भैंस चोरी की शिकायत पर पुलिस की अजीब मांग, किसान से मांगा गया भैंस का आधार कार्ड

उत्तर प्रदेश के हरदोई में एक किसान अपनी भैंस चोरी होने की शिकायत लेकर थाने में पहुंचा. आरोप है कि पुलिस चौकी वालों ने शिकायत लिखने से मना कर दिया. फिर वो नजदीकी थाने पहुंचा. यहां पर उससे पुलिस वाले भैंस का आधार कार्ड मांगने लगे. जब किसान ने कहा कि उसके पास भैंस का आधार कार्ड नहीं है तो पुलिस वालों ने उसकी शिकायत दर्ज नहीं की. किसान फिर शिकायत लेकर एसपी के पास पहुंचा.

एसपी ने किसान की शिकायत सुनी तो पुलिस से जवाब मांगा. पुलिस वालों ने इन आरोपों को निराधार बताया. बोले- किसान उन पर झूठे आरोप लगा रहा है. फिलहाल मामले की जांच की जा रही है. बेहद अजीबोगरीब यह मामला टिड़ियावां के हरिहरपुर इलाके का है. यहां रहने वाले रंजीत ने बताया कि उसके घर के पास टीन शेड है. वो यहां अपनी गाय-भैंसों को रखता है.

बताया- 20 अक्टूबर को कुछ चोर उसकी भैंस को चुरा ले गए. अगले दिन जब शेड में भैंस नहीं दिखी तो उसने उसे ढूंढना शुरू किया. पूरे गांव भर में भैंस को ढूंढा. जब भैंस नहीं मिली तो वो हरिहरपुर चौक गया. यहां उसने हरिहरपुर पुलिस चौकी पर प्रार्थना पत्र दिया. लेकिन चौकी इंचार्ज ने प्रार्थना पत्र लेने से मना कर दिया. परेशान होकर फिर वह टड़ियावां थाना गया.

भैंस का आधार कार्ड मांगा

आरोप है कि यहां पुलिसकर्मियों ने उससे ऐसी डिमांड कर डाली जिसे वो पूरा नहीं कर सकता था. बोले- पहले भैंस का परिचय पत्र और आधार कार्ड लाइए, तभी रिपोर्ट दर्ज होगी. किसान मिन्नतें करता रहा कि रिपोर्ट दर्ज कर लीजिए, वो भैंस का आधार कार्ड कहां से लाएगा? दरअसल, किसान के पास भैंस का आधार कार्ड नहीं था. उसकी लाख मिन्नतों के बावजूद पुलिस वाले नहीं माने.

एसपी ने दिए जांच के आदेश

तंग आकर गुरुवार को पीड़ित ने पुलिस अधीक्षक को शिकायती पत्र देते हुए अपना दर्द सुनाया. एसपी ने जब कोतवाल अशोक सिंह से जवाब मांगा तो उन्होंने कहा- भैंस का आधार कार्ड व परिचय पत्र मांगने का आरोप पूरी तरह से निराधार है. दबाव बनाने के लिए किसान झूठे आरोप लगा रहा है. एसपी नीरज जादौन ने फिलहाल इस मामले की जांच सीओ हरियावां को सौंप दी है. जांच के बाद साफ हो पाएगा कि कौन सच बोल रहा है और कौन झूठ. वहीं, भैंस चोरी होने की रिपोर्ट भी अलग से दर्ज कर ली गई है.

महिला इंजीनियर को नहीं मिली कुर्सी, गार्डन में रखा टेबल-कुर्सी और शुरू किया काम

पहले तो सियासत में कुर्सी का लड़ाई देखने सुनने को मिलती थी और अब सरकारी ऑफिस भी कुर्सी का टकराव होने लगा है. सतना की कोटर नगर परिषद अध्यक्ष और महिला इंजीनियर के बीच जगह और कुर्सी को लेकर विवाद इतना बढ़ा कि महिला इंजीनियर कुर्सी और टेबल ऑफिस के गार्डन में रखकर कामकाज करने लगीं. तस्वीरें सामने आईं तो मामला मीडिया और सोशल मीडिया में सुर्खियां बन गया.

