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भारत आ रहे व्लादिमीर पुतिन, जानें 30 घंटे के दौरान कैसी होगी रूसी राष्ट्रपति की सुरक्षा व्यवस्था

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रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 23वें भारत-रूस शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए दो दिनों के नई दिल्ली के दौरे पर आ रहे हैं। यह दौरा भारत और रूस के बीच रणनीतिक साझेदारी के 25 साल पूरे होने पर हो रहा है, जो दोनों देशों के लिए बहुत खास है। साथ ही यह दौरा इसलिए भी खास है क्योंकि यूक्रेन से युद्ध शुरू होने के बाद पुतिन का यह पहला भारत दौरा है।

व्लादिमीर पुतिन भारत में दो दिनों के दौरे पर होंगे लेकिन उनके यहां रुकने की अवधि करीब 30 घंटे होने वाली है। रूसी राष्ट्रपति 4 दिसंबर की शाम को नई दिल्ली पहुंचेंगे, जहां पीएम मोदी उनकी मेजबानी करेंगे। चलिए देखते हैं उनका पूरा शेड्यूल क्या होगाः-

4 दिसंबर

• पुतिन शाम को करीब 6 बजे भारत पहुंचेंगे।

• आगमन के बाद उनकी कुछ महत्वपूर्ण मीटिंग्स होंगी, जिनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ प्राइवेट डिनर और अन्य निजी कार्यक्रम शामिल हैं।

5 दिसंबर

• सुबह 9:30 बजे राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में औपचारिक स्वागत समारोह।

• इसके बाद राजघाट जाकर श्रद्धांजलि कार्यक्रम।

• सीमित दायरे की वार्ता, फिर हैदराबाद हाउस में द्विपक्षीय तथा प्रतिनिधिमंडल स्तर की बातचीत।

• प्रतिनिधिमंडलों के साथ लंच, इसमें कुछ प्रमुख उद्योगपति भी शामिल हो सकते हैं।

• हैदराबाद हाउस में समझौतों की घोषणा।

• हैदराबाद हाउस में प्रेस स्टेटमेंट।

• भारत-रूस बिजनेस फोरम, जिसमें दोनों नेता शामिल हो सकते हैं।

• राष्ट्रपति की ओर से शाम को राज्य भोज।

• भोज के बाद भारत से प्रस्थान।

कई घेरों की सुरक्षा

पुतिन के दिल्ली आगमन से पहले सुरक्षा एजेंसियों को हाई अलर्ट पर रखा गया है, साथ ही कई वरिष्ठ अधिकारी कार्यक्रमों के मद्देनजर व्यापक सुरक्षा बंदोबस्त की तैयारी में जुटे हैं। 4-5 दिसंबर जब रूसी राष्ट्रपति भारत में होंगे तो दिल्ली में बहुस्तरीय सुरक्षा घेरा रहेगा। जिसमें दिल्ली पुलिस, केंद्रीय एजेंसियां और पुतिन की निजी सुरक्षा टीम शामिल होगी। स्वाट टीम, आतंकवाद-रोधी दस्तों और त्वरित प्रतिक्रिया टीम सहित विशेष इकाइयां राजधानी भर में रणनीतिक स्थानों पर तैनात रहेंगी। ड्रोन, सीसीटीवी से निगरानी की जाएगी और तकनीकी खुफिया प्रणालियां भी तैनात की जाएंगी।

दौरे से पहले सुरक्षा जांच

व्लादिमीर पुतिन दुनिया के सबसे शक्तिशाली राष्ट्र प्रमुखों में से एक हैं, इसलिए जब भी वह अपने किसी राजकीय दौरे या अन्य देशों में किसी मीटिंग या सम्मेलनों में भाग लेने जाते हैं, तो उनकी सुरक्षा भी चाक-चौबंद होती है। जब भी पुतिन किसी दौरे या सम्मेलन में भाग लेने के लिए किसी दूसरे देश में जाते हैं तो लगभग 100 रूसी फ़ेडरल प्रोटेक्टिव सर्विस के सुरक्षा कर्मी हमेशा पुतिन के साथ होते हैं। इनमें से करीब 50 सुरक्षा कर्मी पुतिन के दौरे से पहले उस देश में जाते हैं जहां पुतिन का दौरा होता है, और यह सुरक्षाकर्मी उन सभी जगहों की जांच और गहन छानबीन करते हैं जहां पुतिन जाएंगे। इसके अलावा, उनके भोजन की जांच रूस से लाई गई एक पोर्टेबल लैब में की जाएगी ताकि किसी भी प्रकार की ज़हर देने की साजिश से बचा जा सके। उनके व्यक्तिगत कचरे (मल-मूत्र) को भी परीक्षण के लिए वापस मॉस्को भेजा जाता है।

