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ट्रंप ने 21 मिलियन डॉलर यूएसएआईडी फंड को 'रिश्वत योजना' बताया, भाजपा-कांग्रेस में टकरार

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर भारत में 'मतदाता मतदान' के लिए अब रद्द किए गए 21 मिलियन डॉलर के फंड पर निशाना साधा और इसे 'रिश्वत योजना' बताया। वाशिंगटन डीसी में रिपब्लिकन गवर्नर्स एसोसिएशन की बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, "भारत में मतदाता मतदान के लिए 21 मिलियन डॉलर। हम भारत में मतदान की परवाह क्यों कर रहे हैं? हमारे पास पहले से ही बहुत सारी समस्याएं हैं। हम अपना खुद का मतदान चाहते हैं।"

एनबीसी न्यूज द्वारा प्रसारित संबोधन के दौरान ट्रंप ने कहा, "क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि इतना सारा पैसा भारत जा रहा है। मुझे आश्चर्य है कि जब उन्हें यह मिलता है तो वे क्या सोचते हैं। यह एक रिश्वत योजना है। ऐसा नहीं है कि वे इसे खर्च करते हैं। मैं कहूंगा कि कई मामलों में, वे इसे लोगों को वापस देते हैं।" "मैं कहूँगा कि कई मामलों में, जब भी आपको पता नहीं होता कि हम किस बारे में बात कर रहे हैं, तो इसका मतलब है कि कोई रिश्वत है क्योंकि किसी को भी पता नहीं है कि वहाँ क्या हो रहा है। बांग्लादेश में राजनीतिक परिदृश्य को मजबूत करने के लिए 29 मिलियन अमरीकी डॉलर। कोई नहीं जानता कि राजनीतिक परिदृश्य से उनका क्या मतलब है। इसका क्या मतलब है?" अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा।

भाजपा बनाम कांग्रेस का झगड़ा

ट्रंप के ताजा हमले ने भारत में एक नई राजनीतिक लड़ाई शुरू कर दी है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने आरोप लगाया कि उक्त धन का इस्तेमाल भारत में "गहरी-सरकारी संपत्तियों को बनाए रखने" के लिए किया जा रहा है "जो इस तरह के खुलासों का बचाव करने और उन्हें भटकाने का काम करते हैं।" "अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मतदान के लिए भारत को 21 मिलियन डॉलर भेजे जाने की बात कहने के एक दिन बाद, उन्होंने इस आरोप को दोहराया है और नहीं, वह इसे बांग्लादेश में भेजे गए 29 मिलियन डॉलर से भ्रमित नहीं कर रहे हैं। इस बार, उन्होंने रिश्वत का भी उल्लेख किया है। अनिवार्य रूप से, इस धन का उपयोग गहरी-सरकारी संपत्तियों को बनाए रखने के लिए भी किया जाता है जो इस तरह के खुलासों का बचाव करने और उन्हें भटकाने का काम करते हैं। हम अब भारत में भी यही पैटर्न देख रहे हैं," मालवीय ने कहा।

कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने पलटवार करते हुए कहा, "पिछले एक हफ्ते से एक स्टोरी चल रही है कि यूएसएआईडी ने नरेंद्र मोदी सरकार को अस्थिर करने के लिए 21 मिलियन डॉलर दिए, अगर इतनी सुरक्षा एजेंसियां ​​होने के बावजूद मोदी सरकार ने 21 मिलियन डॉलर भारत में आने दिए तो ये शर्म की बात है। वहीं, जब मोदी सरकार से इस बारे में सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि ये पैसा यूपीए के शासनकाल में 2012 में आया था। ऐसे में क्या इसी पैसे से बीजेपी 2014 में जीती थी?"