सतना के कोटर नगर परिषद में अध्यक्ष और महिला इंजीनियर के बीच चैंबर और कुर्सी के टकराव का मामला सामने आया है. दरअसल, नगर परिषद अध्यक्ष राजभान सिंह और महिला इंजीनियर प्रियंबदा सिंह से पहले ही खटापटी चल रही थी. मामले ने तूल तब पकड़ लिया, जब इंजीनियर प्रियंबदा सिंह ऑफिस में उनका चैंबर और कुर्सी न होने की बात कहते हुए ऑफिस परिसर गार्डन में टेबल-कुर्सी रखकर कामकाज करने लगीं. तस्वीरें सोशल मीडिया में वायरल होने नगर परिषद अध्यक्ष और इंजीनियर के बीच चल रही तनातनी आम हो गई.

अब गॉर्डन में रखी ली टेबल और कुर्सी

महिला इंजीनियर प्रियंबदा सिंह ने कहा कि कार्यालय में काम करने का कहीं स्थान नहीं है. इसलिए वह टेबल और कुर्सी गार्डन में रखकर काम कर रही हैं. वहीं इस मामले में जब नगर परिषद अध्यक्ष राजभान सिंह ने बात की गई तो उन्होंने कहा कि इंजीनियर महिला होने का नाजायज फायदा उठाते हुए पूरा ऑफिस अपने हिसाब से चलाना चाह रही हैं. वहीं प्रभारी सीएमओ पूजा द्विवेदी घटनाक्रम से अपने आपको अनजान होना बता रही हैं.

अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठती थीं महिला इंजीनियर

बता दें कि कोटर नगर परिषद कोटर में बीजेपी के राजभान सिंह अध्यक्ष हैं और प्रियंबदा सिंह इंजीनियर के पद पर पदस्थ हैं. जानकारी के मुताबिक, दोनों एक ही कक्ष में बैठते थे. महिला इंजीनियर कभी-कभी अध्यक्ष की कुर्सी पर भी बैठ जाती थीं, जिसका पार्षदों ने विरोध भी किया था. इस बात को लेकर काफी समय मनमुटाव हो गया था, फिर बैठक व्यवस्था को लेकर वाद-विवाद होने लगा, जो अब सार्वजनिक हो गया है. मामले के सुर्खियां में आने के बाद महिला इंजीनियर और नगर परिषद अध्यक्ष अपनी-अपनी बात कह रहे हैं.

योगी आदित्यनाथ ने त्योहारों के लिए किए बड़े ऐलान, 24 घंटे बिजली आपूर्ति और सख्त सुरक्षा का दिया निर्देश

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आगामी त्योहारों के मद्देनजर कई महत्वपूर्ण घोषणाएं की हैं. उन्होंने त्योहारों के समय प्रदेश में बेहतर कानून-व्यवस्था बनाए रखने और साफ-सफाई के समुचित प्रबंधों पर विशेष ध्यान देने का निर्देश दिया है. साथ ही सीएम योगी ने प्रदेश में 28 अक्टूबर से 15 नवंबर तक पूरे 24 घंटे बिजली की आपूर्ति का ऐलान किया है.

मुख्यमंत्री ने राज्यस्तरीय समीक्षा बैठक में दीपावली, धनतेरस, दीपोत्सव, देव दीपावली, और छठ पूजा के सुचारू आयोजन के लिए अधिकारियों को दिशा-निर्देश दिए. बैठक में सभी मंडलायुक्त, जिलाधिकारी, अपर पुलिस महानिदेशक, पुलिस आयुक्त सहित कई वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे. मुख्यमंत्री ने कहा कि त्योहारों के दौरान प्रदेश में सुरक्षा की दृष्टि से अधिक सतर्कता बरतनी चाहिए. संवेदनशील क्षेत्रों में अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती सुनिश्चित की जाए और हर शहर में सुचारू यातायात के लिए विशेष योजना बनाई जाए. मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिया कि प्रदेश में 28 अक्टूबर से 15 नवंबर तक 24 घंटे बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित की जाए, ताकि त्योहारों के दौरान लोगों को किसी प्रकार की असुविधा न हो