अरावली पहाड़ियों के लिए 'डेथ वारंट'...जानें किस कारण सोनिया गांधी ने मोदी सरकार को घेरा

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कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने अरावली पहाड़ियों के लिए 'डेथ वारंट' जैसा कदम उठाया है। उन्होंने आरोप लगाया कि 100 मीटर से कम ऊंचाई वाली पहाड़ियों में खनन की छूट से अरावली पर्वतमाला को भारी नुकसान होगा। सोनिया गांधी ने अंग्रेजी दैनिक अखबार 'द हिंदू' के लिए लिखे एक लेख में इस बात का जिक्र किया कि अरावली के 100 मीटर से कम ऊंचाई वाले किसी भी क्षेत्र में खनन को छूट दे दी गई है।

‘डेथ वारंट' पर हस्ताक्षर जैसा

सोनिया गांधी ने कहा, गुजरात से लेकर राजस्थान और हरियाणा तक फैली अरावली पर्वतमाला ने लंबे समय से भारतीय भूगोल और इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मोदी सरकार ने अवैध खनन से पहले ही बर्बाद हो चुकी इन पहाड़ियों के लिए अब लगभग ‘डेथ वारंट' पर हस्ताक्षर कर दिए हैं।

ये फैसला अवैध खननकर्ताओं-माफियाओं के लिए खुला निमंत्रण-सोनिया

सोनिया गांधी ने कहा, सरकार ने घोषणा की है कि 100 मीटर से कम ऊंचाई वाली कोई भी पहाड़ी खनन के खिलाफ कड़े प्रतिबंधों के अधीन नहीं है। यह फैसला अवैध खननकर्ताओं और माफियाओं के लिए खुला निमंत्रण है कि वे इस श्रृंखला के उस 90 प्रतिशत हिस्से का भी सफाया कर दें, जो सरकार द्वारा निर्धारित ऊंचाई सीमा से नीचे आता है।

सरकारी नीति में पर्यावरण की गहरी उपेक्षा- सोनिया

पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि सरकारी नीति निर्धारण में पर्यावरण के प्रति गहरी और निरंतर उपेक्षा व्याप्त है। उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण को व्यवस्थित रूप से कमजोर कर दिया गया है, लेकिन अब उसके गौरवपूर्ण स्थान को बहाल किया जाना चाहिए और सरकारी नीति और दबाव से स्वतंत्र रूप से कार्य करने की अनुमति दी जानी चाहिए।

साथ काम करने की आवश्यकता पर बल

सोनिया गांधी ने कहा, हमें पर्यावरणीय मामलों पर अधिक अंतर-सरकारी समन्वय के साथ काम करने की आवश्यकता है। एनसीआर में वायु प्रदूषण संकट के लिए भूजल यूरेनियम संदूषण मुद्दे की तरह ही एक संपूर्ण सरकारी दृष्टिकोण के साथ एक क्षेत्रीय दृष्टिकोण की आवश्यकता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत की पर्यावरण नीतियों को कानून के शासन के प्रति सम्मान, स्थानीय समुदायों के खिलाफ नहीं बल्कि उनके साथ काम करने की प्रतिबद्धता और पर्यावरण व मानव विकास के बीच अटूट संबंध की समझ द्वारा निर्देशित किया जाना चाहिए। कांग्रेस नेता ने कहा, केवल ऐसे दृष्टिकोण के साथ ही हम स्वस्थ और सुरक्षित भारत निर्माण कर सकते हैं।

