बॉलीवुड के मशहूर फिल्म निर्देशक डेविड धवन का 73वां बर्थडे आज,आइए जानते है निर्देशक की जिंदगी से जुड़ी कुछ खास बाते।


नयी दिल्ली : डेविड धवन बॉलीवुड के मशहूर फिल्म निर्देशक हैं, जिनकी फिल्मों के बिना इंडस्ट्री अधूरी है। निर्देशक अपनी फिल्मों से हंसा-हंसाकर दर्शकों के पेट में दर्द करवा चुके हैं। कई साल से वह दर्शकों का अपनी फिल्मों के जरिए मनोरंजन कर रहे हैं। लोगों का उनकी फिल्मों के साथ खास जुड़ाव रहता है। 

डेविड धवन इंडस्ट्री को अपने करियर के दो से ज्यादा के दशक में कई सुपरहिट फिल्में दे चुके हैं। निर्देशक ने बॉलीवुड के कई बड़े सुपरस्टार्स के करियर को चमकाया है। वहीं, उनकी कई बेहतरीन फिल्मों के कारण उन्हें 'किंग ऑफ कॉमेडी' का टैग भी मिला।डेविड धवन आज अपना 73वां जन्मदिन मना रहे हैं। चलिए इस खास मौके पर जानते हैं निर्देशक की जिंदगी से जुड़ी कुछ खास बाते।

निर्देशक डेविड धवन का जन्म 16 अगस्त 1951 में अगरतला में हुआ था। उनका नाम राजिंदर धवन रखा गया। निर्देशक का पिता बैंक में मैनेजर थे, जिनका ट्रांसफर कानपुर हो गया था। डेविड ने कानपुर से अपनी पढ़ाई की। 12वीं पास करने के बाद उनका रुझान फिल्मों की और हो गया और उन्होंने सोचा कि वह फिल्म इंडस्ट्री में ही काम करेंगे। इसके बाद उन्होंने एफटीआईआई में दाखिला लिया, जहां उन्होंने अभिनय से लेकर निर्देशन और एडिटिंग तक की बारीकियां सीखीं। 

अभिनय सीखने के बावजूद डेविड ने निर्देशन और एडिटिंग का रास्ता चुना, क्योंकि वह शुरुआत में ही समझ चुके थे कि वह अभिनय नहीं कर पाएंगे, इसलिए उन्होंने फिल्म मेकिंग पर खास ध्यान दिया।

अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद डेविड धवन ने बॉलीवुड इंडस्ट्री में कदम रखा और एडिटर के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की। डेविड की पहली फिल्म 1984 में आई 'सारांश' थी, जिसमें अनुपम खेर ने मुख्य भूमिका निभाई थी। फिल्म का निर्देशन महेश भट्ट ने किया था और एडिटिंग डेविड धवन ने की थी। 

एडिटिंग के बाद डेविड धवन ने अपना हाथ निर्देशन में आजमाया और बहुत जल्दी इस लाइन में अपना सिक्का जमा लिया। डेविड ने 1989 में आई फिल्म 'ताकतवर' से अपना निर्देशन डेब्यू किया था, जिसमें गोविंदा और संजय दत्त मुख्य भूमिका में नजर आए थे। अपनी पहली फिल्म से ही बतौर निर्देशक डेविड धवन इंडस्ट्री में छा गए। इसके बाद लगातार वह अपनी फिल्मों के जरिए सफलता की सीढ़ियां चढ़ते गए।

निर्देशक में 90 के दशक से लेकर अब तक बॉलीवुड के कई बड़े सितारों के साथ काम किया, लेकिन उनकी सबसे ज्यादा जोड़ी गोविंदा के साथ जमी। इस जोड़ी ने कई सुपरहिट फिल्में दीं। दोनों ने एक साथ 17 फिल्मों में काम किया, जिनमें से अधिकतर हिट साबित हुई थीं। डेविड ने 'स्वर्ग', 'आंखें', 'शोला और शबनम', 'साजन चले ससुराल', 'जुड़वा', 'बड़े मियां छोटे मियां', 'दुल्हन हम ले जायेंगे', 'मुझसे शादी करोगी', 'पार्टनर', 'चश्मे बद्दूर', 'मैं तेरा हीरो' और 'जुड़वा 2' सहित कई सुपरहिट फिल्में इंडस्ट्री को दीं। डेविड धवन ने अपने करियर में करीब 42 फिल्मों का निर्देशन किया, जिनमें से 17 फिल्में उन्होंने गोविंदा के साथ की थीं। हालांकि, बाद में दोनों के रिश्ते में दरार आने के बाद कभी वह साथ नहीं दिखे।

डेविड धवन की तमाम सुपरहिट फिल्मों की बदौलत उन्हें किंग ऑफ कॉमेडी के टैग से भी नवाजा गया। वहीं डेविड धवन की निजी जिंदगी के बारे में बात करें तो उन्होंने करुणा चोपड़ा धवन के साथ शादी की, जिनसे उन्हें दो बच्चे हुए- रोहित धवन और वरुण धवन। उनके बेटे वरुण धवन ने बतौर अभिनेता बॉलीवुड इंडस्ट्री में कदम रखा और अपना नाम कमाया।

भारत रत्न से सम्मानित पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की आज पुण्यतिथि,आइए जानते है उनसे जुड़ी कुछ खास बाते



