तीन दिवसीय दौरे पर उत्तराखंड पहुंचे राहुल गांधी, केदारनाथ में श्रद्धालुओं को चाय पिलाते आए नजर

उत्तराखंड के तीन दिवसीय दौरे पर पहुंचे कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी आज सोमवार सुबह-सुबह केदारनाथ में भक्तों को चाय परोसते नजर आए। राहुल गांधी रविवार को प्राइवेट हेलीकॉप्टर से वहां पहुंचे और मंदिर के पुजारियों और कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने उनका स्वागत किया। 

 राहुल गांधी को भक्तों के साथ बातचीत करते और उन्हें चाय परोसते हुए दिखाया गया। बड़ी संख्या में श्रद्धालु कतार में खड़े थे और राहुल को चाय परोसते समय उनका स्वागत करते देखा गया। राहुल गांधी का उत्तराखंड दौरा पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष की विस्तारित भारत जोड़ो यात्रा का हिस्सा है। उन्होंने पहले अमृतसर में स्वर्ण मंदिर का दौरा किया था और वहां भी "सेवा" की थी। कैलाश यात्रा भी की थी। कांग्रेस ने राहुल गांधी द्वारा भक्तों को चाय परोसने की तस्वीरें भी साझा कीं और लिखा कि, "केदारनाथ यात्रा के दौरान भक्तों को चाय परोसते हुए।"

केदारनाथ पहुंचने के बाद राहुल गांधी ने फेसबुक पर एक पोस्ट शेयर करते हुए लिखा है कि, 'आज मैंने उत्तराखंड में केदारनाथ धाम का दौरा किया और दर्शन-पूजन किया। हर हर महादेव।' उत्तराखंड में समुद्र तल से 3,584 मीटर की ऊंचाई पर स्थित केदारनाथ मंदिर, उत्तराखंड के चार धाम और पंच केदार का हिस्सा है और भारत में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है।

भाजपा ने कसा तंज

हालांकि, भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान ने राहुल गांधी की निजी केदारनाथ यात्रा पर कटाक्ष किया। चौहान ने कहा कि, 'मुझे उम्मीद है कि राहुल गांधी की केदारनाथ यात्रा से सद्बुद्धि मिलेगी और उनके (कांग्रेस) नेता राष्ट्रहित में भ्रष्टाचार विरोधी नीति देने का संकल्प लेंगे।' भाजपा नेता ने कहा कि, सनातन धर्म के प्रति उनका (राहुल गांधी) प्रेम समय-समय पर झलकता रहता है, लेकिन उनकी पार्टी के कुछ ही नेता इस आस्था के प्रति उनकी करुणा को पसंद करते हैं। वह ऐसा केवल चुनाव से पहले राजनीतिक लाभ के लिए करते हैं।

वहीं, सत्तारूढ़ दल पर पलटवार करते हुए प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष मथुरा दत्त जोशी ने कहा कि, 'वास्तव में यह भाजपा है जिसे ज्ञान की जरूरत है। उनके (भाजपा) अनुसार, सभी विपक्षी दलों के लोग भ्रष्ट हैं और जो लोग भाजपा में हैं वे साफ-सुथरे हैं। उनके पास एक वॉशिंग मशीन है जो भाजपा में शामिल होने पर भ्रष्ट नेताओं को उनके भ्रष्ट आचरण और गलत कामों से मुक्त कर देती है।'

एमपी विधानसभा चुनाव के पहले 'मर्यादा न लांघे, वरना...', कांग्रेस ने अखिलेश यादव पर बोला जमकर हमला

मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में सपा प्रमुख अखिलेश यादव कांग्रेस पर निरंतर ही हमलावर हैं। उनकी नाराजगी कांग्रेस की तरफ INDIA गठबंध के तहत समाजवादी पार्टी के साथ राज्य में विधानसभा चुनाव न लड़ने को लेकर है। वहीं अब उनके इस बर्ताव को लेकर कांग्रेस ने भी करारा हमला बोला है। दरअसल सपा एवं कांग्रेस के बीच विवाद गहराता जा रहा है। पहले सीटों के वितरण में समाजवादी को अनदेखा करना फिर उसके पश्चात् कमलनाथ का अखिलेश को पहचानने से इनकार करना। 

