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2024 के चुनाव पर मार्क जकरबर्ग ने ऐसा क्या कहा नाराज हो गया भारत? संसदीय समिति भेजेगी समन
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* फेसबुक के संस्थापक मार्क जकरबर्ग के बयानों ने उनकी कंपनी मेटा को मुश्किल में डाल दिया है। मामला 2024 के लोकसभा चुनाव पर जकरबर्ग की टिप्पणी से जुड़ा है। मार्क जकरबर्ग ने पिछले साल लोकसभा चुनाव के नतीजों से जुड़ी गलत जानकारी शेयर की। एक 'द जो रोगन एक्सपीरियंस' नामक पॉडकास्ट के दौरान मार्क जुकरबर्ग ने गलत दावा किया कि साल 2024 दुनिया के लिए उथल-पुथल का समय रहा। वहीं, भारत सहित कई देशों में सत्ता पलट गई। मार्क जुकरबर्ग की चुनावों पर की गई टिप्पणी के चलते भारत की संसदीय पैनल ने कंपनी के खिलाफ समन जारी करने का मन बना लिया है। भाजपा सांसद और संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी पर सदन पैनल के अध्यक्ष निशिकांत दुबे ने कहा कि गलत सूचना फैलाने के आधार पर मेटा को समन भेजा जाएगा। निशिकांत दुबे ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, एक लोकतांत्रिक देश के बारे में गलत सूचना उसकी छवि को खराब करती है। संगठन को इस गलती के लिए संसद और यहां के लोगों से माफी मांगनी चाहिए।मेरी समिति इस गलत सूचना के लिए मेटा को बुलाएगी। जवाब के लिए मेटा को कितना समय दिया जाएगा, इस पर दुबे ने कहा, हमारी समिति कल से अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के दौरे पर जाएगी। हमारी समिति 20 जनवरी को यात्रा समाप्त करेगी। हम वहां समिति के सदस्यों से बात करेंगे। हम उन्हें 20 से 24 जनवरी के बीच उपस्थित रहने के लिए कहेंगे। *अश्विनी वैष्णव ने जकबर्ग को दिखाया आईना* इससे पहले केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जकरबर्ग की टिप्पणी का फैक्ट चेक किया और कहा कि भारत के लोगों ने पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाले एनडीए में अपना विश्वास फिर से जताया है। मोदी 3.0 सरकार में रेलवे, सूचना और प्रसारण और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालयों को संभालने वाले वैष्णव ने अपनी एक एक्स पोस्ट में कहा, 'दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में भारत ने 64 करोड़ से अधिक मतदाताओं के साथ 2024 के चुनाव संपन्न कराए। भारत के लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाले एनडीए में अपना विश्वास फिर से जताया। जकरबर्ग का यह दावा कि 2024 के चुनावों में भारत सहित अधिकांश सत्ताधारी सरकारें कोविड के बाद हार गईं, तथ्यात्मक रूप से गलत है।' *जुकरबर्ग ने जो रोगन के इंटरव्यू में ये बयान दिया* मार्क जुकरबर्ग जो रोगन के साथ एक पॉडकास्ट में कोविड-19 महामारी के बाद सरकारों में विश्वास की कमी पर चर्चा कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि 2024 एक बड़ा चुनावी साल था। भारत समेत इन सभी देशों में चुनाव थे। लगभग सभी सत्ताधारी चुनाव हार गए। पूरे साल में किसी न किसी तरह की वैश्विक घटना हुई। चाहे वो मुद्रास्फीति के कारण हो। कोविड से निपटने के लिए आर्थिक नीतियों के कारण या सरकारों द्वारा कोविड से निपटने के तरीके के कारण। ऐसा लगता है कि इसका प्रभाव वैश्विक था। लोगों की नाराजगी और गुस्से ने दुनिया भर में चुनाव परिणामों को प्रभावित किया। सभी सत्तासीन लोग हार गए। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार भी हार गई। *तीसरी बार सत्ता में लौटी बीजेपी* बता दें कि 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में शानदार जीत हासिल करने वाली बीजेपी को 2024 के आम चुनाव में कुछ झटके लगे और वह बहुमत के निशान से नीचे रही। हालांकि, गठबंधन दल के साथियों के साथ बीजेपी ने सत्ता कायम रखी। मोदी 3.0 के साथ, प्रधानमंत्री मोदी जवाहर लाल नेहरू के बाद लगातार तीन बार शीर्ष पद पाने वाले दूसरे भारतीय प्रधानमंत्री बन गए।
कौन हैं भारत के “त्रिकाल”, जिनके आगे पानी मांगेंगे चीन-पाक, आज पीएम मोदी देश को समर्पित*