भारत रत्न से सम्मानित पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय राजनीति के उन महान नेताओं में से एक थे जिनका योगदान न केवल राजनीति में, बल्कि देश की सामाजिक और सांस्कृतिक धारा में भी महत्वपूर्ण रहा है। उनकी पुण्यतिथि के अवसर पर आइए जानते हैं उनसे जुड़ी कुछ खास बातें:

1. प्रारंभिक जीवन और शिक्षा:

अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर, मध्य प्रदेश में हुआ था। उनके पिता का नाम कृष्ण बिहारी वाजपेयी और माता का नाम कृष्णा देवी था। अटल जी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा ग्वालियर से पूरी की और आगे की पढ़ाई कानपुर के डीएवी कॉलेज से की, जहाँ से उन्होंने राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की।

2. राजनीतिक करियर की शुरुआत:

वाजपेयी जी ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत भारतीय जन संघ से की, जिसे आगे चलकर भारतीय जनता पार्टी के रूप में पुनर्गठित किया गया। 1957 में वे पहली बार बलरामपुर, उत्तर प्रदेश से सांसद चुने गए। इसके बाद उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया, जिनमें विदेश मंत्री और प्रधानमंत्री का पद भी शामिल है।

3. प्रधानमंत्री के रूप में कार्यकाल:

अटल बिहारी वाजपेयी तीन बार भारत के प्रधानमंत्री बने। पहली बार 1996 में, दूसरी बार 1998 में और तीसरी बार 1999 में। उनके प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान भारत ने पोखरण में परमाणु परीक्षण किए, जिसने भारत को विश्व स्तर पर एक मजबूत परमाणु शक्ति के रूप में स्थापित किया।

4. भारत रत्न सम्मान:

अटल बिहारी वाजपेयी को 2015 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया। यह सम्मान उन्हें भारतीय राजनीति और समाज में उनके अद्वितीय योगदान के लिए दिया गया।

5. कवि और लेखक:

अटल बिहारी वाजपेयी एक प्रख्यात कवि और लेखक भी थे। उनकी कविताओं में देशभक्ति, समाज सुधार और मानवीय संवेदनाओं की झलक मिलती है। "मेरी इक्यावन कविताएँ" उनकी प्रमुख काव्य संग्रह में से एक है।

6. विनम्रता और सर्वसम्मति की राजनीति:

वाजपेयी जी की राजनीति की सबसे बड़ी खासियत उनकी विनम्रता और सभी दलों के साथ मिलकर काम करने की क्षमता थी। उनकी नेतृत्व क्षमता और सर्वसम्मति बनाने की कला ने उन्हें सभी दलों में सम्मान दिलाया।

7. स्वास्थ्य और निधन:

अटल बिहारी वाजपेयी का स्वास्थ्य उनके जीवन के अंतिम वर्षों में धीरे-धीरे बिगड़ता गया। 16 अगस्त 2018 को उनका निधन हो गया, जिससे पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई।

अटल बिहारी वाजपेयी की पुण्यतिथि के अवसर पर, हमें उनके महान विचारों और उनकी सेवाओं को याद करते हुए उनके आदर्शों पर चलने का संकल्प लेना चाहिए। उनका जीवन हमें प्रेरित करता है कि हम अपनी मातृभूमि की सेवा में हमेशा समर्पित रहें।

आज का इतिहास:1990 में आज ही के दिन ही चीन ने अपना पहला न्यूक्लियर टेस्ट किया था,जाने 16 अगस्त से जुड़े महत्वपूर्ण घटनाक्रम


नयी दिल्ली : देश और दुनिया में 16 अगस्त का इतिहास कई महत्वपूर्ण घटनाओं का साक्षी है और कई महत्वपूर्ण घटनाएं इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज हो गई हैं।

16 अगस्त का इतिहास काफी महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि 2012 में आज ही के दिन विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांजे को इक्वाडोर ने राजनीतिक शरण दी थी।

2010 में 16 अगस्त को ही नई दिल्ली में होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों के लिए एआर रहमान के रचे थीम गीत जियो उठो बढ़ो जीतो को स्वीकृति दी गई थी।

2018 में आज ही के दिन भारत रत्न से सम्मानित अटल बिहारी वाजपेयी की मृत्यु हुई थी।

2008 में आज ही के दिन कांगो में तैनात 125 भारतीय पुलिस अधिकारियों को संयुक्त राष्ट्र शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

2006 में आज ही के दिन संयुक्त राष्ट्र परिषद ने हैती में अपने अभियान को 6 महीने के लिए बढ़ा दिया था।

2004 में 16 अगस्त को ही ओलंपिक नौकायन में ऑस्ट्रेलियाई और अमेरिकी टीम ने वर्ल्ड रिकाॅर्ड बनाया था।

2000 में आज ही के दिन वेरेंटर्स सागर में रूस की परमाणु पनडुब्बी दुर्घटनाग्रस्त हुई थी।

1990 में 16 अगस्त के दिन ही चीन ने अपना पहला न्यूक्लियर टेस्ट किया था।

1960 में आज ही के दिन साइप्रस को ब्रिटेन से छुटकारा मिला था और वहां इस दिन को फ्रीडम के रूप में मनाया जाता है।