तत्पश्चात, अखिलेश यादव का कमलनाथ की उम्र पर तंज कसना तथा कांग्रेस पर धोखा देने का आरोप लगाना। वही अब कांग्रेस ने पलटवार किया है। कांग्रेस पर धोखा देने का आरोप लगाने पर कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष मानक अग्रवाल ने अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि अखिलेश मर्यादा न लांघे। कमलनाथ उनसे बहुत सीनियर है। कांग्रेस ने कार्यकर्ता की मंशा अनुसार फैसला लिया है। अखिलेश का मध्य प्रदेश में कोई आधार नहीं है। अखिलेश यादव को बड़ों का सम्मान सीखना चाहिए।

दरअसल, टीकमगढ़ में सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने जनसभा में कांग्रेस पर खूब हमला बोला था। अखिलेश यादव ने बिना नाम लिए कमलनाथ की उम्र पर तंज कसा। मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले में प्रचार के लिए पहुंचे अखिलेश यादव ने कहा कि कांग्रेस बहुत चालू पार्टी है। उन्होंने जनता से कहा कि कांग्रेस से सावधान रहना। अखिलेश ने कहा कि कांग्रेस ने धोखा दे दिया है। हमें तो पहचान ही नहीं जिनकी आयु 80 वर्ष हो वह कैसे पहचानेंगे।

भारत के खिलाफ करारी हार के बाद श्रीलंका क्रिकेट बोर्ड सस्पेंड, खेल मंत्री ने लिया बड़ा एक्शन

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वर्ल्ड कप 2023 में श्रीलंकाई टीम के खराब प्रदर्शन ने सिर्फ उनके प्रशंसकों को खास निराश किया है।टीम के प्रदर्शन का असर श्रीलंका के खेल मंत्रालय पर देका जा रहा है। तबी तो श्रीलंका के खेल मंत्रालय ने बड़ा एक्शन लिया है।दरअसल, श्रीलंका क्रिकेट बोर्ड को ही तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया है। भारत के खिलाफ मुंबई के मैदान पर खेले गए मैच में टीम सिर्फ 55 रन बनाकर सिमट गई और उसे 302 रनों की बड़ी हार का सामना करना पड़ा। अब श्रीलंका की सरकार ने अपने क्रिकेट बोर्ड पर बड़ा एक्शन लेते हुए उसे सस्पेंड़ करने के बाद एक 7 सदस्यों की अंतरिम कमेटी का भी गठन कर दिया है। इस कमेटी के चेयरमैन के तौर पर साल 1996 की वर्ल्ड कप विजेता श्रीलंका टीम के कप्तान अर्जुन रणतुंगा को नियुक्त किया गया है।

अंतरिम कमिटी में चेयरमैन अर्जुन रणतुंगा के अलावा 5 और लोग शामिल हैं, जो हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जज रह चुके हैं। इस अंतरिम कमिटी को श्रीलंका के खेल मंत्री ने बनाया है, जो फिलहाल के लिए श्रीलंकाई क्रिकेट बोर्ड का काम देखेगी। यह कदम बोर्ड के दूसरे सबसे बड़े अधिकारी सचिव मोहन डी सिल्वा के इस्तीफा देने के एक दिन बाद उठाया गया है। 

श्रीलंका क्रिकेट टीम के वर्ल्ड कप में बेहद निराशाजनक प्रदर्शन के बाद वहां के फैंस ने क्रिकेट बोर्ड के ऑफिस के सामने विरोध प्रदर्शन किया था। इसके बाद श्रीलंका सरकार में खेल मंत्री रोशन रणसिंघे ने पिछले सप्ताह विश्व कप में मेजबान भारत के हाथों श्रीलंका की 302 रन की हार के बाद सार्वजनिक रूप से पूरे बोर्ड के इस्तीफे की मांग की थी। भारत के 358 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए श्रीलंका की टीम एक समय 14 रन पर छह विकेट गंवा दिए थे और 55 रन पर सिमट गई थी, जो विश्व कप के इतिहास में चौथा सबसे कम स्कोर है।

