आज का रशिफल,13 अप्रैल 2024 :जानिए आज के रशिफल के अनुसार आज आप का दिन कैसा रहेगा..?

मेष- सभी से बेहतर तालमेल बनाए रखने पर जोर होगा. अपनों के सहयोग से बेहतर परिणाम पाएंगे. महत्वपूर्ण लक्ष्य साधेंगे. समता सामन्जस्यता का भाव रखेंगे. हर्ष आनंदमय समय है. श्रेष्ठ जनों का आगमन हो सकता है. योग्यजन प्रस्ताव पाएंगे. महत्वपूर्ण लक्ष्यों को प्राप्त करेंगे. वचन बनाए रखेगे. संस्कार परंपराओं पर जोर रखेंगे. वाणी व्यवहार प्रभावशाली होगा. धन संपत्ति के अवसर बढ़ेंगे. आत्मविश्वास से आगे बढ़ेंगे. सगे संबंधियों का सहयोग रहेगा. चहुंओर शुभता का संचार रहेगा.

शुभ अंक : 7 8 9

शुभ रंग : गहरा भूरा

आज का उपाय : देवी मां स्कंदमाता की साधना पूजा करें. हनुमानजी के दर्शन करें. शनिदेव से जुड़ीं वस्तुओं का दान प्रयोग बढ़ाएं. साज संवार रखें.

वृष- जीवनशैली में भव्यता बनाए रखेंगे. घर में शुभकार्य बढ़ेंगे. व्यक्तित्व आकर्षक होगा. कला कौशल बल पाएंगे. रचनात्मक कार्यों को गति देंगे. साख सम्मान में वृद्धि होगी. कार्य व्यापार बेहतर रहेगा. निजी जीवन में हर्ष आनंद बना रहेगा. सृजन कार्यों से जुड़ेंगे. इच्छित जगह बनाएंगे. नवाचार को बढ़ावा देंगे. नियम अनुशासन रखेंगे. सुखद यात्रा के संकेत हैं. शुभ सूचना मिल सकती है. संपर्कों का लाभ मिलेगा. स्मरणीय पल साझा करेंगे. बड़ी सोच रखेंगे. कलात्मक समझ बढ़ेगी.

शुभ अंक : 4 6 7 8   

शुभ रंग : रॉयल ब्लू

आज का उपाय : देवी मां स्कंदमाता की साधना पूजा करें. हनुमानजी के दर्शन करें. शनिदेव से जुड़ीं वस्तुओं का दान प्रयोग बढ़ाएं. नवग्रहों की पूजा करें. सम्मान बनाए रखें.

मिथुन- समय सुधार पर बना रहेगा. करीबियों का साथ पाएंगे. संबंधियों से बेहतर तालमेल बनाए रखेंगे. अपनों से सीख सलाह बढ़ाएंगे. यात्रा की संभावना है. सूझबूझ से आगे बढ़ें. अपनी गलतियों को अनदेखा न करें. खर्च और निवेश पर ध्यान दें. सामंजस्यता रखें. विस्तार योजनाओं को बल मिलेगा. नीति नियमों का पालन करें. सबका सम्मान रखें. संस्कारों को बढ़ावा दें. पारंपरिक कार्यों से जुड़ेंगे. भेंटवार्ता व संवाद में सहजता रखेंगे. प्रलोभन में न आएं. लेनदेन में स्पष्टता रखें.

शुभ अंक : 4 5 7 8  

शुभ रंग : लेमन

आज का उपाय : देवी मां स्कंदमाता की साधना पूजा करें. हनुमानजी के दर्शन करें. शनिदेव से जुड़ीं वस्तुओं का दान बढ़ाएं. लापरवाही से बचें.

कर्क- लाभ और प्रभाव बनाए रखेंगे. खर्च परिस्थितियां चहुंओर अनुकूल बनी रहेंगी. करियर कारोबार में पेशेवर बेहतर करेंगे. अर्थ व्यापार में सफलता पाएंगे. आवश्यक विषयों को पूरा करने का प्रयास रखेंगे. विभिन्न उपलब्धियों को बढ़ावा मिलेगा. आर्थिक कार्यों को आगे बढ़ाएंगे. नियंत्रित जोखिम उठाएंगे. सहयोग की सोच रखेंगे. प्रतिस्पर्धा का भाव रहेगा. लाभ और प्रभाव में वृद्धि रहेगी. विभिन्न प्रयासों में शुभता बढ़ेगी. संवाद संपर्क प्रभावशाली होगा.

शुभ अंक : 2 7 8  

शुभ रंग : एक्वा ब्लू

आज का उपाय : देवी मां स्कंदमाता की साधना पूजा करें. हनुमानजी के दर्शन करें. शनिदेव से जुड़ीं वस्तुओं का दान बढ़ाएं. लक्ष्यगत स्पष्टता रखें.

सिंह- विभिन्न प्रयास पक्ष में बनेंगे. प्रबंधकीय प्रयास संवार पाएगा. संबंधों में गति बढ़ेगी. करियर कारोबार में शुभता का संचार रहेगा. सत्ता का साथ समर्थन पाएंगे. इच्छित सूचनाएं प्राप्त होंगी. निजी विषयों को पूरा करेंगे. सबको साथ लेकर चलेंगे. तेजी से आगे बढ़ने का भाव रहेगा. दूर देश के अवसर बढेंगे. यात्रा पर जा सकते हैं. बड़े लक्ष्य साधेंगे. सक्रियता और निरंतरता से आगे बढ़ेंगे. प्रलोभन से बचें. पद प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी. पैतृक मामलों मे सुधार तेज होगा.

शुभ अंक : 1 4 7

शुभ रंग : गहरा भूरा

आज का उपाय : देवी मां स्कंदमाता की साधना पूजा करें. हनुमानजी के दर्शन करें. शनिदेव से जुड़ीं वस्तुओं का दान और प्रयोग बढ़ाएं. नवग्रह पूजन करें. जिम्मेदार बनें.

कन्या- भाग्य की कृपा से सभी कार्य बनेंगे. निसंकोच होकर कार्य करेंगे. अप्रत्याशित लाभ के संकेत हैं. महत्वपूर्ण चर्चाएं सफल होंगी. लाभ विस्तार एवं प्रभाव में वृद्धि होगी. जीवन में सुख सौख्य बढ़ाएंगे. भाग्य से परिस्थितियों में तेज सुधार के संकेत रहेंगे. कार्य अवरोध दूर होंगे. धार्मिक गतिविधियों से प्रमुखता जुड़ सकते हैं. आस्था अध्यात्म को बल मिलेगा. पेशेवर मामले पक्ष में बनेंगे. संकल्प पूरा करेंगे. निसंकोच आगे बढें़ेगे. संसाधनों में वृद्धि होगी. पेशेवर अच्छा करेंगे. पुर्ण्याजन बढ़ेगा.

