अरुणाचल की सीमा में घुसा 'ड्रैगन', छोड़े निशान, दावों पर सरकार का क्या है जवाब?
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भारत अपने पड़ोसी देश चीन की चालों से आए दिन परेशान रहता है। इस बीच एक बार फिर चीन की तरफ से सीमा के अंदर घुसपैठ की खबर है। दावा किया जा रहा है कि अरुणाचल प्रदेश के कपापू इलाके में भारतीय क्षेत्र में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने घुसपैठ की है। इस दावे को केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने सिरे खारिज कर दिया है।
अरुणाचल प्रदेश में चीनी सेना की घुसपैठ की खबरों पर केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि जो इलाके तय नहीं हैं वहां सिर्फ निशान बना देने का मतलब यह नहीं कि उन्होंने हमारी जमीन पर कब्जा कर लिया है। अरुणाचल प्रदेश से आने वाले रिजिजू ने कहा कि भारत-चीन बॉर्डर से लगे अनिर्धारित इलाकों में भारतीय और चीनी सेनाएं गश्ती के दौरान कई बार एक-दूसरे से टकरा सकती हैं, लेकिन इससे भारतीय जमीन पर अतिक्रमण नहीं होता है।
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, सोशल मीडिया और स्थानीय मीडिया में कुछ दिखाया गया कि चीनी पीएलए ने अरुणाचल प्रदेश के कुछ इलाकों में कुछ निशान लगाए हैं. लेकिन हम सभी स्थिति जानते हैं। भारत सरकार और हमारा रक्षा मंत्रालय और विदेश मंत्रालय बातचीत में लगे हुए हैं। हमारी स्थिति बहुत स्पष्ट है कि चीनी सेना या चीनी बलों को उनकी नियंत्रण रेखा के बाहर किसी भी तरह की स्थायी संरचना स्थापित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
अरुणाचल में चीनी अतिक्रमण की खबरें आई थीं
रिजिजू का यह बयान ऐसे समय में आया है जब कई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पिछले हफ्ते चीनी सेना अरुणाचल प्रदेश के अंजाव जिले में घुस आई है और यहां के कपापू इलाके में कैंप लगाकर रुकी हुई है। ईटानगर से सामने आई मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पीएलए अरुणाचल में भारतीय क्षेत्र में कम से कम 60 किलोमीटर अंदर तक घुस आया है। घुसपैठ वाली जगह पर अलाव, स्प्रे-पेंट की गई चट्टानें और चीनी खाने पीने का सामान मिलने का दावा किया गया है। साथ ही मीडिया रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि पीएलए की ये घुसपैठ करीब एक सप्ताह पहले हुई थी।
पहले भी बता चुका है अरूणाचल को चीन का हिस्सा
मार्च 2024 में चीन ने फिर से अरुणाचल प्रदेश को अपना हिस्सा बताया था। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा था- 1987 में भारत ने चीनी जमीन पर अवैध तरह से अरुणाचल प्रदेश बसाया। हमने तब भी इसका विरोध किया था और आज भी हम अपने बयान पर कायम हैं। जियान ने कहा- चीन और भारत की सीमा का कभी सीमांकन नहीं किया गया। ये पूर्वी सेक्टर, पश्चिमी सेक्टर और सिक्किम सेक्टर में बंटी हुई है। पूर्वी सेक्टर में जांगनान (अरुणाचल प्रदेश) हमारा हिस्सा है। भारत के कब्जे से पहले चीन ने हमेशा प्रभावी ढंग से यहां पर शासन किया है। यह मूल तथ्य है जिससे इनकार नहीं किया जा सकता।इसी के साथ मार्च में यह चौथी बार था जब चीन ने अरुणाचल को अपना क्षेत्र बताया था।
2020 से चीन-भारत में तनातनी
यह घटना ऐसे समय में हुई है जब भारतीय और चीनी सेना के बीच लद्दाख में तनातनी है। यह तनाव अप्रैल 2020 से जारी है। भारत और चीन के बीच लद्दाख से अरुणाचल प्रदेश तक 3,400 किलोमीटर लंबी सीमा है। चीन लगातार दावा करता रहा है कि अरुणाचल प्रदेश हमेशा से उसका हिस्सा रहा है। इस दावे को भारत बेतुका और हास्यास्पद करार दे चुका है। चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत मानता है और यहां भारतीय नेताओं के दौरे पर आपत्ति जताता रहता है। चीन ने इस इलाके को जंगनान नाम दिया है। भारत उसके इस दावे को हमेशा से खारिज करता आया है। भारत अरुणाचल को अपना अभिन्न अंग बताया है। केंद्र सरकार ने अरुणाचल प्रदेश को बनावटी नाम देने के चीन के कदम को यह कहकर नकारती है कि ऐसा करने से सच्चाई नहीं बदल जाएगी।
Sep 10 2024, 14:03