श्रीलंका टीम का प्रदर्शन इस आईसीसी टूर्नामेंट में बेहद निराशाजनक रहा है। टीम ने अब तक 7 मुकाबले खेले हैं, जिसमें उसने सिर्फ 2 मैच ही जीते हैं। मतलब 5 मुकाबले उन्होंने गंवाए हैं। इतना ही नहीं उनका नेट रन रेट भी माइनस में है। इन आंकड़ों के साथ श्रीलंकाई टीम 10 टीमों के सबसे बड़े क्रिकेट दंगल में 7वें स्थान पर है। श्रीलंका को अभी भी टूर्नामेंट में 2 मुकाबले खेलने हैं, जिसमें एक बांग्लादेश के खिलाफ और दूसरा न्यूजीलैंड से है। लेकिन, वो इन दो मुकाबलों को जीत भी ले तो भी वो टोटल 8 अंक ही हासिल कर सकते हैं। मतलब श्रीलंकाई टीम का सेमीफाइनल से बाहर जाना अभी से तय है।

तेलंगाना में बीजेपी और पवन कल्याण की पार्टी जन सेना के बीच गठबंधन, साथ मिलकर लड़ेंगे विधानसभा चुनाव

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तेलंगाना में चुनावी सरगर्मी तेज है।एक तरफ जहां राज्य की बड़ी पार्टियां जोर-आजमाइश में जुटी हैं। वहीं छोटी पार्टियां भी एड़ी-चोटी का जोर लगा रही हैं। इस बीच आंध्र प्रदेश की राजनीति में अहम खिलाड़ी बन चुकी पवन कल्याण की जनसेना पार्टी अब तेलंगाना की राजनीति में भी ताल ठोंक रही है। जनसेना ने इस बार 32 निर्वाचन क्षेत्रों में चुनाव लड़ने का फैसला किया। दरअशल जनसेना के पास तेलंगाना के सभी 119 निर्वाचन क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धा करने के लिए जरूरी कैडर नहीं है। ऐसे में । अभिनेता से नेता बने पवन कल्याण की पार्टी जन सेना ने तेलंगाना विधानसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी से हाथ मिला लिया है। 

भाजपा सांसद के लक्ष्मण ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि दोनों पार्टियों के बीच सीट-बंटवारे के संबंध में घोषणा आधिकारिक तौर पर की जाएगी। लक्ष्मण और भाजपा की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष जी किशन रेड्डी ने शनिवार को कल्याण और जन सेना के नेता नादेंदला मनोहर से बातचीत की थी। 

भाजपा सांसद के लक्ष्मण ने रविवार को कहा, हम राज्य में मिलकर चुनाव लड़ेंगे। दोनों दलों का लक्ष्य और आकांक्षा नरेन्द्र मोदी को फिर से प्रधानमंत्री बनते देखना है। उन्होंने कहा कि कल्याण ने स्पष्ट कर दिया है कि उनकी पार्टी संसदीय चुनाव में भी मोदी के नेतृत्व को पूर्ण समर्थन देने की घोषणा करेगी। गौर करने वाली बात ये है कि कल ही केसीआर ने ये कहा था कि क्षेत्रीय दलों का युग आने वाला है और शाम होते होते ये खबर आ गई कि भाजपा पवन कल्याण की जन सेना पार्टी के साथ चुनाव लड़ेगी।

ऑनलाइन बेटिंग ऐप्स पर सरकार का शिकंजा, केंद्र सरकार ने ईडी के आग्रह पर महादेव सट्टेबाजी ऐप समेत 22 पर लगाया बैन

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केंद्र सरकार ने विवादास्पद सट्टेबाजी ऐप महादेव बुक ऑनलाइन सहित 22 अवैध सट्टेबाजी और जुआ ऐप्स और वेबसाइटों पर प्रतिबंध लगाया है।केंद्र सरकार ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अनुरोध पर महादेव ऐप और रेड्डीअन्नाप्रेस्टोप्रो सहित 22 अवैध सट्टेबाजी मंचों पर रोक लगाने के आदेश जारी किए हैं। ये कार्रवाई इलीगल सट्टेबाजी ऐप सिंडिकेट के खिलाफ ईडी की ओर से की गई जांच और उसके बाद छत्तीसगढ़ में महादेव बुक पर छापेमारी के बाद की गई है।

