बृजभूषण सिंह को बड़ा झटका, महिला पहलवान यौन उत्पीड़न मामले में आरोप तय
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महिला पहलवानों से कथित यौन शोषण के मामले में कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह को राउज एवेन्यू कोर्ट से बडा झटका लगा है। कोर्ट ने बृजभूषण के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया है। बृजभूषण के सेक्रेटरी विनोद तोमर के खिलाफ भी आरोप तय करने का आदेश कोर्ट ने दिया।कैसरगंज से बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ धारा 354, 506 समेत अन्य धाराओं में आरोप तय किए गए हैं। यौन शोषण के आरोपों के मामले की जांच कर रही दिल्ली पुलिस ने जून 2023 में बृजभूषण के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी। दिल्ली राउज एवेन्यू कोर्ट ने शुक्रवार को पांच महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न मामले में भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न, पीछा करने, महिलाओं की गरिमा को ठेस पहुंचाने और आपराधिक धमकी देने के आरोप तय किए। अदालत ने कहा कि आरोपी के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त साक्ष्य हैं। अदालत ने सह-अभियुक्त विनोद तोमर के खिलाफ आईपीसी की धारा 506 के तहत आपराधिक धमकी के अपराध के लिए भी आरोप तय किए हैं। विनोद तोमर डब्ल्यूएफआई के पूर्व सहायक सचिव हैं। राउज एवेन्यू कोर्ट की अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट प्रियंका राजपूत ने आदेश पारित किया है। बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ छह पहलवानों ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे।उनकी शिकायतों के आधार पर पुलिस ने सांसद के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज की थी।शिकायतकर्ताओं ने पहले सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। इसके बाद दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि एफआईआर दर्ज कर ली गई है और जांच सही रास्ते पर है। बृजभूषण सिंह पर एक नाबालिग पहलवान ने भी आरोप लगाए थे। हालांकि, बाद में उसने अपनी शिकायत वापस ले ली और दिल्ली पुलिस ने उस मामले में यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो अधिनियम) के तहत क्लोजर रिपोर्ट दायर की। राउज एवेन्‍यू कोर्ट द्वारा आरोप तय किए जाने के बाद अब इस मामले में ट्रायल शुरू होगा। सबसे पहले जांच एजेंसी यानी दिल्‍ली पुलिस आरोपी बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ जिन तीन धाराओं में आरोप तय किए गए हैं, उसे साबित करने के लिए अपने सबूत पेश करेगी। बचाव पक्ष की तरफ से पेश सबूतों पर जिरह की जाएगी. इसके बाद बृजभूषण अपने बचाव में सबूत पेश करेंगे, जिससे दिल्‍ली पुलिस के वकील की तरफ से सवाल-जवाब किए जाएंगे। ट्रायल पूरा होने के बाद कोर्ट दोष साबित होने के संबंध में अपना फैसला सुनाएगी।
निर्वाचन आयोग ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को लगाई फटकार, कहा-वोटर्स को गुमराह कर रहे, डेटा में देरी पर उठाए थे सवाल*
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निर्वाचन आयोग ने लोकसभा चुनाव में बाधा डालने के लिए कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को फटकार लगाई। चुनाव आयोग ने वोटिंग के संशोधित आंकड़ों में कथित हेरफेर करने के कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बयान पर आपत्ति जताई है। आयोग ने उनके बयानों को चुनाव संचालन के महत्वपूर्ण पहलुओं पर आक्रामकता करार दिया। दरअसल, मल्लिकार्जुन खड़गे ने आरोप लगाया था कि मतदान प्रतिशत के आंकड़े जारी करने में अत्यधिक देरी की गई और उस डेटा में विसंगतियां पाई गई। उन्होंने कहा था कि चुनावों की स्वतंत्र और निष्पक्ष प्रकृति पर ये गंभीर संदेह पैदा कर रही है। चुनाव आयोग ने कहा कि जारी चुनावों के बीच मतदान के आंकड़ों को लेकर लगाए जा रहे निराधार आरोप भ्रम पैदा करने, गुमराह करने और स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव कराने में बाधा डालने के लिए हैं। इस तरह के बयानों का मतदाताओं की भागीदारी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है और राज्यों में चुनाव मशीनरी का मनोबल गिरा सकता है। आयोग ने स्पष्ट किया कि मतदान के आंकड़े जारी करने की प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी और स्थापित प्रोटोकॉल के अनुसार है। आयोग ने कहा कि खड़गे के बयान न केवल निराधार हैं, बल्कि चुनाव प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर सवाल उठाकर लोकतंत्र को कमजोर करने का प्रयास भी हैं। चुनाव आयोग ने अपने बयान में मतदान के आंकड़े देने में किसी भी देरी से इनकार किया। इलेक्शन कमीशन ने कहा कि एनेलेसिस के बाद जारी होने वाला मतदान आंकड़ा हमेशा से अनुमानित आंकड़ों से ज्यादा रहता आया है। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद से आयोग यह आंकडा उपलब्ध करवाने के लिए फैक्चुअल मैट्रिक्स भी उपलब्ध करवाता रहा है। कमीशन ने कहा कि इतनी सब ऐहतियात होने के बावजूद कांग्रेस अध्यक्ष लोगों को भ्रमित करने के लिए एक पक्षपातपूर्ण कहानी को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। बता दें कि आयोग का यह बयान खरगे की ओर से इंडी गठबंधन के नेताओं को लिखे गए उस पत्र के संदर्भ में आया है, जिसमें उन्होंने देरी से वोटिंग के आंकड़े जारी करने पर धांधली की आशंका जताई थी। पत्र में खरगे ने विपक्षी गठबंधन के नेताओं से अपील की थी कि वे ऐसी धांधलियों के खिलाफ आवाज उठाएं। खरगे ने लिखा 'हमारा एकमात्र उद्देश्य संविधान की रक्षा और लोकतंत्र की संस्कृति की रक्षा करना है'।
साउथ फिल्मों के सुपरस्टार चिरंजीवी और बॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री वैजयंती माला पद्म विभूषण से सम्मानित, यह देश का सबसे बड़ा नागरिक सम्मान

