Sambhal

Jun 22 2024, 12:51

*संभल के सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क का बड़ा बयान, बोले-इतिहास मिटाने की हो रही कोशिश*

सम्भल महबूब अली

संभल के सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने NCERT की किताबों से बाबरी मस्जिद शब्द हटाने को अफसोसजनक बताया। उन्होंने कहा कि. सरकार को इस तरह से नहीं करना चाहिए। इतिहास को खत्म नहीं करना चाहिए, इतिहास को खत्म करने की कोशिश हो रही। जबकि बच्चों को हर चीज की जानकारी होनी चाहिए।

वहीं, अलीगढ़ में फरीद के हत्यारों के मददगारों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि सरकार को सख्त से सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। जो लोग गुनहगारों का सपोर्ट करें उनके खिलाफ भी कार्रवाई करनी चाहिए। अलीगढ़ की घटना शर्मनाक है।

सपा सांसद ने आगे कहा कि सांप्रदायिक नीतियों की वजह से बनी बीजेपी की सरकार बैसाखियों की सरकार है।

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Jun 18 2024, 15:28

एनसीईआरटी ने 12वीं की किताबों से हटाया 'आजाद पाक', चीनी घुसपैठ शब्द जोड़ा, जानें और क्या हुए बदलाव

#ncert_class_12_book_remove_azad_pakistan_add_china_aggression

राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) की ओर से 12वीं कक्षा की नई राजनीति विज्ञान की पाठ्यपुस्तक में कई बदलाव किए हैं।एनसीईआरटी की कक्षा 12वीं की राजनीतिक विज्ञान की किताबों में कई चीजों को हटाया और जोड़ा गया है।इन किताबों में आजाद पाकिस्तान से लेकर चीन की घुसपैठ और पीओके जैसे शब्दों को लेकर बदलाव हुए हैं।

12वीं कक्षा की राजनीति विज्ञान की पाठ्यपुस्तक में चीन के साथ भारत की सीमा स्थिति का संदर्भ बदल दिया गया है। समकालीन विश्व राजनीति पुस्तक में अध्याय 2 के भाग के रूप में, भारत-चीन संबंध शीर्षक वाले पैराग्राफ के तहत, मौजूदा कथन को बदल दिया गया है।इससे पहले, पाठ्यपुस्तक के पृष्ठ 25 पर मौजूदा वाक्य पढ़ा गया था – “हालांकि, दोनों देशों के बीच सीमा विवाद पर सैन्य संघर्ष ने उस आशा को धूमिल कर दिया।” इस वाक्य को अब बदलकर “हालांकि, भारतीय सीमा पर चीनी आक्रामकता ने उस आशा को धूमिल कर दिया है” कर दिया गया है।

सिर्फ भारत-चीन संबंध ही नहीं, बल्कि पाठ्यपुस्तक ‘स्वतंत्रता के बाद से भारत में राजनीति – कक्षा 12’ में, “आजाद पाकिस्तान” शब्द को “पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू और कश्मीर” में बदल दिया गया है।पाठ्यपुस्तक के मौजूदा संस्करण के पृष्ठ 119 पर लिखा है, “भारत का दावा है कि यह क्षेत्र अवैध कब्जे में है। पाकिस्तान इस क्षेत्र को ‘आजाद पाकिस्तान’ के रूप में वर्णित करता है।”अब, संस्करण को बदल दिया गया है – “हालांकि, यह भारतीय क्षेत्र है जो पाकिस्तान के अवैध कब्जे में है जिसे पाकिस्तान अधिकृत जम्मू और कश्मीर (पीओजेके) कहा जाता है।”

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Jun 18 2024, 15:25

*एनसीईआरटी ने 12वीं कि किताबों से हटाया 'आजाद पाक', चीनी घुसपैठ शब्द जोड़ा, जानें और क्या हुए बदलाव*
#ncert_class_12_book_remove_azad_pakistan_add_china_aggression
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) की ओर से 12वीं कक्षा की नई राजनीति विज्ञान की पाठ्यपुस्तक में कई बदलाव किए हैं।एनसीईआरटी की कक्षा 12वीं की राजनीतिक विज्ञान की किताबों में कई चीजों को हटाया और जोड़ा गया है।इन किताबों में आजाद पाकिस्तान से लेकर चीन की घुसपैठ और पीओके जैसे शब्दों को लेकर बदलाव हुए हैं। 12वीं कक्षा की राजनीति विज्ञान की पाठ्यपुस्तक में चीन के साथ भारत की सीमा स्थिति का संदर्भ बदल दिया गया है। समकालीन विश्व राजनीति पुस्तक में अध्याय 2 के भाग के रूप में, भारत-चीन संबंध शीर्षक वाले पैराग्राफ के तहत, मौजूदा कथन को बदल दिया गया है।इससे पहले, पाठ्यपुस्तक के पृष्ठ 25 पर मौजूदा वाक्य पढ़ा गया था – “हालांकि, दोनों देशों के बीच सीमा विवाद पर सैन्य संघर्ष ने उस आशा को धूमिल कर दिया।” इस वाक्य को अब बदलकर “हालांकि, भारतीय सीमा पर चीनी आक्रामकता ने उस आशा को धूमिल कर दिया है” कर दिया गया है। सिर्फ भारत-चीन संबंध ही नहीं, बल्कि पाठ्यपुस्तक ‘स्वतंत्रता के बाद से भारत में राजनीति – कक्षा 12’ में, “आजाद पाकिस्तान” शब्द को “पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू और कश्मीर” में बदल दिया गया है।पाठ्यपुस्तक के मौजूदा संस्करण के पृष्ठ 119 पर लिखा है, “भारत का दावा है कि यह क्षेत्र अवैध कब्जे में है। पाकिस्तान इस क्षेत्र को ‘आजाद पाकिस्तान’ के रूप में वर्णित करता है।”अब, संस्करण को बदल दिया गया है – “हालांकि, यह भारतीय क्षेत्र है जो पाकिस्तान के अवैध कब्जे में है जिसे पाकिस्तान अधिकृत जम्मू और कश्मीर (पीओजेके) कहा जाता है।”

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Jun 17 2024, 12:24

स्कूली पाठ्यक्रम के भगवाकरण के आरोपों को एनसीईआरटी के डायरेक्टर ने किया खारिज, बोले-दंगों के बारे में पढ़ाना जरूरी नहीं

#ncert_director_say_on_saffronisation_of_ncert_syllabus_books 

स्कूली पाठ्यक्रम के भगवाकरण के आरोपों को एनसीईआरटी के डायरेक्टर दिनेश प्रसाद सकलानी ने खारिज कर दिया है।उन्होंने कहा कि स्कूली बच्चों को इतिहास में हुई हिंसा के बारे में पढ़ाया जाना जरूरी नहीं है, इसलिए कई पाठों में बदलाव किए गए हैं।उनका कहना है कि स्कूली पाठ्यपुस्तकों में गुजरात दंगों और बाबरी मस्जिद गिराए जाने के संदर्भों को इसलिए संशोधित किया गया, क्योंकि दंगों के बारे में पढ़ाना 'हिंसक और अवसादग्रस्त नागरिक पैदा कर सकता है।

एनसीईआरटी के निदेशक दिनेश प्रसाद सकलानी ने शनिवार को कहा कि पाठ्यपुस्तकों में बदलाव वार्षिक संशोधन का हिस्सा है और इसे शोर-शराबे का विषय नहीं बनाया जाना चाहिए। एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों में गुजरात दंगों या बाबरी मस्जिद गिराए जाने के संदर्भ में बदलाव के बारे में पूछे जाने पर सकलानी ने कहा, 'हमें स्कूली पाठ्यपुस्तकों में दंगों के बारे में क्यों पढ़ाना चाहिए? हम सकारात्मक नागरिक बनाना चाहते हैं, न कि हिंसक और अवसादग्रस्त व्यक्ति।उन्होंने कहा कि स्कूली बच्चों को इतिहास में हुई हिंसक और बर्बरतापूर्ण घटनाओं के बारे में पढ़ाना जरूरी नहीं है, इसलिए साक्ष्यों और तथ्यों के आधार पर कई अहम बदलाव किए गए हैं।

एनसीईआरटी निदेशक दिनेश सकलानी ने कहा, अगर कोई चीज अप्रासंगिक हो जाती है, तो उसे बदलना ही होगा। स्कूलों में इतिहास तथ्यों से अवगत कराने के लिए पढ़ाया जाता है, न कि इसे युद्ध का मैदान बनाने के लिए। ऐसे में बदलावों पर सवाल या विवाद खड़ा करना ठीक नहीं है। साल 2002 में हुए गुजरात दंगों से जुड़े किताब के अंशों में बदलाव पर उन्होंने साफ किया, घृणा, हिंसा स्कूल में पढ़ाने का विषय नहीं है। एनसीईआरटी जैसी शोध आधारित पाठ्यपुस्तकों का इन मुद्दों पर फोकस नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा, एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों में संशोधन विषय विशेषज्ञों द्वारा किया जाता है। बदलावों में एनसीईआरटी निदेशक के रूप में अपनी भूमिका को लेकर दिनेश सकलानी ने कहा, मैं प्रक्रिया को निर्देशित या हस्तक्षेप नहीं करता।

सकलानी की टिप्पणियाँ ऐसे समय आई हैं, जब नयी पाठ्यपुस्तकें कई संदर्भ हटाए जाने और बदलावों के साथ बाजार में आई हैं। कक्षा 12 की राजनीति विज्ञान की संशोधित पाठ्यपुस्तक में बाबरी मस्जिद का उल्लेख नहीं है, लेकिन इसे ‘तीन गुंबद वाली संरचना’ के रूप में संदर्भित किया गया है। इसमें अयोध्या खंड को चार से घटाकर दो पृष्ठ का कर दिया गया है और पिछले संस्करण से विवरण हटा दिया गया है।यह इसके बजाय उच्चतम न्यायालय के फैसले पर केंद्रित नजर आता है, जिसने उस स्थान पर राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया, जहां दिसंबर 1992 में कारसेवकों द्वारा गिराए जाने से पहले विवादित ढांचा खड़ा था। शीर्ष अदालत के फैसले को देश में व्यापक रूप से स्वीकार किया गया था। न्यायालय के फैसले को देश में व्यापक तौर पर स्वीकार किया गया। मंदिर में राम मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा इसी वर्ष 22 जनवरी को प्रधानमंत्री द्वारा की गई थी।

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Jun 16 2024, 21:30

NCERT की किताबों में बड़ा बदलाव, बाबरी मस्जिद का जिक्र नहीं, अयोध्या विवाद भी 2 पेज में सिमटा, निदेशक ने कही ये बात

डेस्क: एनसीईआरटी (NCERT) की नई रिवाइज्ड किताबें बाजार में आ चुकी हैं। इसमें कई तरह का बदलाव किया गया है। किताबों में अयोध्या विवाद, बाबरी मस्जिद और गुजरात दंगों के संदर्भ में बदलाव किए गए हैं। कक्षा 12 की राजनीति विज्ञान की संशोधित किताब में बाबरी मस्जिद का जिक्र नहीं है। बाबरी मस्जिद की जगह 'तीन गुंबद वाली संरचना' का जिक्र किया गया है। वहीं अयोध्या विवाद के टॉपिक को 4 पेज की जगह 2 पेज का कर दिया गया है। गुजरात दंगों से संबंधित संदर्भों को भी हटाया गया है और किताब में कई महत्वपूर्ण ऐतिहासिक विवरण हटा दिए गए हैं।

क्या-क्या बदला या हटाया गया?

