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हाइकोर्ट ने ललन पांडेय की याचिका पर सुनवाई के बाद बोकारो में डीसी द्वारा सील किये गये रिसोर्ट को 24 घंटे में खोलने का दिया निर्देश


रांची : हाइकोर्ट ने ललन पांडेय की याचिका पर सुनवाई के बाद बोकारो में सील किये गये रिसोर्ट को 24 घंटे में खोलने का निर्देश दिया है. न्यायालय ने राज्य सरकार की ओर से इस मामले में शपथ पत्र दायर नहीं करने की वजह से यह आदेश दिया. साथ ही इस मामले की अगली सुनवाई के लिए पहली मई की तिथि निर्धारित की है. 

उपायुक्त के आदेश के आलोक में नौ जनवरी 2025 को रिसोर्ट सील कर दिया गया था.

ललन पांडेय ने हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर बोकारो जिला प्रशासन द्वारा रिसोर्ट सील करने की कार्रवाई को चुनौती दी थी.

 याचिका में यह कहा गया था कि ललन पांडेय ने यह जमीन 1983 में खरीदी थी. जमीन पर उसका कब्जा बरकरार है. जमीन पर रिसोर्ट बनाने के लिए नक्शा भी स्वीकृत कराया गया है. लेकिन उपायुक्त ने बिना किसी नोटिस के रिसोर्ट को सील करने का आदेश दिया था. इस आदेश के बद रिसोर्ट सील कर दिया गया.

याचिका में कहा गया था कि उपायुक्त के रिसोर्ट सील करने का अधिकार नहीं है. प्रशासन उसे परेशान कर रहा है. प्रशासन ने पहले जमीन को प्रतिबंधित सूची में डाला. इसके बाद भू-सुधार अधिनियम की धारा 4(h) की कार्रवाई शुरू की. न्यायालय ने याचिका में उठाये गये बिंदुओं पर सरकार को शपथ पत्र दायर कर अपने पक्ष पेश करने का आदेश दिया था.

 लेकिन सरकार की ओर से कोई शपथ पत्र दायर नहीं किया है.

न्यायालय ने शपथ पत्र दायर नहीं करने को गंभीरते से लिया. साथ ही यह भी कहा कि ऐसा लगता है कि सरकार इस विवाद को आराम से ले रही और अपने वकील को इस मामले में कोई दिशा निर्देश नहीं दे रही है. न्यायालय मे याचिका में वर्णित तथ्यों पर विचार करने के बाद बोकारो उपायुक्त को 24 घंटे के अंदर रिसोर्ट का सील खोलने का आदेश दिया. साथ ही सरकार को इस मामले में अगली सुनवाई तक शपथ पत्र दायर करने का निर्देश दिया.

CBSE बोर्ड से बिना मान्यता के 'डमी स्कूलों' में पढ़ने वाले छात्र अब नही दे सकेंगे सीबीएसई की परीक्षा

बोर्ड के अधिकारी ने जांच जे बाद की कार्रवाई,बनाया शख्त नियम

धनबाद :‘डमी स्कूलों’ में पढ़ने वाले 12 वीं के छात्रों को सीबीएसई बोर्ड ने तगड़ा झटका दिया है. अब ऐसे छात्रों को 12वीं बोर्ड परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं मिलेगी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सीबीएसई के एक अधिकारी ने कहा कि ‘डमी स्कूलों’ में पढ़ने वाले 12वीं के छात्रों को बोर्ड परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी जा सकती.

सीबीएसई ने पिछले साल दिसंबर में दिल्ली, बेंगलुरु, वाराणसी, बिहार, गुजरात और छत्तीसगढ़ के 29 स्कूलों में ‘डमी’ छात्रों के नामांकन की जांच के लिए कई औचक निरीक्षण किए थे. इसके बाद उनपर एक्शन लेते हुए केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने डमी एडमिशन को लेकर दिल्ली और राजस्थान के 27 स्कूलों को कारण बताओ नोटिस जारी किया था.