लाहौर में बजा भारत का राष्ट्रगान, ऑस्ट्रेलिया-इंग्लैंड मैच में गूंजा “जन-गण-मन

चैंपियंस ट्रॉफी 2025 का आगाज हो चुका है। चैंपियंस ट्रॉफी 2025 का आयोजन पाकिस्तान में हो रहा है। टूर्नामेंट का पहला मैच शनिवार को ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच लाहौर के गद्दाफी स्टेडियम मुकाबला खेला जा रहा है। इस मैच के शुरू में जब इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़ी राष्ट्रगान के लिए खड़े हुए तो एक ऐसी घटना घटी जिससे स्टेडियम में मौजूद दर्शक हैरान रह गए। दरअसल, ऑस्ट्रेलिया के राष्ट्रगान की जगह आयोजकों ने भारत का राष्ट्रगान बजा दिया।

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शनिवार 22 मई को लाहौर के गद्दाफी स्टेडियम में इस टूर्नामेंट का पहला मैच खेला गया। ये मुकाबला इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच हो रहा था। ऐसे में हर मैच की तरह इस मुकाबले में भी एक्शन शुरू होने से ठीक पहले दोनों ही टीमें मैदान पर खड़ी थीं। इस दौरान एक-एक कर इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया का राष्ट्रगान स्टेडियम में चलाया जाना था। मगर ऑस्ट्रेलिया के नेशनल एंथम से पहले स्टेडियम में लगे साउंड सिस्टम से भारत के राष्ट्रगान ‘जन गण मन…’ के बोल गूंजने लगे।

बता दें कि आईसीसी के टूर्नामेंटों में हर मैच शुरू होने से पहले दोनों टीमों के राष्ट्रगान बजाए जाते हैं। इंग्लैंड के राष्ट्रगान ‘गॉड सेव द किंग’ के बजने के बाद, ‘एडवांस ऑस्ट्रेलिया फेयर’ बजाया जाना था। लेकिन मैदान पर मौजूद सभी लोगों को उस समय आश्चर्य हुआ, जब दो सेकंड के लिए भारतीय राष्ट्रगान बज गया।इस गलती को तुरंत सुधारा गया और ‘एडवांस ऑस्ट्रेलिया फेयर’ बजाया गया।

पंजाब में 'गुमनाम' विभागः20 महीने कागजों पर चला धालीवाल का मंत्रालय, जानें कैसे सच्ची आई सामने

#aap_govt_kuldeep_singh_dhaliwal_ministry_does_not_exist

पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार है। इसी आम आदमी पार्टी की सरकार में एक अनोखा मामला सामने आया है। यहां एक मंत्री के पास वो विभाग था जिसका अस्तित्व ही नहीं है। यह जानकारी खुद पंजाब सरकार के एक संशोधन से सामने आई है। संशोधन की जानकारी गजट नोटिफिकेशन के जरिए दी गई है। इसमें बताया गया है कि मंत्री कुलदीप धालीवाल के पास डिपार्टमेंट ऑफ एडमिनिस्ट्रेटिव रिफॉर्म्स और एनआईआई अफेयर्स था। जिनमें से डिपार्टमेंट ऑफ एडमिनिस्ट्रेटिव रिफॉर्म्स अस्तित्व में नहीं है।

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एक दिन पहले ही भगवंत मान सरकार ने 21 अफसरों के ट्रांसफर करने के साथ-साथ मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल से प्रशासनिक सुधार मंत्रालय छीन लिया। अब यह जानकारी सामने आ रही है कि जिस प्रशासनिक सुधार मंत्रालय को धालीवाल से छीना गया है वो वास्‍तव में कहीं था ही नहीं। यह मंत्रालय केवल कागजों पर चल रहा था। सीएम भगवंत मान को 20 महीने बाद होश आया।