बता दें, महादेव बुक नाम के इस ऐप से कुछ ही महीनों में देशभर से 12 लाख से ज्यादा लोग जुड़ गए थे और इसके जरिए क्रिकेट से लेकर चुनाव तक में सट्टा लगाने के लिए लोग इस ऐप का इस्तेमाल करने लगे थे। इतना ही नहीं, कोरोना महामारी के बाद इस ऐप का कारोबार काफी तेजी से आगे बढ़ा था।

केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने आरोप लगाया कि छत्तीसगढ़ सरकार ने ऐसा करने का अधिकार होने के बावजूद इन मंचों पर रोक लगाने का अनुरोध नहीं किया।राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार के पास आईटी अधिनियम की धारा 69ए के तहत वेबसाइट को बंद करने की सिफारिश करने की पूरी शक्ति थी। हमें ईडी से पहला और एकमात्र अनुरोध प्राप्त हुआ है, जिसके बाद इसे ब्लॉक कर दिया गया है।

भाजपा ने वीडियो जारी कर कांग्रेस को घेरा

इससे पहले छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने रविवार को एक वीडियो जारी कर दावा किया कि यह महादेव सट्टेबाजी ऐप मामले के आरोपियों में से एक सुभम सोनी का है। जिसकी जांच प्रवर्तन निदेशालय कर रहा है। इस वीडियो में सोनी ने दावा किया है कि उसने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को अब तक 508 करोड़ रुपये दिये हैं। भाजपा के केंद्रीय मीडिया संयोजक सिद्धार्थनाथ सिंह ने वीडियो बयान को संवाददाताओं के सामने रखा और कहा कि बघेल को पद पर बने रहने का नैतिक अधिकार नहीं है।

भूपेश बघेल के ख‍िलाफ जांच जारी

बता दें कि क‍ि छत्‍तीसगढ़ के मुख्‍यमंत्री भूपेश बघेल के ख‍िलाफ महादेव सट्टा ऐप मामले में केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी जांच कर रही है। ईडी ने ऐप प्रमोटर्स की ओर से सीएम को 508 करोड़ रुपए से ज्‍यादा के भुगतान की बात भी कही थी।इस मामले पर कांग्रेस ने चुनावी प्रचार के दौरान राज्‍य में सुरक्षा की ज‍िम्‍मेदारी संभाल रही केंद्रीय सुरक्षा एजेंसी सीआरपीएफ पर भी सवाल खड़े क‍िए थे।

दिल्ली में खतरनाक स्तर पर पहुंचा प्रदूषण, आज केजरीवाल सरकार की अहम बैठक, लौट सकता है ऑड-ईवन और वर्क फ्रॉम होम

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देश की राजधानी दिल्ली गैस चैंबर बन गई है। राजधानी दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बेहद गंभीर होता जा रहा है। लगातार कई दिनों से दिल्ली और उससे सटे इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स 400 के पार पहुंच रहा है।इस बीच लगातार गंभीर श्रेणी में बने इस वायु प्रदूषण को लेकर दिल्ली में बैठकों का दौर भी जारी है। इसी कड़ी में दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को लेकर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आज एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई है। जिसमें कई अहम फैसले लिए जा सकते हैं। वहीं सभावना जताई जा रही है कि दिल्ली में एक बार फिर ऑड-ईवन लागू किया जा सकता है।

आज होने वाली बैठक में दिल्ली सरकार, नई दिल्ली नगरपालिका परिषद, दिल्ली नगर निगम, दिल्ली छावनी व निजी कार्यालयों की क्षमता को 50 फीसदी करने का फैसला लिया जा सकता है। इसके अलावा केंद्र सरकार को भी अपने कार्यालय में कर्मचारियों की संख्या आधी करने की सलाह दी जा सकती है। इसके अलावा कॉलेज, शैक्षणिक संस्थान को बंद करने, गैर-आपातकालीन वाणिज्यिक गतिविधियों को बंद करने की भी सलाह दे सकती है।

