आस्था:घुष्मेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से होती है संतान सुख की प्राप्ति,भक्त के बेटे को भोलेनाथ ने कर दिया था जिन्दा


ऐसा माना जाता है कि भारत की पावन भूमि में भगवान शिव ने 12 जगह स्वयं प्रकट होकर अपने भक्तों को कष्ट से निकाला था। इसके बाद से भारत की इन सभी 12 जगहों पर 12 ज्योतिर्लिंग की स्थापना की गई है। इन सभी 12 ज्योतिर्लिंग की अपनी अलग-अलग विशेषताएं हैं। भारत दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है जहां मंदिरों की संख्या हजारों नहीं, बल्कि लाखों में है। इन सभी में बारह ज्योतिर्लिंग की अपनी एक अलग ही पहचान है।

भगवान शिव के सभी 12 ज्योतिर्लिंगों से जुड़ी चमत्कारी कहानियां आज भी लोगों को यहां खीच लाती है. ऐसी ही एक कहानी शिवजी के इस आखिरी ज्योतिर्लिंग की है जो प्रभु भक्ति की सच्ची मिसाल के रूप में जाना जाता है।

यहां भगवान शिव ने प्रसन्न होकर भक्त के बेटे को दोबारा जिंदा कर दिया था, जिसकी वजह से कहा जाता है कि जो भी निसंतान दंपति यहां संतान प्राप्त की इच्छा लेकर आता है भगवान शिव उसकी मनोकामना पूरी करते हैं.

कहां है ज्योतिर्लिंग

भगवान शिव का यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के दौलताबाद के बेरलगांव के घुष्मेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर स्थित है. मंदिर को घृष्णेश्वर के नाम से भी जाना जाता है. अजंता और एलोरा की गुफाओं के पास स्थित यह शिवलिंग भगवान शिव के प्रति उनकी भक्त की सच्ची श्रद्धा का प्रतीक है. उसी के नाम पर ही इस शिवलिंग का नाम घुष्मेश्वर पड़ा था.

ज्योतिर्लिंग की पौराणिक कथा

घुष्मेश्वर ज्योतिर्लिंग की स्थापना से जुड़ी एक पौराणिक कथा के अनुसार, दक्षिण देश में देवगिरि पर्वत के पास सुधर्मा नाम का ब्राह्मण अपनी पत्नी सुदेहा के साथ निवास करता था. उनकी कोई संतान नहीं थी, जिसके कारण दोनों चिंतित रहते थे. ब्राह्मण की पत्नी ने अपने पति का विवाह सुदेहा ने छोटी बहन घुष्मा से करवा दिया. घुष्मा शिव जी की परम भक्त थी. भगवान शिव की कृपा से उसे एक स्वस्थ पुत्र की प्राप्ति हुई लेकिन घुष्मा का हंसता खेलता परिवार देखकर सुदहा को अपनी बहन से ईर्ष्या होने लगी. क्रोध में आकर उसने घुष्मा की संतान की हत्या कर उसे कुंड में फेंक दिया.

भक्त के बेटे को किया जीवित

घुष्मा को जब इस बात का पता लगा तो वह दुखी तो हुई लेकिन उसके बाद वह शिव की पूजा में रोज की तरह फिर से लीन हो गई. महादेव उसकी भक्ति से बेहद प्रसन्न हुए और शिव जी के वरदान से घुष्मा का पुत्र दोबारा जीवित हो उठा. घुष्मा ने भगवान शिव से प्रार्थना की किलोक-कल्याण के लिए वो इसी स्थान पर हमेशा के लिए निवास करें. शिवजी ने घुश्मा की दोनों बातें मान लीं और ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट होकर वहां निवास करने लगे और कहा कि मैं तुम्हारे ही नाम से घुश्मेश्वर कहलाता हुआ सदा यहां निवास करूंगा.

मिलता है संतान सुख

घुष्मेश्वर ज्योतिर्लिंग के पास एक सरोवर भी स्थित है. यह वही तालाब है जहां पर घुष्मा बनाए गए शिवलिंगों का विसर्जन करती थी और इसी के किनारे उसने अपना पुत्र जीवित मिला था, जो शिवालय के नाम से जाना जाता है. इस सरोवर जुंड़ी यह मान्यता है कि ज्योतिर्लिंग के साथ जो भक्त इस सरोवर के भी दर्शन करते हैं. भगवान शिव उनकी सभी इच्छाएं पूर्ण करते हैं साथ ही जिस दंपत्ति को संतान का सुख नहीं मिल पाता उन्हें यहां दर्शन करने से संतान की प्राप्ति होती है.

