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Apr 19 2024, 09:02

इजराइल ने ले लिया अपना बदला, ईरान पर दागी मिसाइलें

#israel_fires_missiles_at_iran

इजरायल और हमास के बीच संघर्ष चल रहा है। रविवार के शुरुआती घंटों में इजरायल पर ईरान ने हमला किया था। अब इजरायल ने ईरान से बदला लेना शुरू कर दिया है। इजरायल ने ईरान पर मिसाइल दागे हैं। बता दें कि शनिवार को ईरान ने इजराइल पर मिसाइलों और ड्रोन्स से हमला किया था। जिसके बाद इजराइल ने भी पलटवार किया है और ईरान पर मिसाइलों से हमला किया है।ईरान के शहर इस्फहान में धमाकों की आवाज सुनाई दी है और ईरान ने अपने वायु क्षेत्र में सभी फ्लाइट के आने जाने पर रोक लगा दी है।

दोनों देशों में तनाव की शुरुआत 1 अप्रैल को हुई थी। इजराइल ने सीरिया की राजधानी दमिश्क में ईरान के दूतावास पर हमला किया था। इसके बाद 14 अप्रैल को ईरान ने इजराइल पर पलटवार किया और अब इजराइल ने उस हमले का जवाब दिया है।ईरान की फारस न्यूज एजेंसी ने भी दावा किया है कि ईरान के शहर इसाफान के एयरपोर्ट में धमाके की आवाज सुनी गई है। बता दें कि ईरान के कई परमाणु ठिकाने इसाफान प्रांत में ही स्थित हैं, जिनमें ईरान में यूरेनियम संवर्धन का प्रमुख केंद्र भी यहीं पर मौजूद है।

ABC News की रिपोर्ट में अमेरिकी अधिकारी के हवाले से यह दावा किया गया है। बताया जा रहा है कि इजरायली मिसाइल ने ईरान के परमाणु संयंत्रों को निशाना बनाकर दागी गई हैं। इजरायल डिफेंस फोर्स (IDF) ने बताया कि उत्‍तरी इजरायल के अरब अल-अरामशे में इमर्जेंसी सायरन बजाया गया है। आमतौर पर इसके जर‍िये आम लोगों और स्‍थानीय प्रशासन को सतर्क किया जाता है।

हमले के बाद ईरान ने अपना एयरस्पेस बंद कर दिया है। ईरानी सोशल मीडिया पर आए फुटेज में दिख रहा है कि इमाम खुमैनी इंटरनेशनल हवाी अड्डे पर घोषणआ की जा रही है, जिसमें यात्रियों को बताया जा रहा है कि सभी उड़ानें रद्द कर दी गई हैं। यात्रियों को हवाई अड्डा छोड़ने को कहा गया है। इसके अलावा तेहरान आने वाले विमानों को भी डायवर्ट कर दिया गया है।

बता दें कि इजरायल पर ईरान के बीच संघर्ष के बाद से ही पूरे मध्य पूर्व में तनाव चरम पर है। दरअसल, सीरिया की राजधानी दमिश्क में स्थित ईरानी दूतावास पर 1 अप्रैल को हमला हुआ था। इस हमले में 13 लोगों की मौत हो गई थी।0 मारे गए लोगों में सीरिया और लेबनान में ईरान के विशिष्ट कुद्स बल के सीनियर कमांडर ब्रिगेडियर जनरल मोहम्मद रज़ा ज़ाहेदी भी शामिल थे। 

हालांकि इजरायल ने 1 अप्रैल को हुई एयर स्ट्राइक की जिम्मेदारी नहीं ली लेकिन ईरान ने इस हमले के लिए इजरायल को जिम्मेदार ठहराया था और शनिवार को ईरान ने 300 से ज्यादा बैलिस्टिक मिसाइलों, क्रूज मिसाइलों और ड्रोन के साथ इजरायल पर बड़ा हमला बोला था। हालांकि, इनमें से 99 प्रतिशत को इजरायल ने एयर डिफेंस सिस्टम की मदद से हवा में ही मार गिराया गया। ईरानी हमले को रोकने में इजरायल की मदद अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस के साथ ही पड़ोसी मुस्लिम देश जॉर्डन ने भी की। ईरान के इस हमले के बाद से ही इजराइल के पलटवार की आशंका जताई जा रही थी। अब इजराइल ने इसका जवाब दे दिया है।

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Apr 15 2024, 12:12

ईरान-इजरायल के बीच बने युद्ध के हालात, जानें भारत समेत पूरी दुनिया पर क्या होगा असर

#whateffectwillthewarbetweeniranandisraelhaveon_india

ईरान और इजरायल के बीच युद्ध के हालात बन गए हैं। दरअसल, ईरान ने इजरायल पर शनिवार देर रात सैकड़ों ड्रोन, क्रूज मिलाइल और बैलिस्टिक मिसाइलों से हमला किया है। इस हमले के बाद से मध्‍य-पूर्व में तनाव अपने चरम पर पहुंच गया है। ईरान और इजराइल के बीच युद्ध तेज होने की आशंका से पूरी दुनिया सहमी हुई है। युद्ध बढ़ने की आशंकाओं से दुनिया में महंगाई की टेंशन फिर बढ़ चुकी है। वहीं अंदेशा है कि आने वाला दिन ग्‍लोबल शेयर बाजार और अर्थव्‍यवस्‍थाओं के लिए अच्‍छा नहीं होने वाला है। साथ ही कई देशों के आयात-निर्यात कारोबार भी प्रभावित हो सकते हैं।इसके अलावा, सोने के दाम में भी उछाल आ सकता है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि अगर दोनों देशों के बीच युद्ध शुरू होता है तो आने वाला समय मुश्किल भरा हो सकता है।

ईरान और इजरायल के भू-राजनीतिक तनाव का असर पूरी दुनिया दिख सकता है, खासकर तेल की कीमतों में इजाफे के रूप में।अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड का दाम पहले ही 91 डॉलर प्रति बैरल के स्तर तक पहुंच चुका है, जो इसका पिछले 6 महीने का सबसे उच्च स्तर है। ईरान दुनियाभर के सबसे बड़े तेल उत्पादक देशों में से एक है।ऐसे में अगर ईरान और इजरायल का तनाव युद्ध में तब्दील होता है, तो इसका ऑयल प्रोडक्शन पर सीधा असर पड़ेगा।

युद्ध की आशंका से भारत भी “भयभीत”

युद्ध की आशंका ने भारत को भी डरा दिया है। युद्ध के हालात से भारत के आर्थिक हित भी दांव पर हैं। ईरान और इजरायल के बीच युद्ध का असर आर्थिक संबंधों पर पड़ सकता है। ईरान के साथ भारत की बढ़ती आर्थिक भागीदारी, इसमें विशेषकर चाबहार बंदरगाह विकास परियोजनाएं अधर में लटकी हुई हैं। यह बंदरगाह इस क्षेत्र में व्यापार मार्गों और कनेक्टिविटी को मजबूत करने के भारत के प्रयासों का हिस्सा है। ईरान-इजरायल युद्ध की आशंका को देखते हुए इसका असर महंगाई पर भी पड़ सकता है। कच्चे तेल की कीमत 100 डॉलर तक पहुंचने की आशंका व्यक्त की जा रही है। पिछले कुछ दिनों में कच्चे तेल की तेजी के पीछे यही संकट अहम माना जा रहा है। इसका असर महंगाई पर पड़ सकता है। साथ ही ग्लोबल सप्लाई चेन भी इससे प्रभावित हो सकती है।

भारत कच्चे तेल का सबसे बड़ा आयातक

भारत कच्चे तेल का सबसे अधिक आयात और उपभोग करने वाले देशों में से एक है। ऐसे में पश्चिम एशिया के तनाव का हम पर सीधा असर पड़ेगा। हमारी तेल आपूर्ति खतरे में आ सकती है। भारत फिलहाल करीब 40 देशों से अपनी जरूरत का 90 प्रतिशत तेल आयात करता है। देश में रोजाना 50 लाख बैरल क्रूड ऑयल की खपत होती है। पिछले वित्त वर्ष यानी 2023-24 की पहली छमाही की बात करें, तो भारत ने सबसे ज्यादा कच्चा तेल रूस से खरीदा। उसके बाद इराक और सऊदी अरब का नंबर था। भारत के लिए अच्छी बात यह है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद जहां अधिकतर देशों ने रूस से तेल खरीदना कम कर दिया, वहीं भारत लगातार उससे सस्ते भाव क्रूड ऑयल खरीद रहा है।

दोनों देशों के साथ कारोबार होंगे प्रभावित

भारत के दोनों ही देशों से कारोबारी संबंध है। ईरान और इजरायल के साथ पिछले साल भारत ने करीब 1.1 लाख करोड़ रुपये का कारोबार किया था। ईरान के साथ भारत ने 20800 करोड़ का कारोबार किया। भारत मुख्‍यत: ईरान को चाय, कॉफी, बासमती चावल और चीनी का निर्यात करता है। भारत से ईरान को पिछले साल 15300 करोड़ रुपये का निर्यात किया गया था। वहीं, ईरान से भारत ने पेट्रोलियम कोक, मेवे और कुछ अन्‍य चीजें आयात की। इनका मूल्‍य 5500 करोड रुपये था। साल 2023 में भारत का इजरायल के साथ 89 हजार करोड रुपये का कारोबार रहा। भारत ने ईरान को 70 हजार करोड रुपये का माल और सेवाओं का निर्यात किया।

सप्लाई चेन प्रभावित होने की आशंका

ईरान-इजरायल संघर्ष से सप्लाई चेन भी प्रभावित हो सकती है, क्योंकि ईरान स्वेज नहर को बंद करने की अपनी धमकी पर कायम है। स्वेज नहर रूट से फारस की खाड़ी के देशों से खनिज तेल भेजा जाता है। वहीं भारत और अन्य एशियाई देशों से चाय, जूट, कपास, मसाले और चीनी जैसी चीजों का पश्चिमी यूरोपीय देशों के साथ उत्तरी अमेरिका में निर्यात होता है। पश्चिमी देशों भी इसी रास्ते से केमिकल, इस्पात, दवाएं और गाड़ियां और वैज्ञानिक उपकरण आदि भेजते हैं। अगर यह रूट बंद होता है, तो वैश्विक व्यापार को बड़ा झटका लगेगा। दुनियाभर में महंगाई में भीषण इजाफा भी हो सकता है।

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Apr 15 2024, 11:31

ईरान से बदले की तैयारी में इजराइल, मिडिल ईस्ट में खुल सकता है एक और वॉर जोन

#israelretaliatetoiranattackwithinnext2448_hours

कभी यूक्रेन और रूस का युद्ध तो कभी इजरायल और हमास के बीच जंग और अब ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते तनाव के बाद युद्ध की आशंका से पूरी दुनिया सहमी हुई है। ईरान ने बैलिस्टिक मिसाइलों, क्रूज मिसाइलों और ड्रोन के साथ इजरायल पर बड़ा हमला बोला है। जिसके बाद ईरान और इजरायल के बीच तनाव चरम पर है। इजराइल ने ईरान से बदला लेने का मन बना लिया है। माना जा रहा है कि अगले 24-48 घंटों में इजराइल कभी भी ईरान पर हमला कर सकता है। इस बीच ईरान के प्रमुख नेता खामेनेई ने अमेरिका को चुनौती दी है कि जंग और भीषण होगी। ऐसे में साफ है कि इजराइल ने हमला किया तो ईरान विध्वंसक बदले से भी पीछे नहीं हटेगा। ऐसे हालात में एक और मोर्चे पर युद्ध शुरू हो सकता है।

बता दे कि शनिवार को ईरान ने 300 से ज्यादा बैलिस्टिक मिसाइलों, क्रूज मिसाइलों और ड्रोन के साथ इजरायल पर बड़ा हमला बोला। हालांकि, इनमें से 99 प्रतिशत को इजरायल ने एयर डिफेंस सिस्टम की मदद से हवा में ही मार गिराया गया। ईरानी हमले को रोकने में इजरायल की मदद अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस के साथ ही पड़ोसी मुस्लिम देश जॉर्डन ने भी की। अब ईरानी हमले के बाद इजरायल क्या प्रतिक्रिया देगा, सारी दुनिया की नजर इस पर है। इजरायल के प्रमुख राजनेताओं के बीच रविवार को इस बात पर चर्चा होती रही कि ईरान के मिसाइल और ड्रोन हमलों के बाद इजरायल का अगला कदम क्या होना चाहिए।

कब और कैसे हमला करेगा इजराइल?

