कौन हैं वी नारायण जो चुने गए नए ISRO चीफ, एस सोमनाथ की लेंगे जगह

भारत के प्रतिष्ठित वैज्ञानिक और आंतरिक्ष विभाग के सचिव डॉ एस सोमनाथन की जगह वी नारायणन लेगें. केंद्र सरकार की तरफ से की गई घोषणा के मुताबिक, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के सचिव के तौर पर वी नारायणन अपनी जिम्मेदारी संभालेंगे. इस विषय पर मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति की ओर से आदेश दिया गया. वी नारायणन 14 जनवरी को पदभार ग्रहण करेंगे.

न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, वी नारायणन अगले दो सालों तक या अगली सूचना तक इस पद पर काम कर सकते हैं. मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने वी. नारायणन, निदेशक, वलियामाला को अंतरिक्ष विभाग के सचिव और अंतरिक्ष आयोग के सचिव के रूप में 14 जनवरी 2024 से दो साल की अवधि के लिए या अगले आदेशों तक इनमें से जो भी पहले हो, उस समय तक के लिए नियुक्ति को मंजूरी दी है. वर्तमान सचिव के एस सोमनाथन के कार्यकाल में ही चंद्रयान-3 को सफलता मिली थी.

इसरो के नए अध्यक्ष वी नारायणन कौन हैं?

वी नारायणन जाने-माने वैज्ञानिक हैं. इनके पास रॉकेट और अंतरिक्ष यान प्रणोदन में लंबा अनुभव है. लगभग चार दशकों के अनुभव के साथ वो इस जिम्मेदारी को निभाने में अपनी भूमिका निभाएंगे. वह रॉकेट और अंतरिक्षयान प्रणोदन(स्पेसक्राफ्ट प्रोपल्शन) विशेषज्ञ हैं. 19वीं सदी में इसरो में बतौर साइंटिस्ट शामिल हुए. द्रव प्रणोदन प्रणाली केंद्र (एलपीएससी) के निदेशक बनने से पहले कई बड़े पदों पर काम किया.

शुरुआती समय में उन्होंने विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) में साउंडिंग रॉकेट और संवर्धित उपग्रह प्रक्षेपण यान (एएसएलवी) और ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) के ठोस प्रणोदन क्षेत्र में काम किया. वी नारायणन ने प्रक्रिया नियोजन, प्रक्रिया नियंत्रण और एब्लेटिव नोजल सिस्टम, कम्पोजिट मोटर केस और कम्पोजिट इग्नाइटर केस को बनाने में भी अहम भूमिका निभाई.

मौजूदा समय में नारायणन एलपीएससी के निदेशक हैं. ये इसरो के प्रमुख केंद्र में से एक है. इसका मुख्यालय तिरुवनंतपुरम के वलियमाला में स्थित है. इसकी एक यूनिट बेंगलुरु में अवस्थि है.

इसरो हाल ही में स्वदेशी रूप से निर्मित स्पेस डॉकिंग तकनीक स्पैडेक्स को लॉन्च करने के लिए चर्चा में रहा है. ये चंद्रयान 4 और गगनयान जैसे महत्वाकांक्षी मिशनों के लिए काफी अहम है. इसने भारत को उन देशों की सूची में शामिल कर दिया है जिनके पास यह तकनीक है. ऐसे दूसरे देश USA, रूस और चीन हैं. एलपीएससी के निदेशक के रूप में, केंद्र ने 45 लॉन्च वाहनों और 40 उपग्रहों के लिए 190 लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम और कंट्रोल पावर प्लांट वितरित किए हैं.

बीटेक, एमटेक और पीएचडी पूरी की

डॉ. नारायणन ने अपनी स्कूली शिक्षा और डीएमई प्रथम रैंक और मैकेनिकल इंजीनियरिंग में एएमआईई के साथ पूरी की है. उन्होंने क्रायोजेनिक इंजीनियरिंग में पहली रैंक के साथ एम.टेक और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में पीएचडी पूरी की.

डीएमई पूरा करने के तुरंत बाद, टीआई डायमंड चेन लिमिटेड, मद्रास रबर फैक्ट्री, बीएचईएल, त्रिची और बीएचईएल, रानीपेट में डेढ़ साल तक काम किया. वह 1984 में इसरो में शामिल हुए और जनवरी 2018 को एलपीएससी के निदेशक बनने से पहले विभिन्न क्षमताओं में कार्य किया.

चंद्रयान मिशन की सफलता में भी रहा योगदान

क्रायोजेनिक प्रोपल्शन सिस्टम के विकास ने भारत को इस क्षमता वाले छह देशों में से एक बना दिया और लॉन्च व्हीकल में आत्मनिर्भरता सुनिश्चित की. इसमें इनकी अमह भूमिका रही. जीएसएलवी एमके-III एम1/चंद्रयान-2 और एलवीएम3/चंद्रयान-3 मिशनों के लिए, उनकी टीम ने एलवीएम3 प्रणोदन प्रणालियों के लिए एल110 लिक्विड स्टेज और सी25 क्रायोजेनिक स्टेज विकसित किया, जिसका इस्तेमाल किया गया.

ये अंतरिक्ष यान को पृथ्वी से चंद्रमा की कक्षा में ले गया और विक्रम लैंडर की थ्रॉटलेबल प्रणोदन प्रणाली का उपयोग चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग के लिए किया गया. वे राष्ट्रीय स्तर की विशेषज्ञ समिति के अध्यक्ष थे, जिसने चंद्रयान-2 की हार्ड लैंडिंग के कारणों को खोजा. साथ ही इनमें आवश्यक सुधारों की सिफारिश की. इसी वजह से अंततः चंद्रयान-3 की सफलता में भी इनका काफी योगदान रहा.

भारत पर लगे परमाणु प्रतिबंध हटाएगा अमेरिका, 26 साल बाद क्यों पड़ा ढीला?

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बाइडेन सरकार के अंतिम दिनों में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन भारत दौरे पर हैं। इस बीच अमेरिका के साथ भारत के बढ़ते रिश्तों को लेकर एक अच्छी खबर है। भारत दौरे पर आए अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने ऐलान किया कि पोखरण परीक्षण के बाद जो पाबंदियां लगी थीं, उन्हें हटाया जाएगा। इसका उद्देश्य भारत के साथ ऊर्जा संबंधों को मजबूत करना और 20 साल पुराने ऐतिहासिक परमाणु समझौते को नई रफ्तार देना है। सुलिवन ने यह घोषणा विदेश मंत्री एस. जयशंकर और एनएसए अजित डोभाल के साथ अलग-अलग वार्ता के कुछ घंटों बाद की।

अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने भारत-अमेरिका परमाणु समझौते में आ रही परेशानियों को दूर करने की बात कही है। उन्होंने कहा, क़रीब बीस साल पहले पूर्व राष्ट्रपति बुश और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने असैनिक परमाणु समझौते की एक दूरदर्शी सोच की नींव रखी थी, जिसे हमें अब पूरी तरह हक़ीकत बनाना है। उन्होंने कहा, हम प्रदूषण रहित ऊर्जा तकनीक पर काम कर रहे हैं, ताकि हम ऑर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस के विकास को सक्षम बना सकें और भारत और अमेरिका की ऊर्जा कंपनियों को उनकी नई तकनीक के विस्तार में मदद कर सकें। सुलिवन ने कहा, मैं आज यह घोषणा कर सकता हूं कि अमेरिका अब लंबे समय से मौजूद उन रुकावटों को हटाने में लगा हुआ है जिसने भारत के बड़े परमाणु ऊर्जा प्रतिष्ठानों और अमेरिकी कंपनियों के बीच परमाणु सहयोग को रोक रखा है।

अमेरिकी वाणिज्य विभाग ने 1998 के परमाणु परीक्षणों के बाद कई भारतीय संस्थानों पर प्रतिबंध लगाए थे। भारत ने 11 और 13 मई 1998 को राजस्थान के पोखरण में परमाणु परीक्षण किए। इस परीक्षण को ऑपरेशन शक्ति के नाम से जाना गया था। हालांकि इसके बाद कई देशों ने भारत पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए। अमेरिका अमेरिका ने तब 200 से अधिक भारतीय संस्थाओं पर प्रतिबंध लगा दिए।

हालांकि, समय के साथ कई प्रतिबंध हटा लिए गए, 2010 में दोनों देशों के बीच परमाणु सहयोग को लेकर समझौता भी हुआ था। लेकिन अभी भी भारत के कुछ रिएक्टर, परमाणु ऊर्जा संयंत्र और परमाणु ऊर्जा विभाग की इकाइयां इस सूची में हैं।

अब सुलिवन के बयान से संकेत मिलता है कि इन प्रतिबंधों को हटाने पर गंभीरता से काम हो रहा है। सुलिवन की यह यात्रा अमेरिका और भारत के बीच रणनीतिक सहयोग को मजबूत करने पर केंद्रित है। यह सहयोग खासतौर पर रक्षा, अंतरिक्ष और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) जैसे क्षेत्रों में बढ़ रहा है।

भारत अपनी ऊर्जा की बड़े पैमाने पर आपूर्ति परमाणु बिजली घरों के जरिए करता है। 2007 में तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश द्वारा हस्ताक्षरित एक समझौते के तहत अमेरिका को भारत को असैन्य परमाणु प्रौद्योगिकी बेचने की अनुमति दी गई थी। लेकिन इसकी शर्तें ऐसी थीं कि इसमें अड़चन आती रही, ये लागू नहीं हो सका। जिन नियमों के कारण इस समझौते में अड़चन आ रही थी, अब अमेरिका उन्हें हटाने की बात कर रहा है।

राजनीतिक और कूटनीतिक संदर्भ

यह दौरा बाइडेन प्रशासन के आखिरी बड़े भारत दौरे के रूप में देखा जा रहा है। सुलिवन ने बताया कि भारत-अमेरिका साझेदारी की अमेरिका की क्षेत्रीय और वैश्विक प्राथमिकताओं में केंद्रीय भूमिका है।

परमाणु व्यापार प्रतिबंध हटने से भारत के ऊर्जा क्षेत्र में बड़ी प्रगति हो सकती है। 2019 में दोनों देशों ने भारत में छह अमेरिकी परमाणु ऊर्जा संयंत्र बनाने पर सहमति जताई थी। यह परियोजना अब तेज हो सकती है। भारत में ऊर्जा की बढ़ती मांग को देखते हुए, अंतरराष्ट्रीय साझेदारियों के जरिए परमाणु ऊर्जा का दोहन महत्वपूर्ण है।

भारत के परमाणु ऊर्जा क्षेत्र अभी तक कड़े कानूनों और बाधाओं से जूझ रहे हैं। उन्हें इस कदम से नई दिशा मिल सकती है। इससे न सिर्फ ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग बढ़ेगा, बल्कि तकनीक, रक्षा और वैश्विक सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में भी रिश्ते मजबूत होंगे।

क्यों नरम पड़ा अमेरिका?

दरअसल परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में भारत लगातार बेहतर कर रहा है। अमेरिका को अच्छी तरह मालूम है कि भारत के साथ मिलकर काम करने पर उसको फायदा होगा। क्योंकि अब ऊर्जा से लेकर अंतरिक्ष तक के कई सेक्टर ऐसे हैं, जहां दोनों देशों को एक दूसरे की जरूरत है। अमेरिकी और भारतीय कंपनियों को अगली पीढ़ी की सेमीकंडक्टर प्रौद्योगिकियों के निर्माण के लिए मिलकर काम करते देखेंगे। साथ ही अमेरिकी और भारतीय अंतरिक्ष यात्री मिलकर अत्याधुनिक अनुसंधान और अंतरिक्ष अन्वेषण करेंगे। फिर अमेरिका भारत में बड़ा निवेश कर रहा है। उसी तरह भारत ने अमेरिकी निवेश में भूमिका निभाई है। पिछले दो दशकों में दोनों देश करीब आए हैं। कुछ अनुमानों के अनुसार अमेरिका में भारतीय निवेश ने 4,00,000 नौकरियां पैदा की हैं।

మాజీ సీఎం SM కృష్ణ కన్నుమూత

కర్ణాటక రాష్ట్ర మాజీ ముఖ్యమంత్రి, కేంద్ర మాజీ విదేశాంగ మంత్రి ఎస్‌ఎం కృష్ణ ఈరోజు కన్నుమూశారు. వృద్ధాప్యం కారణంగా అనారోగ్యంతో బాధపడుతున్న ఎస్‌ఎం కృష్ణ 92 ఏళ్ల వయస్సులో ఈరోజు తెల్లవారుజామున బెంగళూరులోని సదాశివనగర్ నివాసంలో తుదిశ్వాస విడిచారు.

