टेरर फंडिंग पर एनआईए का बड़ा एक्शन, एटीएस के साथ मिलकर 5 राज्य के 22 ठिकानों पर ताबड़तोड़ रेड

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देश विरोधी गतिविधियों के लिए होने वाली फंडिंग को लेकर एनआईए ने जम्मू-कश्मीर और महाराष्ट्र में छापेमारी की है। एनआईए ने छापेमारी के बाद 4 संदिग्ध लोगों को हिरासत में लिया। इन चारों संदिग्ध से पूछताछ की जा रही है और सूत्रों के मुताबिक चारों के लिंक आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद से है।

एनआईए ने आतंकी फंडिंग के खिलाफ एक्शन लेते हुए 5 प्रदेश के करीब 22 ठिकानों पर छापेमारी की। जम्मू-कश्मीर के बारामूला में एनआईए ने रेड की है। एनआईए ने उत्तरी कश्मीर के बारामूला जिले में छापेमारी की। यह छापेमारी बारामूला में इकबाल भट के आवासीय घर पर की गई है। कश्मीर में कुछ अन्य स्थानों पर भी छापेमारी चल रही है।आतंकी घटनाओं की जांच को लेकर यह छापेमारी की गई है।

जम्मू कश्मीर और महाराष्ट्र के साथ-साथ राजधानी दिल्ली, उत्तर प्रदेश और असम में भी एनआईए की छापेमारी चल रही है।महाराष्ट्र के जालना, औरंगाबाद और मालेगांव से 4 सस्पेक्ट से पूछताछ की है। चारो के लिंक आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद से बताया जा रहा है।

इससे पहले एनआईए ने पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता समेत 12 ठिकानों पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी छापेमारी की थी। यह छापेमारी एनआईए की माओवादियों के ठिकानों से संबंधित थी।

মাওবাদী সংগঠনের সাথে যুক্ত সন্দেহে পানিহাটী পল্লীশ্রী এলাকায় এক মহিলার বাড়িতে NIA এর অভিধান

প্রবীর রায়: আজ রাজ্যে প্রায় ১৪ জায়গায় এন আই এ এর আধিকারিকরা তল্লাশি চালায়।এর মধ্যে মাওবাদী সংগঠনের সাথে যুক্ত সন্দেহে উত্তর ২৪ পরগনার পানিহাটী পল্লীশ্রী এলাকায় শিপ্রা চক্রবর্তী নামে মহিলার বাড়িতে তল্লাশি চালায় NIA আধিকারিকরা। ৪ জনের সদস্য কেন্দ্রীয় বাহিনীকে সঙ্গে করে নিয়ে এদিন ভোরে পানিহাটি পৌরসভার ৩১ নম্বর ওয়ার্ডের অন্তর্গত পল্লীশ্রী এলাকায় শিপ্রা চক্রবর্তী বাড়িতে অভিযান চালায়। সেই সময় গোটা এলাকা ঘিরে রাখে ঘোলা থানার পুলিশ ও কেন্দ্রীয় বাহিনীর জওয়ানরা। সূত্রের খবর শিপ্রা চক্রবর্তী ও তার স্বামী মানবেশ সরকার মাওবাদী সংগঠনের সঙ্গে যুক্ত বলে জানা গিয়েছে। তারা পানিহাটির পল্লীশ্রী এলাকায় এই বাড়িতেই থাকেন।

এদিন প্রথমে ডাকাডাকি করলে বাড়ির গেট না খোলায় গেট টপকে বাড়ির ভেতর ঢোকে এনআইএর আধিকারিকেরা। প্রায় ৫ ঘণ্টা জিজ্ঞাসাবাদের পর ন্যাশনাল ইনভেস্টিগেশন এজেন্সির আধিকারিরা শিপ্রা চক্রবর্তী বাড়ি থেকে বেরিয়ে যান।

चार जगहों पर NIA का छापा, पत्रकार के घर भी पहुंची टीम, जांच जारी

कांकेर-   छत्तीसगढ़ में नक्सल मामलों को लेकर लगातार एनआईए की छापेमारी जारी है. आज फिर NIA की टीम ने कांकेर जिले के नक्सल प्रभावित आमाबेड़ा में स्थानीय पत्रकार के निवास समेत चार जगहों पर छापा मारा है. जिले की पुलिस टीम भी मौके पर मौजूद हैं. फिलहाल छापेमारी की कोई जानकारी नहीं दी जा रही है.

4 अलग-अलग जगहों पर सुबह से NIA की कार्रवाई जारी है. बड़ा खुलासा होने की उम्मीद जताई जा रही है.

जम्मू कश्मीर के रियासी में तीर्थयात्रियों से भरी बस पर हमले से जुड़े मामले में 7 लोकेशन पर NIA की रेड

रियासी इलाके में तीर्थयात्रियों से भरी बस पर 9 जून को आतंकवादियों की ओऱ से हमला किया गया था. बस पर की गई गोलीबारी में जम्मू-कश्मीर के बाहर के सात तीर्थयात्रियों सहित नौ लोग मारे गए थे, जबकि 41 घायल हो गए थे. शुक्रवार सुबह राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी NIA ने शिव खोरी मंदिर से लौट रहे तीर्थयात्रियों की बस पर जून में हुए घातक आतंकवादी हमले की जांच के तहत शुक्रवार को राजौरी और रियासी जिलों में कई स्थानों पर तलाशी शुरू की. 9 जून को आतंकवादियों द्वारा बस पर की गई गोलीबारी में जम्मू -कश्मीर के बाहर के सात तीर्थयात्रियों सहित नौ लोगों की मौत हो गई थी और 41 घायल हो गए थे. वारदात के दौरान बस शिव खोरी मंदिर से कटरा जा रही बस, रियासी के पौनी क्षेत्र के तेरयाथ गांव के पास गोलीबारी की बौछार के बाद सड़क से उतर गई और एक गहरी खाई में गिर गई थी. गृह मंत्रालय ने NIA को सौंपा था केस 17 जून को गृह मंत्रालय ने आतंकी हमले का मामला एनआईए को सौंप दिया था. इस मामले में अब तक राजौरी निवासी हाकम खान नामक एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है, जिसने कथित तौर पर आतंकवादियों को भोजन, आश्रय और रसद उपलब्ध कराने के अलावा हमले से पहले इलाके की टोह लेने में भी मदद की थी। अधिकारियों ने बताया कि एनआईए की कई टीमें शिव खोरी आतंकवादी हमला मामले में आज सुबह से राजौरी और रियासी जिलों में तलाशी ले रही हैं। बताया कि तलाशी जारी है तथा आगे के विवरण की प्रतीक्षा है।
छत्तीसगढ़ : नक्सलवाद और नए कानूनों के तहत कार्रवाई पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन

रायपुर- राजधानी के सिविल लाइन स्थित न्यू सर्किट हाउस में नक्सल मामलों की विवेचना और नए कानूनों के तहत कार्रवाई को लेकर तीन दिवसीय प्रशिक्षण दिया जा रहा है. यह कार्यक्रम 24 से 26 सितंबर तक चलेगा. तीन दिवसीय इस प्रशिक्षण का आज दूसरा दिन है, जिसमें दिल्ली से पहुंचे NIA (राष्ट्रीय अन्वेषण एजेंसी) के अधिकारी प्रशिक्षण दे रहे हैं. इसमें सभी जिले के एसपी, एएसपी सहित राजपत्रित अधिकारी मौजूद हैं. जो अधिकारी इस प्रशिक्षण में नहीं पहुंचे हैं. उनको वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जोड़ा गया है.

जानकारी देते हुए रायपुर ग्रामीण एसपी कीर्तन राठौर ने बताया कि ए.डब्लू.ई.ए.डी.ए उसके संबध में जो विवेचना है. उसके अनुरूप जो क्रियाकलाप करते हैं. 1967 के कार्यवाही करते हैं. उसके संबंध में स्पेशल तरीके से छत्तीसगढ़ पुलिस के जितने भी प्रावधान है.

उस संबंध बारीकी से नॉलेज देने के लिए NIA के जो अधिकारी हैं. उनके माध्यम से आज छत्तीसगढ़ पुलिस को ट्रेनिंग दी जा रहा है. 24, 25 और 26 सितंबर तक यह कार्यक्रम चलेगा. कार्यक्रम में पुलिस अधिकारियों को विवेचना कैसे करनी चाहिए, क्या बारीकी रखना चाहिए, किस प्रकार से प्रकरण में साक्ष दिखाने चाहिए, विवेचक की क्या भूमिका होनी चाहिए, इस प्रकार से प्रत्येक बारीकी है जिसे समझाया जा रहा है.

प्रशिक्षण का आज दूसरा दिन है. यह कल भी जारी रहेगा. ऑनलाइन के माध्यम से सभी रेंज के पुलिस अधीक्षक आईजी लोग भी रायपुर रेंज के अधिकारी यहां उपस्थित हुए हैं. सभी ऑनलाइन के माध्यम से इसको सुन रहे हैं और इसका लाभ ले रहे हैं.

कानपुर के बाद अब मध्यप्रदेश में सेना की ट्रेन को बम से उड़ाने की कोशिश, ट्रेन गुजरते ही शुरू हुए धमाके, मच गया हड़कंप

कानपुर के बाद अब मध्य प्रदेश में एक बार फिर एक ट्रेन को बम से उड़ाने की साजिश रची गई है. यह साजिश सेना की ट्रेन को बम से उड़ाने की थी. घटना बुरहानपुर के नेपानगर विधानसभा क्षेत्र के सागफाटा का है. यहां जैसे ही ट्रेन डेटोनेटर के ऊपर से होकर गुजरी, धमाके शुरू हो गए. इससे ट्रेन का ड्राइवर सचेत हो गया और उसने तुरंत स्टेशन मास्टर को सूचित किया. इस प्रकार एक बड़ा ट्रेन हादसा होते होते टल गया. सूत्रों के मुताबिक इस वारदात को अंजाम देने के लिए 18 सितंबर को रेल की पटरी पर 10 डेटोनेटर लगाए गए थे.

घटना सामने आने के बाद से ही ATS और NIA सहित अन्य एजेंसियों के साथ रेलवे और लोकल पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है. चूंकि इससे पहले भी मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार में ट्रेन पलटाने की साजिशों का खुलासा हो चुका है. इन सभी मामलों में आतंकी कनेक्शन भी सामने आए थे. ऐसे में केंद्रीय एजेंसियों से लेकर लोकल पुलिस तक इस मामले को हल्के में नहीं ले रही. इस बार आशंका यही जताई जा रही है कि इस साजिश के पीछे किसी आतंकी गिरोह के स्लीपर सेल का हाथ हो सकता है.

चूंकि यह पूरा मामला सेना से जुड़ा है, इसलिए मामले की जांच में पूरी गोपनीयता बरती जा रही है. यहां तक कि जांच से जुड़े अधिकारी भी किसी तरह का अपडेट मीडिया के सामने शेयर करने से परहेज कर रहे हैं. हालांकि रेलवे के अधिकारियों ने बताया कि ट्रैक पर 10 डेटोनेटर लगाए गए थे. रेलवे के अधिकारियों के मुताबिक यह हादसा 18 सितंबर को जम्मू कश्मीर से कर्नाटक जा रही आर्मी की स्पेशल ट्रेन के साथ हुआ. उस समय यह ट्रेन दोपहर 1:48 बजे सागफाटा रेलवे स्टेशन से निकली ही थी कि धमाके शुरू हो गए.

लोको पायलट ने तत्काल इमरजेंसी ब्रेक लगाकर ट्रेन रोक लिया और स्टेशन मास्टर को मामले की जानकारी दी. चूंकि यह वारदात सेना की ट्रेन के साथ हुआ, इसलिए रेलवे के अधिकारियों ने तत्काल केंद्रीय जांच एजेंसियों को भी सूचित कर दिया. इसके बाद शनिवार की दोपहर पुलिस विभाग की स्पेशल शाखा डीएसपी, नेपानगर एसडीओपी थाना प्रभारी समेत रेलवे के अधिकारियों ने घटनास्थल का मुआयना किया. वहीं शनिवार को ही देर शाम NIA, ATS सहित अन्य खुफिया की एजेंसियों ने भी मौके पर पहुंच कर जांच को अपने हाथ में ले लिया है.

