*आजादी के लिए खुद को बलिदान देने वाले वीर सपूतों को श्रद्धांजलि देकर किया गया याद*
ललितपुर- शनिवार को जिला बार एसोसिएशन के सभागार में आजादी के लिए खुद को बलिदान करने वाले भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को अधिवक्ताओं द्वारा श्रद्धांजलि देकर याद किया गया। साथ ही उनसे प्रेरणा लेने की बात कही गई।जिला बार एसोसिएशन के महामंत्री ने कहा कि देश की आजादी के नायक भगत सिंह में देशभक्ति बचपन से ही कूट-कूट कर भरी हुई थी, युवा पीढ़ी को क्रांतिकारियों के जीवन के बारे में जानकर देशसेवा की सीख लेनी चाहिए।
वरिष्ठ अधिवक्ता शरद चौबे ने कहा कि शहीद सुखदेव, भगत सिंह और राजगुरु ने न सिर्फ जीते जी देश की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया बल्कि अपने बलिदान से हर भारतवासी के हृदय में स्वाधीनता की अलख जगाई। यह तीनों राष्ट्रभक्त स्वतंत्रता आंदोलन के अमर प्रतीक हैं जो हमें सदैव राष्ट्र की सेवा और एकता के लिए प्रेरित करते रहेंगे। पूर्व कनिष्ठ उपाध्यक्ष पुष्पेन्द्र सिंह चौहान ने कहा कि जिंदगी लंबी नहीं बल्कि बड़ी होनी चाहिए। यह सिर्फ एक साधारण कथन नहीं बल्कि संपूर्ण जीवन दर्शन है। इस दर्शन को जिसने भी अपनाया वो हमेशा के लिए अमर हो गया। एक ऐसे ही शख्स थे शहीद-ए-आज़म भगत सिंह।
भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 में हुआ और 23 मार्च 1931 को भारत मां का यह सपूत देश के लिए हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर झूल गया। अंग्रेजी हुकूमत को अपने अदम्य साहस से झकझोर देने वाले भगत सिंह के रग-रग में देशभक्ति और क्रांति थी। वह कहते थे, ''मेरे जज्बातों से इस कदर वाकिफ हैं मेरी कलम, मैं इश्क भी लिखना चाहूँ तो इंकलाब लिखाता हैं।
इस दौरान मनोहर चतुर्वेदी,चंद्रप्रकाश संज्ञा, बृजेन्द्र सिंह चौहान, मुरारी कुशवाहा,आनंद प्रजापति,रमेश कुशवाहा,राजेश पाठक,रवि साहू,छोटेलाल कुशवाहा आदि कई अधिवक्ताओं ने श्रद्धांजलि अर्पित की व अधिवक्ता शशिकांत लोधी ने संचालन किया।
Mar 23 2024, 18:48