पेरिस ओलंपिक में पदक जीतने वाले खिलाड़ियों से पीएम मोदी ने की मुलाकात, मनु भाकर की पिस्टल थामे आए नजर
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पेरिस ओलंपिक से लौटे इंडियन एथलीट्स से मुलाकात की है। पीएम 15 अगस्त के मौके पर इन एथलीट्स से मिले और उनका हौसला बढ़ाते नजर आए। इस दौरान मनु भाकर, भारतीय हॉकी टीम समेत अन्य खिलाड़ी मौजूद रहे। भारतीय हॉकी टीम के गोलकीपर पीआर श्रीजेश ने पीएम मोदी को अपनी जर्सी दी। वहीं, शूटर मनु भाकर ने प्रधानमंत्री को पिस्टल दी।

भारतीय हॉकी टीम ने पेरिस में लगातार दो ओलंपिक में मेडल जीतकर इतिहास रचा था. भारत के महान गोलकीपर पीआर श्रीजेश और कप्तान हरमनप्रीत सिंह समेत जब पूरी टीम ने उनसे मुलाकात की तो तोहफे के रूप में साइन की हुई जर्सी दी. इसके अलावा हॉकी स्टिक भी गिफ्ट किया।

मनु भाकर ने पेरिस ओलंपिक में शूटिंग में दो ब्रॉन्ज मेडल जीतकर इतिहास रचा था। वो इस खेल में मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनी थीं। इतना ही नहीं उन्होंने ओलंपिक के एक ही एडिशन में दो मेडल हासिल कर इतिहास रचा है।

मनु के साथ मिस्क्ड इवेंट में ब्रॉन्ज जीतने वाले सरबजोत सिंह और शूटिंग के 50 मीटर 3 पोजिशंस इवेंट में ब्रॉन्ज हासिल करने वाले स्वप्निल कुसाले ने भी पीएम से मिलकर बातचीत की। इसके अलावा युवा पहलवान और पेरिस में रेसलिंग के एकमात्र मेडल विजेता अमन सहरावत ने भी पीएम मोदी से मुलाकात की।

हालांकि, इस दौरान नीरज चोपड़ कहीं नजर नहीं आए। दरअसल, नीरज चोपड़ा सर्जरी कराने के लिए पेरिस से सीधा जर्मनी चले गए हैं। इसके चलते वह भारत नहीं आ सके।बैडमिंटन स्टार पीवी सिंधु भी निजी कारणों के चलते पीएम से मिलने नहीं पहुचीं। 2 ओलंपिक मेडल जीतने वाली सिंधु इस बार खाली हाथ रहीं। उन्हें क्वार्टर फाइनल में हार का सामना करना पड़ा और लगातार तीसरा ओलंपिक मेडल जीतने का सपना टूट गया।

पेरिस ओलंपिक में भारत को 6 मेडल मिले। शूटिंग में 3, रेसलिंग में 1, हॉकी में 1 और जेवलिन थ्रो में 1। पिछले ओलंपिक में भारत ने 7 मेडल जीते थे, जो किसी भी एडिशन में मिले सबसे ज्यादा मेडल हैं। पेरिस में हुए ओलंपिक में मनु भाकर ने शूटिंग में ब्रॉन्ज मेडल दिलाने के साथ भारत की झोली में पहला मेडल डाला। दूसरा ब्रॉन्ज मनु भाकर और सरबजोत सिंह की जोड़ी ने शूटिंग में दिलाया। तीसरा मेडल स्वप्निल कुसाले ने जीता जो ब्रॉन्ज मेडल था। यह मेडल भी शूटिंग में ही मिला। भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने पिछले ओलंपिक की तरह इस बार भी ब्रॉन्ज जीता। रेसलिंग में अमन सहरावत ने भारत को ब्रॉन्ज दिलाया और आखिरी मेडल (सिल्वर) नीरज चोपड़ा ने दिलाया।
कोलकाता लेडी डॉक्टर की हत्या-रेप मामले में घिरीं ममता बनर्जी, पहली बार नहीं लगा आरोपियों को बचाने का आरोप
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कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में एक ट्रेनी डॉक्टर के साथ के साथ हैवानियत की हदें पार की गई।पहले अस्मत लूटी गई, फिर बेरहमी से मौत के घाट उतारा गया। इस घटना ने एक बार फिर निर्भया कांड की याद दिला दी। जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। देश भर में भारी प्रदर्शन और लोगों के आक्रोश को देखते हे लेडी डॉक्टर रेप-मर्डर केस की जांच सीबीआई क सौंप दी गी है। दिल्ली से सीबीआई की 25 सदस्यीय टीम कोलकाता पहुंच चुकी है और जांच शुरू कर दी है। इस बीच राज्य की ममता बनर्जी सरकार सवालों के घेरे में है।