क्या होते हैं डमी स्कूल?

दरअसल, इंजीनियरिंग और मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी करने वाले बहुत से छात्र डमी स्कूलों में दाखिला लेना पसंद करते हैं, ताकि वो सिर्फ प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी पर ध्यान केंद्रित कर सकें. वो क्लास में नहीं जाते और सीधे बोर्ड परीक्षा में बैठ जाते हैं. ऐसे छात्रों के लिए क्लास में उपस्थिति जरूरी नहीं होती.

न्यूनतम अटेंडेंस की शर्त पूरी करना जरूरी

अभी पिछले महीने ही शिक्षा मंत्रालय ने ये साफ कर दिया था कि डमी एडमिशन लेने वाले स्कूलों के खिलाफ एक्शन लिया जा रहा है, जो आगे भी जारी रहेगा. सीबीएसई का कहना है कि बोर्ड परीक्षाओं के लिए रेगुलर स्कूल आना और न्यूनतम अटेंडेंस की शर्त पूरी करना जरूरी है.

शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक, समय-समय पर स्कूलों को अटेंडेंस संबंधी नियमों का पालन करने के लिए जरूरी दिशा-निर्देश दिए जाते हैं और साथ ही स्कूलों के डेटा का भी विश्लेषण किया जाता है और अगर किसी स्कूल के डेटा में कुछ भी असामान्यता पाई जाती है, तो उसे कारण बताओ नोटिस जारी किया जाता है. फिर सीबीएसई की टीम द्वारा उस स्कूल का निरीक्षण किया जाता है, जिसके आधार पर कड़ी कार्रवाई की जाती है.

देश में डमी एडमिशन एक बड़ी समस्या है. ये देखने में आता है कि 9वीं से ही छात्र स्कूलों में न जाकर इंजीनियरिंग और मेडिकल की तैयारी के लिए कोचिंग सेंटरों में जाने लगते हैं. सीबीएसई ने इसी समस्या को दूर करने के लिए कड़े कदम उठाने शुरू किए हैं.

वित्तीय वर्ष 2024-25 के अंतिम कार्यदिवस को लेकर वित्त विभाग ने लिया बड़ा फैसला

31 के बजाय 29 को हीं रहेगा वित्तीय वर्ष का अंतिम दिन, सरकारी निकासी पर रहेगी सरकार की नजर*

हेमंत सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। वित्तीय वर्ष 2024-25 के अंतिम कार्यदिवस को लेकर वित्त विभाग ने ये फैसला लिया है, जिसके तहत 31 मार्च के बजाय 29 मार्च को ही वित्तीय वर्ष का अंतिम दिन माना जाएगा, क्योंकि 30 मार्च से 1 अप्रैल तक लगातार छुट्टियां रहेंगी। इसे लेकर वित्त विभाग ने सभी कोषागार और बैंकों को निर्देश जारी कर दिया है।

जारी निर्देश के मुताबिक विशेष व्यवस्था के तहत खोलने के निर्देश दिए हैं ताकि वित्तीय वर्ष के समापन पर होने वाली वित्तीय गतिविधियों में किसी प्रकार की रुकावट न आए।रिज़र्व बैंक के निर्देशानुसार, 29 मार्च को सभी कोषागार, उपकोषागार एवं संबंधित बैंकों की शाखाएं देर रात तक खुली रहेंगी।

सरकारी आदेश के तहत, 29 मार्च को कोषागारों में अपराह्न 3 बजे तक विपत्र प्राप्त किए जाएंगे, जिनका भुगतान रात 10 बजे तक किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, बैंकों और कोषागारों के कामकाज को रात 11 बजे तक जारी रखने की अनुमति दी गई है, ताकि वित्तीय वर्ष की समाप्ति से पहले सभी आवश्यक लेन-देन पूरे किए जा सकें।

