पीएम मोदी संग जो बाइडेन के बीच बैठक में स्वच्छ ऊर्जा, रक्षा और उच्च प्रौद्योगिकी सहित विभिन्न द्विपक्षीय सहयोग की समीक्षा के साथ अधिक उदार वीजा

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन भारत-अमेरिका व्यापक वैश्विक और रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने पर चर्चा करने के साथ शुक्रवार शाम को द्विपक्षीय वार्ता करने वाले हैं। उम्मीद है कि दोनों नेता स्वच्छ ऊर्जा, व्यापार, उच्च-प्रौद्योगिकी, रक्षा के क्षेत्रों में चल रहे द्विपक्षीय सहयोग की समीक्षा करेंगे और दोनों देश दुनिया के सामने आने वाली कुछ गंभीर चुनौतियों से निपटने में कैसे योगदान दे सकते हैं, इस पर मंथन करेंगे।वहीं, पीएम मोदी के आज शुक्रवार को बांग्लादेश की प्रधान मंत्री शेख हसीना और मॉरीशस के प्रधान मंत्री प्रविंद जुगनॉथ के साथ अलग-अलग द्विपक्षीय बैठकें करने की भी संभावना है।

अमेरिकी राष्ट्रपति 9 और 10 सितंबर को होने वाले जी20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए नई दिल्ली पहुँच रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में यह उनकी भारत की पहली यात्रा होगी। फरवरी 2020 में भारत का दौरा करने वाले आखिरी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प थे। बाइडेन का शुक्रवार शाम को नई दिल्ली पहुंचने का कार्यक्रम है और वह G20 शिखर सम्मेलन के अंत में रविवार दोपहर वियतनाम के लिए रवाना होंगे। एक सूत्र ने कहा कि, पीएम मोदी और राष्ट्रपति बाइडेन के बीच बातचीत का फोकस स्वच्छ ऊर्जा, रक्षा और उच्च प्रौद्योगिकी सहित विभिन्न प्रमुख क्षेत्रों में चल रहे द्विपक्षीय सहयोग की समीक्षा पर होने की संभावना है। 

दोनों पक्ष अधिक उदार वीजा व्यवस्था पर भी विचार-विमर्श कर सकते हैं। प्रधान मंत्री मोदी और राष्ट्रपति बाइडेन ने जून में वाशिंगटन में अपनी बातचीत में सहयोगात्मक मोड में अगली पीढ़ी के छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर प्रौद्योगिकियों को विकसित करने में संभावित सहयोग पर चर्चा की थी और उम्मीद है कि यह मुद्दा शुक्रवार को बैठक में उठ सकता है। बाइडेन की यात्रा से पहले, व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरिन जीन-पियरे ने कहा कि अमेरिका G20 में मोदी के नेतृत्व की सराहना करता है।

उन्होंने आगे कहा कि, 'हम इस साल जी20 के नेतृत्व के लिए प्रधानमंत्री मोदी की सराहना करते हैं और हम यह सुनिश्चित करने में मदद करने के लिए प्रतिबद्ध हैं कि भारत को एक सफल G20 मेजबान मिले क्योंकि वे इस साल (शिखर सम्मेलन) की मेजबानी कर रहे हैं।' उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि, 'तो, यह हमारी प्रतिबद्धता बनी रहेगी। जून में प्रधान मंत्री मोदी की यहां यात्रा के दौरान, राष्ट्रपति (बाइडेन) और प्रधान मंत्री ने शिखर सम्मेलन में साझा प्राथमिकताओं को पूरा करने के लिए अपना दृढ़ संकल्प साझा किया।' जीन-पियरे ने कहा कि राष्ट्रपति 'इस सप्ताह के अंत में प्रधान मंत्री और अन्य नेताओं के साथ उस काम को जारी रखने के लिए बहुत उत्सुक हैं क्योंकि हम कल रवाना होंगे।' 

बता दें कि, G20 सदस्य देश वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 85 प्रतिशत, वैश्विक व्यापार का 75 प्रतिशत से अधिक और विश्व जनसंख्या का लगभग दो-तिहाई प्रतिनिधित्व करते हैं। समूह में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, यूके, अमेरिका और यूरोपीय संघ (ईयू) शामिल हैं।

मनमोहन सिंह ने की मोदी सरकार की तारीफ, जानें किस क़दम को सही ठहराया?

