लोकसभा से निष्कासित होंगी महुआ मोइत्रा! एथिक्स कमेटी ने रिपोर्ट को दी मंजूरी, 6 सांसदों का समर्थन

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पैसे लेकर सवाल पूछने के मामले में टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। एथिक्स कमेटी में तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा के खिलाफ प्रस्ताव पारित हो गया। महुआ मोइत्रा के खिलाफ प्रस्ताव पर पक्ष में छह सांसदों ने वोट किया। वहीं, प्रस्ताव पर विपक्ष में वोट डालने वाले सदस्यों की संख्या 4 रही। बीजेपी सांसद विनोद कुमार सोनकर की अध्यक्षता वाली आचार समिति (एथिक्स कमेटी) की गुरुवार को बैठक हुई। इस बैठक में रिपोर्ट स्वीकार की गई। इसके पक्ष में 6 सदस्य और विरोध में 4 सदस्य थे। 

कमिटी की बैठक के बाद चेयरमैन विनोद सोनकर ने बताया कि आज की बैठक का सिंगल एजेंडा इस रिपोर्ट को लेकर ही था। इसमें छ: सांसदों ने इसका समर्थन किया और चार सांसदों ने इसका विरोध किया। अब यह जांच रिपोर्ट अपनी कमिटी की के साथ लोकसभा स्पीकर को भेजी जा रही है। उन्होंने बताया कि अब इस मामले में लोकसभा स्पीकर ही कार्रवाई करेंगे।

किसने पक्ष और किसने विपक्ष में डाले वोट

एथिक्स कमेटी की कंपोजिशन के मुताबिक, बहुमत एनडीए का है। कमेटी में चेयरमैन समेत कुल 15 सदस्य हैं। कमेटी में बीजेपी के 7 सदस्य हैं। महुआ मोइत्रा घूसकांड मामले में जांच रिपोर्ट के पक्ष में परनीत कौर (कांग्रेस), हेमंत गोडसे (शिवसेना), सुमेधानंद (बीजेपी), अपराजिता सारंगी (बीजेपी), राजदीप रॉय (बीजेपी) और विनोद कुमार सोनकर (बीजेपी और चेयरमैन) ने वोट किए। जबकि बीएसपी सांसद दानिश अली, पीआर नटराजन (सीपीएम), वैथिलिंगम (कांग्रेस), गिरधारी यादव (जेडीयू) ने इसका विरोध किया। अब कमेटी शुक्रवार को लोकसभा स्पीकर ओम बिरला के पास जांच रिपोर्ट भेजेगी। 

एथिक्स कमेटी की पिछली मीटिंग में क्या हुआ था?

एथिक्स कमेटी की 2 नवंबर को हुई मीटिंग के बीच में मोइत्रा समेत अन्य विपक्षी सांसद बाहर आ गए थे। इन्होंने आरोप लगाया था कि बैठक में निजी सवाल किए गए। इसके बाद विनोद सोनकर ने इन आरोपों को खारिज किया था। 

मामला क्या है?

निशिकांत दुबे ने हाल ही में आरोप लगाया था कि मोइत्रा ने पैसे और महंगे गिफ्ट कारोबारी दर्शन हीरानंदानी से लिए हैं। इसके लिए उन्होंने अडानी ग्रुप से जुड़े सवाल लोकसभा में किए। इसके बाद दर्शन हीरानंदानी ने भी बोला कि उन्होंने मोइत्रा के पैसे दिए हैं। मोइत्रा ने अडानी ग्रुप के मामले में सवाल पीएम मोदी की छवि खराब करने के लिए लिए।

MP-MLA के खिलाफ आपराधिक मामलों पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा निर्देश, हाइई कोर्ट मॉनिटरिंग करें, ट्रायल के लिए गठित की जाए स्पेशल बेंच

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सुप्रीम कोर्ट ने एमपी/एमएलए के खिलाफ मामलों के शीघ्र निपटाने से जुड़ी याचिका पर महत्वपूर्ण आदेश दिया है।कोर्ट ने एमपी/ एमएलए के खिलाफ आपराधिक मामलों पर दिशा-निर्देश जारी करते हुए हाईकोर्ट को निगरानी करने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस ऐसे मामलों पर स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई करें, जिला जज स्पेशल कोर्ट के ट्रायल की निगरानी करें. हाईकोर्ट समय समय पर ट्रायल की रिपोर्ट मांगे। साथ ही सांसदों/विधायकों पर ट्रायल के लिए और स्पेशल कोर्ट हों।

चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने जनप्रतिनिधियों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों के शीघ्र निपटारे के अनुरोध वाली अश्विनी उपाध्याय की जनहित याचिका पर हाईकोर्ट और निचली अदालतों को कई निर्देश जारी किए।शीर्ष अदालत ने कहा कि उसके लिए जनप्रतिनिधियों के खिलाफ लंबित मामलों के त्वरित निपटारे के लिए निचली अदालतों को एक समान दिशा-निर्देश देना मुश्किल होगा। सुप्रीम कोर्ट की व्यवस्था में कहा गया है कि हाईकोर्ट कानून निर्माताओं के खिलाफ आपराधिक मुकदमों की निगरानी के लिए एक विशेष पीठ का गठन करेंगे, जिसकी अध्यक्षता या तो मुख्य न्यायाधीश या फिर उनके (मुख्य न्यायाधीश के) द्वारा नामित पीठ द्वारा की जाएगी।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को उन सभी राज्यों में विशेष एमपी-एमएलए कोर्ट बनाने का आदेश दिया था जहां पर इन लोक प्रतिनिधियों के खिलाफ कुल 65 से अधिक मामले लंबित थे। कोर्ट के आदेश के बाद केंद्र सरकार ने 12 राज्यों (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में 02 और उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और केरल) में 01-01 विशेष न्यायालय की स्थापना की। सुप्रीम कोर्ट में बीते दिनों कई याचिकाएं दाखिल की गईं थी जिनमें कहा गया था कि इन अदालतों में तेजी के साथ मामले की सुनवाई नहीं की जा रही है।

कोर्ट ने कहा कि हम विशेष अदालतों में प्रत्येक मामले की निगरानी नहीं कर सकते। मौत की सजा के आरोपों का सामना कर रहे सांसद/ विधायकों के मामलों को प्राथमिकता दी जाए। सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि गाइडलाइन बनाना हर राज्य के लिए बनाना संभव नहीं, हर राज्य में परिस्थितियां अलग अलग हैं। ये हम हाईकोर्ट पर छोड़ते हैं कि एमपी/एमएलए कोर्ट मॉनिटरिंग करें।

सुप्रीम कोर्ट ने मामलों को सुनते हुए कहा कि जितने भी लंबित मामले हैं उनके बारे में पता किया जाए कि आखिर वो क्यों लंबित हैं, उनके निस्तारण में क्यों तेजी नहीं आ रही हैय़ जांच में कहां रुकावट है और उसको दूर करने के लिए अदालत अपने स्तर पर क्या कदम उठा सकती है जिससे मामलों का जल्द निपटान हो सके।

दिल्ली को प्रदूषण से बचाने के लिए 'नकली बारिश' करवाएगी केजरीवाल सरकार ! सुप्रीम कोर्ट से अनुमति मिलने का इंतज़ार

दिल्ली में वायु प्रदूषण से लोगों का सांस लेना मुश्किल हो रहा है। सालों से प्रदूषण के लिए पटाखे, पराली जलाने को दोष दे रही दिल्ली सरकार के पास इससे निपटने के लिए कोई ठोस रोडमैप नहीं है। अब सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद दिल्ली की आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार ने कुछ हटके कदम उठाने का फैसला लिया है। केजरीवाल सरकार में पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बुधवार को ऐलान किया है कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) कानपुर द्वारा प्रस्तुत 'कृत्रिम बारिश' परियोजना को लागू करने की तैयारी चल रही है। उन्होंने कहा कि सरकार ने गुरुवार तक प्रस्ताव मांगा है और शुक्रवार तक सुप्रीम कोर्ट से आवश्यक अनुमति मांगी है। 

राय ने कहा है कि, 'कृत्रिम बारिश के लिए क्लाउड सीडिंग के संबंध में IIT कानपुर के विशेषज्ञों के साथ एक बैठक हुई। हमने उनसे कल तक कृत्रिम बारिश पर प्रस्ताव भेजने के लिए कहा है, ताकि इसे आवश्यक अनुमति के लिए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पेश किया जा सके।' कृत्रिम बारिश पर आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञों के साथ एक बैठक के बाद उन्होंने यह बात कही। उन्होंने कहा कि IIT कानपुर के वैज्ञानिकों के साथ बैठक के दौरान उन्होंने बताया कि 'क्लाउड सीडिंग' का प्रयास केवल तभी किया जा सकता है, जब वातावरण में बादल या नमी हो। राय ने कहा कि, "विशेषज्ञों का अनुमान है कि ऐसी स्थितियां 20-21 नवंबर के आसपास विकसित हो सकती हैं। हमने वैज्ञानिकों से इस संबंध में एक प्रस्ताव तैयार करने को कहा है, जिसे सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत किया जाएगा।"