बता दें कि इससे पूर्व दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय द्वारा वायु प्रदूषण को लेकर बैठक बुलाई गई थी। हालांकि इस बैठक में कई अलग-अलग विभागों के अधिकारी भाग लेने के लिए नहीं पहुंचे। इसके बाद गोपाल राय ने सीएम अरविंद केजरीवाल को खत लिखा और मांग की कि वायु प्रदूषण के मामले को गंभीरत से लेने वाले और सही समय पर काम करने वाले अधिकारियों की इन विभागों में तत्काल नियुक्ति की जाए। वहीं 4 नवंबर को गोपाल राय ने केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव को पत्र लिखा था। इस पत्र में उन्होंने भूपेंद्र यादव से मांग की थी कि पड़ोसी राज्यों से दिल्ली में बीएस 4 मानदंडों का पालन न करने वाले वाहनों के प्रवेश पर प्रभावी ढंग से प्रतिबंध लगाए और एनसीआर में भी ऐसे वाहनों पर प्रतिबंध लगाए।

इधर प्रदूषण के गंभीर स्तर के चलते वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने रविवार (05 नवंबर) को ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) के चरण 4 को लागू कर दिया। इसके बाद दिल्ली में डीजल वाहनों पर रोक लगा दी गई है। दिल्ली में अभी तक ग्रैप 3 लागू था लेकिन प्रदूषण का स्तर बढ़ने के बाद ग्रैप 4 लागू करने का फैसला किया गया।डीजल वाहनों में सिर्फ उन वाहनों को छूट मिली है जो जरूरी सामान और आवश्यक सेवाएं देने वाले वाहन हैं। शहर में डीजल से चलने वाले मध्यम माल वाहनों (एमजीवी) और भारी माल वाहनों (एचजीवी) पर प्रतिबंध लगाया गया है। इससे पहले ग्रेप 3 वाले चरण में सीएक्यूएम ने 2 नवंबर से डीजल के बीएस-4 और सभी बीएस-3 निजी कारों पर प्रतिबंध लगा दिया था।

बता दें कि दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण अपने चरम पर है।केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, आरके पुरम में AQI 466, आईटीओ में एक्यूआई 402, पटपड़गंज में AQI 471 और न्यू मोती बाग में AQI 488 पर है।

*वायु प्रदूषण को लेकर सख्त हुई दिल्ली सरकार, 50 प्रतिशत कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम समेत कई आदेश किए जारी

डेस्क: दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण हर रिज नए कीर्तिमान बना रहा है। प्रदूषण से दिल्लीवासी परेशान हैं। तमाम तरीके अपनाने के बाद भी प्रदूषण से किसी भी तरह की राहत नहीं मिल रही है। सरकार भी तमाम तरह की कोशिशें करती हुई दिख रही है, लकिन प्रदूषण का स्तर घटने की बजाय हर रोज बढ़ रहा है। अब दिल्ली सरकार ने कई और बड़े कदम उठाए हैं। सरकार ने आदेश जारी करते हुए कहा है कि सोमवार से सरकारी और प्राइवेट कंपनियों के 50% कर्मचारी ही अपने कार्यालय आएंगे। 

कई वाहनों के दिल्ली में प्रवेश करने पर रोक 

सरकार के आदेश के अनुसार, दिल्ली में बिगड़ती वायु गुणवत्ता के बीच सरकारी, निजी कार्यालयों में 50 प्रतिशत कर्मचारियों के लिए घर से काम करने के निर्देश जारी किए गए हैं। इसके साथ ही आवश्यक सेवाओं में शामिल नहीं होने वाले सभी मध्यम, भारी माल वाहनों पर भी दिल्ली में प्रवेश पर रोक लगा दी गई है। इसके साथ ही दिल्ली में प्रदूषण फैलाने वाले ट्रकों, वाणिज्यिक चार पहिया वाहनों के दिल्ली में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। दिल्ली की सीमाओं में अन्य राज्यों से केवल सीएनजी, इलेक्ट्रिक, बीएस VI वाहनों को ही प्रवेश की अनुमति रहेगी।