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भारतीय नौसेना की ताकत और बढ़ने वाली है। भारत के जिसका नाम सुनकर ही कांपने लगेंगे। दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज मुंबई के नेवी डॉकयार्ड में नौसेना के 3 अग्रणी युद्धपोतों आईएनएस सूरत, आईएनएस नीलगिरि और आईएनएस वाघशीर को राष्ट्र को समर्पित करने जा रहे हैं। ये भारत की समुद्री सीमा को अभेद्य बनाएंगे। ये तीन समंदर के सिकंदर जैसे ही सेना के बेड़े में शामिल होंगे, वैसे ही चीन से लेकर पाकिस्तान तक की टेंशन बढ़ जाएगी। पीएम मोदी ने सोमवार को कहा था कि 15 जनवरी 2025 को तीन फ्रंटलाइन नौसैनिक युद्धपोतों के नौसेना में शामिल होने से रक्षा क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्वकर्ता बनने की हमारी कोशिशों को मजबूती मिलेगी और आत्मनिर्भरता की दिशा में हमारा प्रयास बढ़ेगा। जहां आईएनएस सूरत मिसाइलों के लिए काल है तो वहीं आईएनएस वाघशीर दुश्मन के रडार को चकमा देने में माहिर है। जबकि आईएनएस नीलगिरि समंदर में भारत को बढ़त दिला सकता है। *चीन-पाकिस्तान के लिए काल है आएनएस सूरत* अगर आईएनएस सूरत की बात करें तो ये भारतीय नौसेना के प्रोजेक्ट 15बी के तहत बनाया गया चौथा और आखिरी स्टेल्थ गाइडेड-मिसाइल डिस्ट्रॉयर है। ये कई तकनीकों से लैस होने के कारण अपने दुश्मन पर सटीक प्रहार करने की क्षमता रखता है। ये एक तरह के स्टेल्थ फीचर्स और उन्नत रडार सिस्टम से लैस हैं। पाकिस्तान तो दूर चीन भी अपनी रडार पर इसे आसानी से ट्रैक नहीं कर पाएगा। ये सतह-से-सतह और सतह-से-हवा की मिसाइलों से दुश्मन देश की मिसाइलें भी ध्वस्त करने की क्षमता रखता है। टॉरपीडो और बाकी के हथियारों से लैसे ये युद्धपोत चीन और पाकिस्तान जैसे देशों के लिए काल है। माना जा रहा है कि इसे देश के पूर्वी तट पर यानि विशाखापट्टनम में तैनात किया जा सकता है। वहीं, दुश्मन देशों की राडार से बचने के लिए इसे ब्रिज लेआउट और मास्ट डिजाइन में बदला गया है। इसमें रैल लैस वाले हेलिकॉप्टर ट्रेवर्सिंग जैसे आधुनिक सिस्टम भी लगाया गया है, जिससे खराब मौसम में भी हेलिकॉप्टरों को किसी भी तरह का नुकसान न हो और कोई भी दुश्मन देश भारत की ओर आंख न उठा सकें। *दुश्मनों को मात देने के लिए तैयार है नीलगिरि* आईएनएस नीलगिरि आज भारतीय नौसेना में शामिल किया जाएगा। यह प्रोजेक्ट 17ए के तहत बनाया गया स्टेल्थ फ्रिगेट है, जिसे अत्याधुनिक तकनीकों से लैस किया गया है। साल 1996 में रिटायर किए गए पुराने नीलगिरि का ये नया वर्जन अब समुद्री सीमाओं की सुरक्षा और दुश्मनों को करारा जवाब देने के लिए तैयार किया गया है। यह युद्धपोत न केवल भारत की रक्षा क्षमताओं को बढ़ाएगा, बल्कि समुद्री क्षेत्र में चीन और पाकिस्तान जैसे दुश्मनों के लिए बड़ी चुनौती भी साबित होगा। ये स्टेल्थ फ्रिगेट दुश्मनों की रडार पकड़ से बचने में सक्षम है। इसकी डिजाइन भी खास है और डिजाइन से ही रडार सिग्नेचर कम हो जाती है, जिससे इसे ट्रैक करना मुश्किल हो जाता है। समंदर में चीन की बढ़ती गतिविधियों के बीच यह युद्धपोत हिंद महासागर में भारत की उपस्थिति को और मजबूत करेगा। आईएनएस नीलगिरी जैसी तकनीक चीन की सेना के लिए चुनौतीपूर्ण है। पाकिस्तान के मुकाबले भारतीय नौसेना कहीं अधिक सक्षम है और नई पनडुब्बियों और युद्धपोतों के साथ भारत समुद्री सुरक्षा में वैश्विक स्तर पर मजबूती से खड़ा है। आईएनएस नीलगिरी जैसे प्लेटफॉर्म दुश्मनों के हर मंसूबे को नाकाम करने में सक्षम हैं। *वाघशीर दुश्मन के रडार को चकमा देने में माहिर* पी 75 स्कॉर्पीन प्रोजेक्ट की छठी और आखिरी पनडुब्बी आईएनएस वाघशीर पनडुब्बी मैन्युफैक्चरिंग में भारत की बढ़ती ताकत को दिखाती है। इसका निर्माण फ्रांस के नेवी ग्रुप के सहयोग से किया गया है। यह पनडुब्बी दुश्मन के रडार से बचने, इलाके की निगरानी करने, खुफिया जानकारी जुटाने, हाई टेक्नोलॉजी वाली ध्वनि नियंत्रण, कम शोर छोड़ने और जलवायु के अनुसार अपने ढांचे को अनुकूलित करने की क्षमता रखती है। इसमें 18 टारपीडो और ट्यूब-लॉन्च एंटी-शिप मिसाइलों का उपयोग करके एक साथ पानी के नीचे या सतह पर दुश्मन पर सटीक हमला करने की क्षमता है। आईएनएस वाघशीर भारतीय नौसेना की स्कॉर्पीन-क्लास प्रोजेक्ट 75 के तहत निर्मित छठी और आखिरी डीजल-इलेक्ट्रिक सबमरीन है। वाघशीर का नाम हिंद महासागर में पाई जाने वाली सैंड फिश के नाम पर है। यह डीप सी प्रीडेटर के नाम से भी जानी जाती है। आईएनएस वाघशीर की ऊंचाई 40 फीट है। पानी के अंदर इसकी रफ्तार 35kmph है और पानी की सतह पर 20kmph है। यह एंटी टॉरपीडो काउंटरमेजर सिस्टम से भी लैस है। यह सबमरीन एक साथ 18 टॉरपिडो या एंटी शिप मिसाइल लोड कर सकती है और 30 से ज्यादा माइन से लैस है। यह सबमरीन एंटी सर्फेस और एंटी सबमरीन ऑपरेशन को अंजाम देने में माहिर है।
मकर संक्रांति के मौके पर राजधानी पटना करोड़ो रुपये का हुआ कारोबार, लोगों ने दही, तिलकुट आदि की जमकर की खरीददारी*