ईरान के मिसाइल और ड्रोन हमले को नाकाम करने के बाद इजरायल अब जवाबी तैयारी कर रहा है। रविवार को इजराइल की वॉर कैबिनेट की बैठक हुई. बैठक में पीएम नेतन्याहु, रक्षा मंत्री गैलेंट, कैबिनेट मिनिस्टर बेनी गैंज इस बात पर तो एकमत रहे कि ईरान को करारा जवाब दिया जाएगा।

यरूशलम पोस्ट की खबर के अनुसार, इजरायल की वार कैबिनेट के सदस्य और बिना पोर्टपोलियो वाले मंत्री बेनी गैंट्ज ने कहा कि यह अभियान अभी खत्म नहीं हुआ है। एक वीडियो बयान में कहा कि इजरायल ईरान के खिलाफ हमले का तुरंत जवाब नहीं देगा। गैंट्स ने कहा, ईरान के खिलाफ हम एक क्षेत्रीय गठबंधन बनाएंगे और अपने हिसाब से सही समय पर इस हमले की कीमत वसूलेंगे। गैंट्ज से हमले को नाकाम करने को एक रणनीतिक उपलब्धि बताया जिसका इजरायल को अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए लाभ उठाना चाहिए।

बता दें कि वॉर कैबिनेट ने अटैक और डिफेंस के लिए अपने प्लान को अंतिम रूप दे दिया है। हालांकि, यह साफ नहीं है कि ईरान पर इजराइल कब हमला करेगा? सीधा हमला करेगा या कुछ और तरकीब अपनाएगा। उधर, इजराइल के जवाबी हमले को लेकर ईरान अलर्ट पर है।

अमेरिका ने किया आगाह

बता दें कि अमेरिका के मनाही के बावजूद इजराइल ने ईरान के हमले का जवाब देने का फैसला किया है। दरअसल, ईरानी के हमले के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इजराइली पीएम नेतन्याहू से बात की। इस दौरान बाइडेन ने इजराइल को सुरक्षा का भरोसा दिया।इजरायल को आगाह किया है कि वह ईरान के खिलाफ इजरायल की अगली कार्रवाई में साथ नहीं देगा। राष्ट्रपति बाइडन ने प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को एक स्पष्ट संदेश भेजा है। ईरान के हमले को विफल कर दिया गया है। इजराइल की जीत हुई है। इसलिए ईरानी धरती पर सीधा सैन्य हमला करके इस और बढ़ाने की जरूरत नहीं है।

मिडिल ईस्ट में जंग की आहट

इजरायल के सामने मुश्किल यह है कि एक तरफ उसका सबसे बड़ा सहयोगी अमेरिका उससे शांति की अपील कर रहा है, तो वहीं इजरायली सुरक्षा प्रतिष्ठान में कई हार्डलाइनर हैं जो ईरान पर मजबूती से हमला किए जाने पर जोर दे रहे हैं। नेतन्याहू के गठबंधन सहयोगी सुरक्षा मंत्री इतमार बेन गविर ने ईरान पर हमले में देरी को खोखला पश्चिमी विचार कहा है। तेल अवीव के नेताओं के बयानों से साफ है कि ईरान को इजरायल जवाब देगा। इसका मतलब है कि इजरायल का अगला कदम मध्य पूर्व में जंग शुरू कर देगा।

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Apr 05 2024, 15:30

बाइडेन ने एक फोन पर नरम पड़े नेतन्याहू, छह महीने बाद गाजा के साथ क्रॉसिंग खोला

#israelopensgazaerezcrossinghamaswaruswarning

हमास और इस्राइल के बीच कई माह से जंग जारी है। इस युद्ध को रुकवाने के लिए कोशिशें जारी है, लेकिन फिर भी जंग थमने का नाम नहीं ले रही है।इजराइल और हमास के बीच जारी जंग के दौरान अब तक की सबसे बड़ी राहत देने वाली खबर सामने आई है। पहले की तुलना में अब इजराइल के रुख में लचीलापन देखने को मिल रहा है। इजराइल की तरफ से शुक्रवार को कहा गया है कि वह गाजा पट्टी में मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए कदम उठा रहा है। जिसमें बुरी तरह प्रभावित उत्तरी गाजा की एक सीमा को फिर से खोलना भी शामिल है। इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के कार्यालय ने योजनाओं की घोषणा की।अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने गुरुवार को एक-दूसरे से फोन पर बातचीत की। जिसके बाद नेतन्याहू के रूख में नर्मी देखी जा रही है।

इजरायल की सुरक्षा कैबिनेट ने 7 अक्टूबर के हमास हमलों के बाद पहली बार इजरायल और उत्तरी गाजा के बीच इरेज़ क्रॉसिंग को फिर से खोलने की मंजूरी दे दी है। सीएनएन के मुताबिक एक इजरायली अधिकारी ने गुरुवार को यह जानकारी दी।

इज़रायली अधिकारी ने कहा कि गाजा में अधिक मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए क्रॉसिंग को खोला जाएगा। कैबिनेट ने गाजा में अधिक सहायता पहुंचाने में मदद के लिए इजरायली बंदरगाह अशदोद का इस्तेमाल करने की भी मंजूरी दे दी। इरेज क्रॉसिंग, एक पैदल यात्री मार्ग है। यह उन बॉर्डर प्वाइंट्स में से एक है जिसका उल्लंघन 7 अक्टूबर को हमास लड़ाकों ने इजरायल पर हमला करने के लिए किया था।

बाइडन और नेतन्याहू के बीच फोन पर हुई बातचीत

इजराइल की तरफ से यह घोषणा अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और नेतन्याहू के बीच फोन पर हुई बातचीत के बाद की गई है। इससे पहले फोन पर दोनों नेताओं के बीच बातचीत हुई थी। बातचीत के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति ने अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा था कि गाजा में युद्ध के लिए भविष्य का अमेरिकी समर्थन नागरिकों और सहायता कर्मियों की सुरक्षा के लिए इजराइल की ओर से और अधिक कदम उठाए जाने पर निर्भर करेगा। 

बता दें कि मतभेदों के बावजूद, बाइडन प्रशासन ने हमास के खिलाफ इजराइल के युद्ध के लिए इजराइल को महत्वपूर्ण सैन्य सहायता और राजनयिक समर्थन प्रदान करना जारी रखा है।

सात अक्तूबर को हमास ने किया था हमला

बता दें, इजराइल और हमास के बीच युद्ध लगातार जारी है। हर तरफ चीख-पुकार मची हुई है। सात अक्तूबर से लेकर अब तक 30 हजार से अधिक लोगों की इस संघर्ष में मौत हो चुकी है। वहीं, हमास के बाद इजराइली सेना भी कार्रवाई करते हुए बिना रुके हमले कर रही है। इजराइल ने गाजा में जमीन, हवाई, समुद्र समेत सभी यात्राओं पर प्रतिबंध लगा दिया था। पहले लोगों की आवाजाही के लिए इरेज और माल के लिए केरेम शालोम बॉर्डर थे।

इस कारण इजराइल की हो रही आलोचना

गौरतलब है कि गाजा में एक इजरायली हवाई हमले में ‘वर्ल्ड सेंट्रल किचन’ के 7 अंतरराष्ट्रीय सहायताकर्मियों की मौत हो जाने के बाद इजरायल की दुनिया भर में आलोचना हो रही हैं। यह सभी लोग गाजा में फूड सप्लाई के काम में लगे थे। हमले में ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, पोलैंड, ब्रिटेन और अमेरिका के वर्ल्ड सेंट्रल किचन कार्यकर्ताओं के साथ-साथ उनका एक फिलिस्तीनी सहयोगी मारा गया। इजराइल का कहना है कि हमला एक गंभीर गलती थी और उसने माफी मांगी है। इसमें स्वतंत्र जांच का भी वादा किया गया है।

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Jan 26 2024, 20:05

इजरायल को गाजा में नरसंहार रोकने का आदेश, इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस का आदेश

#gazagenocideicjorderisraelpreventpunish_incitement

इजरायल और हमास के बीच युद्ध जारी है। इस बीच साउथ अफ्रीका इजरायल पर गाजा में जनसंहार का आरोप लगाते हुए इंटरनेशनल कोर्ट में मामला उठाया था। इस पर कोर्ट ने फैसला सुनाया है।इजराइल के हमले झेल रहे गाजा में तत्काल संघर्ष विराम करने के दक्षिण अफ़्रीका के आग्रह पर इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस यानी आईसीजे ने सहमति नहीं जताई है। संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को कहा कि वह उस मामले को खारिज नहीं करेगी जिसमें इजराइल पर गाजा में नरसंहार का आरोप लगाया गया है, लेकिन उसने यह भी कहा कि वह छोटे तटीय इलाकों में जारी अपने सैन्य हमलों में जान-माल के नुकसान को रोकने की कोशिश करे। 

सुनवाई कर रहे 17 जजों में से ज़्यादातर ने ये कहा कि इजराइल को अपनी क्षमता के अनुसार हर वो चीज करनी चाहिए जिससे फ़िलिस्तीनी लोगों की मौतों, शारीरिक या मानसिक तौर पर क्षति पहुंचाने से बचाया जा सके।कोर्ट ने ये भी कहा कि इजराइल को कोई भी ऐसा कदम नहीं उठाना चाहिए जो फ़िलिस्तीनी महिलाओं को बच्चों को जन्म देने में बाधा पहुंचाता हो।कोर्ट ने कहा कि इजरायल को यह सुनिश्चित करना होगा कि उसकी सेना कोई नरसंहारक कृत्य न करे। इजरायल को ऐसी किसी भी सार्वजनिक टिप्पणी को रोकना और दंडित करना चाहिए जिसे गाजा में नरसंहार के लिए उकसाने वाला माना जा सकता है। इजरायल को मानवीय पहुंच सुनिश्चित करने के लिए उपाय करने चाहिए। इजरायल को ऐसे किसी भी सबूत को नष्ट होने से रोकना चाहिए जिसका इस्तेमाल नरसंहार के मामले में किया जा सकता है।