साउथ फिल्मों के सुपरस्टार चिरंजीवी और बॉलीवुड की मशहूर अदाकारा वैजयंती माला को पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। नई दिल्ली में पद्म पुरस्कार दिए गए। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने वैजयंती माला और चिरंजीवी को सिनेमा में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए पद्म विभूषण से नवाजा। यह देश का दूसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान है। मशहूर डांसर पद्मा सुब्रमण्यम को भी पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। इस मौके पर वैजयंती माला बेहद खुश थी। 90 साल की उम्र में पद्म विभूषण से सम्मानित होकर वह गर्व महसूस कर रही थी। वैजयंती माला ने पद्म विभूषण सम्मान पाने पर कहा कि साल 1969 में मुझे पद्म श्री मिला था और अब पद्म विभूषण मिला है। मैं बहुत खुश और आभारी हूं। यह मेरे लिए बहुत बड़ी बात है। वैजयंती माला ने आगे कहा कि मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के प्रति अभारी , जिन्होंने मेरी कला और नृत्य के साथ-साथ फिल्मों को भी मान्यता दी है। मैं यह पुरस्कार पाकर खुश और विनम्र हूं।

 वैजयंती माला एक मशहूर क्लासिकल डांसर भी रही हैं। उन्होंने इस साल मार्च में रामलला की राग सेवा में अयोध्या पहुंचकर डांस किया था। 90 साल की उम्र में उन्होंने अपने जबरदस्त क्लासिक डांस से सबका मन मोह लिया था। वैजयंती माला 50 और 60 के दशक की जानी-मानी एक्ट्रेस रही हैं। उन्होंने 16 साल की उम्र में एक तमिल फिल्म से एक्टिंग करियर की शुरुआत की थी। उन्हें 'देवदास', 'मधुमति', 'नया दौर' और 'साधना' जैसी फिल्मों के लिए याद किया जाता है। वैजयंती माला ने साल 1970 में फिल्म 'गंवार' करने के बाद एक्टिंग से रिटायरमेंट ले लिया था।

वहीं चिरंजीवी की बात करें तो उनका असली नाम कोनिडेला शिव शंकर वर प्रसाद राव है। लेकिन फिल्मों में आने के बाद वह मेगास्टार चिरंजीवी के नाम से मशहूर हो गए। चिरंजीवी ने अपने अब तक के करियर में 150 से भी ज्यादा फिल्में की और कई रिकॉर्ड बनाए। साल 2006 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया और अब पद्म विभूषण से नवाजा गया। चिरंजीवी पहले ऐसे साउथ एक्टर हैं जो 1987 में हुए ऑस्कर समारोह में शामिल हुए थे।

चीन की गोद में बैठे मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू ने अब उसे ही दिया झटका, ड्रैगन के जासूसी जहाज को रोका, नहीं दी अनुमति