बाबरी मस्जिद की जगह तीन गुंबद वाली संरचना का जिक्र किया गया है।

अयोध्या विवाद से जुड़े टापिक्स 4 पेज की जगह 2 पेज में समेट दिए गए हैं।

बीजेपी की रथ यात्रा: सोमनाथ से अयोध्या तक की यात्रा का जिक्र नहीं है।

कार सेवक: 1992 की घटनाओं में स्वयंसेवकों की भूमिका हटा दी गई है।

सांप्रदायिक हिंसा: 6 दिसंबर 1992 को विध्वंस के बाद हुई हिंसा के संदर्भ हटा दिए गए हैं।

राष्ट्रपति शासन: भाजपा शासित राज्यों में राष्ट्रपति शासन लगाने को बाहर रखा गया है।

बीजेपी का अफसोस: अयोध्या की घटनाओं पर बीजेपी के अफसोस वाले बयानों को हटा दिया गया है।

गुजरात दंगों से संबंधित संदर्भों को हटाया गया है।

हुमायूं, शाहजहां, अकबर, जहांगीर और औरंगजेब जैसे मुगल सम्राटों की उपलब्धियों का विवरण देने वाली दो पेज की तालिका भी हटा दी गई है।

NCERT के निदेशक दिनेश प्रसाद सकलानी क्या बोले?

NCERT के निदेशक दिनेश प्रसाद सकलानी ने न्यूज एजेंसी PTI से किताबों में हुए बदलाव को लेकर बात की। सकलानी ने स्कूली सिलेबस के भगवाकरण के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि गुजरात दंगों और बाबरी मस्जिद विध्वंस के संदर्भों को स्कूल की किताबों में संशोधित किया गया क्योंकि दंगों के बारे में पढ़ाना हिंसक और निराश नागरिकों को पैदा कर सकता है। पाठ्यक्रम का भगवाकरण करने का कोई प्रयास नहीं किया गया है, सब कुछ तथ्यों और सबूतों पर आधारित है।

सकलानी ने कहा कि किताबों में बदलाव सालाना संशोधन का हिस्सा हैं और इसे शोर-शराबे का विषय नहीं बनाया जाना चाहिए। एनसीईआरटी की किताबों में गुजरात दंगों या बाबरी मस्जिद विध्वंस के संदर्भ में बदलाव के बारे में पूछे जाने पर सकलानी ने कहा, 'हमें स्कूली किताबों में दंगों के बारे में क्यों पढ़ाना चाहिए? हम सकारात्मक नागरिक बनाना चाहते हैं, न कि हिंसक और अवसादग्रस्त व्यक्ति।'

उन्होंने कहा, 'क्या हमें अपने छात्रों को इस तरह से पढ़ाना चाहिए कि वे आक्रामक हो जाएं, समाज में नफरत पैदा करें या नफरत का शिकार बनें? क्या यह शिक्षा का उद्देश्य है? क्या हमें ऐसे छोटे बच्चों को दंगों के बारे में पढ़ाना चाहिए। जब वे बड़े होंगे, तो वे इसके बारे में सीख सकेंगे यह लेकिन स्कूल की किताबों में क्यों? उन्हें बड़े होने पर यह समझने दें कि क्या हुआ और क्यों हुआ, बदलावों के बारे में हंगामा अप्रासंगिक है।'

WestBengalBangla

Apr 06 2024, 12:42

এনসিইআরটির দ্বাদশ শ্রেণির পাঠ্যক্রমে পরিবর্তন, বাদ পড়ল বাবরি ধ্বংস এবং গুজরাট দাঙ্গার তথ্য

এসবি নিউজ ব্যুরো: বাবরি মসজিদ, হিন্দুত্বের রাজনীতি, ২০০২ সালের গুজরাট দাঙ্গা এবং সংখ্যালঘুদের রেফারেন্স বাদ পড়ল দ্বাদশ শ্রেণির রষ্ট্রবিজ্ঞান বা পলিটিকাল সায়েন্সের পাঠ্যপুস্তক থেকে। ন্যাশনাল কাউন্সিল ফর এডুকেশনাল রিসার্চ অ্যান্ড ট্রেনিং বা এনসিইআরটি সম্প্রতি এই সিদ্ধান্ত নিয়েছে।এই পাঠ্যক্রমে 2024-25 শিক্ষাবর্ষ থেকে কার্যকর করা হবে।দেওয়া হবে. গত কয়েক বছরে কয়েকটি ঘটনা।  এনসিইআরটি বৃহস্পতিবার তাদের ওয়েবসাইটে এই পরিবর্তনগুলি প্রকাশ করেছে।

*গুজরাট দাঙ্গার রেফারেন্স মুছে ফেলা হয়েছে*
এই পরিবর্তনের জন্য NCERT যুক্তি , যে অধ্যায়ে নতুন পরিবর্তনের সাথে তাল মিলিয়ে প্রশ্নগুলি পরিবর্তন করা হয়েছে। একাদশ শ্রেণির রাষ্ট্রবিজ্ঞান বইয়ের গণতান্ত্রিক রাজনীতি-১ এর অধ্যায় ৫ থেকে গুজরাট দাঙ্গা উল্লেখ মুছে ফেলা হয়েছে।বর্তমান বইটির 86 পৃষ্ঠায় লেখা আছে, আপনি কি এই পৃষ্ঠার নিউজ কোলাজে জাতীয় মানবাধিকার কমিশনের (NHRC) উল্লেখ দেখতে পাচ্ছেন? এই উল্লেখগুলি মানবাধিকারের ক্রমবর্ধমান সচেতনতা এবং মানুষের মর্যাদার জন্য সংগ্রামকে প্রতিফলিত করে। গুজরাট দাঙ্গার মতো বিভিন্ন ক্ষেত্রে মানবাধিকার লঙ্ঘনের অনেক ঘটনা সারা ভারত থেকে নজরে আনা হচ্ছে।' নতুন বইতে লেখা থাকবে ৮৬ পৃষ্ঠায়,ভারত জুড়ে বিভিন্ন সেক্টরে মানবাধিকার লঙ্ঘনের অনেক ঘটনা জনসাধারণের নজরে আনা হচ্ছে। আরেকটি বড় পরিবর্তনে, গোধরা-পরবর্তী দাঙ্গায় নিহত মুসলমানদের রেফারেন্স একাদশ শ্রেণির রাষ্ট্রবিজ্ঞানের বই 'রাজনৈতিক তত্ত্ব'-এর 112 পৃষ্ঠায় ধর্মনিরপেক্ষতার বিষয় থেকে সরিয়ে দেওয়া হয়েছে। বর্তমান সংস্করণটি পড়ে,2002 সালে গুজরাটে গোধরা-পরবর্তী দাঙ্গায় 1,000 জনেরও বেশি মানুষ নিহত হয়েছিল।দেওয়া হয়েছিল, যাদের অধিকাংশই ছিল মুসলমান। নতুন বইয়ে লেখা হবে, গুজরাটে গোধরা-পরবর্তী দাঙ্গায় এক হাজারের বেশি মানুষ নিহত হয়েছিল।

*শিশুরা পড়বে না অযোধ্যা ধ্বংসের উত্তরাধিকার*
দ্বাদশ শ্রেণীর রাষ্ট্রবিজ্ঞান বইয়ের অধ্যায় 8 'ভারতীয় রাজনীতিতে সাম্প্রতিক উন্নয়ন' এর 136 পৃষ্ঠায় পরিবর্তন করা হয়েছে। বর্তমান সংস্করণটি পড়ে,রামজন্মভূমি আন্দোলন এবং অযোধ্যা ধ্বংসের জন্য রাজনৈতিক সংহতির প্রকৃতিউত্তরাধিকার কি? নতুন বইয়ে লেখা হবে, রাম জন্মভূমি আন্দোলনের উত্তরাধিকার কি?

