बिना तुलसी के अधूरी होती है शालिग्राम की पूजा
कृष्णपाल ( के डी सिंह ),पिसावां (सीतापुर) बराहमऊ खुर्द में चल रही श्रीमद भागवत कथा के दौरान कथा वाचक राम जी शास्त्री ने तुलसी शालिग्राम विवाह व वृंदा की कथा सुनाते हुये कहा श्रीमद भागवत पुराण के अनुसार प्राचीन काल में जलंधर नामक राक्षस ने चारों तरफ बड़ा उत्पात मचा रखा था।
वह बड़ा वीर और पराक्रमी था। उसकी वीरता का रहस्य था, उसकी पत्नी वृंदा का पतिव्रता धर्म। उसी के प्रभाव से वह विजयी बना हुआ था। जलंधर के उपद्रवों से परेशान देवगण भगवान विष्णु के पास गए और रक्षा की गुहार लगाई। उनकी प्रार्थना सुनकर भगवान विष्णु ने वृंदा का पतिव्रता धर्म भंग करने का निश्चय किया।
यह कहकर वृंदा अपने पति के साथ सती हो गई। जिस जगह वृंदा सती हुई वहां तुलसी का पौधा उत्पन्न हुआ। विष्णु ने कहा, हे वृंदा, यह तुम्हारे सतीत्व का फल है कि तुम तुलसी बनकर मेरे साथ ही रहोगी। जो मनुष्य तुम्हारे साथ मेरा विवाह करेगा, वह परम धाम को प्राप्त होगा। बिना तुलसी दल के शालिग्राम या विष्णु जी की पूजा अधूरी मानी जाती है। शालिग्राम और तुलसी का विवाह भगवान विष्णु और महालक्ष्मी का ही प्रतीकात्मक विवाह माना जाता है।
Jun 15 2024, 15:08