कांग्रेस ने पीएम मोदी का चाय बेचते AI वीडियो किया पोस्ट, बीजेपी ने लगाई क्लास

#congresscirculatesaivideoofpmmodisellingtea

कांग्रेस ने बुधवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चाय बेचते हुए एक AI जनरेटेड वीडियो पोस्ट किया है। इसमें पीएम को चायवाला दिखाया गया है। उनके हाथ में चाय की केतली है। दूसरे हाथ में ग्लास है। वीडियो में मोदी‌ को जोर-जोर से 'चाय बोलो, चाय-चाय चाहिए' बोलते दिखाया गया गया है। कांग्रेस ने ये वीडियो साझा कर बड़े विवाद को जन्म दे दिया है।

कांग्रेस नेता रागिनी नायक ने साझा किया वीडियो

कांग्रेस की नेता और राष्ट्रीय प्रवक्ता रागिनी नायक ने बुधवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक एआई वीडियो साझा किया है। छह सेकंड के वीडियो में PM मोदी को वैश्विक मंच पर चायवाले के तौर पर दर्शाया गया है। उनके एक हाथ में चाय की केतली है और दूसरे हाथ में ग्लास हैं। उनके पीछे भारत सहित कई देशों के झंडे लगे हैं। इनमें भाजपा का भी झंडा है। रागिनी ने इस वीडियो के कैप्शन में लिखा, "अब ई कौन किया बे।"

भाजपा ने जताया कड़ा विरोध

यह वीडियो भले ही व्यंग्यात्मक शैली में बनाया गया हो, लेकिन भाजपा के लिए यह एक गंभीर राजनीतिक हमला माना जा रहा है। भाजपा ने इस पर कड़ा विरोध भी जताया है। भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने इसे शर्मनाक बताया। उन्होंने एक्स पर पोस्ट में लिखा, 'नामदार कांग्रेस ओबीसी समुदाय से आने वाले कामदार प्रधानमंत्री को बर्दाश्त नहीं कर सकती। जनता उन्हें कभी माफ नहीं करेगी।

पीएम का उनकी मां के साथ AI वीडियो किया गया था पोस्ट

यह पहली बार नहीं है जब कांग्रेस ने पीएम मोदी को लेकर कोई विवादास्पद वीडियो साझा किया। इससे पहले बिहार चुनाव के दौरान कांग्रेस ने एक एआई वीडियो साझा किया था। वीडियो में दिखाया गया कि प्रधानमंत्री के सपने में उनकी मां आकर कहती हैं- अरे बेटा पहले तो तुमने मुझे नोटबंदी की लाइनों में खड़ा किया। मेरे पैर धोने की रील्स बनवाईं। अब बिहार में मेरे नाम पर राजनीति कर रहे हो। तुम मेरे अपमान के बैनर-पोस्टर छपवा रहे हो। तुम फिर बिहार में नौटंकी कर रहे हो। राजनीति के नाम पर कितना गिरोगे।

चुनावी चंदे से मालामाल हुई बीजेपी, टाटा ग्रुप के ट्रस्ट ने दिए 757 करोड़, जानें कांग्रेस को कितना मिला

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फरवरी 2024 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा इलेक्टोरल बॉन्ड खत्म किए जाने के बाद भी बीजेपी की फंडिंग पर असर नहीं पड़ा है। इलेक्टोरल बॉन्ड खत्म होने के बाद कहा जा रहा था कि राजनीतिक पार्टियों की फंडिंग पर असर पड़ेगा, लेकिन 2024-25 के आंकड़े बताते हैं कि बीजेपी को ट्रस्ट रूट के जरिए भारी चंदा मिला है।

टाटा समूह के राजनीतिक चंदे में 83% रकम बीजेपी को मिले

टाटा समूह के नियंत्रण वाले प्रोग्रेसिव इलेक्टोरल ट्रस्ट (पीईटी) के जरिए 2024-25 में 915 करोड़ रुपये के राजनीतिक चंदे में से लगभग 83% रकम बीजेपी को मिली, जबकि कांग्रेस को सिर्फ 8.4% हिस्सा मिला।

