चों की हत्या किसने की। 

हत्या का मामला दर्ज किया गया है और सभी कोणों से जांच की जा रही है। वर्तमान में, मां की गर्दन पर कटी चोट का इलाज चल रहा है। यह सत्यापित किया जाना है कि चोट स्वयं लगी है या किसी अन्य व्यक्ति लगाई है। जांच से पता चला है कि हत्या का तात्कालिक कारण यह है कि दंपती के बीच वैवाहिक विवाद थे।

घटना के समय सिर्फ पत्नी थी पति बाद में आया घर

डीसीपी के मुताबिक, गुरुवार शाम 7 बजे से साढ़े नौ बजे के बीच हुई इस घटना के बाद पिता ने मामले की शिकायत की थी, जो दोनों बच्चों और मां को अस्पताल ले गए थे। वे रात 10.30 बजे अस्पताल पहुंचे। अब तक उपलब्ध सीसीटीवी फुटेज से पता चलता है कि व्यक्ति को घटना के बारे में घर पहुंचने के बाद पता चला, डीसीपी ने कहा, उन्होंने दावा किया कि वैवाहिक विवाद, हताशा और अवसाद था जिसके कारण यह घटना हुई और उसकी पत्नी ने अपराध किया।

दूसरी ओर, महिला का दावा है कि हत्याओं में उसकी कोई भूमिका नहीं है और उसने अपने पति पर हत्याएं करने का आरोप लगाया है। हालांकि, पुलिस ने अपराध स्थल से जो तकनीकी साक्ष्य एकत्र किए हैं, उनके आधार पर यह सत्यापित करने की जरूरत है कि मौके पर कौन था।

दो महीने पहले ही झारखंड से बेंगलुरु आए थे दंपती

उन्होंने कहा कि अब तक उपलब्ध सबूतों के अनुसार, मां घटनास्थल पर थी और पिता बाद में आए थे। फिर भी, हमें इसे कुछ और कोणों से सत्यापित करने की जरूरत है। महिला एक गृहिणी है। हम माता-पिता दोनों से पूछताछ कर रहे हैं। हालांकि, महिला का अभी भी इलाज चल रहा है और जांच अभी तक आगे नहीं बढ़ पाई है। वह गंभीर नहीं है और डॉक्टरों ने कहा है कि जान को कोई खतरा नहीं है। पुलिस ने बताया कि दो महीने पहले ही झारखंड से बेंगलुरु आए हैं।

मणिपुर में जातीय हिंसा में 258 लोगों की मौत, केंद्र ने भेजे 10,000 जवान


मणिपुर में पिछले साल मई से मैतेई और कुकी समुदायों के बीच जारी जातीय हिंसा में अब तक 258 लोगों की जान गई है। मणिपुर सरकार के सुरक्षा सलाहकार कुलदीप सिंह ने शुक्रवार को इसकी जानकारी दी। 

उन्होंने बताया कि केंद्र की ओर से राज्य में सीएपीएफ की करीब 90 कंपनियां (तकरीबन 10000 जवान) और भेजी जाएंगीं। राज्य में 198 कंपनियां पहले से मौजूद हैं।

कुलदीप सिंह ने इंफाल में सुरक्षा समीक्षा बैठक के बाद एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, 'आतंकवादियों सहित कुल 258 लोगों की मौत हुई है। मंत्रियों और विधायकों की संपत्तियों में तोड़फोड़ और आगजनी के सिलसिले में 32 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जबकि लूटे गए करीब 3,000 हथियार बरामद किए गए हैं।'

'प्रत्येक जिले में बनेगा नियंत्रण कक्ष'

उन्होंने कहा, 'हमें सीएपीएफ की लगभग 90 कंपनियां मिल रही हैं, जो राज्य में पहले भेजी गई 198 कंपनियों से अधिक हैं। उनमें से काफी संख्या में कंपनियां पहले ही इंफाल पहुंच चुकी हैं। हम नागरिकों और संवेदनशील स्थानों की जान-माल की सुरक्षा के लिए बलों का वितरण कर रहे हैं।' बैठक के बाद उन्होंने कहा कि अधिकारी प्रत्येक जिले में समन्वय प्रकोष्ठ और संयुक्त नियंत्रण कक्ष स्थापित करेंगे।

