किसानों ने निकाला ट्रैक्टर मार्च: केंद्र सरकार की नीतियों का विरोध, 16 फरवरी को भारत बंद की चेतावनी

बेगूसराय में संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर किसानों ने केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ ट्रैक्टर मार्च निकाला। जो पॉलिटेक्निक कॉलेज शुरू होकर हर-हर महादेव चौक, पावर हाउस, स्टेशन चौक, थाना, नगर पालिका और नवाब चौक होते हुए समाहरणालय के पास पहुंचा। किसानों ने 16 फरवरी को भारत बंद करने की चेतावनी भी दी।

इस मौके पर बिहार राज्य किसान सभा के महासचिव अशोक प्रसाद सिंह ने कहा कि किसानों से मोदी सरकार ने जो वादा किया था, आज तक उसे पूरा नहीं किया गया। कॉर्पोरेट लूट से खेत, खेती और किसान को बचाने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले देश के 600 किसान संगठन 5 साल से लड़ाई लड़ रही है। जिसमें हजारों किसानों ने अपनी जान की कुर्बानी दी। कई पर मुकदमे हुए। किसान जेल गए, लाठियां खाई।

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों के साथ किए गए वादे को आजतक पूरा नहीं किया। उल्टे मांगों को दबाने के लिए किसानों को हिंदू बनाने का खेल जारी है। ताकि किसान अपनी समस्या भूलकर सिर्फ मोदी नाम केवलम का पाठ करें।

वहीं, तेघड़ा विधायक राम रतन सिंह ने कहा कि आज देशभर में लाखों किसान ट्रैक्टर लेकर सड़कों पर परेड करने उतरे हैं। किसानों की कर्ज मुक्ति, पांच हजार मासिक पेंशन, फसलों का बीमा, बाढ़-सूखा का स्थाई निदान, आवारा पशुओं की आवारागर्दी पर रोक एवं बर्बाद फसलों का मुआवजा, 600 रुपए प्रति क्विंटल गन्ना का दाम सहित 23 सूत्री मांगों को लेकर आज किसान सड़कों पर निकले हैं।

हम किसान और मजदूर मिलकर जन एकजुटता के बल पर 16 फरवरी को फिर सड़कों पर उतरेंगे। शहरी एवं ग्रामीण भारत को बंदकर हम किसान मजदूर अपनी चट्टानी एकता के बल पर अपने गुस्से का इजहार करेंगे। सभा की अध्यक्षता टुनटुन दास ने की। सभा को किसान नेता दिनेश सिंह, अरविंद सिंह, मजदूर नेता प्रहलाद सिंह, ललन कुमार, अनिल अंजान, भोला सिंह, मो नूर आलम एवं गणेश चौधरी ने भी संबोधित किया।

बेगूसराय से नोमानुल हक की रिपोर्ट

राजभवन में आयोजित हाई-टी पार्टी में नहीं पहुंचे तेजस्वी यादव, नीतीश के बगल की खाली कुर्सी कह गई सियासी कहानी

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बिहार में भारी ठंड पड़ रही है, लेकिन सियासी गलियारे का पारा चढ़ा हुआ। अब तक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ साए की तरह नजर आने वाले उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने दूरियां बढ़ा ली है। दरअसल, आज गणतंत्रता दिवस के मौके पर बिहार में राजभवन के कार्यक्रम का आयोजन किया गया। राजभवन में आयोजित हाई-टी पार्टी में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नजर आए, लकिन तेजस्वी यादव नहीं पहुंचे।नीतीश कुमार के बगल रखी उनकी कुर्सी खाली नजर आई।

शुक्रवार दोपहर को गणतंत्र दिवस के मौके पर बिहार राज्यपाल की तरफ से राजभवन में हाई-टी पार्टी आयोजित की गई थी। गणतंत्र दिवस समारोह के बाद हर साल राज्यपाल द्वारा भोज का आयोजन किया जाता है। इसमें सभी सियासी दल के प्रमुख नेताओं को राज्यपाल टी पार्टी पर आमंत्रित करते हैं। राजभवन की ओर से टी पार्टी पर सभी दलों को आमंत्रण दिया गया था। भाजपा की ओर से नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा और जदयू की ओर से मंत्री अशोक चौधरी शामिल हुए। वहीं राजद सूत्रों के अनुसार, तेजस्वी यादव राजभवन की ओर आ रहे थे। उनके गार्ड भी तैयार हो गए थे लेकिन अचानक उन्होंने अपना फैसला बदल दिया। इसके बाद शिक्षा मंत्री आलोक मेहता राजभवन पहुंचे।

