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झारखंड में वज्रपात का कहर: एक ही दिन में सात की मौत, दो घायल

झारखंड में शुक्रवार का दिन वज्रपात के कहर के रूप में सामने आया, जब राज्य के विभिन्न हिस्सों में बिजली गिरने से तीन महिलाओं सहित सात लोगों की मौत हो गई और दो अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। यह दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं खूंटी, हजारीबाग और सरायकेला-खरसावां जिलों में दर्ज की गईं, जिससे मानसून के मौसम में वज्रपात से सुरक्षा की आवश्यकता एक बार फिर रेखांकित हुई है।

मिली जानकारी के अनुसार, खूंटी जिले में वज्रपात की चपेट में आने से सबसे ज्यादा चार लोगों की मौत हुई। मृतकों में दो महिलाएं शामिल हैं। वहीं, हजारीबाग जिले में भी बिजली गिरने से दो व्यक्तियों की जान चली गई। इन घटनाओं में एक महिला भी शामिल है, जिनकी पहचान अभी स्पष्ट नहीं हो पाई है।

सरायकेला-खरसावां जिले से भी एक व्यक्ति की मौत की खबर है, जबकि दो अन्य घायल हुए हैं, जिन्हें तत्काल अस्पताल में भर्ती कराया गया है। घायलों की हालत गंभीर बताई जा रही है और उनका इलाज जारी है।

प्रशासन द्वारा इन घटनाओं पर दुख व्यक्त किया गया है और मृतकों के परिजनों को नियमानुसार मुआवजा देने की घोषणा की गई है। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकार ने लोगों से अपील की है कि वे खराब मौसम के दौरान खुले में न रहें और सुरक्षित स्थानों पर शरण लें। विशेषकर बारिश और गरज-चमक के दौरान पेड़ों के नीचे या बिजली के खंभों के पास खड़े होने से बचें। ग्रामीण क्षेत्रों में, जहां लोग अक्सर खेतों में काम करते हैं, उन्हें विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी गई है।

यह घटना दर्शाती है कि वज्रपात झारखंड में एक गंभीर प्राकृतिक आपदा है, जो हर साल कई लोगों की जान ले लेती है। सरकार और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा लोगों में जागरूकता फैलाने और वज्रपात से बचाव के उपायों के बारे में शिक्षित करने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। स्थानीय मौसम विभाग ने भी आने वाले दिनों में और अधिक गरज-चमक के साथ बारिश की संभावना जताई है, जिससे लोगों को सतर्क रहने की आवश्यकता है।

झारखंड में आज और कल भारी बारिश का अनुमान, वज्रपात को लेकर अलर्ट

झारखंड के कई जिलों में आज (19 जुलाई) और कल (20 जुलाई) भारी बारिश की प्रबल संभावना है. मौसम विभाग ने इस स्थिति को देखते हुए कुछ जिलों के लिए ऑरेंज अलर्ट और कुछ के लिए येलो अलर्ट जारी किया है. लोगों को विशेष रूप से वज्रपात (बिजली गिरने) की आशंका के चलते सतर्क रहने की सलाह दी गई है.

राज्य के विभिन्न हिस्सों में मानसून की सक्रियता तेज होने से अगले 48 घंटों तक मौसम का मिजाज बदला रहेगा. रांची, जमशेदपुर, बोकारो, धनबाद और पलामू जैसे प्रमुख जिलों सहित कई स्थानों पर मध्यम से भारी बारिश दर्ज की जा सकती है. निचली बस्तियों और शहरी इलाकों में जलजमाव की स्थिति उत्पन्न होने की आशंका है, जिससे सामान्य जनजीवन प्रभावित हो सकता है.