धालीवाल से अब तक कुल तीन विभाग वापिस लिए जा चुके हैं। इससे पहले ग्रामीण विकास एवं पंचायत और कृषि एवं किसान कल्याण विभाग भी उनसे वापिस लिया गया था। कुलदीप सिंह धालीवाल के पास एनआरई मामलों के साथ प्रशासनिक सुधार मंत्रालय भी था, लेकिन अब करीब 20 महीने बाद पंजाब सरकार की ओर से नोटिफिकेशन जारी किया गया है कि ये विभाग है ही नहीं करता है। सरकार ने आधिकारिक तौर पर ये मान लिया है कि इस तरीके के किसी विभाग का कोई अस्तित्व ही नहीं था।

प्रशासनिक सुधार मंत्रालय में ना किसी अफसर की नियुक्ति की गई थी और ना ही कोई कर्मचारी पंजाब सरकार के इस विभाग के अंतर्गत काम कर रहे थे। मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल को प्रशासनिक सुधार मंत्रालय का कार्यभार सौंपा गया था। अब पंजाब के राज्यपाल ने सीएम भगवंत मान की सलाह पर एक गजट नोटिफिकेशन जारी किया है, जिसके तहत कहा गया है कि अब धालीवाल केवल एनआरआई मामलों के मंत्रालय को संभालेंगे। बताया जा रहा है कि 20 महीनों तक प्रशासनिक सुधार विभाग और एनआरआई विभाग कुलदीप सिंह धारीवाल के पास था।

इस बीच, विपक्षी दलों ने शनिवार को आप सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि इससे पता चलता है कि आप सरकार शासन को लेकर कितनी गंभीर है। पंजाब भाजपा के महासचिव सुभाष शर्मा ने कहा, यह सरकार के मानसिक दिवालियापन को दर्शाता है कि एक ऐसा विभाग आवंटित किया गया है, जो अस्तित्व में नहीं है। उन्होंने कहा कि न तो इसे आवंटित करने वालों को, और न ही जिन्हें विभाग आवंटित किया गया था, उन्हें इस तथ्य की जानकारी थी कि यह विभाग अस्तित्व में नहीं है।

मॉरिशस जा रहे पीएम मोदी, पड़ोसी देश के राष्ट्रीय दिवस समारोह में होंगे मुख्य अतिथि

#pmmodimauritius_visit

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले महीने मॉरीशस का दौरा करेंगे। पीएम मोदी 12 मार्च को मॉरीशस के राष्ट्रीय दिवस समारोह में मुख्य अतिथि होंगे। मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीन रामगुलाम ने इसका एलान किया। रामगुलाम ने इसे दोनों देशों के बीच घनिष्ठ द्विपक्षीय संबंधों का प्रमाण बताया। बता दें कि हर साल 12 मार्च को मॉरीशस अपना राष्ट्रीय दिवस मनाता है। इसे 12 मार्च, 1968 को ब्रिटिश शासन से आजादी मिली थी।

पीएम मोदी ने मॉरीशस का निमंत्रण किया स्वीकार

अपनी संसद में पीएम रामगुलाम ने कहा कि मुझे सदन को यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि मेरे निमंत्रण पर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमारे राष्ट्रीय दिवस समारोह में मुख्य अतिथि बनने पर सहमति जताई है। हमारे देश के लिए यह वास्तव में एक अनूठा सौभाग्य है कि हम ऐसे प्रतिष्ठित व्यक्तित्व की मेजबानी कर रहे हैं, जो अपने व्यस्त कार्यक्रम और हाल ही में पेरिस व अमेरिका के दौरे के बावजूद हमें यह सम्मान दे रहे हैं।

भारत-मॉरीशस संबंध

भारत और मॉरीशस के संबंध ऐतिहासिक रूप से गहरे रहे हैं। मॉरीशस में भारतीय मूल के लोगों की बड़ी संख्या है और दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक, आर्थिक और रणनीतिक साझेदारी लंबे समय से चली आ रही है। भारत मॉरीशस के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देता आया है, जिसमें बुनियादी ढांचे, शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में सहयोग शामिल है। माना जा रहा है कि पीएम मोदी की यह यात्रा दोनों देशों के बीच व्यापारिक और कूटनीतिक संबंधों को और मजबूत करेगी।