चीन की गोद में बैठे मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने उसे ही झटका दे दिया. मालदीव ने चीन के जासूसी जहाज को रोक दिया है, उसे अनुमति नहीं दी गई है. इसे हिंद महासागर की सुरक्षा के हिसाब से काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. मालदीव के विदेश मंत्री मूसा जमीर ने कहा कि उनकी सरकार ने मालदीव के जल क्षेत्र में चीनी जहाज को अनुमति नहीं दी है. मालदीव के विदेश मंत्री का यह बयान ऐसे वक्त में आया है, जब चीन का जासूसी जहाह जियांग यांग होंग-3 फिर से मालदीव पहुंचा है. यह बीते दो महीने में दूसरी बार है, जब चीन का जासूसी जहाज मालदीव गया है. वहीं, इससे पहले मालदीव ने भारतीय लोगों को पर्यटन के लिए मालदीव आने का आग्रह किया था। 

भारत के दौरे पर आए मालदीव के विदेश मंत्री मूसा जमीर ने कहा था कि हिंद महासागर की शांति और सुरक्षा भारत, मालदीव, श्रीलंका और हमारे पड़ोस के बाकी देशों के लिए महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा, हम साथ मिलकर काम करना जारी रखेंगे. हम एक शांतिपूर्ण देश के रूप में उन जहाजों का स्वागत करते हैं, जो शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए आते हैं, लेकिन वे मालदीव के जल क्षेत्र में अनुसंधान के लिए नहीं आए, हमने मालदीव के जल क्षेत्र में अनुसंधान के लिए चीनी जहाज को अनुमति नहीं दी है. मूसा जमीर ने कहा कि मालदीव के जल क्षेत्र में रिसर्च करने वाले जहाजों का स्वागत नहीं है.

दूसरी बार गया चीन का जहाज

दरअसल, इंडिया आउट का नारा देने वाले राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू चीन के काफी करीब पहुंच गए थे. चीन के हस्तक्षेप के बाद मालदीव और भारत के रिश्ते और खराब हो गए थे. भारत से तनातनी के बीच 27 अप्रैल को चीनी रिसर्च जहाज जियांग यांग होंग 3 मालदीव के जलक्षेत्र में लौटा था. मालदीव में मुइज्जू की सरकार बनने के बाद यह दूसरी बार हुआ. इससे पहले रक्षा मंत्री घासन मौमून ने पिछले महीने मालदीव की संसद को बताया था कि चीनी जहाज मालदीव के जल क्षेत्र के अंदर और उसके निकट जाने के बावजूद कोई शोध नहीं करेगा. अब इसे मंजूरी नहीं देने की खबरें आ रही हैं.

जेल से चुनाव लड़ेंगे खालिस्तान समर्थक अमृतपाल, नहीं मिली पैरोल

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असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद खालिस्तानी समर्थक और 'वारिस पंजाब दे' संगठन का मुखिया अमृतपाल सिंह पंजाब से लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में जुटा है। अमृतपाल सिंह पंजाब की खडूर साहिब लोकसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने जा रहा है। अमृतपाल सिंह ने लोकसभा चुनाव में नामांकन दाखिल करने के लिए हाईकोर्ट का रूख किया था। कोर्ट ने अमृतपाल की याचिका को खारिज कर दिया। वह अब जेल से रहकर ही नॉमिनेशन भरेगा।

अमृतपाल सिंह ने अपना नामांकन दाखिल करने के लिए पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट का रूख किया और नामांकन दाखिल करने के लिए 7 दिनों की अस्थायी रिहाई की मांग की थी।अब इस पर कोर्ट का फैसला आ गया है जिसने अमृतपाल सिंह की याचिका को खारिज कर दिया है।इस मामले पर पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में जस्टिस विनोद एस भारद्वाज सुनवाई करते हुए याचिका को खारिज कर दिया।

पंजाब सरकार व चुनाव आयोग ने कट्टरपंथी सिख अमृतपाल सिंह को लोकसभा चुनाव में नामांकन दायर करने के लिए सभी सुविधा उपलब्ध करवा दी है। पंजाब सरकार ने कोर्ट को बताया कि डिब्रूगढ़ जेल के सुपरिंटेंडेंट जेल में ही अमृतपाल सिंह के नॉमिनेशन की सभी प्रक्रिया पूरी करेंगे व सोमवार को अमृतपाल सिंह के नामांकन का काम पूरा हो जाएगा।