एक तरफ जहां विपक्षी बीजेपी और सीपीएम प्रशासन की लापरवाही को मुद्दा बनाकर बंगाल सरकार से इस्तीफा मांग रही हैं। वहीं दूसरी तरफ उनकी पार्टी के नेता और सहयोगी कांग्रेस भी ममता सरकार पर हमलावर है। कलकत्ता हाईकोर्ट ने तो यहां तक पूछ दिया कि आखिर ममता सरकार उसे प्रोटेक्ट क्यों कर रही हैं?

दरअसल, आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के प्रिंसिपल प्रो. (डॉ.) संदीप घोष ने कल यानी सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके कुछ ही देर बाद उन्हें कलकत्ता नेशनल मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में नियुक्त कर दिया गया। ममता सरकार के इसी फैसले की आलोचना हुई। हाईकोर्ट ने अदालत में मौजूद ममता सरकार के वकील से पूछा, ‘आप उनका बचाव क्यों कर रहे हैं? उनका बयान रिकॉर्ड करिए। उन्हें जो कुछ भी पता है, उन्हें बताने दीजिए।’हाईकोर्ट ने सवाल उठाया कि नैतिक जिम्मेदारी लेकर इस्तीफा देने वाले प्रिंसिपल को दूसरे सरकारी कॉलेज का प्रिंसिपल कैसे बनाया जा सकता है?

हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब किसी मुद्दे पर बंगाल सरकार की फजीहत हो रही है। पहले भी संदेशखाली केस जैसे बड़े मुद्दों पर ममता बनर्जी चौतरफा घिर चुकी हैं।2024 के लोकसभा चुनाव से पहले संदेशखाली के मुद्दे पर तृणमूल कांग्रेस बैकफुट पर आई थी। आरोप था कि तृणमूल के नेता शक्ति का इस्तेमाल कर इन इलाकों में महिलाओं का यौन शोषण करते हैं। ममता ने इस मुद्दे को बीजेपी प्रायोजित बताया।
मंकीपॉक्स वायरस ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित, डब्ल्यूएचओ ने दो साल में दूसरी बार किया ऐलान
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विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने मंकीपॉक्स वायरस को ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दिया  है।साल 2022 के बाद अब दूसरी बार इस बीमारी को वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य आपातकाल बताया गया है।मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अफ्रीकी महाद्वीप में इन दिनों मंकीपॉक्स संक्रमण काफी तेजी से बढ़ रहा है। इसे एमपॉक्स के नाम से भी जाना जाता है। इस साल अफ्रीका में 14,000 से अधिक मामले और 524 मौतें रिपोर्ट की गई हैं। एमपॉक्स के खतरे को देखते हुए डब्ल्यूएचओ ने बुधवार (14 अगस्त) को इसे 'वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल' घोषित कर दिया है।

डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ . टेड्रोस एडनोम घेब्रेयेसस ने कहा, एमपॉक्स को लेकर आपातकालीन समिति ने बैठक की और मुझे सलाह दी कि यह अंतरराष्ट्रीय चिंता विषय है। मैंने  इसे सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित करने की सलाह को स्वीकार कर लिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन जमीनी स्तर पर काम कर रहा है और प्रभावित देशों और जोखिम वाले अन्य लोगों के साथ काम कर रहा है।

