महाराष्ट्र में फिर से ‘रिसॉर्ट पॉलिटिक्स’ शुरू, एमएलसी चुनाव से पहले होटल में ले जाए जा रहे विधायक

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महाराष्ट्र में विधान परिषद की 11 सीटों के लिए होने वाले चुनाव से पहले सियासी हलचल बढ़ गई है।एक बार फिर यहां होटल पॉलिटिक्स शुरू हो चुकी है।महाराष्ट्र में 12 जुलाई यानी शुक्रवार को विधान परिषद का चुनाव है। 11 सीटों पर 12 उम्मीदवार मैदान में हैं। बीजेपी और कांग्रेस को छोड़कर किसी भी दल के पास अपने उम्मीदवार को जिताने के लिए पर्याप्त वोट नहीं है। इसीलिए क्रॉस वोटिंग का खतरा एमएलसी चुनाव में बना है। ऐसे में सभी दल अपने-अपने विधायकों को सुरक्षित रखने में जुट गए हैं।

सूबे की सभी सियासी पार्टियां अपने-अपने विधायकों को एकजुट करने और विधान परिषद चुनाव में ‘क्रॉस वोटिंग’ से बचने की जद्दोजहद में लगी हुई हैं। इसी कड़ी में शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने अपने सभी 16 विधायकों को मुंबई के आईटीसी ग्रैंड सेंट्रल होटल में शिफ्ट किया है तो डिप्टी सीएम अजीत पवार ने अपने एनसीपी विधायकों के साथ सिद्धि विनायक मंदिर जाकर माथा टेका और फिर उन्हें एक रिसॉर्ट में ठहरा रखा है। भाजपा ने अपने और अपने समर्थक विधायकों को दक्षिण मुंबई के कफ परेड स्थित होटल ताज प्रेसीडेंट में बुला लिया है। 

अभी तक कांग्रेस ने अपने विधायकों को किसी होटल में नहीं बुलाया है। राकांपा (शपा) के अध्यक्ष शरद पवार ने साफ कर दिया है कि उन्हें अपने विधायकों पर पूरा भरोसा है। वह कहीं नहीं जाने वाले हैं।

इस बार के विधान परिषद चुनाव में सदन में 11 सदस्यों का चुनाव होना है, लेकिन प्रत्याशी 12 हैं। शिवसेना (शिंदे), भाजपा और राकांपा (अजीत) के विधायकों की कुल संख्या 197 है। इन तीनों दलों के गठबंधन ने मिलकर नौ उम्मीदवार खड़े किए हैं। इनमें भाजपा के पांच, शिवसेना (शिंदे) के दो और राकांपा (अजीत) के भी दो उम्मीदवार हैं। यानी एनडीए के 9 और इंडिया गठबंधन से तीन प्रत्याशी मैदान में हैं।

महाराष्ट्र विधानसभा के सदस्यों के आधार पर विधान परिषद की 11 में से 9 सीटों पर एनडीए को जीत मिल सकती है जबकि इंडिया गठबंधन को महज दो सीटें ही मिलती दिख रही हैं। एक एमएलसी सीट जीतने के लिए प्रथम वरीयता के आधार पर 23 विधायकों के वोटों के समर्थन की जरूरत हैं। ऐसे में क्रॉस वोटिंग की आशंकाओं के बीच सभी दलों ने अपने विधायकों की बाड़ेबंदी शुरू कर दी है, क्योंकि लोकसभा चुनावों के बाद से माहौल बदला है और शिंदे गुट वाली शिवसेना और अजित पवार वाली एनसीपी के कुछ विधायक पाला बदल सकते हैं। ऐसे में चुनाव के दौरान क्रॉस वोटिंग होती है तो इंडिया गठबंधन तीन सीटें अपने नाम कर सकती है। इसके चलते ही उद्धव ठाकरे से लेकर अजीत पवार तक अपने-अपने विधायकों को सुरक्षित रखने में जुटें हैं ताकि क्रॉस वोटिंग से बचाया जा सके।

