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गुजरात: सूरत में फर्जी डॉक्टरों का बड़ा रैकेट, 14 गिरफ्तार, 1500 से ज्यादा फर्जी डिग्रियां बेचीं

गुजरात पुलिस ने सूरत में बड़ी कार्रवाई करते हुए 14 फर्जी डॉक्टरों को गिरफ्तार किया है, जो पैसे लेकर 8वीं पास लोगों को मेडिकल की डिग्री दे रहे थे. यह गिरोह 8वीं और 12वीं पास करने वालों को 60,000 से 80,000 रुपये में फर्जी डॉक्टरों को डिग्री बेच रहा था. गिरोह का मुख्य आरोपी का नाम रमेश है. पुलिस ने बताया कि यह गिरोह बहुत चालाकी से काम कर रहा है.

पुलिस अधिकारी ने बताया कि ये गिरोह ”बोर्ड ऑफ इलेक्ट्रो होम्योपैथिक मेडिसिन (बीईएचएम) गुजरात के नाम पर फर्जी डिग्री जारी कर रहा था. जांच के दौरान पुलिस को सैकड़ों फर्जी प्रमाणपत्र मिले हैं. पुलिस ने फर्जी डिग्री रैकेट चलाए जाने की सूचना के आधार पर सूरत शहर के कई इलाकों में छापेमारी की थी.

1,500 से अधिक फर्जी डिग्रियां की गई हैं जारी

पुलिस ने इस कार्रवाई के तहत पांडेसरा तुलसी धाम सोसाइटी में कविता क्लिनिक,ईश्वर नगर सोसाइटी में श्रेयान क्लिनिक,रणछोड़ नगर में प्रिंस क्लीनिक पर छापेमारी की थी. इस दौरान घटनास्थल पर मौजूद दस्तावेजों से पता चला कि पिछले कुछ वर्षों में 1,500 से अधिक फर्जी डिग्रियां जारी की गई. जांच में पुलिस को रजिस्ट्रेशन फॉर्म,डॉक्टर के रजिस्ट्रेशन का रजिस्टर, मार्कशीट,BEMS की डिग्री का एप्लीकेशन फॉर्म,आईडी कार्ड,सर्टिफिकेट साथ कोरे सर्टिफिकेट 5,सर्टिफिकेट की जेरोक्स 15,रिन्यूअल फॉर्म 8 बरामद हुए थे.

फर्जी डिग्रियां देने के लिए बोर्ड किया था गठित

पुलिस ने बताया कि इस घोटाले से कई लोगों ने फर्जी डिग्रियां खरीदीं और अपना क्लीनिक चलाया. पुलिस को सूचना मिली कि फर्जी मेडिकल डिग्री वाले तीन लोग एलोपैथी की प्रैक्टिस कर रहे हैं. मुख्य आरोपी ने फर्जी डिग्रियां देने के लिए एक बोर्ड गठित करने की योजना बनाई थी. उन्होंने पांच लोगों को नियुक्त किया था. गिरोह 70 हजार रुपये में लोगों को ट्रेनिंग देता था. सभी फीस जमा करने के 15 दिन के अंदर ग्रेजुएशन दे दिया जाता था. पुलिस ने बताया कि दोनों आरोपी शोभित और इरफान पैसों की धोखाधड़ी में शामिल थे.

उत्तर प्रदेश के बस्ती में दो भाइयों ने मां-बेटी को जिंदा जलाया, जमीन के विवाद में हुई हत्या

उत्तर प्रदेश के बस्ती में दो भाइयों ने ताया के साथ मिलकर दो बीघा जमीन की खातिर अपनी ही मां और बहन को जिंदा जला डाला. घटना बुधवार की है. मां-बेटी का शव मिलने से इलाके में हड़कंप मच गया. सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची. फिर दोनों शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया. डबल मर्डर की खौफनाक वारदात को अंजाम देने के बाद से ही दोनों भाई फरार हैं. पुलिस दोनों की तलाश में जुट गई है.

घटना कप्तानगंज थाना क्षेत्र के सेठा गांव की है. यहां रहने वीला गोदावरी नाम की महिला के पति अवधेश की कुछ साल पहले मौत हो गई थी. गोदावरी अपनी बेटी सौम्या के साथ गांव में रह रही थी. अवधेश ने मरने से पहले सेठा गांव की जमीन गोदावरी और सौम्या के नाम कर दी थी. इसी बात को लेकर गेदावरी का जेठ कौशल, सगा बेटा कमलेश और सौतेला बेटा करुणाकर रंजिश रखते थे.