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रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद वैश्विक व्यवस्था में मची उथल-पुथल के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने तमाम दबावों के बावजूद भारत के हितों को ऊपर रखते हुए बिल्कुल सटीक रणनीति पर कदम बढ़ाया। अब पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने रूस-यूक्रेन युद्ध में भारत के रुख़ को सही ठहराया है।उन्होंने कहा कि भारत ने शांति की अपील करते हुए अपने संप्रभु और आर्थिक हितों को पहले स्थान पर रखकर सही काम किया है।मनमोहन सिंह ने जी-20 बैठक से पहले एक इंटरव्यू के दौरान यह बात कही। 

जी20 सम्मेलन से पहले द इंडियन एक्सप्रेस के साथ इंटरव्यू में पूर्व प्रधानमंत्री ने रूस-यूक्रेन युद्ध, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की भूमिका और चीन के साथ सीमा विवाद पर बात की। रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर मनमोहन सिंह ने कहा कि जब दो या उससे ज्यादा देशों के बीच तनाव होता है तो दूसरे देशों पर कोई एक साइड चुनने का दबाव बन जाता है। उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि शांति की अपील कर भारत ने बेहतर तरीके से अपने संप्रभु और आर्थिक हितों को प्रथम स्थान देकर सही काम किया है।' 

मनमोहन सिंह ने कहा कि रूस-यूक्रेन संघर्ष और चीन एवं पश्चिमी देशों के बीच तनाव के कारण विश्व व्यवस्था में बहुत बदलाव आ चुका है। इस नई व्यवस्था के संचालन में भारत ने अहम रोल निभाया है और आज वैश्विक तौर पर भी भारत की साख बढ़ी है।

जी20 की अध्यक्षता मिलने पर जताई खुशी

मनमोहन सिंह ने भारत की अध्यक्षता में जी20 के शिखर सम्मेलन को लेकर दिल छू लेने वाली बात कही। उन्होंने कहा, 'मैं बहुत खुश हूं कि भारत के जिम्मे जी20 की अध्यक्षता का मौका मेरे जीवनकाल में आया और मैं भारत को जी20 शिखर सम्मेलन के लिए आ रहे विश्व नेताओं की मेजबानी करते हुए देख रहा हूं।' 

तारीफ के साथ इस बात के लिए चेताया

जी-20 सम्मेलन दिल्ली में शुरू होने से एक दिन पहले मनमोहन सिंह ने मोदी सरकार की तारीफ की, हालांकि कुछ बातों के लिए चेताया भी। उन्होंने कहा ''मैं भारत के भविष्य को लेकर चिंता से ज़्यादा आशावादी हूँ। मगर ये आशावाद भारत के सौहार्दपूर्ण समाज बनने पर निर्भर करता है।'' उन्होंने यह भी कहा कि विदेशी नीति का घरेलू राजनीति पर असर होता है, लेकिन यह संतुलित होना चाहिए। उन्होंने कहा कि कूटनीति और विदेश नीति का उपयोग दलगत या व्यक्तिगत राजनीति के लिए नहीं किया जाए।

नई वैश्विक व्यवस्था में भारत के लिए क्या कहा

वैश्विक मंच और नई वैश्विक व्यवस्था में भारत कहां खड़ा है? इस सवाल के जवाब में मनमोहन सिंह द इंडियन एक्सप्रेस से कहा, ''अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था अब काफ़ी अलग है। ख़ासकर रूस-यूक्रेन युद्ध और पश्चिमी देशों के साथ चीन की जियो पॉलिटिकल टकराव के बाद। इस नई व्यवस्था को संचालित करने में भारत की अहम भूमिका है। आज़ादी के बाद से एक बड़े लोकतांत्रिक, संवैधानिक मूल्यों वाले शांतिपूर्ण देश बनने और तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था वाले देश होने के नाते दुनियाभर में भारत को सम्मान से देखा जाता है।''मनमोहन सिंह बोले, ''2005 से 2015 के दशक में जीडीपी के रूप में भारत का विदेशी व्यापार दोगुना हो गया था। इससे देश को फ़ायदा हुआ और करोड़ों लोग ग़रीबी से बाहर निकल पाए. इसका मतलब ये भी हुआ कि भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व की अर्थव्यवस्था के साथ जुड़ी हुई है।

चीन सीमा विवाद पर जरूरी कदम उठाएंगे पीएम मोदी-मनमोहन सिंह

भारत-चीन मुद्दे पर भी मनमोहन सिंह ने बात की और कहा कि यह दुख की बात है कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने जी20 सम्मेलन में शामिल होने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, 'चीन के साथ रिश्तों में सुधार के लिए प्रधानमंत्री मोदी को क्या करना चाहिए, इस पर मेरा बोलना ठीक नहीं है। मुझे विश्वास है कि प्रधानमंत्री मोदी इसके लिए जरूरी कदम अवश्य उठाएंगे।

भारत-आसियान के बीच सहयोग बढ़ाने के लिए पीएम मोदी ने रखा 12 सूत्री प्रस्ताव, कहा, 21 वीं सदी एशिया का, डिटेल में जानें इसके बारे में