इस बैठक में सेना, बीएसएफ, सीआरपीएफ, असम राइफल्स, एसएसबी, आईटीबीपी और मणिपुर पुलिस के प्रतिनिधि शामिल हुए। सिंह ने कहा, 'समन्वय, कामकाज, सीमांत क्षेत्र की सुरक्षा, राष्ट्रीय राजमार्गों की सुरक्षा और अन्य महत्वपूर्ण बिंदुओं के लिए बलों की तैनाती के लिए कई एसओपी (मानक संचालन प्रक्रिया) तैयार की गई हैं।'

कड़ी सुरक्षा के बीच दफनाया गया पीड़ितों का शव

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को बैठक के परिणाम के बारे में जानकारी दी जाएगी, जैसा कि सभी समान मामलों में किया जाता है। उन्होंने कहा कि जिरीबाम में अपहृत और मारे गए छह लोगों सहित पीड़ितों सहित नौ शवों को कड़ी सुरक्षा के बीच शांतिपूर्वक दफनाया गया। शवों में तीन महिलाएं और तीन बच्चे शामिल हैं, जिन्हें कथित तौर पर 11 नवंबर को कुकी-जो उग्रवादियों ने जिरीबाम के बोरोबेकरा इलाके से एक राहत शिविर से अगवा कर लिया था, जब कुकी युवकों का एक समूह सीआरपीएफ के साथ मुठभेड़ में शामिल था, जिसमें उनमें से 10 मारे गए थे।

सिंह ने कहा, 'सीआरपीएफ चौकी पर हमला किया गया, जिसके दौरान 10 उग्रवादियों को मार गिराया गया। इसके तुरंत बाद, यह पता चला कि तीन महिलाओं और तीन बच्चों का अपहरण कर लिया गया था।' उन्होंने कहा कि यह पता लगाया जाएगा कि अपहरण सुरक्षा बलों की मौजूदगी में हुआ था या नहीं। सिंह ने कहा कि अपहरण में शामिल उग्रवादियों के सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन (एसओओ) समूहों से संबंधित होने की कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन इसकी जांच की जाएगी।

एनआईए कर रही है जांच

उन्होंने कहा कि एनआईए मामले की जांच कर रही है। एसओओ समझौते पर केंद्र, मणिपुर सरकार और कुकी उग्रवादी संगठनों के दो समूहों - कुकी नेशनल ऑर्गनाइजेशन (केएनओ) और यूनाइटेड पीपुल्स फ्रंट (यूपीएफ) ने हस्ताक्षर किए थे। इस समझौते पर 2008 में हस्ताक्षर किए गए थे और उसके बाद समय-समय पर इसे बढ़ाया जाता रहा। पिछले साल मई से इंफाल घाटी में रहने वाले मैतेई और आसपास के पहाड़ी इलाकों में रहने वाले कुकी-जो समूहों के बीच हिंसा ने भारी नुकसान पहुंचाया है और हजारों लोगों को बेघर कर दिया है।

गर्लफ्रेंड के लिए जमीन बेचने को लेकर मर्डर, दो बेटों ने पिता को मार डाला

वाराणसी : जिले के राजा तालाब थाना क्षेत्र में सनसनीखेज मामला सामने आया है. आरोप है गुरुवार की शाम प्राॅपर्टी बेचने को लेकर दो बेटों ने पिता पर बैट से ताबड़तोड़ वार कर दिए. 

इसके बाद बुरी तरह घायल अवस्था में अधेड़ को बीएचयू ट्राॅमा सेंटर ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. पुलिस ने इस घटना को अंजाम देने वाले दोनों बेटों को गिरफ्तार कर लिया है।

इस संबंध में डीसीपी गोमती जोन प्रमोद कुमार ने बताया कि थाना राजा तालाब थाना क्षेत्र में गुरुवार को श्यामलाल यादव नाम के व्यक्ति की हत्या की सूचना मिली थी।

उन्होंने बताया कि मृतक श्यामलाल यादव के दो बेटे हैं. एक पहली पत्नी से और दूसरा दूसरी पत्नी से. इन दोनों की ही घटना में संलिप्तता जाहिर हुई है. इस संबंध में सीसीटीवी फुटेज भी सामने आया है।

उन्होंने बताया कि जब इन दोनों से पूछताछ की गई तो पता चला कि इनके पिता का किसी अन्य महिला के साथ संबंध था.

ये अपनी कोई प्रॉपर्टी बेचने वाले थे, जिससे इनके घर मे लगातार लड़ाई-झगड़ा होता था. 

पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि दोनों कल अपने पिता को समझा रहे थे. इसी बीच पिता से गाली गलौज होने लगी और आपस में बहस हुई. इस बीच पहली पत्नी के बेटे राजन यादव ने पिता पर बेसबॉल बैट से ताबड़तोड़ वार कर दिए. 

