महाराष्ट्र में सियासी हलचल तेज, छगन भुजबल ने शरद पवार से की मुलाकात
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महाराष्ट्र की राजनीति आए दिन उफान पर देखी जा सकती है। अब आने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर भी राज्य की राजनीति में हलचल देखी जा रही है। इसी बीच अजित पवार गुट के नेता छगन भुजबल ने शरद पवार से मुलाकात की है।शरद पवार और छगन भुजबल की मुलाकात को लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म है।शरद पवार से भुजबल की अचानक इस मुलाकात के बाद उनके पालाबदल के कयास तेज हो गए हैं।

महाराष्ट्र सरकार के मंत्री छगन भुजबल की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजित पवार) से नाराजगी के चर्चे कुछ दिनों से सुर्खियों में हैं।पहले भी ऐसी खबरें आ रही थीं कि महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजित पवार गुट के कुछ नेता नाराज हैं और वो शरद पवार के साथ जा सकते हैं। इसी बीच, सोमवार को अचानक ही अजित गुट के दिग्गज नेता भुजबल शरद पवार से मुलाकात करने के लिए पहुंच गए। भुजबल अचानक ही शरद पवार के निवास स्थान सिल्वर ओक पहुंच गए। बताया जाता है कि भुजबल ने इस मुलाकात के लिए पहले से समय नहीं लिया था।

ये मुलाकात ऐसे वक्त पर हुई है, जब एक दिन पहले ही छगन भुजबल ने शरद पवार पर जोरदार हमला किया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि महाराष्ट्र में जिस तरह मराठा आरक्षण पर लोगों को भड़काया जा रहा है, उसके पीछे शरद पवार ही हैं और अब आज वह उनसे मिलने उनके घर पहुंच गए।

हालांकि, भुजबल ने अभी तक मुलाकात की कोई वजह नहीं बताई है। खबरों की मानें तो शरद पवार और छगन भुजबल के बीच यह मुलाकात मराठा बनाम ओबीसी के बीच हो रही लड़ाई के चलते हुई है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने नौ जुलाई को ओबीसी के मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक बुलाई थी, लेकिन इसमें विपक्ष का कोई नेता शामिल नहीं हुआ था।

भुजबल की शरद पवार से मुलाकात के बारे में पूछे जाने पर राज्य के मंत्री और भाजपा नेता सुधीर मुनगंटीवार ने कहा कि महाराष्ट्र में यह एक परम्परागत परंपरा है कि राजनीतिक नेता अपने वैचारिक मतभेदों के बावजूद एक दूसरे के साथ विचार विमर्श करते हैं। उन्होंने कहा, दो नेताओं के बीच हर बातचीत की छानबीन करना और समय से पहले निष्कर्ष निकालना अनुचित है। एनसीपी (सपा) नेता जितेंद्र आव्हाड ने कहा, यह शरद पवार की उदारता का परिचायक है कि वे सार्वजनिक क्षेत्र में भी विपरीत विचार रखने वाले व्यक्तियों को समय देते हैं। जितेंद्र आव्हाड ने कहा, मैं भुजबल की पार्टी के अंदरूनी मामलों को लेकर चिंतित नहीं हूं। यदि वह पवार से मिलना चाहते हैं और उन्होंने उनसे मुलाकात की अनुमति दे दी है तो बैठक होने दीजिए।
वाल्मीकि विभाग के बाद अब वक्फ बोर्ड में भी घोटाला ! कर्नाटक में विपक्ष नहीं, खुद विभाग के अधिकारी कर रहे शिकायत

 कर्नाटक में कुछ दिन पहले महर्षि वाल्मीकि अनुसूचित जनजाति विकास निगम लिमिटेड के एक अधिकारी ने ख़ुदकुशी कर ली थी। उन्होंने अपने सुसाइड नोट में बताया था कि, उन पर दबाव डालकर गलत काम करवाया गया और दलित फंड के 187 करोड़ रूपए दूसरी जगह ट्रांसफर कराए गए। उन्होंने अपने सुसाइड नोट में कुछ अधिकारियों समेत मंत्री का भी जिक्र किया था। जिसके बाद बवाल मचने पर इस विभाग को संभालने वाले मंत्री बी नागेंद्र को इस्तीफा देना पड़ा था। वहीं, पूछताछ के बाद जाँच एजेंसी ने कांग्रेस विधायक बी नागेंद्र को अरेस्ट कर लिया है। वहीं, अब राज्य के वक्फ बोर्ड में भी बड़ी गड़बड़ी निकलकर सामने आई है। दोनों मामलों में आरोप किसी विपक्षी नेता ने नहीं बल्कि, विभाग के ही कर्मचारियों -अधिकारियों ने लगाया है। जिससे स्पष्ट होता है कि, कांग्रेस शासन के दौरान राज्य में भ्रष्टाचार किस कदर फैल रहा है।  