 

राय ने सितंबर में IIT-कानपुर के विशेषज्ञों के साथ हुई शुरुआती बैठक का भी जिक्र किया, जिसमें कृत्रिम बारिश पर एक प्रेजेंटेशन दिया गया था। इस बैठक में 24 सदस्यों और विभिन्न संगठनों के शोधकर्ताओं के सुझाव शामिल थे। राय ने कहा कि, विशेषज्ञों ने वाहन प्रदूषण, धूल प्रदूषण, बायोमास जलने और अन्य प्रकार के प्रदूषण को कम करने के तरीकों पर विचार-मंथन किया। IIT-कानपुर के वैज्ञानिकों ने दिल्ली में कृत्रिम बारिश कराने और इसमें आने वाली लागत पर एक प्रस्तुति दी। हमने उनसे एक विस्तृत प्रेजेंटेशन तैयार करने का अनुरोध किया है जिसे मुख्यमंत्री को दिखाया जाएगा। हम निश्चित रूप से इस पर विचार करेंगे।'

 

वहीं, मीडिया रिपोर्ट्स में भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र के हवाले से कहा गया है कि, 'बादल संघनन की सुविधा के लिए कुछ नाभिक बादलों में छिड़के जाते हैं, जिससे वर्षा होती है। भारत में कृत्रिम बारिश पर शोध चल रहा है, लेकिन अभी तक इसमें कोई खास प्रगति नहीं हुई है।' 

कृत्रिम वर्षा

बता दें कि, क्लाउड सीडिंग एक कृत्रिम विधि है जिसका उपयोग बादलों में कुछ पदार्थों को शामिल करके वर्षा बढ़ाने के लिए किया जाता है जो विभिन्न उद्देश्यों को पूरा करता है, जिसमें सूखे के प्रभाव को कम करना, जंगल की आग को रोकना, वर्षा में वृद्धि और वायु की गुणवत्ता में वृद्धि शामिल है। क्लाउड सीडिंग के दौरान, सिल्वर आयोडाइड, पोटेशियम आयोडाइड और सूखी बर्फ जैसे रसायनों को हवाई जहाज और हेलीकॉप्टरों का उपयोग करके आकाश में छोड़ा जाता है। ये रसायन जलवाष्प को आकर्षित करते हैं, जिससे वर्षा वाले बादलों का निर्माण होता है। इस विधि से बारिश कराने में आमतौर पर लगभग आधा घंटा लगता है। हालाँकि, कृत्रिम बारिश की सफलता विशिष्ट मौसम संबंधी स्थितियों पर निर्भर करती है, जैसे नमी से भरे बादलों की उपस्थिति और उपयुक्त हवा के पैटर्न का इसमें अहम रोल होता है।

पुतिन ने बढ़ाई पाकिस्तानी सेना की पेरशानी! युक्रेन युद्ध के बहाने रूस ने वापस मांगे अपने हेलीकॉप्टर

#russia_ask_return_weapons_to_pakistan

रूस और युक्रेन के बीच एक साल से ज्यादा समय से युद्ध जारी है। युक्रेन के साथ जंग ने रूस को आर्थिक तौर पर काफी नुकसान पहुंचाया है। खुद खराब आर्थिक हालात का सामना कर रहे रूस ने पाकिस्तान की ओर हाथ बढ़ाया है।दरअसल, रूस ने अपने सैन्य हथियारों को पाकिस्तान से वापस करने की मांग की है। खराब आर्थिक हालत और राजनीतिक अस्थिरता के दौर से गुजर रहे पाकिस्तान के लिए रूस की ये मांग मुश्किल बढ़ा सकती हैं।

वॉल स्ट्रीट जर्नल की ओर से दावा किया गया है कि रूस अपने सहयोगी देशों बेलारूस, मिस्र, ब्राजील और पाकिस्तान ने पूर्व में सप्लाई किए गए हथियारों व युद्धक विमानों के पुर्जों को वापस मांग लिया है। रूस ने इसके लिए यूक्रेन युद्ध का हवाला दिया है। हालांकि आधिकारिक रूप से किसी भी देश की ओर से इस बारे में अभी कोई बयान जारी नहीं किया गया है।