लगातार छुट्टियों के कारण बदला गया कार्यक्रम 

30 मार्च को रविवार, 31 मार्च को ईद और 1 अप्रैल को सरहुल पर्व होने के कारण सरकारी अवकाश रहेगा। इन लगातार तीन दिनों की छुट्टियों को ध्यान में रखते हुए, सरकार ने 29 मार्च को ही वित्तीय वर्ष का अंतिम कार्यदिवस घोषित किया है। यह निर्णय सरकारी वित्तीय लेन-देन में किसी भी प्रकार की बाधा को रोकने के लिए लिया गया है।

मार्च लूट रोकने के लिए सरकार की सख्त नजर वित्तीय वर्ष के समापन पर अनावश्यक निकासी और वित्तीय अनियमितताओं को रोकने के लिए सरकार विशेष सतर्कता बरत रही है। वित्त मंत्री राधा कृष्ण किशोर ने स्पष्ट किया है कि ‘मार्च लूट’ जैसी किसी भी स्थिति को रोकने के लिए कड़े प्रबंध किए गए हैं। उन्होंने कहा कि केवल उन्हीं योजनाओं से राशि निकाली जाएगी जिनका वैध वित्तीय आधार है।

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि किसी योजना की पीएल (पर्सनल लेजर) खाता में राशि दो लगातार वित्तीय वर्षों से जमा है, तो उसे लेकर कोई आपत्ति नहीं होगी। हालांकि, यदि कोई राशि दो वर्ष से अधिक समय से पीएल खाता में पड़ी है और उसके वैधीकरण के लिए अनुमोदन मांगा जा रहा है, तो इसे स्वीकृति नहीं दी जाएगी। सरकार इस बात को सुनिश्चित कर रही है कि वित्तीय वर्ष के समापन के चार दिनों में किसी भी प्रकार के अनावश्यक खर्च को रोका जाए।

झारखंड के जामताड़ा जिले में अनपढ़ महिलाओं ने रचा इतिहास,मेहनत और संघर्ष के बल पर की 3 एकड़ में सूरजमुखी की खेती


जामताड़ा : झारखंड के जामताड़ा जिले के फतेहपुर प्रखंड के ताकुंडी गांव की कुछ महिलाओं ने कमाल कर दिखाया है। इन महिलाओं ने मिलकर सूरजमुखी की खेती की है। उन्होंने बैंक से लोन लिया और मेहनत से काम करके दिखाया कि कुछ भी मुमकिन है। इन महिलाओं में से ज्यादातर पढ़ी-लिखी नहीं हैं, लेकिन उनके हौसले बुलंद हैं। 

उन्होंने JSLPS की मदद से बीज लेकर 3 एकड़ जमीन पर सूरजमुखी के फूल लगाए। जब सिंचाई की दिक्कत आई, तो उन्होंने खुद कुआं ठीक करके पानी का इंतजाम किया। उनकी इस मेहनत से अच्छी फसल हुई है और वे दूसरों के लिए प्रेरणा बन गई हैं।

इंसान में लगन हो तो वह कुछ भी कर सकता

ताकुंडी गांव की इन महिलाओं ने साबित कर दिया है कि अगर इंसान में लगन हो तो वह कुछ भी कर सकता है। इन महिलाओं में से अधिकतर 32 से 40 साल की हैं। 

अनीता हेंब्रम नाम की एक महिला दसवीं तक पढ़ी है, जो कि उनमें सबसे अधिक पढ़ी-लिखी है। चार महिलाएं ऐसी हैं जो बिल्कुल भी पढ़ी-लिखी नहीं हैं। कुछ महिलाएं सिर्फ अपना नाम लिख पाती हैं।

बैंक से लोन लेकर खेती

सभी महिलाओं ने मिलकर बैंक से लोन लिया। इस लोन से उन्होंने सूरजमुखी की खेती शुरू की। JSLPS (झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी) ने उनकी मदद की। उन्हें 4 किलो सूरजमुखी के बीज मिले। इन बीजों को उन्होंने 3 एकड़ जमीन पर बोया। 