70 फीसदी आबादी भारतीय मूल की

हर साल 12 मार्च को मॉरीशस अपना राष्ट्रीय दिवस मनाता है। इसे 12 मार्च, 1968 को ब्रिटिश शासन से आजादी मिली थी। मॉरीशस, हिंद महासागर में स्थित एक छोटा सा द्वीपीय देश है। यह अफ्रीका के दक्षिण-पूर्वी तट से दूर, मेडागास्कर के पूर्व में है। मेडागास्कर तट से मॉरीशस की दूरी लगभग 800 किमी है। यह मस्कारेने द्वीप समूह का हिस्सा है। मॉरीशस की राजधानी पोर्ट लुइस है। यहां की आबादी लगभग 12 लाख है। इनमें से लगभग 70 फीसदी आबादी भारतीय मूल की है। यहां पर जिस धर्म के सबसे ज्यादा लोग रहते हैं, वो है हिंदू।

चीन-भारत का नाम लेकर फिर ट्रंप ने दी धमकी, जानें अब क्या कहा?

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डोनाल्ड ट्रंप जबसे अमेरिका के राष्ट्रपति बने हैं, पूरी दुनिया में हड़कंप मचा हुआ है। ट्रंप बार-बार कई देशों को टैरिफ बढ़ाने की धमकी दे चुके हैं। इन देशों में भारत और चीन का नाम भी शामिल है। एक बार फिर उन्होंने भारत-चीन का नाम लेकर टैरिफ की धमकी दी है। यही नहीं, इस बार तो उन्होंने इस बात की कसम भी खाई है। बता दें कि ट्रंप का ये बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बैठक में इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की बात करने की बावजूद आया है।हाल ही में पीएम मोदी ने अमेरिका की दो दिवसीय यात्रा की थी। इस दौरान उन्होंने ट्रंप के साथ व्यापार, रक्षा समेत टैरिफ के मुद्दे पर बात की थी।

शुक्रवार को डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि अमेरिका भी वही शुल्क लगाएगा, जो ये देश अमेरिकी वस्तुओं पर लगाते हैं। हम जल्द ही रिसिप्रोकल टैरिफ का एलान करेंगे। ट्रंप ने कहा कि वे हम पर शुल्क लगाते हैं। हम उन पर शुल्क लगाएंगे। जो भी कंपनी या देश, जैसे भारत या चीन, हम पर शुल्क लगाते हैं। हम निष्पक्ष होना चाहते हैं। कोई भी कंपनी या देश जैसे कि भारत और चीन जो भी शुल्क लगाते हैं, वहीं हम भी लगाएंगे। ट्रंप ने आगे कहा कि हमने ऐसा कभी नहीं किया। कोविड महामारी से पहले हम ऐसा करना चाहते थे। ट्रंप ने यह टिप्पणी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान की थी जब उनसे टेस्ला के सीईओ एलन मस्क की पीएम मोदी के साथ बैठक के बारे में पूछा गया था

पीएम मोदी और डोनाल्ड ट्रंप की मीटिंग को एक ही सप्ताह हुआ है। डोनाल्ड ट्रंप के साथ द्विपक्षीय बैठक में पीएम मोदी ने कहा था कि अमेरिका और भारत व्यापार समझौते पर काम करेंगे। उन्होंने टैरिफ में ढील देने के अलावा व्यापार में आ रहे गतिरोध के बीच रियायतों पर बातचीत की पेशकश भी की थी। इस पर डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि वे भारत से व्यापार घाटे को कम करने के लिए बातचीत पर सहमत हैं।

खास बात तो ये है कि ट्रंप पहले से ही भारत को टैरिफ किंग नाम से संबोधित करते हुए आ रहे हैं। ग्लोबल प्लेटफॉर्म्स पर ट्रंप ने भारत के टैरिफ की आलोचना की है। टैरिफ को लेकर उन्होंने अपने चुनावी कैंपेन में भी जिक्र किया है। ऐसे में अब वो अपनी उस बात को आगे बढ़ाते हुए दिखाई दे रहे हैं। साथ ही टैरिफ को लेकर किसी तरह की रियायत देने के मूड में नहीं है।

