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करणी सेना नहीं वो योगी सेना, सरकार ने की फंडिंग”, अखिलेश यादव का यीपी सरकार पर हमला

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राणा सांगा पर राज्यसभा में दिए बयान के बाद छिड़े सियासी घमासान के बीच शनिवार को सपा मुखिया एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव राज्यसभा सांसद रामजीलाल सुमन से मिलने आगरा उनके आवास पहुंचे।जहां उन्होंने सरकार पर जमकर हमला बोला। अखिलेश यादव ने करणी सेना पर हमले का आरोप लगाते हुए कहा कि यह सरकार द्वारा प्रायोजित हिंसा है, जिसका उद्देश्य दलितों और अल्पसंख्यकों को डराना है। अखिलेश यादव ने कहा कि करणी सेना नहीं ये योगी सेना है, जिसके लिए सरकार से फंडिंग हो रही है।

यह संदेश दिया गया कि राजपूत योगी के साथ-अखिलेश

सपा मुखिया अखिलेश यादव ने अपने सांसद रामजीलाल सुमन के आवास पर मीडिया से वार्ता करते हुए करणी सेना के प्रदर्शन पर कहा कि यह लखनऊ और दिल्ली में सत्ता में बैठे लोगों के वर्चस्व की लड़ाई थी। भोले-भाले लोगों को तलवारें पकड़ाकर आगे कर दिया गया। प्रदर्शन से यह संदेश दिया गया कि राजपूत योगी के साथ हैं।

लोगों की आवाज दबाने के लिए योगी सेना-अखिलेश

अखिलेश यादव ने करणी सेना को योगी सेना बताया। उन्होंने कहा, जिस तरह हिटलर सेना रखता था, लोगों की आवाज दबाने के लिए उसी तरह ये योगी सेना लोगों को डरा रही है सवाल उठाए कि इन्हें फंडिंग किसने की। योगी को कुछ नहीं आता है।

पीडीए को डराने की कोशिश-अखिलेश

अखिलेश ने मीडिया से बातचीत के दौरान सरकार पर आरोप लगाया कि ये पीडीए को तोड़ने की कोशिश है। अखिलेश यादव ने सपा के राज्यसभा सांसद रामजीलाल सुमन के घर पर करणी सेना की तरफ से किए गए हमले को लेकर कहा कि ये पीडीए को डराने की कोशिश की गई है। उन्होंने कहा कि सांसद के आवास पर अचानक हमला नहीं हुआ। ये हमला एक साजिश के तहत हुआ है। हमलावरों का इरादा जान लेने का था।

अखिलेश ने कहा कि हाल में हुए उप चुनाव भी ये लोग डराकर ही जीते हैं। प्रयागराज में एक दलित को मारकर जला दिया गया। ये एक तरह से दलितों-अल्पसंख्यकों को डराने कोशिश पूरी कोशिश की गई है।

ब्राह्मणों पर मैं मू...कोई समस्या?' फिल्म 'फुले' विवाद के बीच अनुराग कश्यप का ये कैसा बयान

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फिल्में समाज का आइना कही जाती हैं। हालांकि, कई बार लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए सच्चाई को पेश करने में सतर्कता बरती जाती है। इन दिनों फिल्म “फुले” को लेकर भी विवाद हो रहा है। इस बीच फिल्म निर्माता-अभिनेता अनुराग कश्यप ने ब्राह्मण समुदाय द्वारा फिल्म “फुले” के खिलाफ आपत्ति जताए जाने के बीच ब्राह्मण हिंदुओं के खिलाफ नफरत भरी टिप्पणी की है। अपने इंस्टाग्राम पोस्ट के तहत एक टिप्पणी का जवाब देते हुए, अनुराग कश्यप ने कथित तौर पर कहा कि वह ब्राह्मणों पर पेशाब करेंगे।

फिल्ममेकर ने हाल ही में सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया है जिसमें 'फुले' को लेकर चल रहे जातिवाद वाले हंगामे के खिलाफ अपनी बात रखी है। उन्होंने इंस्टाग्राम पर पोस्ट शेयर करते हुए देश में आज भी जातिवाद की मौजूदगी को लेकर एक बड़ा और बेबाक सवाल किया है। उन्होंने इस पोस्ट में महाराष्ट्रियन ब्राह्मण समूहों द्वारा नाराजगी और अनंत महादेवन निर्देशित 'फुले' की रिलीज में देरी पर अपनी निराशा जताई।

अपनी इंस्टाग्राम स्टोरी में कश्यप ने लिखा, "मेरी जिंदगी का पहला नाटक ज्योतिबा और सावित्रीबाई फुले पे था। भाई अगर जातिवाद नहीं होता इस देश में तो उनको क्या जरूरी थी लड़ने की। अब ये ब्राह्मण लोगों को शर्म आ रही है या वो शर्म में मारे जा रहे हैं या फिर एक अलग ब्राह्मण भारत में जी रहे हैं जो हम देख नहीं पा रहे हैं। यदि इस देश में जातिवाद मौजूद नहीं होता, तो उन्हें इसके खिलाफ लड़ने की आवश्यकता क्यों होती? अब ये ब्राह्मण समूह या तो शर्मिंदा महसूस करते हैं, शर्म से मर रहे हैं, या शायद वे किसी वैकल्पिक ब्राह्मण-केवल भारत में रह रहे हैं जिसे हम देख नहीं पा रहे हैं। कोई कृपया समझाए- यहां असली मूर्ख कौन है?