కర్ణాటక రాష్ట్ర మాజీ ముఖ్యమంత్రి, కేంద్ర మాజీ విదేశాంగ మంత్రి ఎస్‌ఎం కృష్ణ ఈరోజు కన్నుమూశారు. వృద్ధాప్యం కారణంగా అనారోగ్యంతో బాధపడుతున్న ఎస్‌ఎం కృష్ణ 92 ఏళ్ల వయస్సులో ఈరోజు తెల్లవారుజామున బెంగళూరులోని సదాశివనగర్ నివాసంలో తుదిశ్వాస విడిచారు.

వృద్ధాప్యం కారణంగా గత కొన్ని రోజులుగా అనారోగ్యంతో బాధపడుతున్న కృష్ణను తొలుత వైదేహి ఆసుపత్రిలో చేర్చారు. ఆ తర్వాత ఊపిరితిత్తుల ఇన్ఫెక్షన్ కారణంగా మణిపాల్ ఆసుపత్రిలో చేరారు. డా. సత్యనారాయణ మైసూర్, డా. సునీల్ కారంత్ నేతృత్వంలోని వైద్యుల బృందం చికిత్స అందించింది.

SM కృష్ణ 1999 నుంచి 2004 వరకు కర్ణాటక 16వ ముఖ్యమంత్రి. తర్వాత 2004 నుంచి 2008 వరకు మహారాష్ట్ర గవర్నర్‌గా, కేంద్ర విదేశాంగ మంత్రిగా పనిచేశారు. అతను డిసెంబర్ 1989 నుండి జనవరి 1993 వరకు కర్ణాటక అసెంబ్లీ స్పీకర్‌గా కూడా పనిచేశాడు. 1971 నుండి 2014 వరకు, అతను వివిధ సమయాల్లో లోక్‌సభ, రాజ్యసభ సభ్యునిగా ఉన్నారు.

చాలా కాలంగా కాంగ్రెస్‌లో గుర్తింపు పొందిన ఎస్.ఎం.కృష్ణ మారిన రాజకీయ పరిస్థితుల కారణంగా 2017 మార్చిలో బీజేపీలో చేరారు. ఆయన చివరిసారిగా 2018 అసెంబ్లీ ఎన్నికల్లో బీజేపీలో చేరినప్పుడు బహిరంగంగా ప్రచారం చేశారు. ఆ తర్వాత ఎస్ఎం కృష్ణ క్రియాశీల రాజకీయాల నుంచి తప్పుకున్నారు.

మైసూర్‌లోని మహారాజా కళాశాలలో పట్టభద్రుడయ్యాక బెంగళూరులోని ప్రభుత్వ న్యాయ కళాశాలలో చదివాడు. తరువాత, అతను USA లోని టెక్సాస్ రాష్ట్రంలోని సదరన్ మెథడిస్ట్ విశ్వవిద్యాలయంలో చదివాడు. SM కృష్ణ వాషింగ్టన్‌లోని జార్జ్ వాషింగ్టన్ విశ్వవిద్యాలయంలో ప్రతిష్టాత్మకమైన ఫుల్‌బ్రైట్ స్కాలర్‌షిప్‌ను అందుకున్నారు.

2021 ఆగస్టులో మద్దూరు పట్టణాన్ని సందర్శించిన S.M. కృష్ణ రాజకీయాల నుంచి తప్పుకోవడం గురించి మాట్లాడారు. వయసు మీద పడడంతో రాజకీయాల నుంచి తప్పుకుంటువ్నట్లు వెల్లడించారు. దాదాపు 55 ఏళ్లు రాజకీయాల్లో ఉన్నాను. ఇంకెన్నాళ్లు రాజకీయాల్లో ఉండగలనని అన్నారు.

खुद को रिटायर्ड डीजी बताकर अधिकारियों पर रौब जमाने वाला साथी समेत गिरफ्तार
संजीव सिंह बलिया। गाजियाबाद।थाना साहिबाबाद पुलिस ने गुरुवार को एक ऐसे शख्स को गिरफ्तार किया है जो खुद को रिटायर्ड डीजी बताकर न केवल पुलिस अधिकारियों पर रौब ग़ालिब करता था, बल्कि वह जहां भी जाता था वहां प्रोटोकॉल लेता और अपने काम निकलवा कर रुपये वसूलता था। वह खुद को मणिपुर कैडर का आईपीएस बताया था। साथ ही विदेश मंत्री का सहपाठी भी बताता था।जाँच पड़ताल में पुलिस को दिल्ली एनसीआर समेत दुबई तक के उसके कारनामों की जानकारी मिली है। उसके साथ उसका एक साथी भी गिरफ्तार किया गया है। एडीसीपी पी दिनेश ने गुरुवार को बताया कि गिरफ्तार फर्जी डीजी का नाम अनिल कटियाल है। जो दिल्ली के ग्रेटर कैलाश में रहता है जबकि उसका साथी विनोद कपूर हैै जो हरियाणाके गुरुग्राम का निवासी है, उसे भी गिरफ्तार किया गया है। अनिल कटियाल ने खुद को 1979 बैच का मणिपुर काडर का आईपीएस बताया था और गाजियाबाद में पुलिस कमिश्नर और डीसीपी ट्रांस हिंडन से विनोद कपूर की सिफारिश की थी। उन्होंने बताया कि अनिल कटियाल का साथी विनोद कपूर दिल्ली कंस्ट्रक्शन कंपनी का मालिक है और इसने दिल्ली, पालम, सरसावा एयरपोर्ट और ग्वालियर एयरबेस जैसे महत्वपूर्ण जगह पर हैंगर रनवे कंपाउंड वॉल का निर्माण किया है। विनोद कपूर के खिलाफ थाना इंदिरापुरम में धोखाधड़ी का एक मुकदमा कायम है। जिसकी सिफारिश के लिए अनिल कटियाल गाजियाबाद के पुलिस कमिश्नर और डीसीपी ट्रांस हिंडन से मिला था। इतना ही नहीं अनिल कटियाल की शिकायत पर दो पुलिसकर्मी भी सस्पेंड कर दिए गए थे। उन्होंने बताया कि अनिल कटियाल मूल रूप से डब्लूए -153 जीके फर्स्ट ,न्यू दिल्ली का निवासी है, इसके पिता चेतराम कटियाल एक आईआरएस अधिकारी रहे है, तथा अनिल कटियाल की प्राथमिक पढ़ाई सेंट कोलम्बस स्कूल तथा कालेज की पढ़ाई सेंट स्टीफन्स कालेज में वर्ष 1973 से 1978 तक हुई है। इसके उपरान्त अनिल कटियाल ने वर्ष 1979 में यूपीएससी की परीक्षा दी, जिसमें वह असफल रहा जिसके उपरान्त वह वर्ष 1979 में पीएचडी की पढ़ाई करने के लिए येल यूनिवर्सिटी, यूएसए (YALE UNIVERSITY, USA) गया तथा वर्ष 1980 में पीएचडी की पढ़ाई बीच में छोड़कर भारत वापस आ गया, उसके उपरान्त अनिल कटियाल वर्ष 1980 से 2000 तक हिन्दुस्तान लीवर (तत्कालीन नाम) कम्पनी में प्रबन्धक के पद पर कार्यरत रहा तथा वर्ष 2000 से 2005 तक यामाहा कम्पनी में चीफ जनरल मैनेजर के पद पर नियुक्त रहा तथा वर्ष 2005 से 2015 तक वोडाफोन कम्पनी में वाइस प्रैसिडेन्ट, कॉरपोरेट अफेयर्स के पद पर कार्य करते हुये सेवानिवृत्त हुआ। इसके बाद अभियुक्त अनिल कटियाल ने लोगों को अपना परिचय 1979 बैच का आईपीएस देकर ठगना शुरू किया । उन्होंने बताया कि 20नवम्बर को थाना साहिबाबाद पर उनि नीरज राठौर पीआरओ पुलिस उपायुक्त,कार्यालय जोन ट्रांस हिण्डन कमिश्नरेट गाजियाबाद में आर्थिक लाभ कमाने एवं मुकदमे में अनुचित लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से अपनी सही पहचान छुपाते हुए अपने आप को 1979 बैच का रिटायर्ड आईपीएस बताकर सरकारी कार्य में बाधा उत्पन्न करने तथा पुलिस के विरुद्ध मुकदमा लिखवाकर आजीवन कारावास की सजा दिलाने की धमकी थी। जिसके बाद पुलिस को शक हुआ और उसकी कुंडली खंगाली तो मामला फर्जी निकला।
खुद को रिटायर्ड डीजी बताकर अधिकारियों पर रौब जमाने वाला साथी समेत गिरफ्तार

गाजियाबाद।थाना साहिबाबाद पुलिस ने गुरुवार को एक ऐसे शख्स को गिरफ्तार किया है जो खुद को रिटायर्ड डीजी बताकर न केवल पुलिस अधिकारियों पर रौब ग़ालिब करता था, बल्कि वह जहां भी जाता था वहां प्रोटोकॉल लेता और अपने काम निकलवा कर रुपये वसूलता था। वह खुद को मणिपुर कैडर का आईपीएस बताया था। साथ ही विदेश मंत्री का सहपाठी भी बताता था।जाँच पड़ताल में पुलिस को दिल्ली एनसीआर समेत दुबई तक के उसके कारनामों की जानकारी मिली है। उसके साथ उसका एक साथी भी गिरफ्तार किया गया है।

एडीसीपी पी दिनेश ने गुरुवार को बताया कि गिरफ्तार फर्जी डीजी का नाम अनिल कटियाल है। जो दिल्ली के ग्रेटर कैलाश में रहता है जबकि उसका साथी विनोद कपूर हैै जो हरियाणाके गुरुग्राम का निवासी है, उसे भी गिरफ्तार किया गया है। अनिल कटियाल ने खुद को 1979 बैच का मणिपुर काडर का आईपीएस बताया था और गाजियाबाद में पुलिस कमिश्नर और डीसीपी ट्रांस हिंडन से विनोद कपूर की सिफारिश की थी। उन्होंने बताया कि अनिल कटियाल का साथी विनोद कपूर दिल्ली कंस्ट्रक्शन कंपनी का मालिक है और इसने दिल्ली, पालम, सरसावा एयरपोर्ट और ग्वालियर एयरबेस जैसे महत्वपूर्ण जगह पर हैंगर रनवे कंपाउंड वॉल का निर्माण किया है। विनोद कपूर के खिलाफ थाना इंदिरापुरम में धोखाधड़ी का एक मुकदमा कायम है। जिसकी सिफारिश के लिए अनिल कटियाल गाजियाबाद के पुलिस कमिश्नर और डीसीपी ट्रांस हिंडन से मिला था। इतना ही नहीं अनिल कटियाल की शिकायत पर दो पुलिसकर्मी भी सस्पेंड कर दिए गए थे।