मौसम विभाग ने ऑरेंज अलर्ट वाले क्षेत्रों में लोगों से अत्यधिक सावधानी बरतने का आग्रह किया है. इन इलाकों में तेज हवाओं के साथ मूसलाधार बारिश और वज्रपात की घटनाएं बढ़ सकती हैं, जिससे जानमाल का नुकसान होने का खतरा है. वहीं, येलो अलर्ट वाले क्षेत्रों में भी सतर्कता बरतने की आवश्यकता है, क्योंकि यहां भी छिटपुट से लेकर मध्यम दर्जे की बारिश और गरज के साथ वज्रपात की संभावना बनी हुई है.

वज्रपात से बचाव के लिए लोगों को खुले स्थानों, पेड़ों के नीचे और बिजली के खंभों से दूर रहने की सलाह दी गई है. किसानों को भी अपने पशुओं को सुरक्षित स्थानों पर रखने और खेतों में काम करते समय विशेष ध्यान देने को कहा गया है. घर से बाहर निकलते समय छाता या रेनकोट का प्रयोग करें और अनावश्यक यात्रा से बचें. स्थानीय प्रशासन और आपदा प्रबंधन टीमों को भी अलर्ट पर रखा गया है ताकि किसी भी आपात स्थिति से निपटा जा सके.

तेजतर्रार ईडी अधिकारी कपिल राज का इस्तीफा, सीएम हेमंत सोरेन और केजरीवाल को गिरफ्तार कर आए थे चर्चा में

#edofficerkapilrajresignswasinvolvedinkejriwalsorenarrests

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) में रहते हुए दो मुख्यमंत्रियों की गिरफ्तारी करने वाले भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) के अधिकारी कपिल राज ने सरकारी सेवा से इस्तीफा दे दिया है। वित्त मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को इसकी जानकारी दी। वित्त मंत्रालय की ओर से जारी एक आदेश में कहा गया, भारत के राष्ट्रपति ने कपिल राज के भारतीय राजस्व सेवा से इस्तीफे को स्वीकार कर लिया है जो 17 जुलाई से प्रभावी होगा।

लगभग 15 वर्ष की सेवा शेष थी

कपिल राज 2009 बैच के आईआरएस अधिकारी हैं और 45 वर्ष के हैं। अधिकारी से जुड़े सूत्रों ने बताया कि उन्होंने 'व्यक्तिगत कारणों' से इस्तीफा दिया है। सरकारी सेवा से सेवानिवृत्ति की उम्र 60 वर्ष होने के चलते उनके पास अभी लगभग 15 वर्ष की सेवा शेष थी। राज ने ईडी में लगभग आठ वर्षों तक सेवाएं दीं और हाल ही में उन्होंने एजेंसी में अपना प्रतिनियुक्ति कार्यकाल पूरा किया था। इस्तीफे से पहले वह दिल्ली में जीएसटी इंटेलिजेंस विंग में अतिरिक्त आयुक्त पद पर तैनात थे।

ईडी में रहते हुए कपिल राज की सबसे चर्चित कार्रवाइयां

कपिल राज ईडी में रहते हुए कई अहम कार्रवाइयां की हैं। उनके सबसे चर्चित मामलों में से एक दिल्ली के (पूर्व) मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी रही। केजरीवाल को मार्च 2024 में दिल्ली शराब नीति घोटाले में गिरफ्तार किया गया था। यह भारत में पहली बार था, जब किसी सिटिंग मुख्यमंत्री को ईडी ने गिरफ़्तार किया हो।

कपिल राज ने इसके अलावा जनवरी 2024 में झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को भूमि घोटाले और मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में गिरफ़्तार किया था। कपिल राज ने रांची जोन के हाई इंटेंसिटी यूनिट (HIU-2) का नेतृत्व करते हुए भ्रष्टाचार के कई बड़े मामलों में कार्रवाई की। इनमें अवैध खनन, जमीन हस्तांतरण घोटाले और कैश फॉर एमएलए जैसे मामले प्रमुख थे।