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद जैसी समकालीन चुनौतियों से निपटने और रणनीतिक साझेदारी को गहरा करने के साथ डिजिटल परिवर्तन, व्यापार और आर्थिक जुड़ाव जैसे क्षेत्रों में भारत-आसियान सहयोग को मजबूत करने के लिए गुरुवार को 12 सूत्री प्रस्ताव पेश किया।

मोदी ने इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में यहां 20वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया। आसियान (दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संगठन) के महासचिव डॉ काओ किम होर्न ने भी शिखर सम्मेलन में भाग लिया। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि शिखर सम्मेलन में दो संयुक्त बयानों जिनमें एक समुद्री सहयोग और दूसरा खाद्य सुरक्षा से संबंधित है उन्हें भी स्वीकार किया गया।

इसमें कहा गया है कि शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी ने आसियान भागीदारों के साथ आसियान-भारत व्यापक रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने तथा भविष्य की दिशा तय करने पर व्यापक चर्चा की। प्रधानमंत्री ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आसियान की केंद्रीयता की फिर से पुष्टि की और भारत के हिंद-प्रशांत महासागर पहल (आईपीओआई) और आसियान के हिंद-प्रशांत पर दृष्टिकोण (एओआईपी) के बीच तालमेल पर प्रकाश डाला।

उन्होंने आसियान-भारत मुक्त व्यापार समझौते (एआईटीआईजीए) की समीक्षा समयबद्ध तरीके से पूरी करने की जरूरत पर भी जोर दिया। प्रधानमंत्री ने भारत-आसियान सहयोग को मजबूत करने के लिए 12 सूत्री प्रस्ताव पेश किया जिसमें कनेक्टिविटी, डिजिटल परिवर्तन, व्यापार और आर्थिक जुड़ाव, समकालीन चुनौतियों का समाधान, लोगों से लोगों के बीच संपर्क और रणनीतिक जुड़ाव को गहरा करना शामिल है।

बयान में कहा गया है कि प्रस्ताव के तहत, भारत ने दक्षिण-पूर्व एशिया-भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप को जोड़ने वाले एक बहु-मोडल कनेक्टिविटी और आर्थिक गलियारे की स्थापना का आह्वान किया और आसियान भागीदारों के साथ भारत के डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर स्टैक को साझा करने की पेशकश की। प्रधानमंत्री मोदी ने डिजिटल परिवर्तन और फाइनेंशियल कनेक्टिविटी की दिशा में सहयोग पर ध्यान केंद्रित करते हुए डिजिटल भविष्य के लिए आसियान-भारत कोष की भी घोषणा की।

12 सूत्री प्रस्ताव के तहत प्रधानमंत्री ने आतंकवाद, आतंकवाद के वित्तपोषण और साइबर सूचनाओं के खिलाफ सामूहिक लड़ाई का आह्वान किया। प्रस्ताव के हिस्से के रूप में उन्होंने आसियान और पूर्वी एशिया के आर्थिक और अनुसंधान संस्थान (ईआरआईए) को दिए जाने वाले समर्थन के नवीकरण की घोषणा की ताकि वह नॉलेज पार्टनर के रूप में कार्य कर सके।

बयान में कहा गया है कि उन्होंने बहुपक्षीय मंचों पर ग्लोबल साउथ के सामने आने वाले मुद्दों को सामूहिक रूप से उठाने का आह्वान किया। उन्होंने आसियान देशों को भारत में डब्ल्यूएचओ की आरे से स्थापित किए जा रहे ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया और पर्यावरण की रक्षा और संरक्षण के लिए व्यक्तिगत और सामुदायिक कार्रवाई को आगे बढ़ाने के लिए भारत के नेतृत्व वाले वैश्विक जन आंदोलन मिशन एलआईएफई पर मिलकर काम करने का आह्वान किया।

प्रधानमंत्री ने जन-औषधि केंद्रों के माध्यम से लोगों को सस्ती और गुणवत्तापूर्ण दवाएं प्रदान करने में भारत के अनुभव को साझा करने की भी पेशकश की। उन्होंने आसियान देशों को आपदा रोधी बुनियादी ढांचे के लिए गठबंधन में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया और आपदा प्रबंधन में सहयोग का आह्वान किया। बयान के अनुसार, उन्होंने समुद्री सुरक्षा, सुरक्षा और डोमेन जागरूकता पर सहयोग बढ़ाने का भी आह्वान किया। भारत और आसियान नेताओं के अलावा, तिमोर-लेस्ते ने एक पर्यवेक्षक के रूप में शिखर सम्मेलन में भाग लिया।

जी20 की बैठक पर कोराना का साया, फर्स्ट लेडी जिल बाइडेन के बाद स्पेन के राष्ट्रपति कोरोना संक्रमित, सम्मेलन में नहीं हो सकेंगे शामिल

