गर्भस्थ और नवजात शिशु के लिए जटिलताएं बढ़ा देता है तम्बाकू का धूम्रपान
गोरखपुर।तम्बाकू उत्पादों के सेवन से जहां गर्भवती को कैंसर की आशंका होती है, वहीं गर्भस्थ और नवजात शिशु के लिए भी जटिलताएं बढ़ सकती हैं । जो गर्भवती तम्बाकू उत्पाद का धुम्रपान करती हैं उनका बच्चा समय से पहले पैदा हो सकता है। ऐसे बच्चे में जन्म दोष भी पाए जाते है ।
इन बच्चों की अचानक शिशु मृत्यु सिंड्रोम (एसआईडीएस) से मौत की आशंका भी बढ़ जाती है। गर्भावस्था में धुम्रपान करने वाली महिलाओं के प्रसव के बाद दूध नहीं बनता है और इस तरह शिशु स्तनपान से मिलने वाले पोषण से भी वंचित रह जाता है ।’’
यह बातें मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे ने विश्व तम्बाकू निषेध दिवस पर कहीं। उन्होंने स्वास्थकर्मियों को विश्व तम्बाकू निषेध की शपथ भी दिलाई। उधर, जिले भर में स्वास्थ्य विभाग ने स्वास्थ्यकर्मियों को शपथ दिला कर शुक्रवार को विश्व तम्बाकू निषेध दिवस मनाया। प्रत्येक स्वास्थ्य इकाई पर संकल्प लिया गया कि लोगों को तम्बाकू के नुकसान के प्रति जागरूक किया जाएगा। स्वास्थ्यकर्मी न खुद तम्बाकू का सेवन करेंगे और न ही दूसरे को करने देंगे। साथ ही अपने आसपास के लोगों को प्रेरित कर तम्बाकू की लत को छुड़वाएंगे।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने कहा कि बदलते दौर में महिलाओं में भी धुम्रपान का चलन बढ़ा है। खासतौर से यह लत किशोरावस्था से ही लगने लगी है। जिस प्रकार धुम्रपान पुरुषों के शुक्राणुओं को प्रभावित कर उनकी प्रजनन क्षमता को नुकसान पहुंचाता है, ठीक उसी प्रकार धुम्रपान करने वाली किशोरियों को आगे चल कर गर्भधारण करने में दिक्कतें पैदा करता है। यह लत बांझपन का भी शिकार बना सकती है।
धुम्रपान से गर्भावस्था और प्रसव के दौरान असामान्य रक्तस्राव का खतरा बढ़ जाता है । यह मां और बच्चे दोनों के जीवन के लिए खतरनाक है। धुम्रपान करने वाली मां के बच्चे में कटे होठ और तालु जैसे जन्मदोष होने की आशंका अधिक होती है। ऐसे बच्चों में भोजन संबंधी दिक्कतें, सांस लेने में समस्याएं, सेलेब्रल पाल्सी और सुनने एवं दृष्टि श्रव्य संबंधी समस्याओँ की आशंका बढ़ जाती है।
आंकड़े चिन्ताजनक
डॉ दूबे ने बताया कि राष्ट्रीय पारिवारिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण पांच (2019-21) के आंकड़ों के मुताबिक जिले में 5.4 फीसदी महिलाएं किसी ने किसी रूप में तम्बाकू का सेवन कर रही हैं। इसमे धुम्रपान भी शामिल है। तम्बाकू सेवन महिलाओं को जहां मुंह, गले, फेफड़े और पेट का कैंसर का खतरा पैदा कर रहा है, वहीं उनकी गर्भावस्था और उनके शिशुओं के लिए भी जटिलताएं बढ़ा रहा है। ऐसी महिलाओं में टीबी होने की आशंका भी कहीं अधिक है।
पर्यावरण के लिए भी दिया गया संदेश
चरगांवा ब्लॉक के स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी मनोज कुमार ने बताया कि शपथ ग्रहण के साथ उपस्थित लोगों को यह संदेश दिया गया कि तम्बाकू उत्पाद पर्यावरण के लिए भी हानीकारक हैं। एक अध्ययन के मुताबिक प्रतिवर्ष सिगरेट के उत्पादन के लिए 60 करोड़ पेड़ काटे जाते हैं और इसमें 22 अरब लीटर पानी बर्बाद हो जाता है। धूम्रपान से 84 करोड़ टन कार्बन डाईआक्साइड पैदा होती है जो पर्यावरण और मानव जीवन के लिए घातक है।
Jun 01 2024, 11:14