अलग-अलग ट्रस्ट्स से लगभग ₹959 करोड़ की फंडिंग

2024-25 में बीजेपी को अलग-अलग ट्रस्ट्स से लगभग ₹959 करोड़ की फंडिंग मिली। सबसे अधिक योगदान पीईटी का रहा, जबकि कई अन्य ट्रस्ट्स ने भी पार्टी को समर्थन दिया। पार्टी को प्रोग्रेसिव इलेक्टोरल ट्रस्ट से 757.6 करोड़ रुपये, न्यू डेमोक्रेटिक ट्रस्ट से 150 करोड़ रुपये, हार्मनी ट्रस्ट से 30.1 करोड़, ट्रॉयम्फ ट्रस्ट से 21 करोड़, जन कल्याण ट्रस्ट से 9.5 लाख और आइंजिगार्टिग ट्रस्ट से 7.75 लाख रुपये मिले।

कांग्रेस को कितना मिला चुनावी चंदा?

वहीं, कांग्रेस को चुनावी चंदे में भी बड़ा झटका लगा है। कांग्रेस को 2024-25 में प्रोग्रेसिव इलेक्टोरल ट्रस्ट से 77.3 करोड़ रुपये मिले, जबकि न्यू डेमोक्रेटिक ट्रस्ट से 5 करोड़ और जन कल्याण ट्रस्ट से 9.5 लाख रुपये मिले। इसके अलावा प्रूडेंट ने कांग्रेस को 216.33 करोड़ और AB जनरल ट्रस्ट ने 15 करोड़ रुपये दिए। इस तरह कांग्रेस को इस साल कुल चंदे का बड़ा हिस्सा ट्रस्टों के जरिए मिला, हालांकि यह रकम 2023-24 में बॉन्ड से मिले 828 करोड़ रुपये की तुलना में काफी कम रही।

पीएमओ का नाम अब सेवा तीर्थ होगा, देशभर के राजभवन का भी नाम बदला

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प्रधानमंत्री कार्यालय का नाम बदल गया है। अब पीएमओ को सेवातीर्थ के नाम से जाना जाएगा। इसके साथ ही केंद्रीय सचिवालय के नाम में भी बदलाव किया गया है। सचिवालय का नाम कर्तव्य भवन होगा। इससे एक दिन पहले राजभवनों का नाम बदला गया था। राज्यों में बने राजभवन अब लोकभवन के नाम से जाने जाएंगे।

दशकों से दक्षिण ब्लॉक में संचालित हो रहा पीएमओ अब नए परिसर ‘सेवा तीर्थ’ में शिफ्ट होने की तैयारी में है। नया कार्यालय सेवा तीर्थ-1 में बनाया गया है, जो वायु भवन के पास निर्मित एक आधुनिक और सुरक्षित सरकारी कॉम्प्लेक्स का हिस्सा है।

सेवा तीर्थ-2 और सेवा तीर्थ-3 में होंगे प्रमुख कार्यालय

‘सेवा तीर्थ’ परिसर में कुल तीन हाई-टेक इमारतें बनाई गई हैं। सेवा तीर्थ-2 में कैबिनेट सचिवालय शिफ्ट होगा. सेवा तीर्थ-3 में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) का कार्यालय स्थापित किया जाएगा। यह स्थानांतरण प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। 14 अक्टूबर को कैबिनेट सचिव टी.वी. सोमनाथन ने सेवा तीर्थ-2 में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ और तीनों सेना प्रमुखों के साथ उच्च स्तरीय बैठक की, जो नए परिसर की औपचारिक शुरुआत मानी जा रही है।

राजभवनों होंगे ‘लोक भवन’

इसी कड़ी में राजभवनों को अब ‘लोक भवन’ नाम दिया जा रहा है। उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु समेत देश के 8 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश ने औपनिवेशिक काल की पहचान मिटाने के लिए अपने राज भवन का नाम बदलकर लोक भवन कर दिया है। यह बदलाव गृह मंत्रालय द्वारा जारी एक निर्देश के बाद हुआ है।