डेस्क : राजधानी में मकर संक्रांति का पर्व मंगलवार को आस्था और विश्वास के साथ मनाया गया। संक्रांति के मौके पर दही-चूड़ा, गुड़, तिलकुट, तिलवा, भुर्रा आदि का कारोबार गर्म रहा। शहर के मिठाई दुकानों से लेकर सुधा डेयरी बूथों तक पर खरीदारों की भीड़ देखने को मिली। शहर के तिलकुट और सब्जियों की दुकानों पर सुबह से लेकर देर शाम तक खरीदारों की भीड़ देखने को मिली। इस वर्ष सुगर फ्री तिलकुट(500 से 700 रुपये/किग्रा), गुड़ की तिलकुट और खोवा की तिलकुट लोगों के पसंद बनी। मटर छेमी की कीमत 50 रुपये किलो, गोबी 20 रुपये किलो, टमाटर बीस से 30 रुपये किलो, 20 रुपये किलो बैगन की कीमत रही। कारोबारी बताते हैं कि रविवार से ही दूध व दही की खरीदारी में तेजी देखी जा रही थी। पटना डेयरी प्रोजेक्ट के प्रबंध निदेशक ने बताया कि इस वर्ष लक्ष्य के अनुरूप दूध, दही, पनीर और तिलकुट की बिक्री का अनुमान रहा। पटना में दही की बिक्री 9 लाख किलो का लक्ष्य था। मंगलवार दोपहर बाद तक लगभग 8.40 लाख किलो दही की बिक्री हो चुकी थी। बिक्री का अंतिम आंकड़ा आज बुधवार दोपहर तक प्राप्त हो सकेगा। इसी तरह दूध की बिक्री 34 लाख लीटर, तिलकुट 18 हजार किलोग्राम और पनीर की बिक्री 30 हजार किलो होने की उम्मीद है।
दिल्ली चुनाव के बीच “आप” की बढ़ी टेंशन, केजरीवाल-सिसोदिया पर केस चलाने की परमिशन*
#home_ministry_gave_permission_to_prosecute_arvind_kejriwal
दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी की मुश्किलें बढ़ गईं हैं। पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया को लेकर गृह मंत्रालय ने पर केस चलाने की परमिशन दे दी है। शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में ईडी को परमिशन दी गई है।इससे पहले बीते साल नवंबर में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि लोकसेवक के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए प्राधिकरण से मंजूरी लेनी होगी। ईडी ने शराब घोटाले में अरविंद केजरीवाल को मास्टरमाइंड और किंगपिन बताया था। सूत्रों के हवाले से समाचार एजेंसी एएनआई ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को शराब घोटाला मामले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग में कथित संलिप्तता के लिए दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मुकदमा चलाने के लिए अधिकृत किया है।अधिकारियों ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आबकारी नीति से जुड़े धन शोधन मामले में दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मुकदमा चलाने करने के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को मंजूरी दे दी है। दिल्ली शराब केस में सीबीआई ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अरविंद केजरीवाल के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। सीबीआई को पिछले साल अगस्त में इस मामले में जरूरी मंजूरी मिल गई थी। हालांकि, इडी को अब तक मंजूरी नहीं मिली थी। मगर अब खुद गृह मंत्रालय ने एक्शन लेने की इजाजत दे दी है। दिल्ली शराब घोटाला केस में अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी (आप) पर ‘साउथ ग्रुप’ से रिश्वत लेने का आरोप है। यह ग्रुप राष्ट्रीय राजधानी में शराब की बिक्री और वितरण को कंट्रोल करता था। आरोप है कि इस ग्रुप को दिल्ली की आप सरकार की ओर से 2021-22 के लिए बनाई गई आबकारी नीति से फायदा हुआ था। ये खबर ऐसे समय हुआ है, जब पांच फरवरी को दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं।दिल्ली का शराब घोटाला इस चुनाव में काफी चर्चा का विषय बना हुआ है। बीजेपी और कांग्रेस इसी मामले पर आप को घेरने की कोशिश करती है। ऐसे में केस के आदेश मिलने से आप और केजरीवाल दोनों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। इसके साथ ही इसका सीधे तौर पर असर चुनाव में भी देखते को मिल सकता है।
दिल्ली-एनसीआर को घने कोहरे ने घेरा, लो विजिबिलिटी से थमी रफ्तार, ट्रेनों और उड़ानों पर असर