आशंका जताई जा रही है यह बीमारी अफ्रीका के अलावा दूसरे महाद्वीपों तक भी फैल सकती है। साल 2022 के बाद से ही मंकीपॉक्स के कुछ मामले आ रहे हैं, लेकिन केस कम थे तो इस बीमारी पर ध्यान नहीं दिया गया। पिछले साल भी अमेरिका और चीन में मंकीपॉक्स के केस आए थे। इसके बाद 2024 की शुरुआत से ही अफ्रीका के देशों में मामले लगातार बढ़ रहे हैं।

डब्ल्यूएचओ इसलिए भी चिंतित है क्योंकि मंकीपॉक्स के अलग-अलग प्रकोप में मृत्यु दर अलग-अलग देखी गई है। कई बार तो यह 10% से भी अधिक रही है। यह इसलिए अधिक खतरनाक साबित हो सकता है क्योंकि यह संक्रामक बीमारी है। इसलिए डब्ल्यूएचओ ने इसे लेकर सबसे उच्च स्तर का अलर्ट जारी किया है।

मंकीपॉक्स चेचक जैसी एक वायरल बीमारी है। आमतौर इस वायरस से संक्रमण के ज्यादा दुष्प्रभाव नहीं होते हैं, लेकिन दुर्लभ मामलों में यह घातक हो सकता है। इसके चलते फ्लू जैसे लक्षण दिखते हैं और शरीर पर मवाद से भरे घाव हो जाते हैं। यह वायरस ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस फैमिली का ही मेंबर है, जो चेचक (स्मालपॉक्स) के लिए भी जिम्मेदार है। इसका प्रकोप मुख्यरूप से समलैंगिक, बाइसेक्सुअल लोगों में अधिक देखा जाता रहा है। हालांकि रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र ने एक रिपोर्ट में अलर्ट किया था कि यौन संबंधों के अलावा भी इस संक्रमण को जोखिम कई और तरीके से हो सकता है, जिसको लेकर सभी लोगों को सावधानी बरतते रहने की आवश्यकता होती है।
भारत ने महिला वर्ल्ड कप की मेजबानी ठुकराई, जय शाह ने बताई वजह
#india_refused_to_host_womens_t20_world_cup इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (आईसीसी) महिला टी20 विश्व कप 2024 की मेजबानी इस बार बांग्लादेश के पास है। लेकिन पड़ोसी में बिगड़े हालातों को देखते हुए लगता है बांग्लादेश से टी20 विश्व कप की मेजबानी छिन सकती है। वहीं आईसीसी भी लगातार बांग्लादेश के हालातों पर नजर बनाए हुए हैं। दूसरी तरफ रिपोर्ट सामने आई थी कि टी20 विश्व कप की मेजबानी भारत, श्रीलंका या यूएई कर सकते हैं। वहीं अब बड़ी जानकारी सामने आ रही है कि भारत में महिला टी20 विश्व कप 2024 नहीं होगा।

दरअसल, भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने इस वैश्विक प्रतियोगिता की मेजबानी को ठुकरा दिया है। बीसीसाई के सचिव जय शाह ने खुद यह बताया है कि वह इसकी मेजबानी नहीं करेंगे।बीसीसीआई सचिव जय शाह ने टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए इंटरव्यू में महिला टी20 वर्ल्ड कप की मेजबानी के सवालों के जवाब दिए। उन्होंने बताया, ‘हमने भारत में महिला टी20 वर्ल्ड कप की मेजबानी की रिक्वेस्ट ठुकरा दी है, जो बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड ने किया था। हमें अगले साल महिला वनडे वर्ल्ड कप की मेजबानी करनी है। हम ऐसा कोई संकेत नहीं देना चाहते कि भारत वर्ल्ड कप की लगातार मेजबानी करना चाहता है।