द वॉल स्ट्रीट जर्नल’ की खबर के अनुसार, रूस ने इस्लामाबाद से हेलीकॉप्टर के इंजन वापस करने को कहा है। ये Mi-35M हेलीकॉप्टर के लिए आवश्यक हिस्से हैं, जिसका यूक्रेन में व्यापक तौर पर रूस इस्तेमाल कर रहा है। माना जा रहा है कि लंबे चलने वाले जंग के मद्देनजर रूस ने ऐहतियाती तौर पर यह कदम उठाया है। हालांकि, पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने उन रिपोर्टों को खारिज कर दिया है कि रूस ने पाकिस्तान से यह मांग की है या संपर्क किया है।

बता दें कि, रूस ने बीते साल फरवरी में यूक्रेन पर हमला किया था। फरवरी 2022 से अब तक इस युद्ध को 21 महीने का समय हो गया है। दूसरे विश्व युद्ध के बाद से रूस का यह सबसे बड़ा युद्ध साबित हो रहा है। हालांकि रूस इसे कोई जंग ना कहकर एक सैन्य ऑपरेशन कह रहा है लेकिन इसका प्रभाव पूरे क्षेत्र पर पड़ रहा है। बड़ी तादाद में यूक्रेन के लोगों को देश छोड़ना पड़ा है। वहीं उर्जा संकट और खाने पीने के सामानों की कीमतों पर भी इसका असर हुआ है। इस युद्ध में इस दौरान कई मोड़ आए हैं और अभी भी इसके लंबा खिंचने की बात कही जा रही है। ऐसे में रूस अपने सैन्य संसाधनों को जुटाने में लगा है।

सांसदों-विधायकों पर 5175 मामले, कई 5-5 साल से पेंडिंग, CJI का आदेश- स्पेशल कोर्ट बिठाओ, एक साल में निपटाओ !

सुप्रीम कोर्ट ने आज गुरुवार (9 नवंबर) को उच्च न्यायालयों को अपने-अपने राज्यों में निर्वाचित पार्षदों - सांसदों और विधायकों - के खिलाफ लंबित मामलों के शीघ्र निपटान के लिए स्वत: संज्ञान कार्यवाही शुरू करने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा इन अदालतों के मुख्य न्यायाधीशों को मामलों के निपटारे की निगरानी करने के लिए कहा गया है। शीर्ष अदालत लोक सेवकों और न्यायपालिका के सदस्यों से संबंधित आपराधिक मामलों को "एक वर्ष के भीतर'' निपटाने और और दोषी पाए जाने पर उन्हें विधायी, कार्यकारी और/या न्यायिक निकायों में पद धारण करने से "जीवन भर के लिए" वंचित करने के लिए" विशेष अदालतों की स्थापना की मांग वाली एक जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई कर रही थी। 

जनहित याचिका में उच्च न्यायालयों के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया गया कि सांसदों और विधायकों के खिलाफ 5,175 मामले अभी भी लंबित हैं, जिनमें से 40 प्रतिशत या 2,116 मामले कम से कम पांच वर्षों से खुले हैं। याचिकाकर्ताओं के पहले अनुरोध पर, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने घटनाक्रम की निगरानी के लिए इसे प्रत्येक राज्य (जिसमें मामले की सुनवाई हो रही है) के उच्च न्यायालयों पर छोड़ दिया। अदालत ने कहा कि एक समान दिशानिर्देश तैयार करना मुश्किल होगा। दोषी व्यक्तियों पर चुनावी प्रतिबंध के संबंध में दूसरी सुनवाई जारी रहेगी।

याचिका में कहा गया कि "दुर्लभ और असाधारण परिस्थितियों को छोड़कर" कोई स्थगन नहीं दिया जाए और देरी के मामले में जमानत रद्द कर दी जाए। निचली अदालतों ने अब कहा है कि जब तक जरूरी न हो, मामलों को स्थगित न किया जाए। यह याचिका सुप्रीम कोर्ट के 2015 के एक फैसले के संदर्भ में की गई थी, जिसमें कहा गया था कि, "मौजूदा सांसदों और विधायकों के संबंध में, जिनके खिलाफ आरोप तय किए गए हैं, मुकदमा तेजी से पूरा किया जाएगा, और, किसी भी स्थिति में, आरोप तय होने की तारीख से एक वर्ष से अधिक देर तक नहीं होनी चाहिए।'