*पाकिस्तान में सऊदी एयरलाइंस के प्लेन में लगी आग, 276 यात्री थे सवार

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सऊदी अरब के एक यात्री विमान में पाकिस्तान के पेशावर एयरपोर्ट पर लैंडिंग के वक्त आग लग गई। ये फ्लाइट सऊदी की राजधानी रियाद से पेशावर आई थी। फ्लाइट में करीब 300 लोग सवाल थे, सभी को समय रहते सुरक्षित निकाल लिया गया। 

पाकिस्तान के पेशावर हवाईअड्डे पर उतरते समय सऊदी एयरलाइंस की फ्लाइट SV792 में आग लग गई। लैंडिंग गियर में दिक्कत की वजह से टायर में आग लग गई। आग लगने के बावजूद किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है। इसके अलावा सभी चालक दल और यात्रियों को सुरक्षित निकाल लिया गया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, फ्लाइट में सभी 276 यात्री और 21 चालक दल के सदस्य मौजूद थे।

पाकिस्तान के नागरिक उड्डयन प्राधिकरण (सीएए) के प्रवक्ता सैफुल्लाह की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि जब फ्लाइट लैंड हो रही थी तो एयर ट्रैफिक कंट्रोलर्स ने विमान के बाईं ओर के लैंडिंग गियर से धुआं और चिंगारी निकलते देखी। इस पर तुरंत ही पायलटों को सतर्क करते हुए एयरपोर्ट की फायर ब्रिगेड और रेस्क्यू सर्विस को भी अलर्ट किया गया।

नौ महीने बाद बर्फीली पहाड़ियों से मिला जवान का शव, लद्दाख के माउंट कुन पर्वतारोहण अभियान का थे हिस्‍सा

प्रथम गोरखा राइफल्स की पांचवीं बटालियन के हवलदार ठाकुर बहादुर आले का पार्थिव शरीर नौ महीने बाद मिला है। भारतीय सेना के कोई साथी पीछे न छूटे के सिद्धांत और सेना की बेहतरीन परंपराओं के अनुसार नौ महीने की साहसिक खोज व बचाव अभियान के बाद एचएडब्ल्यूएस गुलमर्ग की टीमों ने हवलदार आले का पार्थिव शरीर माउंट कुन की बर्फीली पहाड़ियों से खोज निकाला है।

हवलदार ठाकुर बहादुर आले पिछले साल आठ अक्टूबर को लद्दाख के माउंट कुन के लिए एक पर्वतारोहण अभियान के दौरान चार सदस्यीय रूट ओपनिंग पार्टी का हिस्सा थे। इस दौरान वह हिमस्खलन की चपेट में आ गए। कई दिनों तक लगातार खोज अभियान चलाया गया, लेकिन बदलते मौसम और लगातार हिमस्खलन के कारण उनके पार्थिव शरीर को बरामद नहीं किया जा सका था।

सैनिकों के पार्थिव शरीर को बर्फीली पहाड़ियों से किया बरामद

आखिरकार सेना के खोजी दल ने सात जुलाई को हवलदार ठाकुर बहादुर आले और अन्य सैनिकों के पार्थिव शरीर को बर्फीली पहाड़ियों से बरामद कर लिया। इसके बाद उनके पार्थिव शरीर को देहरादून स्थित उनकी यूनिट में लाया गया। सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने हवलदार आले को अंतिम सलामी दी।

बुधवार को सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। हवलदार ठाकुर बहादुर आले एक बेहतरीन पर्वतारोही थे। उन्होंने राष्ट्रीय स्तर की कई स्कीइंग और स्नो बोर्डिंग प्रतियोगिताओं में भाग लिया था, जिसमें उन्होंने दो स्वर्ण पदक, एक रजत पदक और दो कांस्य पदक जीते थे। उनके परिवार में उनकी पत्नी, नौ वर्षीय बेटी, सात वर्षीय बेटा और बुजुर्ग माता-पिता हैं।

अब भारत में बनेगा दुनिया का सबसे घातक Su-30 फाइटर जेट, मोदी-पुतिन की मीटिंग में फाइनल हुई डील !