1943 में 16 अगस्त को ही बुल्गारिया के जार बोरिस तृतीय अडोल्फ़ हिटलर से मिले थे।

1924 में आज ही के दिन नीदरलैंड-तुर्की के बीच शांति समझौते पर साइन हुए थे।

1918 में आज ही के दिन दूसरी लोकसभा के सदस्य टी. गणपति का जन्म हुआ था।

1787 में 16 अगस्त के दिन ही तुर्की ने रूस के खिलाफ युद्ध की घोषणा की थी।

1777 में आज ही के दिन ही अमेरिका ने ब्रिटेन को बेन्निनगटोन के युद्ध में हराया था।

आइए जानते है कैसे करे राइस वाटर का इस्तेमाल की चेहरे की चमक हमेशा बनी रहें


राइस वाटर, या चावल का पानी, चेहरे की चमक को बनाए रखने के लिए एक प्राचीन और प्राकृतिक उपाय है। इसमें मौजूद विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सीडेंट्स आपकी त्वचा को स्वस्थ और निखारने में मदद करते हैं। आइए जानते हैं कैसे करें राइस वाटर का इस्तेमाल:

1. राइस वाटर कैसे बनाएं:

चावल धोएं: आधा कप चावल लें और इसे पानी में अच्छे से धो लें ताकि धूल और गंदगी निकल जाए।

भिगोना: धोए गए चावल को 2-3 कप पानी में 30 मिनट के लिए भिगो दें।

पानी छानें: भीगे हुए चावल से पानी को छान लें। यही पानी राइस वाटर के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा।

2. राइस वाटर का उपयोग कैसे

 करें:

फेस वॉश: आप राइस वाटर को फेस वॉश की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे चेहरा धोने पर त्वचा को नमी और पोषण मिलेगा।

टोनर: राइस वाटर को टोनर के रूप में उपयोग करें। इसे एक स्प्रे बॉटल में भर लें और चेहरे पर हल्के हाथों से स्प्रे करें। कुछ मिनट के बाद चेहरे को साफ पानी से धो लें।

फेस मास्क: राइस वाटर को बेसन, मुल्तानी मिट्टी, या ऐलोवेरा जेल में मिलाकर फेस मास्क बना सकते हैं। इसे 15-20 मिनट तक चेहरे पर लगाएं और फिर ठंडे पानी से धो लें।

हफ्ते में दो बार: इस प्रक्रिया को हफ्ते में 2-3 बार दोहराएं। इससे त्वचा में निखार आएगा और त्वचा स्वस्थ दिखेगी।

3. राइस वाटर के फायदे:

त्वचा को नमी: राइस वाटर त्वचा को गहराई से मॉइस्चराइज करता है, जिससे आपकी त्वचा मुलायम और चमकदार बनती है।

एंटी-एजिंग: इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स त्वचा की उम्र बढ़ने के संकेतों को कम करने में मदद करते हैं।

पिगमेंटेशन कम करता है: नियमित इस्तेमाल से त्वचा का रंग साफ होता है और काले धब्बे कम होते हैं।

4. सावधानियाँ:

अगर आपको किसी प्रकार की एलर्जी या संवेदनशीलता है, तो पहले पैच टेस्ट जरूर करें।

हमेशा ताजा राइस वाटर का ही इस्तेमाल करें, इसे लंबे समय तक न रखें।

राइस वाटर का नियमित उपयोग आपकी त्वचा को चमकदार और स्वस्थ बनाए रख सकता है। 

यह एक प्राकृतिक और सस्ता उपाय है जो आसानी से घर पर तैयार किया जा सकता है।

झारखंड के नाराज परीक्षार्थी आज मुख्यमंत्री का करेंगे पुतला दहन, कल आवास घेराव की तैयारी

डेस्क: झारखंड सीजीएल की तैयारी करने वाले परीक्षार्थियों का धर्य अब जवाब दे चुका है. अब वे आर-पार की लड़ाई लड़ने की तैयारी में हैं. शुक्रवार को सभी जिलों में छात्रों का संगठन मुख्यमंत्री का पुतला दहन करेंगे. वहीं, शनिवार को मुख्यमंत्री आवास का घेराव करेंगे. दरअसल छात्र लंबे समय से सीजीएल परीक्षा की तिथि निर्धारित करने की मांग कर रहे हैं. हालांकि हाल ही में कर्मचारी चयन आयोग ने 21 और 22 सितंबर को परीक्षा की तिथि निर्धारित कर दी है, लेकिन परीक्षा उसी तारीख में होगी या नहीं यह स्पष्ट नहीं है.

छात्रों का इसके पीछे का तर्क ये है कि उस डेट में पहले से ही उत्पाद सिपाही, झारखंड फॉरेस्ट रेंज ऑफिसर समेत कई परीक्षाओं की तिथि निर्धारित है. ऐसे में आयोग कैसे उस परीक्षा को आयोजित कर पाएगा. वहीं, कई लोगों का कहना है कि सरकारी नौकरियों की तैयारी करने वाले कई अभ्यर्थी उत्पाद सिपाही, जेपीएससी समेत कई परीक्षाओं के लिए आवेदन किया है. ऐसे में वह छात्र कैसे परीक्षा में बैठ पाएगा.