इधर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जब राजभवन से बाहर निकले तो मीडिया ने उनसे सवाल पूछा कि तेजस्वी यादव राज भवन क्यों नहीं आए तो मुस्कुराते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि जो नहीं आए हैं उनसे ही पूछिए। गठबंधन में सब ठीक है? इस सवाल पर सीएम नीतीश कुमार ने जवाब नहीं दिया। मुस्कुराते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी गाड़ी में बैठ गए और राज भवन से मुख्यमंत्री आवास की ओर चले गए। 

राजभवन में हाई-टी पार्टी से पहले शुक्रवार सुबह गणतंत्र दिवस के अवसर पर राजधानी पटना में आयोजित कार्यक्रम में भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव में दूरियां दिखाई दीं। दरअसल, कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बगल में डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव की कुर्सी लगाई गई थी, लेकिन तेजस्वी यादव नीतीश कुमार के बगल लगी कुर्सी पर न बैठकर बिहार विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी के बगल खाली कुर्सी पर बैठ गए।

बता दें कि जेडीयू के बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाने की चर्चा तेज हो गई है। सूत्रों के मूताबिक मुख्यमंत्री नीतीश 28 जनवरी को अपना त्यागपत्र राज्यपाल को सौंप सकते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो कल यानी गुरुवार को बिहार बीजेपी नेताओं और अमित शाह के बीच हुई बैठक के बाद लिया गया है। वहीं, फिर से सुशील मोदी को डिप्टी सीएम बनाने की बात कही जा रही है। जैसा दावा किया जा रहा है अगर वैसा होता है तो जदयू प्रमुख नीतीश कुमार एक बार फिर बिहार के सीएम पद की शपथ ले सकते हैं।

मुश्किलों में शोएब मलिक, मैच फिक्सिंग के आरोप में टीम से निकाले गए, कॉन्ट्रैक्ट रद्द

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पाकिस्तान के महान खिलाड़ियों में शामिल शोएब मलिक लगातार सुर्खियों में बने हुए हैं। पहले सानिया मिर्जा से अलगाव और पाकिस्तानी एक्ट्रेस सना जावेद से शादी के बाद खबरों ने खूब सुर्खियां बटोरी। अब बांग्लादेश प्रीमियर लीग में कुछ ऐसा हो गया है, जिससे शोएब का पूरा क्रिकेट करियर ही तबाह कर सकता है।दरअसल, शोएब मलिक पर मैच फिक्सिंग का आरोप लगा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बीपीएल में उनकी टीम ने उनके साथ कॉन्ट्रैक्ट रद्द कर दिया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, मलिक टूर्नामेंट बीच में छोड़कर दुबई लौट गए हैं। इस दौरान उन्होंने निजी कारणों का हवाला दिया है।

पूर्व पाकिस्तानी कप्तान शोएब मलिक बांग्लादेश प्रीमियर लीग में फॉर्च्यून बारिशल टीम के लिए खेल रहे थे लेकिन एक मुकाबले में मलिक ने एक ही ओवर में 3 नोबॉल डालकर सबको हैरान कर दिया था। मलिक ने बीपीएल के एक मैच के दौरान एक ही ओवर में 3 नोबॉल डाल दी थी, जिसका वीडियो काफी वायरल हो गया था और इसके बाद से ही फिक्सिंग के आरोप लगने लगे थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बांग्लादेश प्रीमियर लीग की टीम फॉर्च्यून बारिशल ने मैच फिक्सिंग के आरोप में शोएब मलिक को टीम से निकाल दिया है। रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि टीम से निकाले जाने के कारण ही मलिक अचानक ही टूर्नामेंट को बीच में छोड़कर ही दुबई लौट गए।

फॉर्च्यून बरिशाल के लिए खेलते हुए मलिक ने खुलना टाइगर्स के खिलाफ मैच के दौरान एक ओवर में तीन नो बॉल फेंकी। मलिक ने मैच में सिर्फ एक ओवर फेंका और 18 रन दिए। उन्हें दो चौके और एक छक्का लगाया गया। मलिक ने मैच का चौथा ओवर फेंका और उनके कप्तान तमीम इकबाल ने उन्हें फिर से आक्रमण पर नहीं लाया। यही वजह रही कि फॉर्च्यून बरिशाल खुलना टाइगर्स से 8 विकेट से मैच हार गई। 