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इस वक्त दुनिया की सारी नजरे भारत पर टिकी हुई है। वजह है 9 से 10 सितंबर के बीच आयोजित होने वाला जी 20 शिखर सम्मेलन।इसके पहले इस समिट पर कोरोना का साया मंडराता हुआ नजर आ रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की पत्नी जिल बाइडेन की कोविड रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद अब स्पेन के प्रेसिडेंट पेड्रो सांचेज भी कोरोना से संक्रमित पाए गए हैं। इस बात की जानकारी खुद स्पेन के राष्ट्रपति ने दी है। जिसके कारण वे जी 20 समिट में शामिल नहीं हो सकेंगे।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में सांचेज ने लिखा, "मैं कोरोना से संक्रमित हूं इसलिए भारत की यात्रा नहीं कर सकता। हालांकि, मैं ठीक महसूस कर रहा हूं। जी20 की बैठक में स्पेन की ओर से कार्यवाहक उपराष्ट्रपति नादिया कैल्विनो और विदेश मंत्री जोस मैनुअल अल्बेरेस भाग लेंगे।"

अमेरिका की फर्स्ट लेडी भी कोराना संक्रमित

बता दें कि देश में होने वाले जी 20 शिखर सम्मेलन में पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन अकेले आ रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन अपनी पत्नी जिल बाइडेन के साथ 8 सितंबर को भारत दौरे पर आने वाले थे। इसके ठीक पहले जिल कोरोना की चपेट में आ गईं। 5 सितंबर को बाइडेन और जिल की कोरोना जांच कराई गई थी। जिसमें जिल बाइडेन पॉजिटिव पाई गई थीं लेकिन बाइडेन की रिपोर्ट निगेटिव आई थी। जिसके बाद राष्ट्रपति के कार्यालय से एक बयान जारी किया गया था जिसमें कहा गया था कि जो बाइडेन में किसी तरह का कोई लक्षण नहीं है। साथ ही यह भी कहा था कि, भारत में हो रहे जी20 सम्मेलन में प्रेसिडेंट जो बाइडेन पूरे प्रिकॉशन का ख्याल रखेंगे।

बैठक में शामिल ना होने वाले तीसरे नेता

स्पेन के राष्ट्रपति पेड्रो सांचेज, नई दिल्ली में होने जा रही बैठक में शामिल ना होने वाले जी20 के तीसरे नेता हैं। इनसे पहले चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी इस बैठक में शामिल नहीं हो रहे हैं। जहां तक बात है पुतिन और शी जिनपिंग वो अपने निजी कारणों की वजह से जी 20 शिखर सम्मेलन में नहीं आ रहे हैं। चीन की तरफ से प्रधानमंत्री ली क़ियांग आ रहे हैं, वहीं रूस की तरफ से पुतिन की जगह पर रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव रूस का नेतृत्व करेंगे।

जी-20 से इतर 15 द्विपक्षीय बैठक करेंगे पीएम मोदी, आज तीन दिन देशों के राष्ट्र अध्यक्ष के साथ वार्ता

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9-10 सितंबर, 2023 को होने वाले जी20 शिखर सम्मेलन की शुरुआत में अब कुछ ही समय शेष रह गय है। ऐसे में सभी प्रमुख देशों के राष्ट्राध्यक्ष भारत पहुंचने लगे हैं। भारत इस सम्मेलन के जरिए अपनी विदेश नीति को भी धार देने की तैयारी कर रहा है।यही वजह है कि प्रधानमंत्री शनिवार को जी-20 कार्यक्रमों में भाग लेने के अलावा ब्रिटेन, जापान, जर्मनी और इटली के नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें करेंगे। जी हां, -20 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी का शेड्यूल बेहद व्यस्त रहने वाला है।वह तीन दिन के भीतर 15 देशों के विभिन्न नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे।बैठकों का यह दौर आज से शुरू होकर 10 सितंबर तक चलेगा।आज पीएम मोदी कुल तीन दिन देशों के राष्ट्र अध्यक्ष के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे, जिसमें अमेरिका, बांग्लादेश और मॉरीशस के राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री शामिल हैं।

बाइडन के साथ इन मुद्दों पर चर्चा संभव

बता दें कि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन भी अपने एयरफोर्स वन से बारत के लिए रवाना हो चुके हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में जो बाइडन की ये भारत की पहली यात्रा है। उनकी शुक्रवार को ही प्रधानमंत्री मोदी से द्विपक्षीय बैठक होगी। बैठक में दोनों नेता प्रधानमंत्री मोदी की जून में वाशिंगटन की आधिकारिक यात्रा के दौरान लिए गए फैसलों पर प्रगति की समीक्षा कर सकते हैं। बैठक के दौरान जिन प्रमुख मुद्दों पर बातचीत हो सकती है उसमें यूक्रेन, अहम एवं उभरती प्रौद्योगिकियां और कुछ रक्षा सौदे शामिल हैं। अगले दिन राष्ट्रपति बाइडन प्रधानमंत्री मोदी के साथ एक आधिकारिक कार्यक्रम में भाग लेंगे. इसके बाद वह जी20 नेताओं के साथ कई बैठकों में हिस्सा लेंगे।

