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Jun 11 2024, 13:42

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने चुनाव के बाद कहा, भ्रम में न रहें, विवादों से बचें और विपक्ष को विरोधी नहीं प्रतिपक्ष कहें



राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत लंबे समय से सार्वजनिक जीवन करीब मौन जैसी स्थिति में थे. चुनाव के तुरंत बाद नागपुर में संघ से ही जुड़े कार्यकर्ता विकास वर्ग द्वितीय के समापन कार्यक्रम में उन्होंने कुछ खरी-खरी बातें की हैं. जिसके बाद सियासी जगत में उसे लेकर चर्चाएं हैं. अपने अपने तरीके से ये समझने की कोशिश हो रही है कि उन्होंने ये बातें क्यों कहीं हैं. चूंकि संघ और बीजेपी का नाता इतना अटूट है लिहाजा भागवत की बातों को एक वर्ग सत्ता पक्ष को नसीहत के तौर पर देख रहा है तो दूसरा वर्ग इस तौर पर कि संघ देश में कटुता के माहौल में बदलाव चाहता है.


जानकार कहते हैं कि संघ और बीजेपी में आमतौर पर कभी कोई विवाद रहता नहीं. अगर कोई मतभेद आते भी हैं तो वो उसे पर्दे के पीछे ही सुलझा भी लेते हैं. वो ये भी मानते हैं कि संघ कभी बीजेपी के किसी कार्यविधि या गतिविधियों से हाथ नहीं खींचता, उसमें सहयोग भी देता है और नजर भी रखता है. उनका मानना है कि संघ और बीजेपी में मतभेद की खबरें जानबूझकर भ्रम में रखने के लिए फैलाई जाती हैं.


आरएसएस प्रमुख भागवत चुनावों के दौरान करीब शांत रहे, उससे पहले भी उन्होंने देश के हालात या मुद्दों पर कोई खास प्रतिक्रिया नहीं दी है. ये संयोग है कि केंद्र में दोबारा बीजेपी की अगुवाई और नरेंद्र मोदी की लीडरशिप में एनडीए की सरकार बनने के बाद उनका इतना दोटूक कहने वाला भाषण सामने आया है. पहली बार सार्वजनिक तौर पर किसी कार्यक्रम में ना केवल दिया गया बल्कि संघ ने उसे अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म में प्रमुखता से जगह भी दी है.


एक्स में संघ के आधिकारिक हैंडल पर भागवत के भाषण को प्रमुखता से पोस्ट किया गया. अगर इसके लब्बो-लुआब को जानें तो इसके पांच प्वाइंट्स निकलते हैं.

बयानबाजी से बचें और काम करें, चुनाव मोड से निकलें
प्रत्यक्ष तौर पर देखें तो ऐसा लगता है कि जैसे उन्होंने ये कहा कि चुनाव प्रचार में जिस तरह एक दूसरे को लताड़ने, तकनीक का दुरुपयोग करने के साथ  असत्य को प्रसारित करने का जो काम हुआ है, वो ठीक नहीं है.

ऐसा लगता है कि उनकी इस बात के निशाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हैं, जिन पर विपक्ष ने नकारात्मक बयानबाजी करने, वैमनस्य फैलाने और तथ्यों से परे चुनाव प्रचार का आरोप लगाया है तो बीजेपी ने यही बात विपक्षी दलों के लिए कही. दरअसल भागवत अपनी इस बात से सभी को नसीहत दे रहे हैं कि अब चुनाव हो चुका है. चुनावों में आरोप प्रत्यारोप के बाद देश का माहौल तनावपूर्ण हो जाता है. उनके निशाने पर केवल बीजेपी को नहीं समझा जाना चाहिए बल्कि समूचे विपक्ष को भी माना जाना चाहिए.

मणिपुर की बात पर कौन है असल निशाने पर
मणिपुर में जो स्थिति है, वो करीब सालभर से बनी हुई है. वहां तनाव है. इसे लेकर राज्य के मुख्यमंत्री वीरेन सिंह पर सीधे आरोप लगे कि इस जातीय समस्या में एक वर्ग का साथ दे रहे हैं. वहां हो रही व्यापक हिंसा के बाद भी केंद्र को जो कार्रवाई करनी चाहिए, वो उन्होंने नहीं की, इसी वजह से मणिपुर लगातार आग में जल रहा है.

भागवत ने भाषण में कहा कि दस साल पहले मणिपुर अशांत था. फिर पिछले दस सालों तक शांत रहा. वहां का पुराना बंदूक कल्चर खत्म हो चुका था लेकिन फिर वो हिंसा की राह पर चल पड़ा. वो कहते हैं, अचानक जो कलह उपजा या उपजाया गाय, उस पर कौन ध्यान देगा. इस पर प्राथमिकता से विचार करना होगा.