'असहज सच्चाई' को बयां करने पर सेंसरशिप का सामना करना पड़ता है

कश्यप ने आगे कहा, मेरा सवाल यह है कि जब फिल्म सेंसरशिप के लिए जाती है, तो बोर्ड में चार सदस्य होते हैं। आखिर कैसे इन समूहों और विंग्स को फिल्मों तक पहुंच मिलती है, जब तक कि उन्हें इसकी अनुमति न दी जाए? पूरी व्यवस्था ही धांधली वाली है। उन्होंने इस बात पर भी दुख जताया कि समाज की कथित 'असहज सच्चाई' को बयां करने वाली पंजाब 95, तीस, धड़क 2 जैसी कई फिल्मों को सेंसरशिप का सामना करना पड़ता है और वे रिलीज नहीं हो पाती हैं। मुझे नहीं पता कि इस जातिवादी, क्षेत्रवादी, नस्लवादी सरकार के एजेंडे को उजागर करने वाली और कितनी फिल्में ब्लॉक की गई हैं... उन्हें अपना चेहरा आईने में देखकर शर्म आती है। उन्हें इतनी शर्म आती है कि वे खुलकर यह भी नहीं बता पाते कि फिल्म में ऐसा क्या है जो उन्हें परेशान करता है। कायरों।

जाति व्यवस्था पर उठाया सवाल

अनुराग कश्यप ने सवाल किया, धड़क 2 की स्क्रीनिंग के दौरान, सेंसर बोर्ड ने हमें बताया कि मोदीजी ने भारत में जाति व्यवस्था को खत्म कर दिया है। इसी आधार पर, संतोष को भी भारत में रिलीज़ नहीं किया जा सका। अब, ब्राह्मण फुले पर आपत्ति कर रहे हैं। भाई, अगर जाति व्यवस्था नहीं है तो आप ब्राह्मण कैसे हो सकते हैं? आप कौन हैं? आप क्यों परेशान हो रहे हैं?

ब्राह्मणों के खिलाफ घृणा का प्रदर्शन

के इसी पोस्ट पर लोगों ने उनके खिलाफ और कुछ ने उन्हें सपोर्ट करते हुए भी कॉमेंट किए हैं। एक ने लिखा- ब्राह्मण तुम्हारे बाप हैं, जितना तुम्हारी उनसे सुलगती उतना तुम्हारी सुलगाएंगे। अनुराग कश्यप ने इस कॉमेंट का जवाब भी दिया है और लिखा, 'ब्राह्मण पे मैं मूतूंगा, कोई प्रॉब्लम?

केंद्रीय मंत्री सतीश दुबे ने लगाई लताड़

अनुराग कश्यप ब्राह्मण समुदाय पर दिए गए अपने बयान के कारण विवादों में आ गए हैं। हालांकि, उन्होंने शुक्रवार देर रात एक सोशल मीडिया पोस्ट में माफी मांग ली, पर विवाद और बढ़ता जा रहा है। अब केंद्रीय मंत्री सतीश दुबे ने बुरी तरह भड़क गए हैं और अनुराग कश्यप को सोशल मीडिया पर खरी-खोटी सुनाई है।

सतीश दुबे ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा, इस नीच बदमाश अनुराग कश्यप को लगता है कि वह पूरे ब्राह्मण समुदाय पर गंदगी फैलाकर बच सकता है? अगर वह तुरंत सार्वजनिक रूप से माफी नहीं मांगता है, तो मैं कसम खाता हूं कि मैं यह सुनिश्चित करूंगा कि उसे कहीं भी शांति न मिले। इस गटर मुंह वाले की नफरत बहुत हो गई, हम चुप नहीं बैठेंगे।

25 अप्रैल को सिनेमाघरों में आएगी

बता दें कि फिल्म 11 अप्रैल को रिलीज होने वाली थी। अब यह फिल्म 25 अप्रैल को सिनेमाघरों में आएगी। फुले सामाजिक कार्यकर्ता ज्योतिराप गोविंदराव फुले (प्रतीक गांधी द्वारा अभिनीत) और उनकी पत्नी सावित्रीबाई फुले (पत्रलेखा द्वारा अभिनीत) के जीवन पर आधारित है, जिन्होंने जातिगत भेदभाव के खिलाफ और महिलाओं के शिक्षा के अधिकार के लिए लड़ाई लड़ी, जिसमें 1848 में भारत के पहले लड़कियों के स्कूल की स्थापना भी शामिल है।

अब महाराष्ट्र में हिंदी पर विवाद, सुप्रिया सुले से लेकर उद्धव ठाकरे तक ने फडणवीस सरकार पर साधा निशाना

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महाराष्ट्र में भाषा विवाद ने तूल पकड़ रखा है। राज्य में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत हिंदी को कक्षा 1 से 5 तक तीसरी अनिवार्य भाषा बनाने का फैसला हुआ है। इस फैसले ने सियासी बवाल मचा दिया है। राज्य के मराठी और अंग्रेजी मीडियम स्कूलों में पहली और 5वीं क्लास तक के छात्रों के लिए हिंदी को अनिवार्य तीसरी भाषा बनाने का विरोध हो रहा है। इसे इसे मराठी संस्कृति पर खतरा बताया जा रहा है।

