भाजपा के चुनाव कार्यालय में खामोशी आखिर क्यों!

रिपोर्ट/प्रमोद



झारखंड विधानसभा चुनाव में चुनाव चिह्न आवंटित होने के बाद राजनीतिक दल मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए जनसंपर्क अभियान चला रहे हैं। इस दौरान जगह जगह बैठकों का दौर जारी है।गुमला सीट पर चुनाव मैदान में पूर्व केंद्रीय मंत्री सहित वर्तमान जेएमएम विधायक प्रत्याशी की प्रतिष्ठा दांव पर है। चुनाव को लेकर जंग में उतरी भाजपा और जेएमएम के लिए इस सीट पर चुनाव जितना किसी चुनौती से कम नहीं है। लेकिन भाजपा के लिए सवाल है कि लोकसभा की हार से विधानसभा में पार्टी ने सबक नहीं सीखा तो पार्टी को फिर यह सीट गंवानी पड़ सकती है। कहने का अर्थ पुरानी टीम जिसके रहते पार्टी ने कभी चुनाव नहीं जीता। यही नहीं संगठन में पहले से ही इतना विवाद और ऊपर से टिकट नहीं मिलने के बाद पार्टी में बगावती तेवर यह संकेत दे रहे हैं कि भाजपा को चुनाव जीतना है तो सही लोगों के हाथ कमान देनी होगी नहीं तो ऐसे खेवनहारों के भरोसे चल रही इस नैय्या का पार लगना। मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। लेकिन अब अपने नीति सिद्धांतों से भटक चुकी पार्टी को नसीहत देना भी भैंस के आगे बीन बजाने जैसा है। पार्टी में कोई किसी की सुनने वाला नहीं है जितने लोग उतने मालिक जाहिर है संगठन में बिखराव होना लाजमी है। चुनाव है और पार्टी के जिला मुख्यालय का चुनाव कार्यालय देखिए। सुबह करीब 11 बजे का यह नजारा है। राष्ट्रीय पार्टी का चुनाव कार्यालय और वह भी वीरान,चाय पानी की बात तो छोड़िए कोई एक व्यक्ति नहीं जो आने वाले का नाम पता कारण पूछे। चुनाव होने में अब शेष 12 दिन हैं और चुनाव कार्यालय की खामोशी बयां कर रही है अंदर सबकुछ ठीक ठाक नहीं है।बहरहाल चुनाव में जीत किसी की हो लेकिन भाजपा में कार्यकर्ता कम नेता अधिक होने से पार्टी को विजय दिला पाना थोड़ा मुश्किल लग रहा है!
गांजा और नकदी के साथ एक गिरफ्तार!



गुमला। विधानसभा चुनाव को लेकर पुलिस मुस्तैद नजर आ रही है। इसी क्रम में जिले के डुमरी थाना इलाके के जैरागी गांव से पुलिस ने एक व्यक्ति को मादक पदार्थ और नकदी के साथ गिरफ्तार किया है। मामले में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर एसडीपीओ ललित मीणा ने बताया कि 26 अक्टूबर को दोपहर पुलिस को गुप्त सूचना मिली थी कि जैरागी गांव में सतीश कुमार प्रसाद के द्वारा मादक पदार्थ गांजा का खरीद बिक्री किया जा रहा है ।सूचना का सत्यापन एवं आवश्यक कार्रवाई करने के लिए उच्च पदाधिकारी को सूचित करते हुए अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी चैनपुर के नेतृत्व में एक छापामारी दल का गठन किया गया जिसके बाद छापामारी दल में शामिल सभी जवान गांव पहुंचे तो वहां एक व्यक्ति को घर में उपस्थित पाया गया उस व्यक्ति से उसका नाम, पता पूछने पर उसने अपना नाम सतीश कुमार प्रसाद बताया उसके बाद मादक पदार्थ गांजा की खरीद बिक्री करने से संबंधित पूछताछ किया गया पूछताछ के क्रम में गतिविधि संदिग्ध होने के पश्चात आरोपी के घर का तलाशी लेने हुए नोटिस दिया गया तथा घर का तलाशी लिया गया तलाशी के क्रम में घर के कमरे से एक सफेद प्लास्टिक भूरा रंग के सिल्वर टेप से लपेटा हुआ एवं सफेद प्लास्टिक में बंधा हुआ चार पैकेट गांजा बरामद किया गया। जिसका कुल वजन 3.58 किलोग्राम था साथ ही एक काले रंग के बैग से कुल 90,630 रुपया भी बरामद किया गया जो गांजा बेचकर जमा किया गया था पुलिस ने गिरफ्तार आरोपी को हिरासत में भेज दिया है!
आखिर नेताजी को अचानक क्यों आई विकास की याद!
रिपोर्ट/प्रमोद