इन राज्यों में राज भवन का नाम बदला

पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, असम, उत्तराखंड, ओडिशा, गुजरात और त्रिपुरा ने अपने राज भवन का नाम बदलकर लोक भवन कर दिया है। वहीं लद्दाख के उपराज्यपाल के निवास-कार्यालय को अब लोक निवास कहा जाएगा। इसे पहले राज निवास कहा जाता था।

क्या है 'संचार साथी' एप जिसपर मचा घमासान ? विपक्ष ने घेरा तो सरकार ने दी सफाई

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भारत सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ़ टेलिकम्युनिकेशन (डीओटी) ने सोमवार को स्मार्टफोन निर्माताओं को निर्देश दिया है कि वे मार्च 2026 से बेचे जाने वाले नए मोबाइल फोन में संचार साथी ऐप को प्री-इंस्टॉल करके रखें। डीओटी ने कहा है कि स्मार्टफोन निर्माता इस बात को सुनिश्चित करें कि ऐप को न तो डीएक्टिवेट किया जाए और न ही इस पर किसी तरह की पाबंदियां लगें। विपक्ष इसे 'निगरानी एप' बताकर विरोध कर रही थी। अब इस पर केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का बड़ा और राहत देने वाला बयान आया है।

संचार साथी ऐप की वजह से देश की सियासत में उबाल देखने को मिल रहा है। देश में बेचे जाने वाले हर नए मोबाइल हैंडसेट में संचार साथी ऐप प्री-इंस्टॉल किए जाने के फैसले को केंद्र सरकार जहां इसे राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से ‘बेहद जरूरी’ कदम बता रही है। वहीं विपक्ष इसे सीधे-सीधे नागरिकों की निजी स्वतंत्रता पर हमला और ‘राज्य निगरानी’ की ओर खतरनाक बढ़त करार दे रहा है।

इस बीच केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि इसके जरिए किसी तरह की कोई जासूसी नहीं हो रही है, ना ही किसी तरह की कॉल मॉनिटरिंग है। अगर आप चाहते हैं तब इसको एक्टिवेट कीजिए, नहीं चाहते हैं तो एक्टिवेट नहीं करें। अगर फोन में रखना चाहते हैं तो रखें, नहीं रखना चाहते तो ना रखें। अगर डिलीट करना हो तो ऐप को डिलीट कर सकते हैं, यह मैंडेटरी नहीं है।

सिंधिया ने विपक्ष की आलोचनाओं को किया खारिज

संचार साथी एप को लेकर जारी बहस पर केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने विपक्ष की आलोचनाओं को सख्ती से खारिज किया। मंत्री ने कहा कि जब विपक्ष के पास ठोस मुद्दे नहीं होते, तो वे जबरदस्ती विवाद खड़ा करने की कोशिश करते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार का मुख्य उद्देश्य केवल उपभोक्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। सिंधिया ने बताया कि संचार साथी पोर्टल को अब तक 20 करोड़ से ज्यादा लोग इस्तेमाल कर चुके हैं, जबकि एप के 1.5 करोड़ से अधिक डाउनलोड हो चुके हैं। उनके मुताबिक, इस प्लेटफॉर्म की मदद से करीब 1.75 करोड़ फर्जी मोबाइल कनेक्शन बंद किए गए हैं। साथ ही, 20 लाख चोरी हुए मोबाइल फोन ट्रेस किए गए और 7.5 लाख से अधिक मोबाइल उनके मालिकों को वापस किए गए हैं।

क्या है संचार साथी ऐप

संचार साथी ऐप साइबर सिक्योरिटी टूल है। यह ऐप 17 जनवरी 2025 में मोबाइल ऐप के रूप में पेश किया गया। यह ऐप एंड्रॉयड और iOS दोनों प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है। यह सीधे सरकार की टेलिकॉम सिक्योरिटी प्रणाली से जुड़ा हुआ है। दरअसल, सेंट्रल इक्विपमेंट आइडेंटिटी रजिस्टर यानी सीईआईआर केंद्रीय डेटाबेस है, जहाँ देश के हर मोबाइल फोन का IMEI नंबर दर्ज रहता है। सरकार का दावा है कि संचार साथी ऐप फोन की सुरक्षा, पहचान की सुरक्षा और डिजिटल ठगी से बचाने का एक आसान और उपयोगी टूल है। सरकार का दावा है कि यह फोन को सुरक्षित रखता है, ग्राहक की पहचान के दुरुपयोग को रोकता है और ज़रूरत पड़ने पर तुरंत सरकारी सहायता उपलब्ध कराता है। यह फोन के IMEI नंबर, मोबाइल नंबर और नेटवर्क से जुड़ी जानकारी की मदद से ग्राहक की सुरक्षा सुनिश्चित करता है।