परेशान करते थे दोनों बेटे

अवधेश की मौत के बाद दोनों बेटों कमलेश और करुणाकर ने जमीन अपने नाम करने के लिए मां-बेटी पर दबाव डाला. इसके बाद गोदावरी से पुलिस से शिकायत की तो जमीनी विवाद का मुकदमा दर्ज हुआ. इसकी सुनवाई चल रही थी. 5 दिसंबर को मुकदमे में मां और बेटी की गवाही होनी थी. 4 दिसंबर को ही मां-बेटी की हत्या कर दी गई.

पोस्टमार्टम के लिए भेजे शव

गोदावरी की बड़ी बेटी सरिता ने बहन सौम्या को फोन किया. लेकिन उसने फोन नहीं उठाया. सरिता ने फिर पड़ोस की लड़की को फोन कर कहा कि सौम्या से कहो मुझसे बात करे. पड़ोस की लड़की जब घर गई तो मां-बेटी के शव देखकर हैरान रह गई. उसकी चीख निकल पड़ी. लड़की की चीख सुन गांव के अन्य लोग भी वहां आ गए. इसके बाद पुलिस को सूचना दी गई. पुलिस ने दोनों शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है.

जेठ और दोनों बेटे फरार

पुलिस के मुताबिक, शुरुआती जांच में पता चला है कि जमीन के लिए मां-बेटी की हत्या की गई है. हत्या में परिवार के लोग ही शामिल बताए जा रहे हैं. पुलिस सभी बिंदुओं पर छानबीन में जुटी हुई है. घटना के बाद से मृतका के जेठ कौशल, दोनों बेटे कमलेश और करुणाकर फरार हैं. पुलिस इनकी तलाश में जुट गई है. फोरेंसिक टीम मामले की जांच कर रही है. मुकदमा दर्ज कर आगे कार्रवाई की जा रही है.

आदिवासियों की 'मांझी सेना' की अनसुनी कहानी: अंग्रेजों के खिलाफ लड़ी थी यह सेना

छत्तीसगढ़ के बालोद जिले के वनांचल मे स्थित ग्राम बघमार मे इन दिनो मांझी सरकार के सिपाहियों का जमावाड़ा है. हर साल 5 दिसंबर को देश के विभिन्न हिस्सों से यहां हजारों की तादाद में सिपाही अपने मांझी सरकार के संस्थापक स्व. हीरा सिंह देव उर्फ कंगला मांझी श्रद्धांजलि देने पहुंचते हैं. कंगला मांझी की इस बार 40वीं पुण्यतिथि है. मांझी सरकार ने ही अंग्रेजो की नाक में दम कर दिया था और नेता जी सुभाष चंद्र बोस के आजाद हिन्द फौज से काफी प्रेरित हुए थे.

पारम्परिक पूजा के साथ 8 दिसंबर तक चलने वाले इस तीन दिवसीय आयोजन की गुरुवार को शुरुआत हुई. कंगला मांझी के द्वारा गठित इस मांझी सरकार को श्री मांझी अंतर्राष्ट्रीय समाजवाद आदिवासी किसान सैनिक भी कहा जाता है. आजादी के पूर्व स्व.हीरा सिंह उर्फ कंगला मांझी के द्वारा गठित मांझी सरकार का अस्तित्व आज भी कायम है. इनका प्रमुख कार्यालय नई दिल्ली मे है, लेकिन इस सरकार का संचालन बालोद जिला के ग्राम बधमार स्थित जंगल यानी कि इसी स्थान से होता था.

चप्पे चप्पे पर नजर आ रहे हैं सिपाही

जिले के डौंडीलोहारा ब्लॉक में घने जंगलो के बीच स्थित ग्राम बघमार मांझी धाम के नाम से जाना जाता है. इन दिनो इस जगह चप्पे चप्पे पर खाकी वर्दी मे सिपाही नजर आ रहे हैं, ये सभी महिला पुरुष सिपाही मांझी सरकार के सैनिक हैं. छत्तीसगढ़ के साथ साथ देश के विभिन्न हिस्सो मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, बिहार, मद्रास से आए इन सिपाहियों के लिए यह स्थान बेहद मायने रखता है. मांझी संस्था के संस्थापक स्व. हीरासिंह देव उर्फ कंगला मांझी का निवास स्थान है और यहीं उनकी समाधि भी है. हर साल इस जगह 5 दिसंबर को अपने सरकार के संस्थापक स्व. हीरासिंह देव उर्फ कंगला मांझी को श्रद्धांजलि देने यहां सिपाही पहुंचते हैं.