इन नेताओं संग बैठक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी20 शिख सम्मेलन में भाग लेने वाले नेताओं के साथ 15 से अधिक द्विपक्षीय बैठकें करेंगे। 8 सितंबर को पीएम मोदी मॉरीशस, बांग्लादेश और अमेरिका के नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे। 9 सितंबर को जी20 बैठकों के अलावा पीएम मोदी यूके, जापान, जर्मनी और इटली के साथ द्विपक्षीय बैठकें करेंगे। वहीं, 10 सितंबर को पीएम मोदी फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन के साथ वर्किंग लंच मीटिंग करेंगे। इसके अलावा प्रधानंमत्री मोदी कनाडा के पीएम के साथ अलग बैठक करेंगे। इनके अलावा प्रधानमंत्री मोदी कोमोरोस, तुर्किए, संयुक्त अरब अमीरात, दक्षिण कोरिया, यूरोपीय यूनियन, यूरोपीय कमीशन, ब्राजील और नाइजीरिया के नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें करेंगे।

जी-20 समिटः मनमोहन सिंह और देवेगौड़ा को डिनर का न्योता, सोनिया-खड़गे को निमंत्रण नहीं, अंबानी-अडानी समेत दिग्गज बिजनसमैन भी होंगे कार्यक्रम का ह

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जी-20 सम्मेलन के लिए दिल्ली में मेहमानों का आना शुरू हो गया है। आज बाइडेन समेत कई देशों के राष्ट्राध्यक्ष भारत आ रहे हैं।बाइडेन के अलावा आज आने वालों में ब्रिटेन के पीएम ऋषि सुनक, ऑस्ट्रेलिया के पीएम एंथनी अलबनीज़, जापान के पीएम किशिदा फूमियो, ब्राज़ील के राष्ट्रपति लुईज़ इनैसियो लुला जा सिल्वा और चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग शामिल हैं। जी-20 सम्मेलन में 40 देशों के राष्ट्राध्यक्ष या उनके प्रतिनिधि शामिल हो रहे हैं।जी-20 के लिए दिल्ली अभेद्य किले में तब्दील हो गई है।

मनमोहन सिंह और दवेगौड़ा को न्योता

G20 सम्मेलन विश्व का सबसे बड़ा और ताकतवर कूटनीतिक इवेंट माना जाता रहा है।इस दो दिवसीय सम्मेलन का सबसे अहम हिस्सा होता है ग्रैंड डिनर पार्टी। यह डिनर मेजबान देश की ओर से सभी विदेशी मेहमानों के सम्मान में दिया जाता है। लेकिन यह एक आम डिनर पार्टी नहीं होती है। इस पार्टी के आयोजन के जरिए मेजबान देश विश्व को अपनी संस्कृति, विविधता के अलावा देश के अंदर सबसे ताकतवर लोगों से रूबरू कराता है।पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा को जी20 शिखर सम्मेलन के रात्रिभोज में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है। न्‍यूज एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी।

सोनिया और मल्लिकार्जुन को निमंत्रण नहीं

शनिवार को राष्ट्रपति की ओर से डिनर का आयोजन किया गया है। दिल्ली के प्रगति मैदान में जी20 सम्मेलन के लिए तैयार किए गए भारत मंडपम में डिनर का आयोजन होगा।यह एक छोटा सा सांस्कृतिक कार्यक्रम होगा। इसके लिए सभी कैबिनेट और राज्य मंत्रियों को निमंत्रण भेजा गया है। डिनर के लिए सभी मुख्यमंत्रियों को भी बुलाया गया है। मेहमानों की लिस्ट में सभी सचिव और अन्य विशिष्ट अतिथि जिनमें बड़े उद्योगपति भी शामिल हैं। पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह और एचडी देवेगौडा को भी रात्रिभोज के लिए आमंत्रित किया गया है। लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे को न्योता नहीं भेजा गया है। साथ ही किसी अन्य राजनीतिक दल के नेता को भी निमंत्रण नहीं दिया गया है।

लगभग 600 लोगों को न्योता

9 सितंबर को पूरे दिन चलने वाली मीटिंग के बाद होने वाली डिनर पार्टी में शामिल होने के लिए मेहमानों के अलावा लगभग 600 लोगों को निमंत्रण दिया गया है। डिनर में केंद्रीय मंत्रियों को मेहमानों की खातिरदारी के लिए खास ड्यूटी लगाई गई है। सभी का उनकी पसंद के मुताबिक इंतजाम करने के साथ उन्हें देसी खाने के बारे में विस्तार से बताना भी है। इस डिनर में देश के तमाम हिस्सों के देसी व्यंजनों को शामिल किया गया है। इस डिनर में पूरी तरह शाकाहारी खाने का ही इंतजाम है।

