बेजुबानों का क्या कसूर? बंगाल में 15 से अधिक बंदरों की मौत
पश्चिम बंगाल के कटवा जिले के केतुग्राम शाखा गांव में बीते शनिवार को बंदरों के शव मिले, जिन्हें जमीन पर पड़े हुए वन विभाग के कर्मचारियों ने देखा. स्थानीय लोगों का दावा है कि अब तक 15 से अधिक बंदरों की मौत हो चुकी है. इन्हें इरादतन मारा गया है. लोगों ने बंदरों को जहर खिलाने का आरोप लगाया, जिसमें कथित तौर पर केले में जहर मिलाकर मारने का आरोप लगाया. स्थानीय लोगों ने कहा कि फसलों को बचाने के लिए बंदरों को जहरीला केला खिलाया गया है.
स्थानीय लोगों का आरोप है कि बंदरों की हत्या सीताहाटी पंचायत के उप प्रधान के भाई सागर दास ने की, जो बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी टीएमसी से जुड़ा हुआ है. मामले को गंभीरता से लेते हुए वन विभाग की टीम ने घटना की सूचना के बाद सागर दास के खिलाफ कटवा थाने में लिखित शिकायत दर्ज कराई और कार्रवाई में जुट गई.
मृत बंदरों में से एक मादा बंदर गर्भवती थी
वन विभाग द्वारा किए गए पोस्टमार्टम में यह खुलासा हुआ कि मृत बंदरों के शरीर में अत्यधिक जहर पाया गया, जिससे यह साफ जाहिर होता है कि उन्हें जानबूझकर जहर दिया गया. वन विभाग ने इस मामले में फॉरेंसिक जांच के लिए सैंपल भी भेजे हैं. जांच में यह भी सामने आया कि मृत बंदरों में से एक मादा बंदर गर्भवती थी, जिससे मामला और गंभीर हो गया. वन अधिकारियों ने कहा कि गर्भवती बंदर की हत्या करने वालों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए.
आरोपी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग
जिला वन अधिकारी सौगत मुखर्जी ने बीते मंगलवार को घटनास्थल का दौरा किया और कहा, “हम दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग करते हैं.” उन्होंने कहा कि इस तरह की बर्बरता को किसी भी हालत में सहन नहीं किया जा सकता. वहीं, सागर दास ने आरोपों से पूरी तरह से किनारा करते हुए कहा कि उसने फसलों को बचाने के लिए कीटनाशक का इस्तेमाल किया था, लेकिन बंदर उसकी जमीन पर नहीं मरे.
बंदरों की मौत से उसका कोई भी लेना-देना नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें राजनीतिक कारणों से इस गंभीर मामले में फंसाया जा रहा है. वहीं घटना के बाद वन विभाग और पुलिस स्थानीय लोगों की मदद से मामले की जांच कर रही है और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की योजना बना रहे हैं.
Dec 04 2024, 20:23