उल्लेखनीय है कि झारखंड सीजीएल की परीक्षा 28 जनवरी और 4 फरवरी 2024 को ही निर्धारित की गयी थी. परीक्षा संपन्न तो हो गयी लेकिन पेपर लीक हो जाने के कारण उस परीक्षा को रद्द करना पड़ा. इसके बाद छात्र संगठनों ने जेएसएससी कार्यालय के सामने जमकर बवाल काटा था. आक्रोशित छात्रों ने आयोग के कार्यालय का शीशा तोड़ा डाला था. तो वहीं उस वक्त के तत्कालीन अध्यक्ष नीरज सिन्हा की गाड़ी पर तोड़फोड़ की गयी थी. इस मामले में 4000 छात्रों के ऊपर प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. जबकि 15 छात्रों को नामजद आरोपी बनाया गया था. बता दें कि यह साल 2015 की वैकेंसी है. लेकिन हर बार परीक्षा की तारीख आगे बढ़ने से अब तक एग्जाम नहीं हो पाया है. इस वजह से छात्र आक्रोशित हैं.

लाल किले में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की सीट को लेकर विवाद, ओलंपिक पदक विजेताओं के साथ बैठे आए नजर

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित किया। इस कार्यक्रम में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने भी हिस्सा लिया। स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान राहुल गांधी को ओलंपिक पदक विजेताओं के साथ सबसे आखिरी पंक्ति में बैठे नजर आए। जैसे ही ये तस्वीरें आई, कांग्रेस ने सवाल उठा दिया। अब राहुल गांधी की सीट को लेकर विवाद हो गया है।

प्रोटोकॉल के मुताबिक, लोकसभा में विपक्ष के नेता, जिनका दर्जा कैबिनेट मंत्री के बराबर होता है, उनको हमेशा आगे की पंक्ति में सीट दी जाती है। जहां फिलहाल भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण, शिवराज सिंह चौहान, अमित शाह और एस जयशंकर बैठे थे। 

ऐसे में कांग्रेस ने राहुल गांधी की सीट को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। पार्टी के राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने कहा, "रक्षा मंत्रालय इतना खराब व्यवहार क्यों कर रहा है। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को चौथी कतार में बैठाया गया है। नेता प्रतिपक्ष का पद किसी भी केंद्रीय मंत्री से बड़ा होता है। लोकसभा में वह प्रधानमंत्री के बाद आते हैं। राजनाथ सिंह जी आप रक्षा मंत्रालय को राष्ट्रीय समारोह का राजनीतिकरण करने की इजाजत कैसे दे सकते हैं। आपसे इसकी उम्मीद नहीं थी।"

कांग्रेस की इस आपत्ति पर रक्षा मंत्रालय का बयान आया है।रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, स्वतंत्रता दिवस के मौके पर नेता प्रतिपक्ष के तौर पर राहुल गांधी के लिए आगे की सीट रिजर्व थी, लेकिन उन्होंने अपनी मर्जी से लाइन में पीछे बैठने का फैसला किया।

बता दें कि सफेद कुर्ता-पायजामा पहने राहुल गांधी भारतीय हॉकी टीम के फॉरवर्ड गुरजंत सिंह के बगल में बैठे नजर आ रहे हैं। आगे की रो में मनु भाकर और सरबजोत सिंह जैसे ओलंपिक पदक विजेता बैठे थे। ओलंपिक ब्रॉन्ज मेडलिस्ट हॉकी टीम के कप्तान हरमनप्रीत सिंह और पीआर श्रीजेश सहित टीम के सदस्य भी राहुल गांधी से आगे बैठे थे।

बता दें कि एक दशक में यह पहली बार था जब विपक्ष का कोई नेता स्वतंत्रता दिवस प्रोग्राम के लिए लाल किले पर मौजूद रहा।ऐसे में उसे पीछे बैठे जाने पर विवाद हो गया है।

आज 77वां जन्मदिन मना रही वेटरन एक्ट्रेस राखी गुलज़ार, उतार-चढ़ाव भरी रही जिंदगी

नयी दिल्ली : आज यानी की 15 अगस्त को बॉलीवुड अभिनेत्री राखी गुलजार अपना 77वां जन्मदिन मना रही हैं। वह बेहद खूबसूरत अभिनेत्री होने के साथ मशहूर अदाकारा भी हैं। उनकी आंखें, मुस्कान और दिलकश अदाओं पर हर कोई फिदा है। 70-80 के दशक में वेटरन एक्ट्रेस राखी ने अपनी एक्टिंग से न सिर्फ लोगों का दिल जीता, बल्कि उन्होंने कई बेहतरीन फिल्मों में भी काम किया है।

हालांकि राखी की प्रोफेशनल और पर्सनल जिंदगी काफी उतार-चढ़ाव भरी रही। लेकिन फिर भी राखी अपने जीवन में आगे बढ़ती गईं और स्ट्रगल करती रहीं। आखिरकार उनकी मेहनत रंग लाई और यही कारण है कि आज भी दर्शक उनको बड़े पर्दे पर देखना चाहते हैं।