तमिलनाडु की तरह इसका विरोध किया जाएगा-राज ठाकरे

हिंदी को तीसरी अनिवार्य भाषा बनाए जाने के फैसले पर महाराष्ट्र में अपना सियासी वजूद बचाने में जुटी राज ठाकरे की मनसे यानी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना आग बबूला है। मनसे चीफ राज ठाकरे ने फडणवीस सरकार के इस निर्णय की निंदा की। उन्होंने कहा कि मनसे इस फैसले का पुरजोर विरोध करेगी और यह सुनिश्चित करेगी कि इसे लागू न किया जाए। अब तक मराठी और अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में केवल दो भाषाएं पढ़ाई जाती थीं, लेकिन अब हिंदी को तीसरी अनिवार्य भाषा बनाया जा रहा है। राज ठाकरे ने कहा तमिलनाडु की तरह इसका विरोध किया जाएगा।

हिंदी को ज़बरदस्ती थोपना ठीक नहीं- उद्धव ठाकरे

महाराष्ट्र में नई शिक्षा नीति को लेकर जारी विवाद के बीच शनिवार को शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में हिंदी भाषा को जबरन लागू नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने साफ किया कि उन्हें हिंदी भाषा से कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन इसका ज़बरदस्ती थोपना ठीक नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि महाराष्ट्र की मातृभाषा मराठी है और उसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम हिंदी के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन इसे बच्चों पर क्यों थोपा जा रहा है? महाराष्ट्र की अपनी मातृभाषा मराठी है और उसे सबसे पहले प्राथमिकता मिलनी चाहिए।

एसएससी बोर्ड को खत्म करने की साजिश-सुले

वहीं, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एससीपी) की सांसद सुप्रिया सुले ने शनिवार को महाराष्ट्र सरकार के हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य करने के फैसले की आलोचना की और इसे एसएससी बोर्ड को खत्म करने की साजिश करार दिया।सुले ने कहा, मैंने पहले भी कहा है कि यह फैसला जल्दबाजी में लिया गया है। मराठी महाराष्ट्र की आत्मा है और यह आगे भी नंबर वन रहेगी। शिक्षा के क्षेत्र में बहुत काम करना है और मराठी भाषा पहली भाषा होनी चाहिए। मुझे लगता है कि यह कदम एसएससी बोर्ड को खत्म करने की साजिश है।

विरोध की वजह क्या है?

बता दें कि महाराष्ट्र सरकार ने एनईपी 2020 के तहत 2025-26 सत्र से मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में मराठी, अंग्रेजी और हिंदी को त्रिभाषा नीति के तहत अनिवार्य करने का फैसला किया। हालांकि, मराठी अब भी पहली अनिवार्य मातृभाषा है। अंग्रेजी दूसरी अनिवार्य भाषा है। अब हिंदी को तीसरी अनिवार्य भाषा बनाया गया है। अब समझ नहीं आता कि इसमें विवाद क्यों है। अगर मराठा भाषी राज्य में हिंदी को पहली अनिवार्य भाषा बनाया जाता तो विरोध समझ में आता है।

ट्रंप के टैरिफ वॉर के बीच चीन ने बदली “चाल”, भारत को दिया ये ऑफर*

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भारत-चीन के बीच व्यापार असंतुलन लगातार बढ़ता जा रहा है। दोनों देशों के बीच व्यापार घाटा लगभग 100 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। भारत की कोशिश है कि इसे कैसे कम किया जाए। इस बीच डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ से परेशान चीन ने ही भारत के सामने एक बड़ा ऑफर पेश किया है। चीन ने कहा है कि वह भारत के प्रीमियम उत्पादों के आयात के लिए तैयार है ताकि व्यापार घाटे को कम किया जा सके।

बदले में रखी ये शर्त

चीन में भारत के राजदूत शू फेहोंग ने टाइम्स ऑफ इंडिया से एक विशेष बातचीत में कहा कि चीन भारतीय कंपनियों को अपने बाजार में बेहतर प्रवेश दिलाने को तैयार है। लेकिन साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई कि भारत चीनी कंपनियों को निष्पक्ष पारदर्शी और भेदभाव रहित कारोबारी माहौल देगा। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस बयान का समर्थन किया जिसमें कहा गया था कि प्रतिस्पर्धा को टकराव में नहीं बदलना चाहिए।

संवाद के जरिए आपसी रिश्तों को मजबूत करने की सलाह

पद संभालने के बाद उनका किसी भारतीय मीडिया के साथ यह पहला इंटरव्यू है।टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए अपने पहले इंटरव्यू में चीन के राजदूत जू फेइहोंग ने कहा कि दोनों देशों को संवाद के जरिए आपसी रिश्तों को मजबूत करना चाहिए। उन्होंने बताया कि भारत-चीन सीमा तनाव कम करने के लिए लगातार संवाद हो रहे हैं और अब रिश्तों में सुधार के संकेत मिल रहे हैं। उनका मानना है कि अगर दोनों देश एक-दूसरे के विकास को सकारात्मक नजर से देखें और सीमित विवादों को व्यापक रिश्तों पर हावी न होने दें तो बड़ी प्रगति संभव है।