*बांग्लादेश पुरुष टीम के अभ्यास पर भी असर*
बांग्लादेश में चल रहे प्रदर्शन के कारण महिला टी20 वर्ल्ड कप 2024 के आयोजन को लेकर सवाल उठ रहे हैं। इस बीच बांग्लादेश पुरुष टीम के अभ्यास पर भी असर पड़ा था. देश में हो रहे प्रदर्शन के कारण बांग्लादेश टीम तय शेड्यूल से पहले ही पाकिस्तान के लिए रवाना हो चुकी है। दोनों देशों के बीच दो टेस्ट मैच खेले जाने हैं और यह सीरीज 21 अगस्त को शुरू होगी। पहला बांग्लादेश टीम 17 अगस्त को पाकिस्तान जाने वाली थी, लेकिन अभ्यास, विरोध प्रदर्शन और कई विषयों को ध्यान में रखते हुए टीम 5 दिन पहले ही पाकिस्तान चली गई थी।

*अब श्रीलंका या यूएई की ओर नजर*
अक्टूबर में होने वाले आईसीसी महिला टी20 विश्व कप 2024 में ज्यादा समय नहीं बचा है। यह टूर्नामेंट 3-20 अक्टूबर तक 2 मैदानों में खेला जाना है। लेकिन उससे पहले बांग्लादेश हो रही हिंसा से वहां के हालात खराब होते हुए दिखाई दे रहे हैं। ऐसे में इस टूर्नामेंट के बांग्लादेश में होने को लेकर संशय बना हुआ है। अगर बांग्लादेश महिला टी20 वर्ल्ड कप की मेजबानी नहीं करता तो अब यह टूर्नामेंट श्रीलंका या यूएई में ही होगा। श्रीलंका में अक्टूबर में बारिश होती है। इस कारण यूएई का रुख किया जा सकता है।
“भारत 2036 में ओलंपिक गेम्स की मेजबानी की तैयारी कर रहा है” लाल किले से बोले पीएम मोदी
#pm_narendra_modi_says_indias_dream_to_host_olympics_2036 भारत ने अभी तक ओलंपिक खेलों का आयोजन नहीं किया है। नरेंद्र मोदी जब से सत्ता में आए हैं तब से कई बार कह चुके हैं कि वह भारत में ओलंपिक खेलों का आयोजन करना चाहते हैं। आज लाल किले की प्राचीर से पीएम मोदी ने बड़ी बात कही। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2036 में होने वाले ओलंपिक खेलों की मेजबानी के लिए भारत के संकल्प को दोहराते हुए कहा कि देश इस खेल महाकुंभ के आयोजन के लिए तैयारी कर रहा है।पीएम मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से अपने संबोधन के दौरान वहां उपस्थित ओलंपिक विजेताओं का उल्लेख किया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के अपने भाषण में ओलंपिक में शानदार प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों का जिक्र करते हुए कहा, आज हमारे साथ इस तिरंगे के नीचे वो नौजवान बैठे हैं, जिन्होंने ओलंपिक की दुनिया में भारत का परचम लहराया है। मैं अपने सभी खिलाड़ियों को 140 करोड़ देशवासियों की ओर से धन्यवाद देता हूं। पीएम मोदी ने कहा, हम नए सपने और नए संकल्प और अत्यंतिक पुरुषार्थ के साथ नए लक्ष्यों को हासिल करने के लिए आगे बढ़ेंगे। इस विश्वास के साथ मैं उनको शुभकामनाएं देता हूं। आने वाले कुछ दिनों में भारत का बहुत बड़ा दस्ता पैरालंपिक्स के लिए पेरिस रवाना होगा। मैं सभी पैरालंपिक खिलाड़ियों को भी शुभकामनाएं देता हूं।

पीएम मोदी ने कहा, 'हिंदुस्तान का सपना है कि 2036 में जो ओलंपिक हों, वह हिंदुस्तान की धरती पर हों। उसके लिए हम तैयारी कर रहे हैं, आगे बढ़ रहे हैं।'

बता दें कि भारत 2036 में होने वाले खेलों के महाकुंभ की मेजबानी हासिल करने की कोशिश कर रहा, लेकिन अब इस रेस में उसे चुनौती देने एक और देश आ गया है। मिस्र भी ओलंपिक-2036 की मेजबानी की दावेदारी पेश करेगा।
आजाद होने के बाद इस दिन खेला था टीम इंडिया ने पहला वनडे मैच