Political COVID’ उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इस खतरनाक वायरस से की किसकी तुलना?*l

#jagdeepdhankharsayspoliticalcoviddestroyingindian_democracy

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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भारत में चुनाव में मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाने में यूएसएजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (यूएसएड) द्वारा कथित तौर पर वित्त पोषण किए जाने को लेकर शुक्रवार को चिंता व्यक्त की। उन्होंने इसे ‘Political COVID’ करार दिया। कथित तौर पर वित्त पोषण किए जाने को लेकर कहा कि जिन लोगों ने देश के लोकतांत्रिक मूल्यों पर इस तरह के हमले की अनुमति दी, उन्हें बेनकाब किया जाना चाहिए।

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा, मैं दंग रह गया जब अमेरिका के राष्ट्रपति ने खुद स्वीकार किया कि भारत में चुनावी नतीजों को प्रभावित करने के लिए वित्तीय ताकत का उपयोग किया गया। किसी और को निर्वाचित कराने की साजिश रची गई। चुनाव का अधिकार केवल भारतीय जनता का है, कोई भी बाहरी ताकत इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकती।” उन्होंने सभी नागरिकों से आह्वान किया कि वे इस ‘Political COVID’ के खिलाफ एकजुट हों।

समाज में ‘Political COVID’ ने घुसपैठ की-धनखड़

उपराष्ट्रपति निवास में शनिवार को 5वें आरएस इंटर्नशिप कार्यक्रम के समापन समारोह को संबोधित करते हुए जगदीप धनखड़ ने कहा कि समय आ गया है कि हम पूरी तरह से इस बीमारी की जांच करें। हमारे लोकतंत्र को नष्ट करने के लिए हमारे समाज में इस ‘Political COVID’ ने घुसपैठ की है। इस भयावह गतिविधि में शामिल सभी लोगों को पूरी तरह से बेनकाब किया जाना चाहिए। उन्होंने यहां तक कहा कि चुनाव करना केवल भारतीय लोगों का अधिकार है। कोई भी उस प्रक्रिया से छेड़छाड़ कर रहा है तो, वह हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों को कमजोर कर रहा है. इससे हमारे लोकतंत्र को नष्ट करने की कोशिश की जा रही है।

संवैधानिक संस्थाओं पर व्यवस्थित तरीके से हमले हो रहे-धनखड़

उपराष्ट्रपति ने चिंता जताई कि भारत की संवैधानिक संस्थाओं पर व्यवस्थित तरीके से हमले हो रहे हैं। उन्होंने कहा, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री – ये सभी संवैधानिक पद हैं. लेकिन इनका मजाक उड़ाया जा रहा है। यह एक नई तरह की ‘वोकिज्म’ है, जहां सम्मान की जगह अपमान को बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियों पर कड़ा ऐतराज जताया। भारत की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति को उनकी संवैधानिक भूमिका निभाने के लिए भी निशाना बनाया जाता है। उनका लंबा प्रशासनिक और राजनीतिक अनुभव है, लेकिन उनकी जनजातीय पहचान पर सवाल उठाए जाते हैं। यह अस्वीकार्य है।

फ्लाइट में शिवराज सिंह को मिली टूटी सीट, बोले- एयर इंडिया पर भरोसा भ्रम निकला

#shivraj_singh_chouhan_expresses_anger_over_broken_air_india_seat

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एअर इंडिया की सेवाओं को लेकर नाराजगी जताई है।मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम और केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान भोपाल से दिल्ली एयर इंडिया की फ्लाइट पर जा रहे थे। इसी दौरान उनकी सीट टूटी और धंसी हुई थी। जिसपर उन्होंने एक्स पर नाराजगी जताई। शिवराज ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा है कि एयर इंडिया की फ्लाइट में बैठना तकलीफदायक था।