योगी ने दिया निर्देश

सीएम योगी ने कहा कि प्रदेश में त्योहार हर्ष और उल्लास के साथ मनाए जाएं, और लोगों की सुविधाओं का पूरा ध्यान रखा जाए. उन्होंने उपद्रवियों और अराजक तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश भी दिए. अयोध्या में दीपोत्सव का भव्य आयोजन इस वर्ष 30 अक्टूबर को होना है. यह आयोजन श्रीरामजन्मभूमि मंदिर में भगवान श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा के उपरांत पहली बार हो रहा है, और इस अवसर पर श्रद्धालुओं की अधिक उपस्थिति अपेक्षित है. साथ ही वाराणसी में देव दीपावली का आयोजन 15 नवंबर को होगा, जिसके लिए सुरक्षा और भीड़ प्रबंधन की विशेष व्यवस्था की जानी चाहिए. दीपोत्सव और देव दीपावली की गरिमा के अनुरूप सभी आवश्यक तैयारियां समय से पूरी कर ली जाएं.

छठ त्योहार को ‘स्वच्छता और सुरक्षा’ के मानक पर्व के रूप में आयोजित किया जाए. छठ महापर्व के दौरान पूजा के समय पूरे प्रदेश में स्वच्छता बनाए रखने के लिए नगर विकास और पंचायती राज विभाग द्वारा विशेष प्रयास किए जाएं. लोगों की आस्था का सम्मान करते हुए यह सुनिश्चित किया जाए कि नदियां दूषित न हों. साथ ही घाटों की साफ-सफाई की जाए और ट्रैफिक मैनेजमेंट का ध्यान रखा जाए.

उपद्रवियों पर होगी कार्रवाई

मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि त्योहार हर्ष और उल्लास के साथ मनाए जाएं, लोगों की सुविधाओं का ध्यान रखा जाए, और उपद्रवियों तथा अराजक तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए. पटाखों की दुकानें और गोदाम आबादी से दूर हों, और हर जगह फायर टेंडर के पर्याप्त इंतजाम किए जाएं. सोशल मीडिया पर पुलिस की चौकसी बढ़ाई जाएगी, और फेक न्यूज़ फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. किसी अप्रिय घटना की सूचना मिलते ही जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधिकारी तुरंत मौके पर पहुंचेंगे.

दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने जताई चिंता, मॉर्निंग वॉक की बंद

देश की राजधानी दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने चिंता जताई है. सीजेआई ने कहा कि दिल्ली में वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए उन्होंने मॉर्निंग वॉक बंद कर दी. मीडिया से बातचीत के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि डॉक्टर ने उन्हें सुबह में टहलने की सलाह दी है लेकिन जिस तरह से दिल्ली में वायु प्रदूषण है उसे देखते हुए घर के अंदर रहना ही बेहतर है.

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि मैंने 24 अक्टूबर से मॉर्निंग वॉक पर जाना बंद कर दिया है. मैं सुबह चार-सवा चार बजे के आसपास वॉक के लिए जाता हूं लेकिन वायु प्रदूषण के लेवल में बढ़ोतरी के बाद फिलहाल मैं टहलने के लिए नहीं जा रहा हूं क्योंकि सांस संबंधी बीमारियों से बचने के लिए घर के अंदर रहना ही बेहतर है. बता दें कि जस्टिस चंद्रचूड़ 10 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं.

दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में लगातार बढ़ोतरी

दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है. इसके कारण आज राजधानी के कई इलाकों में सुबह-सुबह धुंध छाई है. पूरा दिल्ली- NCR धुंध की चादर लिपटा हुआ नजर आ रहा है. दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक बेहद खराब श्रेणी में है. दिल्ली का एवरेज AQI 300 के करीब है. वहीं, आनंद विहार इलाके की हालत सबसे खराब है. आनंद विहार में एक्यूवाई 400 पार कर गया है.

दशहरा के बाद से दिल्ली की हवा जहरीली

दशहरा के बाद से दिल्ली की हवा जहरीली बनी हुई है. शुक्रवार सुबह 6 बजे तक दिल्ली का AQI 283 दर्ज किया गया. आनंद विहार का एक्यूआई 409 दर्ज किया गया. इसके अलावा दिल्ली के आईटीआई शाहदरा में 302, वजीरपुर में 302, आईटीआई जहांगीरपुरी में 323, पंजाबी बाग में 304, रोहिणी में 313, मुंडका में 318, बवाना में 310 और अलीपुर 308 एक्यूआई दर्ज किया गया.