आज पूरा देश धूमधाम से 78वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हुआ था। आजादी पाने के बाद भारत ने कई मोर्चों पर कामयाबी हासिल की है। इसी क्रम में भारत की क्रिकेट टीम ने भी कामयाबी के शिखर को छुआ है। टीम इंडिया ने अब तक 2 बार आईसीसी के वर्ल्ड कप का खिताब जीता है। 

इंडियन क्रिकेट टीम की गिनती आज दुनिया की सर्वश्रेष्ठ टीमों में होती है। इस बीच हम आपको स्वतंत्रता दिवस के खास अवसर पर बताते हैं कि टीम इंडिया ने अपना पहला वनडे क्रिकेट मैच कब खेला था और इस मैच में खिलाड़ियों का कैसा प्रदर्शन रहा था।

 टीम इंडिया ने पहला वनडे मैच 

भारतीय क्रिकेट टीम ने अपना पहला वनडे मैच 13 जुलाई 1974 को खेला था। टीम इंडिया ने ये मैच इंग्लैंड के खिलाफ खेला था। मैच इंग्लैंड के ऐतिहासिक लीड्स मैदान पर खेला गया था। इस मैच में इंग्लैंड की टीम ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला लिया था। मैच में इंग्लैंड की टीम के कप्तान माइक डेनेस थे, जबकि भारतीय टीम की कमान अजीत वाडेकर के हाथ में थी

कैसा रहा था टीम इंडिया का प्रदर्शन 

इस मैच में इंग्लैंड के कप्तान माइक डेनेस ने टॉस जीतकर भारत को पहले बल्लेबाजी करने का न्योता दिया था। टीम इंडिया की ओर से सुनील गावस्कर और सुधीर नायक ने पारी की शुरुआत की थी। गावस्कर ने 35 गेंद पर 3 चौकों और 1 छक्के की मदद से 28 रन बनाए थे। वहीं, कप्तान अजीत वाडेकर ने 82 गेंद पर 67 रन (10 चौके) की पारी खेली थी। टीम में बतौर गेंदबाज चुने गए बृजेश पटेल ने सर्वाधिक 82 रन बनाए थे। टीम इंडिया ने 55 ओवर के इस मैच में 53.5 ओवर में सभी विकेट खोकर 265 रन बनाए थे।

क्या निकला नतीजा  

भारत ने इंग्लैंड को जीत के लिए 266 रनों का लक्ष्य दिया था। इंग्लैंड की टीम ने 51.1 ओवर में 6 विकेट खोकर इस लक्ष्य को हासिल कर लिया था। इंग्लैंड की ओर से जॉन एडरिच ने 90, टॉनी ग्रेड ने 40, कीथ फ्लेचर ने 39 और डेविड लॉयड ने 34 रन की पारी खेली थी। इंग्लैंड ने 4 विकेट से इस मैच को अपने नाम कर लिया था। इस मैच में जॉन एडरिच को मैन ऑफ द मैच चुना गया था।

विकेट लेने में नाकाम रहे थे गेंदबाज 

टीम इंडिया ने 265 रन का अच्छा स्कोर बनाया था, लेकिन टीम की गेंदबाजी कमजोर साबित हुई थी। इस मैच में एकनाथ लोकर और बिशप सिंह बेदी ने 2-2 विकेट लिए थे। जबकि, मदन लाल और श्रीनिवास वेंकटराघवन ने 1-1 विकेट हासिल किए थे।

2 बार वनडे वर्ल्ड कप का खिताब जीत चुकी है टीम इंडिया 

भारतीय टीम की शुरूआत भले ही हार के साथ हुई हो लेकिन टीम इंडिया ने कामयाबी तक का सफर तय किया है। टीम ने 1983 में वेस्टइंडीज को हराकर पहली बार वर्ल्ड कप का खिताब जीता था, इसके बाद टीम ने 2011 में दूसरी बार ये खिताब अपने नाम किया। इंडियन क्रिकेट टीम 2003 और 2023 के वनडे वर्ल्ड कप की उपविजेता भी बन चुकी है। आज भारत की गिनती विश्व की सर्वश्रेष्ठ क्रिकेट टीमों में होती है।