उन्होंने बताया कि अनिल कटियाल मूल रूप से डब्लूए -153 जीके फर्स्ट ,न्यू दिल्ली का निवासी है, इसके पिता चेतराम कटियाल एक आईआरएस अधिकारी रहे है, तथा अनिल कटियाल की प्राथमिक पढ़ाई सेंट कोलम्बस स्कूल तथा कालेज की पढ़ाई सेंट स्टीफन्स कालेज में वर्ष 1973 से 1978 तक हुई है। इसके उपरान्त अनिल कटियाल ने वर्ष 1979 में यूपीएससी की परीक्षा दी, जिसमें वह असफल रहा जिसके उपरान्त वह वर्ष 1979 में पीएचडी की पढ़ाई करने के लिए येल यूनिवर्सिटी, यूएसए (YALE UNIVERSITY, USA) गया तथा वर्ष 1980 में पीएचडी की पढ़ाई बीच में छोड़कर भारत वापस आ गया, उसके उपरान्त अनिल कटियाल वर्ष 1980 से 2000 तक हिन्दुस्तान लीवर (तत्कालीन नाम) कम्पनी में प्रबन्धक के पद पर कार्यरत रहा तथा वर्ष 2000 से 2005 तक यामाहा कम्पनी में चीफ जनरल मैनेजर के पद पर नियुक्त रहा तथा वर्ष 2005 से 2015 तक वोडाफोन कम्पनी में वाइस प्रैसिडेन्ट, कॉरपोरेट अफेयर्स के पद पर कार्य करते हुये सेवानिवृत्त हुआ। इसके बाद अभियुक्त अनिल कटियाल ने लोगों को अपना परिचय 1979 बैच का आईपीएस देकर ठगना शुरू किया ।

उन्होंने बताया कि 20नवम्बर को थाना साहिबाबाद पर उनि नीरज राठौर पीआरओ पुलिस उपायुक्त,कार्यालय जोन ट्रांस हिण्डन कमिश्नरेट गाजियाबाद में आर्थिक लाभ कमाने एवं मुकदमे में अनुचित लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से अपनी सही पहचान छुपाते हुए अपने आप को 1979 बैच का रिटायर्ड आईपीएस बताकर सरकारी कार्य में बाधा उत्पन्न करने तथा पुलिस के विरुद्ध मुकदमा लिखवाकर आजीवन कारावास की सजा दिलाने की धमकी थी। जिसके बाद पुलिस को शक हुआ और उसकी कुंडली खंगाली तो मामला फर्जी निकला।
अमेरिका राष्‍ट्रपति चुनावः कब होगी वोटिंग, किस दिन होगी काउंटिंग और कब आएंगे नतीजे?

#usapresidentelectionkamalaharrisvsdonald_trump

अमेरिका में नए राष्ट्रपति का इंतजार अब खत्म ही होने वाला है। कुछ ही घंटों में अमेरिका के लोग अपने अगले राष्ट्रपति को चुन लेंगे। चुनावी मैदान में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और मौजूदा उपराष्ट्रपति कमला हैरिस अपनी-अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के लिए डेमोक्रेटिक उम्मीदवार कमला हैरिस और रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार और पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच कड़ी टक्कर है। अगर कमला हैरिस ये चुनाव जीत जाती हैं, तो वह अमेरिका की पहली महिला राष्ट्रपति बनेंगी और अगर डोनाल्ड ट्रंप चुनाव में बाजी मारते हैं, तो वह दूसरी बार राष्ट्रपति की सीट पर विराजमान हो जाएंगे।

तय है वोटिंग का दिन

अमेरिका में चुनाव 5 नवम्बर मंगलवार को होंगे। 5 नवंबर को होने वाले चुनाव से पहले ही 4.1 करोड़ से अधिक अमेरिकी अपने मतपत्र डाल चुके हैं। अमेरिका के संविधान के अनुसार, राष्ट्रपति चुनाव में अमेरिकी नागरिक नवम्बर के पहले सोमवार के बाद आने वाले मंगलवार को मतदान करेंगे। राष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल करने वाला उम्मीदवार 20 जनवरी को पद की शपथ लेता है और अगले चार साल वॉइट हाउस में सेवा देगा।

चुनाव के बाद वोटों की गिनती

अमेरिका में चुनाव के बाद 5 नवम्बर को ही वोटों की गिनती शुरू हो जाएगी, लेकिन यह पता लगने में कई दिन लग सकते हैं कि अगला राष्ट्रपति कौन होगा। आम तौर पर मीडिया हाउस अपने पास मौजूद आंकड़ों के आधार पर चुनाव की रात या अगले दिन राष्ट्रपति चुनाव के विजेता की घोषणा करते हैं। अगर कोई उम्मीदवार 270 या उससे अधिक इलेक्टोरल कॉलेज वोट हासिल करता है, तो उसे चुनाव का विजेता घोषित किया जाएगा।

'स्विंग स्टेट' तय करेंगे नतीजे

ज्यादातर वोटर रिपब्लिकन या डेमोक्रेटिक पार्टी के रजिस्टर्ड वोटर्स होते हैं, जो अमूमन अपनी पार्टी के लिए वफादार रहते हैं। ऐसे ही कुछ स्विंग स्टेट्स हैं, जहां के मतदाता चुनाव परिणाम तय करते हैं।ताजा सर्वेक्षण से पता चला है कि चुनाव नतीजे सात स्विंग स्टेट्स एरिजोना, नेवादा, विस्कॉन्सिन, मिशिगन, पेंसिल्वेनिया, नॉर्थ कैरोलिना और जॉर्जिया से तय होंगे। अब चूंकि लड़ाई आखिरी चरण में है और मंगलवार को मतदान ही होना है, ऐसे में सारा दारोमदार स्विंग स्टेट्स पर टिक गया है। कमला हैरिस और डोनाल्ड ट्रंप भी इस बात को जानते हैं, यही वजह है कि उन्होंने अपनी पूरी ऊर्जा इन स्विंग राज्यों में चुनाव प्रचार पर लगा दी है।

किस 'स्विंग स्टेट' में कौन आगे?

अमेरिका चुनाव से पहले ताजा सर्वेक्षण के मुताबिक नेवादा में ट्रंप को 51.2 प्रतिशत समर्थन मिला जबकि हैरिस को 46 प्रतिशत। इसी तर्ज पर नॉर्थ कैरोलिना में ट्रंप को 50.5 प्रतिशत और हैरिस को 47.1 प्रतिशत समर्थन मिल रहा है। उधर, जॉर्जिया की बात की जाए तो यहां डोनाल्‍ड ट्रंप को 50.1% से 47.6% के अंतर से कमला हैरिस से आगे हैं। मिशिगन में ट्रंप को 49.7 प्रतिशत तो हैरिस को 48.2 प्रतिशत लोग पसंद कर रहे हैं। ऐसे ही पेंसिल्वेनिया में ट्रंप को 49.6 प्रतिशत के मुकाबले हैरिस को 47.8 प्रतिशत लोग पसंद कर रहे हैं। उधर, विस्कॉन्सिन में ट्रंप 49.7 प्रतिशत और कमला हैरिस 48.6 प्रतिशत लोगों की पहली पसंद हैं।

क्या होते हैं स्विंग स्टेट

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव में स्विंग स्टेट्स या युद्धक्षेत्र वाले राज्य, उन राज्यों को कहा जाता है, जो चुनाव में डेमोक्रेट या रिपब्लिकन पार्टी, किसी भी तरफ झुक सकते हैं। अमेरिका में कई राज्य अक्सर किसी एक ही पार्टी को वोट देते आए हैं, लेकिन जिन राज्यों में मुकाबला कड़ा रहता है और जिनका तय नहीं है कि वे किस तरफ जाएंगे, उन्हें ही स्विंग स्टेट कहा जाता है। इन राज्यों में दोनों पार्टी के उम्मीदवार प्रचार के दौरान ज्यादा धन और समय लगाते हैं। स्विंग स्टेट की पहचान के लिए कोई परिभाषा या नियम नहीं है और चुनाव के दौरान ही इन राज्यों का निर्धारण होता है।

क्या भारत-चीन सीमा समझौते में अमेरिका का भूमिका? जानें क्या कह रहा यूएस

#usareactionindiachinalacpatrollingagreement 

भारत और चीन के बीच सीमा विवाद पर समझौता हो गया है। समजौते के तहत दोनों देशों की सेनाएं पीछे हट रही हैं। भारत-चीन संबंध पर दुनियाभर की नजर है, खासकर अमेरिका की। अब दोनों देशों के बीच हे सीमा समझौते के बाद अमेरिका ने प्रतिक्रिया दी है।अमेरिका ने कहा है कि वह भारत-चीन के बीच एलएसी समझौते पर 'गहरी नजर' बनाए हुए है और सीमा पर तनाव कम होने का "स्वागत" करता है। ये बात अमेरिका के विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कही। बता दें कि भारत और चीन के बीच बड़ी डील हुई है। 5 साल से पूर्वी लद्दाख में बॉर्डर पर जो तनातनी चल रही थी, वो कई बैठकों के बाद आखिरकार समाप्त हो रही है।

अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा कि वह भारत-चीन सीमा पर तनाव की स्थिति कम होने का स्वागत करता है। साथ ही कहा कि नई दिल्ली ने इस संबंध में उसे जानकारी दी है। विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने पत्रकारों से कहा, हम भारत और चीन के बीच के घटनाक्रम पर करीब से नजर रख रहे हैं। हम समझते हैं कि दोनों देशों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर टकराव वाले बिंदुओं से सैनिकों को वापस बुलाने के लिए शुरुआती कदम उठाए हैं। हम सीमा पर तनाव की स्थिति में किसी भी कमी का स्वागत करते हैं।

वहीं, जब मिलर से पूछा गया कि क्या इस मामले में अमेरिका की कोई भूमिका है, तो उन्होंने जवाब दिया, नहीं, हमने भारतीय साझेदारों से इस बारे में जानकारी ली है, लेकिन इसमें हमारी कोई भूमिका नहीं है।

भारत-चीन के बीच समझौता

बता दें कि जून 2020 से भारत और चीन के बीच एलएसी पर तनाव बना हुआ था। तब गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच संघर्ष हुआ था और दोनों ओर से सैनिक हताहत हुए थे। एलएसी पेट्रोलिंग समझौता 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से पहले घोषित किया गया था। सम्मेलन रूस के कजान में 22 से 24 अक्टूबर के बीच हुआ था। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भाग लिया।उस दौरान उनकी रूस के कजान शहर में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय मुलाकात भी हुई थी।

बाबा सिद्दीकी हत्याकांड : बड़ी वारदात को अंजाम देने से पहले मौन व्रत रखता है लारेंस बिश्नोई, इस बार भी रखा था 9 दिनों का उपवास

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री बाबा सिद्दीकी की शनिवार रात मुंबई के बांद्रा ईस्ट इलाके में 3 लोगों ने गोली मारकर हत्या कर दी. इस हत्याकांड से देश में गुस्सा है. वहीं, मामले में पुलिस ने दो लोगों को गिरफ़्तार किया है जबकि एक आरोपी फरार है. हत्या के कारणों का अभी तक पता नहीं चल सका है लेकिन गिरफ्तार 2 आरोपियों ने बिश्नोई गैंग से जुड़े होने का दावा किया है. इसी बीच लारेंस बिश्नोई को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है.

सूत्रों के मुताबिक साबरमती जेल में लारेंस बिश्नोई ने नवरात्र में 9 दिन तक मौन व्रत रखा था. इस दौरान बिश्नोई किसी से बातचीत नहीं करता था. साथ ही वह अन्न भी ग्रहण नहीं करता था.माना जाता है की जब-जब बिश्नोई मौन व्रत रहता है, उसका गैंग किसी बड़ी वारदात को अंजाम देता है. हाल ही में लारेंस बिश्नोई का एक वीडियो कॉल सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था. जिसमें बिश्नोई पाकिस्तान के गैंगस्टर से बातचीत कर रहा था और ईद की बधाई दे रहा था. दावा ये भी था कि ये कॉल बिश्नोई ने साबरमती जेल से किया था लेकिन वीडियो वायरल होने के बाद साबरमती जेल प्रशासन ने पुराना वीडियो होने का हवाला देकर मामले से पल्ला झाड़ लिया था.