पथराव भी हिन्दुओं पर और कार्रवाई भी हिन्दुओं पर? सिद्धारमैया सरकार पर भड़की भाजपा

कर्नाटक में गणपति विसर्जन के दौरान मांड्या जिले के नागमंगला में एक जुलूस पर हमले को लेकर केंद्रीय राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे ने मांग की है कि इस घटना की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) द्वारा की जाए। 11 सितंबर को गणपति विसर्जन के दौरान जुलूस पर मस्जिद के सामने पथराव किया गया, जिससे इलाके में तनाव फैल गया। गुरुवार को मीडिया से बातचीत करते हुए, शोभा करंदलाजे ने कांग्रेस सरकार पर हिंदुओं के खिलाफ कार्रवाई करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि यह घटना भगवान गणेश और हिंदुओं का अपमान है और यह कोई छोटी घटना नहीं है। करंदलाजे ने कहा, "जब भी कर्नाटक में सिद्धारमैया की सरकार होती है, हिंदुओं के खिलाफ कार्रवाई होती है। मांड्या में जो हुआ, वह भगवान गणेश और हिंदुओं का अपमान है। सरकार कहती है कि यह एक छोटी घटना थी, लेकिन अगर हिंदुओं की 25 दुकानों को जलाना छोटी घटना है, तो बड़ी घटना क्या होनी चाहिए?" उन्होंने सिद्धारमैया पर हिंदुओं के खिलाफ होने और अल्पसंख्यकों के तुष्टिकरण का आरोप लगाया, और दोषियों की गिरफ्तारी और एनआईए से जांच की मांग की। हालाँकि, कांग्रेस सरकार के अधीन काम करने वाली पुलिस ने अलग ही कहानी बताई है। मांड्या के पुलिस अधिकारी मल्लिकार्जुन बालादंडी ने बताया कि यह घटना तब हुई जब गणपति विसर्जन जुलूस उस जगह पर रुकी और लोग कुछ समय के लिए दरगाह के सामने नाचने लगे। इसके बाद मुस्लिम समूह ने जुलूस को वहां से जाने के लिए कहा, जिससे दोनों गुटों के बीच विवाद हो गया। पुलिस ने स्थिति को शांत करने की कोशिश की और जुलूस को जारी रखने की अनुमति दी। जुलूस में शामिल लोगों ने बाद में नागमंगला थाने के सामने विरोध प्रदर्शन किया और पुलिस पर आरोप लगाया कि उन्हें जुलूस जारी रखने की अनुमति नहीं दी गई। एसपी बालादंडी ने पुष्टि की कि पुलिस ने लोगों को समझाया और जुलूस को जारी रखने की अनुमति दी।
NIA चार्जशीट में खुलासा:_रामेश्वरम कैफे ब्लास्ट के पीछे ISIS आतंकियों का हाथ,


नई दिल्ली:- राष्ट्रीय जांच एजेंसी, NIA ने सोमवार को हाई-प्रोफाइल बेंगलुरु रामेश्वरम कैफे विस्फोट मामले में चार्जशीट दाखिल कर दी। इसमें एजेंसी ने चार लोगों को आरोपी बनाया है।

एनआईए ने मुसाविर हुसैन शाजिब, अब्दुल मथीन अहमद ताहा, माज मुनीर अहमद और मुजम्मिल शरीफ के रूप में पहचाने गए आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता, गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत आरोप पत्र दायर किया गया है।

चारों को पहले गिरफ्तार किया गया था और वर्तमान में मामले में न्यायिक हिरासत में हैं।

NIA की अबूझमाड़ के घोर नक्सल प्रभावित इलाकों में छापेमारी, नक्सलियों के शहरी नेटवर्क से जुड़े 4 लोगों को किया गिरफ्तार

नारायणपुर-  माओवादियों द्वारा 20 मार्च 2023 को मार्ग अवरुद्ध करने मामले में NIA की टीम ने अबूझमाड़ के घोर नक्सल प्रभावित इलाकों में की छापेमारी की. तलाशी के दौरान नक्सलियों के शहरी नेटवर्क से जुड़े 4 माओवादी की गिरफ्तारी हुई, जो संगठन को रसद सप्लाई के साथ अन्य काम करते थे. इनके साथ 35 माओवादियों के नाम सामने आए, जिनसे पूछताछ जारी है. जांच में ओरछा में लम्बे समय से धरने पर बैठे माड़ बचाओ मंच के नेता लखमा कोर्राम के माओवादी होने का आरोप लगाया गया है. 

एनआईए की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया कि मंगलवार को मार्च 2023 के सड़क नाकाबंदी मामले के लिए जिम्मेदार सीपीआई (माओवादी) कैडरों और समर्थकों की तलाश में नारायणपुर जिले में कई स्थानों पर तलाशी ली. घटना से संबंधित मामले में कुल 35 आरोपियों को नामित किया गया है, जिसमें प्रतिबंधित संगठन के कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने इंडिया गेट रायनार के पास नारायणपुर-ओरछा मुख्य सड़क को विभिन्न हिस्सों को खोदकर, पेड़ों को काटकर और कई स्थानों पर बड़ी-बड़ी चट्टानों को छोटे-छोटे टुकड़े करके अवरुद्ध कर दिया था, नाकाबंदी का उद्देश्य पुलिस दलों को मारना और उनके हथियार लूटना था.

मामले में एनआईए की जांच के दौरान कुछ सीपीआई (माओवादी) समर्थकों/ओजीडब्ल्यू के नाम सामने आए थे. उन पर सीपीआई (माओवादी) के अग्रणी संगठन, माड़ बचाओ मंच के सदस्य होने का संदेह है, ऐसा माना जाता है कि उन्होंने अपराध को अंजाम देने में सीपीआई (माओवादी) की सहायता की थी. ओरछा में माड़ बचाओ मंच का नेता लखमा राम उर्फ लखमा कोर्रम इस मामले में आरोपपत्रित माओवादी है.