पीएम मोदी ने पहनी लहरिया प्रिंट की पगड़ी, जाने इस प्रिंट की क्या है खासियत

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प्रधानमंत्री मोदी ने 78वें स्वतंत्रता दिवस पर गुरुवार को लालकिले पर तिरंगा फहराया। पंडित नेहरू (17 बार) और इंदिरा गांधी (16 बार) के बाद सबसे ज्यादा 11 बार झंडा फहराने वाले तीसरे पीएम हैं। स्वतंत्रता दिवस पर मोदी का पहनावा हमेशा चर्चा में रहता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 2014 से हर स्वतंत्रता दिवस पर रंगीन साफा पहनते रहे हैं। उन्होंने इस बार भी इस परंपरा को बरकरार रखा। इस बार उन्होंने सफेद कुर्ता, चूड़ीदार पायजामा, लाइट ब्लू कलर का बंद गला हाफ जैकेट के साथ राजस्थानी लहरिया पगड़ी पहनी। मोदी ने इस बार नारंगी, पीले और हरे रंग के कॉम्बिनेशन की पगड़ी पहनी।

बता दें कि लहरिया प्रिंट राजस्थान की एक पारंपरिक डिजाइन है। पीएम मोदी लाल किले के प्राचीर से संबोधन के वक्त कई बार राजस्थानी पगड़ी पहन चुके हैं। बीते साल 2023 में भी पीएम मोदी ने राजस्थानी पगड़ी पहनी थी। तब पीएम मोदी ने मल्टी कलर बांधनी प्रिंट वाली राजस्थानी पगड़ी पहनी थी। 2014 के बाद से जबसे बीजेपी सरकार में आई है, तबसे हर साल स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी की पगड़ी की पसंद भारत की समृद्ध विविधता और संस्कृति को दर्शाती है।

लहरिया प्रिंट राजस्थान के पश्चिमी इलाकों के रेगिस्तानी रेत पर बहने वाली हवा से बनने वाली लहरों की प्रतीक है। यही वजह है कि लहरिया प्रिंट में कपड़े के ऊपर आड़ी-तिरड़ी लाइनें होती हैं, जो लहरों की तरह ही दिखती हैं। इस प्रिंट में जिन रंगों का इस्तेमाल होता है, वो भारत की भव्यता को दर्शाता है। शुभ कामों में लहरिया प्रिंट के कपड़े पहनना अच्छा माना है, क्योंकि लहरिया प्रिंट में जिन रंगों का का इस्तेमाल होता है, वो नई शुरूआत के लिए शुभ माने जाते हैं। इस पगड़ी को राजस्थान की शान भी कहा जाता है। 

लहरिया प्रिंट को सबसे पहले 17वीं शताब्दी में ईजाद किया गया था। इसे तैयार करने के लिए टाई एंड डाई तकनीक का इस्तेमाल होता है। इसे काफी मेहनत से तैयार किया जाता है। 17वीं शताब्दी में इजाद होने के बाद 19वीं शताब्दी के अंत तक इसका इस्तेमाल राजस्थान के कई अलग-अलग हिस्सों में होने लगा। उस वक्त भी इसका इस्तेमाल राजघरानों के पुरुषों की पगड़ी बनाने के लिए किया जाता था। ये लहरिया प्रिंट सिर्फ एक डिजाइन नहीं है, इसके पीछे राजस्थान के राजघरानों की सभ्यता छिपी है।

डर पैदा करना जरूरी...राक्षसी लोगों को कड़ी सजा दी जाए...', पीएम मोदी ने लाल किले से ऐसे शब्दों का क्यों किया प्रयोग?