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* देश के अधिकांश हिस्सों में कड़ाके की ठंड पर रही है। पहाड़ों पर बर्फबारी से मैदानी इलाकों में ठिठुरन बढ़ रही है। दिल्ली समेत पूरे एनसीआर में आज सुबह ठंड के साथ घना कोहरा देखने को मिला। साथ ही दो दिन बारिश को लेकर मौसम विभाग ने पहले ही यलो अलर्ट जारी किया है। कोहरे की वजह से सड़क पर गाड़ियों की रफ्तार पर असर देखने को मिला। इसके अलावा ट्रेन और फ्लाइट्स पर भी असर दिख रहा है। दिल्ली-एनसीआर में कड़ाके की ठंड के साथ घने कोहरे ने लोगों के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। कई इलाकों में विजिबिलिटी ना के बराबर है। विजिबिलटी इतनी कम है कि सड़कों पर गाड़ियों के हेडलाइट्स और पार्किंग लाइट्स ही दिखाई दे रहे हैं। इसके साथ ही रेंगती हुई रफ्तार में गाड़ियां चल पा रही हैं। मौसम विभाग के मुताबिक, आज का न्यूनतम तापमान 9 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम तापमान 18 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहने की संभावना है। *हल्की बारिश का आसार* इस बीच मौसम विभाग ने कहा है कि एक ताजा पश्चिमी विक्षोभ 15 और 16 जनवरी को उत्तर-पश्चिम और उससे सटे मध्य भारत में बारिश लाएगा। पूरे सप्ताह उत्तर-पश्चिम भारत में घने कोहरे की स्थिति बनी रहने की उम्मीद है। मौसम विभाग ने राजधानी दिल्ली के लिए कोहरे का ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। इसमें अधिकांश क्षेत्रों में धुंध और घने कोहरे की चेतावनी दी गई है। सुबह के दौरान अलग-अलग स्थानों पर बहुत घना कोहरा रहने की उम्मीद है। मौसम विभाग ने 15 और 16 जनवरी को बारिश का अनुमान लगाया है। 15 जनवरी को सुबह घने कोहरे के बाद दिन में आसमान में बादल छाए रहेंगे और शाम या रात में बहुत हल्की बारिश होने की संभावना है। *दिल्ली आने वाले 26 ट्रेने लेट* मौसम को देखते हुए रेलवे ने कई ट्रेनों को कैंसल कर दिया है। इसमें 14617-18 अमृतसर जनसेवा एक्सप्रेस (2 मार्च तक), 14606-05 ऋषिकेश जम्मू तवी एक्सप्रेस (24 फरवरी तक), 14616-15 अमृतसर लालकुआं एक्सप्रेस (22 मार्च तक), 14524-23 अंबाला हरिहर एक्सप्रेस (27 फरवरी तक), 18103-04 जलियांवाला बाग एक्सप्रेस (28 फरवरी तक), 12210-09 काठगोदाम कानपुर वीक्ली एक्सप्रेस (25 फरवरी तक), 14003-04 मालदा टाउन दिल्ली एक्सप्रेस (1 मार्च तक)। भारतीय रेलवे ने इस बात पर जोर दिया कि ये उपाय दुर्घटनाओं को रोकने और कोहरे के दौरान यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हैं। यात्रियों को सलाह दी जाती है कि वे अपनी यात्रा की योजना बनाने से पहले अपनी ट्रेन की स्थिति ऑनलाइन या नजदीकी रेलवे स्टेशन पर जांच लें।
खालिस्तानी आतंकियों के निशाने पर केजरीवाल, हो सकता है हमला, खुफिया अलर्ट जारी*
#arvind_kejriwal_security_has_been_reviewed_fear_of_attack
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर हमले की आशंका जताई जा रही है।केजरीवाल पर हमले की आशंका में खुफिया एजेंसियों ने बड़ा अलर्ट जारी किया है। एजेंसियों ने दावा किया कि पंजाब के खालिस्तान समर्थक केजरीवाल पर हमला कर सकते हैं। एजेंसियों ने केजरीवाल की सुरक्षा की समीक्षा की है। खुफिया एजेंसियों ने दिल्ली पुलिस को जानकारी दी है। इसके बाद पुलिस अलर्ट मोड पर है। सूत्रों के मुताबिक खुफिया जानकारी में पता चला है कि खालिस्तान समर्थक केजरीवाल की हत्या का प्रयास कर सकते हैं। अलर्ट के अनुसार दो से तीन सदस्य, जिन्हें आखिरी बार पंजाब में देखा गया था, वह हमले का प्रयास कर सकते हैं। इस अलर्ट के बाद उनकी सुरक्षा में और इजाफा हो सकता है। पुलिस इस मामले में जानकार जुटाने में जुट गई है। पिछली सुरक्षा समीक्षा में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को दिल्ली पुलिस से जेड प्लस सुरक्षा मिली थी। उनकी सुरक्षा में लगभग 63 लोग तैनात हैं। उनकी सुरक्षा व्यवस्था में पायलट, एस्कार्ट, क्लोज प्रोटेक्शन टीम, होम गार्ड, स्पाटर के अलावा सर्च-एंड-फ्रिस्किंग स्टाफ शामिल हैं। इस सेटअप में लगभग 47 लोग हैं। इसके अलावा केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के लगभग 15 वर्दीधारी कर्मी हैं। दिल्ली में कब चुनाव? अरविंद केजरीवाल पर हमले की खबर ऐसे वक्त में आई है, जब दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने हैं। दिल्ली में 5 फरवरी को वोटिंग है और नतीजे 8 फरवरी को आएंगे।
तिब्बती बच्चों को अपने माता पिता से अलग कर रहा चीन, ये है ड्रैगन का खतरनाक प्लान