नीरव मोदी और मेहुल चौकसी समेत कई बड़े मामलों की जांच की

कपिल राज इससे पहले मुंबई जोन में तैनात थे और इस दौरान उन्होंने नीरव मोदी, मेहुल चौकसी, डीएचएफएल और इकबाल मिर्ची से जुड़े कई बड़े मामलों की जांच की थी। उनकी तेज़तर्रार और सख्त छवि ने उन्हें ईडी के भीतर एक प्रभावशाली अधिकारी के रूप में स्थापित किया।

कपिल राज का कार्यकाल दिसंबर 2024 तक बढ़ाया गया था। अप्रैल 2025 में उन्हें ई़़डी से हटाकर जीएसटी इंटेलिजेंस मुख्यालय भेज दिया गया।

झारखंड में कोचिंग संस्थानों पर लगेगी लगाम, मानसून सत्र में आ सकता है नया बिल

रांची: झारखंड में कोचिंग संस्थानों के मनमाने रवैये और छात्रों के शोषण पर लगाम लगाने की तैयारी चल रही है। उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग इससे संबंधित झारखंड कोचिंग सेंटर (कंट्रोल एंड रेगुलेशन) बिल 2025 का प्रस्ताव तैयार कर रहा है, जिसे इस मॉनसून सत्र में पेश किए जाने की संभावना है। इससे पहले इस विधेयक को कैबिनेट से स्वीकृति दिलाई जाएगी।

जानकारी के अनुसार, इस विधेयक को लाने का मुख्य उद्देश्य कोचिंग सेंटरों में आधारभूत संरचना की कमी दूर करना, अत्यधिक फीस वसूली पर रोक लगाना और अन्य अनियमितताओं पर नियंत्रण स्थापित करना है। इस नए बिल के दायरे में वे सभी कोचिंग सेंटर आएंगे जो 50 या उससे अधिक विद्यार्थियों को स्कूल, कॉलेज या विश्वविद्यालय स्तर पर किसी भी प्रतियोगिता परीक्षा के लिए कोचिंग दे रहे हैं।

रेगुलेटरी कमेटी का गठन और शिकायतों का निवारण:

इस व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए जिला स्तर पर जिला कोचिंग सेंटर रेगुलेटरी कमेटी और राज्य स्तर पर झारखंड कोचिंग सेंटर रेगुलेटरी कमेटी का गठन किया जाएगा। इन कमेटियों के अंतर्गत कोचिंग सेंटरों के पंजीकरण या स्थापना के लिए आवेदनों को स्वीकृत या अस्वीकृत किया जा सकेगा।

इसके अलावा, छात्रों और अभिभावकों की शिकायतों के निवारण के लिए एक विशेष सेल का भी गठन किया जाएगा। कोचिंग से जुड़े छात्रावासों में नियमित रूप से पुलिस गश्त सुनिश्चित की जाएगी ताकि छात्रों की सुरक्षा बनी रहे।

पंजीकरण प्रक्रिया और बैंक गारंटी:

कमेटी द्वारा आवेदन स्वीकृत होने और 'लेटर ऑफ इंटेंट' जारी होने की तारीख से एक माह के अंदर पांच लाख रुपये की बैंक गारंटी जमा करनी होगी। सेंटर का पंजीकरण पांच सालों के लिए किया जाएगा, जिसके बाद फिर से पंजीकरण (रजिस्ट्रेशन) की सुविधा उपलब्ध होगी।

अनिवार्य आवेदन और दंड का प्रावधान:

झारखंड में यह कानून लागू होने के छह महीने के अंदर सभी कोचिंग सेंटरों को जिला कोचिंग सेंटर रेगुलेटरी कमेटी के पास आवेदन करना होगा। कमेटी दो महीने के अंदर आवेदनों पर निर्णय लेगी। जो कोचिंग सेंटर निर्धारित समय-सीमा के भीतर आवेदन नहीं करेंगे, उन्हें दंडित किया जाएगा और उनके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इस विधेयक के लागू होने से कोचिंग संस्थानों में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ने की उम्मीद है।

गढ़वा में फसल बीमा योजना पर जिला स्तरीय कार्यशाला, 1.12 लाख किसानों का बीमा कराने का लक्ष्य निर्धारित