सूत्रों के मुताबिक लारेंस बिश्नोई को साबरमती जेल में एक अलग सेल में रखा गया है. वह मोबाइल फोन का इस्तेमाल जेल से करता है. ये बात एजेंसी के लोग भी बताते हैं. बिश्नोई अन्न कम खाता है, दूध दही और फल का इस्तेमाल खाने में करता है. इसके अलावा वह जेल में बैडमिंटन खेलता है और कसरत भी करता है.

तिहाड़ जेल में भी बिश्नोई फोन से बात करता था. इसका खुलासा आज तक/इंडिया टूडे ने बिश्नोई के इंटरस्टेड कॉल के जरिए खुलासा किया था. सिद्धू मुसावाला की हत्या के बाद बिश्नोई के करीबी ने जेल में बंद लारेंस बिश्नोई को फोन पर कॉल किया था और सिद्धू मुसावला हत्याकांड की जानकारी दी थी. पंजाब और राजस्थान की जेल में जब बिश्नोई बंद था, तब भी मोबाइल फोन का इस्तेमाल करता था.

गुजरात की साबरमती जेल में बंद लारेंस बिश्नोई को खास बैरक में रखा गया है. इस बैरक के अंडा सेल में उसे रखा गया है. जहां पर उसके साथ और कोई कैदी नहीं है. आमतौर पर आतंक से जुडे और गंभीर अपराध में बंद खूंखार कैदियों को ही ऐसे सेल में रखा जाता है. साल 2008 से बम ब्लास्ट से जुडी आतंकियों के भी इसी तरह अंडा सेल में रखा गया था. यह जेल का सबसे सुरक्षित हिस्सा होता है, जहां पर बैरेक और सेल के बाहर भी सुरक्षाकर्मी होते हैं.

इन सेल-बैरक में बंद आरोपीयों से बहुत कम बातचीत का अवकाश रहता है. क्योंकि वह अकेले होते हैं, सुरक्षाकर्मी भी उनसे बातचीत में परहेज करते हैं. सुबह 6 से 12 और शाम 3 से 6 के बीच में उसे नाश्ता और खाना दिया जाता है. उसे वहां से बाहर निकलने की अनुमति नहीं है. लारेंस बिश्नोई धार्मिक है और वह अपने सेल में ध्यान लगाकर पाठ करता रहता है. केन्द्रीय गृह मंत्रालय की मंजूरी के बिना उसे जेल से बाहर नहीं निकाला जा सकता है.

मुंबई पुलिस के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक क्राइम ब्रांच का दावा है कि पूछताछ के दौरान आरोपियों ने खुद को बिश्नोई गैंग से जुड़ा बताया है. सूत्रों के मुताबिक, आरोपी पिछले 25-30 दिनों से उस इलाके की रेकी कर रहे थे. तीनों आरोपी ऑटो रिक्शा से बांद्रा ईस्ट में उस शूटिंग स्पॉट पर पहुंचे थे, जहां गोली चलाई गई थी. सूत्रों ने यह भी खुलासा किया कि बाबा सिद्दीकी पर हमला करने से पहले तीनों आरोपियों ने कुछ समय वहीं बिताया और उनका इंतजार किया. पुलिस को शक है कि आरोपियों को किसी और व्यक्ति से भी अंदरूनी जानकारी मिल रही थी. फिलहाल पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है.

कनाडा पुलिस और इंडियन एजेंसी से वांटेड सतविंदर सिंह उर्फ गोल्डी बराड़ के जरिए बिश्नोई गैंग ऑपरेट हो रहा है. एनआईए ने बताया है कि बिश्नोई गैंग में 700 से ज्यादा शूटर हैं, जिसमें 300 पंजाब से जुड़े हैं. सोशल मीडिया प्लेटफार्म, फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब के जरिए बिश्नोई और गोल्डी बराड़ की फोटो डाली गई. बिश्नोई का कोर्ट लाते-जाते फोटो और वीडियो डाले जाते और इस तरह गैंग का प्रचार प्रसार किया गया. बिश्नोई गैंग ने साल 2020-21 तक करोड़ों रुपए एक्सटोर्शन से कमाए और वो पैसा हवाला के जरिए विदेशों में भेजा गया.

लॉरेंस बिश्नोई के जुर्म का साम्राज्य भारत के 11 राज्य और 6 देशों तक फैल चुका है. एनआईए के मुताबिक कभी बिश्नोई का गैंग सिर्फ पंजाब तक सीमित था लेकिन उसने अपने शातिर दिमाग और अपने करीबी गोल्डी बराड़ के साथ मिलकर हरियाणा, दिल्ली और राजस्थान की गैंग से गठजोड़ किया और बड़ा गैंग बनाया. बिश्नोई गैंग अब पूरे नॉर्थ इंडिया में, पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, दिल्ली, राजस्थान और झारखंड तक फैल चुका है. सोशल मीडिया और तमाम अलग अलग तरीको से नौजवानों को गैंग में रिक्रूट किया जाता है. लॉरेंस बिश्नोई का साम्राज्य USA, अजरबैजान, पुर्तगाल, UAE और रूस तक फैला हुआ है.

नौजवान ऐसे होते हैं शामिल

नौजवानों को कनाडा या उनके पसंद के मनचाहे देश में शिफ्ट कराने का लालच देकर गैंग में भर्ती करवाया जाता है. NIA के मुताबिक पाकिस्तान में बैठा खालिस्तानी आतंकी हरविंदर सिंह रिंदा बिश्नोई गैंग के शूटर का इस्तेमाल पंजाब में टारगेट किलिंग और अपराधिक गतिविधियों को अंजाम दिलवाने में करता है. UAPA के तहत अदालत में NIA ने कुछ दिनों पहले लारेंस बिश्नोई, गोल्डी बराड़ समेत कुल 16 गैंगस्टर के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी.

उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने वाशिंगटन में सड़क और भवन निर्माण कार्यों को देखा

रायपुर-   अध्ययन प्रवास पर अमेरिका गए उप मुख्यमंत्री तथा लोक निर्माण मंत्री अरुण साव ने शुक्रवार को वाशिंगटन में सड़क एवं भवन निर्माण स्थलों का दौरा कर कार्यों का अवलोकन किया। उन्होंने निर्माण स्थलों पर आर्किटेक्ट्स और इंजीनियरों से चर्चा कर निर्माण में प्रयुक्त होने वाली सामग्री, धातु (Metal) एवं मशीनरी की जानकारी ली। उन्होंने वहां विशेषज्ञों के साथ बैठक कर सड़क एवं भवन निर्माण की नई तकनीकों तथा निर्माण परियोजनाओं के विभिन्न चरणों का अध्ययन किया। लोक निर्माण विभाग के सचिव डॉ. कमलप्रीत सिंह भी इस दौरान उनके साथ थे।

उप मुख्यमंत्री श्री साव ने वाशिंगटन में निर्माण कार्यों के विशेषज्ञों के साथ बैठक कर नई निर्माण तकनीकों तथा यू.एस.ए. (USA) में सड़क एवं भवन निर्माण परियोजनाओं की प्लानिंग से लेकर निर्माण तक चरणबद्ध रूप से उठाए जाने वाले कदमों की जानकारी ली। वहां बिम (BIM) कम्प्यूटर सिस्टम से भवन एवं अधोसंरचना का कम्प्यूटर में संपूर्ण डिज़ाइन तैयार किया जाता है जिससे न केवल उनके निर्माण में लगने वाली सामग्री (Material) एवं लागत का सटीक आंकलन होता है, बल्कि बाद में होने वाले मेन्टेनेन्स (Maintenance) के काम में भी मदद मिलती है।

श्री साव ने कहा कि छत्तीसगढ़ में अच्छी गुणवत्ता की टिकाऊ सड़कों और भवनों के निर्माण के लिए अमेरिका में प्रचलित नई तकनीकों एवं उपायों का विस्तृत अध्ययन कर लोक निर्माण विभाग में लागू करने पर विचार किया जाएगा। उन्होंने वाशिंगटन में विशेषज्ञों से कार्यस्थलों पर निर्माण श्रमिकों के स्वास्थ्य एवं सुरक्षा उपायों की जानकारी ली। उन्होंने सड़कों के पास स्थित रिहायशी इलाकों को ध्वनि प्रदूषण से बचाने के लिए किए जाने उपायों का भी अध्ययन किया। यू.एस.ए. में सड़क निर्माण एवं भवन निर्माण परियोजनाओं में प्रारंभिक डीपीआर स्तर पर काफी विस्तृत अध्ययन किया जाता है, ताकि बाद में आने वाली समस्याओं एवं होने वाले विलंब व लागत में वृद्धि से बचा जा सके।

*विदेशी जमीन से राहुल गांधी ने की चीन जमकर की तारीफ, गिना दी भारत की कमियां*

#rahulgandhiinusapraised_china

राहुल गांधी विदेश दौरे पर हैं। कांग्रेस नेता ने एक बार फिर विदेशी जमीन पर अपने देश की कमियां गिनाईं हैं। भारतीयों से बात करते हुए राहुल गांधी ने फिर कुछ ऐसी बातें बोल दी हैं जिसने बीजेपी को कांग्रेस के खिलाफ हल्ला बोलने का मौका दे दिया है। दरअसल राहुल गांधी ने यहां चीन की भरभरकर तारीफ की है और अमेरिका के सामने दुनिया की उभरती नई शक्ति भारत की कमियों को गिनाया।

राहुल गांधी इन दिनों अपनी तीन दिवसीय अमेरिका की यात्रा पर हैं। यहां टेक्सास के डैलस में एक कार्यक्रम में रोजगार के मुद्दे पर बात की। यहां राहुल गांधी ने रोजगार के मसले पर चीन की तारीफ की है। उन्होंने कहा कि भारत और पश्चिमी देशों में रोजगार की समस्या है लेकिन चीन में ऐसा नहीं है। 

चीन लोगों को रोजगार देने वो अव्वल-राहुल गांधी

राहुल गांधी ने कहा कि अब यूरोप और अमेरिका में भी बेरोजगारी एक समस्या बन रही है। भारत में भी बेरोजगारी सबसे बड़ी और सबसे अहम समस्या है। लेकिन चीन के पास ऐसी कोई समस्या नहीं है। चीन लगातार अपना रोजगार बढ़ा रहा है। नौकरियों के नए अवसर पैदा कर रहा है। लोगों को रोजगार देने वो अव्वल रहा है। भारत ने मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर पर ध्यान ही नहीं दिया जिसकी वजह से आज बेरोजगारी के मुख्य समस्या बनकर उभर आई है। 

भारत को मैन्युफैक्चरिंग के बारे में सोचना होगा- राहुल गांधी

यही नहीं राहुल गांधी ने ये भी कहा कि 90 के दशक में अमेरिका वैश्विक उत्पादन का केंद्र था लेकिन बाद ये पूरा प्रोडक्शन कोरिया और जापान में शिफ्ट हो गया। जिसके बाद कोरिया और जापान जैसे देशों ने अर्थव्यवस्था की बुलंदियों को छुआ। अगर भारत को भी अपनी अर्थव्यवस्था मजबूत करनी है और बेरोजगारी से लड़ना है तो उसे मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर पर ध्यान देना होगा।  

 

बताए बेरोजगारी से निपटने के उपाय

नेता प्रतिपक्ष ने आगे ये भी कहा कि जिसे आप विनिर्माण या मैन्युफैक्चरिंग कहते हैं, वह चीन के लिए आरक्षित होने जा रहा है। यह वियतनाम के लिए आरक्षित होने जा रहा है। यह बांग्लादेश के लिए आरक्षित होने जा रहा है। हमें लोकतांत्रिक वातावरण में मैन्युफैक्चरिंग करने के तरीके पर पुनर्विचार करना होगा। जब तक हम ऐसा नहीं करते, हमें उच्च स्तर की बेरोजगारी का सामना करना पड़ेगा।

कौन हैं वी नारायण जो चुने गए नए ISRO चीफ, एस सोमनाथ की लेंगे जगह

भारत के प्रतिष्ठित वैज्ञानिक और आंतरिक्ष विभाग के सचिव डॉ एस सोमनाथन की जगह वी नारायणन लेगें. केंद्र सरकार की तरफ से की गई घोषणा के मुताबिक, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के सचिव के तौर पर वी नारायणन अपनी जिम्मेदारी संभालेंगे. इस विषय पर मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति की ओर से आदेश दिया गया. वी नारायणन 14 जनवरी को पदभार ग्रहण करेंगे.