तीन दिनों तक चलेगा

गुरुवार की दोपहर पारम्परिक पूजा के साथ इस आयोजन का शुरुआत हुआ, जो कि लगातार तीन दिनों तक चलेगा. आयोजन में स्व. हीरा सिंह देव की धर्म पत्नी फूलवा देवी, उनका पुत्र कुंभ देव कांगे और उनका पूरा परिवार उपस्थित हुआ. इस मौके पर मांझी सरकार के सिपाहियों ने उनकी समाधि पर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके बताए मार्ग में चलने संल्कपित हुए. संस्था के संस्थापक स्व. हीरा सिंह देव उर्फ कंगला मांझी के निधन के बाद अब इस सरकार का बागड़ोर उनकी धर्मपत्नी फुलवा देवी संभाली हुई है.

जीवन में आगे बढ़ने की देती हैं सीख

फुलवा देवी इस संस्था के माध्यम व मांझी के बताये मार्गों का अनुशरण करते हुए सैनिको को जीवन मे आगे बढ़ने की सीख देती हुई सैनिको सक्षम बनाना चाहती हैं. मांझी सरकार के इन सिपाहियों में अपनी सरकार के प्रति अटूट आस्था है. इन सैनिकों में महिलाएं भी शामिल है. सभी में अपनी सरकार के प्रति गजब का समर्पण है. इनके दिलो में कंगला मांझी के लिये अपार श्रद्धा है. क्रांतिवीर कंगला मांझी का स्वतंत्रता संग्राम के योगदान में प्रमुख योगदान रहा है. उनका जन्म कांकेर जिले के ग्राम तेलावट में हुआ था. वे 1913 में स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ चुके थे इसके पश्चात् 1914 में महात्मा गांधी से मुलाकात करने के पश्चात् उन्होंने राष्ट्रीय आंदोलनों में प्रमुख भूमिका निभाई है.

पश्चिम बंगाल में उद्योगों के पलायन का बड़ा खुलासा: ममता सरकार में 2200 से ज्यादा कंपनियों ने छोड़ा बंगाल, रैंकिंग में इतने नंबर पर पहुंचा

पश्चिम बंगाल से पिछले 5 सालों में 2200 से ज्यादा कंपनियों ने अपना व्यापार समेट लिया है, जिसमें 39 लिस्टेड कंपनियां थीं. राज्यसभा में बीजेपी सांसद समिक भट्टाचार्य के सवाल के जवाब में ये जानकारी सामने आई है. इसके बाद से ही ममता बनर्जी और उनकी सरकार पर कई तरह के सवाल उठाए जा रहे हैं.

राज्यसभा में बीजेपी सांसद समिक भट्टाचार्य के सवाल के जवाब में कॉरपोरेट मामलों के राज्य मंत्री हर्ष मल्होत्रा ने बताया कि, पिछले 5 सालों में बंगाल से 2227 कंपनियों ने बंगाल छोड़ दिया है. इसके अलावा इन कंपनियों ने अपना रजिस्टर्ड मेन ऑफिस भी चेंज कर लिया है.

दूसरे से सीधे आठवे नंबर पर खिसका बंगाल

राज्य मंत्री हर्ष मल्होत्रा ने बताया कि कंपनियों के बंगाल छोड़ने के पीछे के कई कारण है, जिन कंपनियों ने बंगाल छोड़ा वे लगभग हर सेक्टर की थीं. इनमें मैनुफैक्चरिंग, फाइनेंस, कमिशन एजेंसी से जुड़ी कंपनियां शामिल हैं. 1970 के दशक में रजिस्टर्ड कंपनियों के मामले में पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र के बाद दूसरे नंबर पर था. लेकिन 2021 में बंगाल आठवें नंबर पर आ गया है.

ममता सरकार ने कंपनियों को जाने से रोकने के लिए कोई काम नहीं किया है. कंपनियों को राज्य में काम करने और सुरक्षित वर्क एनवायरनमेंट देने के लिए कोइ कदम नहीं उठाए. जिसका खामियाजा है कि कंपनियां धीरे-धीरे अपना व्यापार समेट रही हैं.