ये कहकर भागवत साफतौर पर केंद्र की यूपीए सरकार और मणिपुर की पिछली राज्य सरकारों को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं. अगर वो कहते हैं कि दस सालों तक ये राज्य शांत रहा तो वो उसका श्रेय मौजूदा केंद्र और राज्य की सरकार को ही देते लग रहे हैं.  ये समझा जाना चाहिए कि संघ भी मानता है कि बाहरी तत्वों के जरिए मणिपुर में हिंसा का ये खेल खेला गया.  हालांकि वो चाहते हैं कि अब मणिपुर को प्राथमिकता में रखकर इससे निपटा जाए. हो सकता है कि भविष्य में आपको वहां संघ अपनी गतिविधियां बढ़ाते हुए व्यापक तौर पर काम करता नजर आए. अभी नार्थईस्ट में संघ काफी काम कर रहा है लेकिन उसकी वो मौजूदगी मणिपुर में नहीं है. राज्य में पिछले कुछ सालों में ईसाई मिशनरियों का प्रसार और असर भी बढ़ा है.

मैतेई मणिपुर का सबसे बड़ा समुदाय है. मैतेई का राजधानी इंफाल में प्रभुत्व है और इन्हें आमतौर पर मणिपुरी कहा जाता है. 2011 की जनगणना के अनुसार मैतेई राज्य की आबादी का 64.6 प्रतिशत हैं. हालांकि इसके बावजूद मणिपुर की भूमि के लगभग 10 प्रतिशत हिस्से पर ही उनका कब्जा है. कुकी आमतौर ईसाई हैं और उन्हें मैतेई बाहरी मानता है.

चुनाव के बाद सहमति बने

भागवत ने अपने भाषण में संसद से लेकर सियासी जगत में सत्ता पक्ष और विपक्ष में सहमति बनाने की बात अगर कर रहे हैं तो ये नसीहत तो मोदी सरकार को ज्यादा लगती है, जिन्होंने पिछले दस सालों में प्रचंड बहुमत के बाद विपक्ष के स्वर को अनसुना किया है, ये आरोप भी उन पर लगते रहे हैं.

लोकतंत्र में सत्ता पक्ष से सवाल करना जायज और स्वस्थ

लोकतंत्र की निशानी मानी जाती है. भागवत अगर ऐसा चाह रहे हैं तो कहना चाहिए कि मौजूदा हालात में उसे लगता है कि मोदी और उनके नेताओं को संसद और बाहर टकराव से बचते हुए काम करना चाहिए. हालांकि ये बात भी दीगर है कि वर्ष 2014 में सत्ता में आने के बाद से पहली बार मोदी सरकार अल्पमत में है, लिहाजा विपक्ष के साथ टकराव के साथ चलना उनकी राह में दिक्कतें ज्यादा लाएगा.

विपक्ष को विरोधी नहीं प्रतिपक्ष कहें

पिछले दस सालों में देश के सियासी माहौल में कटुता बढ़ी है. सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच दूरी बढ़ी है. संघ प्रमुख भागवत ने भाषण में कहा कि विरोधी पार्टियों को विपक्ष की बजाए प्रतिपक्ष कहना चाहिए. प्रतिपक्ष का अर्थ होता है अपना ही दूसरा पक्ष. हमारी प्राचीन संस्कृति में सत्ता पक्ष से सवाल पूछने वाले दूसरे पक्ष को प्रतिपक्ष ही कहे जाने की परिपाटी थी. अपोजिशन अंग्रेजी का शब्द है, जिसका अर्थ विरोधी या विपक्ष होता है. अब तक हमारे संसदीय लोकतंत्र में सत्ता पक्ष के अलावा दूसरे पक्ष को विपक्ष ही कहते हैं लेकिन ये देखना चाहिए कि लोकतंत्र में सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच पहले एक गरिमापूर्ण आचरण रहता आया था. जो पिछले कुछ दशकों में खत्म हुआ है. बेशक भागवत ये कहकर अगर सत्ता पक्ष को सहमति बनाने की नसीहत दे रहे हैं तो ऐसा नहीं कि विपक्ष को क्लीनचिट दे रहे हैं बल्कि उनसे भी विरोधी की बजाए एक अच्छे विपक्षी की तरह व्यवहार की अपेक्षा कर रहे हैं. हालांकि इस तरह की भावना हमारे देश के सियासी माहौल में आ पाएगी, ये बड़ा सवाल है.

तो कुल मिलाकर ये जरूर लग सकता है कि भागवत के निशाने पर मोदी और बीजेपी है लेकिन वास्तव ऐसा लगता नहीं. बल्कि वह अगर सत्ता पक्ष को कुछ संभलने की ताकीद कर रहे हैं तो विपक्ष को भी बेहतर होने की सलाह दे रहे हैं.