भारतीय कंपनियों को चीन के अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेलों आने की अपील

व्यापार असंतुलन को लेकर उन्होंने कहा कि चीन कभी भी जानबूझकर व्यापार में अधिशेष नहीं चाहता। उन्होंने भारतीय कंपनियों को चीन की बड़ी उपभोक्ता ताकत का लाभ उठाने की सलाह दी। उन्होंने मिर्च लौह अयस्क और सूती धागे जैसे उत्पादों के उदाहरण दिए जो बीते वर्ष चीन को निर्यात में बड़ी वृद्धि के साथ गए। साथ ही उन्होंने भारतीय कंपनियों को चीन में आयोजित अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेलों में भाग लेने को भी कहा।

पाकिस्तान-श्रीलंका के बीच होने वाला नौसैनिक अभ्यास रद, भारत की चिंता पर कोलंबों का फैसला

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भारत और श्रीलंका के संबंधों में मजबूती आई है। श्रीलंका ने भारत की चिंता को देखते हुए पाकिस्तान के साथ होने वाले अपने सैन्य अभ्यास को रद्द कर दिया है।दोनों देशों का यह साझा अभ्यास रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण श्रीलंका के त्रिंकोमाली पोर्ट के पास होना था। त्रिंकोमाली बंदरगाह शहर (पोर्ट सिटी) है, यहां भारत की मदद से एक एनर्जी सेंटर बनाया जा रहा है। ऐसे में पाकिस्तान की नेवी के इस बंदरगाह के पास अभ्यास से भारत को आपत्ति थी। भारत ने अपनी आपत्ति श्रीलंका के सामने रखी। इस पर श्रीलंका ने पाकिस्तान के विरोध के बावजूद अभ्यास को कैंसिल करने का फैसला लिया।

पीएम मोदी के दौरे से पहले होना था अभ्यास

श्रीलंका और पाकिस्तान के बीच इस युद्ध अभ्यास की सहमति पीएम मोदी के दौरे के कुछ समय पहले ही बनी थी। दौरे के दौरान पीएम मोदी ने भारत की चिंता जाहिर की थी। इसके साथ ही युद्ध अभ्यास न करने की बात कही थी। पीएम की बात पर श्रीलंकाई सरकार भी सहमत थी, जिसके कारण यह योजना आगे नहीं बढ़ सकी। श्रीलंका ने जब इस अभ्यास को कैंसिल किया तो पाकिस्तानी अधिकारियों ने विरोध जताया। हालांकि इस विरोध का कोई असर नहीं हुआ। अधिकारियों ने अपना फैसला ले लिया था।

भारत के समुद्री सुरक्षा के लिए अहम त्रिंकोमाली

त्रिंकोमाली श्रीलंका के पूर्वी तट पर स्थित एक प्राकृतिक बंदरगाह है, जो भारत के समुद्री सुरक्षा हितों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह क्षेत्र बंगाल की खाड़ी और उत्तर-पूर्वी हिंद महासागर में प्रभाव बनाए रखने की क्षमता रखता है। भारत पिछले कुछ सालों से त्रिंकोमाली में ऊर्जा बुनियादी ढांचे के विकास में श्रीलंका की मदद कर रहा है। इस क्षेत्र में एक विश्व युद्धकालीन तेल भंडारण सुविधा को पुनर्जनन करने के लिए 2022 में श्रीलंका सरकार, लंका आईओसी, और सेलोन पेट्रोलियम कॉरपोरेशन ने समझौते किए थे। नए त्रिपक्षीय समझौते में त्रिंकोमाली में एक मल्टी-प्रोडक्ट पाइपलाइन और ऊर्जा केंद्र का विकास शामिल है, जिसमें यूएई भी भागीदार है।

पीएम मोदी और दिसानायके साथ हुई थी वार्ता

इस माह पीएम मोदी की कोलंबो यात्रा के दौरान, भारत, श्रीलंका और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने त्रिंकोमली को ऊर्जा केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए महत्वाकांक्षी समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसका उद्देश्य श्रीलंका को ऊर्जा सुरक्षा प्राप्त करने और उसके आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में मदद करना है। भारत और श्रीलंका ने सैन्य सहयोग के लिए रक्षा समझौते पर भी हस्ताक्षर किए हैं। श्रीलंका पर चीन के प्रभाव बढ़ाने के प्रयासों से उत्पन्न चिंताओं के बीच भारत, श्रीलंका के साथ अपने समग्र सामरिक संबंधों को मजबूत कर रहा है।

भारत को उकसाने की कोशिश

पाकिस्तान का श्रीलंका में त्रिंकोमाली पोर्ट के पास अभ्यास करने का प्रस्ताव भारत को उकसाने की कोशिश के तौर पर देखा गया था। यह घटनाक्रम तब हुआ जब श्रीलंका ने विदेशी अनुसंधान जहाजों के आने पर एक साल के लिए रोक लगाई है। यह रोक चीन के निगरानी जहाजों की गतिविधियों की वजह से लगाई गई थी।