 मॉस्को में एक बैठक के दौरान, भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारत में संयुक्त रूप से Su-30 लड़ाकू विमानों के निर्माण की संभावना पर चर्चा की। इन विमानों का उत्पादन महाराष्ट्र के नासिक में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) में किया जाएगा और इन्हें वैश्विक स्तर पर वितरित किया जाएगा। इससे पहले, इस कारखाने में मिग-21 लड़ाकू विमानों का उत्पादन किया जाता था।

मध्य पूर्व, अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका में वायु सेनाओं द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले सुखोई Su-30 लड़ाकू विमान को दुनिया के सबसे शक्तिशाली बहुउद्देशीय लड़ाकू विमानों में से एक माना जाता है। यह हवा से जमीन और हवा से हवा दोनों तरह के मिशनों को अंजाम दे सकता है, जो अलग-अलग गति से जटिल हवाई युद्धाभ्यास करते हुए दुश्मनों को उलझाने में सक्षम है। एक 30 मिमी ग्रियाज़ेव-शिपुनोव ऑटोकैनन, जो प्रति मिनट 150 राउंड फायर करता है, जो इसे दुश्मन के विमानों, ड्रोन और हेलीकॉप्टरों के खिलाफ प्रभावी बनाता है। हथियार ले जाने के लिए 12 हार्डपॉइंट, जिसमें चार प्रकार के रॉकेट, चार प्रकार की मिसाइलें और दस प्रकार के बम या इनका संयोजन रखा जा सकता है। कई रैक के साथ, यह 14 हथियार रख सकता है, जो कुल 8130 किलोग्राम वजन का भार सहन कर सकता है। ब्रह्मोस मिसाइलों के साथ संगतता, संभावित रूप से भारतीय मिसाइलों के लिए बाजार को बढ़ावा दे सकती है। 

Su-30 अपनी अनुकूलन क्षमता में अद्वितीय है, जिससे विभिन्न देश अपनी विशिष्ट आवश्यकताओं और भौगोलिक स्थितियों के अनुसार इसे अनुकूलित कर सकते हैं। भारत में, Su-30MKI वैरिएंट का निर्माण HAL द्वारा 1997 में रूस से प्राप्त लाइसेंस के तहत किया जाता है। "MKI" का अर्थ है "आधुनिक वाणिज्यिक भारतीय", जो भारतीय आवश्यकताओं के लिए जेट के अनुकूलन को दर्शाता है। इसकी अधिकतम रफ़्तार 2120 किमी/घंटा है। यह सहयोग भारत की रक्षा विनिर्माण क्षमताओं को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ा सकता है और भारत में निर्मित मिसाइलों और विमानों के लिए बाजार का विस्तार कर सकता है।

क्वांटम फिजिक्स के नोबेल विजेता ने पीएम मोदी की जमकर की तारीफ, बोले- दुनिया के हर नेता को ऐसा ही होना चाहिए

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रूस के दो दिन के दौरे के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ऑस्ट्रिया पहुंचे थे। ऑस्ट्रिया के अपने इस दौरे के दौरान पीएम मोदी आज अलग- अलग कार्यक्रम में शिरकत की और लोगों से मुलाकात की। इस क्रम में उन्होंने ऑस्ट्रियाई भौतिक विज्ञानी और नोबेल पुरस्कार विजेता एंटोन जिलिंगर से मुलाकात की। इस मुलाकत के बाद एंटोन ने कहा, “मैंने अनुभव किया कि पीएम मोदी बहुत आध्यात्मिक व्यक्ति हैं और मुझे लगता है कि यह वह विशेषता है जो आज दुनिया के कई नेताओं में होनी चाहिए।”