#china_erasing_tibetan_culture_by_systematically

चीन जबरन तिब्बत कर कब्जा जमाना चाहता है। इसके लिए चीन खतरनाक चालें चल रहा है। चीन ने अपने इस मकसद के लिए तिब्बती बच्चों को “हथियार” बनाया है। चीन ने तिब्‍बत की संस्‍कृति को कमजोर करने और वहां चीनी संस्‍कृति फैलाने के लिए बच्‍चों को जरिया बनाया है। चीन बच्‍चों के जरिए तिब्‍बत की संस्‍कृति उसकी आत्‍मा को खत्‍म करने की फिराक में है। इसलिए वह जबरन तिब्‍बती बच्‍चों को बोर्डिंग स्‍कूल में भेज रहा है।

संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों और तिब्बती कार्यकर्ताओं ने चीन पर यह आरोप लगाया है। चीन का मकसद तिब्बत पर अपना नियंत्रण और मजबूत करना है। इसके लिए वह तिब्बती बच्चों को उनकी भाषा के बजाय खासतौर पर बनाए गए बॉर्डिंग स्कूलों में चीनी भाषा पढ़ा रहा है। तिब्बत के छह साल से ज्यादा उम्र के तीन-चौथाई तिब्बती छात्र इन स्कूलों में जा रहे हैं, जहां चीनी भाषा में पढ़ाई होती है। चीन ने तिब्बत में बड़ी संख्या में ये स्कूल और छात्रावास बनाएं हैं, जिनमें फ्री दाखिला मिलता है।

न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, तिब्बत में बने इन बॉर्डिंग स्कूलों में तिब्बती भाषा, संस्कृति और बौद्ध धर्म की जगह चीनी भाषा और संस्कृति को बढ़ावा दिया जाता है। वहीं, चीनी अधिकारी कहते हैं कि ये स्कूल तिब्बती बच्चों को चीनी भाषा और आधुनिक अर्थव्यवस्था के लिए जरूरी कौशल सीखने में मदद करते हैं। उनका कहना है कि परिवार अपनी मर्जी से बच्चों को इन मुफ्त स्कूलों में भेजते हैं। चीन इन स्कूलों का विस्तार कर रहा है। चीन यह दिखाना चाहता है कि खुश और स्वस्थ तिब्बती बच्चे गर्व से खुद को चीनी बता रहे हैं।