10 नवंबर तक प्राइमरी स्कूलों को बंद करने का आदेश 

वहीं इससे पहले राष्ट्रीय राजधानी में खतरनाक स्तर पर वायु प्रदूषण को देखते हुए 10 नवंबर तक के लिए प्राइमरी स्कूलों को बंद करने का सरकार ने फैसला लिया है। इस दौरान कक्षा 6 से 12वीं तक के स्कूलों को ऑनलाइन कक्षाओं में शिफ्ट होने का विकल्प दिया गया है। बता दें कि दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक 400 के पार जा चुका है और यह बेहद गंभीर श्रेणी को दर्शाता है। वहीं इससे पहले शनिवार को दिल्ली का एक्यूआई 500 के पार पहुंच गया था। शनिवार को आईजीआई टी3 एयरपोर्ट व उसके आसपास का एक्यूआई 571 दर्ज किया गया था। वहीं दिल्ली के धीरपुर में एक्यूआई 542, नोएडा में 576, नोएडा सेक्टर 116 में 426, नोएडा सेक्टर 62 में 428 एक्यूआई दर्ज किया गया था।

गाजा में इजरायली बमबारी नहीं रोके जाने से यूरोप की सड़कों पर उबाल, भारी संख्या में लोगों ने किया प्रदर्शन

डेस्क: इजरायल-हमास युद्ध को लेकर यूरोप में पीएम बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ भारी विरोध प्रदर्शन का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। फ्रांस की राजधानी पेरिस, जर्मनी की राजधानी बर्लिन और अन्य यूरोपीय शहरों में फिलस्तीनी समर्थक हजारों की संख्या में गाजा में इजरायली बमबारी रोकने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। ये प्रदर्शन इजरायल-हमास युद्ध में हताहतों की बढ़ती संख्या और गहराते मानवीय संकट को लेकर यूरोप के खासकर उन देशों में बढ़ रहे असंतोष को दर्शाता है, जहां मुस्लिम आबादी अधिक है।

 

गाजा में हमास संचालित स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि इजराइल-हमास युद्ध में मारे गए फलस्तीनियों की संख्या बढ़कर 9,448 हो गई है। गाजा में 24,173 और वेस्ट बैंक में 2,200 फलस्तीनी घायल हुए है। इजराइल में 1,400 से अधिक लोगों की मौत हुई है। इनमें से अधिकतर लोगों की मौत सात अक्टूबर को हमास के शुरुआती हमले में हुई। इसी हमले के बाद से यह युद्ध शुरू हुआ है। इन हमलों में करीब 2,50,000 इजराइली और गाजा में 15 लाख से अधिक फलस्तीनी विस्थापित हुए हैं। इसके अलावा गाजा में कम से कम 241 लोगों को बंधक बनाया गया है। गाजा में इजराइल की जवाबी कार्रवाई के विरोध में पेरिस की एक रैली में हजारों प्रदर्शनकारी शामिल हुए।

‘‘इजरायल, हत्यारा’’ के लगाए नारे 

प्रदर्शनकारियों ने गाजा में तत्काल युद्धविराम का आह्वान किया और कुछ लोगों ने ‘‘इजरायल, हत्यारा’’ के नारे लगाए। मध्य लंदन में प्रदर्शनकारियों ने ‘‘संघर्ष विराम अभी करो’’ और ‘‘मुझे विश्वास है कि हम जीतेंगे’’ जैसे नारे लगाते हुए सड़कों को अवरुद्ध कर दिया। पेरिस में कुछ प्रदर्शनकारियों ने ‘‘गाजा में नरसंहार रोको’’ के बैनर दिखाए और फलस्तीनी झंडे थामे कई लोगों ने ‘‘फलस्तीन जीवित रहेगा, फलस्तीन जीतेगा’’ के नारे लगाए। कुछ प्रदर्शनकारियों ने ‘‘मैक्रों की मिलीभगत’’ के नारे लगाते हुए फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों पर भी निशाना साधा। पेरिस के पुलिस प्रमुख ने एक निश्चित मार्ग पर प्रदर्शन की अनुमति दी लेकिन साथ ही कहा कि यहूदी विरोधी या आतंकवाद के प्रति सहानुभूति रखने वाले किसी भी प्रकार के व्यवहार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

बर्लिन में फूटा लोगों का गुस्सा

हमास के इजराइल पर सात अक्टूबर को किए गए हमले के बाद से यूरोप में यहूदी विरोधी हमलों में तेजी देखी गई है। बर्लिन में पूर्व में फलस्तीन समर्थक विरोध प्रदर्शनों के हिंसक हो जाने के मद्देनजर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए लगभग 1,000 पुलिस अधिकारियों को तैनात किया गया। 