6 राज्यों की 7 सीटों पर उपचुनाव के लिए वोटों की गिनती जारी, NDA और INDIA गठबंधन के बीच पहली चुनावी परीक्षा

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पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, झारखंड और त्रिपुरा समेत 6 राज्यों की 7 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव की मतगणना शुरू हो गई है। इन उपचुनावों को NDA और विपक्षी दलों के गठबंधन INDIA की पहली चुनावी परीक्षा कहा जा रहा है। जिन सात सीटों पर आज मतों की गिनती हो रही है उनमें उत्तर प्रदेश की घोसी, झारखंड की डुमरी, त्रिपुरा की धनपुर और बोक्सानगर, उत्तराखंड की बागेश्वर, पश्चिम बंगाल की धुपगुड़ी और केरल की पुथुप्पल्ली शामिल हैं।

सबसे खास लड़ाई घोसी सीट पर

अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव और इस साल कुछ राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले ये उपचुनाव एनडीए और इंडिया के लिए बड़ी परीक्षा था। इन उपचुनाव में सबसे खास लड़ाई घोसी को लेकर है, जो यूपी में इंडिया गठबंधन का लिटमेस टेस्ट के तौर पर देखा जा रहा है। यहां बीजेपी की ओर से दारा सिंह चौहान चुनाव लड़ रहे हैं, जो सपा को छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे। जबकि उनका मुकाबला सपा के सुधाकर सिंह कर रहे हैं। घोसी में पहले दारा सिंह चौहान ही विधायक थे, जिनके सपा से इस्तीफा देने के बाद ही यहां पर उपचुनाव की स्थिति पैदा हुई थी।

कहीं एनडीए से तो कहीं आपस में ही है मुकाबला

NDA और INDIA के बीच पहली चुनावी भिड़ंत के लिए यूपी के घोसी विधानसभा सीट पर बीजेपी की तरफ से दारा सिंह चौहान मैदान में हैं। वह हाल ही में सपा छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए हैं। सपा ने सुधाकर सिंह को टिकट दिया है। सुधाकर को कांग्रेस, सीपीएम, सीपीआई(एमएल) का भी समर्थन मिला हुआ है। विपक्षी गठबंधन झारखंड की डुमरी, त्रिपुरा की धनपुर और बॉक्सनगर और उत्तराखंड की बागेश्वर सीट पर भी संयुक्त रूप से मुकाबला कर रहा है।जबकि, उत्तराखंड की बागेश्वर विधानसभा सीट पर बीजेपी से पार्वती देवी उतरी हैं तो कांग्रेस से बसंत कुमार मैदान में हैं। सपा से भागवती प्रसाद किस्मत आजमा रहे हैं। सपा के चुनावी मैदान में उतरने से बागेश्वर सीट पर NDA बनाम INDIA के बीच मुकाबला होने के बजाय त्रिकोणीय लड़ाई बन गई। पश्चिम बंगाल के धूपगुड़ी और केरल के पुथुपल्ली में गठबंधन के घटक ही एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। केरल की पुथुपल्ली विधानसभा सीट पर कांग्रेस नेतृत्व वाले यूडीएफ गठबंधन से पूर्व मुख्यमंत्री ओमन चांडी के बेटे चांडी ओमन मैदान में हैं तो लेफ्ट दलों के अगुआई वाले एलडीएफ गठबंधन से जैक सी थॉमस किस्मत आजमा रहे हैं। पश्चिम बंगाल की धुपगुड़ी विधानसभा सीट पर बीजेपी से तापसी रॉय मैदान में हैं। टीएमसी से राजवंशी समुदाय से आने वाले प्रोफेसर निर्मल चंद्र रॉय को उतार रखा है तो सीपीआई से ईश्वर चंद्र रॉय किस्मत आजमा रहे हैं। कांग्रेस उपचुनाव नहीं लड़ रही है।

सुभाष चंद्र बोस के पोते ने भाजपा से क्यों दिया इस्तीफा?*

#netaji_subhas_bose_grandnephew_quits_bjp

नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पोते चंद्र कुमार बोस ने बीजेपी से इस्तीफा दे दिया है। 2016 में बीजेपी में शामिल हुए सुभाष चंद्र बोस के पोते चंद्र बोस ने पार्टी से इस्तीफा देकर अपने रास्ते अलग कर लिए। पिछले कुछ समय से उन्हें लगातार बीजेपी की नीतियों की आलोचना करते देखा जा रहा था। बुधवार को पार्टी छोड़ने के दौरान उन्होंने कहा कि मेरी शुभकामनाएं पार्टी के साथ है, लेकिन उन्हें सभी समुदायों को एकजुट करना चाहिए।