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Jun 11 2024, 13:40

लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद अब मध्यप्रदेश में Jitu Patwari को फ्री हैंड…अगले सप्ताह से बैठकों का दौर, कहा, पार्टी को जीरो लेवल से खड़ी करें




दिल्ली में हुई कांग्रेस की वर्किंग कमेटी की बैठक में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्षों के कामों और लोकसभा चुनाव परिणामों की समीक्षा हुई। बैठक में तय किया गया कि किसी भी राज्य के अध्यक्ष को अभी नहीं हटाया जाएगा, वहीं प्रदेश में सभी सीटें गंवाने वाले जीतू पटवारी को फ्री हैंड दिया गया है। अगले सप्ताह से इसका असर भी देखने को मिलेगा। पूरी कांग्रेस को अब जीरो पाइंट से खड़ा किए जाने की बात की जा रही है।



प्रदेश के बड़े नेताओं के निशाने पर चल रहे पटवारी से कल दिल्ली में प्रदेश कांग्रेस की स्थिति के बारे में  और यहां से हारी हुई 27 सीट को लेकर भी बात की गई। बैठक में Jitu Patwari के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह, प्रदेश प्रभारी भंवर जितेन्द्रसिंह और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार भी मौजूद रहे। वर्किंग कमेटी की बैठक में जब मध्यप्रदेश की बारी आई तो प्रभारी जितेन्द्रसिंह ने संगठन को लेकर अपनी बात कही। हार का एक बड़ा कारण लाडली बहना योजना को बताया। उन्होंने कहा कि स्थानीय प्रशासन ने भी भाजपा के उम्मीदवार को सहयोग किया।


बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े, राहुल गांधी ने पटवारी से कहा कि मध्यप्रदेश में अब संगठन को मजबूती से खड़ा करने का काम करो और अब जो चुनाव आए, उसमें अच्छे परिणाम आए इस पर ध्यान दो। पटवारी ने अलग से भी कुछ नेताओं से भी बात की। पटवारी को आलाकमान ने फ्री हैंड दे दिया हैं और दिल्ली से लौटने के बाद इसका असर भी दिखने वाला है। अगले सप्ताह भोपाल में संगठन की बैठक भी रखी जा रही है, जिसमें कई अहम फैसले लिए जा सकते हैं।

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Jun 11 2024, 13:39

उत्तराखंड: नई सरकार बनते ही उत्तराखंड को मिली बड़ी सौगात, CM धामी ने जताया PM मोदी का आभार



केंद्र में नवगठित मोदी सरकार ने उत्तराखंड सरकार को केंद्रीय करों में हिस्सेदारी के रूप में 1562.44 करोड़ रुपए की धनराशि जारी की है। केंद्र के इस कदम से प्रदेश सरकार को विकास कार्यों के लिए धन उपलब्ध हो गया है।

केंद्र सरकार ने केंद्रीय करों में राज्य की हिस्सेदारी के रूप में उत्तराखंड को मिलने वाली जून माह की धनराशि के साथ एक अतिरिक्त किस्त भी जारी की है। दो माह की यह किस्त से देश के तमाम राज्यों के साथ ही उत्तराखंड को भी राहत मिली है। केंद्र की नई सरकार का नया बजट अभी आना है।
नया बजट आने से पहले केंद्र सरकार ने उठाया कदम
इससे पहले केंद्र सरकार की ओर से वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए अंतरिम बजट प्रस्तुत किया था। अब नई सरकार गठित हो चुकी है। नया बजट आने से पहले केंद्र सरकार ने यह कदम उठाया है।

सीएम धामी ने जताया पीएम मोदी का आभार  


मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कर हस्तांतरण प्रक्रिया में उत्तराखंड को 1562.44 करोड़ की धनराशि जारी करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का आभार व्यक्त किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस धनराशि के माध्यम से प्रदेश की विकास योजनाओं के सफल क्रियान्वयन के साथ ही नई योजनाओं के संचालन में सहायता प्राप्त होगी।