मलिक ने एक ही ओवर मे तीन नो बॉल डाली थी. इसके बाद से ही सोशल मीडिया पर इसकी लगातार चर्चा की जा रही थी। एक स्पिनर किसी ओवर में तीन नो बॉल डाले यह अजीब बात ही है। इसी वजह से मलिक की फिक्सिंग को लेकर जांच की मांग की जा रही थी।

बांग्लादेश प्रीमियर लीग की फ्रेंचाइजी टीम ने शोएब मलिक के साथ करार खत्म कर दिया है। इसके पीछे की वजह से उनके खिलाफ फिक्सिंग की जांच बताई जा रही है। अगर मलिक दोषी पाए जाने पर कड़ी सजा भी तय की जा सकती है। इस पाकिस्तानी खिलाड़ी के बीपीएल खेलने पर हमेशा के लिए प्रतिबंध लगाया जा सकता है।

फिर पलटी मारेंगे नीतश ? जानें अब तक कितनी बार बदल चुके हैं पाला

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बिहार में एक बार फिर सियासी उठा-पटक शुरू हो गई है।पिछले कुछ दिनों से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के हाव-भाव ऐसे दिख रहे हैं, जिसके बाद माना जा रहा है कि वे एक बार फिर पलटी मार सकते हैं। जी हां, इस तरह की सियासी अटकलें हैं कि नीतीश कुमार फिर पुराने साथी बीजेपी के खेमे में जा सकते हैं। मुख्‍यमंत्री और जदयू प्रमुख नीतीश कुमार ने महागठबंधन तोड़ने का मन बना लिया है। वह बीजेपी के संपर्क में हैं और तमाम समीकरणों पर मंथन कर रहे हैं।वैसे सियासत की समझ रखने वाले सभी जानते हैं कि नीतीश कुमार के लिए ये कोई नई बात नहीं है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कई बार पहले भी पलट चुके हैं। 

पांच दशक के राजनीतिक जीवन में कई बार पलटी मार चुके हैं। नीतीश कुमार की पाला बदलने की इसी चाल के कारण राष्ट्रीय जनता दल वाले पलटूराम कहते रहे, लेकिन तब जब नीतीश ने भाजपा के साथ गठबंधन किया। समय बदला, नीतीश ने राष्ट्रीय जनता दल से यारी कर ली। लेकिन फिर अटकले लग रही है कि नीतीश पलट सकते हैं। दस सालों में पांचवी बार नीतीश पलटी मारने जा रहे हैं।

नीतीश ने 1974 के छात्र आंदोलन के जरिये राजनीति में कदम रखा, 1985 में पहली बार विधायक बने। इसके बाद नीतीश कुमार ने पलटकर नहीं देखा और सियासत में आगे बढ़ते चले गए। लालू प्रसाद यादव 1990 में बिहार के मुख्यमंत्री बने, लेकिन 1994 में नीतीश ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया। नीतीश और लालू एक साथ जनता दल में थे, लेकिन राजनीतिक महत्वकांक्षा में दोनों के रिश्ते एक दूसरे से अलग हो गए।साल 1994 में नीतीश ने जनता दल छोड़कर जार्ज फर्नांडीस के साथ मिलकर समता पार्टी का गठन किया। इसके बाद साल 1995 में वामदलों के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़े, लेकिन नतीजे पक्ष में नहीं आए। नीतीश ने लेफ्ट से गठबंधन तोड़ लिया और 1996 में बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए का हिस्सा बन गए।इसके बाद नीतीश कुमार बिहार में बीजेपी के साथ 2013 तक साथ मिलकर चुनाव लड़ते रहे और बिहार में सरकार बनाते रहे।

इस दौरान राजनीतिक घटनाक्रम तेजी से बदल रहा था। यह बात साल 2012 की जब बीजेपी में नरेंद्र मोदी का कद बढ़ने लगा था। मोदी के बढ़ते हुए कद को देखकर नीतीश कुमार एनडीए के अंदर असहज महसूस करने लगे। यही वजह रही कि 2014 के लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार ने अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया। इस लोकसभा चुनाव का यह परिणाम हुआ कि नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। क्योंकि जेडीयू को केवल दो सीट ही हासिल हुई थी। इसके बाद नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद यादव के साथ मिलकर महागठबंधन बनाया और 2015 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मुख्यमंत्री बने। विधानसभा चुनाव में इस गठबंधन को बड़ी जीत हासिल हुई।