अदालत ने यह भी कहा था कि, " जहां तक संभव हो, सुनवाई दिन-प्रतिदिन के आधार पर हो। यदि, कुछ असाधारण परिस्थितियों के कारण, अदालत एक वर्ष के भीतर सुनवाई समाप्त करने में सक्षम नहीं है। तो वह समय सीमा का पालन न करने के कारणों को दर्शाते हुए संबंधित उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को रिपोर्ट प्रस्तुत करें।" इससे पहले, इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में, विभिन्न उच्च न्यायालयों ने सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित मामलों की संख्या (दिसंबर 2018 और नवंबर 2022 तक) बताई थी।

इन आंकड़ों के मुताबिक, ऐसे लंबित मामलों की सबसे ज्यादा संख्या उत्तर प्रदेश में है। 2018 में 992 मामले अनसुलझे थे। पिछले साल यह संख्या 1,377 थी और इनमें से 719 मामले पांच साल से अधिक समय से अनिर्णीत थे। बड़े राज्यों में, इतनी अधिक संख्या वाले अन्य राज्य बिहार हैं; नवंबर तक 546 मामले लंबित थे और 381 पांच साल से अधिक समय से अधर में लटके हुए हैं। आंकड़ों के अनुसार पांच वर्षों से अधिक समय से लंबित 100 से अधिक मामलों वाले अन्य राज्यों में महाराष्ट्र (169) और ओडिशा (323) हैं, जबकि तमिलनाडु में 60, कर्नाटक में 61, मध्य प्रदेश में 51 और झारखंड में 72 मामले हैं।

कांग्रेस सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत, 23 साल पुराने मामले में गिरफ्तारी पर लगी रोक

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सुप्रीम कोर्ट से कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला को गुरुवार को बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने 23 साल पुराने मामले में उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है।डिवीजनल कमिश्नर की अदालत और कार्यालय परिसर में हिंसक विरोध प्रदर्शन के 23 साल पुराने मामले में कांग्रेस महासचिव के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया गया था। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने 5 हफ्ते की रोक लगा दी है।

प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुरजेवाला से कहा कि वह गैर जमानती वारंट को रद्द करने के लिए पांच सप्ताह के भीतर वाराणसी के विशेष न्यायाधीश (एमपी/एमएलए) की अदालत का रुख करें। पीठ ने कहा, याचिकाकर्ता को गैर जमानती वारंट रद्द करने के लिए आवेदन करने की स्वतंत्रता दी जाती है। न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि वारंट पर पांच सप्ताह के लिए रोक लगाया जा रहा है। 

सुरेजवाला को वारंट वाराणसी की एमपी/एमएलए कोर्ट की ओर से जारी किया गया था।सुरजेवाला के पेश न होने के चलते कोर्ट ने गैर जमानती वारंट जारी कर दिया था। इससे उनकी गिरफ्तारी का अंदेशा था।

साल 2000 के फेमस संवासिनी कांड में कांग्रेस नेताओं ने गिरफ्तारी के विरोध में कमिश्नरी परिसर में तोड़फोड़ और सरकारी काम में बाधा डालने का आरोप तत्कालीन कांग्रेस युवा नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला के साथ-साथ अन्य कई कांग्रेस नेताओं पर लगा था। 23 साल पुराने इस मामले में रणदीप सिंह सुरजेवाला के खिलाफ अभी आरोप तय होना है।

एमपी में पीएम मोदी ने दिया नया नारा, बोले-'कांग्रेस आई, तबाही लाई'

#pm_modi_satna_rally_mp_assembly_election_slams_congress

मध्यप्रदेश में चुनाव को लेकर सियासी पारा चढ़ा हुआ है।मतदान के पहले भाजपा और कांग्रेस के दिग्गज अपनी-अपनी ताकत झोंक रहे हैं।इसी क्रम में आज पीएम मोदी सतना, छतरपुर जिले के दौरे पर हैं।चुनाव प्रचार के लिए सबसे पहले पीएम मोदी सतना पहुंचे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यहां एक जनसभा को संबोधित करते हुए कांग्रेस पर हमला किया।पीएम मोदी ने कहा कि कांग्रेस के गुब्बारे की हवा निकल गई है।