मोबाइल उपयोगकर्ता आसानी से कर सकते हैं इस्तेमाल*

जब ग्राहक इस ऐप को फोन में खोलते हैं, तो सबसे पहले यह मोबाइल नंबर मांगता है. नंबर डालने के बाद फोन पर एक ओटीपी आता है, जिसे डालकर फोन इस ऐप से जुड़ जाता है। इसके बाद ऐप फोन के IMEI नंबर को पहचान लेता है। ऐप IMEI को दूरसंचार विभाग की केंद्रीय CEIR प्रणाली से मिलाता है और यह जांचता है कि फोन की शिकायत चोरी के मामले में दर्ज तो नहीं है या फिर ये ब्लैकलिस्टेड तो नहीं है। यह ऐप हिंदी और 21 अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध है। ज़ाहिर से इससे इसे देशभर के लगभग सभी मोबाइल उपयोगकर्ता इस्तेमाल कर सकते हैं।

भारत धर्मशाला नहीं, घुसपैठियों के लिए ‘रेड कार्पेट’ नहीं बिछा सकते, सीजेआई सूर्यकांत की दो टूक

#supremecourthearingonrohingya

सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार का दिन रोहिंग्या शरणार्थियों के मुद्दे पर बेहद गर्म रहा। पाँच रोहिंग्या नागरिकों के कथित हिरासत में गायब होने (कस्टोडियल डिसअपीयरेंस) को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने कड़ा रुख अपनाया। याचिकाकर्ता ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी करने की मांग की थी, लेकिन सीजेआई की पीठ ने इस मांग को साफ तौर पर खारिज कर दिया।

सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस सूर्यकांत ने याचिकाकर्ता पर कड़ा रुख अपनाया। चीफ जस्टिस सूर्यकांत ने सीधा सवाल किया कि क्या भारत सरकार ने रोहिंग्याओं को कभी ‘शरणार्थी’ माना है। उन्होंने साफ कहा कि ‘शरणार्थी’ एक कानूनी शब्द है। सीजेआई ने टिप्पणी की कि जो लोग अवैध तरीके से देश में घुसते हैं, उनके लिए हम रेड कार्पेट नहीं बिछा सकते हैं।

राष्ट्रीय सुरक्षा और अवैध घुसपैठ से जुड़े मुद्दे गंभीर

सीजेआई सूर्यकांत ने याचिकाकर्ता पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा, आप जानते हैं कि ये लोग घुसपैठिए हैं। नॉर्थ-ईस्ट की सीमा बेहद संवेदनशील है। उन्होंने आगे कहा, देश में क्या-क्या हो रहा है, आप जानते हैं? अगर कोई गैरकानूनी तरीके से आता है। वो सुरंगों से घुस आते हैं, तब भी आप उनके लिए रेड कार्पेट चाहते हैं। आप कह रहे हैं कि उन्हें खाना, आश्रय, बच्चों के लिए शिक्षा… क्या कानून को इतना खींच दें?अदालत ने साफ कर दिया कि जहाँ मानवाधिकार महत्व रखते हैं, वहीं राष्ट्रीय सुरक्षा और अवैध घुसपैठ से जुड़े मुद्दे भी उतने ही गंभीर हैं।