न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, वी नारायणन अगले दो सालों तक या अगली सूचना तक इस पद पर काम कर सकते हैं. मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने वी. नारायणन, निदेशक, वलियामाला को अंतरिक्ष विभाग के सचिव और अंतरिक्ष आयोग के सचिव के रूप में 14 जनवरी 2024 से दो साल की अवधि के लिए या अगले आदेशों तक इनमें से जो भी पहले हो, उस समय तक के लिए नियुक्ति को मंजूरी दी है. वर्तमान सचिव के एस सोमनाथन के कार्यकाल में ही चंद्रयान-3 को सफलता मिली थी.

इसरो के नए अध्यक्ष वी नारायणन कौन हैं?

वी नारायणन जाने-माने वैज्ञानिक हैं. इनके पास रॉकेट और अंतरिक्ष यान प्रणोदन में लंबा अनुभव है. लगभग चार दशकों के अनुभव के साथ वो इस जिम्मेदारी को निभाने में अपनी भूमिका निभाएंगे. वह रॉकेट और अंतरिक्षयान प्रणोदन(स्पेसक्राफ्ट प्रोपल्शन) विशेषज्ञ हैं. 19वीं सदी में इसरो में बतौर साइंटिस्ट शामिल हुए. द्रव प्रणोदन प्रणाली केंद्र (एलपीएससी) के निदेशक बनने से पहले कई बड़े पदों पर काम किया.

शुरुआती समय में उन्होंने विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) में साउंडिंग रॉकेट और संवर्धित उपग्रह प्रक्षेपण यान (एएसएलवी) और ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) के ठोस प्रणोदन क्षेत्र में काम किया. वी नारायणन ने प्रक्रिया नियोजन, प्रक्रिया नियंत्रण और एब्लेटिव नोजल सिस्टम, कम्पोजिट मोटर केस और कम्पोजिट इग्नाइटर केस को बनाने में भी अहम भूमिका निभाई.

मौजूदा समय में नारायणन एलपीएससी के निदेशक हैं. ये इसरो के प्रमुख केंद्र में से एक है. इसका मुख्यालय तिरुवनंतपुरम के वलियमाला में स्थित है. इसकी एक यूनिट बेंगलुरु में अवस्थि है.

इसरो हाल ही में स्वदेशी रूप से निर्मित स्पेस डॉकिंग तकनीक स्पैडेक्स को लॉन्च करने के लिए चर्चा में रहा है. ये चंद्रयान 4 और गगनयान जैसे महत्वाकांक्षी मिशनों के लिए काफी अहम है. इसने भारत को उन देशों की सूची में शामिल कर दिया है जिनके पास यह तकनीक है. ऐसे दूसरे देश USA, रूस और चीन हैं. एलपीएससी के निदेशक के रूप में, केंद्र ने 45 लॉन्च वाहनों और 40 उपग्रहों के लिए 190 लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम और कंट्रोल पावर प्लांट वितरित किए हैं.

बीटेक, एमटेक और पीएचडी पूरी की

डॉ. नारायणन ने अपनी स्कूली शिक्षा और डीएमई प्रथम रैंक और मैकेनिकल इंजीनियरिंग में एएमआईई के साथ पूरी की है. उन्होंने क्रायोजेनिक इंजीनियरिंग में पहली रैंक के साथ एम.टेक और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में पीएचडी पूरी की.

डीएमई पूरा करने के तुरंत बाद, टीआई डायमंड चेन लिमिटेड, मद्रास रबर फैक्ट्री, बीएचईएल, त्रिची और बीएचईएल, रानीपेट में डेढ़ साल तक काम किया. वह 1984 में इसरो में शामिल हुए और जनवरी 2018 को एलपीएससी के निदेशक बनने से पहले विभिन्न क्षमताओं में कार्य किया.

चंद्रयान मिशन की सफलता में भी रहा योगदान

क्रायोजेनिक प्रोपल्शन सिस्टम के विकास ने भारत को इस क्षमता वाले छह देशों में से एक बना दिया और लॉन्च व्हीकल में आत्मनिर्भरता सुनिश्चित की. इसमें इनकी अमह भूमिका रही. जीएसएलवी एमके-III एम1/चंद्रयान-2 और एलवीएम3/चंद्रयान-3 मिशनों के लिए, उनकी टीम ने एलवीएम3 प्रणोदन प्रणालियों के लिए एल110 लिक्विड स्टेज और सी25 क्रायोजेनिक स्टेज विकसित किया, जिसका इस्तेमाल किया गया.

ये अंतरिक्ष यान को पृथ्वी से चंद्रमा की कक्षा में ले गया और विक्रम लैंडर की थ्रॉटलेबल प्रणोदन प्रणाली का उपयोग चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग के लिए किया गया. वे राष्ट्रीय स्तर की विशेषज्ञ समिति के अध्यक्ष थे, जिसने चंद्रयान-2 की हार्ड लैंडिंग के कारणों को खोजा. साथ ही इनमें आवश्यक सुधारों की सिफारिश की. इसी वजह से अंततः चंद्रयान-3 की सफलता में भी इनका काफी योगदान रहा.

भारत पर लगे परमाणु प्रतिबंध हटाएगा अमेरिका, 26 साल बाद क्यों पड़ा ढीला?

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बाइडेन सरकार के अंतिम दिनों में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन भारत दौरे पर हैं। इस बीच अमेरिका के साथ भारत के बढ़ते रिश्तों को लेकर एक अच्छी खबर है। भारत दौरे पर आए अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने ऐलान किया कि पोखरण परीक्षण के बाद जो पाबंदियां लगी थीं, उन्हें हटाया जाएगा। इसका उद्देश्य भारत के साथ ऊर्जा संबंधों को मजबूत करना और 20 साल पुराने ऐतिहासिक परमाणु समझौते को नई रफ्तार देना है। सुलिवन ने यह घोषणा विदेश मंत्री एस. जयशंकर और एनएसए अजित डोभाल के साथ अलग-अलग वार्ता के कुछ घंटों बाद की।

अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने भारत-अमेरिका परमाणु समझौते में आ रही परेशानियों को दूर करने की बात कही है। उन्होंने कहा, क़रीब बीस साल पहले पूर्व राष्ट्रपति बुश और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने असैनिक परमाणु समझौते की एक दूरदर्शी सोच की नींव रखी थी, जिसे हमें अब पूरी तरह हक़ीकत बनाना है। उन्होंने कहा, हम प्रदूषण रहित ऊर्जा तकनीक पर काम कर रहे हैं, ताकि हम ऑर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस के विकास को सक्षम बना सकें और भारत और अमेरिका की ऊर्जा कंपनियों को उनकी नई तकनीक के विस्तार में मदद कर सकें। सुलिवन ने कहा, मैं आज यह घोषणा कर सकता हूं कि अमेरिका अब लंबे समय से मौजूद उन रुकावटों को हटाने में लगा हुआ है जिसने भारत के बड़े परमाणु ऊर्जा प्रतिष्ठानों और अमेरिकी कंपनियों के बीच परमाणु सहयोग को रोक रखा है।

अमेरिकी वाणिज्य विभाग ने 1998 के परमाणु परीक्षणों के बाद कई भारतीय संस्थानों पर प्रतिबंध लगाए थे। भारत ने 11 और 13 मई 1998 को राजस्थान के पोखरण में परमाणु परीक्षण किए। इस परीक्षण को ऑपरेशन शक्ति के नाम से जाना गया था। हालांकि इसके बाद कई देशों ने भारत पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए। अमेरिका अमेरिका ने तब 200 से अधिक भारतीय संस्थाओं पर प्रतिबंध लगा दिए।

हालांकि, समय के साथ कई प्रतिबंध हटा लिए गए, 2010 में दोनों देशों के बीच परमाणु सहयोग को लेकर समझौता भी हुआ था। लेकिन अभी भी भारत के कुछ रिएक्टर, परमाणु ऊर्जा संयंत्र और परमाणु ऊर्जा विभाग की इकाइयां इस सूची में हैं।

अब सुलिवन के बयान से संकेत मिलता है कि इन प्रतिबंधों को हटाने पर गंभीरता से काम हो रहा है। सुलिवन की यह यात्रा अमेरिका और भारत के बीच रणनीतिक सहयोग को मजबूत करने पर केंद्रित है। यह सहयोग खासतौर पर रक्षा, अंतरिक्ष और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) जैसे क्षेत्रों में बढ़ रहा है।

भारत अपनी ऊर्जा की बड़े पैमाने पर आपूर्ति परमाणु बिजली घरों के जरिए करता है। 2007 में तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश द्वारा हस्ताक्षरित एक समझौते के तहत अमेरिका को भारत को असैन्य परमाणु प्रौद्योगिकी बेचने की अनुमति दी गई थी। लेकिन इसकी शर्तें ऐसी थीं कि इसमें अड़चन आती रही, ये लागू नहीं हो सका। जिन नियमों के कारण इस समझौते में अड़चन आ रही थी, अब अमेरिका उन्हें हटाने की बात कर रहा है।

राजनीतिक और कूटनीतिक संदर्भ

यह दौरा बाइडेन प्रशासन के आखिरी बड़े भारत दौरे के रूप में देखा जा रहा है। सुलिवन ने बताया कि भारत-अमेरिका साझेदारी की अमेरिका की क्षेत्रीय और वैश्विक प्राथमिकताओं में केंद्रीय भूमिका है।

परमाणु व्यापार प्रतिबंध हटने से भारत के ऊर्जा क्षेत्र में बड़ी प्रगति हो सकती है। 2019 में दोनों देशों ने भारत में छह अमेरिकी परमाणु ऊर्जा संयंत्र बनाने पर सहमति जताई थी। यह परियोजना अब तेज हो सकती है। भारत में ऊर्जा की बढ़ती मांग को देखते हुए, अंतरराष्ट्रीय साझेदारियों के जरिए परमाणु ऊर्जा का दोहन महत्वपूर्ण है।

भारत के परमाणु ऊर्जा क्षेत्र अभी तक कड़े कानूनों और बाधाओं से जूझ रहे हैं। उन्हें इस कदम से नई दिशा मिल सकती है। इससे न सिर्फ ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग बढ़ेगा, बल्कि तकनीक, रक्षा और वैश्विक सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में भी रिश्ते मजबूत होंगे।

क्यों नरम पड़ा अमेरिका?

दरअसल परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में भारत लगातार बेहतर कर रहा है। अमेरिका को अच्छी तरह मालूम है कि भारत के साथ मिलकर काम करने पर उसको फायदा होगा। क्योंकि अब ऊर्जा से लेकर अंतरिक्ष तक के कई सेक्टर ऐसे हैं, जहां दोनों देशों को एक दूसरे की जरूरत है। अमेरिकी और भारतीय कंपनियों को अगली पीढ़ी की सेमीकंडक्टर प्रौद्योगिकियों के निर्माण के लिए मिलकर काम करते देखेंगे। साथ ही अमेरिकी और भारतीय अंतरिक्ष यात्री मिलकर अत्याधुनिक अनुसंधान और अंतरिक्ष अन्वेषण करेंगे। फिर अमेरिका भारत में बड़ा निवेश कर रहा है। उसी तरह भारत ने अमेरिकी निवेश में भूमिका निभाई है। पिछले दो दशकों में दोनों देश करीब आए हैं। कुछ अनुमानों के अनुसार अमेरिका में भारतीय निवेश ने 4,00,000 नौकरियां पैदा की हैं।

మాజీ సీఎం SM కృష్ణ కన్నుమూత

కర్ణాటక రాష్ట్ర మాజీ ముఖ్యమంత్రి, కేంద్ర మాజీ విదేశాంగ మంత్రి ఎస్‌ఎం కృష్ణ ఈరోజు కన్నుమూశారు. వృద్ధాప్యం కారణంగా అనారోగ్యంతో బాధపడుతున్న ఎస్‌ఎం కృష్ణ 92 ఏళ్ల వయస్సులో ఈరోజు తెల్లవారుజామున బెంగళూరులోని సదాశివనగర్ నివాసంలో తుదిశ్వాస విడిచారు.

