*खजनी तक नहीं पहुंची विकास की उजली किरणें*
खजनी गोरखपुर।।वैसे तो देश और प्रदेश में चारों तरफ विकास की आंधी चल रही है, लेकिन जिले की खजनी तहसील का खजनी कस्बा विकास की इन उजली किरणों से महरूम है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस क्षेत्र के निवासी रहे पूर्व मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह के असामायिक निधन के बाद यहां की सभी विकास योजनाऐं ठप पड गईं। सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र होने के कारण यहां के स्थानीय जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा का आलम यह है कि जिले की सीमा से महज 12 किमी दूर स्थित खजनी कस्बे तक विकास के उजाले की एक किरण भी नहीं पहुंची है।
स्थानीय लोगों ने यहां की जन समस्याओं को अमर भारती के संग साझा किया पेश है लोगों की शिकायतें उन्हीं की जुबानी-
कस्बे के प्रतिष्ठित वस्त्र व्यापारी विजय कुमार भरतिया ने बताया कि वर्षों पहले खजनी कस्बे और तहसील से रेलवे स्टेशन तक सस्ते किराए वाली सिटी बसें चलती थीं, आज प्राइवेट डग्गामार सवारी वाहनों आॅटो और जीप के अलावां कोई नियमित सरकारी वाहन जिले तक जाने के लिए नहीं मिलता है। बड़ी मुश्किल से इलेक्ट्रिक बस सेवा शुरू हुई है लेकिन वह भी नियमित नहीं है 90 फीसदी लोग निजी या प्राइवेट वाहनों से धक्के खाते हुए जिले तक की यात्राएं पूरी करते हैं। जिनमें विद्यार्थी, व्यापारी, शिक्षक तहसील, ब्लाक,बैंक कर्मचारी आदि प्रमुख हैं। जबकि पहले यहां पर रोडवेज का बस स्टैंड और टिकट घर भी था अब कुछ भी नहीं है।
खजनी व्यापार मंडल के अध्यक्ष रहे नवीन श्रीवास्तव ने बताया कि कस्बे की सड़क ऊंची हो गई है जलनिकासी के लिए सड़क के किनारे बनी नाली पट चुकी है घरों से निकलने वाले गंदे पानी के निस्तारण के लिए लोग वर्षों से नारकीय यातनाऐं सह रहे हैं। कोई जनप्रतिनिधि स्थानीय लोगों की समस्याओं को सुनता ही नहीं।
संतोष तिवारी मनरेगा एकाउंटेंट ने बताया कि तहसील क्षेत्र में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की पढाई के लिए कोई महाविद्यालय नहीं है, विज्ञान की पढाई के लिए विद्यार्थियों और अभिभावकों को मजबूर होकर परिवार के साथ किराए पर कमरा लेकर शहर में निवास करना पड़ता है।
अमित त्रिपाठी ने बताया कि जिले में सिर्फ खजनी तहसील और कस्बा ही है जो कि नगर पंचायत नहीं है और सभी तहसीलें नगर पंचायत क्षेत्र हैं। खजनी की उपेक्षा की इससे बडी मिसाल और क्या होगी?
दीपक मिश्रा एडवोकेट खजनी तहसील बार के कोषाध्यक्ष ने बताया कि खजनी तहसील में दीवानी न्यायालय की मांग वर्षों पुरानी है पूर्व मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह की योजना थी वो खजनी में दीवानी न्यायालय की स्थापना चाहते थे पर उनके जाने के बाद यह मामला ठंडा पड़ गया और आज तक खजनी में दीवानी न्यायालय तथा ग्राम न्यायालय की स्थापना नहीं हो पाई है। वादकारियों को बांसगांव और गोरखपुर जाना पड़ता है जिसमें अतिरिक्त समय और धन खर्च होता है। उन्होंने बताया कि खजनी तहसील क्षेत्र में सबसे अधिक 739 राजस्व गांव हैं तथा ऐ 5.5 लाख से अधिक आबादी वाली जिले की सबसे बड़ी तहसील है यहां पर दीवानी न्यायालय की स्थापना की मांग बहुत पुरानी है।
राजेश पांण्डेय प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला उपाध्यक्ष ने बताया कि खजनी का एकमात्र उद्यम कंबल कारखाना पूरी तरह से बंद हो गया है, पूर्व केंद्रीय लघु एवं सूक्ष्म उद्योग मंत्री महावीर प्रसाद ने उसे रायबरेली में स्थापित करा दिया था, साथ ही वीर बहादुर सिंह के द्वारा हरिहरपुर में प्रस्तावित जैव अनुसंधान केंद्र और फर्टर्लिटी सेंटर का निर्माण भी नहीं हुआ खजनी क्षेत्र के सांसदों विधायकों ने भी यहां के लिए कोई उल्लेखनीय विकास कार्य नहीं किया है। गोरखपुर शहर का विकास मेडिकल काॅलेज रोड, सोनौली रोड,पिपराइच रोड, तारामंडल सिक्टौर रोड, सहजनवां गीडा, डोमिनगढ नौसढ़ और उनवल हर दिशा में हुआ मगर खजनी कस्बा शहर के करीब हो कर भी उपेक्षा का शिकार है।
खुटभार के ग्राम प्रधान अर्जुन जायसवाल ने कहा- कि किसी की भी निगाह नहीं गई खजनी की बदहाली की ओर!
नहीं तो खजनी कस्बा भी गोरखपुर महानगर क्षेत्र का हिस्सा होता।
बता दें कि खजनी को नगर पंचायत क्षेत्र बनाने के लिए 3 वर्ष पहले पहली अधिसूचना जारी हुई थी। तत्कालीन एसडीएम के द्वारा 3 बार सर्वे रिपोर्ट शासन को भेजी जा चुका है किंतु अभी तक खजनी को नगर पंचायत क्षेत्र या टाउन एरिया का दर्जा नहीं मिला है।
Apr 30 2025, 19:16