याचिकाकर्ता के तर्क पर कोर्ट का रुख

याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट में बताया कि वे रोहिंग्याओं के लिए कोई विशेष अधिकार नहीं माँग रहे हैं। उनकी बस यही माँग है कि अगर उन्हें उनके देश वापस भेजा जाए तो यह काम कानून के हिसाब से होना चाहिए। लेकिन कोर्ट ने साफ कहा कि रोहिंग्याओं का कानूनी दर्जा तय हुए बिना उनके अधिकारों पर बात नहीं हो सकती। कोर्ट ने यह भी याद दिलाया कि भारत दुनिया की ‘धर्मशाला नहीं बन सकता’ जहाँ से चाहे शरणार्थी आ जाएँ। 

16 दिसंबर तक टली सुनवाई

इस मामले को अब अन्य रोहिंग्या मामलों के साथ ही सुना जाएगा। कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई अब 16 दिसंबर तक के लिए टाल दी है। उसी दिन रोहिंग्या शरणार्थियों से जुड़े अन्य मामलों की भी सुनवाई होगी।

संसद के दूसरे दिन भी सत्तापक्ष और विपक्ष का टकराव जारी, SIR पर फिर बवाल

#parliamentwintersessionsirindiblockprotest

संसद में एसआईआर के मुद्दे पर विपक्ष का हंगामा जारी है। संसद के शीतकालीन सत्र का आज दूसरा दिन है। संसद परिसर में विपक्षी इंडिया गठबंधन के सांसदों ने आज भी एसआईआर के खिलाफ अपना विरोध जारी रखा। विपक्षी सांसद संसद के मकर द्वार के बाहर विरोध प्रदर्शन किया और चुनाव आयोग के साथ-साथ सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।

शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन विपक्षी नेताओं ने संसद परिसर में मकर द्वार पर एसआईआर के खिलाफ प्रदर्शन किया। लोकसभा नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन संसद परिसर में एसआईआर के खिलाफ विपक्ष के विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए। इस दौरान कांग्रेस सांसद सोनिया गांधी, राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे, कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा और अन्य विपक्षी नेता प्रदर्शन में मौजूद दिखे।

संसद में व्यवधान पैदा करने की आवश्यकता नहीं- रिजिजू

वहीं, केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, विपक्ष को ढूंढ-ढूंढकर कर मुद्दे लाने की आवश्यकता नहीं है। शीतकालीन सत्र में बहुत सारे मुद्दे हैं और कई मुद्दे विपक्ष ने भी उठाए हैं, हम उसपर आगे क्या करना है बातचीत करके विचार करेंगे। नए-नए मुद्दे ढूंढकर संसद में व्यवधान पैदा करने की आवश्यकता नहीं है। हर मुद्दा अपनी जगह पर महत्वपूर्ण है लेकिन मुद्दे को हथियार बनाकर संसद में गतिरोध करना ठीक नहीं है। आज हम विपक्ष के प्रमुख नेताओं से बात करेंगे।

संचार साथी एप को लेकर भड़का विपक्ष

इधर, मोबाइल हैंडसेट पर संचार साथी ऐप प्री-इंस्टॉल करने के संचार विभाग के निर्देशों पर भी विपक्ष ने आपत्ती जताई है। कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा, यह एक जासूसी ऐप है। नागरिकों को प्राइवेसी का अधिकार है। हर किसी को परिवार, दोस्तों को मैसेज भेजने की प्राइवेसी का अधिकार होना चाहिए। वे इस देश को हर तरह से तानाशाही में बदल रहे हैं। संसद इसलिए काम नहीं कर रही है क्योंकि सरकार किसी भी चीज पर बात करने से मना कर रही है। विपक्ष पर इल्जाम लगाना बहुत आसान है। वे किसी भी चीज पर चर्चा नहीं होने दे रहे हैं। एक स्वस्थ लोकतंत्र चर्चा की मांग करता है।

पीएम मोदी ने खालिदा जिया की गंभीर हालत पर जताई चिंता, बीएनपी ने जताया आभार

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के स्वास्थ्य पर गहरी चिंता व्यक्त की और कहा कि भारत उन्हें हर संभव सहायता देने के लिए तैयार है। पीएम मोदी की इस टिप्पणी पर खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी ने आभार जताया है।