जर्मन समाचार एजेंसी ‘डीपीए’ ने बताया कि लगभग 6,000 प्रदर्शनकारियों ने जर्मनी की राजधानी के बीचों-बीच मार्च किया। पुलिस ने ऐसे किसी भी प्रकार के सार्वजनिक या लिखित बयानों पर प्रतिबंध लगा दिया जो यहूदी विरोधी या इजराइल विरोधी हों या हिंसा या आतंकवाद का महिमामंडन करते हों। लंदन में सैकड़ों लोगों ने प्रदर्शन करने के बीच मेट्रोपॉलिटन पुलिस ने बताया कि उसके अधिकारियों ने 11 लोगों को गिरफ्तार किया है। इसके अलावा रोमानिया की राजधानी बुखारेस्ट और इटली के मिलान शहर में भी हजारों लोगों ने प्रदर्शन किया।

सांप तस्करी के आरोप पर एल्विश यादव ने मेनका गांधी को दी धमकी, कहा- नहीं छोड़ूंगा, एक्टिव हो गया हूं

डेस्क: बिग बॉस ओटीटी- 2 के विजेता और यूट्यूबर एल्विश यादव ने बीजेपी सांसद मेनका गांधी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर करने की धमकी दी है। एल्विश यादव के खिलाफ यूपी के नोएडा में रेव पार्टी में सांपों का जहर सप्लाई करने और विदेशी लड़कियों की सप्लाई करने का मामला दर्ज होने के बाद उन्होंने ये बात कही। एल्विश ने मेनका गांधी पर उनकी छवि खराब करने का आरोप लगाया और कहा कि सच्चाई जल्द सामने आएगी।

एल्विश ने कहा, "मुझ पर मेनका गांधी जी ने आरोप लगाया था और उन्होंने मुझे सांप सप्लायर का मुखिया कहा था। मैं उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर करूंगा। मैं उन्हें नहीं छोड़ूंगा। अब मैं इन सभी चीजों में एक्टिव हो गया हूं। पहले मैं सोचता था कि अपना समय बर्बाद नहीं करना, लेकिन अब मेरी छवि प्रभावित हो रही है।''

"कृपया इस आधार पर मुझे जज मत करिए"

यूट्यूबर ने आगे कहा, "जो लोग मुझे देख रहे हैं, कृपया इस आधार पर मुझे जज मत करिए, इंतजार कीजिए। जब पुलिस जांच शुरू होगी, तो मैं वो वीडियो भी शेयर करूंगा। मैं सब कुछ दिखाऊंगा। मैं ये बात बहुत विश्वास के साथ कह रहा हूं। एक प्रेस बयान भी जारी किया जाएगा कि एल्विश यादव की इस मामले में कोई संलिप्तता नहीं थी। कृपया उस वीडियो को देखना और शेयर करना।" 

एल्विश को गिरफ्तार करना चाहिए: मेनका 

बता दें कि मेनका गांधी ने बयान देते हुए कहा था कि एल्विश यादव को गिरफ्तार करना चाहिए, क्योंकि वो सांप तस्करों का सरगना है। मेनका गांधी के ऑर्गेनाइजेशन पीपल फॉर एनिमल (PFA) ने एल्विश यादव पर सांपों की तस्करी करने और रेव पार्टी करवाने का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई थी। इसके बाद नोएडा पुलिस ने एक रेव पार्टी का भंडाफोड़ करते हुए पांच लोगों को गिरफ्तार किया, जिन्होंने पूछताछ में एल्विश यादव का नाम लिया है।

निक्की हेली और विवेक रामास्वामी, भारतीय मूल के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में दावेदार

