*विधायक बनकर वसूली करने वाली करते थे वॉकी टॉकी का इस्तेमाल ,राह चलते रौब दिखाकर करते थे वसूली का खेल*
लखनऊ । पुलिस अफसर और विधायक बन उगाही करने वाले शातिर सीयूजी सीरीज का मोबाइल नंबर इस्तेमाल करते थे। ट्रू कॉलर पर एडीजी के नाम से प्रोफाइल बनाई थी।ये नंबर ट्रेस कर सर्विलांस के एक सिपाही ने जब उससे बात की तो उसको अर्दब में लेने का प्रयास किया। जमकर फटकारा और बोला कि सिपाही के पास सरकारी नंबर कैसे है? इससे सिपाही थोड़ा सहमा, लेकिन जब अधिकारियों को इस बारे में बताया तो उनको शक हो गया। जब मोबाइल नंबर की कुंडली निकाली गई तो आरोपी जद में आ गए और दबोच लिए गए।
राह चलते रौब दिखाकर करते थे वसूली का खेल
एडीसीपी पूर्वी सैयद अली अब्बास ने बताया कि आरोपी शैलेंद्र कुमार और रविंद्र कुमार लंबे समय से फरार थे। सर्विलांस टीम ने एक सीयूजी सीरीज का नंबर चिह्नित किया। शक था कि ये नंबर आरोपियों में से किसी एक का है। संपर्क किया तो बात रविंद्र ने की और खुद को एडीजी बताया। सिपाही ने सवाल करने शुरू किए तो वह भड़कता रहा। नौकरी से हटवाने की धमकी दे दी। एडीसीपी ने बताया कि तभी शक हो गया था कि ये शातिर शख्स है। मोबाइल नंबर की डिटेल निकाली गई तो प्राइवेट शख्स की आईडी पर मिला। ट्रेस कर पकड़ा गया। एडीसीपी ने बताया कि काफी वर्ष पहले सामान्य लोगों को भी सीयूजी सीरीज के नंबर आवंटित किए जाते थे, ये नंबर आरोपी रविंद्र ने तभी लिया था।
पुलिस कर्मी के करीबी होने के कारण थी इन्हें पूरी जानकारी
एसयूवी में वॉकी टॉकी सिस्टम लगवा रखा था। जब वह चलता था दो-तीन गुर्गे साथ में रहते थे। कभी भी वह टोल नहीं भरता था। उसके गुर्गे वॉकी-टॉकी लेकर उतरते थे। गाड़ी में एडीजी के होने की बात कहकर बैरियर खुलवाते थे। ये सैकड़ों बार किया। आरोपी के पास से पुलिस के कई आईडी कार्ड भी बरामद हुए। आरोपियों के खातों में मोटी रकम मिली है। खाते फ्रीज कराए गए हैं। पुलिस की पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि वह राह चलते भी वसूलते करते थे। सड़क किनारे गाड़ी के भीतर आरोपी बैठे रहते थे। उनके गुर्गे गाड़ियां रुकवाते थे।
आरोपियों के पास से डीजी के सर्कुलर भी बरामद हुए
रविंद्र और शैलेंद्र को पुलिस अफसर बता चेकिंग के नाम पर रकम वसूल करते थे। आरोपियों के पास से डीजी के सर्कुलर भी बरामद हुए। पूछताछ में बताया कि वह इन सर्कुलर को पढ़कर जानकारियां लेते थे। यदि कभी पुलिस वाले से टकरा जाएं तो विश्वास के साथ बात कर सकें। किसी तर्क में न फंसे। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, कई पुलिसकर्मी आरोपियों के करीबी हैं। जिनसे उनको पूरी जानकारी मिली है। मोबाइल से कई अहम जानकारियां मिली हैं। कुछ पुलिस अधिकारियों के नंबर व उनसे व्हाट्सएप चैट भी है, जिसकी तस्दीक की जा रही है।
Aug 24 2023, 15:24