चंद्र कुमार बोस ने पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को चिट्ठी लिखी और अपने फैसले की जानकारी दी। जेपी नड्डा को लिखी गई चिट्ठी में उन्होंने पार्टी छोड़ने को लेकर वजहें भी बताई है। उन्होंने लिखा कि नेताजी की विचारधारा को बढ़ावा देने में भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व और पश्चिम बंगाल नेतृत्व से समर्थन की कमी है।चंद्र बोस ने कहा कि जब मैं बीजेपी में शामिल हुआ था, उस वक्त मुझसे वादा किया गया था कि मुझे सुभाष चंद्र बोस और शरत चंद्र बोस की विचारधारा को प्रचारित करने की अनुमति दी जाएगी, लेकिन ऐसा कुछ हो नहीं रहा है।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस से पोते ने लिखा कि मेरे आदर्श और प्रस्ताव का कोई पालन नहीं किया गया। ऐसे में भाजपा के साथ रहना कोई काम की बात नहीं है।चंद्र कुमार बोस ने इस्तीफे पर कहा, 2016 में बीजेपी में योगदान किया था। पीएम मोदी के नेतृत्व में मुझे अच्छा लगा। बीजेपी में शामिल होने के बाद लगा कि ये जो राजनीति करते हैं वो मेरे और नेताजी सुभाष चंद्र बोस के आदर्श सब धर्म को एकसाथ करने के मुताबिक नहीं है। उन्होंने (नेताजी सुभाष चंद्र बोस) सांप्रदायिक और विभाजन की राजनीति के खिलाफ हमेशा लड़ाई लड़ी।

उन्होंने कहा कि भाजपा के ढांचे के भीतर एक आजाद हिंद मोर्चा बनाने का भी निर्णय लिया गया, जिसका प्राथमिक उद्देश्य धर्म, जाति और पंथ के बावजूद सभी समुदायों को भारतीय के रूप में एकजुट करने की नेताजी की विचारधारा को बढ़ावा देना था।

चंद्र बोस ने इंडिया नाम बदलने पर भी सवाल उठाया। चंद्र बोस ने कहा कि इसकी (नाम बदलने की) जरूरत नहीं थी।सरकार को दूसरे अहम मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि संविधान में अभी भारत के राष्ट्रपति जैसा कोई संवैधानिक पद अस्तित्व में नहीं है। ऐसे में राष्ट्रपति मुर्मू भारत के राष्ट्रपति के रूप में G-20 के लिए निमंत्रण कैसे जारी कर सकती हैं? असल में यह कोई मुद्दा ही नहीं है, क्योंकि हम पहले से ही कहते आए हैं कि इंडिया यानी भारत है।

जी 20 के विदेशी मेहमानों के आने का सिलसिला शुरू, जानें कौन कर रहा अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से ऋषि सुनक तक की आगवानी

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भारत जी 20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी के लिए तैयार है। 9-10 सितंबर को नई दिल्ली में होने वाले जी20 शिखर सम्मेलन के लिए दुनियाभर के शक्तिशाली देशों के नेता जुटेंगे। अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस, जापान, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया समेत 19 देशों के राष्ट्राध्यक्ष इसमें शामिल होंगे। सम्मेलन में शामिल होने के लिए राष्ट्राध्यक्षों के भारत आने का सिलसिला शुरु हो गया है।मॉरीशस के पीएम प्रवीण कुमार जगन्नाथ समेत कई मेहमान गुरुवार को दिल्ली पहुंच गए हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन कल यानी शुक्रवार 8 सितंबर को पहुंचेंगे। इस बीच केंद्र सरकार ने अलग-अलग देशों से आने वाले राष्ट्राध्यक्षों की अगवानी करने के लिए केंद्रीय राज्य मंत्रियों की ड्यूटी भी तय कर दी गई है। 

केंद्र सरकार की ओर से अलग-अलग केंद्रीय राज्य मंत्रियों की ड्यूटी लगाई गई है, जो एयरपोर्ट पर विदेशी राष्ट्राप्रमुखों को रिसीव करेंगे।इसमें सबसे अहम जिम्मेदारी केंद्रीय सड़क परिवहन और नागरिक विमानन राज्यमंत्री वीके सिंह को दी गई है। वीके सिंह अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और चीन के पीएम ली कियांग को रिसीव करने एयरपोर्ट पहुंचेंगे।, जबकि ब्रिटिश पीएम ऋषि सुनक का स्वागत अश्विनी चौबे करेंगे।किस मंत्री को किस राष्ट्राध्यक्ष को रिसीव करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है इनकी लिस्ट इस प्रकार हैः

कौन किस राष्ट्राध्यक्ष को करेगा रिसीव

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन- वीके सिंह

इटली की पीएम जॉर्जिया मेलोनी- शोभा करांदलाजे

बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना- दर्शना जरदोश

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक- अश्विनी चौबे

जापान के पीएम फुमियो किशिदा- अश्विनी चौबे

दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यूं सुक येओल- राजीव चंद्रशेखर