दरअसल, वक्फ बोर्ड के एक अधिकारी ने पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी जुल्फिकारुल्लाह के खिलाफ 4 करोड़ रुपये के घोटाले को लेकर FIR दर्ज कराई है। कर्नाटक वक्फ बोर्ड के वर्तमान CEO मीर अहमद अब्बास ने पूर्व CEO जुल्फीकारुल्ला पर ये आरोप लगाए हैं। शिकायत में पूर्व CEO के खिलाफ बोर्ड को आठ करोड़ रुपये का नुकसान करने का आरोप लगा है। बंगलूरू के ग्राउंड पुलिस स्टेशन में दर्ज शिकायत में कहा गया है कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने 2016 में गुलबर्गा दरगाह से जुड़ी वक्फ बोर्ड की जमीन ली थी और इसके बदले में 2।29 करोड़ रुपये दिए थे। इसके अलावा, 2016 में सिद्धारमैया सरकार के धार्मिक न्यास विभाग से 1।79 करोड़ रुपए की राशि वक्फ विभाग को दिए गए थे। कुल मिलाकर बेंगलुरु में इंडियन बैंक, बेन्सन टाउन शाखा में वक्फ बोर्ड के बैंक खाते में 4 करोड़ रुपए का ट्रांसक्शन किया गया था।

शिकायत के मुताबिक, इससे वक्फ को ब्याज सहित कुल 8 करोड़ का नुकसान हुआ। यह मामला वक्फ बोर्ड के CEO के रूप में कार्यरत अहमद अब्बास द्वारा बैंगलोर हाई ग्राउंड पुलिस स्टेशन में दाखिल किया गया था। वक्फ बोर्ड का कहना है कि इस मामले में आरोपी पूर्व CEO से जवाब भी मांगा गया था, मगर वे कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सके।

क्या है वक्फ बोर्ड और कितनी संपत्ति है उसके पास ? 

बता दें कि, वक्फ शब्द की उत्पत्ति अरबी भाषा के लफ्ज वकुफा से हुई है। इस्लाम में वक्फ उस संपत्ति को कहा जाता है, जो अल्लाह के नाम पर दान कर दी जाती है। एक बार संपत्ति वक्फ हो गई, तो फिर उसे मालिक को कभी वापस नहीं मिलती। वक्फ बोर्ड के पास देश में इंडियन आर्मी और इंडियन रेलवे के बाद सबसे अधिक जमीन है। यानी, वक्फ बोर्ड भारत का तीसरा सबसे बड़ा जमीन मालिक है। कांग्रेस सरकार ने 1995 में मौजूदा कानून बनाकर वक्फ बोर्ड को असीमित शक्तियां प्रदान कर दी हैं। इसी का नतीजा है कि वक्फ मैनेजमेंट सिस्टम ऑफ इंडिया के अनुसार, 2022 तक देश के सभी वक्फ बोर्डों के पास कुल मिलाकर 8 लाख 54 हजार 509 संपत्तियां हैं, जो लगभग 8 लाख एकड़ से अधिक जमीन पर फैली है। वैसे तो बंटवारे बाद ही नेहरू सरकार ने वक़्फ़ अधिनियम बना दिया था, और भारत छोड़कर गए मुस्लिमों की पूरी संपत्ति वक्फ बोर्ड के नाम कर दी थी। हालाँकि, बाद में इसमें और बदलाव हुआ और कांग्रेस सरकारों ने इसे और ताकत दे दी। इसके बाद भी वक्फ बोर्ड दूसरी जमीनों पर दावा ठोंकते हुए अपनी संपत्ति में इजाफा करता रहा। 

मौजूदा कानून में सबसे बड़ा प्रावधान ये है कि वक्फ यदि आपके घर पर दावा ठोंक दे, यानी उसे वक्फ प्रॉपर्टी घोषित कर दे, तो आप किसी कोर्ट में भी नहीं जा सकते, उसके लिए आपको वक्फ बोर्ड ट्रिब्यूनल के पास ही जाना होगा। फिर ट्रिब्यूनल की इच्छा की वो आपकी संपत्ति वापस दे या नहीं ? यहाँ तक कि इलाहबाद हाई कोर्ट को भी अपनी जमीन वक्फ से वापस पाने के लिए काफी पापड़ बेलने पड़े थे, वो तो अदालत थी, इसलिए सुप्रीम कोर्ट में उसकी सुनवाई हो गई और उसे जमीन वापस मिली, वरना इलाहबाद हाई कोर्ट की जमीन पर भी वक्फ का कब्ज़ा होता। कई भाजपा नेताओं ने इस कानून को ख़त्म करने की मांग उठाई है, बताया जा रहा है कि, इसके लिए कानूनी प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है।