*বাবরি মসজিদ এবং হিন্দুত্ববাদী রাজনীতির উল্লেখও মুছে ফেলা হয়েছে*
বাবরি মসজিদ এবং হিন্দুত্ববাদী রাজনীতির উল্লেখও এই অধ্যায় থেকে বাদ দেওয়া হয়েছে। প্রথম অনুচ্ছেদে লেখা ছিল ,"ঘটনার একটি সিরিজের ফলে, অযোধ্যায় বিতর্কিত কাঠামো (বাবরি মসজিদ নামে পরিচিত) 1992 সালের ডিসেম্বরে ভেঙে ফেলা হয়েছিল। এই ঘটনাটি দেশের একটি প্রধান রাজনৈতিক ঘটনা হয়ে ওঠে।"

এটি ভারতে অনেক পরিবর্তনের সূচনা করে এবং ভারতীয় জাতীয়তাবাদ ও ধর্মনিরপেক্ষতার প্রকৃতি সম্পর্কে বিতর্ককে তীব্র করে তোলে। এর মাধ্যমে দেশে বিজেপির উত্থান ঘটে এবং 'হিন্দুত্ব'-এর রাজনীতি তীব্র হয়।" এখন এই অনুচ্ছেদ পরিবর্তন করা হয়েছে. নতুন অনুচ্ছেদটি এরকম,"অযোধ্যার রাম জন্মভূমি মন্দির নিয়ে বহু পুরনো আইনি ও রাজনৈতিক বিরোধ ভারতের রাজনীতিকে প্রভাবিত করতে শুরু করেছে যার ফলে অনেক রাজনৈতিকপরিবর্তনের জন্ম দিয়েছে।

ধর্মনিরপেক্ষতা এবং গণতন্ত্রের আলোচনার দিক পরিবর্তন করে রাম জন্মভূমি মন্দির আন্দোলন কেন্দ্রীয় ইস্যুতে পরিণত হয়েছিল। সুপ্রিম কোর্টের সাংবিধানিক বেঞ্চের সিদ্ধান্তের পরে (9 নভেম্বর, 2019-এ ঘোষণা করা হয়েছিল), এই পরিবর্তনগুলির ফলাফল ছিল অযোধ্যায় রাম মন্দির নির্মাণ।"

*এখন দ্বাদশ শ্রেণীর ছাত্ররাও এটা পড়বে না*
অধ্যায় 5 'অনডারস্ট্যান্ডিং মার্জিনালাইজেশন' মুসলিমদের উন্নয়নের সুবিধা তুলে ধরে।বঞ্চনার রেফারেন্স মুছে ফেলা হয়েছে। এখন পর্যন্ত অনুচ্ছেদে লেখা ছিল ।2011 সালের আদমশুমারি অনুসারে, মুসলমানরা ভারতের জনসংখ্যার 14.2% গঠন করে এবং আজ তারা ভারতের অন্যান্য সম্প্রদায়ের তুলনায় একটি প্রান্তিক সম্প্রদায় হিসাবে বিবেচিত হয়। এখন লেখা আছে ,2011 সালের আদমশুমারি অনুসারে, মুসলমানরা ভারতের জনসংখ্যার 14.2%। তারা আর্থ-সামাজিক উন্নয়নে তুলনামূলকভাবে দুর্বল এবং তাই তাদেরকে প্রান্তিক জনগোষ্ঠী হিসেবে বিবেচনা করা হয়।

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Apr 05 2024, 16:46

*एनसीईआरटी ने 12वीं के सिलेबस में किया बदलाव, बच्चे अब नहीं पढ़ेंगे बाबरी विध्वंस और गुजरात दंगों के बारे में*
#ncert_political_science_book_change_babri_masjid_gujarat_riots_politics_of_hindutva_topics
नेशनल काउंसिल फॉर एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) ने 12वीं क्लास की राजनीतिक विज्ञान की किताब में ढेरों बदलाव किए हैं। किताब से बाबरी मस्जिद, हिंदुत्व की राजनीति, 2002 के गुजरात दंगों और अल्पसंख्यकों के जुड़े कुछ संदर्भ हटा दिए गए हैं। इस किताब को एकेडमिक सेशन 2024-25 से लागू कर दिया जाएगा। बीते कुछ सालों में एनसीईआरटी ने सिलेबस में कई ऐसे बदलाव किए है। इन बदलावों को एनसीईआरटी ने गुरुवार को अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक किया। *गुजरात दंगों का जिक्र हटा दिया गया* NCERT ने इस बदलाव के लिए तर्क दिया है कि चैप्टर में नए बदलावों के साथ समन्वय बिठाने के लिए प्रश्नों को बदला गया है। कक्षा 11 की पॉलिटिकल साइंस की किताब में डेमोक्रेटिक पॉलिटिक्स-I के चैप्‍टर 5 में से गुजरात दंगों का जिक्र हटा दिया गया है। मौजूदा किताब में पेज 86 पर लिखा है; क्या आपको इस पेज पर समाचार कोलाज में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) का संदर्भ दिखाई देता है? ये संदर्भ मानव अधिकारों के प्रति बढ़ती जागरूकता और मानवीय गरिमा के लिए संघर्ष को दर्शाते हैं। विभिन्न क्षेत्रों में मानवाधिकार उल्लंघन के कई मामले, जैसे गुजरात दंगे, पूरे भारत से नोटिस में लाए जा रहे हैं।' नई किताब में पेज 86 पर लिखा होगा; भारत भर से विभिन्न क्षेत्रों में मानवाधिकार उल्लंघन के कई मामले सार्वजनिक नोटिस में लाए जा रहे हैं। एक और बड़े बदलाव में, कक्षा 11 की पॉलिटिकल साइंस की किताब 'पॉलिटिकल थ्योरी' के पेज 112 पर धर्मनिरपेक्षता के टॉपिक में गोधरा के बाद के दंगों में मारे गए मुसलमानों का संदर्भ हटा दिया है। मौजूदा संस्करण में लिखा है; 2002 में गुजरात में गोधरा के बाद हुए दंगों के दौरान 1,000 से अधिक लोगों की हत्या कर दी गई थी, जिनमें ज्यादातर मुस्लिम थे। नई किताब में लिखा होगा; गुजरात में गोधरा के बाद हुए दंगों के दौरान 1,000 से अधिक लोग मारे गए थे। *बच्चे नहीं पढ़ेंगे अयोध्या विध्वंस की विरासत* कक्षा 12 की पॉलिटिकल साइंस की किताब के चैप्‍टर 8 'भारतीय राजनीति में हालिया विकास' के पेज 136 पर बदलाव किए गए हैं।मौजूदा संस्करण में लिखा है; राजनीतिक लामबंदी की प्रकृति के लिए राम जन्मभूमि आंदोलन और अयोध्या विध्वंस की विरासत क्या है? नई किताब में लिखा होगा; राम जन्मभूमि आंदोलन की विरासत क्या है? *बाबरी मस्जिद और हिंदुत्व की राजनीति का जिक्र भी हटा* इसी चैप्टर से बाबरी मस्जिद और हिंदुत्व की राजनीति का जिक्र भी हटा दिया गया है। पहले पैराग्राफ़ में लिखा था- "कई घटनाओं के नतीजे के रूप में दिसंबर 1992 में अयोध्या में विवादित ढांचे (जिसे बाबरी मस्जिद के नाम से जाना जाता था) को गिराया गया। यह घटना देश की राजनीति में कई बदलावों की शुरुआत का प्रतीक बनी और भारतीय राष्ट्रवाद और धर्मनिरपेक्षता की प्रकृति को लेकर बहस तेज हो गई. इसी के साथ देश में बीजेपी का उदय हुआ और 'हिंदुत्व' की राजनीति तेज़ हुई।" अब ये पैराग्राफ़ बदल दिया गया है। नया पैराग्राफ़ कुछ इस तरह है- "अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर पर सदियों पुराने कानूनी और राजनीतिक विवाद ने भारत की राजनीति को प्रभावित करना शुरू कर दिया जिसने कई राजनीतिक परिवर्तनों को जन्म दिया। राम जन्मभूमि मंदिर आंदोलन, केंद्रीय मुद्दा बन गया, जिसने धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र पर चर्चा की दिशा बदल दी। सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ के फैसले (9 नवंबर, 2019 को घोषित) के बाद इन बदलावों का नतीजा ये हुआ कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हुआ।" *इसे भी अब नहीं पढ़ेंगे 12वीं के छात्र* चैप्टर 5 में ‘अंडरस्टैंडिंग मार्जिनलाइजेशन’ से मुसलमानों को विकास के लाभों से वंचित करने से जुड़ा संदर्भ हटा दिया गया है। अब तक पैराग्राफ में लिखा था- 2011 की जनगणना के अनुसार मुस्लिम भारत की आबादी का 14.2% हैं और आज भारत में अन्य समुदायों की तुलना में वो हाशिए पर रहने वाला समुदाय माना जाता है। अब लिखा गया है- 2011 की जनगणना के अनुसार मुस्लिम भारत की आबादी का 14.2% हैं। वे सामाजिक-आर्थिक विकास में तुलनात्मक रूप से कमजोर हैं और इस लिए उन्हें हाशिए पर रहने वाला समुदाय माना जाता है।