इस दौरान दूसरी पत्नी का बेटा दीनानाथ भी वहां मौजूद था. दोनों को पुलिस ने पकड़ लिया है.डीसीपी गोमती जोन प्रमोद कुमार के मुताबिक, आरोपी दीनानाथ ने पूछताछ में बताया कि पिता श्यामलाल यादव का राजन यादव बड़ा बेटा है. बाद में पिता ने मेरी मां से दूसरी शादी की. उसने बताया कि मां की मृत्यु के बाद सौतेले पिता श्यामलाल ने सारी संपत्ति अपने नाम कर ली और कुछ संपत्ति बेच दी. इसी बीच श्यामलाल का संपर्क एक तीसरी महिला से हो गया. पिता और बची हुई जमीन बेचने की तैयारी में थे.

जब यह जानकारी हम दोनों भाइयों को मिली तो 21 नवम्बर को योजना बनाकर बेसबॉल बैट से पिता पर हमला किया और वहां से भाग गए. इस दौरान श्यामलाल यादव को गंभीर हालत में बीएचयू ट्राॅमा सेंटर ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया, वहीं पुलिस ने इस घटना को अंजाम देने वाले दोनों बेटों राजन यादव और दीनानाथ यादव को गिरफ्तार कर लिया है।

महिला सशक्तीकरण की दिशा में एक कदम: पीएम आवास योजना में घरों की रजिस्ट्री महिलाओं के नाम पर

नई दिल्ली:- महिला सशक्तीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के दूसरे चरण में महिलाओं को ही घर के स्वामित्व का अधिकार देने का फैसला किया है।

योजना के इस प्रावधान का सख्ती से अनुपालन सुनिश्चित किया जाएगा

ग्रामीण विकास मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार आवास योजना के इस प्रावधान का सख्ती से अनुपालन सुनिश्चित किया जाएगा कि घरों का पंजीकरण लाभार्थी परिवार की महिला सदस्य के नाम पर ही हो।

योजना में घरों के पंजीकरण के लिए दो विकल्प होंगे-संयुक्त या फिर केवल घर की महिला के नाम पर। केवल पुरुषों के नाम अब पंजीकरण न करने का फैसला किया गया है।

पीएम आवास योजना को लेकर सरकार का बड़ा कदम

अधिकारी के अनुसार यह महिलाओं पर सबसे अधिक ध्यान देने का ही नतीजा है कि पीएम आवास योजना (ग्रामीण) में लगभग 75 प्रतिशत घरों का स्वामित्व या तो अकेले महिलाओं के नाम पर है या फिर उन्हें शामिल करते हुए संयुक्त रूप से। यह बड़ी उपलब्धि है। दूसरे चरण में यह आंकड़ा सौ प्रतिशत तक पहुंचाने का लक्ष्य है।

पीएम आवास योजना (ग्रामीण) ने बुधवार को आठ वर्ष पूरे कर लिए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस योजना की शुरुआत 2016 में आगरा में की थी। दूसरे चरण के क्रियान्वयन के लिए ग्रामीण मंत्रालय ने प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके तहत आवास प्लस-2024 सर्वे लांच किया गया है ताकि लाभार्थियों की पहचान की जा सके।

मंत्रालय उन शिकायतों को दूर करने की कोशिश में जुट गया है, जिनमें यह आरोप लगाया जाता है कि सर्वे के दौरान किसी को जानबूझकर लाभार्थियों की सूची में शामिल नहीं किया गया। इसे रोकने के लिए अब ग्रामीण घरों को सेल्फ सर्वे की सुविधा दी गई है। इसके तहत योजना का लाभ लेने का इच्छुक व्यक्ति अपनी फोटो के साथ एप पर खुद ही आवेदन कर सकेगा।

दूसरे चरण में ग्रामीण क्षेत्रों में दो करोड़ पीएम आवास बनाए जाने हैं

सर्वे में दस बिंदु होंगे जिनके आधार पर पात्र लाभार्थियों का चयन होगा। दूसरे चरण में ग्रामीण क्षेत्रों में दो करोड़ पीएम आवास बनाए जाने हैं। सरकार के पास 1.20 करोड़ लाभार्थियों की सूची है। 

सर्वे के आधार पर 80 लाख और लाभार्थियों का चयन किया जाएगा। मूल सूची 2011 की सामाजिक-आर्थिक गणना के आधार पर बनाई गई है। इसके बाद इसे आवास प्लस सर्वे 2018 से अपडेट किया गया है।