गुजरात में दुखद हादसा! सड़क ट्रक और लग्जरी बस की टक्कर में 6 लोगों की हुई दर्दनाक मौत

गुजरात के आणंद जिले में अहमदाबाद-वडोदरा एक्सप्रेस-वे पर एक गंभीर सड़क दुर्घटना हो गई है, जिसमें 6 लोगों की जान चली गई है तथा 8 अन्य लोग गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। दुर्घटना के पश्चात् सभी घायलों को उपचार के लिए विभिन्न चिकित्सालयों में भर्ती कराया गया है। 

यह हादसा प्रथा लगभग साढ़े चार बजे तब हुआ जब एक लग्जरी बस, जो महाराष्ट्र से राजस्थान जा रही थी, पंचर होने की वजह से हाईवे के किनारे खड़ी थी। बस का ड्राइवर, क्लीनर और यात्री बस के नीचे खड़े थे तभी पीछे से आ रहे एक ट्रक ने बस को जोरदार टक्कर मार दी। इस भयानक दुर्घटना में तीन लोगों की मौके पर ही मौत हो गई जबकि तीन अन्य लोगों ने चिकित्सालय में उपचार के चलते दम तोड़ दिया। 

 खबर मिलते ही आणंद फायर ब्रिगेड, एक्सप्रेस हाईवे पेट्रोलिंग टीम तथा आणंद रूरल पुलिस मौके पर पहुंची और यात्रियों को रेस्क्यू कर चिकित्सालय पहुंचाया। इस दुर्घटना ने एक बार फिर से सड़क सुरक्षा और हाईवे पर वाहनों के रखरखाव की आवश्यकता पर ध्यान आकर्षित किया है।

कड़ी सुरक्षा के बाद भी अनंत-राधिका की शादी में सेंध, 2 लोगों ने की जबरदस्ती घुसने की कोशिश

 मुंबई में कड़ी सुरक्षा के बीच मशहूर उद्योगपति मुकेश अंबानी एवं नीता अंबानी के छोटे बेटे अनंत अंबानी की शादी का जश्न चल रहा है। इसमें 2 व्यक्तियों ने बिना अनुमति शादी में प्रवेश करने का प्रयास किया। इनमें से एक यूट्यूबर है और दूसरा बिजनेसमैन। दोनों ही आंध्र प्रदेश से मुंबई आए थे, मगर समय रहते पकड़ लिए गए। पुलिस ने उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उन्हें हिरासत में लिया और बाद में रिहा कर दिया।

अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट की शादी का जश्न मुंबई में कई दिनों से चल रहा है। 12 जुलाई को दोनों ने सात फेरे लिए। इस हाई प्रोफाइल शादी की सुरक्षा बेहद कड़ी थी। इसके बड़ा भी दो व्यक्तियों ने शादी में बिना बुलाए प्रवेश करने का प्रयास किया। मुंबई पुलिस ने बताया कि अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट की शादी में बिना अनुमति प्रवेश करने वाले दो लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। इनमें से एक वेंकटेश नरसैया अल्लूरी (26) हैं, जो यूट्यूबर हैं, और दूसरे लुकमान मोहम्मद शफी शेख (28) हैं, जो खुद को बिजनेसमैन बताते हैं। दोनों को मुंबई की बीकेसी पुलिस ने हिरासत में लिया। उन पर अलग-अलग मामले दर्ज किए गए हैं। दोनों आंध्र प्रदेश से शादी में सम्मिलित होने आए थे। पुलिस ने कानूनी कार्रवाई के बाद उन्हें छोड़ दिया है।

अनंत और राधिका की शादी में इस तरह जबरदस्ती प्रवेश करने की कोशिश को बड़ा सिक्योरिटी फेल माना जा सकता है, क्योंकि इस शादी में दुनियाभर के बड़े-बड़े सितारे सम्मिलित हुए थे। 12 जुलाई को हुई इस शादी में किम कार्दशियां, क्लोई कार्दशियां, शाहरुख खान, अमिताभ बच्चन और उनके परिवार के सदस्य समेत क्रिकेट जगत के भी कई बड़े सितारे सम्मिलित हुए थे। देश के पीएम नरेंद्र मोदी भी इस शादी का हिस्सा बने थे।

अगस्त तक गिर सकती है मोदी सरकार, लालू यादव की भविष्यवाणी पर चिदंबरम बोले- चुनाव की तैयारी करे विपक्ष..

