*जिला जज ने किया राष्ट्रीय लोक अदालत का शुभारंभ*
अयोध्या- मां सरस्वती जी के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलन के साथ वृहद राष्ट्रीय लोक अदालत का शुभारम्भ जनपद न्यायाधीश गौरव कुमार श्रीवास्तव ने किया। मां सरस्वती जी के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलन के समय राहुल कुमार कात्यायन, प्रधान न्यायाधीश, पारिवारिक न्यायालय, शेषमणि, मोटर दुर्घटना न्यायाधिकरण, अयोध्या, सुशील कुमार शशी, पीठासीन अधिकारी, कामर्शियल न्यायालय, अयोध्या, शैलेश कुमार तिवारी, भूमि अर्जन, पुनर्वासन एवं पुनव्र्यस्थापन प्राधिकरण, अयोध्या, श्रीमती अल्पना सक्सेना, अपर प्रधान न्यायाधीश, पारिवारिक न्यायालय, अयोध्या एवं अन्य सभी सम्मानित न्यायिक अधिकारीगण उपस्थित रहे।
इस अवसर पर जनपद न्यायाधीश श्री श्रीवास्तव जी ने कहा कि लोक अदालत की मूल भावना में लोक कल्याण की भावना समाहित है। सुलह समझौता के दौरान सभी का मान, सभी का सम्मान, सभी को न्याय मिले इसका ध्यान रखा जाता है। राष्ट्रीय लोक अदालत में दोनों पक्षों के हितों को ध्यान में रखकर आपसी सुलह-समझौते के माध्यम से वादों को निस्तारित कराया जाता है। इतिहास में दर्ज है कि सदियों पहले जब अदालतें नहीं हुआ करती थी तब दो पक्षों के आपसी मतभेद को सुलह-समझौता के माध्यम से समाज के गणमान्य व्यक्ति एक निर्धारित स्थल पर बैठकर दोनों पक्षों की बात सुनकर यह निर्णय लेते थे कि दोनों पक्षों का हित किसमें हैं। इसी को देखते हुए सुलह-समझौता कराते थे और समाज में इसके सार्थक परिणाम भी दिखाई पड़तें थे। सुलह समझौते में दोनों पक्षों के मध्य आपसी क्लेश, मतभेद एवं दुर्भावना समाप्त हो जाती थी।
लोक कल्याण के भावना से ओत-प्रोत उसी स्वरूप को माननीय उच्चतम न्यायालय, माननीय उच्च न्यायालय द्वारा विस्तार रूप देते हुए एक स्थल, एक मंच पर बहुत सारे वादों को सुलह-समझौता के आधार पर समाप्त कराने के उद्देश्य से राष्ट्रीय लोक अदालत आयोजित कराने का निर्देश दिये जाते हैं, जिसमें दोनों पक्षों के हित के साथ सामाजिक प्रेम भावना भी समाहित है। उन्होंने आगे कहा कि लोग मिल-जुल कर प्रेम भावना से रहे, जो समाज एवं राष्ट्र के हित में है। यदि आपसी मतभेद पनपते भी हैं, तो उसे शांत एव सदभाव के साथ समाप्त करने का प्रथम प्रयास दोनों पक्षों द्वारा किया जाना चाहिए। यदि प्रथम प्रयास में दोनों पक्ष सफल नहीं होते है तभी उन्हें न्यायालय के शरण जाना चाहिए। उन्होंने आगे बताया कि जनपद न्यायालय परिसर के अतिरिक्त क्लेक्टेªट एवं सभी तहसीलों में आपसी सुलह-समझौता के आधार पर वादों का निस्तारण कराया जाएगा।
इस अवसर पर सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अनिल कुमार वर्मा ने कहा कि लोक अदालत के आयोजन में आने वाले दोनों पक्षों के बैठने, शुद्ध पेयजल आदि की समुचित व्यवस्था करायी गई है। लोक अदालत में आने वाले सभी व्यक्ति के सुविधा का ख्याल रखा गया है और यह प्रयास किया जा रहा है कि आज इस वृहद लोक अदालत में अधिक से अधिक वादों को आपसी सुलह-समझौता के माध्यम से समाप्त कराकर लोगों को राष्ट्रीय लोक अदालत के उद्देश्य का लाभ दिलाया जा सके। उन्होंनें आगे बताया की धारा 138 पराक्राम्य लिखत अधिनियम (एन.आई.ऐक्ट), बैंक वसूली वाद, श्रम विवाद वाद, विद्युत एंव जलवाद बिल, (अशमनीय वादों को छोड़कर) अन्य आपराधिक शमनीय वाद, पारिवारिक एंव अन्य व्यवहार वाद, पारिवारिक विवाद, भूमि अधिग्रहण वाद, सर्विस मैटर से संबन्धित वेतन, भत्ता और सेवानिवृत्ति लाभ के मामले, राजस्व वाद, जो जनपद न्यायालय में लम्बित हों, अन्य सिविल वाद आदि निस्तारित किये गये ।श्रीमती नूरी अन्सार अपर जिला जज/नोडल अधिकारी, राष्ट्रीय लोक अदालत, एवं अनिल कुमार वर्मा सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, जनपद न्यायालय अयोध्या के अनुसार दिनांक 13.07.2024 को आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत में कुल 40105 वादों को निस्तारित किया गया एवं कुल समझौता राशि मु0 148408418/- रू0 है। जिसमें वर्चुअल कोर्ट द्वारा 12,000 वादों का निस्तारण किया गया। जो वर्चुअल कोर्ट के न्यायिक अधिकारी द्वारा किया गया प्रशंसनीय कार्य है।
स्टेट बैंक आफ इण्डिया, मुख्य शाखा सिविल लाइन, अयोध्या द्वारा श्री अवधेश कुमार सिंह निवासी सलारपुर, तहसील सोहावल, अयोध्या के प्रकरण में बकाया धनराशि 2,98,635/- रूपये को समझौता के आधार पर 1,50,000/- रूपये जमा करने की शर्त पर निस्तारण किया गया। स्टेट बैंक आफ इंडिया का यह एक सराहनीय कदम है ।
Jul 13 2024, 20:42