शुभ अंक : 4 5 7 8

शुभ रंग : गहरा नीला

आज का उपाय : देवी मां स्कंदमाता की साधना पूजा करें. हनुमानजी के दर्शन करें. शनिदेव से जुड़ीं वस्तुओं का दान व प्रयोग बढ़ाएं. भक्तिभाव रखें.  

तुला- मित्रों और वरिष्ठों का भरोसा जीतेंगे. बड़ों का आदर स्नेह पाएंगे. समय सुधार पर रहेगा. लंबित योजनाओं में धैर्य दिखाएंगे. परिजनों का साथ सहयोग पाएंगे. जल्दबाजी में समझौते नहीं करें. समन्वय बनाए रखें. संतुलिग ढंग से आगे बढ़ें. भावनाओं पर नियंत्रण बढ़ाएं. अनजान पर भरोसा न करें. अप्रत्याशित स्थिति बन सकती है. आवश्यक कार्यों में अनुशासन रखें. सीख सलाह बनाए रखेंगे. नियम कानून के साथ आगे बढ़ेंगे. आर्थिक लेनदेन में स्पष्टता रखें. विनम्र बनें. स्वास्थ्य पर ध्यान दें.

शुभ अंक : 4 6 7 8

शुभ रंग : चमकीला नीला

आज का उपाय : देवी मां स्कंदमाता की साधना पूजा करें. हनुमानजी के दर्शन करें. शनिदेव से जुड़ीं वस्तुओं का दान बढ़ाएं. व्यवस्था पर बल दें.

वृश्चिक- पेशेवर वरिष्ठों को सम्मान देंगे और सलाह से आगे बढ़ेंगे. साझीदारी पर जोर बनाए रहें. कार्यक्षेत्र में बजट और बड़प्पन बढ़ाएंगे. स्थिति सकारात्मक बनी रहेगी. नेतृत्व के प्रयासों में गति आएगी. लाभ प्रभाव बेहतर रखेंगे. भूमि भवन से जुड़ीं योजनाएं गति लेंगी. विभिन्न विषयों को लेकर स्पष्टता बढ़ाएगे. दाम्पत्य में प्रेम और विश्वास बढ़ेगा. स्थायित्व के मामले संवारेंगे. प्रियजनों से करीबी बढ़ेगी. श्रेष्ठ जनों से भेंट होगी. योजनाएं लक्ष्य पाएंगी. उपलब्धियां उत्साहित रखेंगी.

शुभ अंक : 1 4 और 7  

शुभ रंग : कत्थई

आज का उपाय : देवी मां स्कंदमाता की साधना पूजा करें. हनुमानजी के दर्शन करें. शनिदेव से जुड़ीं वस्तुओं का दान बढ़ाएं. व्यक्तित्व संवारें.

धनु- समय सुधार की ओर बना रहेगा. विवेकपूर्ण निर्णय लेंगे. सेवा व्यवसाय एवं पेशेवरता पर जोर बढ़ाएं. साझा प्रयासों पर फोकस रखेंगे. नौकरीपेशा सहज प्रदर्शन बनाए रखेंगे. पेशेवर संबंधों को मजबूती मिलेगी. कार्मिक विषयों में गति आएगी. नियम अनुशासन बनाए रखेंगे. व्यापार में तालमेल बढ़ाएंगे. मेहनत पर भरोसा बढ़ेगा. आवश्यक कार्यों में गति बनाए रखेंगे. रुटीन और निरंतरता पर ध्यान देंगे. लिखापढ़ी के कार्यों में अतिरिक्त सतर्कता बरतेंगे. ठगों से बचाव बनाए रखेंगे.

शुभ अंक : 3 7 और 8  

शुभ रंग : पीतांबरी

आज का उपाय : देवी मां स्कंदमाता की साधना पूजा करें. हनुमानजी के दर्शन करें. शनिदेव का स्मरण बनाए रखें. नवग्रहों की पूजा करें. तार्किक रहें.

मकर- चहुंओर अनुकूलता रहेगी. छोटे बड़े सभी सहयोगी होंगे. कार्यगति बढ़ाएंगे. निसंकोच आगे बढ़ेंगे. मनोबल बनाए रहेंगे. पद प्रतिष्ठा बल पाएगी. विनम्रता बनाए रहेंगे. नपातुला जोखिम लेने का भाव रहेगा. विभिन्न क्षेत्रों में लाभ की संभावना रहेगी. अध्ययन अध्यापन संवरेगा. व्यक्तिगत प्रयासों में उत्साह से भरे रहेंगे. मित्रों का सहयोग मिलेगा. कला कौशल से जगह बनाएंगे. आवश्यक कार्य समय से पूरे करेंगे. सामंजस्यता का प्रयास रखें. परीक्षा प्रतियोगिता में शामिल होंगे. मामले लंबित न रखें.

शुभ अंक : 4 7 8  

शुभ रंग : बैंगनी

आज का उपाय : देवी मां स्कंदमाता की साधना पूजा करें. हनुमानजी के दर्शन करें. शनिदेव से जुड़ीं वस्तुओं का दान प्रयोग बढ़ाएं. पीपल पेड़़ तले दीपक रखें. सीख बढ़ाएं.

कुंभ- स्वार्थ संकीर्णता का त्याग करेंगे. बजट पर नियंत्रण रखेंगे. निजी उपलब्धियों पर फोकस रहेगा. पारिवारिक विषयों पर ध्यान देंगे. संपर्क का लाभ मिलेगा. सेवा व्यवसाय बेहतर बना रहेगा. जिद जल्दबाजी से बचें. सुविधाओं को बढ़ावा मिलेगा. भौतिक वस्तुओं में वृद्धि होगी. भावनात्मक मामलों में धैर्य रखेंगे. आवश्यक विषयों में सक्रियता रहेगी. उचित प्रस्ताव प्राप्त करेंगे. आत्मविश्वास से कार्य करें. करीबियों से सहजता बनाए रखें. निजता पर ध्यान दें. मित्रों की बात पर ध्यान देंगे

शुभ अंक : 4 7 8

शुभ रंग : मोरपंख के समान

आज का उपाय : देवी मां स्कंदमाता की साधना पूजा करें. हनुमानजी के दर्शन करें. शनिदेव से जुड़ीं वस्तुओं का दान व प्रयोग बढ़ाएं. जनहित का ध्यान रखें.