बिहार के जमुई में पुलिस को धमकी भरा पोस्टर, आरोपी ने कहा - "मुझे और हत्याएं करने पर मजबूर होना पड़ेगा"

बिहार के जमुई जिले में एक ऐसी घटना हुई, जिससे पुलिस महकमे में ही दहशत का माहौल फैल गया. एक हत्या के आरोपी ने पुलिस को 90 के दशक की तरह पोस्टर चिपकाकर धमकी दी है. पोस्टर में लिखा है कि, “थाने में जो केस किया है और सनहा दिया है, उसे वापस ले लिया जाए नहीं तो ‘शोले’ फिल्म देख लो क्या हाल हुआ था ठाकुर का. वहीं अपराधियों द्वारा पुलिस को कुछ इस कदर दी गई चुनौती ने सभी को चौंका दिया है.

मामला जमुई के सोनो थाना क्षेत्र के केवाली गांव से सामने आया है. यहां पिछले दिनों गांव के गुड्डू सिंह की हत्या गोली मारकर अपराधियों द्वारा कर दी गई थी. इसके बाद से हत्या का मुख्य आरोपी फरार है और हत्या में संलिप्त एक आरोपी ने कोर्ट के सामने सरेंडर कर दिया था. मुख्य आरोपी के खिलाफ हत्या के मामले में कोर्ट से इश्तिहार की कार्रवाई के लिए आदेश मिल चुका है और इश्तहार के बाद कुर्की की कार्रवाई की जा सकती है.

जब आरोपी को इसकी खबर मिली तो वह बौखला गया और आरोपी गुलशन कुमार सिंह ने पंचायत भवन की दीवार पर फिल्मी अंदाज में धमकी भरे पोस्टर लगाकर पुलिस पदाधिकारी सहित लोगों को चुनौती दी है.

आरोपी बोला- हत्या के लिए मजबूर होना पड़ेगा

उक्त पोस्ट में साफ शब्दों में चेतावनी लिखी गई है कि गुड्डू सिंह हत्याकांड से जुड़े केस और सनहा को वापस ले लो नहीं तो मुझे और भी हत्या करने पर मजबूर होना पड़ेगा. 

अगर मेरे घर की कुर्की हुई तो अंजाम बहुत बुरा होगा. प्रशासन को धमकी देते हुए इस पोस्टर में यह भी लिखा गया है कि पुलिस सतर्कता बरते नहीं तो ‘शोले’ फिल्म देख लें क्या हाल हुआ था ठाकुर का. ग्रामीणों ने जब सुबह पोस्टर को पढ़ा तो लोगों के बीच दहशत का माहौल पैदा हो गया.

पुलिस आरोपी के खिलाफ दर्ज करेगी एक और केस

सोनो थाने के इंस्पेक्टर संतोष सिंह ने बताया कि इस मामले को लेकर पुलिस जांच में जुट गई है. पोस्टर चिपकाने वाले अज्ञात के विरुद्ध केस दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी. फिलहाल गुड्डू सिंह हत्याकांड मामले को इस पोस्टर कांड से जोड़कर देखा जा रहा है. अब देखना यह है कि फरार आरोपी की गिरफ्तारी कब तक होती है और इस पोस्टर चिपकाने के मामले पर क्या कुछ कार्रवाई की जाती है

माफिया अतीक अहमद के बेटे उमर अहमद को मिली जमानत, जेल से रिहाई नहीं

दिवंगत माफिया अतीक अहमद के बड़े बेटे उमर अहमद जमानत मिल गई, हालांकि फिलहाल वह जेल से रिहा नहीं हो रहे हैं, क्योंकि उनके खिलाफ कई मामले लंबित हैं और उन मामलों में वह जेल में ही रहेंगे. गुरुवार को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उमर अहमद को लखनऊ की सीबीआई की प्रथम कोर्ट ने जमानत दे दी. उमर अहमद को दो मामलों में जमानत मिली है. ये मामले मनी लॉन्ड्रिंग के साथ-साथ देवरिया कांड से संबंधित हैं.