आज का इतिहास:1994 में आज ही के दिन निशानेबाज जसपाल राणा ने विश्व शूटिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता था,जाने 27 जुलाई की महत्वपूर्ण घटनाएं


नयी दिल्ली : 27 जुलाई का इतिहास काफी महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि 1994 में आज ही के दिन निशानेबाज जसपाल राणा ने विश्व शूटिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता था। 1987 में 27 जुलाई में आज ही के दिन खोजकर्ताओं ने टाइटैनिक का मलबा खोजा था।

1982 में आज ही के दिन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की लगभग 11 साल में पहली अमेरिकी यात्रा हुई थी। 

1922 में 27 जुलाई को ही ब्रूसेल्स मेंअंतरराष्ट्रीय भौगोलिक संघ का गठन हुआ था।

2008 में आज ही के दिन CPN-UML नेता सुभाष नेमवांग को नेपाली राष्ट्रपति रामबरन यादव ने नवर्निवाचित संविधान सभा के अध्यक्ष पद की शपथ दिलाई थी।।

2006 में 27 जुलाई को ही रूसी प्रक्षेपण यान नेपर जमीन पर गिरा था। 2003 में आज ही के दिन संयुक्त राज्य अमेरिका ने यमन को स्कड मिसाइल बेचने वाली उत्तर कोरियाई कंपनी पर नए प्रतिबंध लगाए थे।

1994 में आज ही के दिन निशानेबाज जसपाल राणा ने विश्व शूटिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता था।

1987 में 27 जुलाई को आज ही के दिन खोजकर्ताओं ने टाइटैनिक का मलबा खोजा था।

1982 में आज ही के दिन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की लगभग 11 साल में पहली अमेरिकी यात्रा हुई थी।

1922 में 27 जुलाई को ही ब्रुसेल्स में अंतरराष्ट्रीय भौगोलिक संघ का गठन हुआ था।

1897 में 27 जुलाई को ही बाल गंगाधर तिलक पहली बार गिरफ्तार किए गए थे।

1888 में 27 जुलाई को ही फिलिप प्राट ने पहला इलेक्ट्रिक ऑटोमोबाइल का प्रदर्शन किया था।

1836 में 27 जुलाई को ही दक्षिण ऑस्ट्रेलिया में एडिलेड की स्थापना हुई थी।

1789 में आज ही के दिन पहली फेडरल एजेंसी द डिपार्टमेंट ऑफ फॉरेन अफेयर्स की स्‍थापना हुई थी.

27 जुलाई का इतिहास को जन्मे प्रसिद्ध व्यक्ति

1969 में आज ही के दिन दक्षिण अफ्रीका के टेस्‍ट क्रिकेटर और अब तक के सबसे धमाकेदार फील्‍डर जॉन्‍टी रोड्स का जन्म हुआ था।

1940 में 27 जुलाई के दिन ही भारतीय मूल की प्रसिद्ध लेखिका भारती मुखर्जी का जन्म हुआ था।

1913 में आज ही के दिन महिला क्रांतिकारियों में से एक कल्पना दत्त का जन्म हुआ था।

27 जुलाई को हुए निधन

2015 में आज ही के दिन भारत के राष्ट्रपति और मिसाइलमैन डॉ. अब्दुल कलाम का निधन हुआ था।

2006 में आज ही के दिन जाने-माने कवि शिवदीन राम जोशी का निधन हुआ था।

1992 में 27 जुलाई के दिन ही प्रसिद्ध अभिनेता फिल्म शोले के गब्बर अमजद ख़ान का निधन हुआ था।

1987 में 27 जुलाई के दिन ही एक भारतीय पक्षी विज्ञानी और प्रकृतिवादी सालिम अली का निधन हुआ था।

1944 में 27 जुलाई के दिन ही हिंदी के ख्यातिप्राप्त साहित्यकार और विद्वान आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के सहयोगी पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल का निधन हुआ था।

1933 में आज ही के दिन नौवीं लोकसभा के सदस्य कल्याण सिंह कालवी का निधन हुआ था।

1891 में 27 जुलाई के दिन ही प्रख्यात विद्वान राजेन्द्रलाल मित्रा का निधन हुआ था।

27 जुलाई को प्रमुख उत्सव

केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल स्थापना दिवस।

दिल्ली:अब ऑनलाइन ठगी करने वाले की खैर नहीं 379 वेबसाइट पर लगाया बैन, फेक ऐप पर कसी नकेल


नयी दिल्ली : सरकार ने 379 गैरकानूनी वेबसाइट को बंद किया है। भारत में लगातार बढ़ रहे साइबर क्राइम पर नकेल कसने के लिए भारत सरकार नए कदम उठा रही है। इसमें सबसे बड़ा हाथ उन स्कैमिंग ऐप्स का है जो लोगों को लालच देकर या बेवकूफ बनाकर उनकी मेहनत कमाई लूट ले रहे हैं। अब सरकार ने ऐसे घोटालेबाज ऐप्स के खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी है।

