बिहार में चुनावी षड्यंत्र का आरोप: प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम ने चुनाव आयोग के विज्ञापन पर उठाए तीखे सवाल*
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पटना, बिहार: बिहार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम ने आज पटना में एक संवाददाता सम्मेलन आयोजित कर चुनाव आयोग के हालिया विज्ञापन पर गंभीर सवाल उठाए हैं. राजेश राम ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग का यह विज्ञापन, जिसमें मतदाता पुनरीक्षण के दौरान दस्तावेजों और तस्वीरों की आवश्यकता न होने की बात कही गई है, "मतदाताओं के साथ धोखा, अन्याय और एक बड़ा षड्यंत्र" है. उन्होंने इसे "चुनाव आयोग की अकर्मण्यता" और "सत्ताधारी दल को अनैतिक मदद" पहुंचाने का प्रयास बताया. चुनाव आयोग के विज्ञापन पर कांग्रेस का सवाल सदाकत आश्रम स्थित बिहार कांग्रेस मुख्यालय में मीडिया को संबोधित करते हुए राजेश राम ने कहा कि चुनाव आयोग ने मतदाता सूची से संबंधित फॉर्मों पर एक पोस्टर जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि "यदि आवश्यक दस्तावेज़ और फोटो उपलब्ध नहीं हैं, तो बस नामांकन फॉर्म भरें और उसे बूथ स्तर अधिकारी (BLO) को दें." पोस्टर में आगे यह भी जोड़ा गया है कि "यदि आप आवश्यक दस्तावेज़ उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं, तो चुनाव रजिस्ट्रेशन अधिकारी (ERO) स्थानीय जांच या अन्य दस्तावेज़ों के आधार पर निर्णय ले सकता है." राजेश राम ने इस पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इसका अर्थ यह है कि ERO उन लोगों से मिलने मौके पर जाएंगे जिन्होंने दस्तावेज़ जमा नहीं किए हैं. वे यह सुनिश्चित करेंगे कि फॉर्म भरने वाला व्यक्ति 18 वर्ष का है या नहीं, उस क्षेत्र में निवास की अवधि की जानकारी लेंगे, आसपास के लोगों से बात करेंगे और उपलब्ध साक्ष्य व दस्तावेज़ों के आधार पर निर्णय लेंगे. कांग्रेस के तीखे सवाल और आशंकाएं राजेश राम ने इस संदर्भ में कई प्रासंगिक सवाल उठाए: इस पूरी प्रक्रिया की प्रासंगिकता क्या रह गई है? क्या यह कुछ राजनीतिक दलों को लाभ पहुंचाकर लोगों के नाम मतदाता सूची से काटने का एक नियोजित षड्यंत्र है? अगर अंतिम निर्णय ERO के विवेक पर छोड़ा गया है, तो क्या बहुत बड़ी संख्या में भाजपा और जदयू की सरकार दबाव बनाकर वोटर लिस्ट में मनमानी नहीं करेगी? हाल ही में बिहार में स्पेशल समरी रिवीजन वोटर लिस्ट किया गया है, जिसका अंतिम प्रकाशन 6 जनवरी 2025 को किया गया था. जब यह पूरी प्रक्रिया जनवरी में ही (घर-घर सर्वेक्षण, भौतिक सत्यापन, दावों और आपत्तियों की सूची का प्रदर्शन, राजनीतिक दलों के साथ सूची साझा करना) की जा चुकी है, तो फिर वही प्रक्रिया चुनावों के ठीक पहले फिर करना संदेह पैदा करने वाली है. राजेश राम ने मांग की कि चुनाव आयोग को तुरंत इस निर्णय को वापस लेना चाहिए. उन्होंने चिंता व्यक्त की कि बिहार के विधानसभा क्षेत्रों से खबर आ रही है कि लोग खुद किसी भी प्रकार का फॉर्म भरने में समर्थ नहीं हैं. संवाददाता सम्मेलन में प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम के अलावा विधान परिषद में दल के नेता व पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. मदन मोहन झा, नेशनल मीडिया पैनलिस्ट पूर्व विधान पार्षद प्रेम चंद मिश्र, मीडिया विभाग के चेयरमैन राजेश राठौड़, सोशल मीडिया विभाग के चेयरमैन सौरभ सिंहा, असित नाथ तिवारी, मंजीत आनंद साहू, प्रो विजय कुमार सहित अन्य नेतागण मौजूद थे.
Jul 14 2025, 20:16