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Jun 11 2024, 13:34

PM मोदी के शपथ लेते ही शेयर बाजार ने रचा इतिहास, Sensex पहली बार 77000 के पार


देश में NDA की सरकार आ चुकी है तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निरंतर तीसरी बारे पीएम पद की शपथ ली है. सोमवार को मोदी 3.0 को शेयर बाजार (Stock Market) ने भी सलाम किया है तथा इतिहास रच दिया. दरअसल, हफ्ते के पहले दिन सोमवार को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स (Sensex) 323.64 अंक की जबरदस्त तेजी के साथ पहली बार 77,000 के स्तर के पार निकल गया. ये 77,017 के लेवल पर खुला. वहीं नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के निफ्टी इंडेक्स (Nifty) ने भी बाजार खुलने के साथ ही 105 अंकों की छलांग लगा दी. पिछले हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन शुक्रवार को BSE का सेंसेक्स तथा निफ्टी जोरदार बढ़त के साथ बंद हुआ था. BSE Sensex 1618.85 अंक या 2.16 प्रतिशत की तेजी के साथ 76,693.41 के स्तर पर बंद हुआ था. शेयर बाजार (Share Market) में पिछले शुक्रवार की तेजी जारी रही तथा Sensex 77,017 के स्तर पर खुलने के बाद और तेजी लेते हुए 77,079.04 के स्तर पर पहुंच गया, जो कि BSE इंडेक्स का नया ऑल टाइम हाई लेवल है. मार्केट में कारोबार की शुरुआत के साथ लगभग 2196 शेयर तेजी के साथ हरे निशान पर ओपन हुए, जबकि 452 कंपनियों के शेयरों ने गिरावट के साथ लाल निशान पर कारोबार आरम्भ किया. वहीं 148 शेयरों की स्थिति में कोई बदलाव दिखाई नहीं दिया. शुरुआती कारोबार में निफ्टी इंडेक्स पर अडानी पोर्ट्स (Adani Ports), पावर ग्रिड (Power Grid Corp), बजाज ऑटो (Bajaj Auto), कोल इंडिया (Coal India) एवं श्रीराम फाइनेंस (Shriram Finance) के शेयरों में सबसे अधिक तेजी देखने को मिली. इसके विपरीत टेक महिंद्रा (Tech Mahindra), इंफोसिस (Infosys), डॉ रेड्डीज लैब (Dr Reddy's Labs), एलटीआई माइंडट्री (LTIMindtree) एवं हिंडाल्को (Hindalco) के शेयरों में गिरावट दर्ज की गई. शेयर बाजार में लिस्टेड भारतीय अरबपति गौतम अडानी (Gautam Adani) की कंपनियों के शेयरों में तेजी देखने को मिली. Adani Ent, Adani Port से लेकर Adani Power का शेयर तेजी के साथ ट्रेड कर रहा था. तो वहीं एशिया के सबसे अमीर इंसान मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज का शेयर (Reliance Share) भी लगभग 1 प्रतिशत की तेजी के साथ कारोबार कर रहा था. वहीं लार्ज कैप शेयरों में पावर ग्रिड का शेयर 3.65 प्रतिशत, अल्ट्राटेक सीमेंट 2.36 फीसदी, एक्सिस बैंक 1.74 फीसदी की तेजी के साथ कारोबार कर रहा था. इसके अतिरिक्त मिडकैप कैटेगरी में Patanjali Share 4.98 प्रतिशत, Whirlpool Share 3.14 प्रतिशत, IDBI Share 3.46 प्रतिशत, Bank Of India Share 3.00 प्रतिशत के तेजी के साथ कारोबार कर रहे थे. वहीं स्मालकैप कंपनियों में Wardinmobi Share 20 प्रतिशत, Reliance Infra में 11 प्रतिशत की तेजी दर्ज की गई.

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Jun 11 2024, 13:08

नीट मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एनटीए को जारी किया नोटिस, काउंसलिंग पर रोक से इनकार*
#supreme_court_refuses_to_stay_neet_counselling_process_issues_notice_to_nta
नीट प्रवेश परीक्षा 2024 के रिजल्ट आने के बाद घमासान मचा हुआ है। नीट परीक्षा परिणाम में कथित गड़बड़ी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली गई थी। याचिका में 1 हजार 563 उम्मीदवारों को ग्रेस मार्क्स देने के फैसले को चुनौती दी गई है। याचिका में परीक्षा को रद्द करने की मांग की गई है।इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया है। सुप्रीम कोर्ट ने नीट की काउंसलिंग पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल टेस्टिंग एजेंसी यानी एनटीए को इस मामले में नोटिस जारी है। शीर्ष अदालत ने कहा कि परीक्षा की पवित्रता प्रभावित हुई है। ऐसे में एनटीए से जवाब बनता है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को नीट एग्जाम से जुड़ी इस याचिका पर सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान काउंसिलिंग पर फिलहाल रोक लगाने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने एनटीए को नोटिस जारी किया और कहा कि परीक्षा की पवित्रता प्रभावित हुई है। हमें एनटीए से जवाब चाहिए। मंगलवार को सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की अवकाशकालीन पीठ ने एमबीबीएस, बीडीएस और अन्य पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए पास उम्मीदवारों की काउंसलिंग पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। वहीं परीक्षा रद्द करने से भी मना कर दिया। अवकाश पीठ ने एनटीए से कहा, 'यह इतना भी आसान नहीं है, क्योंकि आपने यह कराया है, इसलिए इसकी पूरी प्रक्रिया पर अंगुली नहीं उठाई जा सकती। पवित्रता पर असर पड़ा है।' याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश अधिवक्ता मैथ्यू जे नेदुमपारा ने पीठ से काउंसलिंग प्रक्रिया पर रोक लगाने का अनुरोध किया। हालांकि, शीर्ष अदालत ने काउंसलिंग प्रक्रिया पर रोक लगाने से इनकार कर दिया और मामले की सुनवाई के लिए आठ जुलाई का समय दिया। पीठ ने कहा, 'काउंसलिंग शुरू होने दीजिए, हम काउंसलिंग नहीं रोक रहे हैं।' बता दें कि नीट यूजी 2024 का रिजल्ट 4 जून को जारी किया गया था। नीट परीक्षा में एक साथ 67 स्टूडेंट्स ने टॉप किया है। कई छात्रों का रिजल्ट ऑनलाइन शो नहीं हो रहा था। कई छात्रों के नंबर कम थे। ओएमआर शीट के मुताबिक जितने नंबर मिलने चाहिए थे उतने नहीं मिले। जब से नीट यूजी के रिजल्ट आए हैं, तब से देश के कई हिस्सों में प्रदर्शन हो रहे हैं। जगह-जगह छात्र सड़कों पर उतर चुके हैं और एग्जाम रद्द करने की मांग कर रहे हैं। ये छात्र नीट एग्जाम रिजल्ट में धांधली का आरोप लगाकर प्रदर्शन कर रहे हैं।