मीन- सामाजिक संवाद में प्रभावी रहेंगे. मेलजोल संपर्क बढ़ाने में सहज रहेंगे. श्रेष्ठ जनों को प्रभाव में बनाए रखेंगे. विनय विवेक से काम लेंगे. भावनात्मक विषयों में उत्साह दिखाएंगे. करियर कारोबार में अनुशासन बढ़ाएंगे. परिवार में हर्ष उत्साह रहेगा. संवाद संचार बेहतर रहेगा. आवश्यक कार्यों में तेजी लाएंगे. संपर्क का दायरा बढ़ेगा. सबको साथ लेकर चलेंगे. सामंजस्य बनाए रखेंगे. सहकारिता व साझीदारी में रुचि रखेंगे. जानकारी जुटाने पर जोर रहेगा. बंधु बांधवों से करीबी बढ़ेगी.

शुभ अंक : 3 7 8  

शुभ रंग : पाइनेपल

आज का उपाय : देवी मां स्कंदमाता की साधना पूजा करें. हनुमानजी की पूजा वंदना करें. शनिदेव से जुड़ीं वस्तुओं का दान बढ़ाएं. पहल बनाए रखें.

आज का राशिफल,12 अप्रैल 2024: जानिए राशि के अनुसार आप का दिन कैसा रहेगा...?

मेष:- परिस्थिति और समय में तालमेल बिठाकर कार्य करने में सक्षम रहेंगे। माता-पिता बुजुर्गों तथा जीवनसाथी के प्रति मन में सेवा भाव बना रहेगा। विद्यार्थी और युवा अपने अध्ययन एवं करियर के प्रति पूरी तरह फोकस रहेंगे। उन्नति से संबंधित कोई शुभ समाचार मिल सकता है। हल्की थकान महसूस करेंगे।

वृष:- कार्यक्षेत्र में उन्नति से संबंधित कोई शुभ समाचार मिल सकता है। किसी प्रकार का ठोस निर्णय लेते समय उस पर गंभीरता से विचार विमर्श करना अति आवश्यक है। कामकाज को लेकर की गई यात्राएं सफल रहेंगी। नौकरी से संबंधित परीक्षा का परिणाम आपके पक्ष में आएगा। मान सम्मान बढ़ेगा।

मिथुन:- जो काम पिछले कुछ समय से रुका हुआ या अटका हुआ था, उसे पूरा करने का उचित समय है। इस समय कोई नई उपलब्धि आपका इंतजार कर रही है। अपनी योग्यता व प्रतिभा द्वारा उसे पूरा करने में सक्षम भी रहेंगे। धर्म कर्म में रूचि बढ़ेगी। नशा से दूर रहें। सहेत पर असर पड़ेगा।

कर्क :-दिन मनोनुकूल रहेगा। व्यापार में विस्तार की योजनाओं को मूर्तरूप देने का उचित समय है। फिजूलखर्ची पर जरूर नियंत्रण रखें। किसी अपरिचित इंसान की बातों में आने से परेशानी बढ़ सकती है। नौकरी में पदोन्नति के योग बने हुए हैं। घर-सामाज मे इज्जत बढ़ेगी।

सिंह:- संतान की शिक्षा या करियर से संबंधित कोई महत्वपूर्ण निर्णय ले सकते हैं। पैतृक संपत्ति या किसी भी प्रकार का विवाद किसी की मध्यस्थता से सुलझाने का उचित समय है। घर के सदस्य की दिक्कतों को हल करने में आपका महत्वपूर्ण योगदान रहेगा। जीवनसाथी का सहयोग मिलेगा। स्वास्थ्य बेहतर रहेगा।

कन्या:- दिन मिलाजुला रहेगा। कार्यक्षेत्र में कोई चुनौती सामने आ सकती है। खुद को साबित करने के लिए मेहनत की जरूरत हो सकती है। बिजनेस को लेकर जो योजना चल रही थी, वह और टल सकती है। नौकरी में अपने उसूलों और सिद्धांतों के साथ बिल्कुल भी समझौता ना करें। धन लाभ की पूरी सम्भावना है।

तुला:- अपने सकारात्मक दृष्टिकोण द्वारा किसी भी समस्या का हल ढूंढने में सक्षम रहेंगे। संतान संबंधी भी कोई शुभ समाचार प्राप्त हो सकता है। बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद व कृपा प्राप्त होगी। घर की देखरेख और पारिवारिक लोगों के साथ में उचित समय व्यतीत होगा। स्वास्थ्य सुधार होगा।

वृश्चिक:- कार्यक्षेत्र में विस्तार की योजना पर काम शुरू करने से काफी हद तक सफलता मिल सकती है। टैक्स संबंधी सभी कामों को पूरा रखें। अगर राजकीय सेवा क्षेत्र में है तो पब्लिक के साथ व्यवहार करते समय सावधानी रखने की जरूरत है। बड़ों का आशीर्वाद मिलेगा। पारिवारिक सदस्यों के सम्बन्धों में मधुरता आएगी।

धनु:- आय के नए स्रोत बनने के उचित योग बन रहे हैं। कारोबार में कोई उपलब्धि मिलने पर ज्यादा सोच-विचार नहीं करके तुरंत उस पर अमल करें। नौकरी में छोटी-मोटी समस्याएं आ सकती है। बॉस और वरिष्ठ अधिकारियों की मदद से उन्हें सुलझाने में सक्षम रहेंगे। आध्यात्मिक विषयो में वृद्धि होगी।

मकर:- किसी भी परिस्थिति में कार्य को पूरा करने की क्षमता रखेंगे। समाज और परिवार में मान-सम्मान एवं प्रतिष्ठा में इजाफा होगा। व्यवहार कुशलता का सकारात्मक प्रभाव सम्मान में बढोतरी करेगा। परिवार में परस्पर प्रेम व सौहार्द बना रहेगा। स्वास्थ्य लाभ होगा।

कुंभ :-योजना अनुसार कार्य करने में सफलता मिलेगी। मशीनरी और तकनीकी कार्यों से संबंधित व्यवसाय में कामयाब रहेंगे। अपनी कार्यप्रणाली और व्यस्तता संबंधी योजनाओं को किसी के समक्ष जाहिर नहीं करें। ऑफिस में किसी परेशानी में सहकर्मियों का पूरा सहयोग मिलेगा। स्वास्थ्य बेहतर रहेगा।

