पीने के पानी की किल्लत बढ़ी, स्वच्छ पेयजल के लिए तरस रहे लोग,शो पीस बनी पानी की टंकी और टोंटियां
खजनी गोरखपुर।भीषण गर्मी में क्षेत्र के ज्यादातर ताल पोखरे सूख चुके हैं, उनमें धूल उड़ रही है। मछली पालन के लिए पट्टे पर दिए गए तालाबों को छोड़ दें तो खजनी कस्बे और आसपास के आधा दर्जन से अधिक गांवों के लोग के लिए पीने के शुद्ध पानी की किल्लत बढ़ गई है और लोग दैनिक उपयोग के पानी के लिए तरस रहे हैं।
बीते कई हफ्तों से सरकारी पानी की सप्लाई के लिए कस्बे और गांवों में लगी टोंटियां सूखी पड़ी हैं,शो पीस बनीं टोंटियां लोगों के मुंह चिढ़ा रही हैं, और उनमें पानी नहीं आ रहा है। जलस्तर कम होने के कारण इंडिया मार्का हैंडपंपों और घरों में लगे छोटे हैंडपंपों से भी कम पानी निकल रहा है। वहीं बड़ी संख्या में हैंडपंप सूख चुके हैं और उनमें से पानी नहीं निकला रहा है।
कस्बे और आसपास के गांवों में हर घर नल योजना के तहत लगाई गई सरकारी पानी की टोंटियों से रोज सुबह-शाम लगभग 3 से 4 घंटे तक पानी के सप्लाई की व्यवस्था की गई है। पानी की इसी व्यवस्था के सहारे क्षेत्र की आम जनता और जलपान की दुकानें चलाने वाले छोटे व्यापारियों की दिनचर्या टिकी हुई है।
आजकल लोगों को अपने घरों और दुकानों के लिए नियमित रूप से रोज पानी खरीदना पड़ रहा है और नकद रूपए दे कर पानी खरीद कर पीना सभी की मजबूरी बन गई है।कस्बे और आसपास के चौराहों पर जलपान की दुकानें चलाने वाले दुकानदार अब रोजाना अपनी खपत के अनुसार 4 से 5 डिब्बे फिल्टर आर.ओ का पानी खरीदते हैं, तभी उनकी दुकानदारी चल पाती है। जलपान की दुकान और होटल चलाने वाले रामप्रताप मोदनवाल, लक्ष्मी मोदनवाल,राजू मोदनवाल, मुकुंद मोदनवाल,पिंटू, राजकुमार, अभिषेक पाण्डेय,सोनू, महेश,बंटी, प्रदीप, दीपक आदि ने बताया कि इतनी भीषण गर्मी में पानी की किल्लत हो गई है।
दुकान पर आने वाले ग्राहकों को यदि पीने के लिए साफ पानी न दिया जाए तो दुकानों पर जलपान और नाश्ते के लिए लोग नहीं आएंगे। सप्लाई का पानी नहीं आ रहा है इसलिए पानी खरीदना हम सभी की मजबूरी हो गई है। रूद्रपुर गांव के निवासी मोतीलाल, ओमप्रकाश यादव, सुधीर तिवारी, विकास, अंकित, मनोज, अमित और संजय तथा खुटभार गांव के अमरनाथ, विजय, संदीप, संतोष, शिवकुमार, लखन आदि दर्जनों लोगों ने बताया की पानी आता भी है तो बहुत ही धीमा पतली धार होती है एक बाल्टी पानी भरने में 20 मिनट का समय लग जाता है अब घर में पीने के लिए भी रोज पानी खरीदना पड़ रहा है।
कस्बे में हांथी के दांत की तरह शो पीस बनी हुई है 32 हजार लीटर छमता की पानी की टंकी से महीने में 20 दिन पानी आता ही नहीं है। इस भीषण गर्मी में कस्बे, बाजारों और चौराहों पर पेयजल के लिए मुफ्त प्याऊ अथवा वाटर एटीएम की भी कोई व्यवस्था नहीं है। इंसानों के साथ ही पीने के पानी के लिए पशु पक्षी भी बेहाल नजर आते हैं। स्थानीय लोगों के लिए भी अब 20? प्रति लीटर की दर से बोतल बंद पानी खरीद कर पीना पड़ रहा है।
Jun 13 2024, 14:17