ऑस्ट्रेलिया के पीएम एंथनी अल्बनीज- राजीव चंद्रशेखर

ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डी सिल्वा- नित्यानंद राय

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों- अनुप्रिया पटेल

जर्मनी के चांसलर ओलाफ स्कोल्ज- बीएल वर्मा

मॉरीशस के पीएम प्रवीण कुमार जगन्नाथ- श्रीपाद येशो नायक

सिंगापुर के पीएम ली सीन लूंग- एल मुरूगन

यूरोपियन यूनियन की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन- प्रह्लाद सिंह पटेल

स्पेन के राष्ट्रपति- शांतनु ठाकुर

चीन के पीएम ली कियांग- वीके सिंह 

जी-20 में कौन कौन से देश शामिल हैं?

जी-20 में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्किये, यूके और यूएस और यूरोपीय यूनियन (27 सदस्य) शामिल है।

सदस्य देशों के अलावा और किन देशों का मिला न्योता

इसके अलावा इस बार जी-20 समिट के लिए नीदरलैंड, सिंगापुर, स्पेन, संयुक्त अरब अमीरात, ओमान, बांग्लादेश, मिस्र, मॉरीशस और नाइजीरिया को मेहमानों के तौर पर बुलाया गया है। यूक्रेन को जी-20 समिट का न्योता नहीं भेजा गया है। 

पीएम मोदी करेंगे तैयारियों की समीक्षा

इधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इंडोनेशिया के जकार्ता की अपनी यात्रा के समापन के बाद दिल्ली पहुंच गए हैं। बताया जा रहा है कि पीएम मोदी जी-20 के मुद्दे पर काउंसिल ऑफ मिनिस्टर की बैठक करेंगे।ये मीटिंग आज रात 8 बजे सुषमा स्वराज भवन में होगी। पीएम इस बैठक में जी20 समिट की की तैयारियों की समीक्षा करेंगे। जी-20 शिखर सम्मेलन 9 से 10 सितंबर तक प्रगति मैदान के नवनिर्मित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन और प्रदर्शनी केंद्र भारत मंडपम में आयोजित किया जाएगा। इस सम्मेलन में कई देशों के राष्ट्राध्यक्ष, यूरोपीय संघ और आमंत्रित अतिथि देशों के शीर्ष अधिकारियों के शामिल होने की संभावना है।

राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत के सामने लगे मोदी-मोदी के नारे, सीएम रुके, मुस्कुराए और आगे बढ़ गए, वीडियो हो रहा वायरल

 6 सितंबर को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को एक अजीब स्थिति का सामना करना पड़ा, जब उन्होंने भीलवाड़ा में युवाओं के एक समूह के पास अपना काफिला रोका, लेकिन वहां मौजूद युवाओं ने मोदी-मोदी के नारों के साथ सीएम गहलोत का स्वागत किया गया। रिपोर्ट के मुताबिक, मिशन 2030 के लिए नगर पालिका के महाराणा प्रताप सम्मेलन में भाग लेने के लिए गहलोत रात को भीलवाड़ा पहुंचे। इस कार्यक्रम में उनका व्यापार मालिकों से मिलने का कार्यक्रम था।

बैठक के बाद, सीएम अशोक गहलोत रात के लिए सर्किट हाउस के लिए रवाना हुए और सरस्वती सर्कल के पास लोगों के एक समूह को खड़े देखा। उनका काफिला युवाओं के समूह के ठीक बगल में रुका और वह समूह की ओर हाथ हिलाने के लिए वाहन से बाहर आये। हालांकि, सीएम के लिए स्थिति तब अजीब हो गई जब युवक ने मोदी-मोदी के नारे लगाने शुरू कर दिए। इस पर गहलोत मुस्कुराए और तुरंत गाड़ी में वापस बैठ गए। जैसे ही काफिला दोबारा आगे बढ़ा तो युवाओं ने 'जय श्री राम' का नारा लगाना शुरू कर दिया। बता दें कि, यह पहली बार नहीं है, जब गहलोत को ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ा है। इस साल अप्रैल में, गहलोत ने जयपुर में राजस्थान रॉयल्स और लखनऊ सुपर जायंट्स के बीच एक IPL मैच में भाग लिया। उन्हें मैदान पर देखकर लोग मोदी-मोदी के नारे लगाने लगे. घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। 

बता दें कि, राजस्थान में गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार का कार्यकाल खत्म हो रहा है। राज्य में विधानसभा चुनाव नवंबर 2023 के आसपास होने हैं। पिछला विधानसभा चुनाव दिसंबर 2018 में हुआ था। मौजूदा सरकार का कार्यकाल 14 जनवरी 2024 को खत्म होगा।