आईसीजे में अपील दर्ज

दरअसल दक्षिण अफ्रीका ने इजराइल को गाजा पट्टी में अपने सैन्य अभियानों को तुरंत निलंबित करने के लिए मजबूर करने को आईसीजे में एक तत्काल अपील दर्ज की है। दक्षिण अफ्रीका ने अपने आरोप को पूरे युद्ध के दौरान इजराइल की कार्रवाइयों और गाजा में फिलिस्तीनियों के बारे में इजराइली अधिकारियों की विवादास्पद टिप्पणियों और उनके साथ कैसे व्यवहार किया जाना चाहिए, दोनों पर आधारित किया है।

नरसंहार के आरोपों को किया खारिज

नेतन्याहू ने आईसीजे में इजराइल के खिलाफ लगाए गए नरसंहार के आरोपों को खारिज करते हुए जोरदार ढंग से कहा कि हमें कोई नहीं रोकेगा। रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने इन दावों को यहूदी लोगों के खिलाफ एक और नरसंहार करने की कोशिश करने वालों द्वारा किया गया पाखंडी हमला बताया। साथ ही नेतन्याहू ने हमास-नियंत्रित क्षेत्रों में खोजे गए यहूदी विरोधी भावना के उदाहरणों पर प्रकाश डाला।

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Dec 25 2023, 10:42

क्रिसमस के दिन इजरायल का गाजा के शरणार्थी शिविर पर हवाई हमला, 70 लोगों की मौत*

#israellaunchesmajorairstrikeongaza70people_killed

इजराइल और हमास के बीच जंग थमने के बजाय बढ़ती ही जा रही है।इस बीच इजरायल ने क्रिसमस के दिन गाजा पर बड़ा एयरस्ट्राइक किया है। इजरायल ने क्रिसमिस की पूर्व संध्या से लेकर सोमवार की सुबह तक गाजा पर बम बरसाए हैं। इस हमले में करीब 70 लोगों की मौत की खबर है।रविवार को हमास द्वारा संचालित गाजा में स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि एक शरणार्थी शिविर में कई घरों पर हुए इजरायली हवाई हमले में कम से कम 70 लोग मारे गए हैं। मंत्रालय ने कहा कि इजरायली हमले में फिलिस्तीनी क्षेत्र के केंद्र में अल-मगाजी शिविर में घरों को नष्ट कर दिया।

यह हमला अल-मगाज़ी शरणार्थी शिविर पर किया गया है। वहीं इस पूरी घटनाक्रम पर इजरायल की सेना ने भी बयान जारी किया है। इजरायल की सेना ने कहा है कि वो इस घटना की समीक्षा कर रहे हैं। सेना का कहना है कि वो हमास को निशाना बनाना चाहते हैं न कि आम नागरिकों को

24 घंटों में 166 फिलिस्तीनी मारे गए

गाजा स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता ने रविवार को कहा कि पिछले 24 घंटों में 166 फिलिस्तीनी मारे गए हैं, जिससे कुल फिलिस्तीनी मरने वालों की संख्या 20,424 हो गई है। हज़ारों लोग घायल हुए हैं, माना जाता है कि कई शव मलबे में दबे हुए हैं। गाजा के 23 लाख लोगों में से लगभग सभी विस्थापित हो चुके हैं। 

15 इजराइली सैनिकों की मौत

इजराइली सेना ने कहा कि पिछले दिनों नौ सैनिक मारे गए थे, जिससे यह संख्या बढ़कर 15 हो गई है। बता दें कि 7 अक्टूबर को इजराइल में हमास के हमले के जवाब में अपनी जमीनी घुसपैठ शुरू की थी। हमास के हमले में आतंकवादियों ने 1,200 लोगों को मार डाला था और 240 बंधकों को ले लिया था।

लड़ना जारी रखने के अलावा कोई विकल्प नहीं- नेतन्याहू

दोनों तरफ से जारी युद्ध के बीच प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने रविवार को एक कैबिनेट बैठक में कहा कि युद्ध में हमें बहुत भारी कीमत चुकानी पड़ रही है। हालांकि हमारे पास लड़ना जारी रखने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। बता दें कि 7 अक्टूबर को हमास ने सबसे पहले इजरायल पर हमला किया था। इसके बाद इजरायल ने हमाल के खिलाफ जंग छेड़ दी।

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Dec 06 2023, 14:31

हमास के बंधक इजराइली महिलाओं से रेप और अत्याचार पर भड़के नेतन्याहू, अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों की चुप्पी पर उठाया सवाल

#israelpmoninternationalorganizationsoversilenceonhamastortureon_women

हमास ने 7 अक्टूबर के हमले के बाद बंधक बनाई गईं इजरायली महिला सैनिकों के साथ क्रूरता की सभी सीमाओं को लांघ दिया। आतंकियों ने महिला सैनिकों को टॉर्चर करने के लिए हर वो तरीका अपनाया, जिसकी कल्पना तक नहीं की जा सकती। कई इजरायली महिला सैनिकों के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया। हमास की हैवानियत का खुलासा मृत इजरायली सैनिकों के शवों को दफनाने वाले डॉक्टरों और वॉलियंटर्स ने की है। उन्होंने जो भी बताया है, वह किसी भी इंसान को भावुक कर सकता है। इसे संयुक्त राष्ट्र के मंच पर भी साझा किया गया है, ताकि दुनिया को हमास की सच्चाई पता चल सके।हमास की इन दिल दहला देने वाली हरकतों पर इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों पर सवाल उठाए हैं। नेतन्याहू ने इजरायली महिलाओं के खिलाफ हमास द्वारा किए गए रेप और अन्य अत्याचारों के बारे में चुप्पी साधने के लिए अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों, महिला समूहों और संयुक्त राष्ट्र की कड़ी आलोचना की है।

अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों की चुप्पी पर उठाया सवाल

नेतन्याहू ने अपने आधिकारिक एक्स पर पोस्ट किया हौ। इसमें लिखा कि "मैं महिला अधिकार संगठनों, मानवाधिकार संगठनों से कहता हूं कि 'आपने इजराइली महिलाओं के रेप, भयानक अत्याचार, यौन उत्पीड़न के बारे में सुना है- आप कहां हैं?' नेतन्याहू ने इजराइली महिलाओं पर हुए हमास के अत्याचारों पर अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के चुप्पी पर उन्हें आड़े हाथों लिया। 

अत्याचार के खिलाफ बोलने की उम्मीद करता हूं- नेतन्याहू

इजरायली पीएम ने कहा मैं सभी सभ्य नेताओं, सरकारों, देशों से इस अत्याचार के खिलाफ बोलने की उम्मीद करता हूं। उन्होंने तेल अवीव में रक्षामंत्री योव गैलेंट और मंत्री बेनी गैंट्ज़ के साथ एक संवाददाता सम्मेलन में यह टिप्पणी की। 

”आप इस वजह से चुप हैं, क्योंकि वे यहूदी महिलाएं थी?”

नेतन्याहू ने कहा कि उन्होंने रिहा किए गए बंधकों और पहले भी बंधक बनाए गए लोगों के रिश्तेदारों से मुलाकात की। उन्होंने बताया, 'मैंने उनकी दिल दहला देने वाली कहानियां सुनी। मुझे दुष्कर्म की दर्दनाक कहानियां बताई गई। नेतन्याहू ने आगे कहा कि लेकिन इन सब में महिला संगठन या अन्य संगठन की तरफ से एक शब्द भी नहीं कहा गया। उन्होंने इन संगठनों से सवाल किया, आप इस वजह से चुप हैं, क्योंकि वे यहूदी महिलाएं थी?

हमास के खिलाफ दक्षिणी गाजा में हमले और तेज

बता दें कि संघर्ष विराम के बाद इजरायल में हमास के खिलाफ दक्षिणी गाजा में हमले और तेज कर दिए हैं। इजरायली सेना, आईडीएफ ने उत्तर के बाद दक्षिण गाजा पर हमले तेज किए हैं। गाजा के जल्दी पूरी तरह से आईडीएफ के नियंत्रण में जाने की संभावना के बीच इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने युद्ध के लक्ष्यों को दोहराया है। नेतन्याहू ने एक बार फिर हमास की कमर तोड़ने और हमास के सभी कमांडरों को खत्म करने की बात दोहराई है। साथ ही नेतन्याहू ने कहा है कि इजरायली सेना गाजा पट्टी में एक विसैन्यीकृत क्षेत्र बनाने के लिए काम करेगी।

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Nov 15 2023, 18:50

भारत के बाद जस्टिन ट्रूडो की इजरायल से भिड़ने की कोशिश, हमास के साथ युद्ध पर दिया सलाह, नेतन्‍याहू ने फटकारा

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इजरायल और हमास के बीच पिछले एक महीने से अधिक समय से जंग जारी है। हमास के हमले के बाद इजरायली सेना की ओर से गाजा पट्टी पर कार्रवाई जारी है। इस युद्ध में कई मासूम लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया है। जिनमें बच्चे भी शामिल हैं। युद्ध के दौरान कई ऐसी तस्वीरें सामने आई हैं, जो दिल दहला देने वाली है। इस बीच कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने गाजा में मची तबाही के लिए इजराइल को जिम्मेदार ठहराया है। साथ ही इस बर्बरता को जल्द से जल्द रोकने की मांग की है। जिसपर इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्‍याहू ने कनाडा के समकक्ष जस्टिन ट्रूडो को करार जवाब दिया है। 

क्या बोले ट्रूडो?

इजराइल-हमास युद्ध में पश्चिमी देश इसराइल के साथ खड़े हैं। उसमें एक नाम कनाडा का भी है। कनाडा ने पिछले हफ़्ते संयुक्त राष्ट्र महासभा में उस प्रस्ताव के ख़िलाफ़ वोट किया, जिसमें कब्ज़े वाले फ़िलिस्तीनी क्षेत्र में इजराइली बस्तियों की निंदा की गई थी। एक तरफ़ कनाडा यूएन में खुलकर इसराइल के साथ खड़ा है और दूसरी तरफ़ वहाँ के प्रधानमंत्री इजराइल को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं। मंगलवार को कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा कि गाजा में महिलाओं, बच्चों और नवजातों की हत्या बंद होनी चाहिए। जस्टिन ट्रूडो ने इजराइल सरकार से ज़्यादा से ज़्यादा संयम बरतने की अपील की है। ट्रूडो ने कहा कि पूरी दुनिया टीवी और सोशल मीडिया पर देख रही है। हम डॉक्टरों, परिवार के लोगों, जीवित बचे लोगों और उन बच्चों की वेदना सुन रहे हैं, जिन्होंने अपने माता-पिता को खो दिया है।

नेतन्याहू ने दिया ये जवाब

ट्रूडो के बयान पर नेतन्याहू ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। कहा है कि नागरिकों को जानबूझकर निशाना इजरायल नहीं बल्कि हमास बना रहा है। नेतन्याहू ने ट्विटर पर लिखा, यह इजराइल नहीं है जो जानबूझकर नागरिकों को निशाना बना रहा है, बल्कि हमास ने यहूदियों पर किए गए सबसे भयानक हमले में नागरिकों के सिर काटे और जलाए।जहां इज़राइल नागरिकों को नुकसान से दूर रखने के लिए सब कुछ कर रहा है, वहीं हमास उन्हें नुकसान से बचाने के लिए सब कुछ कर रहा है।

उन्होंने आगे लिखा, इज़राइल गाजा में नागरिकों को मानवीय गलियारे और सुरक्षित क्षेत्र प्रदान करता है, हमास उन्हें बंदूक की नोक पर जाने से रोकता है। यह हमास है, इज़राइल नहीं जिसे दोहरे युद्ध अपराध करने के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए - नागरिकों के पीछे छिपकर नागरिकों को निशाना बनाना. सभ्यता की ताकतों को हमास की बर्बरता को हराने में इज़राइल का समर्थन करना चाहिए।

बता दें कि हमास और इजराइल के बीच चल रही इस जंग में गाजा में करीब 11 हजार लोगों की जान जा चुकी है, वहीं करीब 15 लाख लोग बेघर हो गए हैं। शहरों की बिजली काट दी गई है, पानी बंद कर दिया गया है, लोग बूंद बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं। वहीं बच्चे भूख से बिलख रहे हैं। अस्पतालों के हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं, जहां फ्यूल की कमी से लोगों की मौत हो रही है। वहीं इनक्यूबेटरों को बंद कर दिया गया है जिसके बाद नवजात बच्चों को गर्म रखने के लिए उन्हें एक साथ रखा जा रहा है। अस्पतालों की इन तस्वीरों ने दुनियाभर के देशों का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित किया है।

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Nov 07 2023, 15:12

हर स्थित में इजराइल के साथ खड़ा होता है अमेरिका, दोनों देशों के बीच दोस्ती की क्या है वजह?