पीएम मोदी से मिलने के बाद भौतिक विज्ञानी एंटोन जिलिंगर ने कहा हमने क्वांटम सूचना और क्वांटम प्रौद्योगिकियों की संभावनाओं और आध्यात्मिकता के बारे में भी चर्चा की। मशहूर भौत‍िक व‍िज्ञानी एंटोन जिलिंगर ने कहा, यह एक बहुत ही सुखद चर्चा थी। पीएम मोदी के साथ कई मुद्दों पर बात हुई। हमने क्वांटम इंफार्मेशन, क्‍वांटम टेक्‍नोलॉजी और आध्यात्मिकता के बारे में भी बात की। मुद्दा यह है कि आप प्रतिभाशाली युवाओं को क‍ितनी ताकत देते हैं। उनमें कुछ कर गुजरने की इच्‍छाशक्‍त‍ि है, लेकिन आध्‍यात्‍मि‍क और तकनीक अतीत हैं। इनका समन्‍यवय युवाओं को बहुत कुछ दे सकता है। मुझे लगता है क‍ि ये भारत में संभव है।

इस मुलाकात की भी एक तस्वीर पीएम मोदी ने एक्स पर शेयर की है। इसमें उन्होंने लिखा कि ये मुलाकात बेहतरीन रही. आगे उन्होंने लिखा कि ज्ञान और सीखने के प्रति एंटोन का जुनून स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा था।

इससे पहले पीएम मोदी और ऑस्ट्रिया के चांसलर कार्ल नेहमर ने मुलाकात की थी। इस मुलाकात के मौके पर पीएम मोदी ने भारत-ऑस्ट्रिया संयुक्त बयान में प्रधानमंत्री कहा कि यह युद्ध का समय नहीं है। उन्होंने कहा कि चांसलर नेहमर और मैंने दुनिया में चल रहे सभी विवादों पर विस्तार से चर्चा की है, चाहे वह यूक्रेन में संघर्ष हो या पश्चिम एशिया की स्थिति हो। पीएम मोदी ने कहा कि मैंने पहले भी कहा है कि यह युद्ध का समय नहीं है। हम दोनों देश आतंकवाद की कड़ी निंदा करते हैं। हम सहमत हैं कि आतंकवाद किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है। इसे किसी भी तरह से उचित नहीं ठहराया जा सकता।

नीट मामले में छात्रों को अभी और करना होगा इंतजार, सुप्रीम कोर्ट में 18 जुलाई तक टली सुनवाई

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मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट यूजी मामले की सुनवाई आज टाल दी गई है। अब इस मामले पर सुनवाई 18 जुलाई को की जाएगी। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने आज की सुनवाई के दौरान कहा कि मामले की सुनवाई अगले हफ्ते सोमवार को होगी। इस पर एसजी ने कहा कि वह सोमवार और मंगलवार को यहां पर नहीं हैं। फिर सीजेआई ने कहा कि ठीक है अब मामले की सुनवाई गुरुवार (18 जुलाई) को होगी। साथ ही कोर्ट ने केंद्र और एनटीए के हलफनामे को रिकॉर्ड पर ले लिया। सीजेआई ने दिया याचिकाकर्ताओं को जवाब दाखिल करने का निर्देश भी दिया है।

इससे पहले इस मामले में 8 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की बेंच ने सुनवाई की थी। पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने एनटीए, सरकार, सीबीआई और छात्रों से इस मामले में कुछ सवालों के जवाब मांगे थे। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने हलफनामे में केंद्र सरकार ने कहा है किनीट से संबंधित आंकड़ों पर आईआईटी मद्रास ने व्यापक तकनीकी मूल्यांकन किया है। डेटा विश्लेषण से यह भी पता चलता है कि असामान्य स्कोर के कारण किसी भी स्थानीय उम्मीदवार को लाभ नहीं मिला है। इसके समाधान के लिए हर संभव कदम और तंत्र स्थापित करने के लिए चौतरफा प्रयास किया जा रहा है। सरकार ने कहा है कि एक तरफ ये सुनिश्चित किया जा रहा है कि कदाचार के दोषी किसी भी उम्मीदवार को कोई लाभ न मिले। दूसरी तरफ यह सुनिश्चित किया जाए कि 23 लाख छात्रों पर केवल आशंकाओं के आधार पर एक नई परीक्षा का बोझ न डाला जाए। केंद्र सरकार मजबूत परीक्षा प्रक्रिया बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।