बीएनपी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि पार्टी प्रधानमंत्री मोदी के इस ‘सद्भावना संदेश और मदद के लिए तत्परता’ की दिल से सराहना करती है। पार्टी के आधिकारिक एक्स अकाउंट पर पोस्ट में कहा गया, ‘बीएनपी भारत के माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सद्भावना संदेश और बीएनपी चेयरपर्सन बेगम खालिदा ज़िया के जल्दी ठीक होने की शुभकामनाओं के लिए दिल से शुक्रिया अदा करती है। बीएनपी इस नेकनियती और मदद देने की इच्छा की तहे दिल से तारीफ़ करती है।

पीएम मोदी के संदेश में क्या

इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने पहले एक्स पर लिखा था कि वह बेगम खालिदा जिया की खराब होती सेहत से गहराई से चिंतित हैं। उन्होंने कहा कि खालिदा जिया ने कई वर्षों तक बांग्लादेश के सार्वजनिक जीवन में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। पीएम मोदी ने बीएनपी प्रमुख के त्वरित स्वास्थ्य लाभ की प्रार्थना की। साथ ही कहा कि इस कठिन समय में भारत हर संभव सहायता देने के लिए तैयार है।

बेगम खालिदा जिया की स्थिति गंभीर

बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री इस समय गंभीर स्थिति में अस्पताल में हैं। उन्होंने फेफड़ों में संक्रमण के कारण 23 नवम्बर को अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जो बाद में बिगड़ गया। बीएनपी के पदाधिकारियों का कहना है कि उन्हें वेंटिलेशन पर रखा गया है। एक मेडिकल टीम उनकी देखरेख कर रही है, जिसमें विदेश से आए विशेषज्ञ शामिल हैं।

डिजिटल अरेस्ट पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, सीबीआई को बड़ा आदेश, कहा-देशभर में तुरंत जांच शुरू करे

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डिजिटल अरेस्ट मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा आदेश दिया है। कोर्ट ने पूरे देश के डिजिटल अरेस्ट मामलों की जांच सीबीआई को सौंप दी है। शीर्ष अदालत ने देश की संघीय जांच एजेंसी से कहा कि वह पहले अखिल भारतीय स्तर पर सामने आ चुके डिजिटल अरेस्ट घोटाले के मामलों की जांच करे।

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उस ठगी पर सख्ती दिखाई है, जिसमें लोगों को फोन करके ‘डिजिटल अरेस्ट’ के नाम पर करोड़ों रुपए लुटे जा रहे थे। कोर्ट ने साफ कहा कि अब ये मामला सिर्फ राज्यों का नहीं, बल्कि पूरे देश का है। इसलिए इस पूरे गिरोह की जांच सीबीआई करेगी और वो भी देशभर में फैलकर।

सभी राज्यों को सीबीआई को अनुमति देने का निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने विपक्षी राजनीतिक दलों के शासन वाले राज्यों से भी डिजिटल अरेस्ट के मामलों की जांच के लिए सीबीआई को अनुमति देने को कहा। सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना सहित अन्य राज्यों से भी डिजिटल अरेस्ट के मामलों की जांच के लिए सीबीआई को अनुमति देने को कहा।

इंटरपोल की सहायता लेने का भी निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र से जुड़े मध्यस्थों को भी निर्देश दिए। अदालत ने कहा कि डिजिटल अरेस्ट के मामलों से संबंधित घटनाओं की जांच में सीबीआई को पूरा विवरण मुहैया कराएं और सहयोग भी प्रदान करें। कोर्ट ने सीबीआई को निर्देश दिया कि जांच एजेंसी टैक्स के पनाहगाह विदेशी ठिकानों और देशों से संचालित साइबर अपराधियों तक पहुंचने के लिए इंटरपोल की सहायता ले।

आरबीआई को भी नोटिस जारी

साइबर अपराध और डिजिटल अरेस्ट के इस अतिसंवेदनशील मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को भी नोटिस जारी किया। शीर्ष अदालत ने पूछा कि साइबर धोखाधड़ी के मामलों में इस्तेमाल किए गए बैंक खातों को फ्रीज करने के लिए एआई या मशीन लर्निंग तकनीक का इस्तेमाल क्यों नहीं किया गया?