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स्वतंत्रता दिवस पर देश आजादी की वर्षगांठ का जश्न मना रहा है। लाल किले में झंडारोहरण के बाद पीएम मोदी ने देशवासियों को संबोधित किया।लाल किले की प्राचीर से पीएम मोदी ने आधी आबादी को उनकी सुरक्षा का भरोसा दिलाया। पीएम मोदी ने अपने भाषण में महिलाओं पर हो रहें अत्याचारों का जिक्र करते हुए आतताइयों को राक्षस बताते हुए उनके मन मे डर पैदा करने की बात कही।

पीएम मोदी ने लाल किले की प्राचीर से महिलाओं की सुरक्षा का मुद्दा उठाया। पीएम मोदी ने सीधे तौर पर कोलकाता कांड का जिक्र तो नहीं किया, मगर उन्होंने रेप की घटना को अंजाम देने वाले को चेता दिया। पीएम मोदी ने साफ-साफ कहा कि पाप करने की सजा फांसी होती है, यह डर पैदा करना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि बेटियों पर अत्याचार हो रहे हैं, हमें गंभीरता से सोचना होगा। महिलाओं के खिलाफ अपराध करने वालों को जल्द से जल्द सजा हो, ऐसा विश्वास पैदा करना जरूरी है।

राक्षसी कृत्य करने वालों को जल्द से जल्द कड़ी सजा हो-पीएम मोदी

लाल किले की प्राचीर से पीएम मोदी ने कहा,’ हर सेक्टर में हम महिलाओं का दमखम देख रहे हैं। मगर दूसरी तरफ कुछ चिंता की बातें भी आती हैं। आज लाल किले से फिर एक बार अपनी पीड़ा व्यक्त करना चाहता हूं। एक समाज के नाते हमें गंभीरता से सोचना होगा कि हमाारी माताओं, बहनों और बेटियों के प्रति जो अत्याचार हो रहे हैं, उसके प्रति देश का आक्रोश है। जन सामान्य का आक्रोश है। इस आक्रोश को महसूस कर रहा हूं। इसलिए देश को, समाज को और हमारे राज्य सरकारों को इसे गंभीरता से लेना होगा। महिलाओं के विरुद्ध अपराधों की जल्द से जल्द जांच हो, राक्षसी कृत्य करने वालों को जल्द से जल्द कड़ी सजा हो, समाज में विश्वास पैदा करने के लिए जरूरी है।

राक्षसी कृत्य करने वालों की खबरें सामने आना जरूरी- पीएम मोदी

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, महिलाओं के प्रति अपराधों की तुरंत जांच हो। कृत्य करने वालों को ज्यादा से ज्यादा, सख्त से सख्त और जल्दी से जल्दी सजा हो। जब ऐसी राक्षसी मनोवृत्ति को सजा होती है तो वह नजर नहीं आती कोने में कहीं पड़ी रहती है। ऐसे राक्षसी कृत्य करने वालों को होने वाली सजाओं के बारे में खबरें अब सामने आना जरूरी है, ताकि लोगों को पता चले कि ऐसे कृत्यों का क्या परिणाम होता है।

'डर पैदा करना जरूरी...राक्षसी लोगों को कड़ी सजा दी जाए...', पीएम मोदी ने लाल किले से ऐसे शब्दों का क्यों किया प्रयोग?

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स्वतंत्रता दिवस पर देश आजादी की वर्षगांठ का जश्न मना रहा है। लाल किले में झंडारोहरण के बाद पीएम मोदी ने देशवासियों को संबोधित किया।लाल किले की प्राचीर से पीएम मोदी ने आधी आबादी को उनकी सुरक्षा का भरोसा दिलाया। पीएम मोदी ने अपने भाषण में महिलाओं पर हो रहें अत्याचारों का जिक्र करते हुए आतताइयों को राक्षस बताते हुए उनके मन मे डर पैदा करने की बात कही।

पीएम मोदी ने लाल किले की प्राचीर से महिलाओं की सुरक्षा का मुद्दा उठाया। पीएम मोदी ने सीधे तौर पर कोलकाता कांड का जिक्र तो नहीं किया, मगर उन्होंने रेप की घटना को अंजाम देने वाले को चेता दिया। पीएम मोदी ने साफ-साफ कहा कि पाप करने की सजा फांसी होती है, यह डर पैदा करना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि बेटियों पर अत्याचार हो रहे हैं, हमें गंभीरता से सोचना होगा। महिलाओं के खिलाफ अपराध करने वालों को जल्द से जल्द सजा हो, ऐसा विश्वास पैदा करना जरूरी है।