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केंद्रीय कृषि मंत्री ने एक्स पर लिखा, आज मुझे भोपाल से दिल्ली आना था, पूसा में किसान मेले का उद्घाटन, कुरुक्षेत्र में प्राकृतिक खेती मिशन की बैठक और चंडीगढ़ में किसान संगठन के माननीय प्रतिनिधियों से चर्चा करनी है। मैंने एयर इंडिया की फ्लाइट AI436 में टिकट करवाया था, मुझे सीट क्रमांक 8C आवंटित हुई। मैं जाकर सीट पर बैठा, सीट टूटी और अंदर धंसी हुई थी। बैठना तकलीफदायक था।

टाटा प्रबंधन के बाद नहीं सुधरी एयर इंडिया की सेवा-शिवराज

शिवराज ने आगे कहा कि जब मैंने विमानकर्मियों से पूछा कि खराब सीट थी तो आवंटित क्यों की? उन्होंने बताया कि प्रबंधन को पहले सूचित कर दिया था कि ये सीट ठीक नहीं है, इसका टिकट नहीं बेचना चाहिए। ऐसी एक नहीं और भी सीटें हैं। सहयात्रियों ने मुझे बहुत आग्रह किया कि मैं उनसे सीट बदल कर अच्छी सीट पर बैठ जाऊं लेकिन मैं अपने लिए किसी और मित्र को तकलीफ क्यों दूं, मैंने फैसला किया कि मैं इसी सीट पर बैठकर अपनी यात्रा पूरी करूंगा। मेरी धारणा थी कि टाटा प्रबंधन के हाथ में लेने के बाद एयर इंडिया की सेवा बेहतर हुई होगी, लेकिन ये मेरा भ्रम निकला।

शिराज सिंह के पोस्ट के कुछ मिनटों बाद ही एयर इंडिया ने शिवराज सिंह चौहान से माफी मांगी है। एयर इंडिया के हेंडल से रिप्लाई किया गया जिसमें लिखा- महोदय, हमें हुई असुविधा के लिए खेद है। कृपया निश्चिंत रहें कि हम इस मामले को ध्यान से देख रहे हैं ताकि भविष्य में ऐसी कोई घटना न हो। हम आपसे बात करने का अवसर पाकर प्रसन्न हैं। कृपया हमसे संपर्क करने के लिए सुविधाजनक समय पर हमें DM करें।

तमिलनाडु और केंद्र के बीच बढ़ी तनातनीःजानें शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने एमके स्टालिन को क्यों लिखा लेटर?

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हिंदी भाषा को लेकर केन्द्र सरकार और तमिलनाडु सरकार के बीच तनातनी बढ़ गई है। केंद्र सरकार और तमिलनाडु सरकार के बीच राष्ट्रीय शिक्षा नीति यानी एनईपी 2020 के मुद्दे पर विवाद बढ़ा है। इस मुद्दे पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने 21 फरवरी को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन को पत्र लिखा। उन्होंने राज्य में हो रहे नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (एनईपी) के विरोध की आलोचना की। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु सरकार को एनईपी 2020 को ‘संकीर्ण दृष्टिकोण’ से नहीं देखना चाहिए।

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धर्मेंद्र प्रधान ने लिखा, 'किसी भी भाषा को थोपने का सवाल नहीं है। लेकिन विदेशी भाषाओं पर अत्यधिक निर्भरता खुद की भाषा को सीमित करती है। नई एनईपी इसे ही ठीक करने का प्रयास कर रही है। एनईपी भाषाई स्वतंत्रता को कायम रखती है और यह सुनिश्चित करती है कि स्टूडेंट अपनी पसंद की भाषा सीखना जारी रखें।'