India

Apr 05 2024, 16:46

*एनसीईआरटी ने 12वीं के सिलेबस में किया बदलाव, बच्चे अब नहीं पढ़ेंगे बाबरी विध्वंस और गुजरात दंगों के बारे में*
#ncert_political_science_book_change_babri_masjid_gujarat_riots_politics_of_hindutva_topics
नेशनल काउंसिल फॉर एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) ने 12वीं क्लास की राजनीतिक विज्ञान की किताब में ढेरों बदलाव किए हैं। किताब से बाबरी मस्जिद, हिंदुत्व की राजनीति, 2002 के गुजरात दंगों और अल्पसंख्यकों के जुड़े कुछ संदर्भ हटा दिए गए हैं। इस किताब को एकेडमिक सेशन 2024-25 से लागू कर दिया जाएगा। बीते कुछ सालों में एनसीईआरटी ने सिलेबस में कई ऐसे बदलाव किए है। इन बदलावों को एनसीईआरटी ने गुरुवार को अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक किया। *गुजरात दंगों का जिक्र हटा दिया गया* NCERT ने इस बदलाव के लिए तर्क दिया है कि चैप्टर में नए बदलावों के साथ समन्वय बिठाने के लिए प्रश्नों को बदला गया है। कक्षा 11 की पॉलिटिकल साइंस की किताब में डेमोक्रेटिक पॉलिटिक्स-I के चैप्‍टर 5 में से गुजरात दंगों का जिक्र हटा दिया गया है। मौजूदा किताब में पेज 86 पर लिखा है; क्या आपको इस पेज पर समाचार कोलाज में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) का संदर्भ दिखाई देता है? ये संदर्भ मानव अधिकारों के प्रति बढ़ती जागरूकता और मानवीय गरिमा के लिए संघर्ष को दर्शाते हैं। विभिन्न क्षेत्रों में मानवाधिकार उल्लंघन के कई मामले, जैसे गुजरात दंगे, पूरे भारत से नोटिस में लाए जा रहे हैं।' नई किताब में पेज 86 पर लिखा होगा; भारत भर से विभिन्न क्षेत्रों में मानवाधिकार उल्लंघन के कई मामले सार्वजनिक नोटिस में लाए जा रहे हैं। एक और बड़े बदलाव में, कक्षा 11 की पॉलिटिकल साइंस की किताब 'पॉलिटिकल थ्योरी' के पेज 112 पर धर्मनिरपेक्षता के टॉपिक में गोधरा के बाद के दंगों में मारे गए मुसलमानों का संदर्भ हटा दिया है। मौजूदा संस्करण में लिखा है; 2002 में गुजरात में गोधरा के बाद हुए दंगों के दौरान 1,000 से अधिक लोगों की हत्या कर दी गई थी, जिनमें ज्यादातर मुस्लिम थे। नई किताब में लिखा होगा; गुजरात में गोधरा के बाद हुए दंगों के दौरान 1,000 से अधिक लोग मारे गए थे। *बच्चे नहीं पढ़ेंगे अयोध्या विध्वंस की विरासत* कक्षा 12 की पॉलिटिकल साइंस की किताब के चैप्‍टर 8 'भारतीय राजनीति में हालिया विकास' के पेज 136 पर बदलाव किए गए हैं।मौजूदा संस्करण में लिखा है; राजनीतिक लामबंदी की प्रकृति के लिए राम जन्मभूमि आंदोलन और अयोध्या विध्वंस की विरासत क्या है? नई किताब में लिखा होगा; राम जन्मभूमि आंदोलन की विरासत क्या है? *बाबरी मस्जिद और हिंदुत्व की राजनीति का जिक्र भी हटा* इसी चैप्टर से बाबरी मस्जिद और हिंदुत्व की राजनीति का जिक्र भी हटा दिया गया है। पहले पैराग्राफ़ में लिखा था- "कई घटनाओं के नतीजे के रूप में दिसंबर 1992 में अयोध्या में विवादित ढांचे (जिसे बाबरी मस्जिद के नाम से जाना जाता था) को गिराया गया। यह घटना देश की राजनीति में कई बदलावों की शुरुआत का प्रतीक बनी और भारतीय राष्ट्रवाद और धर्मनिरपेक्षता की प्रकृति को लेकर बहस तेज हो गई. इसी के साथ देश में बीजेपी का उदय हुआ और 'हिंदुत्व' की राजनीति तेज़ हुई।" अब ये पैराग्राफ़ बदल दिया गया है। नया पैराग्राफ़ कुछ इस तरह है- "अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर पर सदियों पुराने कानूनी और राजनीतिक विवाद ने भारत की राजनीति को प्रभावित करना शुरू कर दिया जिसने कई राजनीतिक परिवर्तनों को जन्म दिया। राम जन्मभूमि मंदिर आंदोलन, केंद्रीय मुद्दा बन गया, जिसने धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र पर चर्चा की दिशा बदल दी। सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ के फैसले (9 नवंबर, 2019 को घोषित) के बाद इन बदलावों का नतीजा ये हुआ कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हुआ।" *इसे भी अब नहीं पढ़ेंगे 12वीं के छात्र* चैप्टर 5 में ‘अंडरस्टैंडिंग मार्जिनलाइजेशन’ से मुसलमानों को विकास के लाभों से वंचित करने से जुड़ा संदर्भ हटा दिया गया है। अब तक पैराग्राफ में लिखा था- 2011 की जनगणना के अनुसार मुस्लिम भारत की आबादी का 14.2% हैं और आज भारत में अन्य समुदायों की तुलना में वो हाशिए पर रहने वाला समुदाय माना जाता है। अब लिखा गया है- 2011 की जनगणना के अनुसार मुस्लिम भारत की आबादी का 14.2% हैं। वे सामाजिक-आर्थिक विकास में तुलनात्मक रूप से कमजोर हैं और इस लिए उन्हें हाशिए पर रहने वाला समुदाय माना जाता है।

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Apr 05 2024, 16:45

एनसीईआरटी ने 12वीं के सिलेबस में किया बदलाव, बच्चे अब नहीं पढ़ेंगे बाबरी विध्वंस और गुजरात दंगों के बारे में

#ncertpoliticalsciencebookchangebabrimasjidgujaratriotspoliticsofhindutvatopics

नेशनल काउंसिल फॉर एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) ने 12वीं क्लास की राजनीतिक विज्ञान की किताब में ढेरों बदलाव किए हैं। किताब से बाबरी मस्जिद, हिंदुत्व की राजनीति, 2002 के गुजरात दंगों और अल्पसंख्यकों के जुड़े कुछ संदर्भ हटा दिए गए हैं। इस किताब को एकेडमिक सेशन 2024-25 से लागू कर दिया जाएगा। बीते कुछ सालों में एनसीईआरटी ने सिलेबस में कई ऐसे बदलाव किए है। इन बदलावों को एनसीईआरटी ने गुरुवार को अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक किया।

गुजरात दंगों का जिक्र हटा दिया गया

NCERT ने इस बदलाव के लिए तर्क दिया है कि चैप्टर में नए बदलावों के साथ समन्वय बिठाने के लिए प्रश्नों को बदला गया है। कक्षा 11 की पॉलिटिकल साइंस की किताब में डेमोक्रेटिक पॉलिटिक्स-I के चैप्‍टर 5 में से गुजरात दंगों का जिक्र हटा दिया गया है। मौजूदा किताब में पेज 86 पर लिखा है; क्या आपको इस पेज पर समाचार कोलाज में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) का संदर्भ दिखाई देता है? ये संदर्भ मानव अधिकारों के प्रति बढ़ती जागरूकता और मानवीय गरिमा के लिए संघर्ष को दर्शाते हैं। विभिन्न क्षेत्रों में मानवाधिकार उल्लंघन के कई मामले, जैसे गुजरात दंगे, पूरे भारत से नोटिस में लाए जा रहे हैं।'

नई किताब में पेज 86 पर लिखा होगा; भारत भर से विभिन्न क्षेत्रों में मानवाधिकार उल्लंघन के कई मामले सार्वजनिक नोटिस में लाए जा रहे हैं। 

एक और बड़े बदलाव में, कक्षा 11 की पॉलिटिकल साइंस की किताब 'पॉलिटिकल थ्योरी' के पेज 112 पर धर्मनिरपेक्षता के टॉपिक में गोधरा के बाद के दंगों में मारे गए मुसलमानों का संदर्भ हटा दिया है। मौजूदा संस्करण में लिखा है; 2002 में गुजरात में गोधरा के बाद हुए दंगों के दौरान 1,000 से अधिक लोगों की हत्या कर दी गई थी, जिनमें ज्यादातर मुस्लिम थे। नई किताब में लिखा होगा; गुजरात में गोधरा के बाद हुए दंगों के दौरान 1,000 से अधिक लोग मारे गए थे।

बच्चे नहीं पढ़ेंगे अयोध्या विध्वंस की विरासत

कक्षा 12 की पॉलिटिकल साइंस की किताब के चैप्‍टर 8 'भारतीय राजनीति में हालिया विकास' के पेज 136 पर बदलाव किए गए हैं।मौजूदा संस्करण में लिखा है; राजनीतिक लामबंदी की प्रकृति के लिए राम जन्मभूमि आंदोलन और अयोध्या विध्वंस की विरासत क्या है?

नई किताब में लिखा होगा; राम जन्मभूमि आंदोलन की विरासत क्या है?

बाबरी मस्जिद और हिंदुत्व की राजनीति का जिक्र भी हटा

इसी चैप्टर से बाबरी मस्जिद और हिंदुत्व की राजनीति का जिक्र भी हटा दिया गया है। पहले पैराग्राफ़ में लिखा था- "कई घटनाओं के नतीजे के रूप में दिसंबर 1992 में अयोध्या में विवादित ढांचे (जिसे बाबरी मस्जिद के नाम से जाना जाता था) को गिराया गया। यह घटना देश की राजनीति में कई बदलावों की शुरुआत का प्रतीक बनी और भारतीय राष्ट्रवाद और धर्मनिरपेक्षता की प्रकृति को लेकर बहस तेज हो गई. इसी के साथ देश में बीजेपी का उदय हुआ और 'हिंदुत्व' की राजनीति तेज़ हुई।"

अब ये पैराग्राफ़ बदल दिया गया है। नया पैराग्राफ़ कुछ इस तरह है- "अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर पर सदियों पुराने कानूनी और राजनीतिक विवाद ने भारत की राजनीति को प्रभावित करना शुरू कर दिया जिसने कई राजनीतिक परिवर्तनों को जन्म दिया। राम जन्मभूमि मंदिर आंदोलन, केंद्रीय मुद्दा बन गया, जिसने धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र पर चर्चा की दिशा बदल दी। सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ के फैसले (9 नवंबर, 2019 को घोषित) के बाद इन बदलावों का नतीजा ये हुआ कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हुआ।"

इसे भी अब नहीं पढ़ेंगे 12वीं के छात्र

चैप्टर 5 में ‘अंडरस्टैंडिंग मार्जिनलाइजेशन’ से मुसलमानों को विकास के लाभों से वंचित करने से जुड़ा संदर्भ हटा दिया गया है। अब तक पैराग्राफ में लिखा था- 2011 की जनगणना के अनुसार मुस्लिम भारत की आबादी का 14.2% हैं और आज भारत में अन्य समुदायों की तुलना में वो हाशिए पर रहने वाला समुदाय माना जाता है। 

अब लिखा गया है- 2011 की जनगणना के अनुसार मुस्लिम भारत की आबादी का 14.2% हैं। वे सामाजिक-आर्थिक विकास में तुलनात्मक रूप से कमजोर हैं और इस लिए उन्हें हाशिए पर रहने वाला समुदाय माना जाता है।

sarthaks22

Dec 13 2023, 14:37

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Sambhal

Jun 22 2024, 12:51

*संभल के सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क का बड़ा बयान, बोले-इतिहास मिटाने की हो रही कोशिश*