मीन:- घर में किसी नजदीकी रिश्तेदार के आगमन से खुशी का माहौल रहेगा। किसी महत्वपूर्ण मुद्दे पर सलाह-मशविरा होने से कोई समाधान भी मिलेगा। पिछले काफी समय से लंबित कोर्ट-कचहरी संबंधी मामले पर काम करने का उचित समय है। सामाजिक दायरा बढ़ेगा। स्वास्थ्य सही रहेगा।

आज का पंचांग- 12 अप्रैल 2024:जानिए पञ्चाङ्ग के अनुसार आज का मुहूर्त और ग्रहयोग

विक्रम संवत- 2081, पिंगल

शक सम्वत- 1946, क्रोधी

पूर्णिमांत- चैत्र

अमांत- चैत्र

तिथि

शुक्ल पक्ष चतुर्थी - अप्रैल 11 03:03 PM- अप्रैल 12 01:12 PM

नक्षत्र

रोहिणी- अप्रैल 12 01:38 AM- अप्रैल 13 12:51 AM

योग

सौभाग्य- अप्रैल 12 04:29 AM- अप्रैल 13 02:13 AM

सूर्य और चंद्रमा का समय

सूर्योदय- 6:13 AM

सूर्यास्त- 6:42 PM

चन्द्रोदय- अप्रैल 11 7:50 AM

चन्द्रास्त- अप्रैल 11 9:45 PM

अशुभ काल

राहू- 10:46 ए एम से 12:22 पी एम

यम गण्ड- 03:34 पी एम से 05:10 पी एम

कुलिक- 07:34 ए एम से 09:10 ए एम   

दुर्मुहूर्त- 08:32 ए एम से 09:23 ए एम, 12:48 पी एम से 01:39 पी एम

वर्ज्यम्- 05:06 पी एम से 06:39 पी एम

शुभ काल

अभिजीत मुहूर्त- 12:02 PM- 12:52 PM

अमृत काल- 11:21 PM- 12:51 AM

ब्रह्म मुहूर्त- 04:36 AM- 05:24 AM

शुभ योग

रवि योग- 12:51 ए एम, अप्रैल 13 से 05:58 ए एम, अप्रैल 13

गणगौर या गौरी तृतीया : देवी पार्वती और भगवान शिव के दिव्य प्रेम का पवित्र त्यौहार

भारत विविध त्योहारों का देश है। इसमें विभिन्न राज्यों और उनकी संस्कृति के रंग भरे हुए हैं। एक कहावत है “सात वार और नौ त्यौहार” अर्थात सप्ताह में केवल 7 दिन होते हैं लेकिन त्यौहार नौ होते हैं। गणगौर या गौरी तृतीया एक जीवंत धार्मिक त्योहार है जो देवी पार्वती और भगवान शिव के दिव्य प्रेम का जश्न मनाता है। गणगौर होली के बाद मनाया जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार चैत्र माह में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रंगों का त्योहार। गणगौर या गौर माता एक स्थानीय देवी और भगवान शिव की पत्नी देवी पार्वती का एक रूप हैं। गणगौर त्यौहार बड़े पैमाने पर राजस्थान और उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। इन दोनों राज्यों के अलावा गणगौर मध्य प्रदेश, हरियाणा और गुजरात में भी मनाया जाता है।

हर राज्य की संस्कृति उसके रीति-रिवाजों, वेशभूषा और त्योहारों में दिखाई देती है। भारत के हर राज्य की अपनी-अपनी खासियत है जिसमें त्यौहार बहुत महत्वपूर्ण हैं। राजस्थान, भारत का उत्तरी राज्य, मारवाड़ियों का राज्य है। गणगौर मारवाड़ियों का एक प्रमुख त्योहार है, जिसे बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। राजस्थान ही नहीं बल्कि हर राज्य में रहने वाले मारवाड़ी इस त्योहार को पूरे रीति-रिवाज के साथ मनाते हैं। गणगौर को अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। मध्य प्रदेश के निमाड़ी लोग भी इसे मारवाड़ियों की तरह ही उतने ही उत्साह से मनाते हैं। दोनों समुदायों की पूजा पद्धतियां अलग-अलग हैं जबकि त्योहार एक ही है। मारवाड़ी लोग सोलह दिनों तक गणगौर की पूजा करते हैं लेकिन निमाड़ी लोग केवल तीन दिन ही गणगौर मनाते हैं।

गणगौर त्योहार विवाहित महिलाओं के लिए बहुत महत्व रखता है क्योंकि वे अपने पतियों के स्वस्थ जीवन और स्वस्थ वैवाहिक संबंधों के लिए देवी पार्वती की पूजा करती हैं। भगवान शिव जैसा समझदार और सबसे अच्छा पति पाने के लिए कुंवारी लड़कियां भी पूजा और गणगौर उत्सव में भाग लेती हैं।

गणगौर की तिथि,चैत्र नवरात्रि की तृतीया तिथि 11 अप्रैल 2024 को है।


सूर्योदय पर सर्वोत्तम मुहूर्त होगा: प्रातः 6:29 – प्रातः 8:24

अभिजीत मुहूर्त

 12:04 pm – 12:52 pm

तृतीया तिथि प्रारंभ 05:30 अपराह्न 10 अप्रैल 2024

तृतीया तिथि समाप्त 03:00 अपराह्न 11 अप्रैल 2024

गणगौर की पूजा विधि 


मारवाड़ी महिलाओं द्वारा गणगौर की पूजा सोलह दिनों तक की जाती है। मुख्य रूप से शादी के बाद पहली होली पर विवाहित लड़की अपने माता-पिता के घर या ससुराल में सोलह दिनों तक गणगौर मनाती है। गणगौर की पूजा अकेले नहीं बल्कि जोड़े के साथ की जाती है। विवाहित लड़कियां पूजा के लिए अन्य 16 लड़कियों को आमंत्रित करती हैं। वह उन्हें सुपारी और अन्य सुहाग का सामान देती है। गणगौर सोलह दिनों तक बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है और 16 दिनों के बाद उद्यापन कर गणगौर माता की मूर्ति को जलाशय में विसर्जित कर दिया जाता है। गणगौर की पूजा होलिका दहन के दूसरे दिन पड़वा यानी फाल्गुन मास की पूर्णिमा से शुरू होती है, जिस दिन होली खेली जाती है। जो महिलाएं शादी के बाद अपनी पहली होली मना रही होती हैं, उस दिन घर में गणगौर की चौकी/पाटा लगाकर सोलह दिनों तक गणगौर की पूजा की जाती है। 