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Jun 11 2024, 12:10

विदेश मंत्री का पद संभालने के बाद एस जयशंकर ने चीन-पाकिस्तान को लेकर साफ किया रूख, जानें क्या होगा प्लान?*
#foreign_minister_s_jaishankar_clarified_his_stand_on_china-pakistan
राजनयिक से नेता बने एस जयशंकर ने मंगलवार को लगातार दूसरे कार्यकाल के लिए विदेश मंत्री के रूप में पदभार संभाल लिया। अपना पदभार संभालते ही उन्होंने विदेश नीति के मोर्चे पर सरकार की योजनाओं के बारे में बात की।बतौर विदेश मंत्री कार्यभार संभालने के बाद एस जयशंकर ने पत्रकारों के साथ बातचीत में विदेश मंत्रालय के विजन सामने रखा। इस दौरान चीन और पाकिस्तान को लेकर भी अगले पांच साल के रिश्तों पर विदेश मंत्री जयशंकर ने भारत का रुख साफ कर दिया है। नरेंद्र मोदी सरकार 3.0 में विदेश मंत्री का पदभार संभालने के बाद पहली बार बोलते हुए जयशंकर ने कहा, ‘किसी भी देश में और खासकर लोकतंत्र में, लगातार तीन बार सरकार का चुना जाना बहुत बड़ी बात होती है। इसलिए दुनिया को निश्चित रूप से लगेगा कि आज भारत में काफी राजनीतिक स्थिरता है। भारत के लोग प्रधानमंत्री पर विश्वास करते हैं। दुनिया ने पिछले 10 साल में जो हमारा रिकार्ड देखा है, उससे दुनिया को लगेगा कि हम दुनिया के साथ अपने हित के साथ हम अपना योगदान भी रखेंगे।’ एस जयशंकर ने आगे कहा "जहां तक चीन और पाकिस्तान की बात है, इन देशों के साथ भारत के रिश्ते थोड़े अलग हैं। इस वजह से समस्याएं भी अलग हैं। चीन के संबंध में हमारा ध्यान सीमा मुद्दों का समाधान खोजने पर होगा और पाकिस्तान के साथ हम वर्षों पुराने सीमा पार आतंकवाद के मुद्दे का समाधान खोजना चाहेंगे।" बता दें कि विदेश मंत्री के रूप में वर्ष 2019 से कार्यभार संभालने वाले जयशंकर ने वैश्विक मंच पर कई जटिल मुद्दों को लेकर भारत के रुख को साफगोई से पेश किया है। जयशंकर ने यूक्रेन में युद्ध के मद्देनजर रूस से कच्चे तेल की खरीद पर पश्चिमी देशों की आलोचना की काट करने से लेकर चीन से निपटने के लिए एक दृढ़ नीति-दृष्टिकोण तैयार करने तक प्रधानमंत्री मोदी की पिछली सरकार में अच्छा काम करने वाले टॉप मंत्रियों में से एक के रूप में उभरे। उन्हें विदेश नीति के मामलों को खासकर भारत की जी-20 की अध्यक्षता के दौरान घरेलू पटल पर विमर्श के लिए लाने का श्रेय भी दिया जाता है। वर्तमान में जयशंकर गुजरात से राज्यसभा के सदस्य हैं।जयशंकर ने (2015-18) तक भारत के विदेश सचिव, अमेरिका में राजदूत (2013-15), चीन में (2009-2013) और चेक गणराज्य में राजदूत (2000-2004) के रूप में कार्य किया है। वह सिंगापुर में भारत के उच्चायुक्त (2007-2009) भी रहे। जयशंकर ने मॉस्को, कोलंबो, बुडापेस्ट और टोक्यो के दूतावासों के साथ-साथ विदेश मंत्रालय और राष्ट्रपति सचिवालय में अन्य राजनयिक पदों पर भी काम किया है।