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हमास के हमले के बाद इजराइल को अमेरिका का पूरा समर्थन मिल रहा है। अमेरिका की तरफ से इजरायल के लिए हरह संभव सैन्य सहायता मुहैया कराई जा रही है। इजरायल की ओर से गाजा पर किए गए हमलों के बाद भी अमेरिका ने इजरायल का साथ दिया। गाजा पर इजरायली हमले में अमेरिका ने किसी भी तरह की दखलअंदाजी से इनकार कर दिया और इसे इजरायल की रक्षा का अधिकार बताया। यही नहीं, हमास के हमले के चंद दिन बाद ही अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने तेल अवीव पहुंच कर इजराइल के प्रति अमेरिका की एकजुटता जाहिर की। इतना ही नहीं अमेरिका ने इजरायल के लिए खाड़ी देशों से दुश्मनी मोल ली है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि अमेरिका क्यों हर बार इजरायल के साथ खड़ा रहता है?

सबसे पहले अमेरिका ने दी थी इजराइल को मान्यता

इजराइल और अमेरिका के बेहतरीन रिश्तों का इतिहास क्या है और आखिर वो कौन से राजनीतिक, कूटनीतिक और आर्थिक समीकरण हैं, जिनकी वजह से अमेरिका हमेशा इजराइल के हर कदम को सही करार देता है। जानते हैं इसके पीछे की वजह। अमेरिकी राष्ट्रपति हेनरी ट्रुमैन दुनिया के पहले ऐसे राजनेता थे, जिन्होंने सबसे पहले इजराइल को मान्यता दी थी।1948 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति हेनरी ट्रूमैन यहूदी राज्य के निर्माण के कुछ ही क्षण बाद इसे मान्यता देने वाले पहले विश्व नेता बने थे।इजराइल के अस्तित्व के ऐलान के महज 11 मिनटों के भीतर उसे अमेरिकी मान्यता मिल गई थी।

इजराइल को मान्यता देने के पीछे की वजह

दरअसल ये द्वितीय विश्वयुद्ध के ठीक बाद का दौर था जब अमेरिका और सोवियत संघ के बीच शीत युद्ध ने आकार लेना शुरू कर दिया था। उस दौरान अरब देश अपने तेल भंडारों और समुद्री रास्तों (स्वेज नहर का मार्ग ऐसा व्यापारिक रास्ता था, जिसके जरिये बड़े पैमाने पर अंतरराष्ट्रीय व्यापार होता था) की वजह से इलाक में दो वैश्विक शक्तियों के शक्ति परीक्षण का अखाड़ा बन गया था।यूरोपीय ताकतें कमजोर हो रही थीं और अमेरिका अरब जगत में सत्ता संघर्ष का बड़ा बिचौलिया बन कर उभर रहा था।तेल रिजर्व को लेकर अरब जगत में अमेरिका के हित बढ़ गए थे। लिहाजा उसे अरब देशों को नियंत्रित करने के लिए इजराइल की जरूरत थी। यही वजह थी कि अमेरिका ने इजराइल को मान्यता देने और एक सैन्य ताकत में उसे बढ़ावा देने में कोई देर नहीं की।

इजरायल को सुपरपावर बनाने में अमेरिका के बड़ा हाथ

आज इजराइल की गिनती दुनिया के ताकतवर देशों में होती हैं। इजरायल को सुपरपावर बनाने में अमेरिका के बड़ा हाथ है।इजराइल को अमेरिका मध्य पूर्व में एक महत्वपूर्ण सहयोगी की तरह देखता है।इसके लिए यूएस की ओर से इजरायल को हर तरह से मदद दी जाती है।एक रिपोर्ट बताती है कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से इजरायल अमेरिकी सहायता प्राप्त करने वाले देशों में सबसे ऊपर है।रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका 1948 से अब तक इजरायल को 158 अरब डॉलर की मदद दे चुका है।रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका ने साल 2022 में इजरायल को 4.8 अरब डॉलर की मदद दी थी और साल 2023 में अब तक ही 3.8 अरब डॉलर की आर्थिक मदद दे चुका है।ये एक लंबे समय के लिए की जाने वाली सालाना मदद का हिस्सा है, जिसका वादा अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा की सरकार ने किया था।वहीं दूसरी ओर अमेरिका ने बीते कुछ सालों में इजरायल को दुनिया की सबसे उन्नत मिलिट्री में से एक बनाने में भी पूरी मदद की है।अमेरिकी फंड की मदद से इजरायल अमेरिका से सैन्य साजो-सामान की खरीद-फरोख्त करता है।

आज भले ही इजराइल-अमेरिका के दोस्ती का बात कही जाती है, लेकिन अतीत में दोनों के रिश्तों में खटास भी दिखी है। स्वेज नहर को लेकर जब इजराइल ने फ्रांस और ब्रिटेन के साथ मिलकर लड़ाई छेड़ दी थी तो अमेरिका का आइजनहावर प्रशासन उससे बेहद नाराज हो गया था। अमेरिकी राष्ट्रपति ने इजराइल को धमकी दी कि अगर उसने इस लड़ाई के दौरान कब्जा किए गए इलाकों को खाली नहीं किया तो उसकी मदद रोक दी जाएगी।दबाव में इजराइल को इन इलाकों से पीछे हटना पड़ा था।इसी तरह 1960 के दशक में अमेरिका और इजराइल के रिश्तों में तनातनी दिखी। उस वक्त अमेरिका का कैनेडी प्रशासन इसराइल के गुप्त परमाणु कार्यक्रमों को लेकर चिंतित था। हालांकि 1967 में जब मात्र छह दिनों की लड़ाई में इजराइल ने जॉर्डन, सीरिया और मिस्त्र को हरा कर अरब जगत के एक बड़े भू-भाग पर कब्जा कर लिया तो इस यहूदी देश को देखने का अमेरिकी नज़रिया पूरी तरह बदल गया।इजराइल की इसी जीत के बाद अमेरिका ने उसे अरब जगत में सोवियत संघ के ख़िलाफ़ एक स्थायी पार्टनर के तौर पर देखना शुरू किया था।

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Oct 26 2023, 10:05

हमास को आतंकवादी संगठन घोषित करे भारत, इजरायल की मोदी सरकार से बड़ी अपील

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इस्राइल और हमास के बीच बीते दो सप्ताह से ज्यादा समय से युद्ध जारी है।हमास-इजरायल जंग ने दुनियाभर के देशों के दो खेमे में बांट दिया है।अमेरिका और ब्रिटेन जहां इजरायल का खुले तौर पर समर्थन कर रहे हैं। वहीं ईरान औऱ तुर्की हमास के पक्ष में खड़े दिख रहे हैं।तुर्की ने तो यहां तक कह दिया कि हमास आतंकी संगठन नहीं, बल्कि एक मुक्ति समूह है।इस बीच, इस्राइल के राजदूत नाओर गिलोन ने भारत सरकार से बड़ी अपील की है।भारत में इजरायल के राजदूत नाओर गिलोन ने कहा है कि भारत के लिए समय आ गया है कि वह अन्य कई देशों की तरह हमास को आतंकवादी संगठन घोषित करे। इजरायली राजदूत ने पत्रकारों से बातचीत में हमास के खिलाफ आतकंवाद-रोधी अभियानों में इजरायल का समर्थन करने के लिए भारत के प्रति आभार भी प्रकट किया।

इस्राइल के राजदूत नाओर गिलोन ने बुधवार को कहा कि भारत हमास को एक आतंकवादी संगठन के रूप में प्रतिबंधित करे, जैसा कि कई अन्य देशों ने किया है। गिलोन ने कहा कि सात अक्तूबर को क्रूर हमले के बाद इस्राइल ने हमास को आतंकवादी संगठन घोषित करने के लिए संबंधित भारतीय अधिकारियों से अवगत करा दिया है। साथ ही उन्होंने संकेत दिया कि इस मामले को पहले भी उठाया गया था। 

पीएम मोदी की तारीफ

गिलोन ने कहा, हमारे लिए महत्वपूर्ण देश हमारे साथ हैं। ये दुनिया के लोकतंत्र हैं। ऐसा कहने के बाद...मुझे लगता है कि भारत द्वारा हमास को आतंकवादी संगठन के रूप में घोषित करने का समय आ गया है।इजरायली राजदूत ने कहा कि अमेरिका, कनाडा सहित कई देश और यूरोपीय संघ पहले ही हमास को आतंकवादी संगठन घोषित कर चुका है। गिलोन ने कहा, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उन शुरुआती वैश्विक नेताओं में से एक हैं, जिन्होंने आतंकवादी हमले की निंदा की। भारत दुनिया में एक बहुत ही महत्वपूर्ण नैतिक पहचान वाला देश है और हमारे लिए महत्वपूर्ण देश हमारे साथ हैं।

यही सही समय है

उन्होंने आगे कहा, भारत के लिए यही समय है कि वह हमास को आतंकवादी संगठन घोषित करे। गिलोन ने कहा, इजरायल के लिए यह पश्चिम एशिया में अस्तित्व बचाने का युद्ध है।उन्होंने दोहराया कि इजरायल हमास को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है। गिलोन का मानना है कि इस संघर्ष का इजरायल की आर्थिक संभावनाओं पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

हमास को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध

बता दें कि सात अक्टूबर को गाजा से हमास के चरमपंथियों ने इजराइल के खिलाफ जबरदस्त और विभिन्न मोर्चों से हमला कर दिया था, जिसके बाद से संघर्ष जारी है. इजराइल ने भी बदला लेने के इरादे से गाजा पर भीषण जवाबी हमला किया है। गिलोन ने कहा कि इजराइल के लिए यह पश्चिम एशिया में अस्तित्व बचाने का युद्ध है। उन्होंने कहा कि इजराइल हमास को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है।