जन्म और शादी

पश्चिम बंगाल के राणाघाट में 15 अगस्त 1947 को राखी का जन्म हुआ था। उन्होंने न सिर्फ हिंदी बल्कि कई बंगाली फिल्मों में भी काम कर अपने अभिनय की छाप छोड़ी है। बॉलीवुड में राखी ने चार दशकों तक राज किया है और उनके चेहरे पर गजब की मासूमियत है। 

बता दें कि महज 16 साल की उम्र में उनके माता-पिता ने राखी की शादी अजय विश्वास से कर दी थी। अजय विश्वास पेशे से पत्रकार और फिल्म निर्देशक थे। लेकिन अजय और राखी का रिश्ता लंबा नहीं चल सका और 18 साल की उम्र में उनका तलाक हो गया।

फिल्मी करियर

अजय से तलाक के बाद राखी ने फिल्मों में किस्मत आजमाई। बता दें कि साल 1967 में उन्होंने बंगाली फिल्म 'बोधु बोरॉन' से अभिनय की शुरूआत की थी। इसके बाद अभिनेत्री ने राजश्री प्रोडक्शन की फिल्म 'जीवन मृत्यु' से ब़ॉलीवुड में कदम रखा। जिसके बाद राखी ने कई हिट फिल्मों में काम किया और उनको कई पुरस्कारों से भी सम्मानित किया जा चुका है।

इसी दौरान उनकी मुलाकात फेमस गीतगार गुलजार से हुई। दोनों में पहले दोस्ती हुई और फिर यह दोस्ती प्यार में बदल गई, जिसके बाद साल 1973 में दोनों शादी के बंधन में बंध गए। राखी और गुलजार की एक बेटी मेघना गुलजार है। लेकिन राखी और गुलजार का रिश्ता भी ज्यादा समय तक नहीं टिक सका।

दरअसल, राखी से शादी करने के बाद गुलजार ने उनके सामने शर्त रखी थी कि वह शादी के बाद फिल्मों में काम करना छोड़ देंगी। लेकिन शादी के बाद राखी ने फिल्में करना शुरूकर दिया, जिसके कारण राखी और गुलजार के रिश्ते में दरार आने लगी और बाद में दोनों का रिश्ता खत्म हो गया।

आज का इतिहास:अंग्रेजों की लंबी गुलामी के बाद 15 अगस्त को आज ही के दिन भारत ने देखा आजाद सुबह का पहला सूरज

नई दिल्ली : अंग्रेजों की लंबी गुलामी के बाद भारत ने आखिरकार 15 अगस्त 1947 को आजाद हवा में सांस ली और आजाद सुबह का सूरज देखा। हालांकि, इस सूरज में बंटवारे के जख्म की लाली भी थी। बंटवारे के बाद मिली आजादी खुशी के साथ ही दंगों और सांप्रदायिक हिंसा का दर्द भी दे गई। 

इस दिन से जुड़ी अन्य घटनाओं की बात करें तो 15 अगस्त की तारीख भारतीय डाक सेवा के इतिहास में एक खास कारण से दर्ज है। 

दरअसल 1972 में 15 अगस्त के ही दिन ‘पोस्टल इंडेक्स नंबर’ अर्थात पिन कोड लागू किया गया था। हर इलाके के लिए अलग पिन कोड होने से डाक की आवाजाही में आसानी होने लगी। इसके अलावा अमेरिकी फौज के अफगानिस्तान से वापस जाने के बाद 15 अगस्त 2021 को तालिबान के लड़ाकों ने राजधानी काबुल पर नियंत्रण कर लिया और इसी के साथ पूरे देश पर तालिबान का कब्जा हो गया। इसके बाद राष्ट्रपति अशरफ गनी अफगानिस्तान छोड़कर चले गए।

देश-दुनिया के इतिहास में 15 अगस्त की तारीख पर दर्ज अन्य प्रमुख घटनाओं का सिलसिलेवार ब्योरा इस प्रकार है:-

1854 : ईस्ट इंडिया रेलवे ने कलकत्ता (अब कोलकाता) से हुगली तक पहली यात्री ट्रेन चलाई, हालांकि आधिकारिक तौर पर इसका संचालन 1855 में शुरू हुआ। 

1866: लिकटेंस्टीन जर्मनी के शासन से मुक्त हुआ।

1872 : भारतीय दार्शनिक श्री अरबिंदो का जन्म।

1886 : भारत के महान संत एवं विचारक गुरु रामकृष्ण परमहंस उर्फ गदाधर चटर्जी का निधन।

1945: दक्षिण कोरिया और उत्तर कोरिया दोनों आजाद हुए।

1947 : भारत को अंग्रेज़ों की हुकूमत से आजादी मिली।

1947 : रक्षा वीरता पुरस्कारों-परमवीर चक्र, महावीर चक्र और वीर चक्र की स्थापना।

1975 : बांग्लादेश में सैनिक क्रान्ति।

1950 : भारत में 8.6 की तीव्रता वाले भूकंप के कारण जान और माल की भारी क्षति।

1960: कांगो फ्रांस की गुलामी से आज़ाद हुआ।

1971 : बहरीन ब्रिटेन के शासन से आजाद हुआ।

1972 : पोस्टल इंडेक्स नंबर अर्थात पिन कोड लागू किया गया।

1982 : राष्ट्रव्यापी रंगीन प्रसारण और टीवी के राष्ट्रीय कार्यक्रम की शुरुआत।

1990 : जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल आकाश का सफल प्रक्षेपण।