కర్ణాటక రాష్ట్ర మాజీ ముఖ్యమంత్రి, కేంద్ర మాజీ విదేశాంగ మంత్రి ఎస్‌ఎం కృష్ణ ఈరోజు కన్నుమూశారు. వృద్ధాప్యం కారణంగా అనారోగ్యంతో బాధపడుతున్న ఎస్‌ఎం కృష్ణ 92 ఏళ్ల వయస్సులో ఈరోజు తెల్లవారుజామున బెంగళూరులోని సదాశివనగర్ నివాసంలో తుదిశ్వాస విడిచారు.

వృద్ధాప్యం కారణంగా గత కొన్ని రోజులుగా అనారోగ్యంతో బాధపడుతున్న కృష్ణను తొలుత వైదేహి ఆసుపత్రిలో చేర్చారు. ఆ తర్వాత ఊపిరితిత్తుల ఇన్ఫెక్షన్ కారణంగా మణిపాల్ ఆసుపత్రిలో చేరారు. డా. సత్యనారాయణ మైసూర్, డా. సునీల్ కారంత్ నేతృత్వంలోని వైద్యుల బృందం చికిత్స అందించింది.

SM కృష్ణ 1999 నుంచి 2004 వరకు కర్ణాటక 16వ ముఖ్యమంత్రి. తర్వాత 2004 నుంచి 2008 వరకు మహారాష్ట్ర గవర్నర్‌గా, కేంద్ర విదేశాంగ మంత్రిగా పనిచేశారు. అతను డిసెంబర్ 1989 నుండి జనవరి 1993 వరకు కర్ణాటక అసెంబ్లీ స్పీకర్‌గా కూడా పనిచేశాడు. 1971 నుండి 2014 వరకు, అతను వివిధ సమయాల్లో లోక్‌సభ, రాజ్యసభ సభ్యునిగా ఉన్నారు.

చాలా కాలంగా కాంగ్రెస్‌లో గుర్తింపు పొందిన ఎస్.ఎం.కృష్ణ మారిన రాజకీయ పరిస్థితుల కారణంగా 2017 మార్చిలో బీజేపీలో చేరారు. ఆయన చివరిసారిగా 2018 అసెంబ్లీ ఎన్నికల్లో బీజేపీలో చేరినప్పుడు బహిరంగంగా ప్రచారం చేశారు. ఆ తర్వాత ఎస్ఎం కృష్ణ క్రియాశీల రాజకీయాల నుంచి తప్పుకున్నారు.

మైసూర్‌లోని మహారాజా కళాశాలలో పట్టభద్రుడయ్యాక బెంగళూరులోని ప్రభుత్వ న్యాయ కళాశాలలో చదివాడు. తరువాత, అతను USA లోని టెక్సాస్ రాష్ట్రంలోని సదరన్ మెథడిస్ట్ విశ్వవిద్యాలయంలో చదివాడు. SM కృష్ణ వాషింగ్టన్‌లోని జార్జ్ వాషింగ్టన్ విశ్వవిద్యాలయంలో ప్రతిష్టాత్మకమైన ఫుల్‌బ్రైట్ స్కాలర్‌షిప్‌ను అందుకున్నారు.

2021 ఆగస్టులో మద్దూరు పట్టణాన్ని సందర్శించిన S.M. కృష్ణ రాజకీయాల నుంచి తప్పుకోవడం గురించి మాట్లాడారు. వయసు మీద పడడంతో రాజకీయాల నుంచి తప్పుకుంటువ్నట్లు వెల్లడించారు. దాదాపు 55 ఏళ్లు రాజకీయాల్లో ఉన్నాను. ఇంకెన్నాళ్లు రాజకీయాల్లో ఉండగలనని అన్నారు.

खुद को रिटायर्ड डीजी बताकर अधिकारियों पर रौब जमाने वाला साथी समेत गिरफ्तार
संजीव सिंह बलिया। गाजियाबाद।थाना साहिबाबाद पुलिस ने गुरुवार को एक ऐसे शख्स को गिरफ्तार किया है जो खुद को रिटायर्ड डीजी बताकर न केवल पुलिस अधिकारियों पर रौब ग़ालिब करता था, बल्कि वह जहां भी जाता था वहां प्रोटोकॉल लेता और अपने काम निकलवा कर रुपये वसूलता था। वह खुद को मणिपुर कैडर का आईपीएस बताया था। साथ ही विदेश मंत्री का सहपाठी भी बताता था।जाँच पड़ताल में पुलिस को दिल्ली एनसीआर समेत दुबई तक के उसके कारनामों की जानकारी मिली है। उसके साथ उसका एक साथी भी गिरफ्तार किया गया है। एडीसीपी पी दिनेश ने गुरुवार को बताया कि गिरफ्तार फर्जी डीजी का नाम अनिल कटियाल है। जो दिल्ली के ग्रेटर कैलाश में रहता है जबकि उसका साथी विनोद कपूर हैै जो हरियाणाके गुरुग्राम का निवासी है, उसे भी गिरफ्तार किया गया है। अनिल कटियाल ने खुद को 1979 बैच का मणिपुर काडर का आईपीएस बताया था और गाजियाबाद में पुलिस कमिश्नर और डीसीपी ट्रांस हिंडन से विनोद कपूर की सिफारिश की थी। उन्होंने बताया कि अनिल कटियाल का साथी विनोद कपूर दिल्ली कंस्ट्रक्शन कंपनी का मालिक है और इसने दिल्ली, पालम, सरसावा एयरपोर्ट और ग्वालियर एयरबेस जैसे महत्वपूर्ण जगह पर हैंगर रनवे कंपाउंड वॉल का निर्माण किया है। विनोद कपूर के खिलाफ थाना इंदिरापुरम में धोखाधड़ी का एक मुकदमा कायम है। जिसकी सिफारिश के लिए अनिल कटियाल गाजियाबाद के पुलिस कमिश्नर और डीसीपी ट्रांस हिंडन से मिला था। इतना ही नहीं अनिल कटियाल की शिकायत पर दो पुलिसकर्मी भी सस्पेंड कर दिए गए थे। उन्होंने बताया कि अनिल कटियाल मूल रूप से डब्लूए -153 जीके फर्स्ट ,न्यू दिल्ली का निवासी है, इसके पिता चेतराम कटियाल एक आईआरएस अधिकारी रहे है, तथा अनिल कटियाल की प्राथमिक पढ़ाई सेंट कोलम्बस स्कूल तथा कालेज की पढ़ाई सेंट स्टीफन्स कालेज में वर्ष 1973 से 1978 तक हुई है। इसके उपरान्त अनिल कटियाल ने वर्ष 1979 में यूपीएससी की परीक्षा दी, जिसमें वह असफल रहा जिसके उपरान्त वह वर्ष 1979 में पीएचडी की पढ़ाई करने के लिए येल यूनिवर्सिटी, यूएसए (YALE UNIVERSITY, USA) गया तथा वर्ष 1980 में पीएचडी की पढ़ाई बीच में छोड़कर भारत वापस आ गया, उसके उपरान्त अनिल कटियाल वर्ष 1980 से 2000 तक हिन्दुस्तान लीवर (तत्कालीन नाम) कम्पनी में प्रबन्धक के पद पर कार्यरत रहा तथा वर्ष 2000 से 2005 तक यामाहा कम्पनी में चीफ जनरल मैनेजर के पद पर नियुक्त रहा तथा वर्ष 2005 से 2015 तक वोडाफोन कम्पनी में वाइस प्रैसिडेन्ट, कॉरपोरेट अफेयर्स के पद पर कार्य करते हुये सेवानिवृत्त हुआ। इसके बाद अभियुक्त अनिल कटियाल ने लोगों को अपना परिचय 1979 बैच का आईपीएस देकर ठगना शुरू किया । उन्होंने बताया कि 20नवम्बर को थाना साहिबाबाद पर उनि नीरज राठौर पीआरओ पुलिस उपायुक्त,कार्यालय जोन ट्रांस हिण्डन कमिश्नरेट गाजियाबाद में आर्थिक लाभ कमाने एवं मुकदमे में अनुचित लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से अपनी सही पहचान छुपाते हुए अपने आप को 1979 बैच का रिटायर्ड आईपीएस बताकर सरकारी कार्य में बाधा उत्पन्न करने तथा पुलिस के विरुद्ध मुकदमा लिखवाकर आजीवन कारावास की सजा दिलाने की धमकी थी। जिसके बाद पुलिस को शक हुआ और उसकी कुंडली खंगाली तो मामला फर्जी निकला।
खुद को रिटायर्ड डीजी बताकर अधिकारियों पर रौब जमाने वाला साथी समेत गिरफ्तार

गाजियाबाद।थाना साहिबाबाद पुलिस ने गुरुवार को एक ऐसे शख्स को गिरफ्तार किया है जो खुद को रिटायर्ड डीजी बताकर न केवल पुलिस अधिकारियों पर रौब ग़ालिब करता था, बल्कि वह जहां भी जाता था वहां प्रोटोकॉल लेता और अपने काम निकलवा कर रुपये वसूलता था। वह खुद को मणिपुर कैडर का आईपीएस बताया था। साथ ही विदेश मंत्री का सहपाठी भी बताता था।जाँच पड़ताल में पुलिस को दिल्ली एनसीआर समेत दुबई तक के उसके कारनामों की जानकारी मिली है। उसके साथ उसका एक साथी भी गिरफ्तार किया गया है।

एडीसीपी पी दिनेश ने गुरुवार को बताया कि गिरफ्तार फर्जी डीजी का नाम अनिल कटियाल है। जो दिल्ली के ग्रेटर कैलाश में रहता है जबकि उसका साथी विनोद कपूर हैै जो हरियाणाके गुरुग्राम का निवासी है, उसे भी गिरफ्तार किया गया है। अनिल कटियाल ने खुद को 1979 बैच का मणिपुर काडर का आईपीएस बताया था और गाजियाबाद में पुलिस कमिश्नर और डीसीपी ट्रांस हिंडन से विनोद कपूर की सिफारिश की थी। उन्होंने बताया कि अनिल कटियाल का साथी विनोद कपूर दिल्ली कंस्ट्रक्शन कंपनी का मालिक है और इसने दिल्ली, पालम, सरसावा एयरपोर्ट और ग्वालियर एयरबेस जैसे महत्वपूर्ण जगह पर हैंगर रनवे कंपाउंड वॉल का निर्माण किया है। विनोद कपूर के खिलाफ थाना इंदिरापुरम में धोखाधड़ी का एक मुकदमा कायम है। जिसकी सिफारिश के लिए अनिल कटियाल गाजियाबाद के पुलिस कमिश्नर और डीसीपी ट्रांस हिंडन से मिला था। इतना ही नहीं अनिल कटियाल की शिकायत पर दो पुलिसकर्मी भी सस्पेंड कर दिए गए थे।