खेती करने में कई मुश्किलें आईं। जब फसल को पानी देने का समय आया, तो गांव के कुछ लोगों ने तालाब से पानी देने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि अगर इन महिलाओं को पानी दे देंगे तो उनके जानवरों के लिए पानी नहीं बचेगा।

रंग लाई मेहनत

इसके बावजूद महिलाओं ने हार नहीं मानी। उन्होंने अपने खेत में एक पुराने कुएं को देखा। वह कुआं टूटा हुआ था। महिलाओं ने खुद मिलकर उस कुएं को ठीक किया। फिर उन्होंने उस कुएं से पानी निकालकर अपनी फसल को सींचा। उनकी मेहनत रंग लाई। सूरजमुखी के फूल खूब खिले। उन्हें अच्छी पैदावार मिली। अपनी फसल को देखकर वे बहुत खुश हुईं। दूसरे के लिए कायम की मिसाल।

इन महिलाओं ने दिखा दिया कि अगर कोई इंसान मेहनत और लगन से काम करे तो वह जरूर सफल होता है। उन्होंने यह भी साबित कर दिया कि शिक्षा और पैसे की कमी किसी की तरक्की में रुकावट नहीं बन सकती। अगर दिल में कुछ करने की चाह हो तो रास्ते अपने आप खुल जाते हैं। इन महिलाओं दूसरों के लिए एक मिसाल कायम की है।

जमीन विवाद को लेकर की गयी मारपीट में एक युवक की मौत,घटना के बाद लोगों में आक्रोश, किया रोड जाम, गिरफ्तारी के आश्वासन के बाद हटाया जाम

गिरिडीह: जमीन विवाद को लेकर अशोक भदानी ऊर्फ पप्पी राम और उसके पुत्र की बेरहमी से पिटाई की गई. दोनों के सिर पर वार किया गया, जिसमें पप्पी की मौत हो गई. वहीं उसका पुत्र अमोद भदानी जीवन मौत से जूझ रहा है. पप्पी की हत्या के बाद बदडीहा समेत आसपास के इलाके में आक्रोश का माहौल है.

शुक्रवार की देर रात को लोगों का आक्रोश फूट पड़ा. शव के साथ मृतक के परिजन और ग्रामीण नेशनल हाइवे पर उतर आए. बदडीहा में सड़क जाम कर दिया और मुख्य साजिशकर्ता को गिरफ्तार करने की मांग करने लगे. 

मृतक के बड़े पुत्र सुबोध का कहना है कि उसके पिता मकान बना रहे थे और उसी में पानी डालने गए थे. इसी दौरान कैलाश राम और उनके घरवालों ने सुनियोजित योजना के तहत उसके पिता पर टूट पड़े और बेरहमी से हमला कर दिया. उन्होंने कहा कि पूरी घटना जमीन के पुराने विवाद के कारण घटी है. मेरी और उनकी जमीन अगल-बगल में है, जिस पर कैलाश राम बिना किसी कागजात के कब्जा किए हुए हैं.

सुबोध का कहना है कि इस पूरे मामले का असली साजिशकर्ता शिवकुमार भदानी है, जो अन्य माफियाओं के साथ मिलकर लोगों की जमीन को हड़पने का काम करते हैं. शिवकुमार भदानी, उसके दो बेटे और भतीजे ने मिलकर घटना को अंजाम दिया और खुद फरार हो गए.

इधर, सड़क जाम के दरमियान मौजूद लोग भी काफी आक्रोशित थे. इनका कहना था कि यहां जमीन पर कब्जा की साजिश वर्षो से चलती आ रही है. किसी की जमीन पर बेवजह पहले बाधा डाला जाता है और फिर उसके साथ मारपीट की जाती है. पहले भी यहां भू माफियाओं द्वारा मारपीट की घटना को अंजाम दिया गया है. लोगों ने कहा कि मुख्य साजिशकर्ता को हर हाल में गिरफ्तार किया जाना चाहिए.