2007 : दक्षिण अमेरिकी देश पेरु के मध्य तटीय इलाके में 8.0 तीव्रता के भूकंप से 500 से ज्यादा लोगों की मौत।

2021: अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा। राष्ट्रपति अशरफ गनी ने देश छोड़ा।

2021: हैती में भूकंप से 724 लोगों की मौत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले से देश को दिया ये संदेश, जानिए भाषण की 15 बड़ी बातें


नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले पर लगातार 11वीं बार तिरंगा झंडा फहराया। इस पर मौके पर पीएम मोदी ने राष्ट्र को करीब एक घंटे 41 मिनट संबोधित किया।

प्रधानमंत्री ने महिलाओं के खिलाफ बढ़ रहे अपराध, भ्रष्ट्राचार, न्यायिक प्रणाली में सुधार, बांग्लादेश के हालात समेत कई मुद्दों पर बात की। आइए जानते हैं पीएम मोदी के भाषण की बड़ी बातें।

पीएम मोदी ने महिलाओं के खिलाफ बढ़ रहे अपराध पर चिंता जताते हुए कहा कि हमें गंभीरता से सोचना होगा। हमारी माताओं, बहनों, बेटियों के प्रति जो अत्याचार हो रहे हैं उसके प्रति जन सामान्य का आक्रोश है। 

इसे देश को, समाज को, हमारी राज्य सरकारों को गंभीरता से लेना होगा। महिलाओं के खिलाफ अपराधों की जल्द से जल्द जांच हो। राक्षसी कृत्य करने वालों को जल्द से जल्द कड़ी सजा हो, ये समाज में विश्वास पैदा करने के लिए जरूरी है।

प्रधानमंत्री मोदी ने को कहा कि अगले पांच वर्षों में मेडिकल की पढ़ाई के लिए 75 हजार नई सीटें सृजित की जाएंगी। उन्होंने 78वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से अपने संबोधन में यह भी कहा कि विकसित भारत के साथ ही हमें स्वस्थ भारत बनाना होगा। 

मोदी ने कहा कि हमने पिछले 10 साल में मेडिकल सीटों को करीब करीब एक लाख कर दिया। हर साल 25 हजार युवा मेडिकल की पढ़ाई के लिए विदेश जाते हैं। वे ऐसे-ऐसे देशों में जाते हैं कि मैं सुनकर हैरान रह जाता हूं। उन्होंने घोषणा की कि हमने तय किया है कि अगले पांच साल में मेडिकल लाइन में 75 हजार नई सीटें बनाई जाएंगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जब 40 करोड़ देशवासी गुलामी की जंजीरों को तोड़कर देश को आजाद कर सकते हैं तो आज 140 करोड़ ‘परिवारजन’ इसी भाव से समृद्ध भारत भी बना सकते हैं। 

78वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से देशवासियों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘विकसित भारत 2047’ सिर्फ भाषण के शब्द नहीं हैं बल्कि इसके पीछे कठोर परिश्रम जारी है और देश के सामन्य जन से सुझाव लिए जा रहे हैं। 

उन्होंने कहा कि हम 2047 तक विकसित भारत का लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं। अगर 40 करोड़ देशवासी अपने पुरुषार्थ, समर्पण, त्याग और बलिदान से आजादी दिला सकते हैं, आजाद भारत बना सकते हैं तो 140 करोड़ देशवासी इसी भाव से समृद्ध भारत भी बना सकते हैं। 

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज यह समय है देश के लिए जीने की प्रतिबद्धता का और अगर देश के लिए मरने की प्रतिबद्धता आजादी दिला सकती है तो देश के लिए जीने की प्रतिबद्धता समृद्ध भारत भी बना सकती है।

पीएम मोदी ने कहा कि उनके नेतृत्व वाली सरकार देश में बड़े सुधारों के लिए प्रतिबद्ध है और वह राजनीतिक गुणा-भाग से नहीं, बल्कि ‘राष्ट्रहित सर्वोपरि’ के संकल्प के साथ कदम उठाती है। 

उन्होंने 78वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से अपने संबोधन में पिछले 10 वर्षों के दौरान उठाए गए कदमों तथा प्रमुख योजनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि उनकी सरकार ने ‘यथास्थिति’ वाली मानसिकता को खत्म किया है। 

मोदी ने कहा कि पहले देश में यथास्थिति का एक माहौल बन गया था। लोग कहते थे कि कुछ होने वाला नहीं है। हमें इस मानसिकता को तोड़ना था और हमने तोड़ा । मोदी ने कहा, ‘‘देश का सामान्य नागरिक बदलाव चाहता था। हमने बड़े सुधार किए हैं।

पीएम मोदी ने कहा कि देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी लड़ाई जारी रहेगी। मैं चाहता हूं कि भ्रष्टाचारियों के मन में डर पैदा हो ताकि आम आदमी को लूटने की परंपरा बंद हो। 

हम संकल्प के साथ आगे बढ़ रहे हैं लेकिन कुछ लोग होते हैं जो प्रगति देख नहीं सकते जो भारत का भला सोच नहीं सकते हैं। जब तक खुदका भला न हो तब तक उन्हें किसी का भला अच्छा नहीं लगता। देश को ऐसे लोगों से बचना होगा। ईमानदारी के साथ भ्रष्टाचार के खिलाफ मेरी लड़ाई तीव्र गति से जारी रहेगी।