बीजेपी ने उठाए सवाल

बीजेपी के राष्ट्रीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग और बंगाल के सह- प्रभारी अमित मालवीय ने ममता सरकार पर हमला बोला है, उन्होंने आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि बंगाल में कॉरपोरेट सेक्टर के जाने का रिपोर्ट कार्ड सबके सामने है. यह एक मुख्यमंत्री के रूप में बड़ा फेलियर है.

उन्होंने कहा कि यह गंभीर और चिंताजनक स्थिति है, जिससे प्रदेश में नौकरियों, व्यापार और औद्योगिक विकास भारी कमी हुई है. उन्होंने कहा कि हम लगातार कह रहे हैं कि ममता सरकार उद्योग विरोधी है, ये मैं नहीं बल्कि राज्यसभा में सामने आए आंकड़े बता रहे हैं.

बंगाल की गलत तस्वीर दिखाई- टीएमसी

टीएमसी के राज्यसभा सांसद साकेत गोखले ने कहा कि यह सवाल ही पूर्वाग्रह से भरा हुआ है. बीजेेेपी की कोशिश रही है कि वह बंगाल की गलत तस्वीर दिखाई जाए. उन्होंने हमेशा से यही किया है. ऐसा करने में उनको खुशी मिलती है. गोखले ने कहा कि भाजपा ने यह सवाल नहीं पूछा कि बीते पांच सालों ने इस राज्य में कितनी नई कंपनियों ने रजिस्ट्रेशन करवाया. गोखले ने कहा कि अगर वे पूरी सच्चाई जानना चाहते हैं, तो उन्हें ये भी पूछना चाहिए कि इस दौरान कितने नए रजिस्ट्रेशन हुए.

देवेंद्र फडणवीस की जीत में दिखा टेक्नोलॉजी का दम, सोशल मीडिया ने निभाई अहम भूमिका

मेरा पानी उतरता देख, मेरे किनारे पर घर मत बसा लेना. मैं समंदर हूं, लौटकर वापस आऊंगा. ये शायरी बोलने वाला शख्स अब फिर से लौटकर सीएम आवास आ चुका है. उन्होंने जब ये लाइन विधानसभा भवन में बोली थी तब खूब ठहाके लगाए गए थे लेकिन आज वह व्यक्ति तीसरी बार महाराष्ट्र का सीएम बना है. हम आज बात महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की कर रहे हैं. आज मुंबई के आजाद मैदान में उनके साथ डिप्टी सीएम के तौर पर अजित पवार और एकनाथ शिंदे ने भी शपथ ली है. चलिए अब थोड़ा डिटेल में समझते हैं.

इस बार महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनने में देवेंद्र फडणवीस की सबसे ज्यादा मदद किसी ने की तो वो टेक्नोलॉजी और सोशल मीडिया थी. इनकी बदौलत देवेंद्र फडणवीस की महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनने की राह आसान होती चली गई. इसके कुछ आंकड़े हैं, जिनके बारे में हम आपको आगे बता रहे हैं.

सोशल मीडिया पर उनके लाखों फॉलोअर्स

देवेंद्र फडणवीस के एक्स पर 59 लाख, फेसबुक पर 91 लाख, इंस्टाग्राम पर 20 लाख, यूट्यूब पर 11 लाख और व्हाट्सएप चैनल पर 55 हजार फॉलोअर हैं. फडणवीस ने इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म की ताकत को पहचाना है. एक्स पर गंभीर मुद्दों पर बात करते हैं तो इंस्टाग्राम व फेसबुक पर वह ज्यादा आक्रामक हैं. जिससे उन्हें अपने प्रतिद्वंद्वियों के मुकाबले डिजिटल ऑडियंस के बड़े वर्ग तक पहुंचने में मदद मिली है. आपको बता दें फडणवीस महाराष्ट्र के इंटरनेट मीडिया पर सबसे ज्यादा फॉलो किए जाने वाले नेता हैं.

एक सप्ताह बाद हो सकता है मंत्रिमंडल विस्तार

महाराष्ट्र में फिलहाल सीएम देवेंद्र फडणवीस और महायुति के बड़े नेताओं को ही शपथ दिलाई गई है. माना जा रहा है कि एक सप्ताह के भीतर मंत्रिमंडल का विस्तार होगा. एनसीपी नेता छगन भुजबल ने दावा किया है कि महायुति के सहयेागी दलों के मंत्री एक सप्ताह के भीतर शपथ लेंगे. शपथ ग्रहण से पहले एक नाथ शिंंदे ने पीएम नरेंद्र मोदी, बाला साहेब ठाकरे और अमित शाह का नाम लिया.