राज्यसभा में सरकार ने जानकारी दी कि इंडियन साइबर क्राइम कॉर्डिनेशन सेंटर (भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र) (I4Cs) ने उन 379 वेबसाइट को बंद कर दिया है जो पिछले सात महीनों से गैरकानूनी लोन के लिए आवेदन दे रहे थे।I4Cs द्वारा यह कार्रवाई अक्टूबर 2023 से मई 2024 के बीच किया गया है।

बता दें कि साइबर क्राइम कॉर्डिनेशन सेंटर, गृह मंत्रालय के तहत काम करती है।

फ्लाईओवर लेना है या नीचे जाना है? गूगल मैप्स के इस फीचर से कन्फ्यूजन खत्म, मेट्रो टिकट भी होगा बुक।

गृह राज्य मंत्री बंदी संजय कुमार ने एक सवाल के जवाब में कहा कि कई दूसरे स्टेकहोल्डर्स के साथ मिलकर I4Cs ने 91 फिशिंग और फेक वेबसाइट पर भी निशाना साधा है। सरकार का इरादा साइबर अपराधियो पर नकेल कसना है।

बता दें कि ये प्रयास सरकार द्वारा ;(NIXI)के साथ साझेदारी में किए जा रहे हैं ताकि .in वाले डोमेन के गलत इस्तेमाल को रोका जा सके.

उन्होंने कहा, ‘अक्टूबर 2023 और मई 2024 के बीच, 310 मैलिशियस/फिशिंग डोमे को NIXI की मदद से बंद किया गया। इसके अलावा, 91 फिशिंग/फेक वेबसाइट्स और 379 गैरकानूनी लोन/स्कैम ऐप्स को भी 14C ने दूसरे स्टेकहोल्डर्स की मदद से बंद किया है।’

साइबर क्राइम की शिकायत से 2400 करोड़ की बचत

राज्य मंत्री ने कहा कि 14C सिटीजन फाइनेंशियल साइबर फ्रॉड रिपोर्टिंग एंड मैनेजमेंट सिस्टम लॉन्च किया है। यह एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जिसे फाइनेंशियल फ्रॉड की तुरंत शिकायत करने और अपराधियों द्वारा फंड का इस्तेमाल ना कर पाने के इरादे से डिजाइन किया गया है।

इस सिस्टम ने पहले ही अपनी उपयोगिता साबित कर दी है और 7.6 लाख शिकायतकर्ताओं के 2400 करोड़ रुपये इससे बचे हैं।

राज्य मंत्री ने कहा कि 31 जनवरी से NCRP पर एक नया फीचर ‘Report Suspect’ जोड़ा गया है ताकि संदिग्ध वेबसाइट URLs के जरिए होने वाले साइबर अपराधों की झटपट शिकायत की जा सके।

पुण्यतिथि: "मिसाइल मैन" एवम् देश के प्रथम वैज्ञानिक राष्ट्रपति ए पी जे कलाम साहब की आज पुण्य तिथि,जानते है उनसे जुड़ी कुछ रोचक बातें

मिसाइल मैन के नाम से मशहूर रहे देश के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का आज के ही दिन निधन हुआ था. देश सेवा के मिशन में ही लगे रहे कलाम का निधन 27 जुलाई 2015 को मेघालय के शिलॉन्ग में उस वक्त हुआ था, जब वो आईआईएम में लेक्चर दे रहे थे. शिलांग में जब छात्र-छात्राओं के बीच मंच से भाषण देने पहुंचे तो किसी ने ये अंदाजा भी नहीं लगाया होगा कि ये संबोधन उनका अंतिम होगा.

संबोधन के दौरान उन्होंने न सिर्फ मानवता को लेकर चिंता जाहिर की थी बल्कि धरती पर फैले प्रदूषण को लेकर भी चिंता जताई थी. पूर्व राष्ट्रपति कलाम एक परमाणु वैज्ञानिक, शानदार लेखक, कवि और शिक्षाविद थे. 27 जुलाई 2015 को 83 साल की उम्र में निधन होने तक देश की सेवा की थी.

पुण्यतिथि पर कलाम जी से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

 – पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वर में हुआ था. वो मछुआरों के परिवार में जन्मे थे.

– साल 1992 से 1999 तक एपीजे अब्दुल कलाम रक्षा मंत्री के रक्षा सलाहकार भी रहे हैं.