आरोप है कि उमर अहमद ने लखनऊ के व्यापारी मोहित जायसवाल से मारपीट की थी. यह मारपीट पैसों के लेन-देन को लेकर देवरिया में हुई थी. इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने उसके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के तहत केस दर्ज किया था.

लखनऊ सीबीआई स्पेशल कोर्ट ने ईडी के द्वारा दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट मामले में उसे जमानत दे दी. मोहम्मद उमर फिलहाल लखनऊ जेल है और जमानत के बाद भी वह वहीं रहेगा, क्योंकि उसके खिलाफ और कई मामले दर्ज हैं.

फिलहाल लखनऊ जेल में ही रहेंगे उमर

लखनऊ के रियल एस्टेट कारोबारी मोहित के अपहरण और हमले के सिलसिले में सीबीआई कोर्ट में सरेंडर करने के बाद उमर फिलहाल लखनऊ जेल में बंद है.

उमर अहमद उमेश पाल की हत्या का मामला भी दर्ज है. पुलिस ने इससे पहले कहा था कि उमर ने उमेश पाल की हत्या की साजिश में शामिल होने की बात कबूल की थी. उमर ने पुलिस को बताया था कि उसके छोटे भाई असद ने अन्य हमलावरों के साथ बरेली जेल से लौटने के बाद उससे मुलाकात की थी

उमर के खिलाफ चल रहे हैं कई मामले

उसने अपने चाचा अशरफ से मुलाकात की थी, जहां उन्होंने उमेश पाल की हत्या की योजना को अंतिम रूप दिया था. असद ने उमर को योजना और हमलावरों के बारे में बताया जो अपने पिता अतीक और चाचा अशरफ के निर्देश पर उमेश पाल की हत्या करने वाले थे.

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि पहले जुटाए गए साक्ष्य, गिरफ्तार आरोपियों के बयान, उमर और अली से पूछताछ से पता चलता है कि वे उमेश पाल की हत्या की साजिश में शामिल थे.

गौरतलब है कि पुलिस ने इस मामले में पहली चार्जशीट मई 2023 में आरोपी सदाकत खान के खिलाफ दाखिल की थी. इसके बाद अतीक के वकील खान सौलत हनीफ, अतीक के साले डॉ. एखलाक समेत आठ आरोपियों के खिलाफ दो पूरक चार्जशीट दाखिल की गई थीं.

उत्तर प्रदेश के शामली में अनोखा मामला: कुत्ते लल्लू का अंतिम संस्कार और तेरहवीं का आयोजन, जानें क्यों हुआ ऐसा

उत्तर प्रदेश के शामली से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है. शामली जिले में एक कुत्ते की मौत के बाद गांव वालों ने उसका अंतिम संस्कार किया. वहीं अंतिम संस्कार के बाद तेरहवीं का भोज भी कराया गया. जिस कुत्ते का अंतिम संस्कार किया गया उसका नाम लल्लू बताया जा रहा है. लोगों का कहना है कि लल्लू पूरे मोहल्ले में सबका दुलारा था. वो किसी भी अंजान व्यक्ति को मोहल्ले में आने नहीं देता था. बुलाने पर वो सबके पास जाकर बैठ जाता था.

लोगों ने जानकारी देते हुए बताया कि लल्लू ने कभी किसी को नहीं काटा. वो 12 साल से लगातार यहीं लोगों के बीच रह रहा था. 12 साल में उसने एक भी बार किसी को नहीं काटा और न ही किसी को उसने कोई नुकसान पहुंचाया. लल्लू पूरे मोहल्ले का दुलारा था, यही वजह है कि लोगों ने लल्लू का विधि विधान के साथ अंतिम संस्कार किया.

उदास होने पर लोग करते थे मदद

लोगों ने बताया कि लल्लू की मौत बीमारी के कारण हुई है. जब भी कभी वो उदास होता था तो लोग उसकी मदद करते थे. लल्लू अपने मोहल्ले के लिए वफादार था, किसी भी अनजान व्यक्ति को वो मोहल्ले में आने नहीं देता था. लोगों ने लल्लू की मौत के बाद उसका पूरे विधि विधान से अंतिम संस्कार कराया. लल्लू की शव यात्रा निकाली गई, शव यात्रा में भारी संख्या में लोग शामिल हुए.

