सरायकेला : चांडिल डैम जलाश्य के किनारे एलिफेंड की आश्रयणी केंद्र साबित होगा,जहां हाथियों की आवाजाही जारी रहेगा
चांडिल अनुमंडल क्षेत्र के ईचागढ़ ,नीमडीह, कुकड़ू आदि प्रखण्ड गजों का बहुल क्षेत्र माना जाता हे। आज के दौर में दलमा सेंचुरी में एक भी गजराज देखने को नही मिलेगा परंतु चांडिल बहुउद्दीशीय परियोजना के तहत बने चांडिल डैम जलाशय में दलमा वाइल्ड लाइफ सेंचुरी के गज परियोजना के कोई ग्रुप में झुंड इस क्षेत्र में डेरा डाला हुआ हे ।
जिसमे विशाल दो ट्रास्कर गजराज विगत कोई महीनो से गांव केंदाआदा के डैम के किनारे होते हुए गजराज आज रात्रि 10 से 11 के बीच ईचागढ़ के मैसाड़ा गांव पहुंचे ।
दो विशाल गजराज ताप्ती धूप और गर्मी में आपने शरीर को ठंडक पहुंचाने के लिए जलाश्य में जलक्रीड़ा करते हुए देखा गया। रात्रि में सभी प्रखंड क्षेत्र के गांव के घरों और जलाश्य किनारे लगे फसलों को भूखे गजराज अपना निवाला बना रहा है।
रात्रि में दो ट्रास्कर मस्त होकर घूमते रहते हैं ,साथ घर में रखे अनाज को टारगेट करते हैं जिसके कारण आज के समय ग्रामीण शाम ढलते ही ,घर से नही निकलते है ।कब और किस समय मौत बनकर आपके आंगन में खड़े हो जिसका डर प्रत्येक गांव। के नागरिक को डर सा समा गया है।
चांडिल डैम जलाश्य के किनारे में खाली जमीन पर हाथियों के लिए बांस और गलगल की पौधे लगाने से पानी ओर भोजन की कमी नही होगा ।
आने वाले समय झारखंड सरकार व वन एब पर्यावरण विभाग ध्यान दे तो एलिफेंट के प्रजनन केंद्र होगा इस क्षेत्र में गजराज का आश्रयणी केंद्र होगा।
चांडिल डैम से विस्थपित जमीन कोई हैक्टर में जमीन खाली पड़े हे।इस क्षेत्र में हाथियों का झुंड डेरा डालकर रहते हे, जो चांडिल वन क्षेत्र में देखने को मिलेगा ।
सरकार को इस क्षेत्र में एलीफेंथ का उद्दान बनाने से सैकड़ों की संख्या में विभिन्न प्रकार के वन्य जीव जंतु आश्रय लेंगे और पर्यटकों के लिए एक बहुत बड़ा पर्यटक स्थल घोषित होगा ।साथ ही वन्य जीव जंतु के लिए संरक्षण का केंद्र होगा ।
Jun 29 2024, 21:04