वरिष्ठ कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद पी. चिदंबरम ने संसदीय लोकतंत्र में विपक्षी दल की चुनाव के लिए तैयार रहने के लिए कहा है। उनकी यह टिप्पणी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रमुख लालू यादव के उस बयान के बाद आई है, जिसमें उन्होंने कहा था कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार अगस्त तक गिर सकती है, जिसके कारण समय से पहले चुनाव हो सकते हैं।

रविवार को एक साक्षात्कार में चिदंबरम ने कहा कि संसदीय लोकतंत्र में, एक निश्चित राष्ट्रपति कार्यकाल के विपरीत, सरकार प्रतिदिन जवाबदेह होती है और उसे कभी भी हराया जा सकता है। जब उनसे मौजूदा सरकार के पांच साल का कार्यकाल पूरा करने की संभावना के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार का उदाहरण दिया। दोनों नेता, जिनकी पार्टियाँ - तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) और जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) - आंध्र प्रदेश और बिहार में 'किंगमेकर' के रूप में उभरीं, एनडीए ब्लॉक के गठन में महत्वपूर्ण थीं।

चिदंबरम ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) पर कांग्रेस पार्टी के रुख को भी संबोधित किया, जो अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से सताए गए गैर-मुस्लिम प्रवासियों को भारतीय नागरिकता प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और INDIA ब्लॉक सीएए के विरोध में है. हाल ही में राहुल गांधी के मणिपुर दौरे पर चिदंबरम ने प्रभावित व्यक्तियों से मिलकर और संसद में उनकी चिंताओं को उठाकर विपक्ष के नेता की भूमिका निभाने के लिए उनकी प्रशंसा की। इसके विपरीत, उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना करते हुए कहा कि वे अंतरराष्ट्रीय यात्राओं और कार्यक्रमों में व्यस्त हैं। उन्होंने कहा कि मोदी के व्यस्त कार्यक्रम के कारण वे मणिपुर की स्थिति पर ध्यान नहीं दे पा रहे हैं, जो पिछले साल 3 मई से जातीय हिंसा से जूझ रहा है।

जेल में 8.5 किलो घट गया केजरीवाल का वजन? दिल्ली सीएम की सेहत पर तिहाड़ प्रशासन की रिपोर्ट

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के स्वास्थ्य को लेकर तिहाड़ जेल प्रशासन और आम आदमी पार्टी के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है।आम आदमी पार्टी का आरोप है कि जेल में केजरीवाल का 8.5 किलोग्राम वजन कम हो गया है। पार्टी के सांसद संजय सिंह ने केजरीवाल की सेहत को लेकर चिंता जताई थी। हालांकि, तिहाड़ जेल केजरीवाल की सेहत को लेकर कुछ और ही दावे कर रहा है।

तिहाड़ जेल प्रशासन ने माना कम हुआ वजन

केजरीवाल की हेल्थ पर जानकारी देते हुए तिहाड़ जेल प्रशासन ने कहा कि अरविंद केजरीवाल का जेल में 8.5 किलोग्राम वजन कम नहीं हुआ है। जैसा कि आप के मंत्री, सांसद और अन्य लोग दावा कर रहे हैं। एक अप्रैल को जब केजरीवाल पहली बार तिहाड़ आए थे, तब उनका वजन 65 किलोग्राम था। इसके बाद आठ और 29 अप्रैल को उनका वजन 66 किलोग्राम था। वे चुनाव प्रचार के लिए नौ अप्रैल को जेल से बाहर आए और दो जून को वापस जेल आ गए। उस दिन यानी दो जून को उनका वजन 63.5 किलोग्राम था। इसके बाद 14 जुलाई को उनका वजन 61.5 किलोग्राम था। इस तरह उन्होंने दो किलो वजन कम हुआ। 

केजरीवाल ने जानबूझ कर वजन घटाया

तिहाड़ जेल प्रशासन ने आगे बताया कि यह वजन घटाना भी उन्होंने जानबूझ कर किया है। जिसके पीछे स्पष्ट कारण थे। वे तीन जून से नियमित रूप से अपने घर से भेजा गया खाना वापस कर रहे हैं। यानी चुनाव प्रचार के बाद जेल वापस आने के अगले ही दिन से। ऐसे में ध्यान देने वाली बात है कि जेल में अपने पिछले कार्यकाल में वे जानबूझकर ऐसा खाना खा रहे थे। जिससे उनका शुगर लेवल बढ़ जाता था। एम्स का एक मेडिकल बोर्ड लगातार केजरीवाल की निगरानी कर रहा है। उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल मेडिकल बोर्ड से नियमित परामर्श ले रही हैं। 