एनटीए ने भी सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल कर दिया है। अपने हलफनामे में एनटीए ने कहा है कि पटना में हुए कथित पेपर लीक मामले में लगातार कार्रवाई की गई है। पुलिस के साथ साथ इस मामले की जांच सीबीआई भी कर रही है। इसके अलावा एनटीए ने भी यह भी हलफनामे में मेरिट लिस्‍ट में 61 स्‍टूडेंटस के 720 में 720 अंक कैसे आए इसका भी जवाब दिया है।

बुधवार को केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई ने नीट यूजी पेपर लीक मामले पर अपनी स्टेटस रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी। इसके अतिरिक्त पिछली सुनवाई के दौरान सीजेआई ने कहा था कि परीक्षा में सम्मिलित करीब 24 लाख छात्र-छात्राओं की बड़ी संख्या के देखते हुए रीटेस्ट पर आदेश दिया उचित नहीं होगा।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 14 जुलाई को मध्यप्रदेश को देंगे बड़ी सौगात, सभी जिलों में खुलेंगे 55 प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस

मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा क्षेत्र को 14 जुलाई को बड़ी सौगात मिलने वाली है. देश के गृह मंत्री अमित शाह प्रदेश में 55 प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस का एक साथ शुभारंभ करने वाले हैं. राज्य के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने बताया है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 14 जुलाई को प्रदेश के सभी 55 जिलों में प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस का एक साथ शुभारंभ करने वाले हैं.

एक्सीलेंस कॉलेजों की विशेषता यह है कि नई शिक्षा नीति के अनुरूप इनमें सभी कोर्स उपलब्ध होंगे तथा ये कॉलेज सभी संसाधनों से युक्त होंगे. युवा पीढ़ी को इन कॉलेजों का लाभ मिलेगा. सभी मंत्रीगण अपने-अपने क्षेत्र में कॉलेजों के शुभारंभ कार्यक्रम में अवश्य शामिल हों. राज्य के सभी जिलों में प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस की शुरुआत हो रही है. वर्तमान में मौजूद कॉलेजों को ही अपग्रेड कर नया दर्जा दिया जा रहा है. इन कॉलेजों में सुविधाएं बढ़ाई जा रही हैं. साथ ही जरूरत के मुताबिक आने वाले समय में शिक्षकों की पदस्थापना भी की जाएगी. 

सरकार की ओर से उन सभी कॉलेजों का ब्योरा जुटाया जा रहा है, जिन्हें एक्सीलेंस कॉलेज का दर्जा दिया जा रहा है. कई कॉलेज ऐसे हैं, जहां प्रोफेसर से लेकर अन्य कर्मचारी पर्याप्त संख्या में नहीं हैं. इसके चलते कई कर्मचारियों के तबादले भी संभावित हैं. इसके अलावा मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि प्रदेश में पौधरोपण अभियान के अंतर्गत 5.50 करोड़ पौधे लगाए जा रहे हैं. उन्होंने इंदौर एवं भोपाल में जारी पौधरोपण गतिविधियों की प्रशंसा करते हुए कहा कि सभी जिले पौधरोपण का लक्ष्य तय करें एवं सभी विभागों में समन्वय करते हुए इसे अंजाम दिया जाए. अभियान में लगाए गए पौधों के रखरखाव के लिए लोगों को जिम्मा सौंपा जाएगा.