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल आज मुर्शिदाबाद जाएंगे, बोले-पीड़ितों से मिलने के बाद केंद्र को भेजेंगे रिपोर्ट

#westbengalgovernortovisit_murshidabad

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल डॉ. सीवी आनंद बोस ने मुर्शिदाबाद में हाल ही में हुई हिंसा को लेकर गहरी चिंता जताई है। मुर्शिदाबाद का दौरा करने से पहले उन्होंने कहा कि वे पीड़ितो से मिलने के बाद और स्थिति का जायजा लेने के लिए जल्द ही हिंसा प्रभावित इलाके में जाएंगे। उन्होंने कहा कि मुर्शिदाबाद में जमीनी स्थिति का जायजा लूंगा। वहां जो कुछ भी हुआ इसकी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपेंगे।

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी वी आनंद बोस शनिवार को मुर्शिदाबाद जिले के शमशेरगंज के दंगा प्रभावित इलाकों का दौरा करेंगे और स्थिति की समीक्षा करेंगे तथा प्रभावित लोगों से बातचीत करेंगे। बोस इसके बाद जिले के धुलियान, सुती और जंगीपुर में हिंसा प्रभावित अन्य इलाकों का दौरा करेंगे। 8 से 12 अप्रैल तक इन मुस्लिम बहुल इलाकों में वक्फ कानून के खिलाफ हुए प्रदर्शनों के दौरान हिंसा भड़क गई थी। इस हिंसा में कम से कम तीन लोगों की मौत हुई है। हिंसा के मामले में 274 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

कानून व्यवस्था बनाए रखना राज्य सरकार की जिम्मेदारी-राज्यपाल

इससे पहले शुक्रवार को राज्यपाल सीवी आनंद बोस मालदा के आश्रय गृह पहुंचे थे। यहां मुर्शिदाबाद हिंसा से प्रभावित लोग रह रहे हैं। राज्यपाल ने कहा, लोगों ने बताया कि उनके साथ मारपीट हुई, घर जलाए गए। वे अब घर लौटना चाहते हैं। हम उन्हें सुरक्षा देंगे। लोगों ने चीख-चीख कर बताया, हमें पीटा गया, भगाया गया, हम क्या वापस जाएंगे, जब तक सुरक्षा की गांरटी नहीं मिलेगी?

मालदा पहुंचने राज्यपाल ने कहा, कानून व्यवस्था बनाए रखना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। अगर राज्य को मदद की जरूरत है, तो हम केंद्र बल भेजने के लिए तैयार है।

महिला आयोग की टीम भी मुर्शिदाबाद पहुंची

इस बीच, राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) की अध्यक्ष विजया रहाटकर ने भी अपनी टीम के साथ शुक्रवार को मालदा और मुर्शिदाबाद का दौरा शुरू किया। कोलकाता में मीडिया से बात करते हुए रहाटकर ने कहा कि हमें सूचना मिली है कि प्रभावित इलाकों और राहत शिविरों में महिलाओं के साथ सही व्यवहार नहीं किया जा रहा है। राष्ट्रीय महिला आयोग ने एक जांच समिति गठित की है। हम पीड़ितों से बात करेंगे और विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने से पहले स्थिति का आकलन करेंगे।

कनाडा में भारतीय मूल की छात्रा की हत्या, बस स्टॉप पर खड़ी हरसिमरत को कार वाले ने मारी गोली

#indianoriginstudentkilledbybulltetinontariocanada

कनाडा में 21 वर्षीय एक भारतीय छात्रा की गोली लगने से मौत हो गई । ऑफिस जाने के लिए छात्रा बस स्टॉप पर इंतजार कर रही थी, तभी एक कार सवार ने गोली चला दी। हरसिमरत रंधावा हैमिल्टन, ओंटारियो में मोहॉक कॉलेज की छात्रा थी।

टोरंटो में भारत के महावाणिज्य दूतावास ने शुक्रवार को एक पोस्ट में कहा, हैमिल्टन, ओंटारियो में भारतीय छात्रा हरसिमरत रंधावा की दुखद मौत से हम बहुत दुखी हैं। टोरंटो में भारत के महावाणिज्य दूतावास ने कहा, हम ओंटारियो के हैमिल्टन में भारतीय छात्रा हरसिमरत रंधावा की दुखद मौत से दुखी हैं। स्थानीय पुलिस के अनुसार, वह एक मासूम थी। वह दो गाड़ियों के बीच हुई गोलीबारी में उसकी जान चली गई। हत्या की जांच चल रही है। हम उनके परिवार के संपर्क में हैं। हर संभव सहायता दे रहे हैं। इस मुश्किल समय में हमारी संवेदनाएं और प्रार्थनाएं परिवार के साथ हैं।

दो लोगों की लड़ाई में भारतीय छात्रा की गई जान

हैमिल्टन पुलिस ने भारतीय छात्रा की मौत के मामले में बताया कि सीसीटीवी की जांच की गई तो पाया गया कि ये दो लोगों की लड़ाई का नतीजा है, ऐसा इसलिए क्योंकि एक काली कार में सवार युवक ने सफेद सेडान पर गोली चलाई थी। एक गोली बस स्टॉप पर खड़ी छात्रा के सीने में लग गई, जिससे उसकी मौत हो गई। पुलिस गोलीबारी करने वालों आरोपियों की तलाश में लगी हुई है।