तिहाड़ की रिपोर्ट का आप ने दिया जवाब

दूसरी ओर तिहाड़ की मेडिकल रिपोर्ट पर आप का जवाब भी आया है। संजय सिंह ने कहा है कि तिहाड़ जेल ने माना कि कई बार केजरीवाल का शुगर लेवल कम हुआ। शुगर लेवल कम होने पर वे नींद में कोमा में जा सकते हैं। शुगर लेवल कम होने पर ब्रेन स्ट्रोक का खतरा भी है। संजय सिंह ने कहा कि तिहाड़ जेल की रिपोर्ट के मुताबिक भी वजन कम हुआ है।

इससे पहले आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके आरोप लगाया था कि केंद्र की भाजपा सरकार केजरीवाल को 'गंभीर बीमारी' से पीड़ित करने की साजिश रच रही है। उन्होंने दावा किया था कि तिहाड़ जेल में बंद दिल्ली के मुख्यमंत्री का वजन गिरफ्तारी के बाद से 8.5 किलो घट गया है और करीब पांच बार ऐसा हुआ है जब उनका शुगर लेवल 50 mg/dL से नीचे चला गया था। संजय सिंह ने इसे बेहद चिंताजनक बताते हुए कहा था कि ऐसी स्थिति में केजरीवाल के कोमा में जाने का खतरा है।उन्हें सलाखों के पीछे मारने की साजिश रची जा रही है।

खुशखबरी! रेलवे में नौकरी का इंतजार खत्म, असिस्टेंट लोको पायलट के 18799 पदों पर जल्द निकलेगी भर्ती

 नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर राहुल गांधी ने लोको पायलट से मुलाकात की थी. लोको पायलट ने भी ये समस्या पर मुक्त मंच से उठाई थी. वहीं, ऑल इंडिया रेलवेमेंस फेडरेशन ने भी इस समस्या को लेकर रेल मंत्री से मुलाकात की थी. फेडरेशन के मुताबिक 18799 असिस्टेंट लोको पायलट के पदों पर भर्ती निकलने की तैयारी की गई है. बता दें रेलवे में रनिंग स्टाफ की लंबे समय से वैकेंसी चल रही है. असिस्टेंट लोको पायलट और लोको पायलट की कमी के कारण स्टॉफ को पर्याप्त आराम नहीं मिल पा रहा है जो रेल हादसे का एक कारण बन रहा है.

बीती 5 जुलाई को संसद में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर पहुंचकर ट्रेन चालकों (लोको पायलट) से मुलाकात की थी. लोको पायलटो ने शिकायत की थी कि रेलवे में लोको पायलट के हजारों पद खाली है जिसकी वजह से स्टाफ की कमी है और उन्हें ज्यादा काम होने के चलते पर्याप्त आराम नहीं मिल पाता है, जो रेल हादसे का एक प्रमुख कारण भी है. राहुल गांधी के नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर पहुंचने के बाद से इसको लेकर राजनीतिक सियासत भी तेज हो गई थी.

18799 असिस्टेंट लोको पायलट के पदों पर भर्ती की है तैयारी

लोको पायलेट्स की इन समस्याओं को लेकर ईटीवी भारत ने ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के जनरल सेक्रेटरी शिवगोपाल मिश्रा से बात की तो उन्होंने बताया कि हाल ही में इस समस्या को लेकर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से मुलाकात हुई थी. रेलवे में पहले 5600 असिस्टेंट लोको पायलट के पदों पर भर्ती निकलने की तैयारी की थी लेकिन अब 18799 असिस्टेंट लोको पायलट के पदों पर भर्ती करने की तैयारी की गई है. जल्द ही इन पदों पर असिस्टेंट लोको पायलट की भर्ती होने से राहत मिलेगी.

ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन के राष्ट्रीय संयुक्त सचिव एमपी देव का कहना है कि देश में 98000 रनिंग स्टाफ की जरूरत है. इसमें से करीब 78000 स्टाफ है. 18799 पदों पर भर्ती होने के बाद कुछ समय के लिए राहत मिलेगी, लेकिन 2024, 25 और 26 में बड़ी संख्या में लोको पायलट रिटायर हो रहे हैं. इससे फिर से लोको पायलट की कमी हो जाएगी. एमपी देव का कहना है कि लोको पायलट की कमी के कारण रेलवे प्रशासन द्वारा 14 घंटे ड्यूटी के लिए दबाव बनाया जाता है. ऐसे में लोको पायलेट्स को पर्याप्त आराम नहीं मिल पाता है.

असिस्टेंट लोको पायलट की भर्ती के लिए योग्यता

रेलवे अधिकारियों के मुताबिक, रेलवे के असिस्टेंट लोको पायलेट्स की भर्ती के लिए आवेदन करने वालों की शैक्षिक योग्यता कम से कम दसवीं पास होनी चाहिए. इसके साथ ही आईटीआई डिप्लोमा पास होने चाहिए. आवेदन करने वाले की उम्र 18 से 42 वर्ष हो. लोग रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड की साइट पर जाकर असिस्टेंट लोको पायलट की भर्ती के लिए आवेदन कर सकेंगे.