अमृतपाल सिंह के अधिवक्ता राजदेव सिंह खालसा ने उससे चुनाव लड़ने की मांग की थी। वकील ने दावा किया था अमृतपाल ने ने पंथ के हित में उसका ये अनुरोध स्वीकार कर लिया था। बता दें कि अमृतपाल सिंह निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ेंगा। बता दें कि अमृतपाल सिंह ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन का प्रमुख है। अमृतपाल सिंह को पिछले साल अप्रैल में गिरफ्तार किया गया था।र उसके खिलाफ सख्त राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) लगाया गया था। अमृतपाल सिंह अपने नौ सहयोगियों के साथ फिलहाल असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद है।

सुप्रीम कोर्ट से केजरीवाल को बड़ी राहत, एक जून तक के लिए मिली अंतरिम जमानत

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दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। शीर्ष अदालत ने चुनाव प्रचार के लिए केजरीवाल को 1 जून तक के लिए अंतरिम जमानत दे दी है। केजरीवाल को 2 जून को फिर से सरेंडर करना होगा। अंतरिम जमानत के दौरान केजरीवाल चुनाव प्रचार भी कर पाएंगे। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने पिछली सुनवाई में अंतरिम जमानत पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि केजरीवाल आज ही किसी भी समय जेल से बाहर आ सकते हैं।

हाल ही में ईडी ने केजरीवाल की जमानत अर्जी का विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया था। इसमें केंद्रीय एजेंसी ने कहा था कि चुनाव में प्रचार करने का अधिकार न तो मौलिक अधिकार है और न ही संवैधानिक। यहां तक कि यह कानूनी अधिकार भी नहीं है। उपरोक्त तथ्यात्मक और कानूनी दलीलों के मद्देनजर अंतरिम जमानत के आग्रह को खारिज कर दिया जाना चाहिए क्योंकि यह कानून के स्थापित सिद्धांतों के विपरीत होगा जो संविधान की मूल विशेषता है। केवल राजनीतिक चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत देना समानता के नियम के खिलाफ होगा और भेदभावपूर्ण होगा 

वहीं, ईडी के हलफनामे पर केजरीवाल की लीगल टीम ने कड़ी आपत्ति जताई थी। हालांकि ईडी की सभी दलीलों को दरकिनार करते हुए अदालत ने केजरीवाल को अंतरिम जमानत दे दी। सीएम केजरीवाल की बेल पर आज दोपहर 2 बजे के बाद सुनवाई हुई। सुनवाई को जल्द खत्म कर कोर्ट ने केजरीवाल को बड़ी राहत दी। उन्हें 1 जून तक ही जेल से बाहर रहने की इजाजत होगी। हालांकि वह इस दौरान लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार कर सकते हैं। इसपर कोई पाबंदी नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि हम केजरीवाल को 1 जून तक के लिए अंतरिम जमानत दे रहे हैं।

अब वह जेल से बाहर आ जाएंगे, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि उनकी रिहाई कब तक संभव है। दरअसल अरविंद केजरीवाल को लोवर कोर्ट ने जेल भेजा है। जबकि उन्हें जमानत सुप्रीम कोर्ट से मिली है। नियमानुसार ऐसे में सुप्रीम कोर्ट का आदेश पहले लोवर कोर्ट भेजा जाता है और यहां से जेल में परवाना भेजा जाता है। हालांकि अरविंद केजरीवाल के वकील ऋषिकेश कुमार के आग्रह पर सुप्रीम कोर्ट ने लोवर कोर्ट के बजाय सीधे तिहाड़ जेल प्रशासन को निर्देशित किया है।

इससे पहले, पीठ में शामिल न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता ने संकेत दिया कि वह मौजूदा आम चुनावों के मद्देनजर आप नेता को अंतरिम जमानत देने पर विचार कर सकती है। उन्होंने कहा कि यह असाधारण स्थिति है और सीएम केजरीवाल कोई आदतन अपराधी नहीं हैं। संघीय जांच एजेंसी ने अंतरिम राहत का विरोध करते हुए कहा कि इससे गलत मिसाल कायम होगी। केजरीवाल ने दिल्ली उच्च न्यायालय के 10 अप्रैल के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया है।

बता दें कि दिल्ली के कथित शराब घोटाले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को 21 मार्च को ईडी ने अरेस्ट किया था। 22 मार्च को उन्हें राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश किया गया और ईडी ने 11 दिन कस्टडी रिमांड में रखने और जरूरी पूछताछ करने के बाद उन्हें एक अप्रैल को तिहाड़ जेल भेज दिया था। तब से दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल तिहाड़ जेल में थे और वहीं से दिल्ली की सरकार चला रहे थे। हालांकि, लोकसभा चुनावों के दौरान आम आदमी पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद से पार्टी का चुनाव अभियान काफी प्रभावित हो रहा था।

रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर होगा भारत, अगले वित्तीय वर्ष से गोला-बारूद का आयात बंद कर देगी भारतीय सेना*
#army_says_no_to_ammunition_import_from_next_financial_year हाल के सालों में भारत ने आर्थिक क्षेत्र में काफी तरक्की कर ली है। कुल साल पहले तक भारत दुनियाभर में हथियारों का सबसे बड़ा आयात देश हुआ करता था। हालांकि अब, देश रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होता जा रहा है। इसी क्रम में सेना अगले वित्त वर्ष से गोला-बारूद का आयात पूरी तरह बंद करने का लक्ष्य लेकर चल रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि घरेलू उद्योगों ने सभी मांगों को पूरा करने के लिए अपनी क्षमता बढ़ा ली है। सेना के एक अधिकारी के मुताबिक भारतीय सेना साल 2025 से विदेशों से हथियार नहीं खरीदेगा। भारतीय सेना के अतिरिक्त महानिदेशक (खरीद), मेजर जनरल वीके शर्मा ने कहा कि हालांकि सेना ने पहले अपनी वार्षिक गोला-बारूद की जरूरतों को पूरा करने के लिए आयात पर महत्वपूर्ण जोर दिया था, लेकिन अब उसे 175 प्रकार के गोला-बारूद में से लगभग 150 के लिए घरेलू आपूर्तिकर्ता मिल गए हैं। यह उपयोगकर्ता है। मेजर जनरल शर्मा ने पीएचडी चैंबर द्वारा गोला-बारूद उत्पादन पर आयोजित एक सेमिनार के दौरान कहा, "अगले वित्तीय वर्ष में, हम गोला-बारूद का कोई आयात नहीं करेंगे, सिवाय उन मामलों के जहां घरेलू उत्पादन को आर्थिक रूप से व्यवहार्य बनाने के लिए आवश्यक मात्रा बहुत कम है।" वाणिज्य एवं उद्योग विभाग (पीएचडीसीसीआई)। सेना के अधिकारी ने कहा कि निगेटिव लिस्ट के जरिए गोला-बारूद के आयात पर धीरे-धीरे अंकुश लगाया जाएगा। इसके साथ ही अब विदेशी आपूर्तिकर्ताओं से केवल 5 से 10 फीसदी आवश्यकताएं पूरी की जा रही हैं। ऑर्डनेंस फैक्ट्री के अलावा, पिछले कुछ वर्षों में कई प्राइवेट सेक्टर की कंपनियों भी इस क्षेत्र में प्रवेश कर चुकी हैं। इन्हें अब निगमीकृत किया गया है। इनके जरिए देश के विभिन्न हिस्सों में नए गोला-बारूद के प्लांट आ रहे हैं। थल सेनाध्यक्ष (सीओएएस) जनरल मनोज पांडे भी इसे लेकर बयान दे चुके हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना हथियारों के खरीदार से विकास और उत्पादन में भारतीय उद्योग की भागीदार बन रही है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर हथियार आपूर्तिकर्ता तैयार करने के लिए राष्ट्रीय चैंपियन की अवधारणा को अपनाया गया है। उन्होंने आगे कहा कि भारतीय रक्षा उद्योग अनुसंधान और उन्नत उत्पादन तकनीकों में निवेश कर रहा है। सेना वर्तमान में गोला-बारूद पर प्रति वर्ष 6,000 से 8,000 करोड़ रुपये खर्च करती है, जो अब सभी भारतीय निर्माताओं से आएगा।नकारात्मक आयात सूची या सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची के क्रमिक कार्यान्वयन के परिणामस्वरूप, विदेशी निर्माता वर्तमान में सेना की गोला-बारूद आवश्यकताओं का केवल 5-10% ही आपूर्ति करते हैं। सकारात्मक स्वदेशीकरण सूचियाँ भारतीय रक्षा मंत्रालय (एमओडी) द्वारा जारी की गई वस्तुओं की सूची हैं जिन्हें भारत घरेलू स्तर पर बनाने की क्षमता रखता है और आयात नहीं किया जाएगा। हाल ही में निगमित आयुध कारखानों के अलावा, हाल के वर्षों में कई निजी क्षेत्र के उद्यमों द्वारा नए गोला-बारूद संयंत्रों की स्थापना के कारण घरेलू विनिर्माण की क्षमता में वृद्धि हुई है। एशिया का सबसे बड़ा गोला-बारूद कॉम्प्लेक्स दो महीने पहले, फरवरी 2024 में, अदानी द्वारा कानपुर में खोला गया था। सुरक्षा बलों के लिए साइट पर हजारों रॉकेट, मिसाइल, छोटे और बड़े-कैलिबर गोला-बारूद और तोपखाने के राउंड का उत्पादन किया जाएगा। इसके अलावा, टाटा सरकारी स्वामित्व वाली हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के अलावा भारत में पहला निजी विमान निर्माता बन गया, जब उसने एयरबस सी-295 परिवहन विमान को असेंबल करना शुरू किया। इसका उद्देश्य 2025-26 तक सभी गोला-बारूद आयात को बंद करना है।
जानें क्या है 15 सेकंड के लिए पुलिस हटाने वाला बयान, जिसको लेकर आमने-सामने हैं ओवैसी और नवनीत राणा