गढ़वा: गढ़वा जिले में किसानों को प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले फसल नुकसान से बचाने के लिए बिरसा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (B-PMFBY) को लेकर जागरूकता और प्रशिक्षण अभियान तेज कर दिया गया है। जिला सहकारिता पदाधिकारी नीलम कुमारी की अध्यक्षता में एक जिला स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें योजना के प्रभावी क्रियान्वयन और किसानों को जागरूक करने पर जोर दिया गया।

कार्यशाला में प्रखंड स्तर के ATM (असिस्टेंट टेक्नोलॉजी मैनेजर), BTM (ब्लॉक टेक्नोलॉजी मैनेजर), BAO (ब्लॉक एग्रीकल्चर ऑफिसर), BCO (ब्लॉक को-ऑपरेटिव ऑफिसर), LAMPS (लार्ज एरिया मल्टीपर्पज सोसायटी), PACS (प्राइमरी एग्रीकल्चरल क्रेडिट सोसायटी), जनसेवक, बीमा कंपनी के सभी प्रखंड समन्वयक और संबंधित विभागों के पदाधिकारी उपस्थित रहे। इसके अतिरिक्त, जिला अग्रणी बैंक अधिकारी, कृषि विभाग, सांख्यिकी विभाग, और CSC जिला प्रबंधक सहित अन्य अधिकारियों ने भी बैठक में भाग लिया।

योजना की मुख्य विशेषताएं और लक्ष्य:

कार्यशाला के दौरान B-PMFBY और NCIP पोर्टल से संबंधित विस्तृत जानकारी प्रदान की गई। कंपनी के प्रतिनिधि उमेश कुमार, जिला समन्वयक ने योजना की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए किसानों से समय पर बीमा कराने के लिए जागरूक होने का आह्वान किया। बैठक में बताया गया कि गढ़वा जिले का लक्ष्य 1,12,998 किसानों का बीमा करना है, जिसे 31 जुलाई 2025 की अंतिम तिथि से पहले पूरा करना प्राथमिकता है। बीमा प्रक्रिया कृषक टोकन मनी के माध्यम से की जाएगी।

बीमा के लिए आवश्यक दस्तावेज:

योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को निम्नलिखित दस्तावेज जमा करने होंगे:

आधार कार्ड

बैंक पासबुक

जमीन का प्रमाण पत्र

कृषक द्वारा स्वयं घोषणा फसल बुवाई पत्र

बटाईदार किसान के लिए नोटरीकृत शपथ पत्र

वंशावली प्रमाण पत्र (दादा या पूर्वजों की जमीन होने पर)

किसान वर्ग और बीमा प्रक्रिया:

ऋणी किसान: संबंधित बैंक के माध्यम से स्वतः बीमा करा सकते हैं।

गैर-ऋणी किसान: अपने निकटतम CSC प्रज्ञा केंद्र पर बीमा करा सकते हैं। बीमा करते समय जमीन की माप (डिसमिल/एकड़) को हेक्टेयर में परिवर्तित करके ही पोर्टल पर दर्ज करना होगा।

बीमा कवरेज के प्रकार:

असफल बुवाई पर लाभ: बीमित किसानों को बीमित राशि का 25% लाभ प्रदान कर पॉलिसी बंद कर दी जाती है।

फसल कटाई के उपरांत 14 दिनों तक कवरेज: कटाई के बाद फसल नुकसान की स्थिति में 72 घंटे के अंदर टोल फ्री नंबर 14447 पर शिकायत दर्ज करनी होगी।

पैदावार आधारित मुआवजा: फसल कटाई के बाद पैदावार में कमी के आधार पर मुआवजा दिया जाएगा।

अधिकारियों का संदेश:

जिला सहकारिता पदाधिकारी ने जोर देकर कहा कि फसल बीमा किसानों के लिए एक सुरक्षा कवच है, जो प्राकृतिक आपदा, असफल बुवाई और फसल नुकसान की स्थिति में उन्हें आर्थिक सुरक्षा प्रदान करता है। उन्होंने सभी प्रखंडों को लक्ष्य प्राप्त करने और पंचायत स्तर तक अधिक से अधिक किसानों को योजना का लाभ दिलाने के निर्देश दिए।