थाना प्रभारी नें कहा दोषी होंगे गिरफ्तार

डुमरी-गिरिडीह पथ को जाम किए जाने की सूचना पर मुफ्फसिल थाना प्रभारी सह इंस्पेक्टर श्याम किशोर महतो मौके पर पहुंचे और मृतक के पुत्र, अन्य परिजनों और गांव के लोगों से बात की. इस दौरान मृतक के पुत्र ने शिवकुमार भदानी, उसके पुत्र और भतीजा को गिरफ्तार करने की मांग रखी.

इंस्पेक्टर सह थाना प्रभारी ने कहा कि शिवकुमार भदानी की खोज की जा रही है. अभी वह फरार है. बाकी तीन अभियुक्त कैलाश राम और उनके दोनों पुत्रों को गिरफ्तार करते हुए न्यायिक हिरासत में केंद्रीय कारा भेज दिया गया है. थाना प्रभारी द्वारा काफी समझाने के बाद लोगों ने सड़क जाम हटा लिया.

नक्सलियों द्वारा नक्सल डंप में छिपाकर रखे गए विस्फोटक को सुरक्षा बलों नें किया बरामद

चाईबासा: पश्चिमी सिंहभूम जिले में सुरक्षा बलों को बड़ी सफलता मिली है. टोंटो थाना क्षेत्र के जिमकिकिर गांव के आसपास जंगली पहाड़ी क्षेत्र में नक्सलियों द्वारा पूर्व से लगाए गए विस्फोटक व अन्य सामग्री को सुरक्षा बलों ने बरामद किया है. नक्सलियों ने सुरक्षा बलों को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से इन विस्फोटकों को एक पुराने नक्सल डंप में छिपाकर रखा था.

सुरक्षा के मद्देनजर बरामद विस्फोटकों को बम निरोधक दस्ते की मदद से उसी स्थान पर नष्ट कर दिया गया. सुरक्षा बलों ने उस नक्सल डंप को भी ध्वस्त कर दिया. साथ ही अन्य विस्फोटक व दैनिक उपयोग की अन्य सामग्री जब्त कर ली.

पुलिस अधीक्षक आशुतोष शेखर ने बताया कि प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) नक्सली संगठन के शीर्ष नेता अपने दस्ते के सदस्यों के साथ विध्वंसक गतिविधियों के लिए सारंडा कोल्हान क्षेत्र में भ्रमणशील हैं. इसको लेकर चाईबासा पुलिस, सीआरपीएफ, कोबरा, झारखंड जगुआर लगातार अभियान चला रही है. कोल्हान में शीर्ष नक्सली नेता मिसिर बेसरा, अनमोल, मोछू, अनल, असीम मंडल, अजय महतो, सागेन अंगरिया, अश्विन, पिंटू लोहरा, चंदन लोहरा, अमित हांसदा उर्फ ​​उपटन, जयकांत, रापा मुंडा मौजूद हैं.

एसपी ने बताया कि वर्ष 2022 से लगातार गोईलकेरा थाना अंतर्गत ग्राम कुइड़ा, छोटा कुइड़ा, मरादिरी, मेरालगाड़ा, हाथीबुरू, तिलायबेड़ा बोयपैसांग, कटंबा, बयाहातू, बोरॉय, लेमसाडीह के सीमावर्ती क्षेत्रों में तथा टोंटो पुलिस स्टेशन के अंतर्गत ग्राम हुसिपी, राजाबासा, तुम्बाहाका, रेगड़ा, पाटोरब, गोबुरु, लुईया के सीमावर्ती क्षेत्रों में संयुक्त अभियान चलाया जा रहा है.

इसी क्रम में टोंटो थाना क्षेत्र के जंगल पहाड़ी इलाके में प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा (माओवादी) के उग्रवादियों द्वारा हथियार और गोला-बारूद छिपाकर रखे जाने की सूचना मिली थी. जिसके बाद सर्च ऑपरेशन चलाया गया. जहां सुरक्षा बलों ने एक पुराने नक्सली डंप से विस्फोटक और अन्य सामग्री बरामद की. नक्सल विरोधी अभियान अभी भी जारी है.

मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने सभी जिलों के जिला निर्वाचन पदाधिकारी–सह–उपायुक्त के साथ की बैठक


उन्होंने दिया निर्देश,निर्वाचन के गाइडलाइंस के अनुरूप करें कार्य इसमें किसी प्रकार के शॉर्टकट की जगह नहीं*

रांची। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के. रवि कुमार ने कहा है कि भारत निर्वाचन आयोग द्वारा सभी जिलों के जिला निर्वाचन पदाधिकारी एवं ईआरओ को अपने स्तर पर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के साथ बैठक करने का निर्देश प्राप्त है।

राजनीतिक दलों से प्रप्त सुझावों का निर्वाचन के कानूनी प्रावधानों के अनुसार, इनके क्रियान्यवयन हेतु कार्य करें। श्री के. रवि कुमार शुक्रवार को निर्वाचन सदन से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सभी जिलों के जिला निर्वाचन पदाधिकारी–सह–उपायुक्त एवं निर्वाचन से जुड़े पदाधिकारियों के साथ बैठक कर रहे थे। बैठक में मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने सभी जिला निर्वाचन पदाधिकारियों के साथ भारत निर्वाचन आयोग द्वारा निर्वाची पदाधिकारियों के लिए भेजे गए पीपीटी पर भी विस्तृत रूप से चर्चा किया एवं इसे बेहतर करने हेतु सूझाव भी मांगे। 

 के. रवि कुमार ने कहा है कि राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों अथवा मतदाताओं द्वार मतदाता पहचान पत्र से संबंधित मामले संज्ञान में लाए जाते हैं उनका ससमय निष्पादन सुनिश्चित कराएं। उन्होंने कहा कि समय समय पर हो रहे मतदाता पुनरीक्षण कार्यक्रमों एवं सबों के सम्मिलित प्रयास से मतदाता सूची में सुधार हुआ है। 

मतदाताओं के पंजीकरण के दौरान भारत निर्वाचन आयोग के गाइडलाइंस को ध्यान में रखकर सभी कंप्यूटर ऑपरेटर कार्य करें वे किसी प्रकार के शॉर्टकट का इस्तेमाल न करें इससे गलतियों की संभावना अधिक होती है। 

इस अवसर पर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी द्वारा विधानसभा निर्वाचन 2024 से संबंधित पुस्तिका का भी विमोचन किया गया। इस पुस्तिका में विधानसभा निर्वाचन 2024 से संबंधित आंकड़ों को साझा किया गया है ।

इस अवसर पर संयुक्त मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी श्री सुबोध कुमार, सहायक मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी श्री देव दास दत्ता, अवर निर्वाचन पदाधिकारी श्री सुनील कुमार सहित वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सभी जिलों के जिला निर्वाचन पदाधिकारी–सह–उपायुक्त, ईआरओ, उप निर्वाचन पदाधिकारी एवं निर्वाचन से संबंधित पदाधिकारी उपस्थित रहे।

JSSC- CGLपरीक्षा के कथित पेपर लीक मामले में CID ने गिरोह के दो लोगों को गोरखपुर से किया गिरफ्तार…


रांची: झारखंड में जेएसएसी सीजीएल परीक्षा में कथित तौर पर हुए पेपर लीक के मामले में सीआईडी ने गिरोह के दो मुख्य सदस्य को यूपी के गोरखपुर से गिरफ्तार किया है। इससे पहले सीआईडी ने इस मामले में आठ आरोपियों को गिरफ्तार किया था।

पुलिस ने संदीप त्रिपाठी और विवेक रंजन को गोरखपुर से गिरफ्तार किया है। दोनों बिहार के गोपालगंज के रहने वाले है। दोनों अभियुक्तों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। पुलिस की जांच में अबतक प्रत्यक्ष एवं भौतिक रूप से पेपर के लीक होने के साक्ष्य नहीं मिले है। इस मामले में अभी भी जांच जारी है।