पीएम मोदी ने कहा कि इस बार मध्यप्रदेश का चुनाव बहुत दिलचस्प है। इस बार एमपी की भविष्य माताएं-बहनें तय करने वाली हैं। कांग्रेस के झूठ के गुब्बारे की हवा निकल गई है। जब गुब्बारे की हवा निकलती है तो वो लड़खड़ाता है। वैसे ही कांग्रेस के नेता लड़खड़ा रहे हैं। कांग्रेस के पास एमपी के विकास का कोई रोडमैप नहीं है। एमपी के नेताओं को यहां के युवाओं का कोई भविष्य नहीं दिखता। देशवासी जानता है कि मोदी की गारंटी मतलब हर गारंटी पूरी होने की गारंटी। 

पीएम मोदी ने दिया नया नारा

सतना पहुंचे पीएम मोदी ने नारा दिया 'कांग्रेस आई, तबाही लाई'। यहां उन्होंने कहा कि कांग्रेस आई तो मुफ्त इलाज, मुफ्त राशन मिलना बंद हो जाएगा। कांग्रेस आई तो किसान समृद्धि योजना का पैसा मिलना बंद हो जाएगा। कांग्रेस आएगी तो शिवराज सिंह चौहान द्वारा चलाई जा रही लाडली बहन योजना को भी ये खत्म कर देंगे। उन्होंने कहा कि आप अपना एक-एक वोट को कमल के फूल पर डालकर कांग्रेस के घोटालेबाजों को रोक सकते हैं। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि कांग्रेस सरकार राज्य में लोगों को पक्का मकान उपलब्ध कराने में विफल रही है। सभी को पक्के घर मुहैया कराने का मोदी का वादा है।

मैंने कांग्रेस की दुकान बंद करा दी-पीएम मोदी

पीएम मोदी ने कहा कि कांग्रेस और उसके चेले चपाटों को इतना बड़ा नुकसान हो गया, भ्रष्टाचार की काली कमाई को रोक दिया तो वो मोदी को गाली देंगे कि नहीं देंगे। ये जो गालियां पड़ रहीं हैं ना उसका कारण यही है। मैंने दुकान बंद करा दी। आपने चौकीदार को दिल्ली में बिठा दिया। पीएम मोदी ने कहा कि केंद्र सरकार पर्यटन के क्षेत्र में सतना में बड़ा काम कर रही है। तीन दिसंबर को भाजपा की जीत के बाद सभी विकास कार्यों के लिए काम तेज हो जाएगा। पहली बार वोट देने वाले युवाओं से कहना चाहता हूं कि इस चुनाव को लीड आप कीजिए। ये विधायक चुनने का नहीं अपना भविष्य चुनने का चुनाव है। भाजपा कार्यकर्ताओं की तारीफ करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि भाजपा का हर कार्यकर्ता मेरे लिए श्रद्धेय है। 

हर तरफ राम मंदिर की चर्चा-पीएम मोदी

पीएम मोदी ने कहा कि मैं जहां भी जाता हूं राम मंदिर की चर्चा होती है। पूरे देश में खुशी की लहर है। हम तो भक्ति में डूबे हुए लोग हैं। हम राम मंदिर बनाते हैं भक्ति से और उसी भक्ति से गरीब के घर बनाते हैं।

एमपी में पीएम मोदी ने दिया नया नारा, बोले-'कांग्रेस आई, तबाही लाई'

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मध्यप्रदेश में चुनाव को लेकर सियासी पारा चढ़ा हुआ है।मतदान के पहले भाजपा और कांग्रेस के दिग्गज अपनी-अपनी ताकत झोंक रहे हैं।इसी क्रम में आज पीएम मोदी सतना, छतरपुर जिले के दौरे पर हैं।चुनाव प्रचार के लिए सबसे पहले पीएम मोदी सतना पहुंचे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यहां एक जनसभा को संबोधित करते हुए कांग्रेस पर हमला किया।पीएम मोदी ने कहा कि कांग्रेस के गुब्बारे की हवा निकल गई है।