गुमला। विधान सभा चुनाव में अपनी ताकत आजमाने उतरे राजनीतिक दलों में मतदाताओं के लिए अलग अलग वादे हैं। कोई चुनाव जीतकर वादा पूरा करने की बात कर रहा है तो कोई वादा पूरा करने की बात कहकर वोट मांग रहा है। वैसे एनडीए और गठबंधन में टिकट बंटवारे को लेकर घमासान मचा हुआ है। कहा जाए तो किसी की कोई नहीं सुनने वाला है। सभी बेलगाम घोड़े की तरह हैं। जाहिर है मतदाताओं में भी चुनाव में अपने प्रत्याशी तय करना थोड़ा मुश्किल हो गया है। लेकिन झारखंड की मुख्य पार्टी जेएमएम और भाजपा के बीच चल रहे चूहे बिल्ली के खेल ने चुनाव मैदान में मतदाताओं की नींद उड़ा दी है। मतदाताओं को लुभाने की हर कोशिश जारी है। लेकिन जागरूक मतदाता यह जानते हैं कि इसकी मियाद अधिक नहीं है। इधर बागी उम्मीद वारों के तेवर भी नरम पड़ते नजर नहीं आ रहे हैं ऐसे में कांग्रेस, जेएमएम भाजपा सभी के लिए बड़ी चुनौती है कि इसका सामना कैसे करें। भाजपा ने तीन बार सांसद और एक बार विधायक रहे पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री सुदर्शन भगत को अपना उम्मीद्वार बनाया है।सुदर्शन भगत लोगों के बीच सरल स्वभाव के लिए जाने जाते हैं। लेकिन एक बार विधायक और तीन बार सांसद रहने के बाद भी इलाके के विकास के लिए कुछ नहीं करना आम जनता में उनकी भूमिका पर सवाल खड़े कर रहा है। हालाकि इस चुनाव में पर्चा दाखिल करने के बाद उन्होंने कहा कि अगर जनता उन्हें एक मौका देती है तो वे इलाके का विकास करेंगे और युवाओं को रोजगार भी दिलाएंगे। लेकिन जनता उनसे पूछ रही है कि नेताजी एक बार विधायक और तीन बार सांसद रहे उस दौरान उन्हें विकास की याद नहीं आई अब चुनाव है तो उन्हें विकास की याद आई है। लेकिन नेताजी क्या करते कोई ना कोई भरोसा तो लोगों को देना ही पड़ेगा नहीं तो नाराज जनता आसानी से माफ करने वाली नहीं है। बहरहाल चुनाव है और वादों दावों का दौर जारी है लेकिन यह पब्लिक है सब जानती है!
कलयुगी मां ने दो बच्चों को कुएं में फेंका, दोनों की मौत!
रिपोर्ट/प्रमोद