बॉम्बे HC के आदेश का उल्लंघन करने पर पतंजलि को भुगतना पड़ेगा हर्जाना, जानिए कितनी होगी रकम

बॉम्बे उच्च न्यायालय ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को कोर्ट के 2023 के आदेश का उल्लंघन करने के लिए अवमानना ​​के तौर पर 50 लाख रुपये जमा करने का निर्देश दिया है। इस आदेश में कंपनी को मंगलम ऑर्गेनिक्स लिमिटेड की तरफ से दायर ट्रेडमार्क उल्लंघन मामले के सिलसिले में कपूर प्रोडक्ट बेचने से रोक दिया गया था. पैसे जमा करने का यह आदेश पतंजलि की तरफ से अदालत द्वारा पारित आदेशों का पालन करने के वचन के साथ बिना शर्त माफी मांगने के बाद भी दिया गया.

जस्टिस आरआई चागला की बेंच ने कहा कि पतंजलि ने जून में पेश किए गए हलफनामे में कपूर प्रोडक्ट्स की बिक्री के खिलाफ इंजक्शन (Injuction) देने वाले पहले के आदेश का उल्लंघन करने की बात स्वीकार की थी. आदेश में न्यायमूर्ति चागला ने कहा, 'प्रतिवादी संख्या 1 (पतंजलि) की तरफ से 30 अगस्त 2023 के निषेधाज्ञा आदेश का निरंतर उल्लंघन अदालत बर्दाश्त नहीं कर सकता.' अगस्त 2023 में हाई कोर्ट ने एक अंतरिम आदेश में पतंजलि को कपूर प्रोडक्ट्स को बेचने या विज्ञापन करने से रोक दिया था. यह आदेश पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ मंगलम ऑर्गेनिक्स द्वारा दायर एक मुकदमे में पारित किया गया था, जिसमें उनके कपूर प्रोडक्ट्स के कॉपीराइट उल्लंघन का आरोप लगाया गया था. 

बाद में मंगलम ने एक आवेदन दायर कर दावा किया कि पतंजलि अंतरिम आदेश का उल्लंघन कर रही है, क्योंकि उसने कपूर प्रोडक्ट्स को बेचना जारी रखा है. पतंजलि के निदेशक रजनीश मिश्रा ने बिना शर्त हलफनामा दायर किया और अदालत के आदेशों का पालन करने का वादा किया। मिश्रा ने हलफनामे में कहा कि निषेधाज्ञा आदेश पारित होने के पश्चात् कपूर उत्पादों की कुल आपूर्ति ₹49,57,861 थी। हालांकि, मंगलम ऑर्गेनिक्स के वकील हिरेन कामोद ने इस राशि का विरोध किया।

बंगाल में जांच नहीं कर सकती CBI..', सुप्रीम कोर्ट पहुंची ममता सरकार तो SC ने कहा - यह मामला सुनवाई योग्य

 सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि CBI की सामान्य सहमति निरस्त करने के बावजूद एजेंसी द्वारा पश्चिम बंगाल में FIR दर्ज करने को लेकर राज्य सरकार की याचिका सुनवाई योग्य है। इस मामले में ममता बनर्जी वाली तृणमूल कांग्रेस (TMC) सरकार ने केंद्र सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसका केंद्र सरकार ने विरोध किया था।

हालाँकि, केंद्र द्वारा उठाई गई प्रारंभिक आपत्तियों को सर्वोच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया। शीर्ष अदालत के जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने कहा कि बंगाल सरकार की शिकायत में कार्रवाई की वजह बताई गई है। अदालत ने केंद्र सरकार द्वारा दी गई इस दलील को भी मानने से इंकार कर दिया कि राज्य ने शिकायत में महत्वपूर्ण तथ्यों को छिपाया है। बता दें कि, यह मामला साल 2018 का है। उस दौरान ममता बनर्जी सरकार ने CBI जाँच के लिए दी गई सामान्य सहमति रद्द कर दी थी। इसके बाद भी CBI कभी हाई कोर्ट के आदेश पर, तो कभी किन्ही और कारणों से पश्चिम बंगाल में अपराधों के खिलाफ FIR दर्ज करना जारी रखी, जबकि ममता सरकार ऐसा नहीं चाहती थी। शीर्ष अदालत ने कहा कि सामान्य सहमति रद्द करने के बाद एजेंसी जाँच जारी नहीं रख सकती थी।