#asaduddinowaisiattacksonamravatimpnavneet_rana 

लोकसभा चुनाव के चौथे चरण के लिए सोमवार को वोटिंग होनी है। इसी बीच दलों के बीच जुबानी जंग भी तेज हो गई है। इस बीच बीजेपी सांसद नवनीत राणा और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) चीफ असदुद्दीन ओवैसी भिड़ हुए हैं। महाराष्ट्र के अमरावती से भाजपा सांसद नवनीत कौर राणा ने बुधवार (8 मई) को एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और उनके छोटे भाई अकबरुद्दीन पर बयान दिया। नवनीत राणा ने कहा कि अगर हैदराबाद में 15 सेकेंड के लिए पुलिस हटी तो पता नहीं चलेगा कि दोनों भाई कहां गए। नवनीत राणा के इस बयान पर तगड़ा पलटवार किया है। ओवैसी ने 'छोटे को खुला छोड़ दूं' की बात कहकर मामला और गरमा दिया है।

मैंने उसे रोक रखा है-ओवैसी

नवनीत राणा बुधवार को हैदराबाद में भाजपा उम्मीदवार माधवी लता के लिए प्रचार करने गई थीं।यहां राणा ने असदुद्दीन ओवैसी और उनके छोटे भाई अकबरुद्दीन पर बयान दिया। नवनीत राणा ने कहा कि अगर हैदराबाद में 15 सेकेंड के लिए पुलिस हटी तो पता नहीं चलेगा कि दोनों भाई कहां गए।इस बयान पर असदुद्दीन ओवैसी ने नवनीत राणा पर तंज कसा। उन्होंने कहा, मैंने छोटे (अकबरुद्दीन ओवैसी) को बहुत समझाकर रोक रखा है, छोड़ दूं क्या? छोटे-छोटे, तुमको मालूम ही क्या है कि छोटा क्या है। मेरा छोटा भाई तोप है, वो सालार का बेटा है। मैंने रोक रखा है वरना जिस दिन कह दिया कि मियां मैं आराम करता हूं तुम संभाल लो तो...।'

छोटा किसी के बाप की नहीं सुनने वाला-ओवैसी

ओवैसी ने आगे कहा, हम लोग अभी खाली टाइमिंग कर रहे हैं और सिंगल ले रहे हैं। टी-20 शुरू हो गया तो फिर तुम्हारा क्या होगा। 15 सेकंड-15 सेकंड कर रहे, मैं मुर्गी का बच्चा हूं क्या। बताओ न कि किधर आना है? अपने दिल्ली वाले पापा से पूछकर बताओ। बताओ न ऑफिस में आना है कि घर आना है। छोटे (अकबरुद्दीन ओवैसी) को समझाने वाला सिर्फ असदुद्दीन ओवैसी ही है वो किसी के बाप की नहीं सुनने वाला।

2013 में दी गई स्पीच का जवाब

राणा का यह बयान अकबरुद्दीन की 2013 में दी गई स्पीच का जवाब माना जा रहा है, जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर 15 मिनट के लिए पुलिस हटा दी जाए तो हम 25 करोड़ (मुसलमान) 100 करोड़ हिंदुओं को खत्म कर देंगे। दुनिया उसी को डराती है, जो डरता है। दुनिया उसी से डरती है, जो डराना जानता है। वह (RSS) हमसे (मुसलमानों) घृणा करते हैं, क्योंकि वह 15 मिनट भी हमारा सामना नहीं कर सकते हैं।'

पहले भी नवनीत राणा ने ऐसे बयान दिए

भाजपा ने लोकसभा चुनाव में नवनीत राणा को अमरावती से उम्मीदवार बनाने के साथ गुजरात में स्टार प्रचारक भी बनाया है। नवनीत ने 5 मई को गुजरात में प्रचार के दौरान कहा कि जिसे जय श्री राम नहीं कहना है तो वो पाकिस्तान जा सकता है। ये हिंदुस्तान है। अगर हिंदुस्तान में रहना है तो जय श्री राम कहना ही है।