दिल्ली विधानसभा चुनाव: आम आदमी पार्टी का दावा, बीजेपी की जीत से बंद हो जाएंगी मुफ्त सुविधाएं

दिल्ली में विधानसभा चुनाव का दंगल शुरू हो चुका है. आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच जमकर वार-पलटवार जारी है. आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल समेत पार्टी के तमाम नेता दिल्ली में लगातार कानून-व्यवस्था के मुद्दे उठा रहे हैं. इसी के साथ पार्टी ने दिल्ली की जनता के समक्ष ये भी दावा किया है कि अगर बीजेपी जीत जाती है तो दिल्ली वालों पर क्या-क्या असर पड़ेगा?

आम आदमी पार्टी ने दावा किया है कि अगर दिल्ली में बीजेपी आई तो राजधानी में अब तक मिल रही फ्री सुविधाएं बंद हो जाएंगीं. पार्टी नेताओं का कहना है विरोधी पार्टियां हमेशा अरविंद केजरीवाल की फ्री सुविधाओं के खिलाफ रही हैं. आप नेता का ये भी कहना है कि देश के किसी भी राज्य में दिल्ली और पंजाब जैसी फ्री सुविधाएं नहीं मिलतीं.

दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा को खतरा

आम आदमी पार्टी ने प्रेस रिलीज जारी करके कहा है कि दिल्ली में बीजेपी के सत्ता में आने पर क्या-क्या असर पड़ेगा? आप का आरोप है कि दिल्ली सरकार की ओर से महिलाओं की सुरक्षा में तैनात 14,000 से अधिक बस मार्शलों को कैबिनेट के फैसले के बावजूद बहाल नहीं किया गया है. इसकी वजह से पब्लिक ट्रांसपोर्ट में महिलाओं की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है.

कानून व्यवस्था से आम लोग परेशान

आप का ये भी कहना है कि दिल्ली में लगातार कानून व्यवस्था खराब होती जा रही है, पुलिस प्रशासन अपराध पर लगाम नहीं लगा पा रहा है. राजधानी में आम लोगों की सुरक्षा खतरे में है. आम जनों की सुरक्षा का मुद्दा उठाने वाला कोई नहीं होगा.

फ्री बिजली, फ्री शिक्षा का क्या होगा?

आप नेताओं का कहना है कि दिल्ली में फ्री बिजली मिलना तो दूर उल्टे बिल और बढ़ जाएंगे. यूपी, राजस्थान, गुजरात जैसे राज्यों में दिल्ली के मुकाबले बिजली बहुत महंगी है. दिल्ली में भी बिजली महंगी हो जाएगी.

इसके अलावा आप का ये भी कहना है कि दिल्ली में सरकारी फ्री शिक्षा का होगा निजीकरण हो जाएगा. बच्चों को अच्छी शिक्षा दूभर हो जाएगी. गरीब परिवारों के सामने नया संकट खड़ा हो जाएगा.

बिहार-झारखंड में नहीं बिकेगा बंगाल का आलू

ममता सरकार के तुगलकी फरमान के कारण बिहार और झारखंड के लोग अब खाने-पीने की चीजों की किल्लत का सामना कर रहे हैं. आलू और प्याज अब लोगों के थाली से गायब हो रहे हैं. पश्चिम बंगाल सीमा से सटे सीमांचल के किशनगंज, कटिहार और पूर्णिया में आलू-प्याज के व्यापारियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. झारखंड में आलू की आपूर्ति न होने के कारण आलू महंगे दामों पर बिक रहे हैं. इस बीच झारखंड और पश्चिम बंगाल के बीच आलू को लेकर अंतरराज्यीय व्यापार में विवाद की स्थिति बन गई है.

गौरतलब है कि बंगाल सरकार ने आलू और प्याज को बिहार ले जाने पर रोक लगा दी है. बिहार-बंगाल सीमा के रामपुर चेक पोस्ट पर पुलिस बल तैनात कर दिया गया है, ताकि बंगाल से आलू बिहार न लाया जा सके. इस फैसले के बाद बॉर्डर इलाके में व्यापारियों के बीच हड़कंप मच गया है. आलू की कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी की संभावना जताई जा रही है.