सम्भल महबूब अली

संभल के सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने NCERT की किताबों से बाबरी मस्जिद शब्द हटाने को अफसोसजनक बताया। उन्होंने कहा कि. सरकार को इस तरह से नहीं करना चाहिए। इतिहास को खत्म नहीं करना चाहिए, इतिहास को खत्म करने की कोशिश हो रही। जबकि बच्चों को हर चीज की जानकारी होनी चाहिए।

वहीं, अलीगढ़ में फरीद के हत्यारों के मददगारों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि सरकार को सख्त से सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। जो लोग गुनहगारों का सपोर्ट करें उनके खिलाफ भी कार्रवाई करनी चाहिए। अलीगढ़ की घटना शर्मनाक है।

सपा सांसद ने आगे कहा कि सांप्रदायिक नीतियों की वजह से बनी बीजेपी की सरकार बैसाखियों की सरकार है।

India

Jun 18 2024, 15:28

एनसीईआरटी ने 12वीं की किताबों से हटाया 'आजाद पाक', चीनी घुसपैठ शब्द जोड़ा, जानें और क्या हुए बदलाव

#ncert_class_12_book_remove_azad_pakistan_add_china_aggression

राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) की ओर से 12वीं कक्षा की नई राजनीति विज्ञान की पाठ्यपुस्तक में कई बदलाव किए हैं।एनसीईआरटी की कक्षा 12वीं की राजनीतिक विज्ञान की किताबों में कई चीजों को हटाया और जोड़ा गया है।इन किताबों में आजाद पाकिस्तान से लेकर चीन की घुसपैठ और पीओके जैसे शब्दों को लेकर बदलाव हुए हैं।

12वीं कक्षा की राजनीति विज्ञान की पाठ्यपुस्तक में चीन के साथ भारत की सीमा स्थिति का संदर्भ बदल दिया गया है। समकालीन विश्व राजनीति पुस्तक में अध्याय 2 के भाग के रूप में, भारत-चीन संबंध शीर्षक वाले पैराग्राफ के तहत, मौजूदा कथन को बदल दिया गया है।इससे पहले, पाठ्यपुस्तक के पृष्ठ 25 पर मौजूदा वाक्य पढ़ा गया था – “हालांकि, दोनों देशों के बीच सीमा विवाद पर सैन्य संघर्ष ने उस आशा को धूमिल कर दिया।” इस वाक्य को अब बदलकर “हालांकि, भारतीय सीमा पर चीनी आक्रामकता ने उस आशा को धूमिल कर दिया है” कर दिया गया है।

सिर्फ भारत-चीन संबंध ही नहीं, बल्कि पाठ्यपुस्तक ‘स्वतंत्रता के बाद से भारत में राजनीति – कक्षा 12’ में, “आजाद पाकिस्तान” शब्द को “पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू और कश्मीर” में बदल दिया गया है।पाठ्यपुस्तक के मौजूदा संस्करण के पृष्ठ 119 पर लिखा है, “भारत का दावा है कि यह क्षेत्र अवैध कब्जे में है। पाकिस्तान इस क्षेत्र को ‘आजाद पाकिस्तान’ के रूप में वर्णित करता है।”अब, संस्करण को बदल दिया गया है – “हालांकि, यह भारतीय क्षेत्र है जो पाकिस्तान के अवैध कब्जे में है जिसे पाकिस्तान अधिकृत जम्मू और कश्मीर (पीओजेके) कहा जाता है।”

India

Jun 18 2024, 15:25

*एनसीईआरटी ने 12वीं कि किताबों से हटाया 'आजाद पाक', चीनी घुसपैठ शब्द जोड़ा, जानें और क्या हुए बदलाव*
#ncert_class_12_book_remove_azad_pakistan_add_china_aggression
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) की ओर से 12वीं कक्षा की नई राजनीति विज्ञान की पाठ्यपुस्तक में कई बदलाव किए हैं।एनसीईआरटी की कक्षा 12वीं की राजनीतिक विज्ञान की किताबों में कई चीजों को हटाया और जोड़ा गया है।इन किताबों में आजाद पाकिस्तान से लेकर चीन की घुसपैठ और पीओके जैसे शब्दों को लेकर बदलाव हुए हैं। 12वीं कक्षा की राजनीति विज्ञान की पाठ्यपुस्तक में चीन के साथ भारत की सीमा स्थिति का संदर्भ बदल दिया गया है। समकालीन विश्व राजनीति पुस्तक में अध्याय 2 के भाग के रूप में, भारत-चीन संबंध शीर्षक वाले पैराग्राफ के तहत, मौजूदा कथन को बदल दिया गया है।इससे पहले, पाठ्यपुस्तक के पृष्ठ 25 पर मौजूदा वाक्य पढ़ा गया था – “हालांकि, दोनों देशों के बीच सीमा विवाद पर सैन्य संघर्ष ने उस आशा को धूमिल कर दिया।” इस वाक्य को अब बदलकर “हालांकि, भारतीय सीमा पर चीनी आक्रामकता ने उस आशा को धूमिल कर दिया है” कर दिया गया है। सिर्फ भारत-चीन संबंध ही नहीं, बल्कि पाठ्यपुस्तक ‘स्वतंत्रता के बाद से भारत में राजनीति – कक्षा 12’ में, “आजाद पाकिस्तान” शब्द को “पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू और कश्मीर” में बदल दिया गया है।पाठ्यपुस्तक के मौजूदा संस्करण के पृष्ठ 119 पर लिखा है, “भारत का दावा है कि यह क्षेत्र अवैध कब्जे में है। पाकिस्तान इस क्षेत्र को ‘आजाद पाकिस्तान’ के रूप में वर्णित करता है।”अब, संस्करण को बदल दिया गया है – “हालांकि, यह भारतीय क्षेत्र है जो पाकिस्तान के अवैध कब्जे में है जिसे पाकिस्तान अधिकृत जम्मू और कश्मीर (पीओजेके) कहा जाता है।”

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Jun 17 2024, 12:24

स्कूली पाठ्यक्रम के भगवाकरण के आरोपों को एनसीईआरटी के डायरेक्टर ने किया खारिज, बोले-दंगों के बारे में पढ़ाना जरूरी नहीं

#ncert_director_say_on_saffronisation_of_ncert_syllabus_books 

स्कूली पाठ्यक्रम के भगवाकरण के आरोपों को एनसीईआरटी के डायरेक्टर दिनेश प्रसाद सकलानी ने खारिज कर दिया है।उन्होंने कहा कि स्कूली बच्चों को इतिहास में हुई हिंसा के बारे में पढ़ाया जाना जरूरी नहीं है, इसलिए कई पाठों में बदलाव किए गए हैं।उनका कहना है कि स्कूली पाठ्यपुस्तकों में गुजरात दंगों और बाबरी मस्जिद गिराए जाने के संदर्भों को इसलिए संशोधित किया गया, क्योंकि दंगों के बारे में पढ़ाना 'हिंसक और अवसादग्रस्त नागरिक पैदा कर सकता है।

एनसीईआरटी के निदेशक दिनेश प्रसाद सकलानी ने शनिवार को कहा कि पाठ्यपुस्तकों में बदलाव वार्षिक संशोधन का हिस्सा है और इसे शोर-शराबे का विषय नहीं बनाया जाना चाहिए। एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों में गुजरात दंगों या बाबरी मस्जिद गिराए जाने के संदर्भ में बदलाव के बारे में पूछे जाने पर सकलानी ने कहा, 'हमें स्कूली पाठ्यपुस्तकों में दंगों के बारे में क्यों पढ़ाना चाहिए? हम सकारात्मक नागरिक बनाना चाहते हैं, न कि हिंसक और अवसादग्रस्त व्यक्ति।उन्होंने कहा कि स्कूली बच्चों को इतिहास में हुई हिंसक और बर्बरतापूर्ण घटनाओं के बारे में पढ़ाना जरूरी नहीं है, इसलिए साक्ष्यों और तथ्यों के आधार पर कई अहम बदलाव किए गए हैं।

एनसीईआरटी निदेशक दिनेश सकलानी ने कहा, अगर कोई चीज अप्रासंगिक हो जाती है, तो उसे बदलना ही होगा। स्कूलों में इतिहास तथ्यों से अवगत कराने के लिए पढ़ाया जाता है, न कि इसे युद्ध का मैदान बनाने के लिए। ऐसे में बदलावों पर सवाल या विवाद खड़ा करना ठीक नहीं है। साल 2002 में हुए गुजरात दंगों से जुड़े किताब के अंशों में बदलाव पर उन्होंने साफ किया, घृणा, हिंसा स्कूल में पढ़ाने का विषय नहीं है। एनसीईआरटी जैसी शोध आधारित पाठ्यपुस्तकों का इन मुद्दों पर फोकस नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा, एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों में संशोधन विषय विशेषज्ञों द्वारा किया जाता है। बदलावों में एनसीईआरटी निदेशक के रूप में अपनी भूमिका को लेकर दिनेश सकलानी ने कहा, मैं प्रक्रिया को निर्देशित या हस्तक्षेप नहीं करता।

सकलानी की टिप्पणियाँ ऐसे समय आई हैं, जब नयी पाठ्यपुस्तकें कई संदर्भ हटाए जाने और बदलावों के साथ बाजार में आई हैं। कक्षा 12 की राजनीति विज्ञान की संशोधित पाठ्यपुस्तक में बाबरी मस्जिद का उल्लेख नहीं है, लेकिन इसे ‘तीन गुंबद वाली संरचना’ के रूप में संदर्भित किया गया है। इसमें अयोध्या खंड को चार से घटाकर दो पृष्ठ का कर दिया गया है और पिछले संस्करण से विवरण हटा दिया गया है।यह इसके बजाय उच्चतम न्यायालय के फैसले पर केंद्रित नजर आता है, जिसने उस स्थान पर राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया, जहां दिसंबर 1992 में कारसेवकों द्वारा गिराए जाने से पहले विवादित ढांचा खड़ा था। शीर्ष अदालत के फैसले को देश में व्यापक रूप से स्वीकार किया गया था। न्यायालय के फैसले को देश में व्यापक तौर पर स्वीकार किया गया। मंदिर में राम मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा इसी वर्ष 22 जनवरी को प्रधानमंत्री द्वारा की गई थी।

India

Jun 16 2024, 21:30

NCERT की किताबों में बड़ा बदलाव, बाबरी मस्जिद का जिक्र नहीं, अयोध्या विवाद भी 2 पेज में सिमटा, निदेशक ने कही ये बात

डेस्क: एनसीईआरटी (NCERT) की नई रिवाइज्ड किताबें बाजार में आ चुकी हैं। इसमें कई तरह का बदलाव किया गया है। किताबों में अयोध्या विवाद, बाबरी मस्जिद और गुजरात दंगों के संदर्भ में बदलाव किए गए हैं। कक्षा 12 की राजनीति विज्ञान की संशोधित किताब में बाबरी मस्जिद का जिक्र नहीं है। बाबरी मस्जिद की जगह 'तीन गुंबद वाली संरचना' का जिक्र किया गया है। वहीं अयोध्या विवाद के टॉपिक को 4 पेज की जगह 2 पेज का कर दिया गया है। गुजरात दंगों से संबंधित संदर्भों को भी हटाया गया है और किताब में कई महत्वपूर्ण ऐतिहासिक विवरण हटा दिए गए हैं।

क्या-क्या बदला या हटाया गया?