ज्ञानवापी मामले से जुड़ी 8 याचिकाओं पर सुनवाई आज, व्यास जी के तहखाने के सर्वे पर भी होगी बहस

ज्ञानवापी प्रकरण को लेकर कोर्ट में सुनवाई जारी है. वाराणसी के न्यायालय में आज यानी सोमवार को श्रृंगार गौरी ज्ञानवापी मामले के मूल वाद से जुड़े मामलों की अलग-अलग कोर्ट में सुनवाई होगी. जिला जज संजीव पांडेय पांच वादिनी महिलाओं के केस में समेकित किए गए मामलों समेत 8 याचिकाओं पर सुनवाई करेंगे.

ज्ञानवापी मामले के मूल वाद में जिला जज की अदालत में श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन पूजन को लेकर सुनवाई आगे बढ़ाई जाएगी. सर्वेक्षण की मांग को राखी सिंह व काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास की याचिका के दृष्टिगत सुना जाएगा और उस पर भी न्यायालय सुनवाई आगे बढ़ाएगी.

वादी पक्ष के वकील की तरफ से न्यायालय से दक्षिणी तहखाना में चल रही पूजा पाठ के स्थान के जर्जर छत की मरम्मत के साथ ही अन्य स्थानों के मरम्मत की अनुमति मांगी गई है. काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी की तरफ से भी इस याचिका में विरोध किया गया है कि पुजारी की सुरक्षा के लिए जल्द से जल्द ऊपरी हिस्से और बीम की मरम्मत कराई जाए, ताकि कोई अनहोनी ना हो.

इस दौरान मुस्लिम पक्ष के प्रवेश को छत पर रोकने की भी मांग की गई है. परिसर के हिस्से में आने वाले और तहखानों के सर्वे की भी मांग की गई है. जिस पर भी आज सुनवाई होगी. इस मामले में कोर्ट ने काशी विश्वनाथ न्यास से जवाब मांगा था जो आज संभवत न्यास की तरफ से प्रस्तुत किया जाएगा.

जिला जज की अदालत में ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले के मुख्य मुकदमे की सुनवाई के साथ ही साथ अन्य समेकित किए गए मुकदमों का शेड्यूल भी आज तय किया जाएगा. किसी मुकदमे की कब सुनवाई होगी और कैसे यह आगे बढ़ाया जाएगा, इसे लेकर भी आज कोर्ट शेड्यूल जारी कर सकता है. इसके अलावा विश्वनाथ मंदिर न्यास की तरफ से मांगे गए मरम्मत के प्रकरण में जवाब को भी आज न्यास सबमिट कर सकता है.

भगवान जगन्नाथ ने बचाई डोनाल्ड ट्रंप की जान', 1976 की न्यूयॉर्क रथ यात्रा से कनेक्शन जोड़ रहा इस्कॉन

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अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से पहले डोनाल्ड ट्रंप पर गोली चली। इस गोलीकांड में डोनाल्ड ट्रंप बाल-बाल बच गए। अब डोनाल्ड ट्रंप पर हुए हमले को लेकर इस्कॉन ने बड़ा बयान दिया है।इस्कॉन का कहना है कि इस जानलेवा हमले में ट्रंप की जान दैवीय कृपा की वजह से बची है। इस्कॉन ने डोनाल्ड ट्रंप के न्यूयॉर्क में लगभग आधी सदी पहले की पहली रथयात्रा से जुड़ाव को याद किया है। बता दे कि अमेरिकी राष्ट्रपति पद की दौड़ में सबसे आगे चल रहे उम्मीदवार को पेनसिल्वेनिया में एक चुनावी रैली में एक बंदूकधारी ने हमला किया। कथित तौर पर हत्या के प्रयास में गोली मारी गई। हमले के दौरान गोली ट्रंप के कान के पास से गुजर गई। ट्रंप इस हमले में बाल-बाल बच गए।

इस्कॉन कोलकाता के उपाध्यक्ष राधारमण दास ने ट्रंप के बाल-बाल बचने को दैवीय हस्तक्षेप बताया।राधारमण दास ने एक्स पर लिखा, 'ठीक 48 साल पहले डोनाल्ड ट्रंप ने जगन्नाथ रथयात्रा उत्सव को बचाया था। आज, जब दुनिया फिर से जगन्नाथ रथयात्रा उत्सव मना रही है, ट्रंप पर हमला किया गया, और जगन्नाथ ने उन्हें बचाकर एहसान का बदला चुकाया।'