जिला सहकारिता पदाधिकारी ने एक स्लोगन के माध्यम से संदेश भी दिया: "फसल बीमा कराओ, सुरक्षा कवच पाओ!" यह पहल गढ़वा जिले के किसानों को सशक्त बनाने और उन्हें अनिश्चित मौसम की मार से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

गढ़वा जिले के बरडीहा में दिव्यांग बच्चों के लिए आयोजन हुआ जाँच शिविर एवं सहायक उपकरण वितरण

गढ़वा :- झारखंड शिक्षा परियोजना, गढ़वा के द्वारा समग्र शिक्षा कार्यक्रम के तहत शुक्रवार को प्रखंड संसाधन केन्द्र, बरडीहा में दिव्यांगता जांच शिविर सह सहायक उपकरण वितरण समारोह का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम की शुरुआत चिकित्सा पदाधिकारी डॉ कुलदेव चौधरी, दिव्यांग विशेषज्ञ डॉ अमित कुमार एवं प्रखंड कार्यक्रम प्रबंधक आर्शी मुर्तुजा ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। इस शिविर में प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न विद्यालयों के बच्चों का दिव्यांगता जांच किया गया।

जिसमें तीन वर्ष से अठारह वर्ष आयु वर्ग के हड्डी व शारीरिक रूप से कमजोर, नेत्र, मुक-बधिर, कान, मानसिक एवं शारीरिक रूप से दिव्यांग बच्चों की जांच हुई। तत्पश्चात दिव्यांग बच्चों के बीच ट्राई साइकिल, व्हील चेयर, रोलेटर, मानसिक मंदता किट, रोलेटर किट, हियरिंग एड, सीपी चेयर का वितरण किया गया। जिसमें केशर अंसारी, विमलेश यादव, अर्चना कुमारी, अनिता कुमारी, धर्मदेव

प्रजापति, जयप्रकाश विश्वकर्मा, मधु कुमारी, पूनम कुमारी, आदि शामिल थे। डॉ कुलदेव चौधरी ने कहा कि दिव्यांग बच्चों को शिक्षा, स्वास्थ्य और समाज में बेहतर सुविधएं मिलनी चाहिए। क्योंकि एक सामान्य व्यक्ति से क्षमता कम होता है। इसलिए हो सके तो सामाजिक तौर पर या अन्य जगहों पर इन्हें प्राथमिकता देनी चाहिए। प्रतिमा मौके पर चिकित्सा पदाधिकारी डॉ कुलदेव चौधरी, दिव्यांग विशेषज्ञ डॉ अमित कुमार, प्रखंड कार्यक्रम प्रबंधक आर्शी मुर्तुजा, अरविंद पाल, रिसोर्स टीचर अक्षय कुमार सिंह, एमआईएस रामेश्वर मेहता सहित विभिन्न विद्यालय के शिक्षक एवं काफी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।

राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था जर्जर,मरीज को एम्बुलेंस नहीं टेंपो से भेज रही सरकार.....बाबूलाल मरांडी

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवम नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने राज्य की हेमंत सरकार पर बड़ा निशाना साधा।

श्री मरांडी ने कहा कि सड़क पर घायल व्यक्ति के लिए एम्बुलेंस की व्यवस्था कराने के बजाय स्वास्थ्य मंत्री ने उसे टेम्पो में लादकर अस्पताल भेजा।

कहा कि अपनी पीठ खुद थपथपाने वाले स्वास्थ्य मंत्री ने स्वास्थ्य विभाग का बंटाधार कर दिया। 

कहा कि आए दिन ये खबरें आती हैं कि गरीबों ,जरूरतमंदों को सरकारी एम्बुलेंस नहीं मिल पाते।इससे अधिक शर्मनाक स्थिति और क्या हो सकती है?