बंगाल का आलू-प्याज केवल बंगाल में ही बिकेगा

बंगाल सरकार के आदेश पर आलू लदी गाड़ियों को बॉर्डर पार नहीं करने दिया जा रहा है. बंगाल पुलिस का साफ कहना है कि आलू और प्याज सिर्फ बंगाल में ही बिकेगा. इसे बाहर किसी अन्य राज्य में भेजा नहीं जाएगा. ममता सरकार ने राज्य में आलू और प्याज की किल्लत को देखते हुए यह कदम उठाया है. वहीं, बिहार-झारखंड के कई ऐसे इलाके हैं, जो बंगाल बॉर्डर के सीमावर्ती जिले हैं. यहां के लोग मुख्य रूप से बंगाल के बाजारों पर निर्भर रहते हैं. इस फैसले के कारण लाखों लोग प्रभावित हो रहे हैं.

कई इलाकों में कीमतों में उछाल

किशनगंज सीमा से सटे बंगाल के रामपुर में आलू-प्याज की मंडी है, जहां से किशनगंज जिले में आलू-प्याज की आपूर्ति होती है. 90 के दशक में आलू व्यापारियों ने बिहार-बंगाल सीमा पर दुकानें खोलकर कारोबार शुरू किया था, तब से यह व्यापार फल-फूल रहा था. रामपुर आलू मंडी से ही किशनगंज जिले के लगभग 20 लाख नागरिकों तक आलू-प्याज पहुंचता है, लेकिन ताजा आदेश के बाद व्यापारी परेशान हो गए हैं. आलू मंडी में प्याज और आलू से लदी दर्जनों छोटी और बड़ी गाड़ियां खड़ी हैं, जिन्हें जिले के विभिन्न हिस्सों में भेजा जाना था, लेकिन पुलिस ने इन गाड़ियों को बॉर्डर पार नहीं करने दिया.

व्यापारियों को होगा भारी नुकसान

आलू व्यापारियों ने बताया कि पुलिस प्रशासन ने बुधवार सुबह से ही बेरिकेट्स लगाकर गाड़ियों को वापस भेजना शुरू कर दिया था. अगर यही स्थिति रही तो किशनगंज में आलू और प्याज की भारी किल्लत हो जाएगी. उन्होंने कहा कि आलू और प्याज जल्दी खराब होने वाली सामग्री हैं. यदि इन्हें सही समय पर नहीं बेचा गया तो व्यापारियों को भारी नुकसान होगा.

इसी बीच, दूर-दराज से आए खरीददार भी परेशान हैं. ग्राहकों ने बताया कि अगर आलू-प्याज को बॉर्डर पार नहीं करने दिया गया तो कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी होगी, जिसका खामियाजा जिले वासियों को उठाना पड़ेगा. स्थानीय वार्ड पार्षद प्रतिनिधि शफी अहमद ने कहा कि यह ममता सरकार का तुगलकी फरमान है. केंद्र सरकार और राज्य सरकार को इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए आलू और प्याज की आपूर्ति पर लगी रोक को तुरंत हटवाना चाहिए.

अब हर मंगलवार को थानों में होगी जनसुनवाई’, MP के नए पुलिस मुखिया कैलाश मकवाना का आदेश

मध्य प्रदेश के नए पुलिस मुखिया कैलाश मकवाना एक्शन मोड में आ गए हैं और लोगों को सुविधा देने के उद्देश्य से बड़ा ऐलान किया है. कैलाश मकवाना ने कहा है कि अब लोगों को जनसुनवाई के लिए पुलिस विभाग के आला अधिकारियों के दफ्तर के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे, बल्कि हर मंगलवार को पुलिस थाने में जनसुनवाई होगी.

इस मामले में डीजीपी ने प्रदेश के जमीनी अधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कर संवाद किया और कई दिशा-निर्देश दिए हैं. हर मंगलवार को होने वाली इस जनसुनवाई में आवेदकों की शिकायतों का फौरन निपटारा किया जाएगा, ताकि आम आदमी परेशान न हो.

थानों का होगा औचक निरीक्षण

डीजीपी ने अधिकारियों को थानों के औचक निरीक्षण के भी निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि अधिकारी खुद थानों में पहुंचे और बेहतर काम करने वाले पुलिसकर्मियों को रिवॉर्ड दें, जबकि जिन पुलिसकर्मियों के रिकॉर्ड खराब हों, उन्हें दंडित करें.