– एपीजे अब्दुल कलाम के “हिंदी गुरु” मुलायम सिंह यादव थे. उन्हें जो कुछ भी थोड़ी बहुत हिंदी आती थी वो मुलायम सिंह यादव ने ही सिखाई थी. इस बात को खुद उन्होंने ने सैफई में एक रैली के दौरान स्वीकार भी किया था.

– भारत अमेरिका न्यूक्लियर डील को लेकर के जो समाजवादी पार्टी का हृदय परिवर्तन हुआ, उसके पीछे भी एपीजे अब्दुल कलाम और मुलायम की मित्रता थी. एपीजे अब्दुल कलाम ने मुलायम सिंह को मनाया था कि ये या डील भारत के हित में है.

– एपीजे अब्दुल कलाम अपने पूरी प्रोफेशनल जिंदगी में केवल 2 छुट्टियां ली. एक अपने पिता की मौत के समय और दूसरी अपनी मां की मौत के समय.

– एपीजे अब्दुल कलाम धर्म से मुस्लिम थे, लेकिन दिल से वो किसी भी धर्म को नहीं मानते थे. वो कुरान और भगवत गीता दोनों ही पढ़ा करते थे.

– 27 जुलाई 2015 को आईआईएम शिलांग में एक कार्यक्रम में अचानक कार्डियेक अरेस्ट से उनकी मौत हो गई थी. उनके एक सहयोगी ने बताया कि उनके आखिरी शब्द थे ‘फनी गाएज, आर यू डूइंग वैल?’

– एपीजे अब्दुल कलाम देश के ऐसे तीसरे राष्ट्रपति थे, जो राष्ट्रपति पद मिलने से पहले ही भारत रत्न से सम्मानित हो चुके थे. एपीजे अब्दुल कलाम को साल 1997 में भारत रत्न मिला. साल 2002 में वो राष्ट्रपति पद के लिए चुने गए. इससे पहले डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन और डॉ. जाकिर हुसैन राष्ट्रपति पद पर आने से पहले भारत रत्न से सम्मानित हो चुके थे.

– वो भारत के इकलौते राष्ट्रपति थे, जो कुंवारे थे और साथ ही शाकाहारी थे।

डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम, जिन्हें "मिसाइल मैन" के रूप में भी जाना जाता है, देश के 11वें राष्ट्रपति थे और उनकी वैज्ञानिक उपलब्धियाँ बहुत महान हैं। उनकी प्रमुख उपलब्धियों में शामिल हैं:

मिसाइल प्रौद्योगिकी में योगदान:

 कलाम ने भारत के मिसाइल विकास कार्यक्रम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने अग्नि और पृथ्वी मिसाइलों के विकास में प्रमुख योगदान दिया।

पोखरण-II परमाणु परीक्षण:

1998 में हुए पोखरण-II परमाणु परीक्षणों में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी, जिसने भारत को एक पूर्ण परमाणु शक्ति बनाने में मदद की।

इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन 

(ISRO): कलाम ने ISRO के साथ मिलकर कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स पर काम किया, जिसमें भारत के पहले स्वदेशी सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (SLV-III) का विकास शामिल है।

राष्ट्रपति के रूप में सेवा:

 2002 से 2007 तक उन्होंने भारत के राष्ट्रपति के रूप में सेवा की, और वे अपने सरलता, विनम्रता और बच्चों के प्रति प्रेम के लिए बहुत लोकप्रिय हुए।

लेखन और प्रेरणा:

 उन्होंने कई किताबें लिखीं, जिनमें "विंग्स ऑफ फायर", "इंडिया 2020" और "इग्नाइटेड माइंड्स" शामिल हैं। उनके लेखन ने अनगिनत युवाओं को प्रेरित किया।

डॉ. कलाम का जीवन और योगदान

 आज भी देशवासियों के लिए प्रेरणास्त्रोत है। उनकी पुण्यतिथि पर हम उनके महान कार्यों और विचारों को याद करते हैं और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।

नौसेना में फायरमैन, एमटीएस, कुक समेत विभिन्न पदों के लिए एप्लीकेशन स्टार्ट, 2 अगस्त तक कर सकते हैं अप्लाई

नई दिल्ली:- भारतीय नौसेना में शामिल होकर देश सेवा करने की चाह रखने वाले युवाओं के लिए बेहतरीन मौका है। इंडियन नेवी की ओर से इंडियन नेवल सिविलियन एंट्रेंस टेस्ट (INCET-01/2024) के तहत फायरमैन, एमटीएस, कुक समेत 741 रिक्त पदों के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। जो भी अभ्यर्थी इस भर्ती में शामिल होना चाहते हैं वे ऑनलाइन माध्यम से इंडियन नेवी की ऑफिशियल वेबसाइट joinindiannavy.gov.in पर या इस पेज पर दिए डायरेक्ट लिंक पर क्लिक करके फॉर्म भर सकते हैं। आवेदन की लास्ट डेट 2 अगस्त 2024 निर्धारित की गई है।