इलेक्शन कैंपेन कोई मौलिक अधिकार नहीं, अरविंद केजरीवाल की याचिका का विरोध करते हुए ईडी ने दिए तर्क, पढ़िए, पूरी खबर

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत का विरोध करते हुए ईडी ने आज सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा पेश किया. इसमें ईडी की ओर से दलील दी गई. ईडी ने अपने हलफनामे में कहा है कि चुनाव प्रचार करना कोई संवैधानिक अधिकार नहीं है. अगर इस तरह चुनाव प्रचार करने के लिए बेल दी गई तो फिर तो किसी नेता को गिरफ्तार करना ही मुश्किल हो जाएगा.

ईडी ने आगे हलफनामे में कहा कि मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका को खारिज करते समय सुप्रीम कोर्ट ने खुद कहा था कि कानून नागरिक, संस्था और राज्य सभी के लिए बराबर होता है. कानून सभी को बराबर का अधिकार देता है.

ईडी ने कहा कि याचिकाकर्ता यानी अरविंद केजरीवाल ने जमानत की मुख्य वजह 2024 के लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के लिए चुनाव प्रचार करना बताया है. चुनाव आयोग बनाम मुख्तार अंसारी के 2017 फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने खुद कहा है कि चुनाव प्रचार करना कोई संवैधानिक या मौलिक अधिकार नहीं है और न ही कानूनी अधिकार है. अब तक की जानकारी में किसी भी नेता को चुनाव प्रचार करने के लिए जमानत कभी नहीं दी गई है. अरविंद केजरीवाल तो चुनाव भी नहीं लड़ रहे हैं. अगर कोई उम्मीदवार भी कस्टडी में होता तो भी उसे खुद के चुनाव प्रचार के लिए जमानत नहीं दी जा सकती. 

1977 के केस का हवाला

ईडी ने अपने हलफनामे में और तगड़ा तर्क देते हुए कहा कि 1977 के केंद्र सरकार बनाम अनुकुल चंद्रा प्रधान मामले में सुप्रीम कोर्ट ने न्यायिक हिरासत में रहे व्यक्ति को वोट देने के संवैधानिक अधिकार से भी वंचित कर दिया था. ऐसा सेक्शन 62(5) के तहत किया गया था.

"हर नेता यही तर्क देगा"

ईडी ने अपने हलफनामे में कहा कि पिछले 5 साल में देश भर में कुल 123 चुनाव हुए हैं. अगर चुनाव में प्रचार के आधार पर नेताओं को जमानत दी जाने लगी तो न तो कभी किसी नेता हो गिरफ्तार किया जा सकेगा और न ही उसे न्यायिक हिरासत में भेजा जा सकेगा, क्योकि देश में हमेशा कोई न कोई चुनाव होता रहता है. भारत के फेडरल स्ट्रक्चर के कारण कोई भी चुनाव छोटा या बड़ा नहीं होता. तब हर नेता यही तर्क देगा कि अगर उसे अंतरिम जमानत नहीं दी गई तो उसे नुकसान होगा. ईडी ने हलफनामे में कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट में वर्तमान में कई नेता न्यायिक हिरासत में हैं और उनके मामले अलग-अलग न्यायालयों में चल रहे हैं. कई सारे नेता बगैर मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के भी न्यायिक हिरासत में होंगे तो किसी एक को स्पेशल ट्रीटमेंट क्यों दिया जाए. 

समन दरकिनार करने की याद दिलाई

ईडी ने हलफनामे में आगे कहा कि अरविंद केजरीवाल को चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत देना समानता के नियम के खिलाफ है. यह संभव नहीं है कि एक छोटे किसान या एक छोटे कारोबारी का काम रोक दिया जाए और एक नेता को चुनाव प्रचार की अनुमति दे दी जाए और वह भी उस नेता को जो खुद चुनाव तक नहीं लड़ रहा है. अगर केजरीवाल को जमानत दे दी गई तो क्या हर पार्टी का नेता यही दावा नहीं करेगा कि उसे जमानत न मिलने की वजह से उसकी पार्टी को चुनाव में नुकसान होगा. इसके साथ ही ईडी ने अरविंद केजरीवाल के व्यवहार के बारे में सुप्रीम कोर्ट को याद दिलाया. ईडी ने कहा कि यही अरविंद केजरीवाल थे कि उन्होंने ईडी के समन को चुनाव प्रचार का हवाला देते हुए दरकिनार कर दिया था.