जांच से पता चला है कि माड बचाओ मंच मुठभेड़ों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन आयोजित करता है, और उन्हें सहायता प्रदान करने के अलावा, प्रतिबंधित संगठन के लिए नए शिविर स्थापित करने में मदद करता है. वे सीपीआई (माओवादी) विचारधारा के प्रचार-प्रसार के लिए “माड़ बचाओ मंच” के बैनर तले विभिन्न बैठकें भी आयोजित करते हैं. फ्रंटल संगठन के सदस्य माओवादी कैडरों तक आवश्यक सामग्री आदि पहुंचाने का भी काम करते हैं.

मंगलवार को की गई तलाशी में फ्रंटल संगठन के चार संदिग्ध सदस्यों को निशाना बनाया गया और एनआईए की टीमों ने नारायणपुर जिले के कस्तूरमेटा, मदाली और मल्कल गांव के माओवाद प्रभावित संवेदनशील इलाकों में उनके परिसरों की तलाशी ली, जो सीपीआई (माओवादी) के माड डिवीजन के अंतर्गत आता है. मामले में आगे की जांच जारी है.

जानिए सरकारी नौकरियों में टैटू क्यों बढ़ाता है रिजेक्शन, कौन-कौन सी नौकरियों में टैटू के कारण नहीं मिलती नौकरी

डेस्क :– शरीर पर बना टैटू भी सरकारी नौकरी मिलने में मुश्किल खड़ी कर सकता है।हाल में एक ऐसा ही मामला चर्चा में आया  उत्तर प्रदेश के बागपत के 20 वर्षीय दीपक यादव को टैटू के कारण दिल्ली पुलिस भर्ती में रिजेक्ट कर दिया गया। दीपक ने इसके लिए बकायदा कानूनी लड़ाई लड़ी ।अब दिल्ली हाई कोर्ट ने इस पर फैसला सुनाया है। फैसले में कहा गया है कि हल्के पड़ चुके टैटू के निशान के आधार पर उम्मीदवार को सरकारी नौकरी से रिजेक्ट नहीं किया जा सकता।

टैटू क्यों बढ़ाता है रिजेक्शन?

टैटू बनवाया है तो कोई भी सरकारी नौकरी के लिए रिजेक्ट कर दिया जाएगा, यह पूरी तरह से सच नहीं है। कुछ ऐसी जॉब प्रोफाइल हैं जहां पर टैटू को लेकर सख्ती है और कुछ में पाबंदियां हैं। टैटू के नाम पर उम्मीदवारों को रिजेक्ट क्यों कर दिया जाता है, अब इसे समझ लेते हैं।इसकी कई वजह बताई गई हैं।

माना जाता है कि टैटू कई तरह के रोगों जैसे एचआईवी, स्किन डिजीज, हेपेटाइटिस ए और बी को बढ़ावा दे सकता है। टैटू बनवाने वाले लोग अपने काम को गंभीरता से नहीं करते। सबसे बड़ा कारण यह बताया जाता है कि ऐसा नौकरियों में समानता दिखाने के लिए किया जाता है। वहीं, सेना में ऐसे उम्मीदवारों की भर्ती नहीं की जाती है जिनकी बॉडी पर बड़े टैटू होते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि टैटू बनवाने से उस शख्स की पहचान आसानी से हो जाती है और सेना में सुरक्षा के लिहाज से ऐसा ठीक नहीं होता। टैटू को लेकर क्या हैं नियम?

टैटू को लेकर कई बार मामले कोर्ट तक पहुंच चुके हैं। इसको लेकर फैसले भी आए। भारत सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक, जनजाति के प्रचलित रीति-रिवाजों और परंपराओं से जुड़े शख्स के शरीर में किसी भी हिस्से पर स्थायी टैटू पहनने की अनुमति है। हालांकि, अन्य लोगों के लिए केवल छोटे, सुरक्षित टैटू की अनुमति है। इसमें धार्मिक प्रतीक या किसी अपने प्रियजन का नाम नहीं होना चाहिए।

टैटू के ज्यादातर मामले सेना से जुड़ी भर्ती के रहे हैं, जहां इसको लेकर गाइडलाइन सख्ती से लागू की जाती है। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, भारतीय नौसेना, तटरक्षा और पुलिस विभाग में शामिल होने शख्स के शरीर के किसी बाहरी हिस्से में, कोहनी से कहलाई तक या हथेली के पिछले हिस्से में टैटू की अनुमति नहीं है। शरीर के अंदरूनी हिस्से में छोटे टैटू की अनुमति है। टैटू अभद्र, लैंगिकवादी या नस्लवादी नहीं होने चाहिए। आमतौर पर अगर टैटू आपत्तिजनक नहीं है तो भर्ती के कैंडिडेट को अयोग्य नहीं घोषित किया जा सकता। टैटू के मामले जो कोर्ट तक पहुंचे

बागपत के दीपक ने साल 2023 में कर्मचारी चयन आयोग का विज्ञापन देखा, जिसमें दिल्ली पुलिस कॉन्सटेबल भर्ती का जिक्र था। उन्होंने आवेदन किया। दिसम्बर 2023 में लिखित परीक्षा पास की. मेडिकल परीक्षा में फिटनेस टेस्ट के लिए दीपक के दाहिने हाथ पर बने मां के टैटू को मिटवाने की कोशिश की थी। फिटनेस टेस्ट में वो सफल रहे, लेकिन मिटाए हुए टैटू के कारण उन्हें अनफिट बता दिया गया। फिर मामला कोर्ट पहुंचा और दिल्ली हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया।

अब दिल्ली हाई कोर्ट ने इस पर फैसला सुनाया है।फैसले में कहा गया है कि हल्के पड़ चुके टैटू के निशान के आधार पर उम्मीदवार को सरकारी नौकरी से रिजेक्ट नहीं किया जा सकता।

ऐसा ही एक मामला दो साल पहले आया था। एक शख्स ने अपने दाहिने हाथ के पिछले हिस्से में धार्मिक टैटू बनवाया था। उसने CRPF, NIA समेत अन्य बलों में भर्ती के लिए परीक्षा दी तो उसे रिजेक्ट कर दिया गया।इसके बाद मामला दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचा।