क्या है पात्रता

इंडियन नेवल सिविलियन एंट्रेंस टेस्ट 2024 में आवेदन के लिए अभ्यर्थी ने पदानुसार 10वीं के साथ आईटीआई/ संबंधित क्षेत्र में डिप्लोमा/ इंजीनियरिंग डिप्लोमा/ ग्रेजुएशन आदि उत्तीर्ण किया हो। 

शैक्षिक योग्यता के अलावा अभ्यर्थी की न्यूनतम आयु 18 वर्ष से कम और अधिकतम आयु पदानुसार 25/ 27/ 30 वर्ष से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। आरक्षित श्रेणी से आने वाले उम्मीदवारों को नियमानुसार छूट दी जाएगी।

कैसे करें आवेदन

एप्लीकेशन फॉर्म भरने के लिए अभ्यर्थी सबसे पहले आधिकारिक पोर्टल incet.cbt-exam.in/incetcycle2/login/user पर विजिट करें।

यहां पहले रजिस्टर लिंक पर क्लिक करके मांगी गई डिटेल भरें और आवेदन प्रक्रिया पूर्ण करें।

इसके बाद आप लॉग इन के माध्यम से अन्य डिटेल, हस्ताक्षर, फोटोग्राफ आदि अपलोड करके फॉर्म पूर्ण कर लें।

अंत में अभ्यर्थी निर्धारित शुल्क जमा करें और पूर्ण रूप से भरे हुए फॉर्म का एक प्रिंटआउट निकालकर सुरक्षित रख लें।

आवेदन फीस

इस भर्ती में आवेदन के साथ जनरल, ओबीसी और ईडब्ल्यूएस श्रेणी से आने वाले उम्मीदवारों को ऑनलाइन माध्यम से 295 रुपये का भुगतान करना होगा। इसके अतिरिक्त एससी, एसटी और महिला अभ्यर्थी इस भर्ती में शामिल होने के लिए निशुल्क एप्लीकेशन फॉर्म भर सकते हैं। भर्ती से जुड़ी विस्तृत डिटेल के लिए एक बार आधिकारिक नोटिफिकेशन का अवलोकन अवश्य कर लें।

रेलवे में जूनियर इंजीनियर पदों पर सरकारी नौकरी पाने का बेहतरीन मौका, यहां पाएं भर्ती से जुड़ी पूरी डिटेल


नई दिल्ली:- इंजीनियरिंग क्षेत्र में डिग्री या डिप्लोमा हासिल कर चुके ऐसे अभ्यर्थी जो रेलवे में सरकारी नौकरी पाना चाहते हैं उनके लिए बेहतरीन मौका है। इंडियन रेलवे की ओर से जूनियर इंजीनियर (RRB JE Recruitment 2024) के पदों पर भर्ती की घोषणा की गई है। इस भर्ती के लिए शॉर्ट नोटिफिकेशन जारी कर कुल 7951 पदों को भरने की जानकारी दी गई है। 

प्राप्त जानकारी के अनुसार इस आरआरबी जेई भर्ती 2024 (CEN) सं.03/2024) के लिए एप्लीकेशन प्रॉसेस 30 जुलाई से शुरू होकर 29 अगस्त 2024 तक पूर्ण की जाएगी।

भर्ती विवरण

इस भर्ती के माध्यम से कुल 7951 रिक्त पदों पर नियुक्तियां की जाएंगी। पदानुसार भर्ती विवरण निम्नलिखित है -

आरआरबी जूनियर इंजीनियर (जेई): 7346 पद

धातुकर्म पर्यवेक्षक/ शोधकर्ता: 12 पद

डिपो सामग्री अधीक्षक (DMS): 398 पद

केमिकल एवं मेटलर्जिकल असिस्टेंट (CMA): 150 पद

रासायनिक पर्यवेक्षक/ शोधकर्ता: 05 पद

क्या है योग्यता

इस भर्ती में आवेदन करने के लिए अभ्यर्थी ने पदानुसार मान्यता प्राप्त संस्थान से इंजीनियरिंग में डिग्री/ डिप्लोमा आदि प्राप्त किया हो। पात्रता एवं मापदंड की विस्तृत डिटेल आवेदन शुरू होने के साथ ही 30 जुलाई को उपलब्ध करवाई जाएगी।