पूजा शुरू करने के लिए सबसे पहले एक बर्तन स्थापित किया जाता है और उस पर एक साथिया (एक पवित्र चिन्ह) बनाया जाता है। इसके बाद एक कलश रखा जाता है, जिसमें पानी भरा होता है, जिसके किनारों पर पांच पान के पत्ते होते हैं और उसके बीच में कलश की तरह नारियल रखा होता है। इसे स्टूल के दाहिनी ओर रखा जाता है।अब बर्तन में सवा रुपये रखे जाते हैं और एक सुपारी को भगवान गणेश के रूप में पूजा जाता है।

अब होली की राख और काली मिट्टी से सोलह छोटे-छोटे गोले बनाकर चौकी/पाटे पर रखें। इसके बाद जल, कुमकुम और चावल के बीज छिड़ककर पूजा पूरी की जाती है।

दीवार पर एक कागज लगाया जाता है और विवाहित लड़की सोलह-सोलह टिक्कियाँ लगाती है और अविवाहित लड़की क्रमशः कुमकुम, हल्दी, मेंहदी और काजल की आठ-आठ टिक्कियाँ लगाती है।इसके बाद सभी महिलाएं मिलकर ढोलक बजाते हुए सोलह बार गणगौर गीत गाती हैं।

इसके बाद, एक महिला भगवान गणेश की कहानी पढ़ती है और पाटे का गीत गाती है, भगवान सूर्यनारायण को अर्घ (श्रद्धांजलि) देती है और जल देती है।

पूरे सोलह दिनों तक यह पूजा की जाती है। सातवें दिन शीतला सप्तमी के दिन शाम को कुमार के यहां से गाजे-बाजे और उत्सव के साथ गणगौर और दो मिट्टी के बर्तन लाए जाते हैं।

अब अष्टमी से गणगौर तीज तक हर सुबह बिजौरा को फूलों से सजाया जाता है। दो खांचों में गेहूँ और ज्वार काटा जाता है। गणगौर की कुल पाँच मूर्तियाँ हैं जिनमें ईसर जी (भगवान शिव), गणगौर माता (पार्वती माता), मालन, माली, दो ऐसे जोड़े और एक विमलदास जी हैं। इन सभी की प्रतिदिन पूजा की जाती है। गणगौर की तीज पर उद्यापन किया जाता है और हर मूर्ति सहित सभी वस्तुओं को जलाशय में विसर्जित कर दिया जाता है।

गणगौर व्रत की कथा


देवी गौरी तपस्या और पवित्रता का प्रतीक हैं। ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने बड़ी भक्ति और प्रतिबद्धता से भगवान शिव को प्रभावित किया। उन्होंने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए घोर तपस्या और कठोर तपस्या की। विभिन्न क्षेत्रों में गणगौर कथा के कई संस्करण हैं।

एक समय था जब भगवान शिव देवी पार्वती और नारद मुनि के साथ पृथ्वी पर आये थे। वे किसी जंगल में पहुंचे। यह खबर आसपास के गांव की महिलाओं को हुई। सभी महिलाएँ बहुत खुश हुईं और भगवान और देवी का स्वागत करना चाहती थीं। उन्होंने उनके लिए स्वादिष्ट भोजन पकाया। निचली जाति की महिलाएँ पहले आईं और उन्होंने भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा की और उन्हें भोजन अर्पित किया। देवी पार्वती ने उन्हें आशीर्वाद में सुहाग दिया। ऊँची जाति की महिलाएँ देर से आईं क्योंकि वे तैयार हो रही थीं। उन्होंने पूजा भी की और शिव जी और पार्वती जी को स्वादिष्ट भोजन भी खिलाया। देवी पार्वती ने अपने सभी सुहाग निचली जाति की महिलाओं को दे दिए थे इसलिए उन्होंने अपना अंगूठा काटकर अपना खून ऊंची जाति की महिलाओं को आशीर्वाद के रूप में दे दिया। इसी कहानी को दर्शाने के लिए लोग गणगौर का त्योहार खुशी से मनाते हैं।

गणगौर उद्यापन की विधि


मुख्य गणगौर उत्सव पर सोलह दिवसीय पूजा के बाद अंतिम दिन गणगौर की मूर्तियों की पूजा की जाती है और परिवार और दोस्तों के साथ उद्यापन पूजा की जाती है और त्योहार मनाया जाता है।

अंतिम दिन या मुख्य गणगौर उत्सव के दिन, गणगौर को गुण (एक मिठाई), फल, सीरा, पुरी और गेहूं चढ़ाए जाते हैं।

इन चीजों को गणगौर माता की मूर्ति पर आठ बार चढ़ाया जाता है और आधा वापस ले लिया जाता है।

गणगौर त्यौहार के दिन, कावारी (कुंवारी) लड़कियाँ दो बार गणगौर की पूजा करती हैं, एक दैनिक आधार पर।

दूसरी पूजा से पहले ब्यावली महिला छोलिया पहनती है, जिसमें पापड़ी या गुण (फल) रखे जाते हैं। इसमें स्वयं के सोलह फल, भाई के सोलह फल, बहू के सोलह फल और सास के सोलह फल होते हैं।

चोले के ऊपर साड़ी और शादी का जोड़ा रखें। पूजा करने के बाद चोगे के ऊपर हाथ फेरा जाता है।

शाम के समय लोग गाजे-बाजे के साथ गणगौर को पानी में विसर्जित करने जाते हैं और कहानी के अनुसार जो सामान चढ़ाया जाता है उसे माली को दे दिया जाता है।

गणगौर के विसर्जन के बाद सभी लोग वाद्ययंत्रों के साथ नाचते-गाते घर आते हैं।

गणगौर पूजा का महत्व


गणगौर शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है गुण का अर्थ है शिव और गौर का अर्थ है गौरी (मां पार्वती)। यह त्यौहार भगवान शिव और देवी पार्वती के प्रेम और विवाह को समर्पित है। गणगौर एक ऐसा त्योहार है जिसे लड़की हो या महिला हर कोई मनाता है। त्योहार के दौरान अविवाहित लड़कियां और विवाहित महिलाएं दोनों ही पूरे रीति-रिवाजों और रीति-रिवाजों के साथ भगवान शिव और माता पार्वती के एक रूप गणगौर की पूजा करती हैं। विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं जबकि अविवाहित लड़कियां भगवान शिव जैसा अच्छा पति पाने के लिए प्रार्थना करती हैं। यह त्यौहार महिलाओं के साधारण दैनिक जीवन को एक अलग रंग और जीवंतता देता है।