प्रधानमंत्री मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा कि हम दुनिया को बताना चाहते हैं कि उन्हें प्रगतिशील भारत को लेकर चिंतित होने की जरूरत नहीं है।

पीएम मोदी ने कहा कि मैंने सपना देखा है कि 2047 विकसित में सरकार की दखल कम हो। जहां सरकार की जरूरत हो वहां अभाव न हो और सरकार का बिना कारण प्रभाव भी न हो। मोदी ने कहा कि विश्व में सबसे तेज़ गति से करोड़ों लोगों को कोविड वैक्सीनेशन का काम हमारे देश में हुआ।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को उम्मीद जताई कि बांग्लादेश में हालात जल्द सामान्य होंगे और वहां हिंदू तथा दूसरे अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी। उन्होंने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से अपने संबोधन में यह भी कहा कि बांग्लादेश की विकास यात्रा को लेकर शुभेच्छा रहेगी। 

मोदी ने कहा, ‘‘बांग्लादेश में जो कुछ हुआ है उसको लेकर पड़ोसी देश के नाते हमें चिंता होना स्वाभाविक है। मैं आशा करता हूं कि वहां हालात जल्द सामान्य होंगे। 140 करोड़ देशवासियों की चिंता यह है कि वहां हिंदू, अल्पसंख्यक समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित हो। 

उन्होंने कहा, ‘‘भारत हमेशा चाहता है कि हमारे पड़ोसी देश सुख और शांति के मार्ग पर चलें।

पीएम मोदी ने कहा कि बार-बार चुनाव देश की प्रगति में बाधा उत्पन्न करते हैं । पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि समान नागरिक संहिता को लेकर बार-बार चर्चा की है। मैं कहूंगा कि यह समय की मांग है कि देश में एक धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता हो...तभी हम धर्म के आधार पर भेदभाव से मुक्त हो पाएंगे।

प्रधानमंत्री मोदी ने बृहस्पतिवार को कहा कि करीब 10 करोड़ नई महिलाएं स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी हैं और परिवार के फैसले लेने की प्रक्रिया का अभिन्न अंग बन गई हैं तथा व्यापक सामाजिक बदलाव लाने में योगदान दे रही हैं। 

मोदी ने 78वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित किया और महिला सशक्तीकरण की सराहना की। मोदी ने कहा कि हमें यह देखकर गर्व हो रहा है कि महिलाएं आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हो रही हैं। उन्होंने कहा कि जब महिलाएं आत्मनिर्भर हो जाती हैं तो वे परिवार के निर्णय लेने की प्रक्रिया में भाग लेती हैं और यह महत्वपूर्ण सामाजिक परिवर्तन सुनिश्चित करेगा।

प्रधानमंत्री मोदी ने कृषि क्षेत्र में बदलाव की जरूरत पर जोर दिया और कहा कि सरकार किसानों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए व्यापक प्रयास कर रही है। उन्होंने 78वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करते हुए रासायनिक उर्वरकों के इस्तेमाल से मिट्टी की सेहत में आ रही गिरावट पर भी चिंता जताई। 

उन्होंने कहा कि सरकार ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए कार्यक्रम शुरू किए हैं और ऐसी कृषि पद्धतियों के लिए बजट आवंटन भी बढ़ाया गया है। मोदी ने भरोसा जताया कि भारत दुनिया का जैविक खाद्यान्न उत्पादक बन सकता है। 

उन्होंने कहा, ''हमारी कृषि प्रणाली में बदलाव लाना बहुत जरूरी है। यह समय की मांग है।पीएम मोदी ने कहा कि हमारे देश में सुप्रीम कोर्ट ने बार-बार UCC को लेकर चर्चा की है, अनेक बार आदेश दिए हैं। अब देश की मांग है कि देश में secular civil code हो। 

दुर्भाग्य से हमारे देश में आजादी के बाद लोगों को एक प्रकार के माई-बाप कल्चर से गुजरना पड़ा- सरकार से मांगते रहो, सरकार के सामने हाथ फैलाते रहो। हमने governance के इस मॉडल को बदला है। आज सरकार खुद लाभार्थियों के पास जाती है।

लोगों के जीवन में सरकार का दखल कम हो, इस दिशा में भी हमने काम किया है। हमने देशवासियों के लिए 1,500 से ज्यादा कानूनों को खत्म कर दिया, ताकि कानूनों के जंजाल में देशवासियों को फंसना न पड़े। सदियों से हमारे पास जो criminal law थे, उन्हें हम न्याय संहिता के रूप में लाए हैं। इसके मूल में 'दंड नहीं, नागरिक को न्याय' के भाव को हमने प्रबल बनाया है। मैं हर स्तर पर सरकार के प्रतिनिधियों और जन-प्रतिनिधियों से आग्रह करता हूं कि हमें मिशन मोड में ease of living के लिए कदम उठाने चाहिए।

मोदी ने कहा कि उनकी सरकार के बड़े सुधारों की वजह से भारतीय बैंक वैश्विक स्तर पर मजबूत बैंकों में शामिल हैं। ऐतिहासिक लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि मजबूत बैंकिंग प्रणाली औपचारिक अर्थव्यवस्था को मजबूती देती है। 