गुमला के घाघरा से दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है। एक मां ने पति की प्रताड़ना से तंग आकर अपने दो मासूम बच्चों को कुएं में फेंक दिया। इस घटना मे दोनों बच्चों की मौत हो गई। पुलिस ने आरोपी महिला को गिरफ्तार कर लिया है। जानकारी के अनुसार सुलेखा देवी करमा मनाने के लिए अपने नानी घर सरांगो गई थी। जहां से वह शुक्रवार को दोनों बच्चे को लेकर निकली और लगभग 10 किलोमीटर दूर कोटामाटी गांव पहुंची जहां स्थित कुएं में दोनों बच्चों को डाल दिया। इसकी भनक ग्रामीणों को मिली जिसके बाद लोगों ने इसकी सूचना घाघरा थाना पुलिस को दी। जानकारी के बाद पुलिस घटनास्थल पहुंची और शवों को निकालने के प्रयास में जुट गई है। वहीं ग्रामीणों ने आरोपी महिला को पकड़ कर पुलिस के हवाले कर दिया। पुलिस के पूछने पर सुलेखा ने बताया कि उसका पति संजय उरांव जो खरका का रहने वाला है दोनों लिव इन में रहते थे।
लंबे समय से कुगांव में ही  रहते थे। संजय हमेशा मारपीट करता था और घर खर्च के लिए पैसा नहीं देता था। करीब एक सप्ताह पूर्व वह बेंगलुरु कमाने के लिए चला गया है।
जिससे गुस्से में आकर उसने यह कदम उठाया है। इस संबंध में थानेदार तरुण कुमार से पूछने पर  कहा एक बच्चे को कुंआ से निकाल लिया गया है दूसरे बच्चे को निकालने का प्रयास जारी है।
रोचक मुकाबले की ओर गुमला सीट.. बागियों ने बढ़ाई परेशानी!
रिपोर्ट/प्रमोद



गुमला। विधान सभा चुनाव में जीत को लेकर सभी अपने अपने दावे और वादे कर रहे हैं। पहले चरण के लिए होनेवाले मतदान के लिए शुक्रवार को नामांकन की प्रक्रिया समाप्त हो गई है। इसके बाद गुमला विधान सभा सीट पर जीत को लेकर भाजपा, जेएमएम, जेएलकेएम, सहित बागी और स्वतंत्र उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। प्रारंभ से अबतक इस सीट पर कभी कांग्रेस कभी भाजपा का कब्जा रहा है। लेकिन पिछले कुछ दशक से इस सीट पर जेएमएम और भाजपा ने बारी बारी से कब्जा किया है। वर्तमान में यह सीट जेएमएम के कब्जे में है। इस चुनाव में टिकट नहीं मिलने के बाद भाजपा से बागी उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं और उन्होंने भाजपा के चुनावी समीकरण को ही बदल दिया है। इस सीट से भाजपा ने तीन बार सांसद और एक बार विधायक रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री सुदर्शन भगत को अपना प्रत्याशी बनाया है वहीं जेएमएम ने अपने वर्तमान विधायक भूषण तिर्की पर ही एक बार फिर भरोसा जताया है। आपको बता दें कि इस सीट पर 1995 से जेएमएम और भाजपा के बीच चुनावी जंग जारी है। वर्ष 2000 में भाजपा के वही सुदर्शन भगत हैं जिन्होंने इस सीट पर कब्जा किया था। उसके बाद जेएमएम के भूषण तिर्की ने उन्हें हराया था। एक बार फिर दोनों चेहरे 2024 में आमने सामने हैं। जिसके चलते इस सीट पर मुकाबला रोचक हो गया है। हालाकि भाजपा के बागी उम्मीदवार मिशीर कुजूर और जेएलकेएम से निशा भगत भी चर्चा में हैं। लेकिन अब तक इस सीट पर हुए नामांकन के दौरान अगर किसी उम्मीद्वार ने भीड़ जुटाई है तो उसमें मिसिर कुजूर का नाम है! बहरहाल इस सीट पर नजर डालें तो इस बार चुनाव के लिहाज से मुकाबला रोचक होने वाला है। जीत हार अपनी जगह है लेकिन जिस तरह राष्ट्रीय दलों में टिकट को लेकर घमासान मचा हुआ है यह आने वाले समय में झारखंड की राजनीति के लिए अच्छा संकेत नहीं कहा जा सकता है।
बदलाव के मूड में झारखंड की जनता: अन्नपूर्णा देवी
रिपोर्ट/प्रमोद