न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक चीनी अधिकारी तिब्बती बच्चों को इन आवासीय स्कूलों में भेजने के लिए दबाव बनाते हैं। इसमें माता-पिता के पास अपने बच्चों को स्कूल भेजने के अलावा कोई चारा नहीं होता। कई माता-पिता अपने बच्चों से लंबे समय तक नहीं मिल पाते।

वहीं, चीन के दावे के उलट कई शोध पत्रों और रिपोर्टों में तिब्बती बच्चों पर इन स्कूलों के बुरे मनोवैज्ञानिक प्रभावों के बारे में चेतावनी दी गई है। इनमें बच्चों में चिंता, अकेलापन, अवसाद और दूसरी मानसिक परेशानियां शामिल हैं।

तिब्बत एक्शन इंस्टीट्यूट का अनुमान है कि 6 से 18 साल की उम्र के करीब 8 लाख तिब्‍बती बच्‍चे चीन के स्‍कूलों में पढ़ रहे हैं। यानी कि हर 4 में से 3 बच्‍चे चीन के अप्रत्‍यक्ष नियंत्रण में है, जिन्‍हें वह तिब्‍बती संस्‍कृति को मिटाने के लिए हथियार के तौर पर इस्‍तेमाल कर रहा है।

ट्रूडो के पूर्व सहयोगी की डोनाल्ड ट्रंप को चेतावनी, कहा- हमारा देश बिकाऊ नहीं

#ndp_leader_jagmeet_singh_s_warning_to_trump

अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कनाडा को अमेरिका में मिलाने की धमकी दी है। उनका कहना है कि वे इसे अमेरिका का 51वां राज्य घोषित करेंगे। वहीं अब इसके जवाब में कनाडाई सांसद और जस्टिन ट्रूडो के पूर्व सहयोगी जगमीत सिंह ने ट्रंप को चेतावनी दी डाली है। जगमीत सिंह ने एक्स पर एक वीडियो में शेयर किया है। वीडियो में जगमीत सिंह ने कहा, मेरे पास डोनाल्ड ट्रंप के लिए एक संदेश है कि हमारा देश बिकाऊ नहीं है।

न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (एनडीपी) के नेता और कनाडा के निवर्तमान प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के पूर्व सहयोगी जगमीत सिंह ने अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बार-बार कनाडा के टैरिफ में बढ़ोत्तरी और अमेरिका में कनाडा के विलय के प्रस्ताव को लेकर चेतावनी दी है। जगमीत सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक वीडियो पोस्ट किया। वीडियो में जगमीत सिंह ने कहा, मेरे पास डोनाल्ड ट्रंप के लिए एक संदेश है कि हमारा देश बिकाऊ नहीं है। न अभी और न ही भविष्य में। उन्होंने आगे कहा, कनाडा के लोग अपनी देश की संप्रभुता की रक्षा के लिए जान की बाजी लगाने को तैयार हैं।

जगमीत सिंह ने कहा, मैं पूरे देश में रहा हूं और मैं कह सकता हूं कि कनाडा के लोग कनाडाई होने पर गर्व करते हैं। हमें अपने देश पर गर्व है और हम इसकी संप्रभुता की रक्षा के लिए जान की बाजी भी लगाने को तैयार हैं। उन्होंने आगे कहा, “अभी जब अमेरिका के जंगलों में भयानक आग लगी है। हजारों घर जलकर राख चुके हैं, तो कनाडा के अग्निशामक अमेरिका की मदद के लिए सामने आए हैं। यह दिखाता है कि हम कौन है और अपने पड़ोसियों का हम कैसे समर्थन करते हैं।

जगमीत सिंह ने कहा कि अगर अमेरिका कनाडा पर टैरिफ लगाता है हम जवाबी कार्रवाई करेंगे। अगर डोनाल्ड ट्रंप सोचते हैं कि आप हमसे लड़ाई कर सकते हैं, तो इसकी कीमत चुकानी होगी। अगर डोनाल्ड ट्रंप हम पर टैरिफ लगाते हैं, तो हमें भी उसी तरह जवाबी टैरिफ लगाना चाहिए।

बता दें कि अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कनाडा को अमेरिका का 51वां स्टेट बनाने का मन बना चुके हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पर दो नक्शे साझा किए। एक नक्शे में उन्होंने कनाडा को अमेरिका में दिखाया, दूसरे में उन्होंने कनाडा को लेकर अपने इरादे जाहिर किए। ट्रंप ने कहा था कि वह कनाडा को अमेरिका का हिस्सा बनाने के लिए आर्थिक प्रतिबंध लगाएंगे। सेना के इस्तेमाल पर ट्रंप ने कहा सैन्य बल की जरूरत नहीं, हम कनाडा पर आर्थिक प्रतिबंध लगाएंगे।