डीजीपी का निर्देश- सख्ती केवल बदमाशों से हो

डीजीपी ने कहा कि पुलिस स्टेशन पर सबसे ज्यादा आमजन पहुंचते हैं, इसलिए निचले स्टाफ को आमजन से अच्छा व्यवहार करने के लिए सम्मानित करें. सख्ती केवल बदमाशों से हो. पुलिस की ओर से आम लोगों को दी जा रही सभी तरह की सिटीजन सेंट्रिक सर्विसेज का रिव्यू करें और इनमें कौन सी और सेवाएं जोड़ी जा सकती हैं, ये तय किया जाए. पुलिस अधिकारियों द्वारा शिकायतों का निराकरण किया जाएगा. यदि पुलिस थानों पर शिकायत का निराकरण नहीं होता, तो पीड़ित आगे शिकायत कर सकता है.

नए आदेश से बदलाव आने की काफी संभावना

डीआईजी और आईजी स्तर के अधिकारियों की जनसुनवाई के अलावा पहले पुलिस अधीक्षक कार्यालय में मंगलवार को जनसुनवाई का सिलसिला चलाता था. नए आदेश के बाद अब पुलिस थानों पर अधिकारियों द्वारा शिकायतों का निराकरण करने की जिम्मेदारी रहेगी. इसके अलावा शिकायतकर्ता को न्याय मिलने में होने वाली देरी भी कम होगी. नए आदेश से बदलाव आने की संभावना है.

सिंहस्थ- 2028 की तैयारी पूरी तत्परता से करें

डीजीपी ने कहा कि सिंहस्थ-2028 एक मेगा इवेंट है, जिसकी तैयारी में और गतिशीलता लाने की जरूरत है. उज्जैन के आसपास के जिलों में भी पर्याप्त व्यवस्था सुनिश्चित करनी है. समय पर प्लान बनाकर शासन को भेजना है, ताकि सभी व्यवस्थाएं चाक-चौबंद हो सकें. सिंहस्थ-2028 की तैयारियों पर भी जोर दिया जाए.

उत्तर प्रदेश के अमेठी में ट्रेन में सीट को लेकर हुई मारपीट, एक युवक की मौत, दो घायल

उत्तर प्रदेश के अमेठी में निहालगढ़ स्टेशन है. इस स्टेशन से होते हुए बेगमपूरा एक्सप्रेस ट्रेन जाती है. इसी ट्रेन में सीट पर बैठने को लेकर यात्रियों के साथ जमकर मारपीट हुई. मारपीट की घटना में तीन युवक गंभीर रूप से जख्मी हो गए. तीनों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां एक की मौत हो गई. सूचना पर एसपी भी अस्पताल पहुंचे और घायलों का हाल जाना.

दरअसल, ये पूरा मामला जगदीशपुर कोतवाली क्षेत्र के निहालगढ़ रेलवे स्टेशन का है. यहां पर कुछ यात्रियों ने ट्रेन की सीट पर बैठने को लेकर मामूली विवाद में मारपीट की घटना को अंजाम दिया. इस दौरान तीन भाइयों पर चाकुओं से हमला किया गया. हमले में घायल एक भाई की मौत हो गई, जबकि दूसरे भाई का जगदीशपुर ट्रामा सेंटर में इलाज चल रहा है. तीसरे भाई को इलाज के लिए ट्रामा सेंटर लखनऊ रेफर किया गया है.

घायल ने बताई आपबीती

मृतक के परिजन ने जीआरपी को तहरीर दी है, जबकि मृतक के शव को सिविल पुलिस कब्जे में लेकर आगे की कार्रवाई में जुट गई है. घायल युवक तौसीफ ने बताया कि हमारा भाई अम्बाला से घर आ रहा था. इस दौरान रास्ते में ट्रेन पर आधा दर्जन लोगों ने चाकुओं से हमला कर दिया. मेरे भाई घायल हो गए थे. मेरे पास फोन किया तो बताया कि ट्रेन में मेरा विवाद हो गया है. हम लोग निहालगढ़ स्टेशन पर पहुंचे तो ट्रेन पर सवार आधा दर्जन लोगों ने हम पर भी हमला कर दिया. इस दौरान हमें भी काफी चोटें आई हैं.