एप्लीकेशन फीस

इस भर्ती में आवेदन के साथ अन्य सभी वर्ग के उम्मीदवारों को 500 रुपये का भुगतान करना होगा। इसके अलावा एससी, एसटी, एक्स सर्विसमैन, महिला, ट्रांसजेंडर एवं ईबीसी वर्ग को 250 रुपये जमा करना होगा। एप्लीकेशन फीस ऑनलाइन माध्यम से जमा की जा सकेगी।

चयन प्रक्रिया

इस भर्ती में आवेदन करने वाले उम्मीदवारों को पहले दो चरणों की कंप्यूटर बेस्ड परीक्षा (स्क्रीनिंग टेस्ट) में शामिल होना होगा। जो उम्मीदवार पहले चरण की परीक्षा में सफल होंगे केवल वे ही सीबीटी 2 में भाग ले पायेंगे। 

दूसरे चरण की परीक्षा में निर्धारित कटऑफ अंक प्राप्त करने वाले उम्मीदवारों अंत में दस्तावेज सत्यापन एवं मेडिकल एग्जामिनेशन में भाग लेना होगा। सभी चरणों में सफल अभ्यर्थियों को अंतिम लिस्ट में जगह प्रदान की जाएगी।

SSC CGL 2024: अब 27 जुलाई तक करें 17 हजार पदों वाली स्नातक स्तरीय परीक्षा के लिए आवेदन, आयोग ने बढ़ाई आखिरी तारीख

नई दिल्ली:- SSC CGL 2024 परीक्षा के लिए आवेदन से वंचित रह गए उम्मीदवारों के लिए खुशखबरी। कर्मचारी चयन आयोग (SSC) ने संयुक्त स्नातक स्तरीय (CGL) परीक्षा 2024 में सम्मिलित होने के लिए जरूरी आवेदन की तारीखों को बढ़ा दिया है। आयोग द्वारा बुधवार, 24 जुलाई को जारी अधिसूचना के मुताबिक इच्छुक व योग्य उम्मीदवार इस परीक्षा के लिए अब 27 जुलाई की रात 11 बजे तक पंजीकरण कर सकेंगे। इसके बाद उम्मीदवारों को निर्धारित परीक्षा शुल्क 100 रुपये का भुगतान अब 28 जुलाई तक करने का समय दिया गया है।

बता दें कि केंद्रीय मंत्रालयों, विभागों और संगठनों में समूह ‘ख’ और समूह ‘ग’ के कुल 17 हजार से अधिक पदों पर भर्ती के लिए SSC CGL परीक्षा 2024 के लिए आवेदन प्रक्रिया 24 जून से शुरू की गई थी और आखिरी तारीख 24 जुलाई निर्धारित थी। उम्मीदवारों को परीक्षा शुल्क आज, 25 जुलाई तक भरना था। 

हालांकि, SSC ने आवेदन में सुधार हेतु अप्लीकेशन करेक्शन विंडो ओपेन किए जाने की तारीखों में कोई बदलाव नहीं किया है और उम्मीदवार 10 से 11 अगस्त (रात 11 बजे) तक अप्लाई कर सकेंगे।

SSC CGL 2024: कौन और कहां कर सकते हैं आवेदन?

SSC CGL 2024 अधिसूचना के मुताबिक किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातक उत्तीर्ण और अधिकतम 18 से 27 वर्ष (कुछ पदों के लिए 30 वर्ष) तक आयु वाले उम्मीदवार आवेदन कर सकते हैं। आयु की गणना 1 अगस्त 2024 से की जाएगी। अधिकतम आयु सीमा में आरक्षित वर्गों के उम्मीदवारों को केंद्र सरकार के नियमों के अनुसार छूट दी जाएगी।

आवेदन के लिए के उम्मीदवार SSC की आधिकारिक वेबसाइट, ssc.gov.in पर विजिट करें और फिर होम पेज पर लॉग-इन सेक्शन में एक्टिव रजिस्ट्रेशन लिंक से पंजीकरण और फिर पंजीकृत विवरणों से लॉग-इन करें। इसके बाद उम्मीदवार SSC CGL 2024 परीक्षा के लिए अपना आवेदन और परीक्षा शुल्क का भुगतान कर सकेंगे। सभी महिला उम्मीदवारों के साथ-साथ SC, ST, PwBD और ESM वर्गों के उम्मीदवारों को शुल्क का भुगतान नहीं करना है।

फराह खान और साजिद खान की मां मेनका ईरानी का हुआ निधन,कुछ दिन पहले ही मनाया 79वां जन्मदिन