झारखण्ड का पर्यटन स्थल:झारखण्ड का मिनी लन्दन है “मैक्लुस्कीगंज” जहां पहुँच कर आप भूल जायेंगे पूरी दुनिया को

 विनोद आनंद

झारखण्ड को कुदरत नें अपने हाथों सें संबारा है यहाँ की झड़ना,जलप्रपात और जंगल. लोगों को अपने ओर आकर्षित करता. झारखण्ड में गर्मी की छुट्टियां बिताने के लिए भी पर्यटक आते हैं. यहां की सुहाने मौसम और खूबसूरत वादियों का आनंद लेने के लिए लोग सदैव आकर्षित होते रहते हैं. ऐसे में कई ऐसे स्थल हैं जहां की यात्रा कर आप अलग आनंद का अनुभव महसूस कर सकते हैं. ऐसे हीं स्थलों में एक जगह है “मैक्लुस्कीगंज जहां आने सें आप को महसूस होगा कि आप मिनी लन्दन पहुँच गए.

 “मैक्लुस्कीगंज” की ठंडी हवाएं आपका मन मोह लेगी. हरी-भरी खूबसूरत वादियां और पक्षियों की चहचहाहट के बीच आप अपने सभी तनाव भूल जाएंगे.

मैक्लुस्कीगंज नदियों और जंगलों के बीच बसा बेहद खूबसूरत गांव

मैक्लुस्कीगंज में आपको पहाड़ों, नदियों और जंगलों के बीच बसा बेहद खूबसूरत गांव देखने को मिलेगा. यहां के भव्य ब्रिटिश बंगले, गांव के चर्च और ब्रिटिश राज की याद दिलाने वाली कई चीजें देखने को मिलेंगी. पास के एक गांव में आपको एक बेहद दिलचस्प सर्वधर्म स्थल मिलेगा. जहां मंदिर, गुरुद्वारा, और मस्जिद एक ही परिसर में बने हुए हैं. जो दूर-दूर से आने वाले पर्यटकों को काफी आकर्षित करता है. करीब 4 किलोमीटर दूर डुगडुगी नदी एक लोकप्रिय आकर्षण का केंद्र है. यहां नदी के किनारे प्रकृति की गोद में खूबसूरत वादियों के बीच आप पिकनिक का भी आनंद ले सकते हैं.

 कहां है मैक्लुस्कीगंज?

मैक्लुस्कीगंज राजधानी रांची के उत्तर-पश्चिम में लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यहां आप सड़क मार्ग के जरिये आसानी से पहुंच सकते हैं. इसके अलावा आप ट्रेन से भी मैक्लुस्कीगंज आ सकते हैं. यहां ठहरने के लिए आपको बेहतरीन गेस्ट हाउस मिलेगी. जहां साफ-सफाई के साथ उत्तम भोजन का भी प्रबंध रहता है

जानिए मैक्लुस्कीगंज का अनोखा इतिहास

मैक्लुस्कीगंज की स्थापना कोलोनाइजेशन सोसाइटी ऑफ इंडिया ने 1933 में की गई थी. यह एंग्लो-इंडियन के लिए एक मुल्क के रूप में था. 1932 में एडवर्ड थामस मैक्लुस्की ने पूरे भारत में रह रहे लगभग 2 लाख एंग्लो-इंडियन को यहां बसने का न्योता भेजा था. जिसके बाद लगभग 300 परिवार यहां आकर बसे. जिसमें से अब केवल 20 परिवार ही बचे हैं. 1950 के दशक में एंग्लो-इंडियन और ब्रिटिश लोगों के मैक्लुस्कीगंज से चले जाने के बाद इस कस्बे ने अपना आकर्षण खोना शुरू कर दिया. जिसके बाद यह एक गुमनाम गांव में बदल गया. हालांकि अब सरकार के प्रयास से मैकलुस्कीगंज की खूबसूरती धीरे धीरे फिर से लौटने लगी है. देश-विदेश से हर साल पर्यटक यहां की खूबसूरत वादियों में सुकून भरे कुछ पल जीने आते हैं.