घायलों से मिले एसपी

अमेठी एसपी अनूप कुमार सिंह ने सूचना मिलते ही जगदीशपुर ट्रामा सेंटर पहुंचे, जहां पर घायलों का हाल जाना. साथ ही मौके का निरीक्षण भी किया. इस दौरान उसकी हालत गंभीर देखते हुए एक युवक को सुल्तानपुर और दूसरे को लखनऊ के लिए रेफर करवाया, फिरहाल अब माहौल शांत हयल

पैदा हुई चौथी बिटिया तो पिता ने किराएदार से किया बीवी का सौदा,रुला देगी ये कहानी

उत्तर प्रदेश के बरेली से एक रूह कपां देने वाली खबर आई है. बरेली में एक महिला पर ससुराल वालों ने कम दहेज लाने और बेटा पैदा न होने अत्याचार किया. हद तो तब हो गई, जब महिला की चौथी बेटी पैदा हुई तो पति उसे अस्पताल में छोड़कर ही चला गया. इलाज के दौरान बेटी की भी 6 घंटे बाद ही मौत हो गई. ऐसे में रोती बिलखती महिला जिला अस्पताल से अपने ससुराल पहुंची तो पति की एक और हैवानियत से सामना हुआ. पति ने अपनी उधारी चुकाने के लिए उसने महिला को किराएदार के हवाले कर दिया, जिसने उसके साथ दुष्कर्म किया.

पीड़िता न्याय के लिए एक महीने तक थाने में भटकती रही, लेकिन पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज नहीं की. ऐसे में पीड़िता ने आईजी से पूरे मामले की शिकायत की तब थाने में प्राथमिकी पंजीकृत हो सकी. पुलिस पूरे मामले में जांच पड़ताल में जुड़ गई है.

बेटा पैदा करने का बनाने लगे दबाव

महिला का आरोप हैं कि नौ साल पहले बरेली के नवाबगंज के रहने वाले एक युवक से शादी हुई थी. शादी के कुछ दिन तक तो सब सही चला, लेकिन थोड़े दिन बाद ही उसके ससुराल वालों ने उसे कम दहेज लाने के लिए प्रताड़ित करना शुरू कर दिया. ऐसे में शादी के एक साल बाद जब महिला के बेटी हुई तो पति और ससुराल वालों ने ताना देना शुरू कर दिया और कहने लगे कि बेटा चाहिए बेटी नहीं. वहीं महिला जब दूसरी बार गर्भवती हुई तो पति और ससुराल वालों ने उसका सही से इलाज नहीं करवाया और न ही ठीक से खानपान करवाया. साथ ही विरोध करने पर घर से निकाल दिया एक महीने भटकने के बाद जब घर में आई तो मृत बेटी पैदा हुई. इसके बाद ससुराल वाले दबाव बनाने लगे कि हर हाल में बेटा चाहिए.

पति ने शुरू कर दी मारपीट

महिला चार साल पहले जब तीसरी बार गर्भवती हुई तो भी उसके बेटी हुई. इससे बौखलाए पति ने मारपीट शुरू कर दी. इस बीच ससुराल वाले धमकाने लगे कि अगर बेटा नहीं हुआ तो रिश्ता तुड़वाकर बेटे की दूसरी लड़की से शादी करा देंगे. महिला को सात सितंबर को जब चौथी बार प्रसव के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था और इस बार भी महिला के बेटी हुई. बेटी होने की वजह से गुस्सा होकर पति और ससुराल वाले अस्पताल में छोड़कर भाग गए. महिला का आरोप है कि गर्भावस्था के दौरान प्रताड़ित किया गया इसलिए नवजात बेटी अस्वस्थ थी, जिस वजह से उसने छह घंटे बाद ही दम तोड़ दिया.

किराएदार से किया बीवी का सौदा

महिला ने बताया कि रोती बिलखती जब वो ससुराल पहुंची तो पहले तो उसे ताने दिए और बाद किराएदार की उधारी चुकाने के लिए किराएदार के हवाले कर दिया जिसने उसके साथ दुष्कर्म किया. ऐसे में महिला शिकायत लेकर थाने पहुंची, लेकिन उसकी रिपोर्ट नहीं लिखी परेशान होकर महिला ने आईजी राकेश सिंह से पूरे मामले की शिकायत की. राकेश सिंह से शिकायत करने के बाद महिला के पति सास नंद , किराएदार समेत कई लोगों के खिलाफ महिला थाने में रिपोर्ट दर्ज हुई हैं. हालांकि आरोपियों को पुलिस ने अभी भी गिरफ्तार नहीं किया है. पूरे मामले में महिला थाना प्रभारी सीमा सिंह का कहना है कि जांच पड़ताल की जा रही है.