वहीं, ममता सरकार ने कहा कि CBI केंद्र सरकार के अधीन काम कर रही है। खंडपीठ ने कहा कि यह निर्धारित करने के लिए कि यह केस सुनवाई योग्य है। अदालत ने कहा कि, “मौजूदा मुकदमा कानूनी मुद्दा उठा रहा है कि क्या सामान्य सहमति वापस लेने के बाद CBI का कस दर्ज करना और DSPE Act की धारा 6 का उल्लंघन करने वाले मामलों की छानबीन करना जारी रख सकती है।”

बता दें कि यह मुकदमा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत केंद्र सरकार के खिलाफ दाखिल किया गया था। इसमें राज्य सरकार ने कहा है कि दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम 1946 के तहत CBI का गठन हुआ है। राज्य ने कहा कि आम सहमति वापस लेने के बावजूद CBI ने राज्य में हुए अपराधों के संबंध में केस करना जारी रखा। केंद्र की तरफ से पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 131 संघ और राज्यों के बीच विवाद को खत्म करने के लिए है। लेकिन, यह अनुच्छेद CBI पर ये लागू नहीं होता है, क्योंकि यह एजेंसी केंद्र सरकार का हिस्सा नहीं है। इसलिए यह मुकदमा केंद्र सरकार के खिलाफ है।

बता दें कि, बंगाल में CBI , शिक्षक भर्ती घोटाला, राशन वितरण घोटाला, नगर निगम भर्ती घोटाला, गौवंश तस्करी, संदेशखाली जमीन हड़पना और यौन शोषण जैसे जैसे कई आपराधिक मामलों की जांच कर रही है, जिसमे सत्ताधारी TMC के कई नेता गिरफ्तार हुए हैं। ताजा मामले की बात करें तो, कलकत्ता हाई कोर्ट ने संदेशखाली यौन उत्पीड़न मामले की जांच CBI को सौंपी थी, जिसमे TMC नेता शाहजहां शेख मुख्य आरोपी है। ये जांच रुकवाने ममता सरकार सुप्रीम कोर्ट गई थी, लेकिन शीर्ष अदालत ने ये कहते हुए CBI जांच रोकने से इंकार कर दिया था कि, आखिर राज्य साकार किसी (अपराधी) को बचाने कि कोशिश क्यों कर रही है ? यहां से तो ममता सरकार को झटका मिला, अब उन्होंने कह दिया है कि, CBI उनके राज्य में जांच कर ही नहीं सकती, क्योंकि उसके पास राज्य सरकार की सहमति नहीं है। इस मुक़दमे पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट भी राजी हो गया है, अब देखना ये है कि, ये मामला कहाँ तक जाता है।

साइंटिस्ट नंबी नारायणन को कैसे फंसाया गया? सीबीआई ने किया खुलासा

#nambi_narayanan_case_cbi_charge_sheet_in_kerala_court_revealed_truth 

साल 1994 के जिस इसरो जासूसी केस में देश के शीर्ष वैज्ञानिकों में से एक नम्बी नारायणन और 3 अन्य वैज्ञानिकों को फँसाकर उनका करियर खत्म कर दिया गया और देश को क्रायोजेनिक रॉकेट इंजन के विकास में पीछे हो जाना पड़ा, वो पूरा मामला ही फर्जी था। भारत के पद्म विभूषण प्राप्‍त स्‍पेस साइंटिस्‍ट नंबी नारायण से जुड़े 1994 के जासूसी कांड में सीबीआई की चार्जशीट बुधवार को सामने आई।सीबीआई ने केरल की अदालत में दायर अपने आरोपपत्र में कहा है कि 1994 का इसरो जासूसी मामला झूठा था। इसमें दावा किया गया कि केरल पुलिस के तत्कालीन स्‍पेशल ब्रांच अधिकारी ने मालदीव की एक महिला को भारत में अवैध रूप से हिरासत में रखने को सही ठहराने के लिए यह षडयंत्र रचा था।