गुमला। भारतीय जनता पार्टी अनुसूचित जनजाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष समीर उरांव ने गुमला में आज अपना पर्चा दाखिल किया।बिशुनपुर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी के रूप में समीर उरांव ने निर्वाची अधिकारी के समक्ष अपना नामांकन पत्र दाखिल किया। इस दौरान केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी भी मौजूद रही। नामांकन दाखिल करने के बाद केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस बार झारखंड की जनता बदलाव चाहती है और भाजपा पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाएगी। वहीं, भाजपा प्रत्याशी समीर उरांव ने कहा कि इस बार कोई गलती पार्टी नहीं करना चाहती है और फूक फूक कर कदम रखना चाहती है। उन्होने कहा कि उनकी जीत के साथ राज्य में भाजपा को बहुमत मिलने वाली है। मालूम हो कि गत लोकसभा चुनाव में लोहरदगा लोकसभा सीट से भाजपा ने उन्हें अपना प्रत्याशी बनाया था। उस चुनाव में भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा था। शायद यही वजह है कि इस बार पार्टी कोई जोखिम नहीं उठाना चाहती है। बहरहाल अब देखना है कि पार्टी को इससे कितना लाभ होता है!
आखिर पूर्व सांसद को कयों पड़ी अचानक आशियाने की जरुरत!
रिपोर्ट /प्रमोद



विधानसभा सभा चुनाव का विगुल बज चुका है.पहले चरण के लिए होने वाले चुनाव के लिए प्रत्याशिओं की घोषणा भी हो चुकी है. ऐसे में नेता अपने अपने इलाके में जन संपर्क अभियान में जुटे हुए हैं. भाजपा गुमला विधानसभा सीट से निवर्तमान सांसद सुदर्शन भगत को आजमाना चाहती है और उसने इसके लिए अपना उम्मीदवार बनाया है. हालांकि सुदर्शन भगत के लिए यह सीट नई नहीं है. वर्ष 2000 में भाजपा ने इस सीट पर पहली बार सुदर्शन भगत को टिकट देकर जीत दिलाया था. हालांकि उसके बाद हुए चुनाव में उन्हें पराजय का भी सामना करना पड़ा था.इस बीच लगातार तीन बार सांसद रहे सुदर्शन भगत को पार्टी ने वर्ष 2024के लोक सभा चुनाव में अपना प्रत्याशी नहीं बनाया और उनकी जगह राज्य सभा सांसद समीर उरांव को लोकसभा की सीट से चुनाव लड़ाया था. लेकिन पार्टी में भारी अंतर कलह के कारण पार्टी को हार का सामना करना पड़ा. एक बार दोबारा पार्टी ने अपने पूर्व सांसद पर भरोसा किया है और उन्हें इस सीट पर विधानसभा का प्रत्याशी बनाया है. हालांकि अभी चुनाव के लिए सुदर्शन भगत ने नामांकन दाखिल नहीं किया है.लेकिन पिछले चुनावों में मिली हार और पार्टी के अंदर चल रही गुटबाजी को लेकर कहीं ना कहीं यह भय तो उम्मीदवारों के बीच जरूर है और उम्मीदवार इस दूरी को पाटने की कोशिश भी में हैं.शायद यही वजह है कि पूर्व सांसद ने कभी सांसद रहते आशियाना नहीं बनाया लेकिन अचानक चुनाव से पहले आशियाना ढूंढने का अर्थ है.अब चुनाव तक नेताजी यहीं से पुरे चुनावी कार्यक्रम को संचालित करेंगे. बहरहाल सवाल कई हैं. लेकिन जबाब शून्य है. अब देखना है कि सुदर्शन का चक्र इस चुनावी संग्राम में कितना कारगर साबित हो पाता है!
भाजपा के पूर्व सांसदों की प्रतिष्ठा दाँव पर!
रिपोर्ट /प्रमोद