आत्मा की शांति के लिए की प्रार्थना

लल्लू 12 साल से एक ही मोहल्ले में रह रहा था. लोगों ने मोहल्ले में स्थित गुरुधाम आश्रम में लल्लू की तेरहवीं का आयोजन किया. वहीं तेरहवीं के दौरान हवन का आयोजन किया गया. लल्लू की फोटो पर लोगों ने फूल माला चढ़ाकर शोक संवेदना व्यक्ति की. वहीं गुरुधाम आश्रम में तेरहवीं के भोज का भी आयोजन किया गया. लोगों ने उसकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना भी की.

कल्पवास: गंगा किनारे एक महीने तक कुटिया में रहने की आध्यात्मिक प्रथा, जानें इसका महत्व और उद्देश्य

बिहार में एक स्थान ऐसा है जहां पवित्र गंगा नदी की धारा से घाट गुलजार रहता है. कार्तिक महीने में यहां का नजारा अद्भुत और आध्यात्मिक रहता है. साधु-संत और बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां कुटिया बनाकर पूरे महीने भगवान की भक्ति में लीन रहते हैं. यह पवित्र घाट चार जिलों का संगम कहलाता है. यहां भगवान शिव का चमत्कार है. प्रख्यात कवि विद्यापति को दर्शन देने के लिए गंगा की धारा यहां खुद चली आई थी.

यूं तो कार्तिक मास सनातन धर्म के हिसाब से सबसे पवित्र मास माना जाता है और कार्तिक मास में देश के विभिन्न हिस्सों में गंगा किनारे लोग एक माह तक कल्पवास में रहते हैं. लेकिन बेगूसराय जिले के सुदूर इलाके में अवस्थित चमथा गंगा घाट का अपना ही एक खास महत्व है. श्रद्धालुओं के लिए यह आस्था का केंद्र भी बना रहता है. हजारों की संख्या में श्रद्धालु एवं साधु संत यहां पर गंगा किनारे कुटिया बनाकर रहते हैं.

चमथा गंगा घाट पर जुट रहे साधु-संत

बेगूसराय जिला का चमथा गंगा घाट पर प्रत्येक वर्ष की भांति इस बार भी हजारों की संख्या में श्रद्धालु एवं साधु संत पहुंचे हैं. यहां सभी पूरे एक माह तक गंगा की पूजा अर्चना के साथ-साथ विभिन्न तरीकों से श्रद्धालु भक्ति भाव में लीन रहते हैं. इस दौरान कुटिया बनाकर श्रद्धालु भगवान की पूजा अर्चना करते हैं. एक महीने तक यहां की छटा बिल्कुल ही निराली बनी रहती है. चमथा घाट पर आए श्रद्धालु ननकी बाबा कहते हैं कि वह पिछले 45 वर्षों से इस घाट पर कार्तिक मास में कल्पवास में आते हैं. उनसे पहले उनके गुरु भी यहीं पर कल्पवास करते थे.

चमथा गंगा घाट का इतिहास

ननकी बाबा ने बताया कि जब भगवान भोलेनाथ उगना के रूप में कविवर विद्यापति के यहां उनके चाकर बनकर रहते थे. कविवर विद्यापति ने एक बार उगना के समक्ष गंगा स्नान की इच्छा जाहिर की थी. वह चलकर यहां आए थे. जब वह गंगा नदी से महज 2 किलोमीटर की दूरी पर थे तब उन्होंने उगाना से कहा था कि अब वह थक गए हैं. उन्होंने कहा था कि जब गंगा स्नान के लिए वह इतनी दूर चलकर आए हैं तो क्या गंगा थोड़ी दूर नहीं आ सकती? कहा जाता है उसी वक्त गंगा की मुख्य धारा से एक धारा चमथा की ओर प्रवाहित हुई और कविवर विद्यापति ने वहां स्नान किया था.