अमेरिका को बर्दाश्त नहीं भारत-रूस की दोस्ती, जाते-जाते बाइडेन ने चलाया ऐसा चाबुक, बढ़ेगी टेंशन

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अमेरिका रूस के खिलाफ यूक्रेन युद्ध की वजह से नए प्रतिबंधों का ऐलान किया। यूएस डिपार्टमेंट ऑफ स्टेट के मुताबिक अमेरिका ने रूस की 200 से ज्यादा कंपनियों और व्यक्तियों के साथ 180 से ज्यादा शिप्स पर बैन लगा दिया। इसके अलावा दो भारतीय कंपनी स्काईहार्ट मैनेजमेंट सर्विसेज और एविजन मैनेजमेंट सर्विसेज भी बैन लगाया गया है।

रूस और यूक्रेन का युद्ध रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है। ऐसे में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने रूस पर अब तक के सबसे कड़े प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है। उनका उद्देश्य यह है कि रूस को मिल रहा राजस्व कम किया जाए, जिससे यूक्रेन से युद्ध में वह इसका इस्तेमाल न कर सके। इसीलिए उसने 200 से अधिक रूसी संस्थानों और लोगों पर बैन लगाए गए हैं। इनमें बीमा कंपनियां, व्यापारी और तेल टैंकर आदि शामिल हैं।

अमेरिकी ने रूस की तेल उत्पादक कंपनियों और तेल ले जाने वाले जहाजों पर प्रतिबंध लगाया है। अमेरिका ने आरोप लगाया कि रूस, भारत और चीन जैसे देशों को सस्ता क्रूड ऑयल बेचकर यूक्रेन के साथ युद्ध की फंडिंग कर रहा है। इसी खीज में अमेरिका ने रूसी तेल उत्पादकों के साथ-साथ रूसी तेल ले जाने वाले 183 जहाजों पर प्रतिबंध लगा दिया। इस बैन की वजह से क्रूड ऑयल की सप्लाई में परेशानी आने लगी है।

क्रूड ऑयल की कीमतों में आई तेजी

अमेरिकी प्रतिबंधों के चलते क्रूड ऑयल की कीमतों में तेजी आ गई है, क्रूड ऑयल की कीमतें 3% तक का बढ़ गई। कच्चे तेल की कीमत अंतरराष्ट्रीय मार्केट में कच्चे तेल की कीमत 80 डॉलर प्रति बैरल को पार हो गई। अमेरिकी प्रतिबंधों के चलते भारत और चीन को रूस से ऑयल इंपोर्ट करने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। जिसके चलते सोमवार को ब्रेंट क्रूड का भाव 1.83 प्रतिशत चढ़कर 81.22 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। इस तेजी के साथ की कच्चे तेल की कीमत चार महीने के हाई पर पहुंच गई है।

रूस ने की प्रतिबंधों की आलोचना

रूस के विदेश मंत्रालय ने अमेरिका के इन प्रतिबंधों की आलोचना की है। रूस ने कहा कि यह अमेरिका की रूसी अर्थव्‍यवस्‍था को नुकसान पहुंचाने की चाल है। उसने कहा कि अमेरिका के इस कदम से वैश्विक बाजार में खतरा बढ़ेगा। रूस ने कहा कि वह बड़े तेल और गैस प्राजेक्‍ट पर काम करना जारी रखेगा। अमेरिका ने जो नए प्रतिबंध लगाए हैं, उससे 143 टैंकर प्रभावित होंगे जो 53 करोड़ बैरल रूसी तेल पिछले साल लेकर गए थे।

भारत पर भी होगा असर

रूसी तेल सप्लाई में आने वाली दिक्कतों के बीच आने वाले दिनों में भारत को ऊंचे दामों पर खाड़ी के देशों से कच्चा तेल खरीदना पड़ सकता है। अगर ऐसा ही रहा तो भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में तेजी आ सकती है। कच्चे तेल की कीमतों में ये तेजी जारी रही तो आपको महंगाई का झटका झेलना पड़ सकता है। यानी आने वाले दिनों में आपको महंगे तेल की कीमतों से दो-चार होना पड़ सकता है। पेट्रोल-डीजल की कीमत बढ़ने का सीधा असर सप्लाई चेन पर होगा। खाने-पीने से लेकर हर चीज महंगी होने लगेगी।

