धर्म की गति बहुत सूक्ष्म, धर्म को जानना बहुत कठिन: बद्रीश जी महाराज
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ड्रमंडगंज, मीरजापुर।बबुरा रघुनाथ सिंह ग्राम पंचायत के कठारी गांव में श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के चौथे दिन भागवताचार्य बद्रीश जी महाराज ने श्रोताओं को धर्म और अधर्म का अंतर समझाया। कहा कि धर्म की गति बहुत सूक्ष्म है और धर्म को जानना बहुत कठिन है। लोग मानते हैं कि राम ने असुरों के संहार के लिए अवतार लिया था, जबकि ऐसा होता तो प्रभु के एक अवतार परशुराम तब धरती पर ही थे, वही असुरों का मर्दन कर सकते थे।
राम ने तो केवल मूल्यों की रक्षा और मनुष्य को कैसा होना चाहिए यह बताने के लिए अवतार लिया था। इसके पहले उन्होंने गर्भ में राजा परीक्षित की रक्षा की कथा सुनाई। कथा के क्रम में बद्रीश जी महाराज ने कहा कि भगवान की छाती से धर्म और पीठ से अधर्म पैदा हुआ। अधर्म की पत्नी है मृषा यानी असत्य।
मंदिर बनाना धर्म है, मगर उसका उद्देश्य गलत है तो वह मंदिर रूपी धर्म भी गलत है। इसी तरह यज्ञ करना धर्म है, लेकिन वह किसी महापुरुष के अपमान या अहित के लिए किया जा रहा हो तो वह गलत है। दक्ष का यज्ञ इसका उदाहरण है, जिसे गणों ने विंध्वंस इसलिए कर दिया कि वह भोलेनाथ का अपमान करने के लिए हो रहा था। कहा कि माला जपना धर्म है लेकिन उस पर उच्चाटन, मारन या वशीकरण मंत्र जपा जा रहा तो वह धर्म नहीं है।
व्यास पीठ ने वर्तमान काल में धर्म रक्षा और प्रसार पर कहा कि हम अपनी तपस्या अपना धर्म जीवन में इतना व्यापक कर लें कि अन्य धर्म छोटे लगने लगें। अधर्मी को मत मारो, उसके भीतर के अधर्म का निवारण करो। दूसरे को नीचा दिखाने की जगह अपने आचरण को इतना ऊंचा करो कि वह खुद छोटा दिखने लगे। कथा के बीच बीच में बद्रीश जी महाराज ने भजनों की सरिता भी बहाई। जिसमें– होवे धर्म प्रचार प्यारे भारत में,लेवे जन्म सुधार प्यारे भारत में और हंसना तेरे लिए रोना तेरे लिए, हंसते रोते दिन यू ही गुजर जाएंगे सहित कई अन्य भजन शामिल रहे। कथा का रसपान करने के लिए इस अवसर पर यजमान मणि प्रसाद मिश्र, मालती मिश्र, शिव शंकर द्विवेदी, विजय बहादुर सिंह, बैद्यनाथ सिंह, विजय प्रताप सिंह, राम बिहारी मिश्र, छोटे सिंह सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।
May 14 2025, 19:29