करीब ढाई साल बाद 2017 में नीतीश कुमार ने फिर से चौंकाया। डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव का आईआरसीटीसी घोटाले में नाम आया। इस घटना के बाद नीतीश कुमार ने महागठबंधन समाप्त कर दिया और मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। सीएम पद छोड़ने के तुरंत बाद वो भाजपा में शामिल हो गए। साथ ही गठबंधन करके सरकार बना ली। इसके बाद 2020 में बिहार में विधानसभा चुनाव हुए। नीतीश कुमार ने भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा और जीत भी हासिल की। इस चुनाव में नीतीश की पार्टी जेडीयू को सिर्फ 43 सीटें हासिल हुईं। भाजपा को 74 और आरजेडी को 75 सीटें हासिल हुईं, लेकिन इन सबके बावजूद मुख्यमंत्री के सिंहासन पर नीतीश कुमार ही विराजमान हुए।

इसके दो साल बाद 2022 में नीतीश कुमार ने एक बार फिर पलटी मारी। नीतीश को अब बीजेपी से दिक्कत होने लगी थी। नीतीश कुमार ने कई कारण बताते हुए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया साथ ही भाजपा से अपना रिश्ता खत्म कर लिया। इसके साथ नीतीश कुमार ने आरजेडी, कांग्रेस और लेफ्ट के साथ मिलकर सरकार बना ली और राज्य का डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को बनाया।

डेढ़ साल के बाद नीतीश कुमार का मन फिर से बदल गया है और अब फिर से बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाने की कवायद में है। सूत्रों की माने तो नीतीश कुमार 28 जनवरी को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर फिर से बीजेपी के समर्थन से सरकार बनाएंगे और सीएम पद की शपथ लेंगे।

बिहार में सियासी भूचालः बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाएंगे नीतीश!

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बिहार में सियासी बवंडर आने का पूरे हालात बने हुए हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर अटकलें तेज हैं कि वे फिर से एक बार पाला बदलने जा रहे हैं और भारतीय जनता पार्टी के साथ हाथ मिलाने की योजना बना रहे हैं। माना जा रहा है कि विपक्षी दलों के गठबंधन “इंडिया” का नेता न बनाए जाने से नाराज नीतीश कुमार गठबंधन का साथ छोड़ एनडीए खेमे में वापसी कर कर सके हैं। इस बीच एक बड़ी जानकारी सामने आई है। सूत्रों के मुताबिक नीतीश कुमार इस्तीफा दे सकते हैं। वे बीजेपी के साथ सरकार बना सकते हैं। बताया जा रहा है कि नीतीश कुमार 28 जनवरी को दोबारा सीएम पद की शपथ ले सकते हैं।

अगले चौबीस घंटे बिहार की राजनीति के लिए अहम बताया जा रहा। इस दौरान नीतीश कुमार इस्तीफा दे सकते हैं। बीजेपी के साथ मिलकर नई सरकार बनाई जाएगी। वहीं, उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी बनाए जा सकते हैं। नीतीश कुमार को लेकर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने बड़े संकेत दिए हैं। बीजेपी नेता सुशील मोदी का कहना है कि राजनीति में दरवाजे बंद होते हैं और दरवाजे खुल भी जाते हैं। राजनीति संभावनाओं का खेल है, कुछ भी हो सकता है।

अब तक मिली जानकारी के मुताबिक, नीतीश कुमार 27 जनवरी यानी कि शनिवार को सीएम पथ से इस्तीफा दे सकते हैं। इसके बाद वह 28 जनवरी को फिर से सीएम पद की शपथ लेंगे। कहा जा रहा है कि लोकसभा के साथ-साथ विधानसभा चुनाव कराने को लेकर बीजेपी तैयार नहीं हुई है।

बिहार में जारी सियासी घमासान के बीच राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख और जमुई सांसद चिराग पासवान को भी दिल्ली बुलाया है। पटना स्थित पार्टी कार्यालय में तिरंगा फहराने के बाद चिराग पासवान दिल्ली के लिए रवाना हो रहे हैं। बताया जा रहा है कि चिराग पासवान रविवार शाम साढ़े पांच बजे एनडीए की बैठक में शामिल होंगे। साथ ही भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और देश के गृह मंत्री अमित शाह से अहम बातचीत करेंगे। इससे पहले चिराग पासवान ने अपने आवास पर लोजपा (रामविलास) के नेताओं के साथ बैठक की। चिराग ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा था कि अगले 24 घंटे महत्वपूर्ण हैं। 