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Apr 19 2024, 09:02

इजराइल ने ले लिया अपना बदला, ईरान पर दागी मिसाइलें

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इजरायल और हमास के बीच संघर्ष चल रहा है। रविवार के शुरुआती घंटों में इजरायल पर ईरान ने हमला किया था। अब इजरायल ने ईरान से बदला लेना शुरू कर दिया है। इजरायल ने ईरान पर मिसाइल दागे हैं। बता दें कि शनिवार को ईरान ने इजराइल पर मिसाइलों और ड्रोन्स से हमला किया था। जिसके बाद इजराइल ने भी पलटवार किया है और ईरान पर मिसाइलों से हमला किया है।ईरान के शहर इस्फहान में धमाकों की आवाज सुनाई दी है और ईरान ने अपने वायु क्षेत्र में सभी फ्लाइट के आने जाने पर रोक लगा दी है।

दोनों देशों में तनाव की शुरुआत 1 अप्रैल को हुई थी। इजराइल ने सीरिया की राजधानी दमिश्क में ईरान के दूतावास पर हमला किया था। इसके बाद 14 अप्रैल को ईरान ने इजराइल पर पलटवार किया और अब इजराइल ने उस हमले का जवाब दिया है।ईरान की फारस न्यूज एजेंसी ने भी दावा किया है कि ईरान के शहर इसाफान के एयरपोर्ट में धमाके की आवाज सुनी गई है। बता दें कि ईरान के कई परमाणु ठिकाने इसाफान प्रांत में ही स्थित हैं, जिनमें ईरान में यूरेनियम संवर्धन का प्रमुख केंद्र भी यहीं पर मौजूद है।

ABC News की रिपोर्ट में अमेरिकी अधिकारी के हवाले से यह दावा किया गया है। बताया जा रहा है कि इजरायली मिसाइल ने ईरान के परमाणु संयंत्रों को निशाना बनाकर दागी गई हैं। इजरायल डिफेंस फोर्स (IDF) ने बताया कि उत्‍तरी इजरायल के अरब अल-अरामशे में इमर्जेंसी सायरन बजाया गया है। आमतौर पर इसके जर‍िये आम लोगों और स्‍थानीय प्रशासन को सतर्क किया जाता है।

हमले के बाद ईरान ने अपना एयरस्पेस बंद कर दिया है। ईरानी सोशल मीडिया पर आए फुटेज में दिख रहा है कि इमाम खुमैनी इंटरनेशनल हवाी अड्डे पर घोषणआ की जा रही है, जिसमें यात्रियों को बताया जा रहा है कि सभी उड़ानें रद्द कर दी गई हैं। यात्रियों को हवाई अड्डा छोड़ने को कहा गया है। इसके अलावा तेहरान आने वाले विमानों को भी डायवर्ट कर दिया गया है।

बता दें कि इजरायल पर ईरान के बीच संघर्ष के बाद से ही पूरे मध्य पूर्व में तनाव चरम पर है। दरअसल, सीरिया की राजधानी दमिश्क में स्थित ईरानी दूतावास पर 1 अप्रैल को हमला हुआ था। इस हमले में 13 लोगों की मौत हो गई थी।0 मारे गए लोगों में सीरिया और लेबनान में ईरान के विशिष्ट कुद्स बल के सीनियर कमांडर ब्रिगेडियर जनरल मोहम्मद रज़ा ज़ाहेदी भी शामिल थे। 

हालांकि इजरायल ने 1 अप्रैल को हुई एयर स्ट्राइक की जिम्मेदारी नहीं ली लेकिन ईरान ने इस हमले के लिए इजरायल को जिम्मेदार ठहराया था और शनिवार को ईरान ने 300 से ज्यादा बैलिस्टिक मिसाइलों, क्रूज मिसाइलों और ड्रोन के साथ इजरायल पर बड़ा हमला बोला था। हालांकि, इनमें से 99 प्रतिशत को इजरायल ने एयर डिफेंस सिस्टम की मदद से हवा में ही मार गिराया गया। ईरानी हमले को रोकने में इजरायल की मदद अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस के साथ ही पड़ोसी मुस्लिम देश जॉर्डन ने भी की। ईरान के इस हमले के बाद से ही इजराइल के पलटवार की आशंका जताई जा रही थी। अब इजराइल ने इसका जवाब दे दिया है।

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Apr 15 2024, 12:12

ईरान-इजरायल के बीच बने युद्ध के हालात, जानें भारत समेत पूरी दुनिया पर क्या होगा असर

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ईरान और इजरायल के बीच युद्ध के हालात बन गए हैं। दरअसल, ईरान ने इजरायल पर शनिवार देर रात सैकड़ों ड्रोन, क्रूज मिलाइल और बैलिस्टिक मिसाइलों से हमला किया है। इस हमले के बाद से मध्‍य-पूर्व में तनाव अपने चरम पर पहुंच गया है। ईरान और इजराइल के बीच युद्ध तेज होने की आशंका से पूरी दुनिया सहमी हुई है। युद्ध बढ़ने की आशंकाओं से दुनिया में महंगाई की टेंशन फिर बढ़ चुकी है। वहीं अंदेशा है कि आने वाला दिन ग्‍लोबल शेयर बाजार और अर्थव्‍यवस्‍थाओं के लिए अच्‍छा नहीं होने वाला है। साथ ही कई देशों के आयात-निर्यात कारोबार भी प्रभावित हो सकते हैं।इसके अलावा, सोने के दाम में भी उछाल आ सकता है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि अगर दोनों देशों के बीच युद्ध शुरू होता है तो आने वाला समय मुश्किल भरा हो सकता है।

ईरान और इजरायल के भू-राजनीतिक तनाव का असर पूरी दुनिया दिख सकता है, खासकर तेल की कीमतों में इजाफे के रूप में।अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड का दाम पहले ही 91 डॉलर प्रति बैरल के स्तर तक पहुंच चुका है, जो इसका पिछले 6 महीने का सबसे उच्च स्तर है। ईरान दुनियाभर के सबसे बड़े तेल उत्पादक देशों में से एक है।ऐसे में अगर ईरान और इजरायल का तनाव युद्ध में तब्दील होता है, तो इसका ऑयल प्रोडक्शन पर सीधा असर पड़ेगा।

युद्ध की आशंका से भारत भी “भयभीत”

युद्ध की आशंका ने भारत को भी डरा दिया है। युद्ध के हालात से भारत के आर्थिक हित भी दांव पर हैं। ईरान और इजरायल के बीच युद्ध का असर आर्थिक संबंधों पर पड़ सकता है। ईरान के साथ भारत की बढ़ती आर्थिक भागीदारी, इसमें विशेषकर चाबहार बंदरगाह विकास परियोजनाएं अधर में लटकी हुई हैं। यह बंदरगाह इस क्षेत्र में व्यापार मार्गों और कनेक्टिविटी को मजबूत करने के भारत के प्रयासों का हिस्सा है। ईरान-इजरायल युद्ध की आशंका को देखते हुए इसका असर महंगाई पर भी पड़ सकता है। कच्चे तेल की कीमत 100 डॉलर तक पहुंचने की आशंका व्यक्त की जा रही है। पिछले कुछ दिनों में कच्चे तेल की तेजी के पीछे यही संकट अहम माना जा रहा है। इसका असर महंगाई पर पड़ सकता है। साथ ही ग्लोबल सप्लाई चेन भी इससे प्रभावित हो सकती है।

भारत कच्चे तेल का सबसे बड़ा आयातक

भारत कच्चे तेल का सबसे अधिक आयात और उपभोग करने वाले देशों में से एक है। ऐसे में पश्चिम एशिया के तनाव का हम पर सीधा असर पड़ेगा। हमारी तेल आपूर्ति खतरे में आ सकती है। भारत फिलहाल करीब 40 देशों से अपनी जरूरत का 90 प्रतिशत तेल आयात करता है। देश में रोजाना 50 लाख बैरल क्रूड ऑयल की खपत होती है। पिछले वित्त वर्ष यानी 2023-24 की पहली छमाही की बात करें, तो भारत ने सबसे ज्यादा कच्चा तेल रूस से खरीदा। उसके बाद इराक और सऊदी अरब का नंबर था। भारत के लिए अच्छी बात यह है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद जहां अधिकतर देशों ने रूस से तेल खरीदना कम कर दिया, वहीं भारत लगातार उससे सस्ते भाव क्रूड ऑयल खरीद रहा है।

दोनों देशों के साथ कारोबार होंगे प्रभावित

भारत के दोनों ही देशों से कारोबारी संबंध है। ईरान और इजरायल के साथ पिछले साल भारत ने करीब 1.1 लाख करोड़ रुपये का कारोबार किया था। ईरान के साथ भारत ने 20800 करोड़ का कारोबार किया। भारत मुख्‍यत: ईरान को चाय, कॉफी, बासमती चावल और चीनी का निर्यात करता है। भारत से ईरान को पिछले साल 15300 करोड़ रुपये का निर्यात किया गया था। वहीं, ईरान से भारत ने पेट्रोलियम कोक, मेवे और कुछ अन्‍य चीजें आयात की। इनका मूल्‍य 5500 करोड रुपये था। साल 2023 में भारत का इजरायल के साथ 89 हजार करोड रुपये का कारोबार रहा। भारत ने ईरान को 70 हजार करोड रुपये का माल और सेवाओं का निर्यात किया।

सप्लाई चेन प्रभावित होने की आशंका

ईरान-इजरायल संघर्ष से सप्लाई चेन भी प्रभावित हो सकती है, क्योंकि ईरान स्वेज नहर को बंद करने की अपनी धमकी पर कायम है। स्वेज नहर रूट से फारस की खाड़ी के देशों से खनिज तेल भेजा जाता है। वहीं भारत और अन्य एशियाई देशों से चाय, जूट, कपास, मसाले और चीनी जैसी चीजों का पश्चिमी यूरोपीय देशों के साथ उत्तरी अमेरिका में निर्यात होता है। पश्चिमी देशों भी इसी रास्ते से केमिकल, इस्पात, दवाएं और गाड़ियां और वैज्ञानिक उपकरण आदि भेजते हैं। अगर यह रूट बंद होता है, तो वैश्विक व्यापार को बड़ा झटका लगेगा। दुनियाभर में महंगाई में भीषण इजाफा भी हो सकता है।

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Apr 15 2024, 11:31

ईरान से बदले की तैयारी में इजराइल, मिडिल ईस्ट में खुल सकता है एक और वॉर जोन

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कभी यूक्रेन और रूस का युद्ध तो कभी इजरायल और हमास के बीच जंग और अब ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते तनाव के बाद युद्ध की आशंका से पूरी दुनिया सहमी हुई है। ईरान ने बैलिस्टिक मिसाइलों, क्रूज मिसाइलों और ड्रोन के साथ इजरायल पर बड़ा हमला बोला है। जिसके बाद ईरान और इजरायल के बीच तनाव चरम पर है। इजराइल ने ईरान से बदला लेने का मन बना लिया है। माना जा रहा है कि अगले 24-48 घंटों में इजराइल कभी भी ईरान पर हमला कर सकता है। इस बीच ईरान के प्रमुख नेता खामेनेई ने अमेरिका को चुनौती दी है कि जंग और भीषण होगी। ऐसे में साफ है कि इजराइल ने हमला किया तो ईरान विध्वंसक बदले से भी पीछे नहीं हटेगा। ऐसे हालात में एक और मोर्चे पर युद्ध शुरू हो सकता है।

बता दे कि शनिवार को ईरान ने 300 से ज्यादा बैलिस्टिक मिसाइलों, क्रूज मिसाइलों और ड्रोन के साथ इजरायल पर बड़ा हमला बोला। हालांकि, इनमें से 99 प्रतिशत को इजरायल ने एयर डिफेंस सिस्टम की मदद से हवा में ही मार गिराया गया। ईरानी हमले को रोकने में इजरायल की मदद अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस के साथ ही पड़ोसी मुस्लिम देश जॉर्डन ने भी की। अब ईरानी हमले के बाद इजरायल क्या प्रतिक्रिया देगा, सारी दुनिया की नजर इस पर है। इजरायल के प्रमुख राजनेताओं के बीच रविवार को इस बात पर चर्चा होती रही कि ईरान के मिसाइल और ड्रोन हमलों के बाद इजरायल का अगला कदम क्या होना चाहिए।

कब और कैसे हमला करेगा इजराइल?