नोट: हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।
टेरर फंडिंग पर एनआईए का बड़ा एक्शन, एटीएस के साथ मिलकर 5 राज्य के 22 ठिकानों पर ताबड़तोड़ रेड

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देश विरोधी गतिविधियों के लिए होने वाली फंडिंग को लेकर एनआईए ने जम्मू-कश्मीर और महाराष्ट्र में छापेमारी की है। एनआईए ने छापेमारी के बाद 4 संदिग्ध लोगों को हिरासत में लिया। इन चारों संदिग्ध से पूछताछ की जा रही है और सूत्रों के मुताबिक चारों के लिंक आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद से है।

एनआईए ने आतंकी फंडिंग के खिलाफ एक्शन लेते हुए 5 प्रदेश के करीब 22 ठिकानों पर छापेमारी की। जम्मू-कश्मीर के बारामूला में एनआईए ने रेड की है। एनआईए ने उत्तरी कश्मीर के बारामूला जिले में छापेमारी की। यह छापेमारी बारामूला में इकबाल भट के आवासीय घर पर की गई है। कश्मीर में कुछ अन्य स्थानों पर भी छापेमारी चल रही है।आतंकी घटनाओं की जांच को लेकर यह छापेमारी की गई है।

जम्मू कश्मीर और महाराष्ट्र के साथ-साथ राजधानी दिल्ली, उत्तर प्रदेश और असम में भी एनआईए की छापेमारी चल रही है।महाराष्ट्र के जालना, औरंगाबाद और मालेगांव से 4 सस्पेक्ट से पूछताछ की है। चारो के लिंक आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद से बताया जा रहा है।

इससे पहले एनआईए ने पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता समेत 12 ठिकानों पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी छापेमारी की थी। यह छापेमारी एनआईए की माओवादियों के ठिकानों से संबंधित थी।

মাওবাদী সংগঠনের সাথে যুক্ত সন্দেহে পানিহাটী পল্লীশ্রী এলাকায় এক মহিলার বাড়িতে NIA এর অভিধান

প্রবীর রায়: আজ রাজ্যে প্রায় ১৪ জায়গায় এন আই এ এর আধিকারিকরা তল্লাশি চালায়।এর মধ্যে মাওবাদী সংগঠনের সাথে যুক্ত সন্দেহে উত্তর ২৪ পরগনার পানিহাটী পল্লীশ্রী এলাকায় শিপ্রা চক্রবর্তী নামে মহিলার বাড়িতে তল্লাশি চালায় NIA আধিকারিকরা। ৪ জনের সদস্য কেন্দ্রীয় বাহিনীকে সঙ্গে করে নিয়ে এদিন ভোরে পানিহাটি পৌরসভার ৩১ নম্বর ওয়ার্ডের অন্তর্গত পল্লীশ্রী এলাকায় শিপ্রা চক্রবর্তী বাড়িতে অভিযান চালায়। সেই সময় গোটা এলাকা ঘিরে রাখে ঘোলা থানার পুলিশ ও কেন্দ্রীয় বাহিনীর জওয়ানরা। সূত্রের খবর শিপ্রা চক্রবর্তী ও তার স্বামী মানবেশ সরকার মাওবাদী সংগঠনের সঙ্গে যুক্ত বলে জানা গিয়েছে। তারা পানিহাটির পল্লীশ্রী এলাকায় এই বাড়িতেই থাকেন।

এদিন প্রথমে ডাকাডাকি করলে বাড়ির গেট না খোলায় গেট টপকে বাড়ির ভেতর ঢোকে এনআইএর আধিকারিকেরা। প্রায় ৫ ঘণ্টা জিজ্ঞাসাবাদের পর ন্যাশনাল ইনভেস্টিগেশন এজেন্সির আধিকারিরা শিপ্রা চক্রবর্তী বাড়ি থেকে বেরিয়ে যান।

चार जगहों पर NIA का छापा, पत्रकार के घर भी पहुंची टीम, जांच जारी

कांकेर-   छत्तीसगढ़ में नक्सल मामलों को लेकर लगातार एनआईए की छापेमारी जारी है. आज फिर NIA की टीम ने कांकेर जिले के नक्सल प्रभावित आमाबेड़ा में स्थानीय पत्रकार के निवास समेत चार जगहों पर छापा मारा है. जिले की पुलिस टीम भी मौके पर मौजूद हैं. फिलहाल छापेमारी की कोई जानकारी नहीं दी जा रही है.

4 अलग-अलग जगहों पर सुबह से NIA की कार्रवाई जारी है. बड़ा खुलासा होने की उम्मीद जताई जा रही है.

जम्मू कश्मीर के रियासी में तीर्थयात्रियों से भरी बस पर हमले से जुड़े मामले में 7 लोकेशन पर NIA की रेड

रियासी इलाके में तीर्थयात्रियों से भरी बस पर 9 जून को आतंकवादियों की ओऱ से हमला किया गया था. बस पर की गई गोलीबारी में जम्मू-कश्मीर के बाहर के सात तीर्थयात्रियों सहित नौ लोग मारे गए थे, जबकि 41 घायल हो गए थे. शुक्रवार सुबह राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी NIA ने शिव खोरी मंदिर से लौट रहे तीर्थयात्रियों की बस पर जून में हुए घातक आतंकवादी हमले की जांच के तहत शुक्रवार को राजौरी और रियासी जिलों में कई स्थानों पर तलाशी शुरू की. 9 जून को आतंकवादियों द्वारा बस पर की गई गोलीबारी में जम्मू -कश्मीर के बाहर के सात तीर्थयात्रियों सहित नौ लोगों की मौत हो गई थी और 41 घायल हो गए थे. वारदात के दौरान बस शिव खोरी मंदिर से कटरा जा रही बस, रियासी के पौनी क्षेत्र के तेरयाथ गांव के पास गोलीबारी की बौछार के बाद सड़क से उतर गई और एक गहरी खाई में गिर गई थी. गृह मंत्रालय ने NIA को सौंपा था केस 17 जून को गृह मंत्रालय ने आतंकी हमले का मामला एनआईए को सौंप दिया था. इस मामले में अब तक राजौरी निवासी हाकम खान नामक एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है, जिसने कथित तौर पर आतंकवादियों को भोजन, आश्रय और रसद उपलब्ध कराने के अलावा हमले से पहले इलाके की टोह लेने में भी मदद की थी। अधिकारियों ने बताया कि एनआईए की कई टीमें शिव खोरी आतंकवादी हमला मामले में आज सुबह से राजौरी और रियासी जिलों में तलाशी ले रही हैं। बताया कि तलाशी जारी है तथा आगे के विवरण की प्रतीक्षा है।
छत्तीसगढ़ : नक्सलवाद और नए कानूनों के तहत कार्रवाई पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन

रायपुर- राजधानी के सिविल लाइन स्थित न्यू सर्किट हाउस में नक्सल मामलों की विवेचना और नए कानूनों के तहत कार्रवाई को लेकर तीन दिवसीय प्रशिक्षण दिया जा रहा है. यह कार्यक्रम 24 से 26 सितंबर तक चलेगा. तीन दिवसीय इस प्रशिक्षण का आज दूसरा दिन है, जिसमें दिल्ली से पहुंचे NIA (राष्ट्रीय अन्वेषण एजेंसी) के अधिकारी प्रशिक्षण दे रहे हैं. इसमें सभी जिले के एसपी, एएसपी सहित राजपत्रित अधिकारी मौजूद हैं. जो अधिकारी इस प्रशिक्षण में नहीं पहुंचे हैं. उनको वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जोड़ा गया है.

जानकारी देते हुए रायपुर ग्रामीण एसपी कीर्तन राठौर ने बताया कि ए.डब्लू.ई.ए.डी.ए उसके संबध में जो विवेचना है. उसके अनुरूप जो क्रियाकलाप करते हैं. 1967 के कार्यवाही करते हैं. उसके संबंध में स्पेशल तरीके से छत्तीसगढ़ पुलिस के जितने भी प्रावधान है.

उस संबंध बारीकी से नॉलेज देने के लिए NIA के जो अधिकारी हैं. उनके माध्यम से आज छत्तीसगढ़ पुलिस को ट्रेनिंग दी जा रहा है. 24, 25 और 26 सितंबर तक यह कार्यक्रम चलेगा. कार्यक्रम में पुलिस अधिकारियों को विवेचना कैसे करनी चाहिए, क्या बारीकी रखना चाहिए, किस प्रकार से प्रकरण में साक्ष दिखाने चाहिए, विवेचक की क्या भूमिका होनी चाहिए, इस प्रकार से प्रत्येक बारीकी है जिसे समझाया जा रहा है.

प्रशिक्षण का आज दूसरा दिन है. यह कल भी जारी रहेगा. ऑनलाइन के माध्यम से सभी रेंज के पुलिस अधीक्षक आईजी लोग भी रायपुर रेंज के अधिकारी यहां उपस्थित हुए हैं. सभी ऑनलाइन के माध्यम से इसको सुन रहे हैं और इसका लाभ ले रहे हैं.

कानपुर के बाद अब मध्यप्रदेश में सेना की ट्रेन को बम से उड़ाने की कोशिश, ट्रेन गुजरते ही शुरू हुए धमाके, मच गया हड़कंप

कानपुर के बाद अब मध्य प्रदेश में एक बार फिर एक ट्रेन को बम से उड़ाने की साजिश रची गई है. यह साजिश सेना की ट्रेन को बम से उड़ाने की थी. घटना बुरहानपुर के नेपानगर विधानसभा क्षेत्र के सागफाटा का है. यहां जैसे ही ट्रेन डेटोनेटर के ऊपर से होकर गुजरी, धमाके शुरू हो गए. इससे ट्रेन का ड्राइवर सचेत हो गया और उसने तुरंत स्टेशन मास्टर को सूचित किया. इस प्रकार एक बड़ा ट्रेन हादसा होते होते टल गया. सूत्रों के मुताबिक इस वारदात को अंजाम देने के लिए 18 सितंबर को रेल की पटरी पर 10 डेटोनेटर लगाए गए थे.

घटना सामने आने के बाद से ही ATS और NIA सहित अन्य एजेंसियों के साथ रेलवे और लोकल पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है. चूंकि इससे पहले भी मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार में ट्रेन पलटाने की साजिशों का खुलासा हो चुका है. इन सभी मामलों में आतंकी कनेक्शन भी सामने आए थे. ऐसे में केंद्रीय एजेंसियों से लेकर लोकल पुलिस तक इस मामले को हल्के में नहीं ले रही. इस बार आशंका यही जताई जा रही है कि इस साजिश के पीछे किसी आतंकी गिरोह के स्लीपर सेल का हाथ हो सकता है.

चूंकि यह पूरा मामला सेना से जुड़ा है, इसलिए मामले की जांच में पूरी गोपनीयता बरती जा रही है. यहां तक कि जांच से जुड़े अधिकारी भी किसी तरह का अपडेट मीडिया के सामने शेयर करने से परहेज कर रहे हैं. हालांकि रेलवे के अधिकारियों ने बताया कि ट्रैक पर 10 डेटोनेटर लगाए गए थे. रेलवे के अधिकारियों के मुताबिक यह हादसा 18 सितंबर को जम्मू कश्मीर से कर्नाटक जा रही आर्मी की स्पेशल ट्रेन के साथ हुआ. उस समय यह ट्रेन दोपहर 1:48 बजे सागफाटा रेलवे स्टेशन से निकली ही थी कि धमाके शुरू हो गए.

लोको पायलट ने तत्काल इमरजेंसी ब्रेक लगाकर ट्रेन रोक लिया और स्टेशन मास्टर को मामले की जानकारी दी. चूंकि यह वारदात सेना की ट्रेन के साथ हुआ, इसलिए रेलवे के अधिकारियों ने तत्काल केंद्रीय जांच एजेंसियों को भी सूचित कर दिया. इसके बाद शनिवार की दोपहर पुलिस विभाग की स्पेशल शाखा डीएसपी, नेपानगर एसडीओपी थाना प्रभारी समेत रेलवे के अधिकारियों ने घटनास्थल का मुआयना किया. वहीं शनिवार को ही देर शाम NIA, ATS सहित अन्य खुफिया की एजेंसियों ने भी मौके पर पहुंच कर जांच को अपने हाथ में ले लिया है.

