'राष्ट्रीय शिक्षा नीति: संकल्प से सिद्धि तक' विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ
गोरखपुर- गोपाल नारायन सिंह विश्वविद्यालय सासाराम बिहार के कुलपति प्रो. हरिकेश सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का लक्ष्य भारत को एक वैश्विक ज्ञान महाशक्ति बनाना है। यह नीति लोक कल्याण के संकल्प से परिपूर्ण है। स्वतंत्रता के बाद से यह भारत के शिक्षा ढाँचे में बड़ा सुधार है। प्रो. हरिकेश सिंह शनिवार को महाराणा प्रताप महाविद्यालय जंगल धूसड, गोरखपुर के बी. एड. विभाग के तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी 'राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020: संकल्प से सिद्धि तक' के शुभारंभ समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।
इस अवसर पर प्रो सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति की प्रमुख विशेषताओं में कला तथा विज्ञान के बीच, पाठ्यचर्या व पाठ्येतर गतिविधियों के बीच, व्यावसायिक और शैक्षणिक धाराओं के बीच संबंध पर बल।भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने पर ज़ोर, एक नए राष्ट्रीय मूल्यांकन केंद्र, की स्थापना। तथा वंचित क्षेत्रों और समूहों के लिये एक समावेशन शामिल। उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षकों की अति महत्वपूर्ण भूमिका है और भारतीय शिक्षकों ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने और इस अनुरूप पढ़ाने जैसी नई चुनौतियों को स्वीकार कर शैक्षिक परिदृश्य में एक नई रोशनी दिखाई है।
प्रो. हरिकेश सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति देश में शिक्षा प्रसार और कौशल विकास हेतु सुचिता, समरसता, संकल्प, संगोष्ठी, संयम और संगम के साथ सिद्ध को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण योगदान प्रस्तुत कर रही है। वस्तुत शिक्षा नीति के माध्यम से लोक कल्याण अर्थ की स्थिति पर पूर्ण हो रही है निज राष्ट्र की होती है और इसमें लोक महत्वपूर्ण होता है इसलिए लोक चित्र और लोक कल्याण इसकी केंद्र में है। आगे उन्होंने ब्यूटीफुल ट्री नामक पुस्तक का जिक्र करते हुए स्पष्ट किया की राष्ट्रीय शिक्षा नीति की तीन लक्ष्य ट्री की संकल्पना को प्रस्तुत करते हैं जिसमें टीचिंग, रिसर्च, एक्सटेंशन के साथ एनहैंसमेंट तत्व आवश्यक है l राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अध्याय 17 में नेशनल रिसर्च फाउंडेशन का विधिवत उल्लेख किया गया है जिसमें रिसर्च की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए निरंतर कार्य करने के लिए प्रेरित किया गया। उन्होंने शोध को बढ़ावा देने के लिए गोरखपुर विश्वविद्यालय कि कुलपति को उच्चतम अनुसंधान की उत्कृष्ट के लिए आवाहन किया जिससे देश की जीडीपी तथा तथा ग्रास नेशनल हैप्पीनेस में उच्चतम वृद्धि हो सके। आगे उन्होंने ब्रह्मलीन महंत दिग्विजय नाथ जी महाराज द्वारा स्थापित महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के कार्यों की सराहना करते हुए कहा की राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उद्देश्य जो वर्तमान समय में फलीभूत हो रहा है, वह उन महान पुरुषों के संकल्पित शिक्षा नीतियों का परिणाम है।
एक घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने आगे कहा की किसी काल खंड में महाराज जी द्वारा शिक्षा के उन्नयन के लिए संसद में भेजी गई संस्तुतियां यदि पूर्ण रूप से मान ली गई होती तो भारत का शैक्षिक दृश्य और उत्तम होता, इस संस्तुति को भारत का मैग्ना कार्टा इंडियन एजुकेशन कहा गया l उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति में कुछ महत्वपूर्ण पक्षों का उल्लेख करते हुए कहा की इस नीति में गवर्नेस और नेतृत्व पर भी बल दिया गया है जिसमें प्रशासन और संस्था-निर्माण के प्रयासों में गवर्नेस और नेतृत्व के महत्व पर प्रकाश डाला गया है, जिसमें संस्था की प्रभावशीलता के सभी पहलू नेतृत्व और प्रशासनिक ढांचों पर निर्भर होंगे। शैक्षणिक स्वतंत्रता और संस्थागत स्वायत्तता के संबंध में डिग्री कार्यक्रमों की अवधि निर्धारित करने में पर्याप्त स्वतंत्रता और शैक्षणिक लचीलेपन के साथ वित्त पोषण, पाठ्यक्रम विकास, छात्र का नामांकन, और संकाय भर्ती में शैक्षणिक स्वतंत्रता और संस्थागत स्वायत्तता के महत्व को रेखांकित किया गया है।
विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए हैप्पीनेस सेंटर की आवश्यकता: प्रो. पूनम टंडन
संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर के कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के शुभारंभ से भारतीय शिक्षा में एक नए युग की शुरुआत होगी, जो पहले से काफी बेहतर होगा और एक नये भविष्य का निर्माण करेगा। यह एक उत्कृष्ट दूरदृष्टि का परिणाम है और एक प्रेरणादायक नीति दस्तावेज है जो भारतीय उच्च शिक्षा के परिदृश्य में एक मूलभूत परिवर्तन का आगाज करेगा। इसके तहत भारतीय उच्च शिक्षा प्रणाली की जटिलता और चुनौतियों को ईमानदारी और स्पष्टता के साथ पहचाना गया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति पूरे देश में लागू हो रही है शिक्षा के क्षेत्र में इस शिक्षा परिषद का देश के लिए सबसे महत्वपूर्ण योगदान रहा है जैसे सतत रूप से कर रही है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उद्देश्य विद्यार्थी केंद्र है या नीति विद्यार्थियों को रोजगार की स्थिति के लिए भी है। डिजिटल शिक्षा प्रणाली तथा ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली से विद्यार्थियों के कौशल विकास के प्रति भी यह शिक्षा नीति महत्वपूर्ण है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय कारण करना है जिसमें शिक्षा की स्थिति को ऐसी बनानी है जिसमें विदेशी छात्र भी आकर्षित हो सके। राष्ट्रीय शिक्षा नीति केवल कोर्स करिकुलम तक सीमित ना रह सके इसलिए ऐसी तमाम प्रयासों को किया जा रहा है जिससे विद्यार्थी का कौशल विकास सुनिश्चित हो सके और आगामी भविष्य बेहतर हो सके।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति देश के लिए महत्वपूर्ण योगदान प्रस्तुत कर रही है : प्रो. शोभा गौड़
विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर के शिक्षा संकाय की संकायाध्यक्ष प्रो. शोभा गौड़ ने कहा कि प्रत्येक राष्ट्र अपने सामाजिक सांस्कृतिक स्थितियों को बनाए रखने के लिए निरंतर प्रयत्न करता रहता है और यह शिक्षा के माध्यम से संभव होता है। शिक्षा के माध्यम से विद्यार्थियों को उत्तरोत्तर विकास संभव है l शिक्षा एक स्रोत है जो संपूर्ण रूप से समाज को परिष्कृत एवं उत्कृष्ट बनता है l सटीक तरीके से भारत के भाग्य का निर्माण इस कक्ष में होता है जिस कक्ष में शिक्षा का निरंतर प्रभाव होता है शिक्षा व्यक्ति के व्यक्तित्व नेतृत्व तथा सर्वांगीण विकास करती है l प्रश्न नहीं होता है कि स्वतंत्रता के बाद मैकाले की शिक्षा प्रणाली भारत की सामाजिक सांस्कृतिक पृष्ठभूमि की प्रतिपूर्ति करती है कि नहीं। महात्मा गांधी ने गोलमेज सम्मेलन में कहा था कि मैं अंग्रेजों को भारत में उनकी हर कार्यों के लिए माफ करता हूं लेकिन इस बात के लिए माफ नहीं करता कि उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में भारत की सुनहरे भविष्य को नष्ट कर दिया। भारतीय प्राचीन शिक्षा के केंदो जिसमें तक्षशिला और नालंदा तथा पूर्व रिज्यूम महर्षियों तथा विदेशियों के मौलिक ज्ञान परंपरा को वर्तमान शैक्षिक स्थितियां को विद्यार्थियों को हस्तांतरित किया जाए इसलिए भैया शिक्षा नीति महत्वपूर्ण है और यह शिक्षा नीति का धरातल विद्यार्थियों की भविष्य को बेहतर बनाने के लिए निश्चित ही अपना योगदान प्रस्तुत करेगी विद्यार्थियों को कौशल युक्त बनाया जाए नवीनता को समझने का प्रयास करें आज के समय की सबसे बड़ी मांग ऐसी स्थितियों को प्राप्त करना राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मुख्य उद्देश्य है।
राष्ट्रीय संगोष्ठी कार्यक्रम में स्वागत तथा प्रस्ताविकी उद्बोधन देते हुए महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. प्रदीप कुमार राव ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 विद्यार्थी केंद्रित है l इस राष्ट्रीय शिक्षा नीति की समस्त संस्कृतियों हमारे लिए नई-नई है यह दिग्विजय नाथ जी महाराज 1932 में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना कल से ही यह संकल्पित कर रखी थी और इस दिशा में कई महत्वपूर्ण पहल किए गएl राष्ट्रीय शिक्षा नीति में तीन तरीके के विकास को रखा गया है जिसमें आध्यात्मिक विकास बौद्धिक विकास और अकादमी विकास है l इस महाविद्यालय में प्रार्थना सभा की शुरुआत, सप्ताह में एक दिन छात्र कक्षा पढ़ाएगा, हर समितियां में छात्र होगा, प्रमाण पत्र पाठ्यक्रम, समावर्तन, संस्कार यह सभी संकल्पनाएं सुचारू रूप से इस परिषद द्वारा संचालित हैं जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति के केंद्र में सन्निहित है l वस्तुत राष्ट्रीय शिक्षा नीति महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की संकल्पनाओं और कार्य पद्धतियों का ही एक महत्वपूर्ण हिस्सा है l राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन की समीक्षा पूर्व में कई विद्वानों द्वारा हो चुकी है l राष्ट्रीय शिक्षा नीति की तीन सबसे बड़ी चुनौतियां हैं पहले लागू करने वाले शिक्षक ग्राहक करने वाले विद्यार्थी और तीसरा प्रभाव और परिणाम की स्थिति। विद्यार्थियों के भाभी भविष्य के निर्माण हेतु निश्चित ही या संगोष्ठी अपने अभीष्ट को प्राप्त करेगा।
Oct 07 2023, 18:34