डेस्क: अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव होने में अब ज्यादा वक्त शेष नहीं रह गया है। वर्ष 2024 में अमेरिका में नया राष्ट्रपति चुना जाना है। ऐसे में चुनावी गतिविधियां भी तेज हो गई हैं। मगर इस बार अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में सबसे ज्यादा भारत की चर्चा है। इसकी वजह ये है कि भारतीय मूल के दो प्रमुख लोग इस बार अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में मजबूत दावेदारों में हैं। आपको बता दें कि राष्ट्रपति चुनाव के लिए रिपब्लिकन पार्टी की उम्मीदवारी की होड़ में भारतवंशी निक्की हेली और विवेक रामास्वामी एक-दूसरे के सामने कड़ी चुनौती पेश कर रहे हैं।

 

इन दोनों नेताओं के बीच तनाव भी इस वजह से बढ़ रहा है। जब वे आखिरी बार बहस के मंच पर आमने-सामने थे, तब उनके इस तनाव को नजरअंदाज करना मुश्किल था। बहस के दौरान हेली ने रामास्वामी से कहा, ‘‘हर बार जब मैं आपको सुनती हूं, तो आपकी बातों से थोड़ी बेवकूफी झलकती है।’’ 

इस पर रामास्वामी ने कहा, ‘‘अगर हम यहां बैठकर व्यक्तिगत टीका-टिप्पणी न करें, तो रिपब्लिकन पार्टी में हमारी बेहतर सेवा होगी।’’ बाद में उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि वह हेली के लिए अगली बार आसान विषय रखेंगे, ताकि उन्हें अपनी राय जाहिर करने में दिक्कत न हो। दोनों बुधवार को पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी को लेकर तीसरी बहस के लिए फिर से आमने-सामने होंगे।

 

डोनॉल्ड ट्रंप से अभी पीछे हैं रामास्वामी और हेली

अगले साल रिपब्लिकन पार्टी में प्राइमरी चुनाव के लिए मतदान शुरू होने से पहले बड़े दर्शकों के सामने अपना पक्ष रखने के यह उनके पास अंतिम अवसरों में से एक होगा। हेली और रामास्वामी 2024 के लिए नामांकन की दौड़ में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से बहुत पीछे हैं, लेकिन दोनों नेता भारतीय मूल के अमेरिकियों के बढ़ते राजनीतिक प्रभाव का प्रतिनिधित्व करते हैं और भारतीय प्रवासियों के भिन्न विचारों की याद दिलाते हैं। हेली और रामास्वामी भारतीय-अमेरिकियों के बीच विचारों की विविधता का उदाहरण हैं।

संयुक्त राष्ट्र की राजदूत रह चुकी हैं हेली

दक्षिण कैरोलाइना की पूर्व गवर्नर और बाद में संयुक्त राष्ट्र की राजदूत रह चुकीं हेली आम तौर पर पार्टी के पारंपरिक रुख के साथ जुड़ी दिखती हैं, खासकर जब विदेश नीति की बात आती है। हेली (51) ने रूस के साथ युद्ध में यूक्रेन के लिए निरंतर समर्थन का आह्वान किया है और रामास्वामी (38) को विश्व मामलों में गैर-अनुभवी करार दिया है। वहीं, बायोटेक उद्यमी रामास्वामी ने रिपब्लिकन पार्टी के रुख आलोचना की है और यूक्रेन को समर्थन जारी रखने की आवश्यकता पर सवाल उठाया है। ‘प्यू रिसर्च सेंटर’ के एक हालिया सर्वेक्षण में पाया गया कि 68 प्रतिशत भारतीय-अमेरिकी पंजीकृत मतदाताओं की पहचान डेमोक्रेट के रूप में और 29 प्रतिशत की पहचान रिपब्लिकन के रूप में हुई है।

 

हो सकता है कि रिपब्लिकन अमेरिका में भारतीय प्रवासियों के बीच जीत हासिल करने की कगार पर न हों, लेकिन करीबी मुकाबले वाले राज्यों में मामूली लाभ भी उल्लेखनीय हो सकता है। प्रवासी भारतीयों के कई ऐसे वर्ग हैं, जो अभी भी भारतीय राजनीति से संबंधित समर्थन, वित्तपोषण और वकालत में लगे हुए हैं। अमेरिकन यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल सर्विस की स्कॉलर-इन-स्कॉलर मैना चावला सिंह ने कहा, ‘‘हालांकि, ज्यादातर भारतीय-अमेरिकियों के लिए राज्य के मुद्दे ज्यादा मायने रखते हैं।’’ ​