पथराव भी हिन्दुओं पर और कार्रवाई भी हिन्दुओं पर? सिद्धारमैया सरकार पर भड़की भाजपा

कर्नाटक में गणपति विसर्जन के दौरान मांड्या जिले के नागमंगला में एक जुलूस पर हमले को लेकर केंद्रीय राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे ने मांग की है कि इस घटना की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) द्वारा की जाए। 11 सितंबर को गणपति विसर्जन के दौरान जुलूस पर मस्जिद के सामने पथराव किया गया, जिससे इलाके में तनाव फैल गया। गुरुवार को मीडिया से बातचीत करते हुए, शोभा करंदलाजे ने कांग्रेस सरकार पर हिंदुओं के खिलाफ कार्रवाई करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि यह घटना भगवान गणेश और हिंदुओं का अपमान है और यह कोई छोटी घटना नहीं है। करंदलाजे ने कहा, "जब भी कर्नाटक में सिद्धारमैया की सरकार होती है, हिंदुओं के खिलाफ कार्रवाई होती है। मांड्या में जो हुआ, वह भगवान गणेश और हिंदुओं का अपमान है। सरकार कहती है कि यह एक छोटी घटना थी, लेकिन अगर हिंदुओं की 25 दुकानों को जलाना छोटी घटना है, तो बड़ी घटना क्या होनी चाहिए?" उन्होंने सिद्धारमैया पर हिंदुओं के खिलाफ होने और अल्पसंख्यकों के तुष्टिकरण का आरोप लगाया, और दोषियों की गिरफ्तारी और एनआईए से जांच की मांग की। हालाँकि, कांग्रेस सरकार के अधीन काम करने वाली पुलिस ने अलग ही कहानी बताई है। मांड्या के पुलिस अधिकारी मल्लिकार्जुन बालादंडी ने बताया कि यह घटना तब हुई जब गणपति विसर्जन जुलूस उस जगह पर रुकी और लोग कुछ समय के लिए दरगाह के सामने नाचने लगे। इसके बाद मुस्लिम समूह ने जुलूस को वहां से जाने के लिए कहा, जिससे दोनों गुटों के बीच विवाद हो गया। पुलिस ने स्थिति को शांत करने की कोशिश की और जुलूस को जारी रखने की अनुमति दी। जुलूस में शामिल लोगों ने बाद में नागमंगला थाने के सामने विरोध प्रदर्शन किया और पुलिस पर आरोप लगाया कि उन्हें जुलूस जारी रखने की अनुमति नहीं दी गई। एसपी बालादंडी ने पुष्टि की कि पुलिस ने लोगों को समझाया और जुलूस को जारी रखने की अनुमति दी।
NIA चार्जशीट में खुलासा:_रामेश्वरम कैफे ब्लास्ट के पीछे ISIS आतंकियों का हाथ,


नई दिल्ली:- राष्ट्रीय जांच एजेंसी, NIA ने सोमवार को हाई-प्रोफाइल बेंगलुरु रामेश्वरम कैफे विस्फोट मामले में चार्जशीट दाखिल कर दी। इसमें एजेंसी ने चार लोगों को आरोपी बनाया है।

एनआईए ने मुसाविर हुसैन शाजिब, अब्दुल मथीन अहमद ताहा, माज मुनीर अहमद और मुजम्मिल शरीफ के रूप में पहचाने गए आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता, गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत आरोप पत्र दायर किया गया है।

चारों को पहले गिरफ्तार किया गया था और वर्तमान में मामले में न्यायिक हिरासत में हैं।

NIA की अबूझमाड़ के घोर नक्सल प्रभावित इलाकों में छापेमारी, नक्सलियों के शहरी नेटवर्क से जुड़े 4 लोगों को किया गिरफ्तार

नारायणपुर-  माओवादियों द्वारा 20 मार्च 2023 को मार्ग अवरुद्ध करने मामले में NIA की टीम ने अबूझमाड़ के घोर नक्सल प्रभावित इलाकों में की छापेमारी की. तलाशी के दौरान नक्सलियों के शहरी नेटवर्क से जुड़े 4 माओवादी की गिरफ्तारी हुई, जो संगठन को रसद सप्लाई के साथ अन्य काम करते थे. इनके साथ 35 माओवादियों के नाम सामने आए, जिनसे पूछताछ जारी है. जांच में ओरछा में लम्बे समय से धरने पर बैठे माड़ बचाओ मंच के नेता लखमा कोर्राम के माओवादी होने का आरोप लगाया गया है. 

एनआईए की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया कि मंगलवार को मार्च 2023 के सड़क नाकाबंदी मामले के लिए जिम्मेदार सीपीआई (माओवादी) कैडरों और समर्थकों की तलाश में नारायणपुर जिले में कई स्थानों पर तलाशी ली. घटना से संबंधित मामले में कुल 35 आरोपियों को नामित किया गया है, जिसमें प्रतिबंधित संगठन के कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने इंडिया गेट रायनार के पास नारायणपुर-ओरछा मुख्य सड़क को विभिन्न हिस्सों को खोदकर, पेड़ों को काटकर और कई स्थानों पर बड़ी-बड़ी चट्टानों को छोटे-छोटे टुकड़े करके अवरुद्ध कर दिया था, नाकाबंदी का उद्देश्य पुलिस दलों को मारना और उनके हथियार लूटना था.

मामले में एनआईए की जांच के दौरान कुछ सीपीआई (माओवादी) समर्थकों/ओजीडब्ल्यू के नाम सामने आए थे. उन पर सीपीआई (माओवादी) के अग्रणी संगठन, माड़ बचाओ मंच के सदस्य होने का संदेह है, ऐसा माना जाता है कि उन्होंने अपराध को अंजाम देने में सीपीआई (माओवादी) की सहायता की थी. ओरछा में माड़ बचाओ मंच का नेता लखमा राम उर्फ लखमा कोर्रम इस मामले में आरोपपत्रित माओवादी है.