बिहार की राजनीति में मची हलचल और नीतीश कुमार के फिर से पाला बदल कर भाजपा के साथ जाने के कयासों के बीच फिलहाल पार्टी सार्वजनिक रूप से अपने पत्ते खोलने को तैयार नहीं है। पटना में मचे राजनीतिक घमासान के बीच भाजपा आलाकमान ने बिहार भाजपा के नेताओं को बैठक के लिए दिल्ली बुलाया था। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के आवास पर यह उच्चस्तरीय बैठक हुई। शाह के आवास पर हुई इस बैठक में अमित शाह और जेपी नड्डा ने बिहार भाजपा के नेताओं के साथ लगभग पौने दो घंटे तक विचार मंथन किया।

कर्तव्य पथ से आसमान की ओर उठीं सबकी निगाहें, दिखा भारतीय सेना का शौर्य और नारी शक्ति की झलक

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देश 75वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कर्तव्य पथ पर सलामी मंच से राष्ट्रीय ध्वज फहराया। इसके बाद राष्ट्रगान बजा और 21 तोपों की सलामी दी गई। 105 हेलीकॉप्टर यूनिट के 4 एमआई-17 से कर्तव्य पथ पर उपस्थित दर्शकों पर पुष्प वर्षा की गई। इसके बाद राष्ट्रपति मुर्मू के सलामी लेने के साथ परेड शुरू हुई।इस दौरान फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों और पीएम मोदी मौजूद रहे।इस बार फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों मुख्य अतिथि हैं। फ्रांस का मार्चिंग दस्ता भी परेड में शामिल हुआ।

आकाश में भारत के ताकत की गरज

परेड दस्ता में भारतीय वायुसेना दल में 144 वायुसैनिक और चार अधिकारी शामिल रहे। उनकी झांकी भारतीय वायु सेना की थीम ‘सक्षम, सशक्त, आत्मनिर्भर’ पर आधारित थी। झांकी में एलसीए तेजस और Su-30 को IOR के ऊपर उड़ान भरते हुए दिखाया गया।

 

कर्तव्य पथ पर नारी शक्ति का प्रदर्शन

कर्तव्य पथ पर नारी शक्ति का प्रदर्शन देखने को मिल रहा है. देश के हिंटरलैंड में तैनात महिला कर्मियों का प्रदर्शन देखने को मिला है. इंस्पेक्टर शहनाज खातून के हाथों में कमान है. शहनाज के साथ 13 और महिला कार्मिकों का दस्ता कर्तव्य पथ पर है. अभिवादन- फॉर्मेशन की कमान इंस्पेक्टर सोनिया बनवारी के हाथ में है. योग से सिद्धि- सीटी अनिता भारती और 7 कार्मिकों का फॉर्मेशन है.

चंद्रयान-3 की निकली झांकी

गणतंत्र दिवस के मौके पर परेड दस्ते में इसरो की कामयाबी की भी झलक देखने को मिली। परेड में इसरो भी शामिल हुआ। इस दौरान चंद्रयान-3 की झांकी निकाली गई। दक्षिणी ध्रुव के पास चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग दिखाई गई। चंद्रयान-3 की झांकी देख दर्शकों के साथ केंद्रीय मंत्री भी उठ खड़े हुए। बता दें कि 23 अगस्त को राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस घोषित किया गया है।

पहली बार दिल्ली पुलिस की परेड में केवल महिला पुलिसकर्मी

गणतंत्र दिवस के मौके पर दिल्ली पुलिस की तरफ से परेड में केवल महिला पुलिसकर्मी शामिल हुईं. मार्चिंग दस्ते में कुल 194 महिला हेड कांस्टेबल और महिला कांस्टेबल ने हिस्सा लिया. इस परेड का नेतृत्व आईपीएस ऑफिसर श्वेता के सुगथन ने की।

उत्तर प्रदेश की झांकी में रामलला के हुए दर्शन

उत्तर प्रदेश की झांकी कर्तव्य पथ से गुजर रही है। इस झांकी की थीम अयोध्या: विकसित भारत समृद्ध विरासत रही। अयोध्या के राम मंदिर और रामलला के गीत यूपी की झांकी के साथ बजाए गए। झांकी के आगे के हिस्से में रामलला की प्रतिमा दिखाई गई। उत्तर प्रदेश की झांकी के पीछे तेलंगाना की झांकी आ रही है, जिसकी थीम - जमीनी स्तर पर लोकतंत्र- तेलंगाना के स्वतंत्रता सेनानियों की विरासत रही।