राजा जनक भी किया करते थे स्नान

गंगा की वह धारा आज भी वहां पर अवस्थित है. वही मान्यताओं के अनुसार विदेह राज राजा जनक भी यहां गंगा स्नान किया करते थे. हालांकि, लोगों की आस्था का केंद्र होने के बावजूद भी उपयुक्त सुख सुविधाओं का यहां घोर अभाव है. साधु संतों की माने तो प्रशासन के द्वारा इस गंगा घाट के महत्व की अनदेखी की जा रही है जिससे यह पूरी तरह प्रचलित नहीं हो सकी है. तेघरा के एसडीएम राकेश कुमार एवं डीएसपी डॉक्टर रविंद्र मोहन ने श्रद्धालुओं को आस्वस्त किया है कि यहां सुरक्षा एवं सुख सुविधाओं का पूरा ख्याल रखा जाएगा . दीपावली के बाद यहां भारी भीड़ जुटने की संभावना है. इसके मद्देनजर प्रशासन के द्वारा भी पूरी तैयारी की जा रही है.

नालंदा जिले में स्मार्ट मीटर को लेकर ग्रामीणों ने किया विरोध, बिजली विभाग ने काटी 90 घरों की बिजली

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जनपद नालंदा में प्रीपेड स्मार्ट मीटर न लगाने का खामियाजा ग्रामीणों को भुगतना पड़ा है. विभाग ने करीब 90 घरों की बिजली काट दी है. इन लोगों ने प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाने का विरोध किया था. बता दें कि बिहार में स्मार्ट मीटर लगाने का काम तेजी से चल रहा है. इसे लेकर जहां एक तरफ सियासी घमासान मचा हुआ है तो वहीं दूसरी तरफ बिजली विभाग लोगों को इस बात की जानकारी देते दिख रहा है कि स्मार्ट मीटर को लेकर तरह-तरह की भ्रांतियां फैली हुई हैं, जो गलत है. बिजली विभाग का कहना है कि इस मीटर से अधिक बिल नहीं आ रहा है.

नालंदा जिले के बिंद प्रखंड के जहाना पंचायत के रामपुरबिगहा गांव में उपभोक्ताओं के स्मार्ट मीटर लगाने का विरोध करने पर बिजली विभाग ने लगभग 90 घरों की बिजली ही काट दी है, जिससे पूरा गांव अंधकार में डूब गया है. ग्रामीणों में पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है. महिलाएं सुबह होते ही बर्तन लेकर हैंडपंप पर पानी भरने के लिए निकल जाती हैं. हैंडपंप पर महिलाएं लाइन में लगकर अपनी बारी का इंतजार करती हैं. गांव के लोग बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं.

वहीं अब जनवितरण दुकानों में केरोसिन के तेल भी नहीं मिलता है, जिससे लोग रोशनी की कोई व्यवस्था कर सकें. ग्रामीण जला हुआ डीजल डिब्बे में जलाकर रहने को मजबूर हैं. बिजली विभाग ने इन उपभोक्ताओं को साफ शब्दों में समझा दिया कि आपको हर हाल में स्मार्ट मीटर लगवाना ही होगा और अगर नहीं लगवाते हैं तो बिजली कनेक्शन भी काटा जाएगा.

स्मार्ट मीटर के सामूहिक विरोध पर गरमा गया मुद्दा

रामपुर बिगहा गांव की आबादी लगभग एक हजार है. जब यहां स्मार्ट मीटर लगाने बिजली विभाग के कर्मी पहुंचे तो सामूहिक रूप से इसका विरोध ग्रामीणों ने कर दिया. स्मार्ट मीटर लगाने को वो राजी नहीं हुए, जिसके बाद बिजली विभाग ने भी एक्शन लिया और लगभग 90 घरों के बिजली कनेक्शन को ही काट दिया. ग्रामीण पिंटू यादव, राहुल कुमार, प्रवीण चौहान, नरेश यादव, चंदन कुमार, गायत्री देवी, गुड़िया देवी, गौरी देवी, तारा देवी, पंचाल देवी, रूबी देवी ने कहा कि बिजली विभाग के अधिकारी मनमानी करते हैं, जो बर्दाश्त नहीं करेंगे.

हम लोग समय पर बिजली बिल दे रहे हैं. उसके बाद बिना कोई सूचना के कनेक्शन काट दिया गया, जो मनमानी है. अगर जल्द ही बिजली आपूर्ति बहाल नहीं की गई तो हम लोग जिलाधिकारी को आवेदन देंगे. साथ ही बिजली कार्यालय के बाहर बिजली विभाग के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे.

क्या कहते हैं जेई?