बाबरी मस्जिद की जगह तीन गुंबद वाली संरचना का जिक्र किया गया है।

अयोध्या विवाद से जुड़े टापिक्स 4 पेज की जगह 2 पेज में समेट दिए गए हैं।

बीजेपी की रथ यात्रा: सोमनाथ से अयोध्या तक की यात्रा का जिक्र नहीं है।

कार सेवक: 1992 की घटनाओं में स्वयंसेवकों की भूमिका हटा दी गई है।

सांप्रदायिक हिंसा: 6 दिसंबर 1992 को विध्वंस के बाद हुई हिंसा के संदर्भ हटा दिए गए हैं।

राष्ट्रपति शासन: भाजपा शासित राज्यों में राष्ट्रपति शासन लगाने को बाहर रखा गया है।

बीजेपी का अफसोस: अयोध्या की घटनाओं पर बीजेपी के अफसोस वाले बयानों को हटा दिया गया है।

गुजरात दंगों से संबंधित संदर्भों को हटाया गया है।

हुमायूं, शाहजहां, अकबर, जहांगीर और औरंगजेब जैसे मुगल सम्राटों की उपलब्धियों का विवरण देने वाली दो पेज की तालिका भी हटा दी गई है।

NCERT के निदेशक दिनेश प्रसाद सकलानी क्या बोले?

NCERT के निदेशक दिनेश प्रसाद सकलानी ने न्यूज एजेंसी PTI से किताबों में हुए बदलाव को लेकर बात की। सकलानी ने स्कूली सिलेबस के भगवाकरण के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि गुजरात दंगों और बाबरी मस्जिद विध्वंस के संदर्भों को स्कूल की किताबों में संशोधित किया गया क्योंकि दंगों के बारे में पढ़ाना हिंसक और निराश नागरिकों को पैदा कर सकता है। पाठ्यक्रम का भगवाकरण करने का कोई प्रयास नहीं किया गया है, सब कुछ तथ्यों और सबूतों पर आधारित है।

सकलानी ने कहा कि किताबों में बदलाव सालाना संशोधन का हिस्सा हैं और इसे शोर-शराबे का विषय नहीं बनाया जाना चाहिए। एनसीईआरटी की किताबों में गुजरात दंगों या बाबरी मस्जिद विध्वंस के संदर्भ में बदलाव के बारे में पूछे जाने पर सकलानी ने कहा, 'हमें स्कूली किताबों में दंगों के बारे में क्यों पढ़ाना चाहिए? हम सकारात्मक नागरिक बनाना चाहते हैं, न कि हिंसक और अवसादग्रस्त व्यक्ति।'

उन्होंने कहा, 'क्या हमें अपने छात्रों को इस तरह से पढ़ाना चाहिए कि वे आक्रामक हो जाएं, समाज में नफरत पैदा करें या नफरत का शिकार बनें? क्या यह शिक्षा का उद्देश्य है? क्या हमें ऐसे छोटे बच्चों को दंगों के बारे में पढ़ाना चाहिए। जब वे बड़े होंगे, तो वे इसके बारे में सीख सकेंगे यह लेकिन स्कूल की किताबों में क्यों? उन्हें बड़े होने पर यह समझने दें कि क्या हुआ और क्यों हुआ, बदलावों के बारे में हंगामा अप्रासंगिक है।'

WestBengalBangla

Apr 06 2024, 12:42

এনসিইআরটির দ্বাদশ শ্রেণির পাঠ্যক্রমে পরিবর্তন, বাদ পড়ল বাবরি ধ্বংস এবং গুজরাট দাঙ্গার তথ্য

এসবি নিউজ ব্যুরো: বাবরি মসজিদ, হিন্দুত্বের রাজনীতি, ২০০২ সালের গুজরাট দাঙ্গা এবং সংখ্যালঘুদের রেফারেন্স বাদ পড়ল দ্বাদশ শ্রেণির রষ্ট্রবিজ্ঞান বা পলিটিকাল সায়েন্সের পাঠ্যপুস্তক থেকে। ন্যাশনাল কাউন্সিল ফর এডুকেশনাল রিসার্চ অ্যান্ড ট্রেনিং বা এনসিইআরটি সম্প্রতি এই সিদ্ধান্ত নিয়েছে।এই পাঠ্যক্রমে 2024-25 শিক্ষাবর্ষ থেকে কার্যকর করা হবে।দেওয়া হবে. গত কয়েক বছরে কয়েকটি ঘটনা।  এনসিইআরটি বৃহস্পতিবার তাদের ওয়েবসাইটে এই পরিবর্তনগুলি প্রকাশ করেছে।

*গুজরাট দাঙ্গার রেফারেন্স মুছে ফেলা হয়েছে*
এই পরিবর্তনের জন্য NCERT যুক্তি , যে অধ্যায়ে নতুন পরিবর্তনের সাথে তাল মিলিয়ে প্রশ্নগুলি পরিবর্তন করা হয়েছে। একাদশ শ্রেণির রাষ্ট্রবিজ্ঞান বইয়ের গণতান্ত্রিক রাজনীতি-১ এর অধ্যায় ৫ থেকে গুজরাট দাঙ্গা উল্লেখ মুছে ফেলা হয়েছে।বর্তমান বইটির 86 পৃষ্ঠায় লেখা আছে, আপনি কি এই পৃষ্ঠার নিউজ কোলাজে জাতীয় মানবাধিকার কমিশনের (NHRC) উল্লেখ দেখতে পাচ্ছেন? এই উল্লেখগুলি মানবাধিকারের ক্রমবর্ধমান সচেতনতা এবং মানুষের মর্যাদার জন্য সংগ্রামকে প্রতিফলিত করে। গুজরাট দাঙ্গার মতো বিভিন্ন ক্ষেত্রে মানবাধিকার লঙ্ঘনের অনেক ঘটনা সারা ভারত থেকে নজরে আনা হচ্ছে।' নতুন বইতে লেখা থাকবে ৮৬ পৃষ্ঠায়,ভারত জুড়ে বিভিন্ন সেক্টরে মানবাধিকার লঙ্ঘনের অনেক ঘটনা জনসাধারণের নজরে আনা হচ্ছে। আরেকটি বড় পরিবর্তনে, গোধরা-পরবর্তী দাঙ্গায় নিহত মুসলমানদের রেফারেন্স একাদশ শ্রেণির রাষ্ট্রবিজ্ঞানের বই 'রাজনৈতিক তত্ত্ব'-এর 112 পৃষ্ঠায় ধর্মনিরপেক্ষতার বিষয় থেকে সরিয়ে দেওয়া হয়েছে। বর্তমান সংস্করণটি পড়ে,2002 সালে গুজরাটে গোধরা-পরবর্তী দাঙ্গায় 1,000 জনেরও বেশি মানুষ নিহত হয়েছিল।দেওয়া হয়েছিল, যাদের অধিকাংশই ছিল মুসলমান। নতুন বইয়ে লেখা হবে, গুজরাটে গোধরা-পরবর্তী দাঙ্গায় এক হাজারের বেশি মানুষ নিহত হয়েছিল।

*শিশুরা পড়বে না অযোধ্যা ধ্বংসের উত্তরাধিকার*
দ্বাদশ শ্রেণীর রাষ্ট্রবিজ্ঞান বইয়ের অধ্যায় 8 'ভারতীয় রাজনীতিতে সাম্প্রতিক উন্নয়ন' এর 136 পৃষ্ঠায় পরিবর্তন করা হয়েছে। বর্তমান সংস্করণটি পড়ে,রামজন্মভূমি আন্দোলন এবং অযোধ্যা ধ্বংসের জন্য রাজনৈতিক সংহতির প্রকৃতিউত্তরাধিকার কি? নতুন বইয়ে লেখা হবে, রাম জন্মভূমি আন্দোলনের উত্তরাধিকার কি?