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Jun 11 2024, 11:02

रियासी आतंकी हमले का पाकिस्तानी कनेक्शन, आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ रहे हमले के तार*
#pakistani_terrorists_involved_in_attack_on_a_bus_full_of_devotees
जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में शिवखोड़ी धाम से दर्शन कर लौटते समय तीर्थयात्रियों की बस पर आतंकी हमले के तार पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ रहे हैं।एजेंसियों को पाकिस्तान आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा पर शक है। हमले का पेटर्न लश्कर से मेल खाता है। जांच एजेंसी के मुताबिक, हमलावर अभी भी घाटी में छिपे हैं, जिनकी तलाश जारी है।हमले के दो संदिग्धों की तस्वीर सामने आई है। जारी की तस्वीरों में एक आतंकी अबु हमजा और दूसरा अदून बताया जा रहा है। इन दोनों आतंकियों पर श्रद्धालुओं की बस पर हमला करने का आरोप है। हमले में लश्कर-ए-ताइबा के तीन पाकिस्तानी आतंकी शामिल थे। इसमें लश्कर कमांडर अबु हमजा के भी शामिल होने का शक है। आतंकियों ने हमले में अमेरिकी एम-4 राइफल का इस्तेमाल किया था। चौथे आतंकी की मौजूदगी की भी आशंका जताई जा रही है। घायल तीर्थ यात्रियों के बयानों के आधार पर अधिकारियों का कहना है उन्होंने मौके पर मौजूद चौथे व्यक्ति की संभावना से इनकार नहीं किया है। दरअसल, घायलों का कहना है कि घटनास्थल चौथा शख्स भी था, जो आतंकियों की मदद कर रहा था। आशंका जताई जा रही है कि आतंकी रियासी और राजोरी से सटे जंगलों की ऊंची पहाड़ियों पर गुफाओं में छिपे हो सकते हैं। जिसके बाद आतंकियों को खोजने के लिए बड़े पैमाने पर सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है।आतंकियों की तलाश में ड्रोन और खोजी कुत्तों की मदद से रियासी व राजोरी के जंगल में अभियान चलाया जा रहा है। बता दें कि रविवार को श्रद्धालुओं से भरी बस शिवखोड़ी से कटरा लौट रही थी। तभी बस पर आतंकियों ने अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी और बस खाई में जा गिरी। ये आतंकी हमला जम्मू के रियासी में हुआ जहां बस में सवार 10 श्रद्धालुओं की मौत हो गई और 33 घायल हैं। वहीं जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने रियासी जिले में बस पर हुए आतंकवादी हमले में मारे गए लोगों के परिजनों को 10-10 लाख रुपये की अनुग्रह राशि दिये जाने की घोषणा की। सिन्हा ने घायलों को भी 50-50 हजार रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की।

