मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन आज 'अबुआ बीर अबुआ दिशोम अभियान' का किया शुभारम्भ , वनों पर आश्रित आदिवासियों को मिलेगा इसका लाभ
रांची: आज मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रोजेक्ट भवन के सभागार में 'अबुआ वीर दिशोम अभियान' की शुरुआत की। हेमंत सोरेन ने नगाड़ा बजाकर इस कार्यक्रम की शुरुआत की। इसमें मुख्य सचिव, डीसी, डीएफओ और कई अधिकारी मौजूद रहे।इसके तहत एक व्यापक अभियान चलाकर आदिवासी और वनों पर निर्भर रहनेवाले लोगों को व्यक्तिगत, सामुदायिक और सामुदायिक वन संसाधन वनाधिकार पट्टा मुहैया कराया जाएगा। इस अभियान से 15 लाख आदिवासी परिवारों को छह से आठ माह में जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है।
मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कहा कि झारखंड देश के अन्य राज्यों से बिल्कुल अलग है। राज्य में वन अधिकार अधिनियम, 2006 के अंतर्गत जो कार्य बहुत पहले होना चाहिए था उसकी शुरुआत आज हमारी सरकार 'अबुआ बीर अबुआ दिशोम अभियान' के रूप में कर रही है। हमारी सरकार वन अधिकार अधिनियम को एक मुहिम के तौर पर शुरू कर रही है। इस मुहिम के तहत राज्य के वन क्षेत्रों में निवास करने वाले आदिवासी एवं मूलवासी समुदायों के बीच बड़ी संख्या में वनपट्टा का वितरण करने का लक्ष्य रखा गया है।
झारखंड में 30% वन क्षेत्र हैं। जंगल-झाड़ मिलाकर देखें तो यह 50% के करीब है। यहां के 80% लोग खेती-बाड़ी पर ही निर्भर हैं। मात्र 20% लोग जो बाजार और शहरों में है, बाकी सभी लोग खेती कार्य से ही जीवनयापन करते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि दूसरे राज्यों को देखें जहां आदिवासियों की बहुलता कम है लेकिन वहां पर अधिकार के तहत वन पट्टों का वितरण निमित बेहतर कार्य हुआ है। अब हमारी सरकार की 'अबुआ बीर अबुआ दिशोम अभियान' के तहत वनपट्टा वितरण पर विशेष फोकस है।
वही इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने जिला अधिकारियों से कहा कि जिलों में आपकी भूमिका महत्वपूर्ण होती है। आप सभी की कार्यशैली राज्य के विकास को बेहतर दिशा देने का काम करती है। आप अपनी कार्यशैली में बदलाव लाकर लोगों के बीच उदाहरण पेश करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि 'अबुआ बीर अबुआ दिशोम अभियान' का समय-समय पर गहन रिव्यू भी किया जाएगा। इसलिए इस विषय पर विशेष रूप से ध्यान देते हुए कार्य करना है।
सीएम हेमंत सोरेन के अनुसार सभी शहर में अतिक्रमण के दंश से जूझ रहे हैं। शहर में इसे रोकना संभव नहीं है लेकिन गांव में हम आज भी इस काम को रोक सकते हैं। लोगों को उनका हक और अधिकार देकर। मुख्यमंत्री ने कहा कि जहां तक जागरूकता की बात है तो यहां के आदिवासियों और वनवासियों में इसकी कमी नहीं है। कमी है तो सिस्टम के अंदर कार्य करने वाले लोगों की इच्छा शक्ति में। कार्यशैली में काम को लटकाने का तो हम लोगों के पास भरपूर उपाय है लेकिन उसका रास्ता हम कैसे निकले इस पर पसीने छूटने लगते हैं। इन्होंने सभी सरकार से कहा कि आप चुनौती को मिशन मानकर आगे बढ़ें। हमारी सरकार इस अभियान से एक ऐसी व्यवस्था खड़ी करना चाहती है ताकि आने वाले समय में इसका असर दिखाई दे।
मौके पर मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने इस अभियान की सफलता के लिए अभियान का लोगो/ टी शर्ट, मोबाईल एप एवं वेबसाइट, अभियान संसाधन तथा प्रचार सामग्री का उद्घाटन किया गया। अभियान के उद्देश्य को लेकर राज्य के मुख्य सचिव सुखदेव सिंह एवं विभागीय सचिव राजीव अरुण एक्का ने विस्तृत रूप से प्रकाश डाला।
Nov 07 2023, 11:33