पीएम मोदी ने कहा कि इस बार मध्यप्रदेश का चुनाव बहुत दिलचस्प है। इस बार एमपी की भविष्य माताएं-बहनें तय करने वाली हैं। कांग्रेस के झूठ के गुब्बारे की हवा निकल गई है। जब गुब्बारे की हवा निकलती है तो वो लड़खड़ाता है। वैसे ही कांग्रेस के नेता लड़खड़ा रहे हैं। कांग्रेस के पास एमपी के विकास का कोई रोडमैप नहीं है। एमपी के नेताओं को यहां के युवाओं का कोई भविष्य नहीं दिखता। देशवासी जानता है कि मोदी की गारंटी मतलब हर गारंटी पूरी होने की गारंटी। 

पीएम मोदी ने दिया नया नारा

सतना पहुंचे पीएम मोदी ने नारा दिया 'कांग्रेस आई, तबाही लाई'। यहां उन्होंने कहा कि कांग्रेस आई तो मुफ्त इलाज, मुफ्त राशन मिलना बंद हो जाएगा। कांग्रेस आई तो किसान समृद्धि योजना का पैसा मिलना बंद हो जाएगा। कांग्रेस आएगी तो शिवराज सिंह चौहान द्वारा चलाई जा रही लाडली बहन योजना को भी ये खत्म कर देंगे। उन्होंने कहा कि आप अपना एक-एक वोट को कमल के फूल पर डालकर कांग्रेस के घोटालेबाजों को रोक सकते हैं। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि कांग्रेस सरकार राज्य में लोगों को पक्का मकान उपलब्ध कराने में विफल रही है। सभी को पक्के घर मुहैया कराने का मोदी का वादा है।

मैंने कांग्रेस की दुकान बंद करा दी-पीएम मोदी

पीएम मोदी ने कहा कि कांग्रेस और उसके चेले चपाटों को इतना बड़ा नुकसान हो गया, भ्रष्टाचार की काली कमाई को रोक दिया तो वो मोदी को गाली देंगे कि नहीं देंगे। ये जो गालियां पड़ रहीं हैं ना उसका कारण यही है। मैंने दुकान बंद करा दी। आपने चौकीदार को दिल्ली में बिठा दिया। पीएम मोदी ने कहा कि केंद्र सरकार पर्यटन के क्षेत्र में सतना में बड़ा काम कर रही है। तीन दिसंबर को भाजपा की जीत के बाद सभी विकास कार्यों के लिए काम तेज हो जाएगा। पहली बार वोट देने वाले युवाओं से कहना चाहता हूं कि इस चुनाव को लीड आप कीजिए। ये विधायक चुनने का नहीं अपना भविष्य चुनने का चुनाव है। भाजपा कार्यकर्ताओं की तारीफ करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि भाजपा का हर कार्यकर्ता मेरे लिए श्रद्धेय है। 

हर तरफ राम मंदिर की चर्चा-पीएम मोदी

पीएम मोदी ने कहा कि मैं जहां भी जाता हूं राम मंदिर की चर्चा होती है। पूरे देश में खुशी की लहर है। हम तो भक्ति में डूबे हुए लोग हैं। हम राम मंदिर बनाते हैं भक्ति से और उसी भक्ति से गरीब के घर बनाते हैं।

धनतेरस के दिन खरीदारी के साथ दीपदान व पूजन का ये है सबसे उत्तम मुहूर्त, दीपावली पर भी ऐसे करें पूजा, पढ़िए, खबर

 इस वर्ष दीप महापर्व छह दिनों का मनाया जाएगा। आमतौर पर इसे पंच दीपावली नाम से जाना जाता है। 10 नवंबर को धनतेरस से दीप पर्व की शुरुआत होगी। इसी दिन प्रदोष व्रत व शाम को यम दीपदान होगा। 11 नवंबर को नरक चतुर्दशी यानी छोटी दीपावली होगी। बड़ी दीपावली यानी महालक्ष्मी पूजन 12 नवंबर को होगा। 13 नवंबर को सोमवती अमावस्या है। 14 को गोवर्धन पूजा व 15 नवंबर को यम द्वितीय व भैया दूज मनाया जाएगा।

कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस पर्व मनाया जाता है। धनतेरस पर इस बार विशेष योग बन रहे हैं। हस्त नक्षत्र, स्थिर योग, आयुष्मान, प्रीति योग, इंद्र योग, शुक्र व चंद्रमा के संयोग से कलात्मक योग का निर्माण हो रहा है। इस दिन भगवान धन्वंतरि अपने हाथों में कलश लेकर समुद्र से प्रकट हुए थे।