अप्रैल में भारतीय मूल के 2 लोगों की हत्या

पुलिस ने कहा कि स्थानीय समयानुसार शाम करीब 7.30 बजे उसे हैमिल्टन में अपर जेम्स और साउथ बेंड रोड के पास गोलीबारी की सूचना मिली थी। जब पुलिस वहां पहुंची तो उसने रंधावा को सीने में गोली लगने के घाव के साथ घायल अवस्था में पाया। उसे अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उसकी मौत हो गई।

इस घटना से पहले 5 अप्रैल को भी एक भारतीय युवक की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। कनाडा में अप्रैल महीने में भारतीय मूल के 2 लोगों की हत्या की गई है।

मुर्शिदाबाद हिंसा के बाद यूसुफ पठान पर बढ़ा विवाद, क्यों नाखुश है तृणमूल?

#yusuf_pathan_absent_during_murshidabad_violence

वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के खिलाफ पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हिंसा हुई थी। बीते दिनों हुई हिंसा के बाद हालात तनावपूर्ण है। भाजपा इस हिंसा के लिए लगातार सीएम ममता बनर्जी पर हमलावर है। वहीं, ममता बनर्जी समेत तृणमूल कांग्रेस के कई नेता भाजपा पर हिंसा को भड़काने का आरोप लगा रहे हैं। इस बीच मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा को लेकर बहरामपुर सीट से सांसद यूसुफ पठान की भी काफी आलोचना हो रही है। दरअसल, सांसद यूसुफ पठान की अनुपस्थिति ने तृणमूल के भीतर नाराजगी पैदा की है। टीएमसी के अंदर ही उनका विरोध हो रहा है।

मुर्शिदाबाद हिंसा में तीन लोगों की जान चली गई है और 270 से ज्यादा लोग गिरफ्तार हुए हैं। वहीं यूसुफ पठान ने हिंसा के समय चाय पीते हुए तस्वीरें पोस्ट करके लोगों के गुस्से को बढ़ा दिया है। पठान ने इंस्टाग्राम पर चाय पीते हुए तस्वीरें पोस्ट की। उन्होंने लिखा कि आसान दोपहर अच्छी चाय और शांत वातावरण। बस पल का आनंद ले रहा हूं। उनकी इस पोस्ट से हंगामा मच गया। 42 वर्षीय क्रिकेटर से नेता बने पठान विपक्ष के निशाने पर आ गए।

बीजेपी के साथ टीएमसी में भी विरोध

बीजेपी ने मौके को भुनाते हुए सत्तारूढ़ टीएमसी पर तीखा हमला बोला। पश्चिम बंगाल बीजेपी अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार ने कहा, टीएमसी नेताओं की शह में बंगाल जल रहा है, लेकिन टीएमसी सांसद यूसुफ पठान चाय पीते हुए व्यस्त हैं, जब हिंदू मारे जा रहे हैं। यही टीएमसी का असली चेहरा है।

इस पूरे मामले में बीजेपी जहां सवाल उठा रही है, वहीं टीएमसी के कुछ नेता सीधे पठान के विरोध में उतर आए हैं। टीएमसी नेताओं में गुस्से का आलम यह है कि एक विधायक ने पठान को अगले चुनाव में पार्टी से टिकट न देने की गुजारिश की है।

वह बाहरी हैं और राजनीति में नए हैं- अबू ताहिर

इधर, सत्तारूढ़ पार्टी ने दंगा प्रभावित इलाकों में कई शांति बैठकें की हैं। इन बैठकों में जिले के दो अन्य सांसद- मुर्शिदाबाद के सांसद अबू ताहिर खान और जंगीपुर के सांसद खलीलुर्रहमान और स्थानीय पार्टी के विधायक शामिल हुए। अबू ताहिर ने कहा कि वह (यूसुफ पठान) बाहरी हैं और राजनीति में नए हैं। उन्होंने अब तक दूर रहने का फैसला किया। लेकिन इससे लोगों को गलत संदेश जाता है। हमारे सांसद, विधायक और यहां तक कि बूथ कार्यकर्ता भी लोगों तक पहुंच रहे हैं। अबू ताहिर ने यह भी कहा कि शमशेरगंज में एक शांति बैठक थी। मैं वहां पहुंचने के लिए 100 किलोमीटर तक गया। सांसद खलीलुर्रहमान और कई टीएमसी विधायक भी वहां मौजूद थे। लेकिन वह अनुपस्थित थे। कोई यह नहीं कह सकता कि यह मेरा इलाका नहीं है और ये मेरे लोग नहीं हैं, इसलिए मैं नहीं जाऊंगा।