हम फ्लोर टेस्ट के लिए तैयार... दुष्यंत के दांव पर हरियाणा में BJP का 'नायब' जवाब दुष्यंत चौटाला ने राज्यपाल से की फ्लोर टेस्ट की मांग

हरियाणा की राजनीति में हलचल थमने का नाम नहीं ले रही है. लड़ाई अब दुष्यंत चौटाला बनाम नायब सैनी होने लगी है. बीजेपी नीत नायब सिंह सैनी सरकार अल्पमत में है, क्यों कि तीन निर्दलीय उम्मीदवारों ने उनसे समर्थन वापस ले लिया है. नायब सरकार गिरने का खतरा मंडरा रहा है. इस बीच हरियाणा सरकार को गिराने के लिए कांग्रेस को बाहर से समर्थन देने का खुला ऐलान करने वाले जेजेपी के दुष्यंत चोटाला ने अब हरियाणा के राज्यपाल को एक चिट्ठी लिख विधानसभा का सत्र बुलाकर फ्लोर टेस्ट की मांग कर दी है. उनका कहना है कि नायब सरकार को गिराने वाले विपक्षी दल को उनका पूरा समर्थन है. 

दुष्यंत चौटाला ने राज्यपाल से कहा है कि हम मौजूदा सरकार का समर्थन नहीं करते. हरियाणा में किसी भी दूसरे राजनीतिक दल द्वारा सरकार बनाने में समर्थन के लिए हमारे दरवाजे खुले हैं. दो विधायकों की स्थिति के बाद सदन की संख्या 88 है. बीजेपी के पास 40 विधायक हैं. कांग्रेस के पास 30 ,जेजेपी के 6 ,हलोपा और इनेलो के पास 1-1 विधायक हैं. दुष्यंत की मांग है कि राज्यपाल नायब सरकार को विधानसभा में फ्लोर टेस्ट के लिए बुलाएं.

दुष्यंत चौटाला ने राज्यपाल के नाम चिट्ठी में लिखा है कि तीन निर्दलीय विधायकों ने नायब सरकार से समर्थन वापस ले लिया है. सरकार के पास विश्वास मत नहीं रहा, इसलिए विधानसभा का सत्र बुलाकर फ्लोर टेस्ट करवाया जाए. उन्होंने कहा कि अगर सरकार के पास विश्वास मत नहीं है तो हरियाणा में राष्ट्रपति शासन लगाया जाए. 

दुष्यंत चौटाला को CM नायब सैनी का जवाब

दुष्यंत चौटाला के अल्पमत वाले आरोप पर सीएम नायब सिंह सैनी का बयान सामने आया है. उन्होंने कहा है कि जरूरत पड़ी तो विश्वास मत फिर से हासिल करेंगे. उन्होंने कहा कि सरकार को अल्पमत में देखने वाले ये तो देख लें कि उनके पास विधायक भी हैं या नहीं. उनका कहना है कि सरपंच सरकार से नाराज नहीं हैं और उनके पास विश्वास मत मौजूद है. अगर इसे साबित करना पड़ा तो वह इसके लिए भी तैयार हैं.

नायब सरकार अल्पमत में

नियम के मुताबिक, हरियाणा सरकार को अल्पमत में साबित करने के लिए विपक्षी दलों को सदन में अविश्वास प्रस्ताव लाना होगा. लेकिन बड़ी बात ये है कि कांग्रेस मार्च में हरियाणा विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाई थी, ऐसे में तकनीकी तौर पर अभी विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव सरकार के खिलाफ नहीं लाया जा सकता, क्यों कि दो अविश्वास प्रस्ताव के बीच कम से कम 180 दिन का गेप होना जरूरी होता है. इसके हिसाब से 6 महीने तक सैनी सरकार पर कोई खतरा नहीं है. वह आगामी विधानसभा चुनाव तक आसानी से सरकार चला सकेगी. 

दुष्यंत चौटाला ने राज्यपाल से फ्लोर टेस्ट की मांग की है. जब तक सदन में अविश्वास प्रस्ताव में उसकी हार नहीं हो जाती है, तब तक उनकी सरकार को अल्पमत में नहीं माना जाएगा. गेंद अब राज्यपाल के पाले में है. यह राज्यपाल पर निर्भर करेगा कि वह फ्लोर टेस्ट के लिए नायब सैनी को बुलाएंगे या फिर आगामी विधानसभा को देखते हुए इसे पेंडिंग ही रखेंगे.