पंडित ने बताई पूजा विधि

पंडित बसंत बल्लभ पांडेय बताते हैं कि धनतेरस का पर्व धन, धान्य, समृद्धि के अतिरिक्त स्वास्थ्य, आरोग्यता से जुड़ा हुआ है। धनतेरस की संध्या में घर के मुख्य द्वार के दोनों ओर अनाज के ढेर पर मिट्टी का दीपक जलाना चाहिए। दीपक का मुंह दक्षिण दिशा की ओर हो।

जान लें शुभ मुहूर्त

धनतेरस पूजन का मुहूर्त: त्रयोदशी तिथि प्रारंभ 10 नवंबर अपराह्न 12.38 से।

प्रदोष काल व वृषभ काल पूजा मुहूर्त: शाम 05.17 से रात्रि 07.57 बजे तक।

ये खरीदने का विशेष महत्व

लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति, सोना, चांदी की ज्वेलरी या मूर्ति। पीतल के बर्तन। मिट्टी के दीये। झाड़ू खरीदना, तांबे का दीपक खरीदना अति शुभ कारक रहेगा।

अदालत की अवमानना का नियम किसी जज को आलोचना से बचाने के लिए नहीं है बल्कि उद्देश्य अदालत की न्याय प्रक्रिया में किसी व्यक्ति के दखल को रोकना: सीज

देश के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने अदालत की अवमानना के नियम को लेकर बड़ी बात कही है। उन्होंने कहा कि अदालत की अवमानना का नियम किसी जज को आलोचना से बचाने के लिए नहीं है बल्कि उसका उद्देश्य अदालत की न्याय प्रक्रिया में किसी व्यक्ति के दखल को रोकना है। एक जज के तौर पर 23 साल और चीफ जस्टिस के पद पर एक साल पूरा करने के मौके पर चंद्रचूड़ ने यह भी कहा कि अदालतों का काम यह सुनिश्चित करना है कि राजनीति अपनी सीमाओं में ही रहे। उन्होंने अदालत की अवमानना के कानून की व्याख्या करते हुए कहा कि यदि कोई व्यक्ति कोर्ट के फैसले का अपमान करता है या उसके बारे में गलत बात करता है तो यह अवमानना का मसला होगा। 

कोई अदालत की कार्यवाही को बाधित करता है या उसके दिए आदेश के पालन में आनाकानी करता है तो उसे भी अवमानना माना जाता है। टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए इंटरव्यू में उन्होंने साफ किया कि यदि किसी जज के खिलाफ कोई अपनी राय रखता है तो उस मामले में अदालत की अवमानना का केस नहीं बनता। उन्होंने कहा कि मैं पूरी स्पष्टता के साथ यह मानता हूं कि अवमानना के नियम का इस्तेमाल किसी जज को आलोचना से बचाने के लिए नहीं किया जा सकता। अदालतों और जजों को अपनी प्रतिष्ठा काम और फैसलों से बनानी चाहिए। यह अवमानना के नियम से स्थापित नहीं हो सकती। 

जजों की प्रतिष्ठा का निर्धारण तो उनके द्वारा दिए गए फैसलों और कामकाज से होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि अदालतों को मीडिया और नागरिकों से संवाद बनाए रखना चाहिए। चीफ जस्टिस ने कहा कि कई बार सोशल मीडिया की पोस्ट परेशान करती है और वे बातें भी उनमें जजों के नाम से शेयर की जाती हैं, जो वे कहते भी नहीं। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि ऐसी चीजों से निपटने के लिए यह जरूरी है कि हम ही उचित संवाद रखें। इससे गलत जानकारी देने वाले मंच अपने आप ही कम या खत्म हो जाएंगे। 

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि हमने एक प्रयोग शुरू करने का फैसला लिया है। सुप्रीम कोर्ट की ओर से एक न्यूजलेटर जारी किया जाएगा। इसमें अदालत में हुए फैसलों की जानकारी सीधे जनता को मिलेगी। इससे गलत सूचना देने वाले मंच अपने आप ही खत्म होने लगेंगे। वहीं जनहित याचिकाओं को लेकर भी उन्होंने कहा कि इनके माध्यम से आम लोगों से जुड़े जरूरी मामले उठाए जाते रहे हैं और यह जरूरी चीज है। हालांकि उन्होंने यह भी माना कि कई बार इनका इस्तेमाल राजनीतिक हित साधने या फिर चर्चा पाने के लिए भी होने लगा है।