दास ने कहा कि न्यूयॉर्क में फिफ्थ एवेन्यू एवेन्यू के पास एक विशाल खाली जगह ढूंढना, जहां रथों का निर्माण किया जा सके, कभी भी आसान नहीं था। इस्कॉन के भक्त, जो न्यूयॉर्क में एक भव्य रथयात्रा के साथ संगठन के 10वें उत्सव को एक बड़े जोरशोर के साथ मनाने की योजना बना रहे थे, उन्होंने हर संभव व्यक्ति के दरवाजे खटखटाए, लेकिन सब व्यर्थ रहा। कुछ दिनों बाद, इस्कॉन के भक्तों को पता चला कि डोनाल्ड ट्रम्प ने पुराने रेलवे यार्ड को खरीद लिया है।

राधारमण दास ने कहा, 'जुलाई 1976 में, डोनाल्ड ट्रंप ने रथों के निर्माण के लिए मुफ्त में अपना ट्रेन यार्ड प्रदान करके इस्कॉन भक्तों को रथयात्रा आयोजित करने में मदद की। आज, जब दुनिया 9 दिवसीय जगन्नाथ रथयात्रा उत्सव मना रही है, उन पर यह भयानक हमला और उनका बाल-बाल बचना, जगन्नाथ के हस्तक्षेप को दर्शाता है।'

बता दें कि तब डोनाल्ड ट्रंप की उम्र 30 साल थी। उस वक्त वह एक रियल एस्टेट कारोबारी के तौर पर उभर रहे थे। डोनाल्ड ट्रंप की मदद से ही 1976 में न्यूयॉर्क के फिफ्थ एवेन्यू पर भगवान जगन्नाथ की पहली रथयात्रा निकाली जा सकी थी।

केपी शर्मा ओली चौथी बार बने प्रधानमंत्री, भारत-नेपाल रिश्तों पर कितना होगा असर

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नेपाल में एक अहम घटनाक्रम में रविवार को केपी शर्मा ओली को प्रधानमंत्री के तौर पर नियुक्त कर दिया गया है। 72 साल के ओली तीसरी बार नेपाल के प्रधानमंत्री बने हैं। कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी) यानी सीपीएन-यूएमएल के अध्यक्ष खड्ग प्रसाद (केपी) शर्मा ओली को नेपाल के नए प्रधानमंत्री के तौर पर नियुक्त किया गया है। राष्ट्रपति कार्यालय की तरफ़ से जारी एक बयान में कहा गया है कि राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने रविवार शाम नेपाल के संविधान के अनुच्छेद 76 (2) के अनुसार, ओली को प्रधानमंत्री नियुक्त किया। ओली ने दो दिन पहले सबसे बड़ी पार्टी नेपाली कांग्रेस के समर्थन से बहुमत का दावा पेश किया था।

ओली ने पुष्प कमल दाहाल 'प्रचंड' की जगह ली है। प्रचंड शुक्रवार को विश्वास मत हार गए थे। इसके बाद संविधान के अनुच्छेद 76 (2) के अनुसार नई सरकार गठित करने की प्रक्रिया शुरू हुई। राष्ट्रपति राम चंद्र ने नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी-एकीकृत मार्क्सवादी लेनिनिस्ट (CPN-UML) के नेता केपी शर्मा ओली को नेपाल का नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया। 

केपी शर्मा ओली को चीन समर्थक माना जाता है। उनके पहले कार्यकाल में भारत के साथ उनके रिश्ते तल्ख रहे हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि केपी शर्मा ओली के प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत और नेपाल के संबंधों पर थोड़ा असर पर सकता है। ओली 11 अक्टूबर 2015 से तीन अगस्त 2016 तक देश के प्रधानमंत्री रहे, जिसके दौरान काठमांडू के नयी दिल्ली के साथ संबंध तनावपूर्ण रहे। इसके बाद ओली पांच फरवरी 2018 से 13 मई 2021 तक नेपाल के प्रधानमंत्री रहे। बाद में राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी के चलते वह 13 मई से 13 जुलाई 2021 तक पद पर बने रहे। अपने पहले कार्यकाल के दौरान ओली ने भारत पर नेपाल के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने और नयी दिल्ली पर उनकी सरकार को गिराने का आरोप लगाया था। नेपाल के नए संविधान को लेकर सीमावर्ती क्षेत्रों में तनाव के कारण 2015 में सीमा नाकाबंदी के दौरान ओली ने भारत के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया था। 

अने दूसरे कार्यकाल में मई 2020 में ओली की सरकार ने बीजिंग के साथ संबंधों को भी मजबूत किया और एक अपडेटेड मानचित्र प्रकाशित किया जिसमें उत्तराखंड में लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को नेपाल के क्षेत्र के रूप में दावा किया गया था। भारत ने इस दावे को "एकतरफा" बताते हुए खारिज कर दिया था और बाद में दोनों देशों ने बातचीत की थी। इसके बाद हाल ही में नेपाल ने उसी नक्शे को एक नोट में भी डाल दिया, तो इसे लेकर भी भारत में हलचल हुई थी।

क्या भारत के साथ रिश्तों पर पड़ेगा असर?