झारखंड की झांकी तसर सिल्क पर केंद्रित

झारखंड की झांकी तसर सिल्क पर केंद्रित है। भारत में तसर सिल्क का 62% झारखंड में उत्पादन होता है। तसर सिल्क से लगभग 1 लाख 50 हजार लोगों की आजीविका चलती है।अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी और फ्रांस जैसे देश में सिल्क का निर्यात होता है। झांकी में आदिवासी झमताओं का प्रदर्शन है।

वो चित्रकार जिसने सजाया हमारा संविधान, एक नाम जो संविधान की हर पृष्ठ पर है मौजूद, जानिए दिलचस्प बातें

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हमारा संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ। संविधान को बनाने में 2 साल 11 महीने और 18 दिन लगे थे। हममें से ज्यादातर लोगों को ये पता है कि भारत का संविधान किसने बनाया। लेकिन क्या हमें इस बात की जानकारी है कि हमारा संविधान किसने सजाया? 

29 अगस्त 1947 को भारतीय संविधान के निर्माण के लिए प्रारूप समिति की स्थापना की गई और इसके अध्यक्ष के रूप में डॉ. भीमराव अंबेडकर को जिम्मेदारी सौंपी गई। दुनिया भर के तमाम संविधानों को बारीकी से परखने के बाद डॉ. अंबेडकर ने भारतीय संविधान का मसौदा तैयार कर लिया। हम यह जानते हैं कि संविधान की प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ. भीमराव अंबेडकर थे जिनके निर्देशन में भारत का संविधान लिखा गया। लेकिन क्या हम ये जानते हैं कि हमारे संविधान को जिन चित्रों से सजाया गया है, वो किसके निर्देशन में तैयार किया गया।

बता दें कि इसे बनाने वाले थे विख्यात चित्रकार नंदलाल बोस। दरअसल जब संविधान तैयार किया जा रहा था, उस वक्त तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू इन्हें सजाने वाला ढूंढ रहे थे। इसी दौरान प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू शांतिनिकेतन में आए हुए थे। तब उनकी मुलाकात नंदलाल बोस से हुई। यहां नंदलाल बोस कलाभवन के प्राध्यापक के तौर पर काम कर रहे थे। पंडित नेहरू ने उन्हें संविधान को भारतीय चित्रों सजाने का उनसे आग्रह किया, जिन्हें नंदू बोस ने मान लिया।

संविधान को सजाने के लिए 21 हजार रूपये मेहनताना

221 पेज के इस दस्तावेज के हर पन्ने पर तो चित्र बनाना संभव नहीं था।लिहाजा, नंदलाल जी ने संविधान के हर भाग की शुरूआत में 8-13 इंच के चित्र बनाए। संविधान के कुल 22 भाग हैं। इस तरह उन्हें भारतीय संविधान की इस मूल प्रति को अपने 22 चित्रों से सजाने का मौका मिला। इन 22 चिज्ञों को बनाने में चार साल लग गए। इस काम के लिए उन्हें 21 हजार रूपये मेहनताना के तौर पर दिया गया। 

संविधान की सजावट में संस्कृति की छाप

भारत के संविधान को नंदलाल बोस के निर्देशन में शांतिनिकेतन के कलाकारों ने अपने अद्भुत चित्रों से सजाए हैं। इनमें मोहनजोदड़ो, वैदिक काल, रामायण, महाभारत, बुद्ध के उपदेश, महावीर के जीवन, मौर्य, गुप्त और मुगल काल, इसके अलावा गांधी, सुभाष, हिमालय से लेकर सागर आदि के चित्र सुंदर बन पड़े हैं। वास्तव में यह चित्र भारतीय इतिहास की विकास यात्रा हैं। इन चित्रों की की शुरुआत होती है भारत के राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ के शेर से। अगले भाग में भारत की प्रस्तावना लिखी है, जिसे सुनहरे बार्डर से घेरा गया है।

एक चित्रकार को 21 हजार, एक ने ठुकराया हर उपहार

एक तरफ नंनलाल बोस ने अपनी कलाकारी के लिए मात्र 21 हजार रूपये लिए तो वहीं दूसरी तरफ एक दूसरे कलाकार प्रेम बिहारी रायजादा ने मेहनताना ठुकरा दिया था। भारत के संविधान से जुड़ी एक और रोचक जानकारी यह है कि इसकी मूल प्रति टाइपिंग या प्रिंट में उपलब्ध नहीं है। संविधान की मूल प्रति हिंदी और अंग्रेजी में हाथ से लिखी गई है। इसे प्रेम बिहारी रायजादा ने लिखा है। रायजादा ने पेन होल्डर निब से संविधान के हर पन्ने को बहुत ही खूबसूरत इटैलिक अक्षर में लिखा है।सुलेखन यानी कैलिग्राफी प्रेम बिहारी का खानदानी शौक था।