सीबीआई ने तिरुवनंतपुरम में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में अपना यह आरोपपत्र दाखिल किया है। सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में यह दावा किया कि पुलिस ने नारायणन और मालदीव की दो महिलाओं मरियम रशीदा और फौजिया हसन सहित पांच अन्य को जासूसी मामले में कथित रूप से फंसा दिया था। सीबीआई ने कहा कि केरल पुलिस के एक पूर्व विशेष शाखा अधिकारी ने इसकी साजिश रची थी। मालदीव की एक महिला को अवैध हिरासत में रखने को सही ठहराने के लिए यह केस गढ़ा गया था, क्योंकि उसने उसके प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था। 

सीबीआई ने कहा कि एसपी के पद से रिटायर्ड हुए तत्कालीन स्‍पेशल ब्रांच अधिकारी एस विजयन ने मालदीव की नागरिक मरियम रशीदा के यात्रा दस्तावेज और हवाई टिकट छीन लिए थे ताकि वो देश छोड़कर नहीं जा सके। महिला ने उनके प्रस्ताव को ठुकरा दिया था। एजेंसी ने आगे कहा कि विजयन को पता चला कि वह इसरो के वैज्ञानिक डी शशिकुमारन के संपर्क में थी और उसके आधार पर रशीदा और उसकी मालदीव की दोस्त फौजिया हसन पर निगरानी रखी गई।

सीबीआई ने कहा कि पुलिस ने महिलाओं के बारे में सहायक खुफिया ब्यूरो (SIB) को भी सूचित किया था, लेकिन विदेशी नागरिकों की जांच करने वाले आईबी अधिकारियों को कुछ भी संदिग्ध नहीं मिला। सीबीआई ने कहा कि इसके बाद, रशीदा को विदेशी अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया, क्योंकि वह बिना वैध वीजा के देश में समय से अधिक समय तक रह रही थी। इस बारे में तिरुवनंतपुरम के तत्कालीन पुलिस आयुक्त और तत्कालीन एसआईबी उप निदेशक को जानकारी थी।

सीबीआई ने अपने आरोपपत्र में कहा कि जब रशीदा की विदेशी अधिनियम के तहत हिरासत की अवधि समाप्त होने वाली थी, तो विजयन द्वारा प्रस्तुत एक झूठी रिपोर्ट के आधार पर, उसे और हसन को आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम के तहत एक मामले में फंसाया गया और उनकी हिरासत जासूसी मुद्दे की जांच के लिए गठित एसआईटी को सौंप दी गई। सीबीआई ने कहा कि इसके बाद एसआईटी ने नारायणन सहित चार इसरो वैज्ञानिकों को गिरफ्तार किया। सीबीआई ने आरोपपत्र में कहा है कि उसकी जांच से पता चला है कि जासूसी का मामला “शुरुआती चरण से ही कानून का दुरुपयोग” था, जब मालदीव की नागरिक मरियम रशीदा को अवैध रूप से हिरासत में लिया गया था और कथित तौर पर विजयन के प्रस्ताव को ठुकराने के लिए देश में अधिक समय तक रहने के लिए फंसाया गया था।

एयरोस्पेस इंजीनियर नंबी नारायणन ने भारत के कई रॉकेटों में इस्तेमाल किए जाने वाले विकास इंजन को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। जासूसी के आरोपों के बाद, उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें गंभीर शारीरिक और मानसिक यातनाएं दी गईं। यह यातना 50 दिनों तक चली, जिसके दौरान उनकी प्रतिष्ठा और करियर को बहुत नुकसान पहुंचा।