ईरान के मिसाइल और ड्रोन हमले को नाकाम करने के बाद इजरायल अब जवाबी तैयारी कर रहा है। रविवार को इजराइल की वॉर कैबिनेट की बैठक हुई. बैठक में पीएम नेतन्याहु, रक्षा मंत्री गैलेंट, कैबिनेट मिनिस्टर बेनी गैंज इस बात पर तो एकमत रहे कि ईरान को करारा जवाब दिया जाएगा।

यरूशलम पोस्ट की खबर के अनुसार, इजरायल की वार कैबिनेट के सदस्य और बिना पोर्टपोलियो वाले मंत्री बेनी गैंट्ज ने कहा कि यह अभियान अभी खत्म नहीं हुआ है। एक वीडियो बयान में कहा कि इजरायल ईरान के खिलाफ हमले का तुरंत जवाब नहीं देगा। गैंट्स ने कहा, ईरान के खिलाफ हम एक क्षेत्रीय गठबंधन बनाएंगे और अपने हिसाब से सही समय पर इस हमले की कीमत वसूलेंगे। गैंट्ज से हमले को नाकाम करने को एक रणनीतिक उपलब्धि बताया जिसका इजरायल को अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए लाभ उठाना चाहिए।

बता दें कि वॉर कैबिनेट ने अटैक और डिफेंस के लिए अपने प्लान को अंतिम रूप दे दिया है। हालांकि, यह साफ नहीं है कि ईरान पर इजराइल कब हमला करेगा? सीधा हमला करेगा या कुछ और तरकीब अपनाएगा। उधर, इजराइल के जवाबी हमले को लेकर ईरान अलर्ट पर है।

अमेरिका ने किया आगाह

बता दें कि अमेरिका के मनाही के बावजूद इजराइल ने ईरान के हमले का जवाब देने का फैसला किया है। दरअसल, ईरानी के हमले के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इजराइली पीएम नेतन्याहू से बात की। इस दौरान बाइडेन ने इजराइल को सुरक्षा का भरोसा दिया।इजरायल को आगाह किया है कि वह ईरान के खिलाफ इजरायल की अगली कार्रवाई में साथ नहीं देगा। राष्ट्रपति बाइडन ने प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को एक स्पष्ट संदेश भेजा है। ईरान के हमले को विफल कर दिया गया है। इजराइल की जीत हुई है। इसलिए ईरानी धरती पर सीधा सैन्य हमला करके इस और बढ़ाने की जरूरत नहीं है।

मिडिल ईस्ट में जंग की आहट

इजरायल के सामने मुश्किल यह है कि एक तरफ उसका सबसे बड़ा सहयोगी अमेरिका उससे शांति की अपील कर रहा है, तो वहीं इजरायली सुरक्षा प्रतिष्ठान में कई हार्डलाइनर हैं जो ईरान पर मजबूती से हमला किए जाने पर जोर दे रहे हैं। नेतन्याहू के गठबंधन सहयोगी सुरक्षा मंत्री इतमार बेन गविर ने ईरान पर हमले में देरी को खोखला पश्चिमी विचार कहा है। तेल अवीव के नेताओं के बयानों से साफ है कि ईरान को इजरायल जवाब देगा। इसका मतलब है कि इजरायल का अगला कदम मध्य पूर्व में जंग शुरू कर देगा।

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Apr 05 2024, 15:30

बाइडेन ने एक फोन पर नरम पड़े नेतन्याहू, छह महीने बाद गाजा के साथ क्रॉसिंग खोला

#israelopensgazaerezcrossinghamaswaruswarning

हमास और इस्राइल के बीच कई माह से जंग जारी है। इस युद्ध को रुकवाने के लिए कोशिशें जारी है, लेकिन फिर भी जंग थमने का नाम नहीं ले रही है।इजराइल और हमास के बीच जारी जंग के दौरान अब तक की सबसे बड़ी राहत देने वाली खबर सामने आई है। पहले की तुलना में अब इजराइल के रुख में लचीलापन देखने को मिल रहा है। इजराइल की तरफ से शुक्रवार को कहा गया है कि वह गाजा पट्टी में मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए कदम उठा रहा है। जिसमें बुरी तरह प्रभावित उत्तरी गाजा की एक सीमा को फिर से खोलना भी शामिल है। इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के कार्यालय ने योजनाओं की घोषणा की।अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने गुरुवार को एक-दूसरे से फोन पर बातचीत की। जिसके बाद नेतन्याहू के रूख में नर्मी देखी जा रही है।

इजरायल की सुरक्षा कैबिनेट ने 7 अक्टूबर के हमास हमलों के बाद पहली बार इजरायल और उत्तरी गाजा के बीच इरेज़ क्रॉसिंग को फिर से खोलने की मंजूरी दे दी है। सीएनएन के मुताबिक एक इजरायली अधिकारी ने गुरुवार को यह जानकारी दी।

इज़रायली अधिकारी ने कहा कि गाजा में अधिक मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए क्रॉसिंग को खोला जाएगा। कैबिनेट ने गाजा में अधिक सहायता पहुंचाने में मदद के लिए इजरायली बंदरगाह अशदोद का इस्तेमाल करने की भी मंजूरी दे दी। इरेज क्रॉसिंग, एक पैदल यात्री मार्ग है। यह उन बॉर्डर प्वाइंट्स में से एक है जिसका उल्लंघन 7 अक्टूबर को हमास लड़ाकों ने इजरायल पर हमला करने के लिए किया था।

बाइडन और नेतन्याहू के बीच फोन पर हुई बातचीत

इजराइल की तरफ से यह घोषणा अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और नेतन्याहू के बीच फोन पर हुई बातचीत के बाद की गई है। इससे पहले फोन पर दोनों नेताओं के बीच बातचीत हुई थी। बातचीत के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति ने अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा था कि गाजा में युद्ध के लिए भविष्य का अमेरिकी समर्थन नागरिकों और सहायता कर्मियों की सुरक्षा के लिए इजराइल की ओर से और अधिक कदम उठाए जाने पर निर्भर करेगा। 

बता दें कि मतभेदों के बावजूद, बाइडन प्रशासन ने हमास के खिलाफ इजराइल के युद्ध के लिए इजराइल को महत्वपूर्ण सैन्य सहायता और राजनयिक समर्थन प्रदान करना जारी रखा है।

सात अक्तूबर को हमास ने किया था हमला

बता दें, इजराइल और हमास के बीच युद्ध लगातार जारी है। हर तरफ चीख-पुकार मची हुई है। सात अक्तूबर से लेकर अब तक 30 हजार से अधिक लोगों की इस संघर्ष में मौत हो चुकी है। वहीं, हमास के बाद इजराइली सेना भी कार्रवाई करते हुए बिना रुके हमले कर रही है। इजराइल ने गाजा में जमीन, हवाई, समुद्र समेत सभी यात्राओं पर प्रतिबंध लगा दिया था। पहले लोगों की आवाजाही के लिए इरेज और माल के लिए केरेम शालोम बॉर्डर थे।

इस कारण इजराइल की हो रही आलोचना

गौरतलब है कि गाजा में एक इजरायली हवाई हमले में ‘वर्ल्ड सेंट्रल किचन’ के 7 अंतरराष्ट्रीय सहायताकर्मियों की मौत हो जाने के बाद इजरायल की दुनिया भर में आलोचना हो रही हैं। यह सभी लोग गाजा में फूड सप्लाई के काम में लगे थे। हमले में ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, पोलैंड, ब्रिटेन और अमेरिका के वर्ल्ड सेंट्रल किचन कार्यकर्ताओं के साथ-साथ उनका एक फिलिस्तीनी सहयोगी मारा गया। इजराइल का कहना है कि हमला एक गंभीर गलती थी और उसने माफी मांगी है। इसमें स्वतंत्र जांच का भी वादा किया गया है।

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Jan 26 2024, 20:05

इजरायल को गाजा में नरसंहार रोकने का आदेश, इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस का आदेश

#gazagenocideicjorderisraelpreventpunish_incitement

इजरायल और हमास के बीच युद्ध जारी है। इस बीच साउथ अफ्रीका इजरायल पर गाजा में जनसंहार का आरोप लगाते हुए इंटरनेशनल कोर्ट में मामला उठाया था। इस पर कोर्ट ने फैसला सुनाया है।इजराइल के हमले झेल रहे गाजा में तत्काल संघर्ष विराम करने के दक्षिण अफ़्रीका के आग्रह पर इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस यानी आईसीजे ने सहमति नहीं जताई है। संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को कहा कि वह उस मामले को खारिज नहीं करेगी जिसमें इजराइल पर गाजा में नरसंहार का आरोप लगाया गया है, लेकिन उसने यह भी कहा कि वह छोटे तटीय इलाकों में जारी अपने सैन्य हमलों में जान-माल के नुकसान को रोकने की कोशिश करे। 

सुनवाई कर रहे 17 जजों में से ज़्यादातर ने ये कहा कि इजराइल को अपनी क्षमता के अनुसार हर वो चीज करनी चाहिए जिससे फ़िलिस्तीनी लोगों की मौतों, शारीरिक या मानसिक तौर पर क्षति पहुंचाने से बचाया जा सके।कोर्ट ने ये भी कहा कि इजराइल को कोई भी ऐसा कदम नहीं उठाना चाहिए जो फ़िलिस्तीनी महिलाओं को बच्चों को जन्म देने में बाधा पहुंचाता हो।कोर्ट ने कहा कि इजरायल को यह सुनिश्चित करना होगा कि उसकी सेना कोई नरसंहारक कृत्य न करे। इजरायल को ऐसी किसी भी सार्वजनिक टिप्पणी को रोकना और दंडित करना चाहिए जिसे गाजा में नरसंहार के लिए उकसाने वाला माना जा सकता है। इजरायल को मानवीय पहुंच सुनिश्चित करने के लिए उपाय करने चाहिए। इजरायल को ऐसे किसी भी सबूत को नष्ट होने से रोकना चाहिए जिसका इस्तेमाल नरसंहार के मामले में किया जा सकता है।