उन्होंने बताया कि अनिल कटियाल मूल रूप से डब्लूए -153 जीके फर्स्ट ,न्यू दिल्ली का निवासी है, इसके पिता चेतराम कटियाल एक आईआरएस अधिकारी रहे है, तथा अनिल कटियाल की प्राथमिक पढ़ाई सेंट कोलम्बस स्कूल तथा कालेज की पढ़ाई सेंट स्टीफन्स कालेज में वर्ष 1973 से 1978 तक हुई है। इसके उपरान्त अनिल कटियाल ने वर्ष 1979 में यूपीएससी की परीक्षा दी, जिसमें वह असफल रहा जिसके उपरान्त वह वर्ष 1979 में पीएचडी की पढ़ाई करने के लिए येल यूनिवर्सिटी, यूएसए (YALE UNIVERSITY, USA) गया तथा वर्ष 1980 में पीएचडी की पढ़ाई बीच में छोड़कर भारत वापस आ गया, उसके उपरान्त अनिल कटियाल वर्ष 1980 से 2000 तक हिन्दुस्तान लीवर (तत्कालीन नाम) कम्पनी में प्रबन्धक के पद पर कार्यरत रहा तथा वर्ष 2000 से 2005 तक यामाहा कम्पनी में चीफ जनरल मैनेजर के पद पर नियुक्त रहा तथा वर्ष 2005 से 2015 तक वोडाफोन कम्पनी में वाइस प्रैसिडेन्ट, कॉरपोरेट अफेयर्स के पद पर कार्य करते हुये सेवानिवृत्त हुआ। इसके बाद अभियुक्त अनिल कटियाल ने लोगों को अपना परिचय 1979 बैच का आईपीएस देकर ठगना शुरू किया ।

उन्होंने बताया कि 20नवम्बर को थाना साहिबाबाद पर उनि नीरज राठौर पीआरओ पुलिस उपायुक्त,कार्यालय जोन ट्रांस हिण्डन कमिश्नरेट गाजियाबाद में आर्थिक लाभ कमाने एवं मुकदमे में अनुचित लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से अपनी सही पहचान छुपाते हुए अपने आप को 1979 बैच का रिटायर्ड आईपीएस बताकर सरकारी कार्य में बाधा उत्पन्न करने तथा पुलिस के विरुद्ध मुकदमा लिखवाकर आजीवन कारावास की सजा दिलाने की धमकी थी। जिसके बाद पुलिस को शक हुआ और उसकी कुंडली खंगाली तो मामला फर्जी निकला।
अमेरिका राष्‍ट्रपति चुनावः कब होगी वोटिंग, किस दिन होगी काउंटिंग और कब आएंगे नतीजे?

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अमेरिका में नए राष्ट्रपति का इंतजार अब खत्म ही होने वाला है। कुछ ही घंटों में अमेरिका के लोग अपने अगले राष्ट्रपति को चुन लेंगे। चुनावी मैदान में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और मौजूदा उपराष्ट्रपति कमला हैरिस अपनी-अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के लिए डेमोक्रेटिक उम्मीदवार कमला हैरिस और रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार और पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच कड़ी टक्कर है। अगर कमला हैरिस ये चुनाव जीत जाती हैं, तो वह अमेरिका की पहली महिला राष्ट्रपति बनेंगी और अगर डोनाल्ड ट्रंप चुनाव में बाजी मारते हैं, तो वह दूसरी बार राष्ट्रपति की सीट पर विराजमान हो जाएंगे।

तय है वोटिंग का दिन

अमेरिका में चुनाव 5 नवम्बर मंगलवार को होंगे। 5 नवंबर को होने वाले चुनाव से पहले ही 4.1 करोड़ से अधिक अमेरिकी अपने मतपत्र डाल चुके हैं। अमेरिका के संविधान के अनुसार, राष्ट्रपति चुनाव में अमेरिकी नागरिक नवम्बर के पहले सोमवार के बाद आने वाले मंगलवार को मतदान करेंगे। राष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल करने वाला उम्मीदवार 20 जनवरी को पद की शपथ लेता है और अगले चार साल वॉइट हाउस में सेवा देगा।

चुनाव के बाद वोटों की गिनती

अमेरिका में चुनाव के बाद 5 नवम्बर को ही वोटों की गिनती शुरू हो जाएगी, लेकिन यह पता लगने में कई दिन लग सकते हैं कि अगला राष्ट्रपति कौन होगा। आम तौर पर मीडिया हाउस अपने पास मौजूद आंकड़ों के आधार पर चुनाव की रात या अगले दिन राष्ट्रपति चुनाव के विजेता की घोषणा करते हैं। अगर कोई उम्मीदवार 270 या उससे अधिक इलेक्टोरल कॉलेज वोट हासिल करता है, तो उसे चुनाव का विजेता घोषित किया जाएगा।

'स्विंग स्टेट' तय करेंगे नतीजे

ज्यादातर वोटर रिपब्लिकन या डेमोक्रेटिक पार्टी के रजिस्टर्ड वोटर्स होते हैं, जो अमूमन अपनी पार्टी के लिए वफादार रहते हैं। ऐसे ही कुछ स्विंग स्टेट्स हैं, जहां के मतदाता चुनाव परिणाम तय करते हैं।ताजा सर्वेक्षण से पता चला है कि चुनाव नतीजे सात स्विंग स्टेट्स एरिजोना, नेवादा, विस्कॉन्सिन, मिशिगन, पेंसिल्वेनिया, नॉर्थ कैरोलिना और जॉर्जिया से तय होंगे। अब चूंकि लड़ाई आखिरी चरण में है और मंगलवार को मतदान ही होना है, ऐसे में सारा दारोमदार स्विंग स्टेट्स पर टिक गया है। कमला हैरिस और डोनाल्ड ट्रंप भी इस बात को जानते हैं, यही वजह है कि उन्होंने अपनी पूरी ऊर्जा इन स्विंग राज्यों में चुनाव प्रचार पर लगा दी है।

किस 'स्विंग स्टेट' में कौन आगे?

अमेरिका चुनाव से पहले ताजा सर्वेक्षण के मुताबिक नेवादा में ट्रंप को 51.2 प्रतिशत समर्थन मिला जबकि हैरिस को 46 प्रतिशत। इसी तर्ज पर नॉर्थ कैरोलिना में ट्रंप को 50.5 प्रतिशत और हैरिस को 47.1 प्रतिशत समर्थन मिल रहा है। उधर, जॉर्जिया की बात की जाए तो यहां डोनाल्‍ड ट्रंप को 50.1% से 47.6% के अंतर से कमला हैरिस से आगे हैं। मिशिगन में ट्रंप को 49.7 प्रतिशत तो हैरिस को 48.2 प्रतिशत लोग पसंद कर रहे हैं। ऐसे ही पेंसिल्वेनिया में ट्रंप को 49.6 प्रतिशत के मुकाबले हैरिस को 47.8 प्रतिशत लोग पसंद कर रहे हैं। उधर, विस्कॉन्सिन में ट्रंप 49.7 प्रतिशत और कमला हैरिस 48.6 प्रतिशत लोगों की पहली पसंद हैं।

क्या होते हैं स्विंग स्टेट

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव में स्विंग स्टेट्स या युद्धक्षेत्र वाले राज्य, उन राज्यों को कहा जाता है, जो चुनाव में डेमोक्रेट या रिपब्लिकन पार्टी, किसी भी तरफ झुक सकते हैं। अमेरिका में कई राज्य अक्सर किसी एक ही पार्टी को वोट देते आए हैं, लेकिन जिन राज्यों में मुकाबला कड़ा रहता है और जिनका तय नहीं है कि वे किस तरफ जाएंगे, उन्हें ही स्विंग स्टेट कहा जाता है। इन राज्यों में दोनों पार्टी के उम्मीदवार प्रचार के दौरान ज्यादा धन और समय लगाते हैं। स्विंग स्टेट की पहचान के लिए कोई परिभाषा या नियम नहीं है और चुनाव के दौरान ही इन राज्यों का निर्धारण होता है।

क्या भारत-चीन सीमा समझौते में अमेरिका का भूमिका? जानें क्या कह रहा यूएस

#usareactionindiachinalacpatrollingagreement 

भारत और चीन के बीच सीमा विवाद पर समझौता हो गया है। समजौते के तहत दोनों देशों की सेनाएं पीछे हट रही हैं। भारत-चीन संबंध पर दुनियाभर की नजर है, खासकर अमेरिका की। अब दोनों देशों के बीच हे सीमा समझौते के बाद अमेरिका ने प्रतिक्रिया दी है।अमेरिका ने कहा है कि वह भारत-चीन के बीच एलएसी समझौते पर 'गहरी नजर' बनाए हुए है और सीमा पर तनाव कम होने का "स्वागत" करता है। ये बात अमेरिका के विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कही। बता दें कि भारत और चीन के बीच बड़ी डील हुई है। 5 साल से पूर्वी लद्दाख में बॉर्डर पर जो तनातनी चल रही थी, वो कई बैठकों के बाद आखिरकार समाप्त हो रही है।

अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा कि वह भारत-चीन सीमा पर तनाव की स्थिति कम होने का स्वागत करता है। साथ ही कहा कि नई दिल्ली ने इस संबंध में उसे जानकारी दी है। विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने पत्रकारों से कहा, हम भारत और चीन के बीच के घटनाक्रम पर करीब से नजर रख रहे हैं। हम समझते हैं कि दोनों देशों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर टकराव वाले बिंदुओं से सैनिकों को वापस बुलाने के लिए शुरुआती कदम उठाए हैं। हम सीमा पर तनाव की स्थिति में किसी भी कमी का स्वागत करते हैं।

वहीं, जब मिलर से पूछा गया कि क्या इस मामले में अमेरिका की कोई भूमिका है, तो उन्होंने जवाब दिया, नहीं, हमने भारतीय साझेदारों से इस बारे में जानकारी ली है, लेकिन इसमें हमारी कोई भूमिका नहीं है।

भारत-चीन के बीच समझौता

बता दें कि जून 2020 से भारत और चीन के बीच एलएसी पर तनाव बना हुआ था। तब गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच संघर्ष हुआ था और दोनों ओर से सैनिक हताहत हुए थे। एलएसी पेट्रोलिंग समझौता 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से पहले घोषित किया गया था। सम्मेलन रूस के कजान में 22 से 24 अक्टूबर के बीच हुआ था। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भाग लिया।उस दौरान उनकी रूस के कजान शहर में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय मुलाकात भी हुई थी।

बाबा सिद्दीकी हत्याकांड : बड़ी वारदात को अंजाम देने से पहले मौन व्रत रखता है लारेंस बिश्नोई, इस बार भी रखा था 9 दिनों का उपवास

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री बाबा सिद्दीकी की शनिवार रात मुंबई के बांद्रा ईस्ट इलाके में 3 लोगों ने गोली मारकर हत्या कर दी. इस हत्याकांड से देश में गुस्सा है. वहीं, मामले में पुलिस ने दो लोगों को गिरफ़्तार किया है जबकि एक आरोपी फरार है. हत्या के कारणों का अभी तक पता नहीं चल सका है लेकिन गिरफ्तार 2 आरोपियों ने बिश्नोई गैंग से जुड़े होने का दावा किया है. इसी बीच लारेंस बिश्नोई को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है.

सूत्रों के मुताबिक साबरमती जेल में लारेंस बिश्नोई ने नवरात्र में 9 दिन तक मौन व्रत रखा था. इस दौरान बिश्नोई किसी से बातचीत नहीं करता था. साथ ही वह अन्न भी ग्रहण नहीं करता था.माना जाता है की जब-जब बिश्नोई मौन व्रत रहता है, उसका गैंग किसी बड़ी वारदात को अंजाम देता है. हाल ही में लारेंस बिश्नोई का एक वीडियो कॉल सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था. जिसमें बिश्नोई पाकिस्तान के गैंगस्टर से बातचीत कर रहा था और ईद की बधाई दे रहा था. दावा ये भी था कि ये कॉल बिश्नोई ने साबरमती जेल से किया था लेकिन वीडियो वायरल होने के बाद साबरमती जेल प्रशासन ने पुराना वीडियो होने का हवाला देकर मामले से पल्ला झाड़ लिया था.