अगली बार पार्टी का टिकट नहीं देने की अपील

भरतपुर के टीएमसी विधायक हुमायूं कबीर ने पठान पर हमला करते हुए कहा कि वह एक प्रसिद्ध क्रिकेटर हैं, जो गुजरात में रहते हैं। उन्होंने लोगों के वोटों से कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी को लोकसभा चुनाव में हराया। यह सज्जन अब मतदाताओं के साथ खेल खेल रहे हैं। वह अपनी मर्जी से काम कर रहे हैं। विधायक हुमायूं कबीर ने यह भी कहा कि यूसुफ पठान को सांसद बने हुए लगभग एक साल हो गया है। अगर वह अपना व्यवहार नहीं बदलते हैं और लोगों तक पहुंचने की कोशिश नहीं करते हैं, तो मैं पार्टी के शीर्ष नेताओं से उनकी शिकायत करूंगा। मैं यह सुनिश्चित करने की कोशिश करूंगा कि अगली बार उन्हें पार्टी का टिकट न मिले।

अधीर रंजन चौधरी को हराकर सांसद बने पठान

बता दें कि बहरमपुर, मुर्शिदाबाद जिले की तीन लोकसभा सीटों में से एक है। बाकी दो सीटें जंगीपुर और मुर्शिदाबाद भी तृणमूल कांग्रेस के पास हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव में टीएमसी के टिकट पर अपनी चुनावी शुरुआत करते हुए पठान ने कांग्रेस के दिग्गज नेता और पांच बार के बहरमपुर के सांसद अधीर रंजन चौधरी को 85,022 वोटों से हराकर सबको चौंका दिया था।

क्या है अनुच्छेद 142, जिसे उपराष्ट्रपति धनखड़ ने “न्यूक्लियर मिसाइल” बताया

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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के न्यायपालिका पर दिए गए बयान पर चर्चा छिड़ गई है। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने न्यायपालिका द्वारा कार्यपालिका और विधायिका में हस्तक्षेप को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने अनुच्छेद 142 को न्यायपालिका के लिए "न्यूक्लियर मिसाइल" बताते हुए कहा कि इसका उपयोग लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को दरकिनार करने के लिए किया जा रहा है।

अब सवाल ये है कि अनुच्छेद 142 क्या है? जिसे उपराष्ट्रपति ने 'न्यूक्लियर मिसाइल' करार दिया है।

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 142 एक ऐसा प्रावधान है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट को कुछ विशेषाधिकार मिले हुए हैं। इस अनुच्छेद के जरिए जिन मामलों में अभी तक कोई कानून नहीं बना है, उन मामलों में सुप्रीम कोर्ट फैसला सुना सकता है। हालांकि यह फैसला संविधान का उल्लंघन करने वाला ना हो। यह न्यायालय को कानून के अनुसार ऐसा कोई भी आदेश देने की अनुमति देता है जो न्याय के हित में हो। यह अनुच्छेद न्यायालय को विवेकाधीन शक्ति प्रदान करता है, जिसका अर्थ है कि न्यायालय किसी भी मामले में अपनी समझ के अनुसार फैसला ले सकता है। इस अनुच्छेद का मुख्य उद्देश्य पूर्ण न्याय सुनिश्चित करना है। यह अनुच्छेद न्यायालय को विभिन्न परिस्थितियों में लचीलापन प्रदान करता है।

संविधान में कैसे शामिल हुआ अनुच्छेद 142?

सुप्रीम कोर्ट ऑब्जर्बर की साई स्पंदना बताती हैं कि जब संविधान बन रहा था, तब अनुच्छेद 118 को बिना किसी बहस के मान लिया गया था। मतलब कोर्ट को ही यह तय करना था कि इस अनुच्छेद का इस्तेमाल कब और कैसे किया जाएगा।

साई स्पंदना ने आईआईएम अहमदाबाद के एक हालिया अध्ययन का हवाला दिया। इस स्टडी के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने 1950 से 2023 के बीच 1579 मामलों में अनुच्छेद 142 या 'पूरी तरह से न्याय' शब्द का उल्लेख किया है। इनमें से ज़्यादातर दीवानी मामले थे। स्टडी में यह भी पाया गया कि कोर्ट ने केवल 791 मामलों में ही अनुच्छेद 142 की शक्तियों का इस्तेमाल किया है।

आर्टिकल 142 से जुड़े कुछ ऐतिहासिक फैसले

बाबरी मस्जिद–राम जन्मभूमि केस (2019)

सुप्रीम कोर्ट ने 5 जजों की पीठ के फैसले में 142 का इस्तेमाल करते हुए रामलला को जमीन देने का आदेश दिया। साथ ही मुस्लिम पक्ष को वैकल्पिक 5 एकड़ जमीन देने का आदेश भी दिया गया। इस फैसले में अदालत ने साफ कहा कि वह “पूर्ण न्याय” कर रही है।

बोफोर्स घोटाले से जुड़े आदेश (1991)

सुप्रीम कोर्ट ने एक आरोपी को राहत दी, यह कहते हुए कि केस लंबा खिंच चुका है। ट्रायल में देरी से आरोपी का मौलिक अधिकार प्रभावित हो रहा है।

सहारा-सेबी केस

सुप्रीम कोर्ट ने अंडरट्रायल निवेशकों को पैसा वापस दिलवाने के लिए सहारा ग्रुप की संपत्तियों की बिक्री के आदेश दिए। ये कदम 142 के तहत उठाया गया।

यूनियन कार्बाइड मामले में सजा माफ (1989)