आईसीजे में अपील दर्ज

दरअसल दक्षिण अफ्रीका ने इजराइल को गाजा पट्टी में अपने सैन्य अभियानों को तुरंत निलंबित करने के लिए मजबूर करने को आईसीजे में एक तत्काल अपील दर्ज की है। दक्षिण अफ्रीका ने अपने आरोप को पूरे युद्ध के दौरान इजराइल की कार्रवाइयों और गाजा में फिलिस्तीनियों के बारे में इजराइली अधिकारियों की विवादास्पद टिप्पणियों और उनके साथ कैसे व्यवहार किया जाना चाहिए, दोनों पर आधारित किया है।

नरसंहार के आरोपों को किया खारिज

नेतन्याहू ने आईसीजे में इजराइल के खिलाफ लगाए गए नरसंहार के आरोपों को खारिज करते हुए जोरदार ढंग से कहा कि हमें कोई नहीं रोकेगा। रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने इन दावों को यहूदी लोगों के खिलाफ एक और नरसंहार करने की कोशिश करने वालों द्वारा किया गया पाखंडी हमला बताया। साथ ही नेतन्याहू ने हमास-नियंत्रित क्षेत्रों में खोजे गए यहूदी विरोधी भावना के उदाहरणों पर प्रकाश डाला।

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Dec 25 2023, 10:42

क्रिसमस के दिन इजरायल का गाजा के शरणार्थी शिविर पर हवाई हमला, 70 लोगों की मौत*

#israellaunchesmajorairstrikeongaza70people_killed

इजराइल और हमास के बीच जंग थमने के बजाय बढ़ती ही जा रही है।इस बीच इजरायल ने क्रिसमस के दिन गाजा पर बड़ा एयरस्ट्राइक किया है। इजरायल ने क्रिसमिस की पूर्व संध्या से लेकर सोमवार की सुबह तक गाजा पर बम बरसाए हैं। इस हमले में करीब 70 लोगों की मौत की खबर है।रविवार को हमास द्वारा संचालित गाजा में स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि एक शरणार्थी शिविर में कई घरों पर हुए इजरायली हवाई हमले में कम से कम 70 लोग मारे गए हैं। मंत्रालय ने कहा कि इजरायली हमले में फिलिस्तीनी क्षेत्र के केंद्र में अल-मगाजी शिविर में घरों को नष्ट कर दिया।

यह हमला अल-मगाज़ी शरणार्थी शिविर पर किया गया है। वहीं इस पूरी घटनाक्रम पर इजरायल की सेना ने भी बयान जारी किया है। इजरायल की सेना ने कहा है कि वो इस घटना की समीक्षा कर रहे हैं। सेना का कहना है कि वो हमास को निशाना बनाना चाहते हैं न कि आम नागरिकों को

24 घंटों में 166 फिलिस्तीनी मारे गए

गाजा स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता ने रविवार को कहा कि पिछले 24 घंटों में 166 फिलिस्तीनी मारे गए हैं, जिससे कुल फिलिस्तीनी मरने वालों की संख्या 20,424 हो गई है। हज़ारों लोग घायल हुए हैं, माना जाता है कि कई शव मलबे में दबे हुए हैं। गाजा के 23 लाख लोगों में से लगभग सभी विस्थापित हो चुके हैं। 

15 इजराइली सैनिकों की मौत

इजराइली सेना ने कहा कि पिछले दिनों नौ सैनिक मारे गए थे, जिससे यह संख्या बढ़कर 15 हो गई है। बता दें कि 7 अक्टूबर को इजराइल में हमास के हमले के जवाब में अपनी जमीनी घुसपैठ शुरू की थी। हमास के हमले में आतंकवादियों ने 1,200 लोगों को मार डाला था और 240 बंधकों को ले लिया था।

लड़ना जारी रखने के अलावा कोई विकल्प नहीं- नेतन्याहू

दोनों तरफ से जारी युद्ध के बीच प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने रविवार को एक कैबिनेट बैठक में कहा कि युद्ध में हमें बहुत भारी कीमत चुकानी पड़ रही है। हालांकि हमारे पास लड़ना जारी रखने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। बता दें कि 7 अक्टूबर को हमास ने सबसे पहले इजरायल पर हमला किया था। इसके बाद इजरायल ने हमाल के खिलाफ जंग छेड़ दी।

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Dec 06 2023, 14:31

हमास के बंधक इजराइली महिलाओं से रेप और अत्याचार पर भड़के नेतन्याहू, अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों की चुप्पी पर उठाया सवाल

#israelpmoninternationalorganizationsoversilenceonhamastortureon_women

हमास ने 7 अक्टूबर के हमले के बाद बंधक बनाई गईं इजरायली महिला सैनिकों के साथ क्रूरता की सभी सीमाओं को लांघ दिया। आतंकियों ने महिला सैनिकों को टॉर्चर करने के लिए हर वो तरीका अपनाया, जिसकी कल्पना तक नहीं की जा सकती। कई इजरायली महिला सैनिकों के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया। हमास की हैवानियत का खुलासा मृत इजरायली सैनिकों के शवों को दफनाने वाले डॉक्टरों और वॉलियंटर्स ने की है। उन्होंने जो भी बताया है, वह किसी भी इंसान को भावुक कर सकता है। इसे संयुक्त राष्ट्र के मंच पर भी साझा किया गया है, ताकि दुनिया को हमास की सच्चाई पता चल सके।हमास की इन दिल दहला देने वाली हरकतों पर इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों पर सवाल उठाए हैं। नेतन्याहू ने इजरायली महिलाओं के खिलाफ हमास द्वारा किए गए रेप और अन्य अत्याचारों के बारे में चुप्पी साधने के लिए अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों, महिला समूहों और संयुक्त राष्ट्र की कड़ी आलोचना की है।

अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों की चुप्पी पर उठाया सवाल

नेतन्याहू ने अपने आधिकारिक एक्स पर पोस्ट किया हौ। इसमें लिखा कि "मैं महिला अधिकार संगठनों, मानवाधिकार संगठनों से कहता हूं कि 'आपने इजराइली महिलाओं के रेप, भयानक अत्याचार, यौन उत्पीड़न के बारे में सुना है- आप कहां हैं?' नेतन्याहू ने इजराइली महिलाओं पर हुए हमास के अत्याचारों पर अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के चुप्पी पर उन्हें आड़े हाथों लिया। 

अत्याचार के खिलाफ बोलने की उम्मीद करता हूं- नेतन्याहू

इजरायली पीएम ने कहा मैं सभी सभ्य नेताओं, सरकारों, देशों से इस अत्याचार के खिलाफ बोलने की उम्मीद करता हूं। उन्होंने तेल अवीव में रक्षामंत्री योव गैलेंट और मंत्री बेनी गैंट्ज़ के साथ एक संवाददाता सम्मेलन में यह टिप्पणी की। 

”आप इस वजह से चुप हैं, क्योंकि वे यहूदी महिलाएं थी?”

नेतन्याहू ने कहा कि उन्होंने रिहा किए गए बंधकों और पहले भी बंधक बनाए गए लोगों के रिश्तेदारों से मुलाकात की। उन्होंने बताया, 'मैंने उनकी दिल दहला देने वाली कहानियां सुनी। मुझे दुष्कर्म की दर्दनाक कहानियां बताई गई। नेतन्याहू ने आगे कहा कि लेकिन इन सब में महिला संगठन या अन्य संगठन की तरफ से एक शब्द भी नहीं कहा गया। उन्होंने इन संगठनों से सवाल किया, आप इस वजह से चुप हैं, क्योंकि वे यहूदी महिलाएं थी?

हमास के खिलाफ दक्षिणी गाजा में हमले और तेज

बता दें कि संघर्ष विराम के बाद इजरायल में हमास के खिलाफ दक्षिणी गाजा में हमले और तेज कर दिए हैं। इजरायली सेना, आईडीएफ ने उत्तर के बाद दक्षिण गाजा पर हमले तेज किए हैं। गाजा के जल्दी पूरी तरह से आईडीएफ के नियंत्रण में जाने की संभावना के बीच इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने युद्ध के लक्ष्यों को दोहराया है। नेतन्याहू ने एक बार फिर हमास की कमर तोड़ने और हमास के सभी कमांडरों को खत्म करने की बात दोहराई है। साथ ही नेतन्याहू ने कहा है कि इजरायली सेना गाजा पट्टी में एक विसैन्यीकृत क्षेत्र बनाने के लिए काम करेगी।

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Nov 15 2023, 18:50

भारत के बाद जस्टिन ट्रूडो की इजरायल से भिड़ने की कोशिश, हमास के साथ युद्ध पर दिया सलाह, नेतन्‍याहू ने फटकारा

#canadapmsaysisraelresponsibleforkillingwomenand_children

इजरायल और हमास के बीच पिछले एक महीने से अधिक समय से जंग जारी है। हमास के हमले के बाद इजरायली सेना की ओर से गाजा पट्टी पर कार्रवाई जारी है। इस युद्ध में कई मासूम लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया है। जिनमें बच्चे भी शामिल हैं। युद्ध के दौरान कई ऐसी तस्वीरें सामने आई हैं, जो दिल दहला देने वाली है। इस बीच कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने गाजा में मची तबाही के लिए इजराइल को जिम्मेदार ठहराया है। साथ ही इस बर्बरता को जल्द से जल्द रोकने की मांग की है। जिसपर इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्‍याहू ने कनाडा के समकक्ष जस्टिन ट्रूडो को करार जवाब दिया है। 

क्या बोले ट्रूडो?

इजराइल-हमास युद्ध में पश्चिमी देश इसराइल के साथ खड़े हैं। उसमें एक नाम कनाडा का भी है। कनाडा ने पिछले हफ़्ते संयुक्त राष्ट्र महासभा में उस प्रस्ताव के ख़िलाफ़ वोट किया, जिसमें कब्ज़े वाले फ़िलिस्तीनी क्षेत्र में इजराइली बस्तियों की निंदा की गई थी। एक तरफ़ कनाडा यूएन में खुलकर इसराइल के साथ खड़ा है और दूसरी तरफ़ वहाँ के प्रधानमंत्री इजराइल को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं। मंगलवार को कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा कि गाजा में महिलाओं, बच्चों और नवजातों की हत्या बंद होनी चाहिए। जस्टिन ट्रूडो ने इजराइल सरकार से ज़्यादा से ज़्यादा संयम बरतने की अपील की है। ट्रूडो ने कहा कि पूरी दुनिया टीवी और सोशल मीडिया पर देख रही है। हम डॉक्टरों, परिवार के लोगों, जीवित बचे लोगों और उन बच्चों की वेदना सुन रहे हैं, जिन्होंने अपने माता-पिता को खो दिया है।

नेतन्याहू ने दिया ये जवाब

ट्रूडो के बयान पर नेतन्याहू ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। कहा है कि नागरिकों को जानबूझकर निशाना इजरायल नहीं बल्कि हमास बना रहा है। नेतन्याहू ने ट्विटर पर लिखा, यह इजराइल नहीं है जो जानबूझकर नागरिकों को निशाना बना रहा है, बल्कि हमास ने यहूदियों पर किए गए सबसे भयानक हमले में नागरिकों के सिर काटे और जलाए।जहां इज़राइल नागरिकों को नुकसान से दूर रखने के लिए सब कुछ कर रहा है, वहीं हमास उन्हें नुकसान से बचाने के लिए सब कुछ कर रहा है।

उन्होंने आगे लिखा, इज़राइल गाजा में नागरिकों को मानवीय गलियारे और सुरक्षित क्षेत्र प्रदान करता है, हमास उन्हें बंदूक की नोक पर जाने से रोकता है। यह हमास है, इज़राइल नहीं जिसे दोहरे युद्ध अपराध करने के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए - नागरिकों के पीछे छिपकर नागरिकों को निशाना बनाना. सभ्यता की ताकतों को हमास की बर्बरता को हराने में इज़राइल का समर्थन करना चाहिए।

बता दें कि हमास और इजराइल के बीच चल रही इस जंग में गाजा में करीब 11 हजार लोगों की जान जा चुकी है, वहीं करीब 15 लाख लोग बेघर हो गए हैं। शहरों की बिजली काट दी गई है, पानी बंद कर दिया गया है, लोग बूंद बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं। वहीं बच्चे भूख से बिलख रहे हैं। अस्पतालों के हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं, जहां फ्यूल की कमी से लोगों की मौत हो रही है। वहीं इनक्यूबेटरों को बंद कर दिया गया है जिसके बाद नवजात बच्चों को गर्म रखने के लिए उन्हें एक साथ रखा जा रहा है। अस्पतालों की इन तस्वीरों ने दुनियाभर के देशों का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित किया है।

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Nov 07 2023, 15:12

हर स्थित में इजराइल के साथ खड़ा होता है अमेरिका, दोनों देशों के बीच दोस्ती की क्या है वजह?