संविधान के हर पृष्ठ पर लिखा अपना नाम

संविधान को बनाने में जहां 2 साल 11 महीने और 18 दिन लगे थे, वहीं इसे हाथों से लिखने में 6 महीने का समय लगा था। जब प्रेम बिहारी से सरकार ने इस काम को पूरा करने के लिए मेहनताना के बारे में पूछा, तो उनका जवाब बड़ा गंभीर था। उन्होंने कहा, मुझे एक भी पैसा नहीं चाहिए। ना ही कोई महंगा उपहार चाहिए। लेकिन उन्होंने संविधान के हर पृष्ठ पर अपना नाम और अंतिम पृष्ठ पर अपने दादाजी का नाम लिखने की शर्त रख दी, जिसे सरकार ने मान लिया।

कर्तव्य पथ पर आज रचेगा इतिहास, गणतंत्र दिवस पर पहली बार तीनों सेना की महिला टुकड़ी परेड में हो रही हैं शामिल

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देश भर में आज गणतंत्र दिवस का उत्साह है। देश की राजधानी दिल्ली के कर्त्तव्य पथ पर 75वें गणतंत्र दिवस समारोह की परेड में काफी कुछ नया देखने को मिलेगा। गणतंत्र दिवस परेड में पहली बार तीनों सेना- थल सेना, वायुसेना और जल सेना की महिला सैनिक शामिल होंगी। मेजर जनरल सुमित मेहता ने बताया कि इस बार तीनों सेना की महिला टुकड़ियां शामिल होंगी।

इस साल के गणतंत्र दिवस की थीम महिलाओं पर आधारित है जिसकी वजह से परेड में महिलाओं का अब तक का सबसे अच्छा प्रतिनिधित्व देखने को मिलेगा। इस साल पहली बार तीनों सेनाओं की एक महिला टुकड़ी भी मार्च करेगी। केंद्रीय सशस्त्र बलों की टुकड़ियों में भी महिला कर्मी शामिल होंगी। परेड में 48 महिला अग्निवीर भी हिस्सा ले रहीं है। गणतंत्र दिवस समारोह परेड कैप्टन शरण्या राव थल सेना की टुकड़ी का नेतृत्व करेंगी, जिसमें फ्रांस के राष्ट्रिय दिवस में पीएम मोदी के साथ अतिथि के तौर पर शामिल रहीं स्क्वॉड्रन लीडर सुमिता यादव भी हिस्सा ले रही हैं। गणतंत्र दिवस परेड में स्क्वाड्रन लीडर रश्मि ठाकुर भारतीय वायुसेना की मार्चिंग टुकड़ी का नेतृत्व करेंगी।

फ्रांस से एक मार्चिंग दस्ता और एक बैंड दल आया

परेड में भाग लेने के लिए फ्रांस से एक मार्चिंग दस्ता और एक बैंड दल भी भारत आया है।75वें गणतंत्र दिवस की परेड में फ्रांस की 95 सदस्यीय मार्चिंग टीम और 33 सदस्यीय बैंड दल भी शिरकत करेगा। इस फ्रांसीसी दल में छह भारतीय भी हिस्सा बनने वाले हैं। इनमें सीसीएच सुजन पाठक (हेड कॉर्पोरल), सीपीएल दीपक आर्य (कॉर्पोरल), सीपीएल परबीन टंडन (कॉर्पोरल), गुरवचन सिंह (फर्स्ट क्लास लीजियोनेयर), अनिकेत घर्तिमागर (फर्स्ट क्लास लीजियोनेयर) और विकास डीजेसेगर (फर्स्ट क्लास लीजियोनेयर) शामिल हैं। 

दरअसल, फ्रांस में विदेशी सेना की एक कोर होती है जिसका नाम 'फ्रेंच फॉरेन लीजन' है। 1831 में स्थापित की गई फ्रेंच फॉरेन लीजन को फ्रेंच सेना का एक अभिन्न अंग माना जाता है। फ्रांसीसी मार्चिंग दल के कमांडर कैप्टन नोएल लुइस ने कहा कि यह विशिष्ट सैन्य कोर विदेशियों के लिए फ्रांसीसी सेना में कुछ शर्तों के साथ सेवा करने का मौका देता है। वर्तमान में इसमें लगभग 9,500 अधिकारी और सेनापति हैं। इस कोर में दुनियाभर से लगभग 140 देशों के लोग हैं।