*বাবরি মসজিদ এবং হিন্দুত্ববাদী রাজনীতির উল্লেখও মুছে ফেলা হয়েছে*
বাবরি মসজিদ এবং হিন্দুত্ববাদী রাজনীতির উল্লেখও এই অধ্যায় থেকে বাদ দেওয়া হয়েছে। প্রথম অনুচ্ছেদে লেখা ছিল ,"ঘটনার একটি সিরিজের ফলে, অযোধ্যায় বিতর্কিত কাঠামো (বাবরি মসজিদ নামে পরিচিত) 1992 সালের ডিসেম্বরে ভেঙে ফেলা হয়েছিল। এই ঘটনাটি দেশের একটি প্রধান রাজনৈতিক ঘটনা হয়ে ওঠে।"

এটি ভারতে অনেক পরিবর্তনের সূচনা করে এবং ভারতীয় জাতীয়তাবাদ ও ধর্মনিরপেক্ষতার প্রকৃতি সম্পর্কে বিতর্ককে তীব্র করে তোলে। এর মাধ্যমে দেশে বিজেপির উত্থান ঘটে এবং 'হিন্দুত্ব'-এর রাজনীতি তীব্র হয়।" এখন এই অনুচ্ছেদ পরিবর্তন করা হয়েছে. নতুন অনুচ্ছেদটি এরকম,"অযোধ্যার রাম জন্মভূমি মন্দির নিয়ে বহু পুরনো আইনি ও রাজনৈতিক বিরোধ ভারতের রাজনীতিকে প্রভাবিত করতে শুরু করেছে যার ফলে অনেক রাজনৈতিকপরিবর্তনের জন্ম দিয়েছে।

ধর্মনিরপেক্ষতা এবং গণতন্ত্রের আলোচনার দিক পরিবর্তন করে রাম জন্মভূমি মন্দির আন্দোলন কেন্দ্রীয় ইস্যুতে পরিণত হয়েছিল। সুপ্রিম কোর্টের সাংবিধানিক বেঞ্চের সিদ্ধান্তের পরে (9 নভেম্বর, 2019-এ ঘোষণা করা হয়েছিল), এই পরিবর্তনগুলির ফলাফল ছিল অযোধ্যায় রাম মন্দির নির্মাণ।"

*এখন দ্বাদশ শ্রেণীর ছাত্ররাও এটা পড়বে না*
অধ্যায় 5 'অনডারস্ট্যান্ডিং মার্জিনালাইজেশন' মুসলিমদের উন্নয়নের সুবিধা তুলে ধরে।বঞ্চনার রেফারেন্স মুছে ফেলা হয়েছে। এখন পর্যন্ত অনুচ্ছেদে লেখা ছিল ।2011 সালের আদমশুমারি অনুসারে, মুসলমানরা ভারতের জনসংখ্যার 14.2% গঠন করে এবং আজ তারা ভারতের অন্যান্য সম্প্রদায়ের তুলনায় একটি প্রান্তিক সম্প্রদায় হিসাবে বিবেচিত হয়। এখন লেখা আছে ,2011 সালের আদমশুমারি অনুসারে, মুসলমানরা ভারতের জনসংখ্যার 14.2%। তারা আর্থ-সামাজিক উন্নয়নে তুলনামূলকভাবে দুর্বল এবং তাই তাদেরকে প্রান্তিক জনগোষ্ঠী হিসেবে বিবেচনা করা হয়।

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Apr 05 2024, 16:46

*एनसीईआरटी ने 12वीं के सिलेबस में किया बदलाव, बच्चे अब नहीं पढ़ेंगे बाबरी विध्वंस और गुजरात दंगों के बारे में*
#ncert_political_science_book_change_babri_masjid_gujarat_riots_politics_of_hindutva_topics
नेशनल काउंसिल फॉर एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) ने 12वीं क्लास की राजनीतिक विज्ञान की किताब में ढेरों बदलाव किए हैं। किताब से बाबरी मस्जिद, हिंदुत्व की राजनीति, 2002 के गुजरात दंगों और अल्पसंख्यकों के जुड़े कुछ संदर्भ हटा दिए गए हैं। इस किताब को एकेडमिक सेशन 2024-25 से लागू कर दिया जाएगा। बीते कुछ सालों में एनसीईआरटी ने सिलेबस में कई ऐसे बदलाव किए है। इन बदलावों को एनसीईआरटी ने गुरुवार को अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक किया। *गुजरात दंगों का जिक्र हटा दिया गया* NCERT ने इस बदलाव के लिए तर्क दिया है कि चैप्टर में नए बदलावों के साथ समन्वय बिठाने के लिए प्रश्नों को बदला गया है। कक्षा 11 की पॉलिटिकल साइंस की किताब में डेमोक्रेटिक पॉलिटिक्स-I के चैप्‍टर 5 में से गुजरात दंगों का जिक्र हटा दिया गया है। मौजूदा किताब में पेज 86 पर लिखा है; क्या आपको इस पेज पर समाचार कोलाज में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) का संदर्भ दिखाई देता है? ये संदर्भ मानव अधिकारों के प्रति बढ़ती जागरूकता और मानवीय गरिमा के लिए संघर्ष को दर्शाते हैं। विभिन्न क्षेत्रों में मानवाधिकार उल्लंघन के कई मामले, जैसे गुजरात दंगे, पूरे भारत से नोटिस में लाए जा रहे हैं।' नई किताब में पेज 86 पर लिखा होगा; भारत भर से विभिन्न क्षेत्रों में मानवाधिकार उल्लंघन के कई मामले सार्वजनिक नोटिस में लाए जा रहे हैं। एक और बड़े बदलाव में, कक्षा 11 की पॉलिटिकल साइंस की किताब 'पॉलिटिकल थ्योरी' के पेज 112 पर धर्मनिरपेक्षता के टॉपिक में गोधरा के बाद के दंगों में मारे गए मुसलमानों का संदर्भ हटा दिया है। मौजूदा संस्करण में लिखा है; 2002 में गुजरात में गोधरा के बाद हुए दंगों के दौरान 1,000 से अधिक लोगों की हत्या कर दी गई थी, जिनमें ज्यादातर मुस्लिम थे। नई किताब में लिखा होगा; गुजरात में गोधरा के बाद हुए दंगों के दौरान 1,000 से अधिक लोग मारे गए थे। *बच्चे नहीं पढ़ेंगे अयोध्या विध्वंस की विरासत* कक्षा 12 की पॉलिटिकल साइंस की किताब के चैप्‍टर 8 'भारतीय राजनीति में हालिया विकास' के पेज 136 पर बदलाव किए गए हैं।मौजूदा संस्करण में लिखा है; राजनीतिक लामबंदी की प्रकृति के लिए राम जन्मभूमि आंदोलन और अयोध्या विध्वंस की विरासत क्या है? नई किताब में लिखा होगा; राम जन्मभूमि आंदोलन की विरासत क्या है? *बाबरी मस्जिद और हिंदुत्व की राजनीति का जिक्र भी हटा* इसी चैप्टर से बाबरी मस्जिद और हिंदुत्व की राजनीति का जिक्र भी हटा दिया गया है। पहले पैराग्राफ़ में लिखा था- "कई घटनाओं के नतीजे के रूप में दिसंबर 1992 में अयोध्या में विवादित ढांचे (जिसे बाबरी मस्जिद के नाम से जाना जाता था) को गिराया गया। यह घटना देश की राजनीति में कई बदलावों की शुरुआत का प्रतीक बनी और भारतीय राष्ट्रवाद और धर्मनिरपेक्षता की प्रकृति को लेकर बहस तेज हो गई. इसी के साथ देश में बीजेपी का उदय हुआ और 'हिंदुत्व' की राजनीति तेज़ हुई।" अब ये पैराग्राफ़ बदल दिया गया है। नया पैराग्राफ़ कुछ इस तरह है- "अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर पर सदियों पुराने कानूनी और राजनीतिक विवाद ने भारत की राजनीति को प्रभावित करना शुरू कर दिया जिसने कई राजनीतिक परिवर्तनों को जन्म दिया। राम जन्मभूमि मंदिर आंदोलन, केंद्रीय मुद्दा बन गया, जिसने धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र पर चर्चा की दिशा बदल दी। सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ के फैसले (9 नवंबर, 2019 को घोषित) के बाद इन बदलावों का नतीजा ये हुआ कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हुआ।" *इसे भी अब नहीं पढ़ेंगे 12वीं के छात्र* चैप्टर 5 में ‘अंडरस्टैंडिंग मार्जिनलाइजेशन’ से मुसलमानों को विकास के लाभों से वंचित करने से जुड़ा संदर्भ हटा दिया गया है। अब तक पैराग्राफ में लिखा था- 2011 की जनगणना के अनुसार मुस्लिम भारत की आबादी का 14.2% हैं और आज भारत में अन्य समुदायों की तुलना में वो हाशिए पर रहने वाला समुदाय माना जाता है। अब लिखा गया है- 2011 की जनगणना के अनुसार मुस्लिम भारत की आबादी का 14.2% हैं। वे सामाजिक-आर्थिक विकास में तुलनात्मक रूप से कमजोर हैं और इस लिए उन्हें हाशिए पर रहने वाला समुदाय माना जाता है।