धर्मेंद्र प्रधान ने अपने लेटर में मई 2022 में चेन्नई में पीएम मोदी के 'तमिल भाषा शाश्वत है' के बायन का जिक्र करते हुए लिखा- मोदी सरकार तमिल संस्कृति और भाषा को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देने और लोकप्रिय बनाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। मैं अपील करता हूं कि शिक्षा का राजनीतिकरण न करें।

शिक्षा मंत्री स्टालिन की ओर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखी गई चिट्ठी का जवाब दे रहे थे। स्टालिन ने कहा कि केंद्र प्रायोजित दो पहलों समग्र शिक्षा अभियान (एसएसए) और पीएम श्री स्कूल को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) से जोड़ना मौलिक रूप से अस्वीकार्य है। इस पर प्रधान ने स्टालिन को कहा, प्रधानमंत्री को भेजा गया पत्र मोदी सरकार की ओर से प्रचारित सहकारी संघवाद की भावना का पूर्ण खंडन है। इसलिए, राज्य के लिए एनईपी 2020 को अदूरदर्शी दृष्टि से देखना और अपने राजनीतिक एजेंडे को बनाए रखने के लिए प्रगतिशील शैक्षिक सुधारों को खतरे में डालना अनुचित है।

बता दें कि तमिलनाडु और केंद्र सरकार राज्य में नयी शिक्षा नीति के कार्यान्वयन को लेकर आमने-सामने हैं। द्रविड़ मुनेत्र कड्गम (डीएमके) सरकार ने शिक्षा मंत्रालय पर महत्वपूर्ण योजनाओं के लिए धन रोकने का आरोप लगाया है। दरअसल, तमिलनाडु सरकार ने एनईपी 2020 को लागू करने से इनकार कर दिया है। इस कारण केंद्र सरकार ने राज्य को समग्र शिक्षा योजना के तहत मिलने वाले फंड को रोक दिया है। इसी को लेकर 20 फरवरी को मुख्यमंत्री स्टालिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर इस मुद्दे पर दखल देने की मांग की।

इंदिरा गांधी पर राजस्थान में “रार”, सदन में रातभर डटे कांग्रेसी, गद्दे-तकिए लगाकर भजन गाए

#rajasthan_assembly_congress_mlas_stage_sit_in_against_suspension

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राजस्थान में विधानसभा का बजट सत्र चल रहा है। सदन में राज्य के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री अविनाश गहलोत द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पर की गई टिप्पणी को लेकर जोरदार हंगामा हुआ। जिसके बाद कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा समेत 6 विपक्षी विधायकों को विधानसभा से सस्पेंड कर दिया गया है। हंगामे के बीच विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही को सोमवार तक के लिए स्थगित कर दिया। दूसरी ओर निलंबन के खिलाफ कांग्रेस विधायक सदन में धरने पर बैठ गए। विधायकों के निलंबन के विरोध में कांग्रेस विधायकों ने पूरी रात राजस्थान विधानसभा में बिताई। कंबल, गद्दे, चादर और तकिए के साथ उन्होंने विधानसभा को ही घर बना लिया।

विधानसभा में अपने 6 साथियों के निलंबन के विरोध में कांग्रेस विधायक रात भर से सदन में धरने पर हैं। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा सहित, विधायक जाकिर हुसैन गेसावत, संजय जाटव, रामकेश मीणा, अमीन कागजी और हाकम अली खान को शेष बजट सत्र के लिए निलंबित किए जाने का प्रस्ताव पास होने के साथ ही शुक्रवार शाम 4 बजकर 2 मिनट पर सदन की कार्रवाई सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी गई थी, इसके बाद से कांग्रेस विधायक सदन में ही रहे।