गुमला.लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने और लोकसभा में करारी हार मिलने के बाद एक बार विधानसभा चुनाव लड़ने मैदान में उतरे भाजपा के दो पूर्व सांसदों की प्रतिष्ठा एक बार फिर दाँव पर है. दरअसल माजरा यह है कि भाजपा ने अपने सिटिंग सांसद सुदर्शन भगत का टिकट काटकर 2024 के लोकसभा चुनाव में निवर्तमान राज्य सभा सांसद और एसटी मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष समीर उरांव पर भरोसा जताया था. लेकिन पार्टी का यह भरोसा खरा नहीं उतरा और पार्टी को चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा था. वहीं लोकसभा चुनाव में जनता के भारी विरोध को देखते हुए पार्टी ने अपने सिटिंग सांसद को विधानसभा चुनाव लड़ाने का भरोसा दिया था और उस पर पार्टी ने अपना वादा पूरा करते हुए सुदर्शन भगत को गुमला से अपना उम्मीदवार बना दिया और समीर उरांव को भी विशुनपुर से एक बार फिर दाँव लगा दिया. अब हम नजर डालते हैं पिछले लोकसभा चुनाव के परिणाम पर जिसमें भाजपा को लोकसभा की सभी विधानसभा में करारी हार मिली थी. इसकी मुख्य वजह पार्टी के अंदर गुटबाजी चरम पर थी और पार्टी का नेतृत्व सही हाथों में नहीं था. हालांकि सबकुछ खोने के बाद कुछ हद तक होश में आई पार्टी अब नए तरीके से संगठन को नई दिशा देने की तैयारी में है और उसने चुनाव से पहले जिलाध्यक्ष को हटाकर नए अध्यक्ष को कमान दे दिया है. इसमें एक बात तो तय है कि लोकसभा जैसी हालत पार्टी कि नहीं रहेगी. लेकिन एक बात जो रह रह कर लोगों के जेहन में आ रहा है कि कया टिकट नहीं मिलने से नाराज कुछ लोग गुटबाजी कर पार्टी को नुकसान पहुंचा सकते हैं? कया एक बार हारे हुए सांसद पर लोग भरोसा करेंगे? कया तीन बार सांसद रहने वाले प्रत्याशी पर जनता उम्मीद से वोट करेगी? ऐसे तमाम ऐसे सवाल हैं जो इस समय इन दोनों नेताओं को देने हैं. बहरहाल चुनाव नजदीक है और नाम दाखिल करने के साथ ही नेता घोषणाओं की झड़ी भी लगाने वाले हैं.लेकिन नेताजी झूठे वादों से जनता मानने वाली नहीं है कयुँकि ये पब्लिक है सब जानती है!
भाजपा के पूर्व सांसदों की प्रतिष्ठा दाँव पर!
रिपोर्ट /प्रमोद






गुमला. लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने और लोकसभा में करारी हार मिलने के बाद एक बार विधानसभा चुनाव लड़ने मैदान में उतरे भाजपा के दो चर्चित चेहरों की प्रतिष्ठा एक बार फिर दाँव पर है. दरअसल माजरा यह है कि भाजपा ने अपने सिटिंग सांसद सुदर्शन भगत का टिकट काटकर 2024 के लोकसभा चुनाव में निवर्तमान राज्य सभा सांसद और एसटी मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष समीर उरांव पर भरोसा जताया था. लेकिन पार्टी का यह भरोसा खरा नहीं उतरा और पार्टी को चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा था. वहीं लोकसभा चुनाव में जनता के भारी विरोध को देखते हुए पार्टी ने अपने सिटिंग सांसद को विधानसभा चुनाव लड़ाने का भरोसा दिया था और उस पर पार्टी ने अपना वादा पूरा करते हुए सुदर्शन भगत को गुमला से अपना उम्मीदवार बना दिया और समीर उरांव को भी विशुनपुर से एक बार फिर दाँव लगा दिया. अब हम नजर डालते हैं पिछले लोकसभा चुनाव के परिणाम पर जिसमें भाजपा को लोकसभा की सभी विधानसभा में करारी हार मिली थी. इसकी मुख्य वजह पार्टी के अंदर गुटबाजी चरम पर थी और पार्टी का नेतृत्व सही हाथों में नहीं था. हालांकि सबकुछ खोने के बाद कुछ हद तक होश में आई पार्टी अब नए तरीके से संगठन को नई दिशा देने की तैयारी में है और उसने चुनाव से पहले जिलाध्यक्ष को हटाकर नए अध्यक्ष को कमान दे दिया है. इसमें एक बात तो तय है कि लोकसभा जैसी हालत पार्टी कि नहीं रहेगी. लेकिन एक बात जो रह रह कर लोगों के जेहन में आ रहा है कि कया टिकट नहीं मिलने से नाराज कुछ लोग गुटबाजी कर पार्टी को नुकसान पहुंचा सकते हैं? कया एक बार हारे हुए सांसद पर लोग भरोसा करेंगे? कया तीन बार सांसद रहने वाले प्रत्याशी पर जनता उम्मीद से वोट करेगी? ऐसे तमाम ऐसे सवाल हैं जो इस समय इन दोनों नेताओं को देने हैं. बहरहाल चुनाव नजदीक है और नाम दाखिल करने के साथ ही नेता घोषणाओं की झड़ी भी लगाने वाले हैं.लेकिन नेताजी झूठे वादों से जनता मानने वाली नहीं है कयुँकि ये पब्लिक है सब जानती है!
सुदर्शन भगत के लिए आसान नहीं है गुमला सीट!
रिपोर्ट /प्रमोद