ऐसे में विशेषज्ञों की माने तो केपी शर्मा ओली के सत्ता में आने के बाद भारत के लिए चुनौती साबित हो सकती है। लेकिन ये गठबंधन (सीपीएन-यूएमएल और नेपाली कांग्रेस) की सरकार होगी। नेपाली कांग्रेस का भारत से अच्छा संबंध है। नेपाली कांग्रेस का ज़ोर कूटनीतिक रास्तों के ज़रिए समस्या का समाधान ढूंढने पर होता है। नेपाली कांग्रेस संतुलित और तटस्थ नज़रिया रखते हुए काम करने को कह सकती है, ऐसे में दोनों के रिश्तों में अधिक बदलाव नहीं आना चाहिए।

भारत-नेपाल एक-दूसरे की जरूरत

माना जाता है कि नेपाल से भारत का रोटी-बेटी का संबंध है। सदियों से नेपाल के साथ भारत का भौगोलिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आर्थिक संबंध और रहा है। ऐसे में भारत और नेपाल को एक-दूसरे की जरूरत भी हैं। इसकी कई वजहें भी हैः-

1. भारत के साथ नेपाल 1751 किमी बॉर्डर शेयर करता है। भारत के कुल पांच राज्य हैं जो नेपाल की सीमा से लगे हुए हैं। ये राज्य उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, सिक्किम और पश्चिम बंगाल हैं।

2. नेपाल के कुल 75 जिलों में से 23 ऐसे जिले हैं जो भारत की सीमा से लगते हैं। बिहार के साथ नेपाल के 12 जिले, उत्तर प्रदेश के साथ 8, पश्चिम बंगाल के साथ 2 जिसमें एक बिहार जिसमें से एक बिहार सीमा के भी साथ साझा करता है। उत्तराखंड के साथ चार जिसमें दो पश्चिम बंगाल, एक सिक्किम और उत्तर प्रदेश के साथ भी लगते हैं। ऐसे में सीमा सुरक्षा को ध्यान रखते हुए नेपाल से दोस्ती भारत की जरूरत है।

3. भारत सरकार के 2019 के एक आंकड़े के मुताबिक, नेपाल के लगभग 60 लाख लोग भारत में रहते हैं और यहीं पर अपनी आजीवका भी चलाते हैं यानी काम करते हैं। एक तरह से देखा जाए तो नेपाल की करीब 20 फीसदी आबादी भारत में रहती है और भारत पर ही उनकी आजीविका निर्भर है।

4. भारत सरकार की 2019 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, करीब 6 लाख भारत के लोग नेपाल में रहते हैं। इनमें से ज्यादातर लोग बिजनेस के उद्देश्य से नेपाल जाते हैं। इसके आलावा सीमा से सटे इलाकों के कई ऐसे लोग भी हैं जो रहते तो भारत में हैं लेकिन उनकी जीविका नेपाल से चलती हैं।

5. सुरक्षा की दृष्टि से देखें तो भारतीय सेना में भी नेपाल के लोगों की भर्ती होती है। वर्तमान में 32,000 गोरखा सैनिक भारतीय सेना में तैनात हैं। साथ ही करीब 3,000 करोड़ रुपए पेंशन के तौर पर हर साल करीब सवा लाख पूर्व गोरखा सैनिकों को दी जाती है।

6. विदेशों में काम कर रहे नागरिकों में सबसे ज्यादा लोग भारत में ही हैं, क्योंकि दोनों देशों की सीमाएं एक-दूसरे के लिए खुली हुई हैं। जहां किसी तीसरे देश में काम करने के लिए नेपालियों को लेबर परमिट के लिए आवेदन करना पड़ता है, वहीं भारत में काम करने के लिए ऐसे किसी परमिट की जरूरत भी नहीं पड़ती है।

7. भारत की कई प्राइवेट और सरकारी कंपनियां भी नेपाल में काम करती हैं। एक रिपोर्ट की मानें तो, नेपाल के FDI में 30 फीसदी हिस्सा भारत से आता है।

8.यही नहीं भारत अपने 6 पड़ोसी देश चीन, पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश, भूटान और अफगानिस्तान के साथ कुल 90 हजार करोड़ रुपए का सीमा व्यापार करता है। भारत जिन 6 पड़ोसी देशों से व्यापार करता है, उनमें नेपाल शीर्ष पर है।