*देश के लिए जीते मेडल गंगा में बहाएंगे पहलवान, आमरण अनशन का ऐलान*
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बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ आंदोलन कर रहे पहलवानों ने अपने मेडल गंगा में बहाने का ऐलान किया है।यौन उत्पीड़न के आरोपों को लेकर भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ आंदोलन कर रहे पहलवान आज शाम उत्तराखंड के हरिद्वार जाएंगे। यहां पहलवान गंगा में प्रवाहित करेंगे। पहलवान बजरंग पूनिया ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है।
राजधानी दिल्ली में देश के नामचीन पहलवान एक महीने से जंतर मंतर पर धरने पर थे।लेकिन नए संसद भवन के उद्घाटन वाले दिन 28 मई को उन्हें वहां से हटा दिया गया। अब पहलवानों ने आमरन अनशन का ऐलान कर दिया है। पहलवानों ने सोशल मीडिया पर जारी पत्र में कहा है कि मेडल हमारी जान है आत्मा हैं, इनके गंगा में बह जाने के बाद हमारे जीने का कोई मतलब नहीं रह जाएगा, इसलिए हम इंडिया गेट पर आमरण अनशन पर बैठ जाएंगे। रेसलर विनेश फोगाट ने इस बारे में सोशल मीडिया पर एक भावुक पोस्ट लिखा है।
जारी पत्र में कहा गया है कि ‘इन मेडलों को हम गंगा में बहाने जा रहे हैं, क्योंकि वह गंगा मां ही है… जितना पवित्र हम गंगा मां को मानते हैं, उतनी ही पवित्रता से हमने मेहनत कर इन मेडलों को हासिल किया। ये मेडल सारे देश के लिए ही पवित्र हैं और पवित्र मेडल को रखने की सही जगह पवित्र मां गंगा ही हो सकती है।
पत्र में उन्होंने लिखा, हमारे साथ 28 मई को जो हुआ वो आप सबने देखा। पुलिस ने हम लोगों के साथ क्या व्यवहार किया। हमें कितनी बर्बरता से गिरफ़्तार किया। हम शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे थे। हमारे आंदोलन की जगह को भी पुलिस ने तहस नहस कर हमसे छीन लिया और अगले दिन गंभीर मामलों में हमारे ऊपर ही एफआईआर दर्ज कर दी गई। क्या महिला पहलवानों ने अपने साथ हुए यौन उत्पीड़न के लिए न्याय मांगकर कोई अपराध कर दिया है।
इस देश में हमारा कुछ बचा ही नहीं
पत्र में आगे लिखा है हम महिला पहलवान ऐसा महसूस कर रही हैं जैसे इस देश में हमारा कुछ बचा ही नहीं है। फोगाट ने लिखा, हमें वो पल याद आ रहे हैं, जब हमने ओलंपिक, वर्ल्ड चैंपियनशिप में मेडल जीते थे। अब लग रहा है कि ये मेडल क्यों जीते थे। क्या इसलिए जीते थे कि तंत्र हमारे साथ ऐसा घटिया व्यवहार करे। हमें घसीटे और फिर हमें ही अपराधी बना दे। कल पूरा दिन हमारी कई महिला पहलवान खेतों में छिपती फिरी हैं। तंत्र को पकड़ना उत्पीड़क को चाहिए था, लेकिन वह पीड़ित महिलाओं को उनका धरना खत्म करवाने, उन्हें तोड़ने और डराने में लगा हुआ है। अब लग रहा है कि हमारे गले में सजे इन मेडलों का कोई मतलब नहीं रह गया है। इनको लौटाने की सोचने भर से हमें मौत लग रही थी, लेकिन अपने आत्म सम्मान के साथ समझौता करके भी क्या जीना।
मेडल ना लौटाने की बताई वजह
पत्र में पहलवानों ने इस मेडल को राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री को न सौंपकर गंगा में ही बहाने की वजह भी बताई है। इसमें लिखा, हमारे सामने सवाल आया कि मेडल किसे लौटाएंगे। हमारी राष्ट्रपति को जो खुद एक महिला हैं। मन ने ना कहा, क्योंकि वह हमें सिर्फ 2 किलोमीटर दूर बैठी सिर्फ देखती रहीं, लेकिन कुछ भी नहीं बोलीं। पीएम मोदी को मेडल न लौटाने की वजह बताते हुए लिखा गया कि प्रधानमंत्री हमें अपने घर की बेटियां बताते थे। उन्होंने एक बार भी अपने घर की बेटियों की सुध नहीं ली। बल्कि नई संसद के उद्घाटन में हमारा शोषण करने वाले (बृजभूषण शरण सिंह) को ही बुलाया। वह तेज सफेदी वाले चमकदार कपड़ों में फोटो खिंचवा रहा था। उसकी सफेदी हमें चुभ रही थी। मानो कह रही हो मैं ही तंत्र हूं।
“पवित्र मेडल को रखने की सही जगह मां गंगा”
उन्होंने आगे लिखा, ये मेडल हमें नहीं चाहिए। हम इन मेडल को गंगा में बहाने जा रहे हैं। क्योंकि वह गंगा मां हैं। जितना पवित्र हम गंगा को मानते हैं, उतनी ही पवित्रता से हमने मेहनत कर इन मेडलों को हासिल किया था। ये मेडल सारे देश के लिए पवित्र हैं और पवित्र मेडल को रखने की सही जगह मां गंगा ही हो सकती है।
May 30 2023, 16:26