दिल्ली:- कोरियोग्राफर-निर्देशक फराह खान और निर्देशक साजिद खान की मां मेनका ईरानी का आज, 26 जुलाई 2024 को निधन हो गया हैं, कोरियोग्राफर और डायरेक्टर फराह खान और उनके भाई साजिद खान के सर से मां का साया हट गया है।उनकी मां मेनका ईरानी का निधन हो गया है। 26 जुलाई को उन्होंने 79 साल की उम्र में आखिरी सांस ली। रिपोर्ट्स की मानें तो मेनका पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रही थीं।

विरल भयानी ने अपने इंस्टाग्राम हैंडल पर उनके निधन की जानकारी दी है। जिसमें लिखा है, “फराह खान और उनके भाई साजिद खान और उनके आस-पास के सभी लोगों के लिए जीवन पहले जैसा नहीं रहेगा। आज, उनकी मां स्वर्गीय यात्रा के लिए प्रस्थान कर गईं, और अपने पीछे एक ऐसा खालीपन छोड़ गई जिसे कोई भी नहीं भर सकता।”

“कुछ दिन पहले ही फराह ने इंस्टाग्राम पर पोस्ट किया था, ‘हम सभी अपनी मां को हल्के में लेते हैं…खासकर मैं! पिछले महीने यह एहसास हुआ कि मैं अपनी मां मेनका से कितना प्यार करती हूं.. वह सबसे मजबूत, सबसे बहादुर व्यक्ति हैं जिन्हें मैंने कभी देखा है.. कई सर्जरी के बाद भी हास्य की भावना बरकरार है। जन्मदिन मुबारक हो मां! आज घर वापस आने के लिए अच्छा दिन है। मैं तुम्हारे जितना स्ट्रांग होने का इंतजार नहीं कर सकती कि तुम मुझसे फिर से लड़ना शुरू कर सको..मैं तुमसे प्यार करती हूं’।”

कुछ दिन पहले ही फराह ने अपनी मां का जन्मदिन मनाया था और मां के लिए अपने प्यार को खुलकर बयां किया था। अब उनके निधन से वह बेहद दुखी हैं। मेनका ईरानी के निधन की खबर से सभी को काफी दुख हुआ है। फराह और साजिद खान के करीबी उनके घर पर पहुंचने लगे हैं।

बता दें कि मेनका ईरानी अपने जमाने में एक्ट्रेस रह चुकी थीं। वह साल 1963 में आई फिल्म ‘बचपन’ में नजर आई थीं। इसके साथ ही वह डेजी ईरानी और हनी ईरानी की बहन थीं। उन्होंने फिल्म निर्माता कामरान से शादी की थी।

दुनिया की पांच सबसे बड़ी कोयला खानों में से दो खानें भारत में स्थित है


नई दिल्ली : वर्ल्ड एटलस डॉट कॉम की ओर से विश्‍व की 10 सबसे बड़ी कोयला खानों की सूची जारी की गई है। इसमें दो कोल इंडिया की है। छत्तीसगढ़ स्थित कोल इंडिया की सहायक कंपनी साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) की गेवरा और कुसमुंडा कोयला खानों को क्रमश: दूसरा और चौथा स्थान प्राप्‍त हुआ है।

छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में स्थित ये दोनों खानें प्रतिवर्ष 100 मिलियन टन से अधिक कोयला का उत्‍पादन करती हैं, जो भारत के कुल कोयला उत्पादन का लगभग 10 प्रतिशत है।

गेवरा ओपनकास्ट खान की वार्षिक उत्पादन क्षमता 70 मिलियन टन है। इसने वित्त वर्ष 2023-24 में 59 मिलियन टन कोयले का उत्‍पादन किया। इस खान ने वर्ष 1981 में कार्य शुरू था। आज इसमें देश की अगले 10 वर्षों की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त कोयला भंडार मौजूद है।

कुसमुंडा ओपनकास्‍ट खान ने वित्त वर्ष 2023-24 में 50 मिलियन टन से अधिक कोयला उत्पादन किया, जो गेवरा के बाद ऐसी महत्‍वपूर्ण उपलब्धि हासिल करने वाली भारत की दूसरी खान है।

इन खानों में विश्‍व की कुछ सबसे बड़ी और अधिक उन्नत खनन मशीनें तैनात गई हैं। ऐसी ही मशीन ‘सरफेस माइनर’ है, जो पर्यावरण अनुकूल खनन कार्यों के लिए विस्फोट किए बिना ही कोयला निकालती और काटती है।

ओवरबर्डन हटाने (कोयला परत को उजागर करने के लिए मिट्टी, पत्थर आदि की परतों को हटाने की प्रक्रिया) के लिए खानों में पर्यावरण अनुकूल और विस्फोट मुक्त ओबी हटाने के लिए दुनिया की कुछ सबसे बड़ी एचईएमएम (भारी पृथ्वी मूविंग मशीनरी) जैसे 240 टन डंपर, 42 घन मीटर शॉवल और वर्टिकल रिपर्स का उपयोग भी किया जाता है। 