निलंबन के खिलाफ कांग्रेस विधायकों का प्रदर्शन और बढ़ गया। प्रदर्शन कर रहे कांग्रेस विधायक सदन के अंदर ही धरने पर बैठ गए। शाम को सरकार के साथ चर्चा का दौर चला, पर नतीजा सिफर रहा। कांग्रेस विधायकों ने धरना जारी रखा और सदन के भीतर ही रात में डेरा डाल दिया। कांग्रेस विधायकों के लिए गद्दे, कंबल और तकिए मंगाए गए। उनके लिए खाने-पीने की भी व्यवस्था हुई। विधानसभा में ये कांग्रेस विधायक कभी एक जगह भजन-कीर्तन करते नजर आए तो कभी अलग-अलग सोते। आज भी उनका प्रदर्शन जारी रहेगा।

दरअसल, राजस्थान के मंत्री अविनाश गहलोत ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के संदर्भ में एक ‘अनुचित’ शब्द का इस्तेमाल किया। गहलोत ने प्रश्नकाल के दौरान कामकाजी महिलाओं के लिए छात्रावास संबंधी प्रश्न का उत्तर देते समय विपक्ष की ओर इशारा करते हुए कहा, 2023-24 के बजट में भी आपने हर बार की तरह अपनी ‘दादी’ इंदिरा गांधी के नाम पर इस योजना का नाम रखा था। इससे काग्रेस विधायक भड़क गए। कांग्रेस विधायकों की नारेबाजी के बीच सदन की कार्यवाही तीन बार स्थगित करनी पड़ी। बात इतने पर ही खत्म नहीं हुई। कांग्रेस विधायकों पर सदन में कथित अशोभनीय व निंदनीय आचरण करने का आरोप लगा। इसके बाद कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा सहित पार्टी के छह विधायकों को बजट सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित करने का प्रस्ताव पारित किया गया।

भारत के आंतरिक मामलों में विदेशी हस्तक्षेप चिंताजनक...” यूएस फंडिंग वाले ट्रंप के बयान पर बोला विदेश मंत्रालय

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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय चुनाव में अमेरिकी फंडिंग को लेकर बयान दिया। डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि अमेरिका की यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID) ने भारत में 2024 के लोकसभा चुनाव में वोटर टर्नआउट को बढ़ाने के लिए 21 मिलियन डॉलर (करीब 182 करोड़ रुपये) की फंडिंग की थी। ट्रंप के एक बयान के बाद से भारत के राजनीतिक गलियारों में घमासान मचा हुआ है। आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। भारत ने फंडिंग के बारे में किए गए खुलासे पर प्रतिक्रिया दी है। विदेश मंत्रालय (एमईए) ने इस मामले को “बेहद परेशान करने वाला” बताया है और संभावित प्रभावों की जांच कर रहा है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने शुक्रवार को कहा, हमने अमेरिकी प्रशासन द्वारा कुछ यूएसए गतिविधियों और फंडिंग के बारे में दी गई जानकारी देखी है। ये स्पष्ट रूप से बहुत ही परेशान करने वाला है। इससे भारत के आंतरिक मामलों में विदेशी हस्तक्षेप की चिंता पैदा हुई है।उन्होंने कहा कि संबंधित विभाग और एजेंसियां मामले की जांच कर रही हैं।

अमेरिकी सरकारी दक्षता विभाग (डीओजीई) ने भारत में खर्च करने के लिए दिए गये 21 मिलियन डॉलर लगभग 182 करोड़ रुपए के एक फंड को खारिज कर दिया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत में वोटिंग टर्नआउट बढ़ाने के लिए अमेरिकी फंडिंग रोकने के फैसले पर बुधवार को बड़ा दावा करते हुए कहा कि पिछली बाइडन सरकार की ओर से किसी और को जिताने की कोशिश की जा रही थी। शायद वे (पूर्ववर्ती बाइडन सरकार) भारत में किसी और की सरकार बनवाना चाहते थे। इससे पहले ट्रंप ने भारत को दी जाने वाली अमेरिकी फंडिंग रोकने के फैसले का बचाव किया था। ट्रंप ने सवाल उठाया कि भारत को 21 मिलियन डॉलर क्यों दिए गए, जबकि भारत के पास पहले से ही बहुत पैसा है।