झारखंड : 30 में मात्र 16 सीट पर जीत को लेकर कांग्रेस का मंथन,क्या रही रणनीतिक चूक जानने के लिए पढ़िए पूरी खबर...?
झारखंड में हाल हीं में हुई विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 30 सीट पर चुनाव लड़ी लेकिन मात्र 16 सीट हीं जीत पाए. हालांकि इस रिजल्ट को संतोष जनक इसलिए कहा गया सरकार अच्छी बहुमत के साथ पुनः सत्ता में आयी, परन्तु इस जीत से कांग्रेस का प्रदर्शन भले ही संतोषजनक रहा हो, लेकिन पार्टी की उच्चस्तरीय समीक्षा का निष्कर्ष है कि इससे बेहतर स्थिति हो सकती थी। दल की रणनीतिक चूक और भितरघात कई सीटों पर हार का कारण बनी। स्थानीय संगठन और प्रत्याशियों के साथ बेहतर तालमेल नहीं रहना भी इसकी एक वजह रहा।
कई सीटों पर दल के नेताओं ने अपने प्रत्याशियों के विरुद्ध भितरघात किया। ऐसे नेताओं ने पार्टी प्रत्याशियों का बेड़ा गर्क करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। दल ने ऐसे नेताओं को चिन्हित भी किया है और इनके विरुद्ध कार्रवाई के भी संकेत दिए गए हैं।
सभी स्थानों से समीक्षा रिपोर्ट आने के बाद एक समेकित रिपोर्ट तैयार की जाएगी, जिसे कांग्रेस आलाकमान को प्रेषित किया जाएगा। संभावना है कि समेकित रिपोर्ट दिए जाने के बाद भितरघात करने वाले नेताओं पर गाज गिर सकती है।
इन सीटों पर हुई रणनीतिक चूक
जरमुंडी विधानसभा क्षेत्र:- जरमुंडी विधानसभा क्षेत्र से पूर्व मंत्री बादल पार्टी के प्रत्याशी थे। यहां वे मजबूती से चुनाव लड़े, लेकिन पूर्व मंत्री हरिनारायण राय की भाजपा से करीबी उनकी हार का कारण बन गई। भाजपा की रणनीति के आगे वे टिक नहीं पाए। लंबे समय तक मंत्री पद पर रहने के दौरान उनके खिलाफ बना माहौल भी हार की एक वजह बना। हालांकि, चुनाव से पहले उन्हें मंत्री पद से हटा दिया गया था।
जमशेदपुर पश्चिम सीट:- जमशेदपुर पश्चिम सीट पर तत्कालीन मंत्री बन्ना गुप्ता प्रचार युद्ध में टिक नहीं पाए। उनके विरुद्ध एक वायरल वीडियो का समय रहते मजबूती से जवाब नहीं दिया जा सका। बन्ना गुप्ता ने भी स्वयं इस कमजोरी को इंगित किया था। उन्हें जदयू के सरयू राय ने पराजित करने में कामयाबी पाई।
संगठनात्मक तालमेल में कमी और समन्वय का अभाव
कांग्रेस को सिटिंग सीट झरिया में भी हार का सामना करना पड़ा। इसकी वजह स्थानीय इकाई के असहयोग को बताया जा रहा है। कुछ ऐसी ही स्थिति धनबाद में रही, जहां आपसी तालमेल और समन्वय का अभाव दिखा। यहां नया चेहरा होने को भी एक कारण बताया गया।
जमशेदपुर पूर्वी सीट से तेजतर्रार नेता डॉ. अजय कुमार प्रत्याशी थे। उनके समर्थन में स्थानीय इकाई ने अपेक्षित सहयोग नहीं किया। कई नेता भितरघात में लगे रहे। पार्टी के निष्कर्ष में यह भी सलाह दी गई है कि इन कमियों को सुधार कर पार्टी भविष्य में बेहतर प्रदर्शन कर सकती है।
30 सीटों पर लड़े, 16 पर जीत
कांग्रेस को गठबंधन के तहत सीट बंटवारे में कुल 30 सीटों पर चुनाव लड़ने का मौका मिला था। इसमें से 16 सीटों पर पार्टी ने जीत हासिल की।
यह भी एक संयोग है कि वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में भी पार्टी को इतनी ही सीटों पर जीत मिली थी।
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक रणनीतिक मोर्चे पर बेहतर तरीके से काम होने के साथ-साथ बेहतर तालमेल होता तो पार्टी की सीटें और बढ़ सकती थी।
बहरहाल कांग्रेस आलाकमान को समेकित रिपोर्ट भेजे जाने के बाद मिले दिशा-निर्देश के अनुसार जिम्मेदार नेताओं के विरुद्ध कार्रवाई होगी।
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