नवरात्रि के तृतीय दिन माँ चन्द्रघंटा देवी को पूजा करके लाभ एवं माता जी की अपार कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करे

नवरात्रि के तृतीय दिन माँचन्द्रघंटा देवी को पूजा करके लाभ एवं माता जी की अपार कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करे ।

माता दुर्गा के तीसरे शक्ति माँ चन्द्रघंटा हैं। माता जी का इस स्वरूप परम शान्तिदायी ओर कल्याणकारी हैं। माता जी क मस्तक पर घंटा आकृति का अर्धचन्द्र शोभा पाता हैं। माँ दशभूजा हैं। माताजी का शरीर स्वर्ण जैसे उज्ज्वल हैं। माँ सिंहबाहिनी हैं। युद्ध में माँ दैत्यों को परास्त करती हैं।

इस दिन साधक अलौकिकता का अनुभव करते हैं। माँ चन्द्रघंटा की पूजा का बहुत महत्व हैं। इस दिन साधक का मन मणिपुर चक्र में प्रवेश करता हैं। माँ की कृपा से अलौकिक वस्तुओं का दर्शन मिलता हैं। माँ की कृपा से दिव्य सुगन्ध का अनुभव होता हैं और दिव्य ध्वनियाँ सुनने को मिलता हैं। उसी क्षण में साधक को सतर्क रहना अनिवार्य हैं।

माता के कृपा से मिलता हैं। निर्भीकता का वरदान...

माता की कृपा से भक्तों के सारें पाप , वाधाएँ नष्ट हो जाते हैं। माँ युद्धाभिमुखी होने के कारण भक्तों के दुःखों को अतिशिघ्र दूर करती हैं। माता की घंटा ध्वनी भक्तों को प्रेत , वाधाओं से मुक्त करता हैं।

माता की आराधना करने से मिलता हैं , निर्भीकता , वीरता , सौम्यता और विनम्रता का वरदान । जो माता की साधना करते हैं उनके शरीर से दिव्य-ज्योतियुक्त परमाणुओं को अदृश्य विकिरण होती हैं।

इस मन्त्र से करें माँ चन्द्रघंटा की आराधना... तीसरे दिन इस मन्त्र का 108 वार जाप करने से माँ चन्द्रघंटा की अपार करूणा प्राप्त होते हैं।

 पिण्डजप्रवरारुढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।

प्रसादं तनुते मह्यां चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥

इस रंग का इस्तमाल करें...

नवरात्री केे तीसरे दिन धूसर रंग का बहुत महत्व हैं। सारे भक्त ग्रे रंग का वस्त्र हीं धारण करें।

माँ को लगाएँ भोग...

माँ को खीर का भोग लगाएँ। ऐसा करने पर माँ भक्तों के सारे दुःख , मुसीवतों को हर लेती हैं और प्रसन्नता का वरदान देती हैं। माँ को दूध बहुत प्रिय हैं।

इस दिन माँ चन्द्रघंटा की स्वरूप को ध्यान करने से इहलोक और परलोक में हम सबका परम कल्याण होने के साथ साथ माताजी सदगति प्रदान करते हैं। माताजी के उपासना से भक्त सारे सांसरिक कष्टों से मुक्ति पा जाता हैं । इसलिए अपने मन , वचन , कर्म और काया को शुद्ध करके माता की आराधना में लीन हो जाना चाहिए , तभी जाकर माता की कृपा प्राप्त होगी।

आज का राशिफल,11 अप्रैल 2024:जानिए राशिफल के अनुसार आज आप का दिन कैसा रहेगा...?

मेष: - पूर्व नियोजित यात्रा को टालना पड़ सकता है। खर्च पर संतुलन बनाना होगा। खर्च अधिक हो सकता है। तनाव और उलझन की स्थिति बनी रहेगी। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। घर गृहस्थी के उपयोग की कोई वस्तु खरीदी जाएगी।

वृष: - किस्मत का साथ मिलेगा। मेहनत के अनुपात में दोगुना लाभ प्राप्त कर सकेंगे। व्यवहार सहयोगात्मक रखें। इससे लोगों से भी सहयोग प्राप्त कर सकेंगे। कार्यक्षेत्र में अधिकारी से या व्यवसाय क्षेत्र में व्यापारी से अनबन हो सकती है।

मिथुन:- दिन मिश्रित फलदायी रहेगा। कार्य की व्यस्तता रहेगी। धर्म-कर्म में रुचि बढ़ेगी। नई तकनीक की जानकारी के प्रति रुझान बढ़ेगा। आय-व्यय की स्थिति भी संतुलित रहेगी। नौकरी पेशा वर्ग को उन्नति मिल सकती है।

कर्क: - भाग्य का भरपूर साथ मिलेगा। सावधानीपूर्वक एवं सोच-विचार करके ही काम करें। लाभ मिलेगा। अधूरे कार्यों को पूरा करने का प्रयास करें। सफलता मिलेगी। जीवनसाथी एवं व्यापार में साझीदारों का सहयोग मिलेगा।

सिंह: - जीवनसाथी से वैचारिक मतभेद हो सकता है। सचेत होकर कार्य करें। अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखकर कोई भी निर्णय लें। भावुकता में लिए गए निर्णय से नुकसान होगा। साझेदारी में किया व्यापार फायदा पहुंचाएगा।

कन्या: - विरोधी परास्त होंगे। प्रिय व्यक्ति से मुलाकात एवं उनकी उपस्थिति आपको प्रसन्न रखेगी। कारोबार में लाभ की स्थिति रहेगी। कहीं से पैसा लेना हो तो प्रयास करें। सफलता मिलेगी। नए प्रोजेक्ट पर भी कुछ काम शुरू हो सकता है।

तुला: - योग्यता और कार्यक्षमता की तारीफ होगी। सहकर्मी आपसे सीख लेंगे। परिवार में रिश्तेदारों का आना-जाना लगा रहेगा। दिन महत्वाकांक्षी प्रकृति वालों के लिए शुभ फलदायक रहेगा। जीवनसाथी का सहयोग व सान्निध्य मिलेगा।

वृश्चिक: - बीते दिनों की बेचैनी शांत हो जाएगी। मन में आंतरिक शांति का अनुभव होगा। अतिरिक्त आय के नए साधन नजर आएंगे। आधा दिन परोपकार करने में बीतेगा। दूसरों की सहायता करने से आत्मसंतुष्टि प्राप्त होगी।