जांच से पता चला है कि माड बचाओ मंच मुठभेड़ों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन आयोजित करता है, और उन्हें सहायता प्रदान करने के अलावा, प्रतिबंधित संगठन के लिए नए शिविर स्थापित करने में मदद करता है. वे सीपीआई (माओवादी) विचारधारा के प्रचार-प्रसार के लिए “माड़ बचाओ मंच” के बैनर तले विभिन्न बैठकें भी आयोजित करते हैं. फ्रंटल संगठन के सदस्य माओवादी कैडरों तक आवश्यक सामग्री आदि पहुंचाने का भी काम करते हैं.

मंगलवार को की गई तलाशी में फ्रंटल संगठन के चार संदिग्ध सदस्यों को निशाना बनाया गया और एनआईए की टीमों ने नारायणपुर जिले के कस्तूरमेटा, मदाली और मल्कल गांव के माओवाद प्रभावित संवेदनशील इलाकों में उनके परिसरों की तलाशी ली, जो सीपीआई (माओवादी) के माड डिवीजन के अंतर्गत आता है. मामले में आगे की जांच जारी है.

जानिए सरकारी नौकरियों में टैटू क्यों बढ़ाता है रिजेक्शन, कौन-कौन सी नौकरियों में टैटू के कारण नहीं मिलती नौकरी

डेस्क :– शरीर पर बना टैटू भी सरकारी नौकरी मिलने में मुश्किल खड़ी कर सकता है।हाल में एक ऐसा ही मामला चर्चा में आया  उत्तर प्रदेश के बागपत के 20 वर्षीय दीपक यादव को टैटू के कारण दिल्ली पुलिस भर्ती में रिजेक्ट कर दिया गया। दीपक ने इसके लिए बकायदा कानूनी लड़ाई लड़ी ।अब दिल्ली हाई कोर्ट ने इस पर फैसला सुनाया है। फैसले में कहा गया है कि हल्के पड़ चुके टैटू के निशान के आधार पर उम्मीदवार को सरकारी नौकरी से रिजेक्ट नहीं किया जा सकता।

टैटू क्यों बढ़ाता है रिजेक्शन?

टैटू बनवाया है तो कोई भी सरकारी नौकरी के लिए रिजेक्ट कर दिया जाएगा, यह पूरी तरह से सच नहीं है। कुछ ऐसी जॉब प्रोफाइल हैं जहां पर टैटू को लेकर सख्ती है और कुछ में पाबंदियां हैं। टैटू के नाम पर उम्मीदवारों को रिजेक्ट क्यों कर दिया जाता है, अब इसे समझ लेते हैं।इसकी कई वजह बताई गई हैं।

माना जाता है कि टैटू कई तरह के रोगों जैसे एचआईवी, स्किन डिजीज, हेपेटाइटिस ए और बी को बढ़ावा दे सकता है। टैटू बनवाने वाले लोग अपने काम को गंभीरता से नहीं करते। सबसे बड़ा कारण यह बताया जाता है कि ऐसा नौकरियों में समानता दिखाने के लिए किया जाता है। वहीं, सेना में ऐसे उम्मीदवारों की भर्ती नहीं की जाती है जिनकी बॉडी पर बड़े टैटू होते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि टैटू बनवाने से उस शख्स की पहचान आसानी से हो जाती है और सेना में सुरक्षा के लिहाज से ऐसा ठीक नहीं होता। टैटू को लेकर क्या हैं नियम?

टैटू को लेकर कई बार मामले कोर्ट तक पहुंच चुके हैं। इसको लेकर फैसले भी आए। भारत सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक, जनजाति के प्रचलित रीति-रिवाजों और परंपराओं से जुड़े शख्स के शरीर में किसी भी हिस्से पर स्थायी टैटू पहनने की अनुमति है। हालांकि, अन्य लोगों के लिए केवल छोटे, सुरक्षित टैटू की अनुमति है। इसमें धार्मिक प्रतीक या किसी अपने प्रियजन का नाम नहीं होना चाहिए।

टैटू के ज्यादातर मामले सेना से जुड़ी भर्ती के रहे हैं, जहां इसको लेकर गाइडलाइन सख्ती से लागू की जाती है। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, भारतीय नौसेना, तटरक्षा और पुलिस विभाग में शामिल होने शख्स के शरीर के किसी बाहरी हिस्से में, कोहनी से कहलाई तक या हथेली के पिछले हिस्से में टैटू की अनुमति नहीं है। शरीर के अंदरूनी हिस्से में छोटे टैटू की अनुमति है। टैटू अभद्र, लैंगिकवादी या नस्लवादी नहीं होने चाहिए। आमतौर पर अगर टैटू आपत्तिजनक नहीं है तो भर्ती के कैंडिडेट को अयोग्य नहीं घोषित किया जा सकता। टैटू के मामले जो कोर्ट तक पहुंचे

बागपत के दीपक ने साल 2023 में कर्मचारी चयन आयोग का विज्ञापन देखा, जिसमें दिल्ली पुलिस कॉन्सटेबल भर्ती का जिक्र था। उन्होंने आवेदन किया। दिसम्बर 2023 में लिखित परीक्षा पास की. मेडिकल परीक्षा में फिटनेस टेस्ट के लिए दीपक के दाहिने हाथ पर बने मां के टैटू को मिटवाने की कोशिश की थी। फिटनेस टेस्ट में वो सफल रहे, लेकिन मिटाए हुए टैटू के कारण उन्हें अनफिट बता दिया गया। फिर मामला कोर्ट पहुंचा और दिल्ली हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया।

अब दिल्ली हाई कोर्ट ने इस पर फैसला सुनाया है।फैसले में कहा गया है कि हल्के पड़ चुके टैटू के निशान के आधार पर उम्मीदवार को सरकारी नौकरी से रिजेक्ट नहीं किया जा सकता।

ऐसा ही एक मामला दो साल पहले आया था। एक शख्स ने अपने दाहिने हाथ के पिछले हिस्से में धार्मिक टैटू बनवाया था। उसने CRPF, NIA समेत अन्य बलों में भर्ती के लिए परीक्षा दी तो उसे रिजेक्ट कर दिया गया।इसके बाद मामला दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचा।

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