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Apr 05 2024, 16:46

*एनसीईआरटी ने 12वीं के सिलेबस में किया बदलाव, बच्चे अब नहीं पढ़ेंगे बाबरी विध्वंस और गुजरात दंगों के बारे में*
#ncert_political_science_book_change_babri_masjid_gujarat_riots_politics_of_hindutva_topics
नेशनल काउंसिल फॉर एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) ने 12वीं क्लास की राजनीतिक विज्ञान की किताब में ढेरों बदलाव किए हैं। किताब से बाबरी मस्जिद, हिंदुत्व की राजनीति, 2002 के गुजरात दंगों और अल्पसंख्यकों के जुड़े कुछ संदर्भ हटा दिए गए हैं। इस किताब को एकेडमिक सेशन 2024-25 से लागू कर दिया जाएगा। बीते कुछ सालों में एनसीईआरटी ने सिलेबस में कई ऐसे बदलाव किए है। इन बदलावों को एनसीईआरटी ने गुरुवार को अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक किया। *गुजरात दंगों का जिक्र हटा दिया गया* NCERT ने इस बदलाव के लिए तर्क दिया है कि चैप्टर में नए बदलावों के साथ समन्वय बिठाने के लिए प्रश्नों को बदला गया है। कक्षा 11 की पॉलिटिकल साइंस की किताब में डेमोक्रेटिक पॉलिटिक्स-I के चैप्‍टर 5 में से गुजरात दंगों का जिक्र हटा दिया गया है। मौजूदा किताब में पेज 86 पर लिखा है; क्या आपको इस पेज पर समाचार कोलाज में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) का संदर्भ दिखाई देता है? ये संदर्भ मानव अधिकारों के प्रति बढ़ती जागरूकता और मानवीय गरिमा के लिए संघर्ष को दर्शाते हैं। विभिन्न क्षेत्रों में मानवाधिकार उल्लंघन के कई मामले, जैसे गुजरात दंगे, पूरे भारत से नोटिस में लाए जा रहे हैं।' नई किताब में पेज 86 पर लिखा होगा; भारत भर से विभिन्न क्षेत्रों में मानवाधिकार उल्लंघन के कई मामले सार्वजनिक नोटिस में लाए जा रहे हैं। एक और बड़े बदलाव में, कक्षा 11 की पॉलिटिकल साइंस की किताब 'पॉलिटिकल थ्योरी' के पेज 112 पर धर्मनिरपेक्षता के टॉपिक में गोधरा के बाद के दंगों में मारे गए मुसलमानों का संदर्भ हटा दिया है। मौजूदा संस्करण में लिखा है; 2002 में गुजरात में गोधरा के बाद हुए दंगों के दौरान 1,000 से अधिक लोगों की हत्या कर दी गई थी, जिनमें ज्यादातर मुस्लिम थे। नई किताब में लिखा होगा; गुजरात में गोधरा के बाद हुए दंगों के दौरान 1,000 से अधिक लोग मारे गए थे। *बच्चे नहीं पढ़ेंगे अयोध्या विध्वंस की विरासत* कक्षा 12 की पॉलिटिकल साइंस की किताब के चैप्‍टर 8 'भारतीय राजनीति में हालिया विकास' के पेज 136 पर बदलाव किए गए हैं।मौजूदा संस्करण में लिखा है; राजनीतिक लामबंदी की प्रकृति के लिए राम जन्मभूमि आंदोलन और अयोध्या विध्वंस की विरासत क्या है? नई किताब में लिखा होगा; राम जन्मभूमि आंदोलन की विरासत क्या है? *बाबरी मस्जिद और हिंदुत्व की राजनीति का जिक्र भी हटा* इसी चैप्टर से बाबरी मस्जिद और हिंदुत्व की राजनीति का जिक्र भी हटा दिया गया है। पहले पैराग्राफ़ में लिखा था- "कई घटनाओं के नतीजे के रूप में दिसंबर 1992 में अयोध्या में विवादित ढांचे (जिसे बाबरी मस्जिद के नाम से जाना जाता था) को गिराया गया। यह घटना देश की राजनीति में कई बदलावों की शुरुआत का प्रतीक बनी और भारतीय राष्ट्रवाद और धर्मनिरपेक्षता की प्रकृति को लेकर बहस तेज हो गई. इसी के साथ देश में बीजेपी का उदय हुआ और 'हिंदुत्व' की राजनीति तेज़ हुई।" अब ये पैराग्राफ़ बदल दिया गया है। नया पैराग्राफ़ कुछ इस तरह है- "अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर पर सदियों पुराने कानूनी और राजनीतिक विवाद ने भारत की राजनीति को प्रभावित करना शुरू कर दिया जिसने कई राजनीतिक परिवर्तनों को जन्म दिया। राम जन्मभूमि मंदिर आंदोलन, केंद्रीय मुद्दा बन गया, जिसने धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र पर चर्चा की दिशा बदल दी। सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ के फैसले (9 नवंबर, 2019 को घोषित) के बाद इन बदलावों का नतीजा ये हुआ कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हुआ।" *इसे भी अब नहीं पढ़ेंगे 12वीं के छात्र* चैप्टर 5 में ‘अंडरस्टैंडिंग मार्जिनलाइजेशन’ से मुसलमानों को विकास के लाभों से वंचित करने से जुड़ा संदर्भ हटा दिया गया है। अब तक पैराग्राफ में लिखा था- 2011 की जनगणना के अनुसार मुस्लिम भारत की आबादी का 14.2% हैं और आज भारत में अन्य समुदायों की तुलना में वो हाशिए पर रहने वाला समुदाय माना जाता है। अब लिखा गया है- 2011 की जनगणना के अनुसार मुस्लिम भारत की आबादी का 14.2% हैं। वे सामाजिक-आर्थिक विकास में तुलनात्मक रूप से कमजोर हैं और इस लिए उन्हें हाशिए पर रहने वाला समुदाय माना जाता है।

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Apr 05 2024, 16:45

एनसीईआरटी ने 12वीं के सिलेबस में किया बदलाव, बच्चे अब नहीं पढ़ेंगे बाबरी विध्वंस और गुजरात दंगों के बारे में

#ncertpoliticalsciencebookchangebabrimasjidgujaratriotspoliticsofhindutvatopics

नेशनल काउंसिल फॉर एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) ने 12वीं क्लास की राजनीतिक विज्ञान की किताब में ढेरों बदलाव किए हैं। किताब से बाबरी मस्जिद, हिंदुत्व की राजनीति, 2002 के गुजरात दंगों और अल्पसंख्यकों के जुड़े कुछ संदर्भ हटा दिए गए हैं। इस किताब को एकेडमिक सेशन 2024-25 से लागू कर दिया जाएगा। बीते कुछ सालों में एनसीईआरटी ने सिलेबस में कई ऐसे बदलाव किए है। इन बदलावों को एनसीईआरटी ने गुरुवार को अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक किया।

गुजरात दंगों का जिक्र हटा दिया गया

NCERT ने इस बदलाव के लिए तर्क दिया है कि चैप्टर में नए बदलावों के साथ समन्वय बिठाने के लिए प्रश्नों को बदला गया है। कक्षा 11 की पॉलिटिकल साइंस की किताब में डेमोक्रेटिक पॉलिटिक्स-I के चैप्‍टर 5 में से गुजरात दंगों का जिक्र हटा दिया गया है। मौजूदा किताब में पेज 86 पर लिखा है; क्या आपको इस पेज पर समाचार कोलाज में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) का संदर्भ दिखाई देता है? ये संदर्भ मानव अधिकारों के प्रति बढ़ती जागरूकता और मानवीय गरिमा के लिए संघर्ष को दर्शाते हैं। विभिन्न क्षेत्रों में मानवाधिकार उल्लंघन के कई मामले, जैसे गुजरात दंगे, पूरे भारत से नोटिस में लाए जा रहे हैं।'

नई किताब में पेज 86 पर लिखा होगा; भारत भर से विभिन्न क्षेत्रों में मानवाधिकार उल्लंघन के कई मामले सार्वजनिक नोटिस में लाए जा रहे हैं। 

एक और बड़े बदलाव में, कक्षा 11 की पॉलिटिकल साइंस की किताब 'पॉलिटिकल थ्योरी' के पेज 112 पर धर्मनिरपेक्षता के टॉपिक में गोधरा के बाद के दंगों में मारे गए मुसलमानों का संदर्भ हटा दिया है। मौजूदा संस्करण में लिखा है; 2002 में गुजरात में गोधरा के बाद हुए दंगों के दौरान 1,000 से अधिक लोगों की हत्या कर दी गई थी, जिनमें ज्यादातर मुस्लिम थे। नई किताब में लिखा होगा; गुजरात में गोधरा के बाद हुए दंगों के दौरान 1,000 से अधिक लोग मारे गए थे।

बच्चे नहीं पढ़ेंगे अयोध्या विध्वंस की विरासत

कक्षा 12 की पॉलिटिकल साइंस की किताब के चैप्‍टर 8 'भारतीय राजनीति में हालिया विकास' के पेज 136 पर बदलाव किए गए हैं।मौजूदा संस्करण में लिखा है; राजनीतिक लामबंदी की प्रकृति के लिए राम जन्मभूमि आंदोलन और अयोध्या विध्वंस की विरासत क्या है?

नई किताब में लिखा होगा; राम जन्मभूमि आंदोलन की विरासत क्या है?

बाबरी मस्जिद और हिंदुत्व की राजनीति का जिक्र भी हटा

इसी चैप्टर से बाबरी मस्जिद और हिंदुत्व की राजनीति का जिक्र भी हटा दिया गया है। पहले पैराग्राफ़ में लिखा था- "कई घटनाओं के नतीजे के रूप में दिसंबर 1992 में अयोध्या में विवादित ढांचे (जिसे बाबरी मस्जिद के नाम से जाना जाता था) को गिराया गया। यह घटना देश की राजनीति में कई बदलावों की शुरुआत का प्रतीक बनी और भारतीय राष्ट्रवाद और धर्मनिरपेक्षता की प्रकृति को लेकर बहस तेज हो गई. इसी के साथ देश में बीजेपी का उदय हुआ और 'हिंदुत्व' की राजनीति तेज़ हुई।"

अब ये पैराग्राफ़ बदल दिया गया है। नया पैराग्राफ़ कुछ इस तरह है- "अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर पर सदियों पुराने कानूनी और राजनीतिक विवाद ने भारत की राजनीति को प्रभावित करना शुरू कर दिया जिसने कई राजनीतिक परिवर्तनों को जन्म दिया। राम जन्मभूमि मंदिर आंदोलन, केंद्रीय मुद्दा बन गया, जिसने धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र पर चर्चा की दिशा बदल दी। सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ के फैसले (9 नवंबर, 2019 को घोषित) के बाद इन बदलावों का नतीजा ये हुआ कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हुआ।"

इसे भी अब नहीं पढ़ेंगे 12वीं के छात्र

चैप्टर 5 में ‘अंडरस्टैंडिंग मार्जिनलाइजेशन’ से मुसलमानों को विकास के लाभों से वंचित करने से जुड़ा संदर्भ हटा दिया गया है। अब तक पैराग्राफ में लिखा था- 2011 की जनगणना के अनुसार मुस्लिम भारत की आबादी का 14.2% हैं और आज भारत में अन्य समुदायों की तुलना में वो हाशिए पर रहने वाला समुदाय माना जाता है। 

अब लिखा गया है- 2011 की जनगणना के अनुसार मुस्लिम भारत की आबादी का 14.2% हैं। वे सामाजिक-आर्थिक विकास में तुलनात्मक रूप से कमजोर हैं और इस लिए उन्हें हाशिए पर रहने वाला समुदाय माना जाता है।

sarthaks22

Dec 13 2023, 14:37

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