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Jun 11 2024, 10:19

मोदी सरकार 3.0 कोर टीम में कोई बदलाव नहीं, रक्षा, गृह, विदेश और वित्त मंत्रालय भाजपा के पास*
#pm_modi_allocate_portfolios_to_minister_not_change_in_core_team_ccs
देश में नई सरकार के गठन के बाद मंत्रालयों का बंटवारा भी हो गया है। मोदी सरकार 3.0 में ज्यादातर पुराने मंत्रियों को शपथ दिलाई गई है। मंत्रालयों के बंटवारे से भी अब यह साफ हो गया है कि एनडीए-3 सरकार पिछले कार्यकाल की तरह ही चलेगी। पिछली सरकार की तरह ही इस बार ही सीसीएस यानी कैबिनेट कमिटी ऑन सिक्योरिटी में वही चेहरे हैं। प्रधानमंत्री के अलावा विदेश मंत्री, रक्षा मंत्री, वित्त मंत्री और गृह मंत्री सीसीएस का हिस्सा होते हैं और ये चारों सबसे पावरफुल मंत्रालय माने जाते हैं। एनडीए-3 में भी विदेश मंत्री एस जयशंकर, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और गृह मंत्री अमित शाह को बनाया गया है। प्रधानमंत्री ने देश की सुरक्षा को भी पहली प्राथमिकता दी है। इसके लिए उन्होंने सीसीएस यानी कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी यानी सीसीएस के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की है। प्रधानमंत्री ने इन चारों ही विभागों के मंत्रियों को उसी पोस्ट पर रिपीट किया है। इसके तहत अमित शाह एक बार फिर गृहमंत्री बने हैं तो राजनाथ सिंह के कंधों पर रक्षा मंत्रालय का प्रभार रहेगा। इसी प्रकार निर्मला सीतारमण वित्त तो विदेश मंत्रालय की जिम्मेदारी एस जयशंकर ही संभालेंगे। एनडीए की पहली सरकार जब बनी थी, तो इन मंत्रालयों को गठबंधन के साथियों के साथ बांटा गया था। लेकिन, 2014 से 2019 के दौरान एनडीए के दो कार्यकाल में चारों मंत्रालय भाजपा के पास रहे, क्योंकि भाजपा के पास पू्र्ण बहुमत था। हालांकि, इस बार नतीजों के तुरंत बाद कयास लगाए जा रहे थे कि इन मंत्रालयों में से एक-एक मंत्रालय गठबंधन के सबसे बड़े साथी तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) और जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) मांग सकते हैं। लेकिन, कयासों के विपरीत इस मामले में अमर उजाला के अनुमान के मुताबिक चारों मंत्रालयों में बिना कोई बदलाव किए पीएम मोदी ने साफ संदेश दिया है कि गठबंधन सरकार के बावजूद उनके तीसरे कार्यकाल में भी पहले दो कार्यकाल की तरह तेजी से फैसले लिए जाएंगे। ऐसा करके प्रधानमंत्री ने देशवासियों के सामने साफ कर दिया है कि आंतरिक और बाहरी सुरक्षा के मामले में सरकार पिछले कार्यकाल की तरह ही आक्रामक बनी रहेगी। दरअसल देश की सुरक्षा से संबंधित सभी तरह के मसलों पर निर्णय प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में यही सीसीएस कमेटी ही करती है। 2009 से 2014 तक कांग्रेस के नेतृत्व में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) की सरकार के दौरान ये अहम मंत्रालय कांग्रेस ने भी अपने पास ही रखे थे। सीसीएस के साथ ही ज्यादातर मंत्रियों के मंत्रालय नहीं बदले गए हैं। धर्मेंद्र प्रधान को इस बार भी शिक्षा मंत्री बनाया गया है। नितिन गडकरी को पिछली बार की तरह सड़क और परिवहन मंत्रालय दिया गया है। पीयूष गोयल को कॉमर्स और इंडस्ट्री मंत्रालय दिया गया है जिसका उन्हें अनुभव है। वीरेंद्र कुमार को पहले की तरह सामाजिक न्याय मंत्रालय दिया गया है। हरदीप पुरी को पेट्रोलियम मंत्रालय दिया गया है जो पहले भी उनके पास था। अश्विनी वैष्णव को पहले की तरह रेल और आईटी मंत्रालय दिया गया है साथ ही इस बार उन्हें सूचना और प्रसारण मंत्री भी बनाया गया है। भूपेंद्र यादव को पहले की तरह एनवायरमेंट मंत्रालय दिया है। जेपी नड्डा को स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया है वह पहले ही स्वास्थ्य मंत्री रह चुके हैं। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री रहे मनोहर लाल खट्टर को ऊर्जा और अर्बन डिवेलपमेंट मंत्रालय दिया गया है। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान को कृषि मंत्रालय दिया है।

