नए साल का शानदार आगाज, इसरो ने लॉन्च किया एक्सपोसैट सैटेलाइट, जानें क्यों है खास
#isroxposatlaunch
भारत ने साल की शानदार शुरुआत की है। इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (इसरो) ने साल के पहले स्पेस मिशन को लॉन्च किया है। इसरो ने 'एक्स-रे पोलेरिमीटर सैटेलाइट' (एक्सपोसैट) मिशन को सुबह 9.10 बजे लॉन्च किया। 2023 में चंद्रयान-3 मिशन के जरिए चांद पर पहुंचने और आदित्य एल-1 मिशन के जरिए सूर्य तक सफर की शुरुआत के बाद इसरो ने इस साल स्पेस सेक्टर में अपना पहला कदम बढ़ाया है।इससे अंतरिक्ष और ब्लैक होल के रहस्य का पता लगाया जा सकेगा। इस मिशन का जीवनकाल करीब पांच साल का होगा।
चेन्नई से करीब 135 किलोमीटर पूर्व में स्थित अंतरिक्ष केंद्र से नए साल के पहले दिन सुबह 9 बजकर 10 मिनट पर एक्सपोसैट लॉन्च किया गया। पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हिकल (पीएसएलवी-सी58) रॉकेट अपने इस 60वें मिशन पर प्रमुख पेलोड ‘एक्सपोसैट’ के साथ 10 अन्य सैटेलाइट भी लेकर गया, जिन्हें पृथ्वी की निचली कक्षाओं में स्थापित किया जाएगा।
ये 10 उपग्रह भी होने हैं स्थापित
1. रेडिएशन शील्डिंग एक्सपेरिमेंट मॉड्यूल, इसे टेक मी 2 स्पेस कंपनी ने बनाया
2. महिलाओं का बनाया उपग्रह, जिसे एलबीएस महिला तकनीकी संस्थान ने तैयार करवाया
3. बिलीफसैट, एक रेडियो उपग्रह जो केजे सोमैया तकनीकी संस्थान ने शौकिया तौर पर बनवाया
4. ग्रीन इम्पल्स ट्रांसमीटर, इसे इंस्पेसिटी स्पेस लैब ने बनाया
5. लॉन्चिंग एक्सपीडिशंस फॉर एस्पायरिंग टेक्नोलॉजीस टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेटर उपग्रह, इसे ध्रुव स्पेस ने बनाया
6. रुद्र 0.3 एचपीजीपी और आर्का 200, दोनों उपग्रह बेलाट्रिक्स एयरोस्पेस ने विकसित किए
7. डस्ट एक्सपेरिमेंट, जिसे इसरो के पीआरएल ने बनाया
8. फ्यूल सेल पावर सिस्टम और सिलिकॉन आधारित उच्च ऊर्जा सेल, विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र ने बनाया
‘ब्लैक होल’ की रहस्यमयी दुनिया का अध्ययन
‘एक्स-रे पोलरिमीटर सैटेलाइट’ (एक्सपोसैट) एक्स-रे सोर्स के रहस्यों का पता लगाने और ‘ब्लैक होल’ की रहस्यमयी दुनिया का अध्ययन करने में मदद करेगा। इसरो ने बताया कि इस उपग्रह का लक्ष्य सुदूर अंतरिक्ष से आने वाली गहन एक्स-रे का पोलराइजेशन यानी ध्रुवीकरण पता लगाना है। यह किस आकाशीय पिंड से आ रही हैं, यह रहस्य इन किरणों के बारे में काफी जानकारी देते हैं। पूरी दुनिया में एक्स-रे ध्रुवीकरण को जानने का महत्व बढ़ा है। यह पिंड या संरचनाएं ब्लैक होल, न्यूट्रॉन तारे (तारे में विस्फोट के बाद उसके बचे अत्यधिक द्रव्यमान वाले हिस्से), आकाशगंगा के केंद्र में मौजूद नाभिक आदि को समझने में मदद करता है। इससे आकाशीय पिंडों के आकार और विकिरण बनाने की प्रक्रिया को समझने में मदद मिलेगी।
एक साल से भी कम समय में भारत का तीसरा मिशन
एक साल से भी कम समय में यह भारत का तीसरा मिशन है। बीते साल चंद्रमा पर पहुंच चुका भारत 2024 की शुरुआत ब्रह्मांड और इसके सबसे स्थाई रहस्यों में से एक यानी ब्लैक होल के बारे में जानकारी जुटाने में महत्वाकांक्षी प्रयास करने की कोशिश में है। देश एक उन्नत खगोल विज्ञान वेधशाला लॉन्च करने वाला दुनिया का दूसरा देश बना है।
Jan 01 2024, 11:16