धनु:- खुशी बरकरार रहे, इसके लिए सावधान होकर कोई भी काम करें। किसी से वाद-विवाद में नहीं पड़ें। क्रोध व वाणी पर नियंत्रण रखना आवश्यक है। खर्चे कम हो जाने से अर्थव्यवस्था सुदृढ़ होगी। अच्छे वाहन का सुख प्राप्त होगा।

मकर:- नवीन कार्य के सिलसिले में यात्रा कर सकते हैं। आर्थिक स्थिति मजबूत रहेगी। पराक्रम एवं आत्मविश्वास में वृद्धि का योग है। घर में पत्नी या किसी संतान की अचानक तबीयत खराब होने से टेंशन हो सकती है।

कुंभ:- ग्रहों की चाल से लाभ का मौका मिल रहा है। दिन की शुरुआत धन लाभ से होगी। बड़ी मात्रा में रुपया हाथ में आने से संतोष होगा। चिंतामुक्त होकर कार्यक्षेत्र में सक्रिय रहेंगे। पारिवारिक जीवन में सुख और संतोष बना रहेगा।

मीन:- लंबे समय से चली आ रही उलझन से छुटकारा मिलेगा। आलस्य छोड़कर कार्य में जुटे रहें। अनावश्यक खर्च से बचें। नौकरी और व्यवसाय में स्थिति अनुकूल रहेगी। आर्थिक मसलों में सोच समझ कर किए गए निवेश अत्यधिक फायदा दे सकते हैं।

आज का पंचांग- 11 अप्रैल 2024: जानिए पञ्चाङ्ग के अनुसार आज का मुहूर्त और ग्रहयोग

विक्रम संवत- 2081, पिंगल

शक सम्वत- 1946, क्रोधी

पूर्णिमांत- चैत्र

अमांत- चैत्र

तिथि

शुक्ल पक्ष तृतीया - अप्रैल 10 05:32 PM- अप्रैल 11 03:03 PM

शुक्ल पक्ष चतुर्थी - अप्रैल 11 03:03 PM- अप्रैल 12 01:12 PM

नक्षत्र

कृत्तिका- अप्रैल 11 03:05 AM- अप्रैल 12 01:38 AM

रोहिणी- अप्रैल 12 01:38 AM- अप्रैल 13 12:51 AM

योग

प्रीति- अप्रैल 10 10:37 AM- अप्रैल 11 07:19 AM

आयुष्मान- अप्रैल 11 07:19 AM- अप्रैल 12 04:29 AM

सौभाग्य- अप्रैल 12 04:29 AM- अप्रैल 13 02:13 AM

सूर्य और चंद्रमा का समय

सूर्योदय- 6:13 AM

सूर्यास्त- 6:42 PM

चन्द्रोदय- अप्रैल 11 7:50 AM

चन्द्रास्त- अप्रैल 11 9:45 PM

अशुभ काल

राहू- 2:01 PM- 3:35 PM

यम गण्ड- 6:13 AM- 7:46 AM

कुलिक- 9:20 AM- 10:54 AM

दुर्मुहूर्त- 10:22 AM- 11:12 AM, 03:22 PM- 04:12 PM

वर्ज्यम्- 02:21 PM- 03:51 PM

शुभ काल

अभिजीत मुहूर्त- 12:02 PM- 12:52 PM

अमृत काल- 11:21 PM- 12:51 AM

ब्रह्म मुहूर्त- 04:36 AM- 05:24 AM

शुभ योग

सर्वार्थसिद्धि योग- अप्रैल 11 03:05 AM- अप्रैल 11 06:13 AM

चैत्र नवरात्रि का दूसरा दिन आज, जानें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का विधान

#chaitranavratrimaabrahmacharinipuja

नवरात्र के दूसरे दिन मां दुर्गा के 'देवी ब्रह्मचारिणी' स्वरूप की पूजा करने का विधान है। मां ब्रह्मचारिणी को ज्ञान और तप की देवी कहा जाता है। माता के नाम से उनकी शक्तियों के बारे में जानकारी मिलती है। ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी का अर्थ है आचरण करने वाली अर्थात तप का आचरण करने वाली ब्रह्मचारिणी को हमन बार बार नमन करते हैं।मां ब्रह्मचारिणी के आशीर्वाद से व्यक्ति अपने कार्य में सफल होते हैं, हर विकट स्थिति से लड़ने की क्षमता पैदा होती है। मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से उस व्यक्ति को जप, तप, त्याग, संयम आदि की प्राप्ति होती है।

मां ब्रह्मचारिणी कौन हैं?

मां ब्रह्मचारिणी सफेद वस्त्र पहनती हैं और हाथ में कमंडल एवं जप की माला धारण करती हैं। उनके कठोर साधना के कारण उनको मां ब्रह्मचारिणी कहा जाता है। वे दूसरी नवदुर्गा कहलाती हैं। इनकी पूजा नवरात्र के दूसरे दिन की जाती है। ब्रह्मचारिणी इस लोक के समस्त चर और अचर जगत की विद्याओं की ज्ञाता हैं। यह अक्षयमाला और कमंडल धारिणी ब्रह्मचारिणी नामक दुर्गा शास्त्रों के ज्ञान और निगमागम तंत्र-मंत्र आदि से संयुक्त है। अपने भक्तों को यह अपनी सर्वज्ञ संपन्न विद्या देकर विजयी बनाती है। ब्रह्मचारिणी का स्वरूप बहुत ही सादा और भव्य है। अन्य देवियों की तुलना में वह अतिसौम्य, क्रोध रहित और तुरंत वरदान देने वाली देवी है।

ऐसे पड़ा माता का नाम ब्रह्मचारिणी

शास्त्रों में बताया गया है कि मां दुर्गा ने पार्वती के रूप में पर्वतराज के यहां पुत्री बनकर जन्म लिया और महर्षि नारद के कहने पर अपने जीवन में भगवान महादेव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। एक हजार वर्ष तक मां ब्रह्मचारिणी ने सिर्फ फल-फूल खाकर तपस्या की और सौ वर्षों तक केवल जमीन पर रहकर शाक पर निर्वाह किया। कुछ दिनों तक कठिन व्रत रखे और खुले आकाश के नीचे वर्षा और धूप के घोर कष्ट सहती रही। कई वर्षों तक टूटे हुए बिल्व पत्र खाएं और भगवान शंकर की आराधना करती रहीं। इसके बाद तो मां ब्रह्मचारिणी ने सूखे बिल्व पत्र खाने भी छोड़ दिए।वर्षों तक निर्जल और निराहार रह कर तपस्या करती रहीं । हजारों वर्षों तक अपनी कठिन तपस्या के कारण ही इनका नाम तपश्चारिणी या ब्रह्मचारिणी पड़ा। उनके इसी तप के प्रतीक के रूप में नवरात्र के दूसरे दिन इनके इसी रूप की पूजा और स्तवन किया जाता है।

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा कैसे करें?