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Jun 10 2024, 19:56

*शिवराज को कृषि, गडकरी को फिर सड़क परिवहन, मोदी 3.0 में मंत्रालयों का हो रहा है बंटवारा, जानें किसे क्या मिला*
#pm_narendra_modi_cabinet_portfolio_distribution
नरेंद्र मोदी ने रविवार को लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। उनके साथ 71 सांसदों को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई। मंत्रियों के शपथ ग्रहण के बाद अब उनके विभागों का बंटवारा हो रहा है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने तीसरे कार्यकाल में मंत्रिपरिषद के सहयोगियों के बीच विभागों का बंटवारा कर दिया है। खबरों के मुताबिक नितिन गडकरी को लगातार तीसरी बार सड़क परिवहन मंत्रालय मिलने के आसार हैं।वहीं, हर्ष मल्होत्रा और अजय टमटा को सडक परिवहन मंत्रालय में राज्यमंत्री का प्रभार गया है। विदेश मंत्रालय एस जयशंकर के पास ही रहेगा। जयशंकर मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में भी विदेश मंत्री थे। *जानें किसे मिला कौन सा मंत्रालयः-* • ज्योतिरादित्य सिधिया टेलीकॉम मंत्रालय संभालेंगे. • भूपेंद्र यादव को पर्यावरण मंत्री की कमान दी गई है. • प्रह्लालाद जोशी को उपभोक्ता मंत्री बनाया गया है. • मोदी सरकार में रवनीत बिट्टू अल्पसंख्यक राज्यमंत्री बनाए गए. • सर्बानंद सोनोवाल को जहाजरानी मंत्रालय की कमान दी गई है. • टीडीपी नेता राममोहन नायडू को नागरिक उड्डयन मंत्रालय का जिम्मा सौंपा गया है. • बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा को स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया है. • धर्मेंद्र प्रधान मोदी 3.0 में भी शिक्षा मंत्री बने रहेंगे. • किरण रिजिजू को संसदीय कार्य मंत्री बनाया गया है. • चिराग पासवान को खेल एवं युवा मंत्रालय की कमान सौंपी गई है. • गजेंद्र शेखावत को कला पर्यटन और संस्कृति मंत्री बनाया गया है. इसके अलावा सुरेश गोपी को पर्यटन कला संस्कृति राज्य मंत्री बनाया गया है. • पीयूष गोयल को वाणिज्य मंत्री बनाया गया है, जबकि श्रीपद नाईक को ऊर्जा राज्यमंत्री बनाया गया है. • मोदी 3.0 में सीआर पाटिल को जल शक्ति मंत्रालय की कमान सौंपी गई है. • शिवराज सिंह चौहान को दो मंत्रालय मिले हैं, उन्हें पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्रालय की कमान सौंपी गई है. इसके अलावा उन्हें कृषि मंत्रालय भी सौंपा गया है. • अश्विनी वैष्णव को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की कमान सौंपी गई है. वैष्णव मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में रेल मंत्री थे. • हरियाणा से बीजेपी नेता और पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर को पावर मिनिस्टर बनाया गया है. वहीं, श्रीपद नायक एमओएस पावर होंगे. • मनोहर लाल खट्टर को आवास एवं शहरी मामलों का प्रभार भी मिल सकता है, तोखन साहू राज्यमंत्री होंगे. • विदेश मंत्रालय की कमान एक बार फिर से एस जयंशकर को दिया गया है बता दें कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने प्रधानमंत्री मोदी और मंत्रिपरिषद के उनके 71 सहयोगियों को नौ जून की शाम सवा सात बजे से आयोजित समारोह में पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई थी। लगातार तीसरी बार बनी एनडीए सरकार के मंत्रिमंडल में सात महिला मंत्रियों को जगह मिली है। प्रधानमंत्री ने पूर्व वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पर एक बार फिर भरोसा दिखाया है। सीतारमण के अलावा पूर्व राज्यमंत्री अन्नपूर्णा देवी, उत्तर प्रदेश से निर्वाचित अनुप्रिया पटेल और कर्नाटक से निर्वाचित शोभा करंदलाजे को एक बार फिर मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। पहली बार मंत्री बनने वाली महिला नेताओं में 37 वर्षीय रक्षा निखिल खड़से का नाम भी शामिल है।

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Jun 10 2024, 19:04

मोदी की नई कैबिनेट का पहला फैसला, पीएम आवास योजना के तहत बनेंगे 3 करोड़ घर*
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शपथग्रहण के एक दिन बाद ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने कैबिनेट सहयोग‍ियों के साथ बैठक की। इस दौरान कई अहम फैसले ल‍िए गए हैं। कैबिनेट ने गांवों और शहरों में रहने वाले गरीबों के ल‍िए 3 करोड़ घर बनाने के फैसले पर मुहर लगा दी।सरकार प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) के तहत 3 करोड़ ग्रामीण और शहरी घरों के निर्माण के लिए सहायता प्रदान करेगी। इन घरों में शौचालय, एलपीजी कनेक्शन, बिजली कनेक्शन, नल कनेक्शन भी साथ-साथ मिलेगा। पीएम हाउस में आयोजित इस बैठक में शपथ लेने वाले कैबिनेट मंत्री हिस्सा लिया।पीएम हाउस में चल रही इस बैठक में अमित शाह, सर्वानंद सोनोवॉल, राजनाथ सिंह, मनोहर लाल खट्टर, शिवराज सिंह, ललन सिंह समेत बड़े नेता मौजूद रहे। इससे पहले मोदी ने सोमवार को प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) पहुंचकर कार्यभार संभाला। उन्होंने सबसे पहले किसान सम्मान निधि की फाइल पर साइन किए। मोदी ने पीएमओ के अफसरों को संबोधित भी किया। उन्होंने कहा, जिस टीम ने मुझे 10 साल में इतना कुछ दिया, उसमें हम क्या नया कर सकते हैं, हम और बेहतर कैसे कर सकते हैं, हम और तेज कैसे कर सकते हैं, और बेहतर स्केल पर कैसे कर सकते हैं। इन सबको लेकर अगर हम आगे बढ़ें तो मुझे विश्वास है कि देश के 140 करोड़ लोगों ने हमारे इन प्रयासों पर मुहर लगा दी है। चुनाव मोदी के भाषणों पर मोहर नहीं है, ये चुनाव हर सरकारी कर्मचारी की 10 साल की मेहनत पर मोहर है। इसलिए अगर कोई इस जीत का हकदार है तो वो सही मायने में भारत सरकार का हर कर्मचारी इस जीत का हकदार है। इससे पहले पिछले 10 वर्षों में तकरीबन 4.21 करोड़ घर बनाए गए थे। माना जा रहा है कि आवास योजना को लेकर बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में वादा किया था। पीएम मोदी की कैबिनेट ने इस पर निर्णय लेकर घोषणा पत्र का पहला वादा पूरा कर दिया।