नालंदा - मौजूदा केंद्र सरकार में बेटियों की अस्मत सुरक्षित नहीं: राजीव रंजन
केंद्र सरकार को महिला विरोधी बताते हुए जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन ने आज कहा कि ओलंपिक और अन्य प्रतियोगिताओं में मेडल जीत कर देश का नाम रौशन करने वाली बेटियां अपने साथ हुए शोषण के खिलाफ पिछले दो महीने से आंदोलन कर रही हैं,
लेकिन केंद्र सरकार के कानों पर जू तक नहीं रेंग रही. इससे साफ़ पता चलता है कि केंद्र सरकार के लिए बेटी बचाओ-बेटी पढाओ का नारा एक जुमला है. उन्हें बेटियों की सुरक्षा से कोई मतलब नहीं है.
इस मुद्दे पर दिल्ली पुलिस और केंद्र सरकार के रवैए को निराशाजनक बताते हुए उन्होंने कहा कि शोषण के आरोपी भाजपा सांसद को बचाने के लिए केंद्र सरकार ने कानून व्यवस्था को भी ताक पर रख दिया है. इस मामले में एक नाबालिग भी भुक्तभोगी है, इसलिए इसमें पॉक्सो एक्ट भी लागू है. बावजूद इसके केंद्र सरकार के अधीन आने वाली दिल्ली पुलिस ने कारवाई करना तो दूर शोषण के शिकार नाबालिग समेत 7 खिलाड़ियों की FIR तक दर्ज तक नही की. इसके लिए भी सुप्रीम कोर्ट को हस्तक्षेप करना पड़ता है. आज देश में लोकतंत्र और संविधान पर मंडराते खतरे का इससे बड़ा प्रमाण और क्या हो सकता है.
उन्होंने कहा कि गौर करने वाली बात यह है जब देश की नामचीन खिलाड़ियों के साथ ऐसा हो रहा है तो सामान्य घरों की बेटियों को ऐसे मामलों का शिकार होने पर क्या-क्या झेलना पड़ता होगा. इससे साफ़ है कि मौजूदा केंद्र सरकार में बेटियों की इज्जत आबरू सुरक्षित नहीं है.
जदयू महासचिव ने कहा कि यह खिलाडी जिस व्यक्ति पर शोषण का आरोप लगा रहे हैं, वह भाजपा के दबंग नेता हैं, जिन पर पहले से ही दर्जनों मामले चल रहे हैं. बाबरी विध्वंस के मामले में यह नेताजी आरोपी रह चुके हैं. ऐसे दागदार व्यक्ति का कुश्ती संघ का अध्यक्ष बन जाना ही खुद में एक सवाल है और अब यह मामला उठने पर भी उनपर भाजपा कोई कारवाई नहीं कर रही है. अदानी के बचाव में खड़े हो जाने वाले सारे नेता भी इस मुद्दे पर चुप हैं. यह दिखाता है कि एक दबंग नेता की दबँगई के सामने पूरी भाजपा घुटनो पर बैठ गयी है.
केंद्र सरकार को महिला सम्मान के मामले में बिहार से सीख लेने की सलाह देते हुए उन्होंने कहा कि यदि ऐसी घटना बिहार में हुई होती और पुलिस ने FIR दर्ज करने से मना किया होता तो उन सारे पुलिसकर्मीयों पर आज कारवाई चल रही होती. महिलाओं को ऐसा न झेलना पड़े इसीलिए बिहार सरकार ने उनके लिए विशेष महिला थाना खोल रखा है, जिससे महिला पुलिसकर्मी ही संचालित करती हैं. सरकार ने महिलाओं को पुलिस की नौकरी में 35% आरक्षण भी दे रखा है, जिसके कारण आज सबसे अधिक महिला पुलिस बल बिहार में ही है. इसके अलावा महिलाओं के नेतृत्व को मजबूती प्रदान करने के लिए राज्य सरकार ने उन्हें पंचायत चुनावों में 50% आरक्षण भी दे रखा है. हकीकत में केंद्र सरकार को बिहार से सीखना चाहिए कि महिलाओं को सम्मान और अधिकार कैसे दिया जाता है.
Jun 04 2023, 19:54