आज शुभ मुहूर्त में पूजा स्थान पर मां ब्रह्मचारिणी की आराधना करें। नवरात्रि पूजा में ब्रह्मचर्य के नियमों का पालन करें। आसन पर बैठकर मां ब्रह्मचारिणी का ध्यान करें। फिर उनको अक्षत, फूल, फल, चीनी, पंचामृत, धूप, दीप, नैवेद्य आदि चढ़ाएं. इनको अर्पित करते समय मां ब्रह्मचारिणी का पूजा मंत्र पढ़ें। फिर मां ब्रह्मचारिणी की कथा पढ़ें और आरती करें।

आज से कलश स्थापना के साथ चैत्र नवरात्र शुरू,नवरात्र के पहले दिन शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना के साथ देवी माता की आराधना हो जाएगी आरंभ

भगवती दुर्गा की उपासना का महापर्व वासंतिक नवरात्र, पिंगल नामक नवसंवत्सर व विक्रम संवत 2081 मंगलवार को चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से शुरू हो रहा है. नवरात्र के पहले दिन शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना के साथ देवी माता की आराधना आरंभ हो जायेगी।श्रद्धालु गंगा मिट्टी या बालू में जौ डालकर उसके ऊपर विधि विधान से घट की स्थापना करेंगे. चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से विजया दशमी तक माता के विभिन्न रूपों की पूजा होगी.

शुभ मुहूर्त में होगी कलश स्थापना

आचार्य राकेश झा ने बताया कि कलश-गणेश की पूजा से चैत्र नवरात्र का अनुष्ठान आरंभ हो जायेगा. जगत जननी की कृपा व सर्वसिद्धि की कामना से उपासक फलाहार या सात्विक अन्न ग्रहण करते हुए दुर्गा सप्तशती के 13 अध्याय के कुल 700 श्लोकों का सविधि पाठ करेंगे. चैत्र शुक्ल नवमी बुधवार 17 अप्रैल को महानवमी और 18 को विजयादशमी का पर्व मनाया जायेगा.

पुष्य नक्षत्र के सुयोग में 17 को महानवमी

चैत्र शुक्ल नवमी 17 अप्रैल बुधवार को पुष्य नक्षत्र के सुयोग में महानवमी का पर्व मनाया जायेगा. इसी दिन श्रद्धालु देवी दुर्गा के नवम स्वरूप सिद्धिदात्री की पूजा कर विशिष्ट भोग अर्पण, दुर्गा पाठ का समापन, हवन, कन्या पूजन व पुष्पांजलि करेंगे. रामनवमी का व्रत, ध्वज पूजन व शोभायात्रा भी इसी दिन निकलेगी.

अश्व पर होगा देवी का आगमन

ज्योतिर्विद डॉ श्रीपति त्रिपाठी ने बताया कि चैत्र नवरात्र का पहला दिन मंगलवार होने से देवी दुर्गा का आगमन अश्व यानी घोड़े पर होगा. घोड़े पर भगवती के आगमन से समाज में अस्थिरता, तनाव, राजनीतिक उथल-पुथल, चक्रवात, भूकंप की स्थिति उत्पन्न होती है.

कलश स्थापना के शुभ मुहूर्त

तिथि मुहूर्त : सुबह 5:46 बजे से पूरे दिन

गुली काल मुहूर्त : दोपहर 11:51 बजे से 1:26 बजे तक

अभिजीत मुहूर्त : दोपहर 11:26 बजे से 12:16 बजे तक

चर-लाभ-अमृत मुहूर्त : सुबह 8:42 बजे से 1:26 बजे तक

आज नवरात्र के प्रथम दिन ,आज माँ शैलपुत्री की पूजा की जाती है ..

ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥

वंदे वाद्द्रिछतलाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम | 

वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्री यशस्विनीम्‌ ||

देवी सर्वभू‍तेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः|

नवरात्रों की शुरुआत माँ दुर्गा के प्रथम रूप "माँ शैलपुत्री" की उपासना के साथ होती है ।

शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्मी माँ दुर्गा के इस रूप का नाम शैलपुत्री है । नवरात्रि पूजन के प्रथम दिन कलश स्थापना के साथ इनकी ही पूजा और उपासना की जाती है । माता शैलपुत्री का वाहन वृषभ है । पार्वती और हेमवती इन्हीं के नाम हैं ।

माता शैलपुत्री का स्वरूप....

माँ दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का पुष्प रहता है । नवरात्र के इस प्रथम दिन की उपासना में योगी अपने मन को ‘मूलाधार’ चक्र में स्थित करते हैं और यहीं से उनकी योग साधना प्रारंभ होती है।

पौराणिक कथानुसार मां शैलपुत्री अपने पूर्व जन्म में प्रजापति दक्ष के घर कन्या रूप में उत्पन्न हुई थी । उस समय माता का नाम सती था और इनका विवाह भगवान् शंकर से हुआ था।

माता शैलपुत्री की कथा .....

एक बार प्रजापति दक्ष ने यज्ञ आरम्भ किया और सभी देवताओं को आमंत्रित किया। परन्तु भगवान शिव को आमंत्रण नहीं दिया। अपनी मां और बहनों से मिलने को आतुर मां सती बिना निमंत्रण के ही तथा बिना शिवजी की आज्ञा के जब पिता के घर पहुंची तो उन्हें वहां अपने और भोलेनाथ के प्रति तिरस्कार से भरा भाव मिला । मां सती इस अपमान को सहन नहीं कर सकी और वहीं योगाग्नि द्वारा खुद को जलाकर भस्म कर दिया और अगले जन्म में शैलराज हिमालय के घर पुत्री रूप में जन्म लिया एवं पार्वती के रूप में भगवान शंकर जी से विवाह किया।

शैलराज हिमालय के घर जन्म लेने के कारण मां दुर्गा के इस प्रथम स्वरुप को शैलपुत्री कहा जाता है । मां भगवती की विशेष कृपा प्राप्ति हेतु षोडशोपचार पूजन के बाद नियमानुसार प्रतिपदा तिथि को नैवेद्य के रूप में गाय का घृत मां को अर्पित करना चाहिए और फिर वह घृत ब्राह्मण को दे देना चाहिए। मान्यता है कि माता शैलपुत्री की भक्तिपूर्वक पूजा करने से मनुष्य कभी रोगी नहीं होता ।