उन्होंने कहा कि पहले बैंकिंग क्षेत्र कठिन दौर से गुजर रहा था, लेकिन अब इस क्षेत्र में वृद्धि हो रही है। मोदी ने कहा, ''जरा सोचिए हमारे बैंकिंग क्षेत्र की क्या हालत थी। कोई वृद्धि नहीं थी, कोई विस्तार नहीं था और (बैंकिंग प्रणाली में) कोई विश्वास नहीं था। हमारे बैंक कठिन दौर से गुजर रहे थे।

आज जो महानुभाव राष्ट्र रक्षा के लिए पूरी लगन से, पूरी प्रतिबद्धता के साथ देश की रक्षा भी कर रहे हैं और देश को नई ऊंचाई पर ले जाने का प्रयास भी कर रहे हैं। वो हमारे किसान हैं, हमारे जवान हैं, हमारे नौजवानों के हौसले हैं, हमारी माताओं-बहनों का योगदान है, दलित-शोषित-वंचित-पीड़ित हैं।

15 अगस्त को ही क्यों मिली आजादी जाने इससे जुड़े रोचक सवालों के जवाब


रिपोर्टर जयंत कुमार 

रांची : आज पुरा देश अपना 78वां स्वतंत्रता मना रहा है। भारत को आधिकारिक रूप से 15 अगस्त 1947 के दिन आजादी मिली थी। जिसके बाद से ही हर साल प्रत्येक देशवासी के लिए गौरव का दिन है। हालांकि, सवाल ये है कि आखिर भारत की आजादी के लिए यही दिन क्यों चुना गया था और क्यों 15 अगस्त को ही हर साल स्वतंत्रता दिवस के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है। आइए जानते हैं इससे जुड़ी रोचक जानकारी।

सबसे बड़ा सवाल है कि 15 अगस्त को ही आजादी का दिन क्यों चुना गया

ब्रिटेन के तात्कालिक प्रधानमंत्री एटली ने फरवरी 1947 में ऐलान किया कि 30 जून 1948 तक ब्रिटेन भारत को आजाद कर देगा। इसके लिए आखिरी वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन भारत की आजादी और बंटवारे के प्लान में तेजी दिखाई। माउंटबेटन के सुझावों पर ब्रिटेन की संसद ने 4 जुलाई, 1947 को इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट पारित किया। इसमें 15 अगस्त 1947 को भारत से ब्रिटिश शासन खत्म करने का प्रावधान था। अब सवाल उठता है कि 15 अगस्त ही क्यों? दरअसल, 15 अगस्त 1945 को द्वितीय विश्व युद्ध खत्म हुआ था और ब्रिटिश आर्मी के सामने जापानी सेना आत्मसमर्पण कर दिया था। उस वक्त ब्रिटेन की सेना में लार्ड माउंटबेटन अलाइड फोर्सेज में कमांडर थे। ऐसे में वह इस दिन को खास मानते थे। 

जापानी सेना के आत्मसमर्पण का पूरा श्रेय माउण्टबेटन को दिया गया था, ऐसे में माउण्टबेटन 15 अगस्त को अपनी जिंदगी का सबसे अच्छा दिन मानते थे और इसलिए उन्होंने 15 अगस्त का दिन भारत की आजादी के लिए चुना। 

आजादी के समय महात्मा गांधी शामिल नहीं हुए थे। 

 आजादी के जश्न में आशीर्वाद लेने के लिए पंडित जवाहरलाल नेहरू और सरदार वल्लभभाई पटेल पत्र भेज कर बुलाया था। उन्होंने पत्र के जवाब में कहा मैं शामिल नहीं हो सकता। दुर्भाग्य से आज हमें जिस तरह आजादी मिली है, उसमें भारत-पाकिस्तान के बीच भविष्य के संघर्ष के बीज भी हैं। मेरे लिए आजादी की घोषणा की तुलना में हिंदू-मुस्लिमों के बीच शांति अधिक महत्वपूर्ण है।

भारत के नोटों का ही इस्तेमाल करते थे पाकिस्तानी 

15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों के गुलामी के आजाद हुआ तो आजादी के साथ उसे दो हिस्सों में बांट दिया। अब नए मुल्क पाकिस्तान के सामने समस्या थी कि क्या वहां भारत के नोट चलाए जाएं? कुछ पाकिस्तानी नेताओं ने नासिक प्रिंटिंग प्रेस बांटने की मांग की, लेकिन यह प्रैक्टिकली संभव नहीं था। भारत-पाक के नेताओं ने चर्चा की इसके बाद निर्णय लिया गया कि। नोट यहीं नासिक में छपना चाहिए। इसके लिए पाक का एक प्रतिनिधि यहां तैनात होगा, जो प्रोसेस पर नजर रखेगा।समस्या ये थी कि बंटवारे के बाद दूसरे देश का आदमी नोट प्रेस जैसी गोपनीय जगह पर कैसे रह सकता है। इसके लिए बंटवारा कमेटी ने 19 जुलाई 1947 को वित्त विभाग के सामने रिपोर्ट पेश कर अनुमति मांगी तब जाकर उसे यहां रहने की सहमति मिली।