शेयर बाजार में गिरावट: सेंसेक्स में 1,000 से अधिक अंकों की गिरावट के 5 कारण

सोमवार को दलाल स्ट्रीट पर भारी उथल-पुथल रही, क्योंकि बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का बेंचमार्क इंडेक्स सेंसेक्स 1,048.90 अंकों की गिरावट के साथ 76,330 पर बंद हुआ। निफ्टी 345.55 अंकों की गिरावट के साथ 23,085.95 पर बंद हुआ। शुक्रवार को सेंसेक्स 241.30 अंकों या 0.31 प्रतिशत की गिरावट के साथ 77,378.91 पर बंद हुआ था। टीसीएस, इंडसइंड बैंक, एक्सिस बैंक और हिंदुस्तान यूनिलीवर शीर्ष प्रदर्शन करने वाले शेयरों के रूप में उभरे। नुकसान उठाने वालों में अडानी एंटरप्राइजेज, ट्रेंट, बीपीसीएल, बीईएल और पावर ग्रिड ने भारी नुकसान दर्ज किया।

शेयर बाजार में गिरावट के 5 कारण इस प्रकार हैं:-

1. एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, शेयर बाजार में तेज गिरावट के लिए "प्रतिकूल" वैश्विक संकेतों को जिम्मेदार ठहराया गया। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने एएनआई को बताया कि वैश्विक बाजारों में भारी बिकवाली देखी गई, जिसके परिणामस्वरूप घरेलू बाजारों में भी इसी तरह की प्रतिक्रिया देखने को मिली, क्योंकि मजबूत अमेरिकी पेरोल डेटा ने 2025 में कम ब्याज दरों में कटौती का सुझाव दिया है। "इससे डॉलर मजबूत हुआ है, बॉन्ड यील्ड बढ़ी है और उभरते बाजार कम आकर्षक हो गए हैं। हाल ही में जीडीपी में गिरावट और उच्च मूल्यांकन के बीच आय में कमी ने बाजार की धारणा को भारी नुकसान पहुंचाया है," उन्होंने एएनआई को बताया।

2. एक्सचेंज के आंकड़ों के अनुसार एफआईआई ने ₹2,254.68 करोड़ मूल्य के शेयर बेचे। मेहता इक्विटीज लिमिटेड के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (शोध) प्रशांत तापसे ने पीटीआई को बताया, "रूस के तेल निर्यात पर अमेरिका द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने से रुपया डॉलर के मुकाबले नए निचले स्तर पर पहुंच गया, जिससे घरेलू इक्विटी बाजारों में भारी गिरावट आई, क्योंकि विदेशी निवेशक स्थानीय शेयर बाजार से दूर होते जा रहे हैं। सभी क्षेत्रों में व्यापक बिकवाली के साथ-साथ मिड और स्मॉलकैप शेयरों में भारी निकासी ने धारणा को और खराब कर दिया।"

3. सोमवार को रुपये में लगभग दो वर्षों में सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई और सत्र का अंत अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 58 पैसे की गिरावट के साथ 86.62 (अनंतिम) के ऐतिहासिक निचले स्तर पर हुआ। विश्लेषकों के अनुसार, भारतीय रिजर्व बैंक ने घटते विदेशी मुद्रा भंडार और उभरते बाजारों की मुद्राओं में गिरावट के बीच अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये की विनिमय दर में गिरावट की अनुमति दी है। फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स एलएलपी के ट्रेजरी प्रमुख और कार्यकारी निदेशक अनिल कुमार भंसाली ने पीटीआई को बताया, "आरबीआई कमजोरी की अनुमति देगा क्योंकि मांग बढ़ती जा रही है और आपूर्ति कम होती जा रही है।"

4. ब्रेंट क्रूड की कीमत 80 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर बढ़कर चार महीने से अधिक समय में अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गई, जिसकी वजह रूसी तेल पर व्यापक अमेरिकी प्रतिबंध और शीर्ष खरीदारों भारत और चीन को निर्यात पर अपेक्षित प्रभाव है। तापसे ने पीटीआई को बताया, "कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें घरेलू मुद्रास्फीति में उछाल की चिंताएं बढ़ाएंगी, जिससे निकट से मध्यम अवधि में आरबीआई की ओर से दरों में कटौती की उम्मीदों में और देरी हो सकती है।"

5. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को केंद्रीय बजट 2025 पेश करेंगी। "पिछले साल एक लोकलुभावन बजट के बाद, हम इस साल बहुत भारी प्री-बजट रैली की उम्मीद नहीं करते हैं। चूंकि पिछला बजट पिछले साल हुए आम चुनावों में भाजपा के तीसरी बार सत्ता में आने के बाद एक लोकलुभावन बजट था, इसलिए हम उम्मीद करते हैं कि केंद्रीय बजट 2025 इस साल खपत के रुझान के निम्न स्तर, विशेष रूप से ग्रामीण मांग को देखते हुए, मध्यम वर्ग के लिए तुलनात्मक रूप से थोड़ी राहत लाएगा।