*पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय रघुवंश प्रसाद सिंह की तृतिय पुण्य-तिथि पर सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन ने दी भावभीनी श्रद्धांजलि, भारत रत्न दिये जा

बेतिया - सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन के सभागार सत्याग्रह भवन में गरीबों के मसीहा पूर्व केंद्रीय मंत्री ग्रामीण विकास विभाग, भारत सरकार स्वर्गीय रघुवंश प्रसाद सिंह की तृतीय पुण्यतिथि पर अंतरराष्ट्रीय पीस एंबेस्डर सह सचिव सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन डॉ0 एजाज अहमद अधिवक्ता ,डॉ अमानुल हक संस्थापक मदर ताहिरा चैरिटेबल ट्रस्ट एवं डॉ सुरेश कुमार अग्रवाल चांसलर प्रज्ञान अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय झारखंड ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि 13 सितंबर 2020 को गरीबों के मसीहा रघुवंश प्रसाद सिंह का निधन हुआ था ,उनका जीवन आम जनमानस के जीवन में वास्तविक खुशहाली लाने के लिए समर्पित रहा।
देश के करोड़ों लोगों की ज़िंदगी में बहार लाने वाली योजना ‘मनरेगा’ में रघुवंश प्रसाद सिंह का विशेष योगदान रहा था। 2009 में सरकार ने जिस मनरेगा रथ पर सवार होकर अपनी डूबती नैया को पार लगाया, उस महत्वाकांक्षी योजना के शिल्पकार रघुवंश प्रसाद सिंह ही थे।अपने संपूर्ण जीवन में उन्होंने कभी भी मनरेगा का श्रेय नहीं लिया लेकिन जब भी गरीब मज़दूर, गाँव और किसानों पर बनी योजनाओं का ज़िक्र किया जाएगा उनको ज़रूर याद किया जाएगा। इस अवसर पर डॉ0 एजाज अहमद, डॉ0 सुरेश कुमार अग्रवाल, डॉ अमानुल हक,डॉ शाहनवाज अली डॉ अमित कुमार लोहिया ने संयुक्त रूप से कहा कि भारत के गांव के विकास विशेष रुप से बिहार के विकास में स्वर्गीय रघुवंश प्रसाद सिंह का योगदान रहा है गांव को शहरों से जोड़ने वाली सड़कों के निर्माण में रघुवंश प्रसाद सिंह कार्यकाल में जो विकास हुआ चमत्कार से कम नहीं था बिहार में सुशासन एवं विकास का श्रेय कहीं न कहीं स्वर्गीय रघुवंश प्रसाद सिंह को ही जाता है।
कोरोना लॉकडाउन के दौरान जब प्रवासी श्रमिक अपने घरों को लौट रहे थे, तो उन्हें रोज़गार देने के विकल्प के तौर पर केंद्र सरकार को मनरेगा ही उपयुक्त लगा। मनरेगा की वजह से लाखों प्रवासी मज़दूरों को रोज़गार मिला। मनरेगा को लेकर रघुवंश बाबू की प्रतिबद्धता को इस बात से समझा जा सकता है कि उन्होंने कुछ दिनों पहले एम्स से अपने इलाज के दौरान ही प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इस योजना का दायरा बढ़ाने का अनुरोध किया था।
2004 से 2009 तक रघुवंश प्रसाद सिंह ने मनमोहन सिंह की सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री का पद संभाला। सोनिया गांधी की अध्यक्षता में राष्ट्रीय सलाहकार समिति का गठन किया गया।
इस समिति ने अपनी पहली बैठक में रोज़गार गारंटी कानून बनाने का प्रस्ताव पारित किया। कानून बनाने की ज़िम्मेदारी श्रम मंत्रालय को सौंपी गई। श्रम मंत्रालय ने छह महीने में हाथ खड़े कर दिए। बाद में ग्रामीण विकास मंत्रालय को यह कानून बनाने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई।
गणित के प्रोफेसर रह चुके रघुवंश प्रसाद सिंह ने इस कानून को पास कराने में भी अहम भूमिका निभाई। उस दौरान मनमोहन सिंह कैबिनेट के कई मंत्री इस कानून पर सवाल खड़े कर रहे थे, तब रघुवंश बाबू ने इस कानून को लेकर आलाकमान से बातचीत की और इसकी महत्ता को समझाया।
बाद में कैबिनेट में इस कानून पर बारीकी से बातचीत की और सभी को राजी किया। कैबिनेट की हरी झंडी मिलने के बाद रघुवंश बाबू ने सबका शुक्रिया अदा किया। 2 फरवरी 2006 को देश के 200 पिछड़े ज़िलों में महात्मा गांधी रोज़गार गारंटी योजना लागू की गई। 2008 तक देश के सभी ज़िलों में यह योजना लागू की जा चुकी थी।
इस योजना के तहत ग्रामीण परिवार के एक सदस्य को साल में 100 दिन की न्यूनतम रोज़गार की गारंटी दी गई थी। इस कानून ने भारत के ग्रामीण ढांचे को बदल दिया। केंद्र सरकार की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस कानून के लागू होने से देश के अंदर पलायन में कमी आई। इसने किसानों और मज़दूरों के जीवन को एक नया आयाम दिया। वक्ताओं ने कहा कि आज भले ही रघुवंश प्रसाद सिंह हमारे बीच नहीं हो लेकिन उनके किए गए विकास एवं प्रयास सदियों तक याद रखे जाएंगे, इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि स्वर्गीय रघुवंश प्रसाद सिंह को भारत रत्न से सम्मानित किया जाए।
Sep 15 2023, 15:17