कहा कि एयर एम्बुलेंस का ढोल पीटने वाली सरकार हकीकत में केवल फर्ज़ी विज्ञापनों से अपनी वाहवाही लूटने में लगी है।

कहा कि झारखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था इतनी जर्जर हो चुकी है कि खुद मंत्री और मुख्यमंत्री भी अपने या अपने परिजनों का इलाज राज्य के अस्पतालों में करवाने का साहस नहीं कर पाते!

झारखंड में NEET UG 2025 एमबीबीएस काउंसलिंग शुरू: 26 जुलाई तक करें पंजीकरण

झारखंड संयुक्त प्रवेश प्रतियोगी परीक्षा बोर्ड (JCECEB) ने NEET UG 2025 एमबीबीएस पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए काउंसलिंग प्रक्रिया शुरू कर दी है। जो छात्र मेडिकल क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहते हैं, उनके लिए यह एक महत्वपूर्ण अवसर है। इच्छुक और योग्य उम्मीदवार 26 जुलाई 2025 तक ऑनलाइन पंजीकरण कर सकते हैं।

यह काउंसलिंग प्रक्रिया उन सभी उम्मीदवारों के लिए है जिन्होंने राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET UG) 2025 उत्तीर्ण की है और झारखंड के मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस सीटों पर प्रवेश पाने के इच्छुक हैं। JCECEB यह सुनिश्चित करने के लिए पूरी प्रक्रिया को सुव्यवस्थित कर रहा है कि प्रवेश निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से हो।

पंजीकरण के बाद, JCECEB 29 जुलाई 2025 को मेरिट सूची जारी करेगा। इस मेरिट सूची में उम्मीदवारों के NEET UG स्कोर और अन्य पात्रता मानदंडों के आधार पर उनकी रैंकिंग शामिल होगी। मेरिट सूची जारी होने के बाद, आगे की काउंसलिंग प्रक्रिया जैसे सीट आवंटन और दस्तावेज़ सत्यापन के चरण शुरू होंगे।

उम्मीदवारों को सलाह दी जाती है कि वे JCECEB की आधिकारिक वेबसाइट पर नियमित रूप से नज़र रखें ताकि वे किसी भी महत्वपूर्ण अपडेट या घोषणा से न चूकें। समय सीमा से पहले पंजीकरण पूरा करना सुनिश्चित करें और यह भी जांच लें कि सभी आवश्यक दस्तावेज तैयार हैं। यह प्रक्रिया झारखंड के भावी डॉक्टरों के लिए पहला कदम है, और JCECEB यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि यह प्रक्रिया सभी के लिए सुचारू और कुशल हो।

पूर्वी सिंहभूम: ई-वेस्ट को सामान्य कचरे में न मिलाएं, प्रशासन की सख्त चेतावनी

जमशेदपुर, झारखंड: पूर्वी सिंहभूम जिला प्रशासन ने पर्यावरण संरक्षण और उचित कचरा प्रबंधन को लेकर एक महत्वपूर्ण चेतावनी जारी की है। प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि इलेक्ट्रॉनिक कचरे (ई-वेस्ट) को सामान्य घरेलू कचरे के साथ मिलाकर डंप न किया जाए। इस निर्देश का मुख्य उद्देश्य ई-वेस्ट के वैज्ञानिक निपटान और रीसाइक्लिंग को बढ़ावा देना है, जो पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य दोनों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

जिला प्रशासन ने बताया है कि ई-वेस्ट में कई प्रकार के हानिकारक रसायन और भारी धातुएं होती हैं, जैसे सीसा, पारा, कैडमियम, और ब्रोमिनेटेड फ्लेम रिटार्डेंट। जब इन सामग्रियों को सामान्य कचरे के साथ मिला दिया जाता है और लैंडफिल में फेंका जाता है, तो ये रसायन मिट्टी और पानी में रिस सकते हैं, जिससे गंभीर पर्यावरणीय प्रदूषण होता है। यह न केवल पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि भूजल को भी दूषित करता है, जिसका सीधा असर मानव स्वास्थ्य पर पड़ सकता है।

