सुअर की किडनी इंसान में प्रत्यारोपित, मरीज ठीक नई तकनीक से किडनी फेल्योर के मरीजों को मिली उम्मीद
दुनिया में इस वक्त 'विज्ञान' की दिन दूनी रात चौगुनी गति से प्रगति हो रही है. कुछ वक्त पहले तक असंभव सी लगने वाली चीजें आज बढ़ती आधुनिकता की सहायता से आसानी से अच्छे परिणाम तक पहुंच रही हैं. खास तौर पर चिकित्सा के क्षेत्र में वैज्ञानिक हर रोज असंभव चीजों को संभव करने में लगे हुए हुए हैं. वहीं, हाल ही में वैज्ञानिकों ने सुअर के जीन में बदलाव कर उसकी किडनी इंसान में सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित की है.
मरीज पूरी तरह से सेहतमंद है और हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होने वाले हैं. इस कामयाबी से न सिर्फ मेडिकल के क्षेत्र में, बल्कि दुनिया भर में किडनी फेल्योर का सामना कर रहे लाखों मरीजों के लिए उम्मीद की एक किरण जगी
दरअसल, न्यू हैम्पशायर के 66 साल के टिम एंड्रयूज़ ने सुअर की किडनी प्रत्यारोपण करवाने के लिए महीनों तक कड़ी मेहनत की और आखिरकार उन्हें इसमें सफलता भी मिली मैसाचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल ने शुक्रवार को घोषणा की कि एंड्रयूज़ अब डायलिसिस से मुक्त हैं और उनकी सर्जरी 25 जनवरी को हुई . सर्जरी के बाद, वह तेजी से ठीक हुए कि एक हफ्ते के भीतर अस्पताल से छुट्टी मिल गई.
एंड्रयूज़ ने कहा, 'जब मैं ऑपरेशन के बाद होश में आया, तो मैं खुद को एक नया इंसान महसूस कर रहा था.'
सुअर के अंगों से जीवनदान की नई उम्मीद
जानवरों से इंसानों में अंग प्रत्यारोपण (ज़ेनोट्रांसप्लांटेशन) को लेकर वैज्ञानिक सालों से रिसर्च कर रहे हैं, ताकि मानव अंगों की कमी को दूर किया जा सके. अमेरिका में 1 लाख से ज्यादा लोग प्रत्यारोपण लिस्ट में हैं, जिनमें से ज्यादातर को किडनी की 9जरूरत है, लेकिन अंग न मिलने की वजह से हजारों लोग हर साल मर जाते हैं.
हालांकि, अब तक चार लोगों में सूअर के अंग प्रत्यारोपित किए गए थे, जिनेमें दो दिल और दो किडनी, लेकिन ये प्रत्यारोपण ज्यादा वक्त तक नहीं टिक सके. हालांकि, न्यूयॉर्क की 54 साल टोवाना लूनी को नवंबर में सूअर की किडनी लगाई गई थी, और वह 2.5 महीने से सेहतमंद हैं. यह संकेत देता है कि यह तकनीक सफल हो सकती है.
अब, एंड्रयूज़ पर प्रयोग के बाद, अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने मैस जनरल हॉस्पिटल को दो और मरीजों पर यह प्रयोग करने की इजाजत दी है. इसके अलावा, यूनाइटेड थेरेप्यूटिक्स नामक कंपनी को भी इसी साल 6 मरीजों पर सूअर की किडनी ट्रांसप्लांट करने की अनुमति दी गई है. अगर इसके बाद वे छह महीने तक स्वस्थ रहते हैं, तो 50 और मरीजों को यह प्रत्यारोपण करने के लिए मिलेगा.
एंड्रयूज़ की संघर्ष भरी कहानी
एंड्रयूज़ की किडनी दो साल पहले अचानक खराब हो गई थी और डायलिसिस पर निर्भर थे. डॉक्टरों ने बताया कि उनके खून के समूह (ब्लड ग्रुप) के कारण इंसानी किडनी मिलने में 7 साल तक का वक्त लग सकता है, जबकि डायलिसिस पर इंसानों के जीवीत रहने की संभावना सिर्फ 50 फीसदी है. बावजूद इसके उन्होंने हार नहीं मानी और सुअर की किडनी अपने शरीर में प्रत्यारोपण करवाने के लिए जद्दोजहद करने लगे.
आखिरकार डॉक्टरों ने इसके लिए उनकी फिटनेस की जांच की और पाया कि वह बहुत कमजोर थे, साथ ही उन्हें डायबिटीज़ और दिल की भी बीमारी थी. लेकिन एंड्रयूज़ ने हिम्मत नहीं हारी. उन्होंने छह महीने तक कड़ी मेहनत की, 30 पाउंड (लगभग 13 किलो) वजन कम किया, और अपनी फिटनेस में सुधार किया. डॉक्टरों ने जब फिर से टेस्ट किया तो पाया कि वे अब प्रत्यारोपण करवा सकते हैं.
सफल प्रत्यारोपण और नई उम्मीद
डॉक्टरों के सर्जरी के दौरान जैसे ही सुअर की किडनी को उनके शरीर में प्रत्यारोपण किया, तुरंत वह गुलाबी हो गई और यूरिन बनाने लगी. सफलर सर्जरी के बाद अब तक उनकी किडनी सही तरीके से काम कर रही है. एंड्रयूज़ अब जल्द ही अपने घर लौटने वाले हैं.
भविष्य की संभावनाएं
मैस जनरल के डॉक्टरों का कहना है कि अभी देखना होगा कि एंड्रयूज़ की किडनी कितने वक्त तक काम करती है. अगर किसी कारण से यह किडनी फेल होती है, तो एंड्रयूज़ के शरीर में इंसानी किडनी प्रत्यारोपित की जाएगी.
न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के डॉक्टर रॉबर्ट मोंटगोमरी का मानना है कि इस तकनीक का सबसे बड़ा फायदा उन मरीजों को मिलेगा जो बहुत ज्यादा बीमार नहीं हैं, लेकिन इंसानी किडनी के लिए ज्यादा इंतजार नहीं कर सकते. अगर यह प्रयोग सफल रहा, तो यह लाखों लोगों के लिए एक नई उम्मीद लेकर आएगा, जिससे अंग प्रत्यारोपण की समस्या हल हो सकती है.
Feb 11 2025, 16:59