राक्षसी कृत्य करने वालों को जल्द से जल्द कड़ी सजा हो-पीएम मोदी

लाल किले की प्राचीर से पीएम मोदी ने कहा,’ हर सेक्टर में हम महिलाओं का दमखम देख रहे हैं। मगर दूसरी तरफ कुछ चिंता की बातें भी आती हैं। आज लाल किले से फिर एक बार अपनी पीड़ा व्यक्त करना चाहता हूं। एक समाज के नाते हमें गंभीरता से सोचना होगा कि हमाारी माताओं, बहनों और बेटियों के प्रति जो अत्याचार हो रहे हैं, उसके प्रति देश का आक्रोश है। जन सामान्य का आक्रोश है। इस आक्रोश को महसूस कर रहा हूं। इसलिए देश को, समाज को और हमारे राज्य सरकारों को इसे गंभीरता से लेना होगा। महिलाओं के विरुद्ध अपराधों की जल्द से जल्द जांच हो, राक्षसी कृत्य करने वालों को जल्द से जल्द कड़ी सजा हो, समाज में विश्वास पैदा करने के लिए जरूरी है।

राक्षसी कृत्य करने वालों की खबरें सामने आना जरूरी- पीएम मोदी

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, महिलाओं के प्रति अपराधों की तुरंत जांच हो। कृत्य करने वालों को ज्यादा से ज्यादा, सख्त से सख्त और जल्दी से जल्दी सजा हो। जब ऐसी राक्षसी मनोवृत्ति को सजा होती है तो वह नजर नहीं आती कोने में कहीं पड़ी रहती है। ऐसे राक्षसी कृत्य करने वालों को होने वाली सजाओं के बारे में खबरें अब सामने आना जरूरी है, ताकि लोगों को पता चले कि ऐसे कृत्यों का क्या परिणाम होता है।

स्वतंत्रता दिवस के मौके पर गांधी मैदान से सीएम नीतीश कुमार ने किया यह बड़ा एलान, झंडोतोलन के बाद 13 झांकियों ने दिखाया अद्भुत प्रदर्शन

डेस्क : आज देश अपना 78वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। इसे लेकर पूरे देश के साथ बिहार में भी जश्न का माहौल है। राजधानी पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लगातार 18वीं बार झंडा फहराकर रिकॉर्ड बनाया। वहीं इस दौरान सीएम नीतीश कुमार ने बड़ा एलान किया।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार सरकार रोजगार और नौकरी को लेकर काम कर रही है। पांच लाख लोगों को अब तक नौकरी दी जा चुकी है, जबकि दो लाख पदों के लिए नियुक्ति की प्रक्रिया जारी है। उन्होंने कहा कि 10 लाख नौकरी देने का वादा किया गया था, जबकि अब तक 12 लाख लोगों को बहाल करने की प्रक्रिया जारी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि रोजगार के अवसर मुहैया कराने में भी बिहार सरकार लगातार काम कर रही है। 24 लाख लोगों को रोजगार मुहैया कराया जा चुका है। मुख्यमंत्री ने कहा कि अगले एक साल में हमारी सरकार 10 लाख और रोजगार के अवसर मुहैया कराने जा रही है। 

वहीं झंडोतोलन के बाद गांधी मैदान में 13 झांकियों ने अद्भुत प्रदर्शन दिखाया। जिसे सबने सराहा। वहीं झांकियों के प्रदर्शन के बाद उन्हें पुरस्कृत भी किया गया। 

पहला पुरस्कार बिहार शिक्षा परियोजना को मिला। वहीं दूसरा पुरस्कार जीविका को दिया गया। तीसरा पुरस्कार दो विभागों को दिया गया। उद्योग विभाग और बिहार अग्निशमन सेवा को तीसरा पुरस्कार मिला। अन्य झांकियों ने भी पटना के गांधी मैदान में रौकन बिखेरी।