गुमला.उम्मीदवारों की घोषणा होते ही राजनीतिक दलों में भागदौड़ शुरू हो गई है. इस दौड़ में अभी तक सबसे पहले भाजपा आगे नजर आ रही है. भाजपा ने गुमला विधानसभा की इस प्रतिष्ठित सीट पर एक बार फिर तीन बार सांसद सह केंद्रीय मंत्री और एक बार झारखण्ड सरकार में मंत्री रहे सुदर्शन भगत पर दाँव लगाया है. लेकिन बड़ा सवाल है कि कया चार बार गुमला विधानसभा हारे सुदर्शन भगत के लिए इस बार यह सीट जीत पाना आसान होगा? पेशे से किसान परिवार से जुड़े सुदर्शन भगत मूल रूप से गुमला जिले के डुमरी प्रखंड अंतर्गत टांगरडीह के रहने वाले हैं. इनके पिता स्वर्गीय कलसाय भगत और माता दोनो शिक्षक रहे हैं. चार भाई बहनो में सबसे बड़े सुदर्शन भगत की शिक्षा बीए (ऑनर्स ) है. अविभाजित बिहार में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सहमंत्री और विस्तारक रहे सुदर्शन भगत आरएसएस के तृतीय वर्ष प्रशिक्छित भी रहे हैं. वर्ष 2000में पहली बार भाजपा के टिकट पर उन्होंने गुमला बिधानसभा से चुनाव लड़ा था. उसी दौरान उन्हें झारखण्ड सरकार में शिक्षा राज्य मंत्री और आदिवासी कल्याण राज्य मंत्री बनाया गया था. उसके बाद वर्ष 2005 में वे फिर इस सीट से उम्मीदवार बनाये गए लेकिन इसमें उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा. उसके बाद भी उनका राजनीतिक जीवन यहीं ख़त्म नहीं हुआ. वर्ष 2009 में पार्टी ने उन्हें लोहरदगा लोकसभा से अपना प्रत्याशी बनाया और इस दौरान उन्हें जीत भी मिली. इसके बाद वर्ष 2014.2019 में भी उन्हें लगातार जीत मिली.लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया इसका प्रमुख कारण लोगो की उनके प्रति नाराजगी साफ नजर आ रही थी. इसे देखते हुए पार्टी ने उनकी जगह तत्कालीन राज्य सभा सांसद समीर उरांव को उम्मीदवार घोषित कर दिया. लेकिन भाजपा को इस सीट पर बड़ा झटका लगा और पार्टी लोकसभा की सभी सीटे हार गई. इस तरह सुदर्शन भगत ने अपने कार्यकाल के दौरान चार बार यह विधानसभा हारा था. इस बार भी टिकट को लेकर पार्टी में गुटबाजी तेज हो गई है. टिकट ना मिलने से उनके प्रतिद्वंदी खासे नाराज नजर आ रहे हैं. लोगों का कहना है कि जिस व्यक्ति ने तीन बार सांसद और एक बार विधायक रहने के बाद भी इलाके के लिए कुछ नहीं किया फिर वैसे व्यक्ति को टिकट देना समझ से परे है. बहरहाल इस सीट पर हमारी समीक्षा लगातार जारी है. आगे जानेंगे सुदर्शन भगत ने सांसद रहते इलाके के विकास के लिए कया किया......