विद्युत कनीय अभियंता कुमारी स्वेता सिन्हा ने बताया कि किसी भी ग्रामीण के द्वारा विद्युत कनेक्शन काटे जाने की सूचना नहीं दी गई है. सहायक अभियंता नितेश कुमार ने बताया कि हमारे संज्ञान में नहीं है. हालांकि मीडिया में बात आने के बाद बुधवार देर शाम बिजली बहाल की गई.

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: अजित पवार के 'घड़ी' सिंबल पर रोक नहीं,डिस्क्लेमर के साथ इस्तेमाल की अनुमति

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले शरद पवार को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है. अजित पवार को घड़ी चुनाव चिह्न का इस्तेमाल करने से रोकने की मांग को सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल कोई आदेश नहीं दिया. एनसीपी (शरद पवार) ने दो अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर चुनाव चिह्न घड़ी के इस्तेमाल पर रोक लगाने की मांग की थी.

सर्वोच्च अदालत ने हालांकि कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि दोनों पक्ष हमारे निर्देशों का पालन कर रहे हैं. अपने लिए शर्मनाक स्थिति पैदा न करें, यदि हम पाते हैं कि जानबूझकर हमारे आदेश का उल्लंघन करने का प्रयास किया गया है, तो हम स्वत: संज्ञान लेकर अवमानना ​​शुरू कर सकते हैं.

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने अजित पवार से हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है. उसमें घड़ी चिन्ह के साथ कोर्ट के आदेश के मुताबिक डिस्क्लेमर लगाने का अनुपालन करने की बात स्पष्ट करने के लिए कहा गया है.

जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि हम अजित पवार जवाब का मौका देंगे. वह यह हलफनामा दें कि भविष्य में हमारे आदेश का उल्लंघन नहीं होगा. यह भी लिखें कि अतीत में भी उन्होंने ऐसा नहीं किया है.

अजित पवार को हलफनामा देने का निर्देश

जस्टिस कांत ने कहा कि अजित पवार हलफनामा दें कि वह 19 मार्च और 4 अप्रैल को आए हमारे आदेश का पालन कर रहे हैं. इस मामले में अगल सुनवाई 6 नवंबर को होगी.

चुनाव आयोग ने अजित पवार की एनसीपी को असली ठहरा कर पार्टी का चिह्न (घड़ी) इस्तेमाल करने का अधिकार दिया था. कोर्ट में बहस के दौरान शरद पवार के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि मार्च में हुई सुनवाई में कोर्ट ने चुनाव आयोग को हमारे लिए भी एक चिन्ह तुरही आवंटित करने का आदेश दिया था.

डिस्क्लेमर के साथ घड़ी चिह्न का करना होगा इस्तेमाल

अजित पवार से कहा गया था कि घड़ी चिह्न के साथ यह लिखें (डिस्क्लेमर) कि मामला अभी कोर्ट में विचाराधीन है. सिंघवी ने दावा किया कि अजित गुट ने इस आदेश का सही तरीके से पालन नहीं किया. लोग घड़ी चिह्न को शरद पवार से पहचानते हैं, जिसका इस्तेमाल बिना डिस्क्लेमर के किया जा रहा है.

अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि अजित पवार कोर्ट के आदेश के मुताबिक डिस्क्लेमर नहीं लगाया. हमने कोर्ट को तस्वीरें सौंपी हैं, अब इन्हें इसकी सजा मिलनी चाहिए.

इस पर अजित पवार के वकील बलबीर सिंह ने कहा कि इन्हें कुछ तो जिम्मेदारी दिखानी चाहिए. कोर्ट में गलत तस्वीरें पेश की जा रही हैं. एक-दो मामले में टेंट हाउस वाले की गलती हो सकती है. इस आधार पर हम पर आरोप नहीं लगा सकते. यह तस्वीरें सीधे कोर्ट में रखी गई हैं. हम अचानक इसका जवाब कैसे दे सकते हैं. हमें इस अर्जी की कॉपी पहले मिलनी चाहिए थी.

वकील बलबीर सिंह ने कहा कि शरद पवार गुट लोकसभा चुनाव के समय भी यही बातें कही थीं. कोर्ट ने घड़ी चिन्ह हमारे पास ही रहने दिया था। अब इन्हें नहीं सुना जाना चाहिए.