यूनियन कार्बाइड मामले में भी कोर्ट ने यही बात कही। कोर्ट ने आदेश दिया कि केमिकल कंपनी भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों को 470 मिलियन डॉलर से ज़्यादा का मुआवज़ा दे। कुछ सालों बाद, 1995 में -विनय चंद्र मिश्रा- मामले में तीन जजों की बेंच ने कहा कि -प्रेम चंद गर्ग- मामले में दिया गया फैसला 'सही नहीं था।' बेंच ने कहा कि अनुच्छेद 142 एक 'संवैधानिक शक्ति' है जिसे किसी भी कानून द्वारा सीमित नहीं किया जा सकता है।

चीन के एक और दुश्मन को पाले में करने की भारत की कोशिश, ब्रह्मोस खरीदेगा वियतनाम, जानें स्ट्रैटजी

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दुनिया की सबसे घातक सुपरसोनिक मिसाइल ब्रह्मोस एक और बड़े समझौते के लिए तैयार है। फिलीपींस के बाद वियतनाम जल्द ही भारत से ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने के लिए समझौता करने जा रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक वियतानम के साथ ब्रह्मोस की डील अपने एडवांस स्टेज पर है। इस साल इस डील की होने की संभावना जताई जा रही है। ब्रह्मोस मिसाइल वियतनाम को अपनी समुद्री सीमाओं की रक्षा करने में मदद करेगी, क्योंकि यह 300 किलोमीटर के दायरे में किसी भी चीनी युद्धपोत को निशाना बना सकती है।

ब्रह्मोस को चीन सागर में तैनात करेगा वियतनाम

वियतनाम के साथ भारत ने ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों की बिक्री के लिए डील करीब करीब पूरी कर रही है। इस सौदे को बस अंतिम रुप दिया जाना बाकी है। दोनों देशों के बीच ब्रह्नोस मिसाइल को लेकर 700 मिलियन डॉलर का सौदा होने वाला है। भारतीय ब्रह्मोस को वियतनाम दक्षिण चीन सागर में तैनात करेगा, जहां उसे चीन से लगातार खतरा मिलता रहता है। रिपोर्ट के मुताबिक, वियतनाम कथित तौर पर ब्रह्मोस की तटीय बैटरी प्रणाली खरीद सकता है, जिसकी रेंज 300 किलोमीटर के करीब है। ये वियतनाम को अपनी समुद्री सीमाओं को सुरक्षित रखने में सक्षम बनाएगी।

ब्रह्मोस प्रणाली खरीदने वाला दूसरा देश होगा वियतनाम

अगर समझौता होता है तो फिलीपींस के बाद वियतनाम ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने वाला दूसरा देश बन जाएगा। भारत ने 2022 में फिलीपींस के साथ करीब 2,700 करोड़ रुपये में 3 ब्रह्मोस मिसाइल बैटरी के लिए समझौता किया था। ये ब्रह्मोस की पहली अंतरराष्ट्रीय बिक्री थी। कुछ ही महीने पहले ही भारत ने फिलीपींस को सफलतापूर्वक इसकी डिलीवरी भी की थी। वियतमान भी फिलीपींस की तरह ही ब्रह्मोस की कोस्टल बैटरी खरीदना चाह रहा है।

चीनी युद्धपोतों से मुकबला करने में सक्षम

ब्रह्मोस कोस्टल बैटरी सिस्टम खरीदने के लिए सौदा कर रहा है। ये वही सिस्टम है, जिसे फिलीपींस ने भारत से खरीदा है। ये खासकर समुद्री हमलों के लिए डिजाइन किया गया है। इसकी रेंज 290 किलोमीटर है और इसे समुद्री सीमाओं के भीतर दुश्मनों पर सुपससोनिक स्पीड से हमला करने के लिए डिजाइन किया गया है। भारत ने खासकर चीन को ध्यान में रखकर ही इसे डिजाइन किया है, इसलिए दक्षिण चीन सागर में ये मिसाइल उन देशों के लिए काफी सटीक बन जाता है, जिन्हें चीन परेशान करता है। ये मिसाइल चीन को दक्षिण चीन सागर में चीनी युद्धपोतों से किसी भी संभावित खतरे का मुकाबला करने में वियतनाम सक्षम बनाएगी।

आसपास के देशों में चीन की धमक

बता दें कि साउथ चाइना सी और उसके आसपास के देशों को चीन धमकाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ता। उनके एक्सक्‍लूसिव इकॉनोमिक जोन में भी अपना कब्जा करता रहता है। फिलीपींस के साथ चीन के रिश्ते 2009 के बाद से और खराब हो गए। चीन ने नया नक्शा जारी किया जिसमें साउथ चाइना सी में 9 डैश लाइन लगाकर अपना इलाका बता दिया। इसके तहत फिलीपींस के द्वीपों और एक्सक्‍लूसिव इकॉनोमिक जोन का हिस्सा भी आता है। चीन के हिसाब से पर कब्जा जताने के लिए फिलीपींस, वियतनाम, ताइवान और मलेशिया के समुद्री क्षेत्र पर कब्जे का संकट बढ़ गया है। अब ब्रह्मोस कवच चीन के खतरे से इन देशों को बचा सकता है।