#ussupportisraelknowthe_reason

हमास के हमले के बाद इजराइल को अमेरिका का पूरा समर्थन मिल रहा है। अमेरिका की तरफ से इजरायल के लिए हरह संभव सैन्य सहायता मुहैया कराई जा रही है। इजरायल की ओर से गाजा पर किए गए हमलों के बाद भी अमेरिका ने इजरायल का साथ दिया। गाजा पर इजरायली हमले में अमेरिका ने किसी भी तरह की दखलअंदाजी से इनकार कर दिया और इसे इजरायल की रक्षा का अधिकार बताया। यही नहीं, हमास के हमले के चंद दिन बाद ही अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने तेल अवीव पहुंच कर इजराइल के प्रति अमेरिका की एकजुटता जाहिर की। इतना ही नहीं अमेरिका ने इजरायल के लिए खाड़ी देशों से दुश्मनी मोल ली है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि अमेरिका क्यों हर बार इजरायल के साथ खड़ा रहता है?

सबसे पहले अमेरिका ने दी थी इजराइल को मान्यता

इजराइल और अमेरिका के बेहतरीन रिश्तों का इतिहास क्या है और आखिर वो कौन से राजनीतिक, कूटनीतिक और आर्थिक समीकरण हैं, जिनकी वजह से अमेरिका हमेशा इजराइल के हर कदम को सही करार देता है। जानते हैं इसके पीछे की वजह। अमेरिकी राष्ट्रपति हेनरी ट्रुमैन दुनिया के पहले ऐसे राजनेता थे, जिन्होंने सबसे पहले इजराइल को मान्यता दी थी।1948 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति हेनरी ट्रूमैन यहूदी राज्य के निर्माण के कुछ ही क्षण बाद इसे मान्यता देने वाले पहले विश्व नेता बने थे।इजराइल के अस्तित्व के ऐलान के महज 11 मिनटों के भीतर उसे अमेरिकी मान्यता मिल गई थी।

इजराइल को मान्यता देने के पीछे की वजह

दरअसल ये द्वितीय विश्वयुद्ध के ठीक बाद का दौर था जब अमेरिका और सोवियत संघ के बीच शीत युद्ध ने आकार लेना शुरू कर दिया था। उस दौरान अरब देश अपने तेल भंडारों और समुद्री रास्तों (स्वेज नहर का मार्ग ऐसा व्यापारिक रास्ता था, जिसके जरिये बड़े पैमाने पर अंतरराष्ट्रीय व्यापार होता था) की वजह से इलाक में दो वैश्विक शक्तियों के शक्ति परीक्षण का अखाड़ा बन गया था।यूरोपीय ताकतें कमजोर हो रही थीं और अमेरिका अरब जगत में सत्ता संघर्ष का बड़ा बिचौलिया बन कर उभर रहा था।तेल रिजर्व को लेकर अरब जगत में अमेरिका के हित बढ़ गए थे। लिहाजा उसे अरब देशों को नियंत्रित करने के लिए इजराइल की जरूरत थी। यही वजह थी कि अमेरिका ने इजराइल को मान्यता देने और एक सैन्य ताकत में उसे बढ़ावा देने में कोई देर नहीं की।

इजरायल को सुपरपावर बनाने में अमेरिका के बड़ा हाथ

आज इजराइल की गिनती दुनिया के ताकतवर देशों में होती हैं। इजरायल को सुपरपावर बनाने में अमेरिका के बड़ा हाथ है।इजराइल को अमेरिका मध्य पूर्व में एक महत्वपूर्ण सहयोगी की तरह देखता है।इसके लिए यूएस की ओर से इजरायल को हर तरह से मदद दी जाती है।एक रिपोर्ट बताती है कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से इजरायल अमेरिकी सहायता प्राप्त करने वाले देशों में सबसे ऊपर है।रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका 1948 से अब तक इजरायल को 158 अरब डॉलर की मदद दे चुका है।रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका ने साल 2022 में इजरायल को 4.8 अरब डॉलर की मदद दी थी और साल 2023 में अब तक ही 3.8 अरब डॉलर की आर्थिक मदद दे चुका है।ये एक लंबे समय के लिए की जाने वाली सालाना मदद का हिस्सा है, जिसका वादा अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा की सरकार ने किया था।वहीं दूसरी ओर अमेरिका ने बीते कुछ सालों में इजरायल को दुनिया की सबसे उन्नत मिलिट्री में से एक बनाने में भी पूरी मदद की है।अमेरिकी फंड की मदद से इजरायल अमेरिका से सैन्य साजो-सामान की खरीद-फरोख्त करता है।

आज भले ही इजराइल-अमेरिका के दोस्ती का बात कही जाती है, लेकिन अतीत में दोनों के रिश्तों में खटास भी दिखी है। स्वेज नहर को लेकर जब इजराइल ने फ्रांस और ब्रिटेन के साथ मिलकर लड़ाई छेड़ दी थी तो अमेरिका का आइजनहावर प्रशासन उससे बेहद नाराज हो गया था। अमेरिकी राष्ट्रपति ने इजराइल को धमकी दी कि अगर उसने इस लड़ाई के दौरान कब्जा किए गए इलाकों को खाली नहीं किया तो उसकी मदद रोक दी जाएगी।दबाव में इजराइल को इन इलाकों से पीछे हटना पड़ा था।इसी तरह 1960 के दशक में अमेरिका और इजराइल के रिश्तों में तनातनी दिखी। उस वक्त अमेरिका का कैनेडी प्रशासन इसराइल के गुप्त परमाणु कार्यक्रमों को लेकर चिंतित था। हालांकि 1967 में जब मात्र छह दिनों की लड़ाई में इजराइल ने जॉर्डन, सीरिया और मिस्त्र को हरा कर अरब जगत के एक बड़े भू-भाग पर कब्जा कर लिया तो इस यहूदी देश को देखने का अमेरिकी नज़रिया पूरी तरह बदल गया।इजराइल की इसी जीत के बाद अमेरिका ने उसे अरब जगत में सोवियत संघ के ख़िलाफ़ एक स्थायी पार्टनर के तौर पर देखना शुरू किया था।

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Oct 26 2023, 10:05

हमास को आतंकवादी संगठन घोषित करे भारत, इजरायल की मोदी सरकार से बड़ी अपील

#indiadeclarehamasasterroristorganizationisraelambassadornaorgilosaid

इस्राइल और हमास के बीच बीते दो सप्ताह से ज्यादा समय से युद्ध जारी है।हमास-इजरायल जंग ने दुनियाभर के देशों के दो खेमे में बांट दिया है।अमेरिका और ब्रिटेन जहां इजरायल का खुले तौर पर समर्थन कर रहे हैं। वहीं ईरान औऱ तुर्की हमास के पक्ष में खड़े दिख रहे हैं।तुर्की ने तो यहां तक कह दिया कि हमास आतंकी संगठन नहीं, बल्कि एक मुक्ति समूह है।इस बीच, इस्राइल के राजदूत नाओर गिलोन ने भारत सरकार से बड़ी अपील की है।भारत में इजरायल के राजदूत नाओर गिलोन ने कहा है कि भारत के लिए समय आ गया है कि वह अन्य कई देशों की तरह हमास को आतंकवादी संगठन घोषित करे। इजरायली राजदूत ने पत्रकारों से बातचीत में हमास के खिलाफ आतकंवाद-रोधी अभियानों में इजरायल का समर्थन करने के लिए भारत के प्रति आभार भी प्रकट किया।

इस्राइल के राजदूत नाओर गिलोन ने बुधवार को कहा कि भारत हमास को एक आतंकवादी संगठन के रूप में प्रतिबंधित करे, जैसा कि कई अन्य देशों ने किया है। गिलोन ने कहा कि सात अक्तूबर को क्रूर हमले के बाद इस्राइल ने हमास को आतंकवादी संगठन घोषित करने के लिए संबंधित भारतीय अधिकारियों से अवगत करा दिया है। साथ ही उन्होंने संकेत दिया कि इस मामले को पहले भी उठाया गया था। 

पीएम मोदी की तारीफ

गिलोन ने कहा, हमारे लिए महत्वपूर्ण देश हमारे साथ हैं। ये दुनिया के लोकतंत्र हैं। ऐसा कहने के बाद...मुझे लगता है कि भारत द्वारा हमास को आतंकवादी संगठन के रूप में घोषित करने का समय आ गया है।इजरायली राजदूत ने कहा कि अमेरिका, कनाडा सहित कई देश और यूरोपीय संघ पहले ही हमास को आतंकवादी संगठन घोषित कर चुका है। गिलोन ने कहा, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उन शुरुआती वैश्विक नेताओं में से एक हैं, जिन्होंने आतंकवादी हमले की निंदा की। भारत दुनिया में एक बहुत ही महत्वपूर्ण नैतिक पहचान वाला देश है और हमारे लिए महत्वपूर्ण देश हमारे साथ हैं।

यही सही समय है

उन्होंने आगे कहा, भारत के लिए यही समय है कि वह हमास को आतंकवादी संगठन घोषित करे। गिलोन ने कहा, इजरायल के लिए यह पश्चिम एशिया में अस्तित्व बचाने का युद्ध है।उन्होंने दोहराया कि इजरायल हमास को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है। गिलोन का मानना है कि इस संघर्ष का इजरायल की आर्थिक संभावनाओं पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

हमास को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध

बता दें कि सात अक्टूबर को गाजा से हमास के चरमपंथियों ने इजराइल के खिलाफ जबरदस्त और विभिन्न मोर्चों से हमला कर दिया था, जिसके बाद से संघर्ष जारी है. इजराइल ने भी बदला लेने के इरादे से गाजा पर भीषण जवाबी हमला किया है। गिलोन ने कहा कि इजराइल के लिए यह पश्चिम एशिया में अस्तित्व बचाने का युद्ध है। उन्होंने कहा कि इजराइल हमास को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है।