लकीर का फकीर बनने से बचें आयुर्वेद के क्षेत्र के लोग : प्रो. एके सिंह
गोरखपुर। महायोगी गोरखनाथ विश्विद्यालय गोरखपुर के अंतर्गत संचालित गुरु गोरक्षनाथ इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (आयुर्वेद कॉलेज) में तीन दिवसीय 'सुखायु' राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन शुक्रवार को धन्वंतरि जयंती के पावन पर्व पर हुआ।
समापन सत्र के मुख्य अतिथि महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एके सिंह ने कहा कि आयुर्वेद के क्षेत्र में कार्यरत लोगों को लकीर का फकीर बनने बनने से बचना होगा। आज के दौर में बन रही आयुर्वेदिक औषधियों की वैज्ञानिक गुणवत्ता सिद्ध करने का प्रयास करना होगा। आयुर्वेदिक आचार्यों को प्रयोगात्मक शिक्षण पर अधिक प्रयास करना होगा।
प्रो. सिंह ने कहा कि हर एक चीज का एक मानक क्रम होता है। आयुर्वेद के मानक क्रम में एक दिनचर्या, ऋतुचर्या, आहार, विहार, पथ्य और अपथ्य शामिल हैं। जब आहार विहार अनियमित होता है तब हमारे शरीर में टाक्सिन उत्पन्न होते हैं। आयुर्वेद में उस टाक्सिन का शोधन और शमन करते हुए चिकित्सा करते हैं तो वो अधिक कारगर होता है। उन्होंने कहा कि हमारी विशेषज्ञता वैद्य होने में है।
हम अपने को वैद्य कहना आरंभ करें। डाक्टर तो पीएचडी कर के भी लिख सकते हैं लेकिन वैद्य लिखने के लिए बीएएमएस करना पड़ेगा। कुलपति ने घोषणा की कि आगामी महीने में आयुष विश्वविद्यालय और महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयुर्वेद कालेज में नाड़ी परीक्षण पर आधारित कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा।
विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद अमृता स्कूल आफ आयुर्वेद, कोल्लम केरल के अनुसंधान निदेशक डॉ. राम राम मनोहर पी. ने कहा कि स्वस्थ आयु प्रदान करने वाला वेद ही आयुर्वेद है।
कोरोना काल में आयुर्वेद ने अपने को पुनः सिद्ध किया है। यह आज भी पूरे विश्व में सर्वश्रेष्ठ चिकित्सा पद्धति है। उन्होंने कहा कि भगवान धन्वंतरि वो हैं जिन्होंने धनुष के द्वारा शत्रुओं का नाश किया अर्थात उन छह दोषों का नाश किया जो हमारे मस्तिष्क में उत्पन्न होते हैं।
हमारा शरीर ही धनुष है। यदि इसको आहार विहार के द्वारा सही रखें तो ये स्वयं ही अपने शत्रुओं का नाश करता है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद जीवन और मृत्यु का विज्ञान है यह सूर्योदय और सूर्यास्त के तरह जीवन और मृत्यु को देखता है।
समापन सत्र की अध्यक्षता करते हुए महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के कुलपति सेवानिवृत्त मेजर जनरल डा. अतुल वाजपेयी ने कहा कि यह राष्ट्रीय संगोष्ठी आयुर्वेद को एक नई ऊंचाई प्रदान करेगी। स्वागत संबोधन आयुर्वेद कॉलेज के प्राचार्य डॉ मंजूनाथ एनएस व आभार ज्ञापन डा. नवीन के. ने किया।
कार्यक्रम के समापन पर शिक्षकों और छात्रों को अपने शोध प्रस्तुति के लिए तथा विभिन्न प्रतियोगिताओं में प्रथम और द्वितीय स्थान प्राप्त किए छात्रों को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव डा. प्रदीप कुमार राव, चिकित्सा अधीक्षक सेवानिवृत्त कर्नल डा. राजेश बहल आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
साझा किए शोध अध्ययन
राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन सत्र के
के सत्रों में बीएचयू में आयुर्वेद संकाय के प्रोफेसर डॉ. परमेश्वरप्पा एस. बयादगी, गुरु गोरक्षनाथ इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के रोग निदान एवं विकृति विभाग के प्रोफेसर डॉ गोपीकृष्ण ने अपने शोध अध्ययन साझा किए।
भगवान धन्वंतरि का हुआ पूजन
भगवान धन्वंतरि जयंती पर शुक्रवार को महायोगी गोरखनाथ विश्विद्यालय के अंतर्गत संचालित गुरु गोरक्षनाथ इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (आयुर्वेद कॉलेज) में सुखायु राष्ट्रीय संगोष्ठी के तृतीय दिवस पर धन्वन्तरि पूजन और हवन कार्यक्रम आयोजित किया गया।
इसमें केरल से आए डॉ. राम मनोहर पी., विश्वविद्यालय के कुलपति मेजर जनरल डॉ अतुल वाजपेयी, कुलसचिव डॉ प्रदीप कुमार राव, बीएचयू के डा. एचएच अवस्थी, डा. तुषार ललित देशपांडे, आचार्य साध्वी नन्दन पाण्डेय, डा. सार्वभौम समेत शिक्षक व विद्यार्थी उपस्थित रहे।
Nov 10 2023, 17:38