एसईसीएल के अध्‍यक्ष और प्रबंध निदेशक डॉ. प्रेम सागर मिश्रा ने न्यूज़ फास्ट से बताया कि छत्तीसगढ़ के लिए यह बहुत गर्व की बात है कि विश्‍व की पांच सबसे बड़ी कोयला खानों में से दो अब छत्तीसगढ़ में स्थित हैं। श्री मिश्रा ने कोयला मंत्रालय, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, राज्य सरकार, कोल इंडिया, रेलवे, विभिन्न हितधारकों और सबसे महत्वपूर्ण रूप से कोयला योद्धाओं के प्रति आभार व्यक्त किया, जिन्होंने इस ऐतिहासिक उपलब्धि को हासिल करने के लिए अथक रूप से कार्य किया है।

दिल्ली:सावन में हरे कपड़े क्यों पहनने चाहिए आइए जानते है इसके पीछे के धार्मिक कारण


दिल्ली:- सावन का पवित्र महीना भगवान शिव की भक्ति और धूमधाम से मनाए जाने वाले त्योहारों के लिए जाना जाता है। इस दौरान श्रद्धालु व्रत रखते हैं, पूजा-पाठ करते हैं और आशीर्वाद पाने के लिए भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए विभिन्न अनुष्ठान करते हैं। लेकिन क्या आपने कभी गौर किया है कि सावन में महिलाएं हरे रंग के वस्त्र और चूड़ियां धारण करती हैं? यह परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसके पीछे का कारण क्या है? आइए आज हम इस पहेली को सुलझाएं और जानें कि सावन में हरे रंग का इतना महत्व क्यों है। सावन में हरे कपड़े पहनने की परंपरा के पीछे कई धार्मिक और सांस्कृतिक कारण हैं:

भगवान शिव का संबंध: सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित होता है। हरा रंग शिव को प्रिय माना जाता है, इसलिए लोग इस महीने में हरे कपड़े पहनकर उन्हें प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं।

हरा रंग सुहाग का प्रतीक

सावन के महीने में सुहागिनों के पहनावे और श्रृंगार में भी एक खास रंग नजर आता है – हरा। हरा रंग सुहाग का प्रतीक माना जाता है, इसलिए सावन में सुहागिनें हरे रंग के वस्त्र पहनती हैं। हाथों में रची मेहंदी का रंग भी हरा या गहरा होता है, जो सुहाग की खुशियों और मंगलकामनाओं का प्रतीक है। हरी या चूड़ेदार चूड़ियां कलाईयों को सजाती हैं, जो सुहाग की निशानी होती हैं। सावन के सोमवार व्रत, प्रदोष व्रत और हरियाली तीज जैसे व्रतों का पालन करना भी सुहागिनों के लिए परंपरा का हिस्सा है।सावन की मंदिरों में गूंजती भक्तिमय धुन और चारों ओर फैली हरियाली सिर्फ आंखों को ही सुहाती नहीं लगती, बल्कि महिलाओं के सौंदर्य में भी एक खास रंग भर देती है। हरे रंग की चूड़ियां कलाईयों को सजाती हैं, हरे रंग के वस्त्र तन को सुहाते हैं और हाथों में रची हरी मेहंदी मानो सावन की हरियाली का ही एक अंश है। यह परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस सावन के श्रृंगार में छिपा एक गहरा अर्थ है? हरा रंग सिर्फ श्रृंगार का एक हिस्सा नहीं, बल्कि सुहाग का प्रतीक, देवी पार्वती के प्रति श्रद्धा और भगवान शिव को प्रसन्न करने का माध्यम भी है।

प्रकृति की हरियाली

सावन के महीने में प्रकृति अपने सर्वोत्तम रूप में होती है, चारों ओर हरियाली छाई रहती है। हरा रंग इस हरियाली का प्रतीक है और इसे पहनकर लोग प्रकृति के साथ एकरूपता का अनुभव करते हैं।

समृद्धि और शांति:

 हरा रंग समृद्धि, शांति और नई ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। इस रंग को पहनने से मन में शांति और सकारात्मकता बनी रहती है।

आयुर्वेदिक दृष्टिकोण

आयुर्वेद में हरे रंग को स्वस्थ्य और ताजगी का प्रतीक माना गया है। इसे पहनने से मन और शरीर में संतुलन बना रहता है।

इस प्रकार, सावन में हरे कपड़े पहनने की परंपरा धार्मिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक महत्व को दर्शाती है।