रांची के अन्य पर्यटन स्थल

मैक्लुस्कीगंज घूमने के बाद आप रांची के कुछ अन्य पर्यटन स्थलों पर भी घूम सकते है. राजधानी का चर्चित कांके डैम, टैगोर हिल, पहाड़ी मंदिर, जगन्नाथ मंदिर, रॉक गार्डन कुछ ऐसे पर्यटन स्थल हैं, जहां आप खूबसूरत प्राकृतिक नजारों का आनंद ले सकते हैं. इसके अलावा आप दशम फॉल, जोन्हा फॉल, हुंडरू फॉल, सीता फॉल और पंच घाघ जैसे सुंदर जलप्रपातों पर आप पिकनिक का आनंद भी उठा सकते हैं.

धनबाद के ईस्ट बसूरिया ओपी क्षेत्र में बीसीसीएल के गोंदुडीह कोल डंप में वर्चस्व को लेकर फिर चली गोली, एक व्यक्ति घायल

धनबाद : ईस्ट बसूरिया ओपी क्षेत्र में बीसीसीएल के गोंदुडीह कोल डंप में दो गुटों के बीच पहले मारपीट हुई, उसके बाद पांच राउंड फायरिंग की गयी.

फायरिंग की घटना में ईस्ट बसुरिया कोल डंप पासवान धौड़ा के रहने वाले ललन पासवान को गोली लगी है. जख्मी अवस्था में उसे एसएनएमएमसीएच अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उसका इलाज चल रहा है.

 घायल के परिजन जे अनुसार 25 से 30 की संख्या में लोग कोल डंप पहुंचे. इस दौरान ये लोग ट्रक लोडिंग के लिए दबाव बनाने लगे. अवैध तरीके से ये लोग कोयला की मांग करने लगे. जिस पर बहस हुई.इसके बाद मौके पहुंचे लोग मारपीट करने लगे. इसके बाद वहां मौज़ूद सभी लोग भाग खड़े हुए. जब लोग भाग रहे थे तो इन लोगों ने अचानक फायरिंग शुरू कर दी. 

फायरिंग करते हुए लोग ईस्ट बांसुरिया हनुमान मंदिर तक पहुंचे गए. उनके द्वारा की गई फायरिंग में ललन पासवान को मंदिर के समीप गोली लगी. हमलावरों की संख्या 25 से 30 के आसपास रही होगी और सभी आरोपी ईस्ट बांसुरिया खटाल के रहने वाले हैं.

घायल का आरोप 40 से 50 लोगों ने दौड़ाकर मारी गोली

गोंदूडीह कोल डंप में मारपीट हुई. उसके बाद इन लोगों ने मुझे दौड़ाते हुए गोली मारी है. दरअसल ये लोग रंगदारी से ट्रक लोडिंग कराना चाहते थे. जिसका विरोध करने पर मारपीट और फायरिंग हुई है.

दरअसल यह मामला दो गुटों के बीच कोयला चोरी में वर्चस्व स्थापित करने को लेकर है. ईस्ट बसुरिया कोल डंप पासवान घोड़ा के लोग गोंडूडीह कोल डंप से साइकिल और टोकरी से अवैध तरीके से कोयले का उठाव करते हैं. ये लोग छोटे पैमाने पर कोयले की चोरी करते हैं. वहीं दूसरा गुट जो कि ईस्ट बांसुरिया खटाल का है, वह कोल डंप से अवैध तरीके से निकाले गए कोयला का ट्रकों से कोयले की तस्करी करते हैं. गुरुवार रात खटाल के लोग पहुंचे और दबंगई से कोयला डंप से कोयले की मांग पर अड़ गए. पासवान धोड़ा के लोगों का कोल डंप में पहले से ही वर्चस्व है, जो छोटे स्तर यानी साइकिल से कोयला चोरी करते हैं.