सूत्रों के मुताबिक लारेंस बिश्नोई को साबरमती जेल में एक अलग सेल में रखा गया है. वह मोबाइल फोन का इस्तेमाल जेल से करता है. ये बात एजेंसी के लोग भी बताते हैं. बिश्नोई अन्न कम खाता है, दूध दही और फल का इस्तेमाल खाने में करता है. इसके अलावा वह जेल में बैडमिंटन खेलता है और कसरत भी करता है.

तिहाड़ जेल में भी बिश्नोई फोन से बात करता था. इसका खुलासा आज तक/इंडिया टूडे ने बिश्नोई के इंटरस्टेड कॉल के जरिए खुलासा किया था. सिद्धू मुसावाला की हत्या के बाद बिश्नोई के करीबी ने जेल में बंद लारेंस बिश्नोई को फोन पर कॉल किया था और सिद्धू मुसावला हत्याकांड की जानकारी दी थी. पंजाब और राजस्थान की जेल में जब बिश्नोई बंद था, तब भी मोबाइल फोन का इस्तेमाल करता था.

गुजरात की साबरमती जेल में बंद लारेंस बिश्नोई को खास बैरक में रखा गया है. इस बैरक के अंडा सेल में उसे रखा गया है. जहां पर उसके साथ और कोई कैदी नहीं है. आमतौर पर आतंक से जुडे और गंभीर अपराध में बंद खूंखार कैदियों को ही ऐसे सेल में रखा जाता है. साल 2008 से बम ब्लास्ट से जुडी आतंकियों के भी इसी तरह अंडा सेल में रखा गया था. यह जेल का सबसे सुरक्षित हिस्सा होता है, जहां पर बैरेक और सेल के बाहर भी सुरक्षाकर्मी होते हैं.

इन सेल-बैरक में बंद आरोपीयों से बहुत कम बातचीत का अवकाश रहता है. क्योंकि वह अकेले होते हैं, सुरक्षाकर्मी भी उनसे बातचीत में परहेज करते हैं. सुबह 6 से 12 और शाम 3 से 6 के बीच में उसे नाश्ता और खाना दिया जाता है. उसे वहां से बाहर निकलने की अनुमति नहीं है. लारेंस बिश्नोई धार्मिक है और वह अपने सेल में ध्यान लगाकर पाठ करता रहता है. केन्द्रीय गृह मंत्रालय की मंजूरी के बिना उसे जेल से बाहर नहीं निकाला जा सकता है.

मुंबई पुलिस के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक क्राइम ब्रांच का दावा है कि पूछताछ के दौरान आरोपियों ने खुद को बिश्नोई गैंग से जुड़ा बताया है. सूत्रों के मुताबिक, आरोपी पिछले 25-30 दिनों से उस इलाके की रेकी कर रहे थे. तीनों आरोपी ऑटो रिक्शा से बांद्रा ईस्ट में उस शूटिंग स्पॉट पर पहुंचे थे, जहां गोली चलाई गई थी. सूत्रों ने यह भी खुलासा किया कि बाबा सिद्दीकी पर हमला करने से पहले तीनों आरोपियों ने कुछ समय वहीं बिताया और उनका इंतजार किया. पुलिस को शक है कि आरोपियों को किसी और व्यक्ति से भी अंदरूनी जानकारी मिल रही थी. फिलहाल पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है.

कनाडा पुलिस और इंडियन एजेंसी से वांटेड सतविंदर सिंह उर्फ गोल्डी बराड़ के जरिए बिश्नोई गैंग ऑपरेट हो रहा है. एनआईए ने बताया है कि बिश्नोई गैंग में 700 से ज्यादा शूटर हैं, जिसमें 300 पंजाब से जुड़े हैं. सोशल मीडिया प्लेटफार्म, फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब के जरिए बिश्नोई और गोल्डी बराड़ की फोटो डाली गई. बिश्नोई का कोर्ट लाते-जाते फोटो और वीडियो डाले जाते और इस तरह गैंग का प्रचार प्रसार किया गया. बिश्नोई गैंग ने साल 2020-21 तक करोड़ों रुपए एक्सटोर्शन से कमाए और वो पैसा हवाला के जरिए विदेशों में भेजा गया.

लॉरेंस बिश्नोई के जुर्म का साम्राज्य भारत के 11 राज्य और 6 देशों तक फैल चुका है. एनआईए के मुताबिक कभी बिश्नोई का गैंग सिर्फ पंजाब तक सीमित था लेकिन उसने अपने शातिर दिमाग और अपने करीबी गोल्डी बराड़ के साथ मिलकर हरियाणा, दिल्ली और राजस्थान की गैंग से गठजोड़ किया और बड़ा गैंग बनाया. बिश्नोई गैंग अब पूरे नॉर्थ इंडिया में, पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, दिल्ली, राजस्थान और झारखंड तक फैल चुका है. सोशल मीडिया और तमाम अलग अलग तरीको से नौजवानों को गैंग में रिक्रूट किया जाता है. लॉरेंस बिश्नोई का साम्राज्य USA, अजरबैजान, पुर्तगाल, UAE और रूस तक फैला हुआ है.

नौजवान ऐसे होते हैं शामिल

नौजवानों को कनाडा या उनके पसंद के मनचाहे देश में शिफ्ट कराने का लालच देकर गैंग में भर्ती करवाया जाता है. NIA के मुताबिक पाकिस्तान में बैठा खालिस्तानी आतंकी हरविंदर सिंह रिंदा बिश्नोई गैंग के शूटर का इस्तेमाल पंजाब में टारगेट किलिंग और अपराधिक गतिविधियों को अंजाम दिलवाने में करता है. UAPA के तहत अदालत में NIA ने कुछ दिनों पहले लारेंस बिश्नोई, गोल्डी बराड़ समेत कुल 16 गैंगस्टर के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी.

उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने वाशिंगटन में सड़क और भवन निर्माण कार्यों को देखा

रायपुर-   अध्ययन प्रवास पर अमेरिका गए उप मुख्यमंत्री तथा लोक निर्माण मंत्री अरुण साव ने शुक्रवार को वाशिंगटन में सड़क एवं भवन निर्माण स्थलों का दौरा कर कार्यों का अवलोकन किया। उन्होंने निर्माण स्थलों पर आर्किटेक्ट्स और इंजीनियरों से चर्चा कर निर्माण में प्रयुक्त होने वाली सामग्री, धातु (Metal) एवं मशीनरी की जानकारी ली। उन्होंने वहां विशेषज्ञों के साथ बैठक कर सड़क एवं भवन निर्माण की नई तकनीकों तथा निर्माण परियोजनाओं के विभिन्न चरणों का अध्ययन किया। लोक निर्माण विभाग के सचिव डॉ. कमलप्रीत सिंह भी इस दौरान उनके साथ थे।

उप मुख्यमंत्री श्री साव ने वाशिंगटन में निर्माण कार्यों के विशेषज्ञों के साथ बैठक कर नई निर्माण तकनीकों तथा यू.एस.ए. (USA) में सड़क एवं भवन निर्माण परियोजनाओं की प्लानिंग से लेकर निर्माण तक चरणबद्ध रूप से उठाए जाने वाले कदमों की जानकारी ली। वहां बिम (BIM) कम्प्यूटर सिस्टम से भवन एवं अधोसंरचना का कम्प्यूटर में संपूर्ण डिज़ाइन तैयार किया जाता है जिससे न केवल उनके निर्माण में लगने वाली सामग्री (Material) एवं लागत का सटीक आंकलन होता है, बल्कि बाद में होने वाले मेन्टेनेन्स (Maintenance) के काम में भी मदद मिलती है।

श्री साव ने कहा कि छत्तीसगढ़ में अच्छी गुणवत्ता की टिकाऊ सड़कों और भवनों के निर्माण के लिए अमेरिका में प्रचलित नई तकनीकों एवं उपायों का विस्तृत अध्ययन कर लोक निर्माण विभाग में लागू करने पर विचार किया जाएगा। उन्होंने वाशिंगटन में विशेषज्ञों से कार्यस्थलों पर निर्माण श्रमिकों के स्वास्थ्य एवं सुरक्षा उपायों की जानकारी ली। उन्होंने सड़कों के पास स्थित रिहायशी इलाकों को ध्वनि प्रदूषण से बचाने के लिए किए जाने उपायों का भी अध्ययन किया। यू.एस.ए. में सड़क निर्माण एवं भवन निर्माण परियोजनाओं में प्रारंभिक डीपीआर स्तर पर काफी विस्तृत अध्ययन किया जाता है, ताकि बाद में आने वाली समस्याओं एवं होने वाले विलंब व लागत में वृद्धि से बचा जा सके।

*विदेशी जमीन से राहुल गांधी ने की चीन जमकर की तारीफ, गिना दी भारत की कमियां*

#rahulgandhiinusapraised_china

राहुल गांधी विदेश दौरे पर हैं। कांग्रेस नेता ने एक बार फिर विदेशी जमीन पर अपने देश की कमियां गिनाईं हैं। भारतीयों से बात करते हुए राहुल गांधी ने फिर कुछ ऐसी बातें बोल दी हैं जिसने बीजेपी को कांग्रेस के खिलाफ हल्ला बोलने का मौका दे दिया है। दरअसल राहुल गांधी ने यहां चीन की भरभरकर तारीफ की है और अमेरिका के सामने दुनिया की उभरती नई शक्ति भारत की कमियों को गिनाया।

राहुल गांधी इन दिनों अपनी तीन दिवसीय अमेरिका की यात्रा पर हैं। यहां टेक्सास के डैलस में एक कार्यक्रम में रोजगार के मुद्दे पर बात की। यहां राहुल गांधी ने रोजगार के मसले पर चीन की तारीफ की है। उन्होंने कहा कि भारत और पश्चिमी देशों में रोजगार की समस्या है लेकिन चीन में ऐसा नहीं है। 

चीन लोगों को रोजगार देने वो अव्वल-राहुल गांधी

राहुल गांधी ने कहा कि अब यूरोप और अमेरिका में भी बेरोजगारी एक समस्या बन रही है। भारत में भी बेरोजगारी सबसे बड़ी और सबसे अहम समस्या है। लेकिन चीन के पास ऐसी कोई समस्या नहीं है। चीन लगातार अपना रोजगार बढ़ा रहा है। नौकरियों के नए अवसर पैदा कर रहा है। लोगों को रोजगार देने वो अव्वल रहा है। भारत ने मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर पर ध्यान ही नहीं दिया जिसकी वजह से आज बेरोजगारी के मुख्य समस्या बनकर उभर आई है। 

भारत को मैन्युफैक्चरिंग के बारे में सोचना होगा- राहुल गांधी

यही नहीं राहुल गांधी ने ये भी कहा कि 90 के दशक में अमेरिका वैश्विक उत्पादन का केंद्र था लेकिन बाद ये पूरा प्रोडक्शन कोरिया और जापान में शिफ्ट हो गया। जिसके बाद कोरिया और जापान जैसे देशों ने अर्थव्यवस्था की बुलंदियों को छुआ। अगर भारत को भी अपनी अर्थव्यवस्था मजबूत करनी है और बेरोजगारी से लड़ना है तो उसे मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर पर ध्यान देना होगा।  

 

बताए बेरोजगारी से निपटने के उपाय

नेता प्रतिपक्ष ने आगे ये भी कहा कि जिसे आप विनिर्माण या मैन्युफैक्चरिंग कहते हैं, वह चीन के लिए आरक्षित होने जा रहा है। यह वियतनाम के लिए आरक्षित होने जा रहा है। यह बांग्लादेश के लिए आरक्षित होने जा रहा है। हमें लोकतांत्रिक वातावरण में मैन्युफैक्चरिंग करने के तरीके पर पुनर्विचार करना होगा। जब तक हम ऐसा नहीं करते, हमें उच्च स्तर की बेरोजगारी का सामना करना पड़ेगा।