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों मुख्य अतिथि

बता दें कि इस बार फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों गणतंत्र दिवस के दिन मुख्य अतिथि होंगे। यह छठी बार है, जब कोई फ्रांसीसी राष्ट्रपति गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि बने हैं। साथ ही दूसरी बार फ्रांसीसी दल गणतंत्र दिवस की परेड में हिस्सा ले रहा है। वहीं, इस बार 13,000 विशेष अतिथियों को बुलाया गया है।

3 साल से एक ही जगह जमे इंस्पेक्टरों का ट्रांसफर:बेगूसराय से 17 इंस्पेक्टर को भेजा गया खगड़िया, देखिए कौन-कहां गया

बेगूसराय प्रक्षेत्र के डीआईजी राशिद जमां ने बिहार पुलिस मुख्यालय के निर्देश पर 25 पुलिस इंस्पेक्टरों का ट्रांसफर कर दिया है। बेगूसराय जिले में कार्यरत 17 इंस्पेक्टर को खगड़िया भेजा गया है, जबकि खगड़िया के 8 पुलिस इंस्पेक्टर को बेगूसराय बुलाया गया है। दोनों जिलों के एसपी को ट्रांसफर किए गए अधिकारी को विरमित करते हुए प्रतिवेदन भेजने का निर्देश दिया गया है।

डीआईजी ने बताया है कि एसपी की ओर से 30 जून 2024 तक 3 वर्ष पूर्ण करने वाले पुलिस निरीक्षकों का जिला स्थानांतरण के लिए प्रतिवेदन उपलब्ध कराया गया था। 22 जनवरी को आयोजित बेगूसराय क्षेत्रीय पर्षद की बैठक में जिला स्थानांतरण के बिंदुओं पर विचार के बाद तत्काल प्रभाव से स्थानांतरित कर दिया गया है।

वहीं, एसपी योगेंद्र कुमार ने बताया कि बेगूसराय में कार्यरत पुलिस इंस्पेक्टर संजय कुमार, अजीत कुमार-1, अजीत कुमार-2, दिनेश कुमार, पल्लव, अरविंद कुमार, राजेश कुमार राय, नीरज कुमार सिंह, सुरेंद्र कुमार सिंह, हिमांशु कुमार सिंह, श्वेता भारती, राकेश कुमार गुप्ता, परशुराम सिंह, प्रमोद कुमार, समरेंद्र कुमार, वासुकीनाथ झा एवं मदन कुमार सिंह का ट्रांसफर किया गया है।

बेगूसराय से नोमानुल हक की रिपोर्ट

ट्रेन की चपेट में आने से युवक मौत:रेलवे लाइन पर पड़ा मिला शव, पिता बेंगलुरु में राजमिस्त्री का करते हैं काम

बेगूसराय में ट्रेन से कटकर युवक की दर्दनाक मौत हो गई। इस मौत के बाद परिजनों में कोहराम मच गया। घटना बलिया थाना क्षेत्र के कस्बा ढाला रेलवे लाइन के पास की है।

मृत युवक की पहचान बलिया थाना के तुलसी टोला के रहने वाले प्रमोद पंडित के बेटे अनिल पंडित के रूप में की गई है।

बताया जा रहा है कि मृतक अनिल कुमार गांव का होनहार लड़का था। और गांव में ही ट्यूशन पढ़ता था। ग्रामीणों ने बताया है कि अचानक जानकारी मिली कि कस्बा ढाला स्थित रेलवे लाइन पर अनिल कुमार पंडित का शव पड़ा हुआ है। इसी सूचना के आधार पर जब घटनास्थल पर पहुंचे तो देखें ट्रेन से कटा हुआ था।

इसकी सूचना बलिया थाने पुलिस को दी गई। इस दौरान उन्होंने बताया कि मृतक के पिता बेंगलुरु रहकर राजमिस्त्री का काम करते हैं। फिलहाल बलिया थाने के पुलिस ने शव को अपने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए बेगूसराय सदर अस्पताल भेज दिया है और आगे की कार्रवाई में जुटी हुई है।

बेगूसराय से नोमानुल हक की रिपोर्ट