प्रशासन ने इस बात पर जोर दिया है कि ई-वेस्ट को अलग से इकट्ठा करना और अधिकृत रीसाइक्लिंग केंद्रों तक पहुंचाना अनिवार्य है। ऐसा करने से इन सामग्रियों में मौजूद मूल्यवान धातुओं और अन्य घटकों को पुनर्प्राप्त किया जा सकता है, जिससे नए उत्पादों के निर्माण के लिए प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भरता कम होती है। साथ ही, हानिकारक पदार्थों का सुरक्षित तरीके से निपटान सुनिश्चित होता है।

पूर्वी सिंहभूम जिला प्रशासन ने नागरिकों से अपील की है कि वे अपने पुराने या खराब हो चुके इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों जैसे मोबाइल फोन, कंप्यूटर, टीवी, रेफ्रिजरेटर, और अन्य गैजेट्स को सामान्य कूड़ेदान में डालने से बचें। इसके बजाय, उन्हें सरकार द्वारा अधिकृत ई-वेस्ट कलेक्शन सेंटर्स या रीसाइक्लिंग सुविधाओं पर जमा करें। प्रशासन ने चेतावनी दी है कि इस नियम का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जा सकती है। यह पहल जिले में कचरा प्रबंधन को बेहतर बनाने और स्वच्छ व स्वस्थ पर्यावरण सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

बीबीएमयू के कॉलेज कर्मचारी 19 जुलाई से शुरू करेंगे अनिश्चितकालीन कलमबंद हड़ताल

धनबाद: स्थानीय कॉलेजों में शैक्षणिक और प्रशासनिक कार्यों पर गहरा संकट मंडरा रहा है। मिली जानकारी के अनुसार, कॉलेज कर्मचारी 19 जुलाई से अनिश्चितकालीन कलमबंद हड़ताल पर चले जाएंगे।

इस हड़ताल का आह्वान विभिन्न लंबित मांगों को लेकर किया गया है, जिसके चलते न केवल कॉलेजों में शिक्षण कार्य बाधित होगा, बल्कि प्रवेश प्रक्रिया, परीक्षा संचालन और अन्य प्रशासनिक गतिविधियां भी बुरी तरह प्रभावित होंगी।

कर्मचारियों का कहना है कि वे लंबे समय से अपनी मांगों को लेकर गुहार लगा रहे हैं, लेकिन सरकार और संबंधित विभागों द्वारा उनकी अनदेखी की जा रही है। उनकी मुख्य मांगों में वेतन विसंगतियों को दूर करना, बकाया मानदेय का भुगतान, नियमितीकरण की प्रक्रिया शुरू करना और सुरक्षित कार्य वातावरण प्रदान करना शामिल है। कर्मचारियों के प्रतिनिधियों ने बताया कि उन्होंने कई बार ज्ञापन सौंपे और अधिकारियों से मुलाकात की, लेकिन कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला।

इस हड़ताल के कारण छात्रों को सबसे अधिक परेशानी का सामना करना पड़ेगा। नई कक्षाओं में प्रवेश प्रक्रिया धीमी हो सकती है, जबकि चल रही परीक्षाओं के परिणाम में भी देरी की संभावना है। इसके अतिरिक्त, दैनिक प्रशासनिक कार्य जैसे प्रमाण पत्र जारी करना, शुल्क जमा करना और अन्य आवश्यक सेवाएं भी पूरी तरह से ठप हो जाएंगी।

कॉलेज प्रशासन और विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने अभी तक इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही कोई बीच का रास्ता निकालने के लिए कर्मचारियों के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत शुरू की जाएगी, ताकि छात्रों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए इस गतिरोध को समाप्त किया जा सके। फिलहाल, छात्रों और अभिभावकों में इस हड़ताल को लेकर चिंता का माहौल है।