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बिहार के राज्यपाल और दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम ने किया बाबा महाकाल के दर्शन, भस्म आरती में हुए शामिल

दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम और बिहार के राज्यपाल विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर पहुंचे, जहां उन्होंने बाबा महाकाल के दर्शन किए. मंदिर के पुजारी पंडित महेश शर्मा ने बताया कि आज सुबह बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर अपनी धर्मपत्नी और परिवार के साथ बाबा महाकाल के दर्शन करने पहुंचे थे. वहीं दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भी बाबा महाकाल के दर्शन किए. दोनों ही बाबा महाकाल की भस्म आरती में शामिल हुए.

बाबा महाकाल की भस्म आरती देखने के बाद उन्होंने चांदी द्वार से भगवान का पूजन अर्चन किया. उसके बाद नंदी हॉल में पहुंचकर नंदी जी के कानों में अपनी मनोकामना भी कही. बाबा महाकाल के दर्शन करने के बाद बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने महाकाल के मंदिर की दर्शन व्यवस्था की जमकर तारीफ की. उन्होंने कहा कि अब तक में कई मंदिरों में दर्शन करने जा चुका हूं लेकिन महाकालेश्वर मंदिर एक ऐसा मंदिर है, जहां पर कहीं भी गंदगी नजर नहीं आती. उन्होंने आगे कहा कि बाबा महाकाल के दरबार में आने वाले सभी लोग स्वस्थ और खुश रहें. मैंने ऐसी कामना बाबा महाकाल से की है.

“सब पंचतत्व में विलीन हो गया”

भस्म आरती में बाबा महाकाल के दर्शन करने के बाद मनीष सिसोदिया ने कहा कि बाबा महाकाल के चरणों में बैठने का मुझे सौभाग्य मिला. यहां आकर मेरा अहंकार, मेरा डर, मेरी चिंताएं सब पंचतत्व में विलीन हो गई. देश के सारे बच्चों के लिए अच्छी से अच्छी शिक्षा की व्यवस्था हो. ऐसी कामना मैंने बाबा महाकाल से की है. कल भाजपा ने जो किया उससे घृणित काम मैंने कहीं नहीं देखा.

केंद्र सरकार को सद्बुद्धि दें”

उन्होंने आगे कहा कि अरविंद केजरीवाल दिल्ली के नेता हैं. वह बड़ी हिम्मत से दिल्ली में काम करवाते हैं लेकिन भाजपा दिल्ली में चुनाव जीत नहीं पाती और फिर उन्हें रास्ते से हटाने की कोशिश करती रहती है. आज भस्म आरती के दौरान सब कुछ शिवमय लग रहा था. बाबा महाकाल से मैंने प्रार्थना की है कि भाजपा और केंद्र सरकार को सद्बुद्धि दें.

कैसे किसी महिला को घोषित कर देते हैं डायन?,डराती हैं कहानियां

झारखंड, राजस्थान, बिहार, छत्तीसगढ़, असम, हरियाणा ये वो राज्य हैं, जहां से डायन प्रथा के नाम पर महिलाओं के साथ अमानवीय उत्पीड़न के मामले सामने आते रहते है. सैकड़ों महिलाएं ऐसी हैं जिन्हें डायन बताकर मार डाला गया. हाल ही में राजस्थान के बूंदी में एक 50 वर्षीय महिला को डायन बताकर उसे पेड़ से बांध गर्म सलाखों से दागा गया. डायन प्रथा के खिलाफ कानून बना हुआ है. बाबजूद इसके ऐसी घटनाएं सामने आती रहती हैं. सवाल है कि आखिर महिलाओं को किस आधार पर डायन घोषित किया जाता है?

कई घटनाओं में देखने को मिला है कि महिलाओं को डायन बताने वाले अधिकतर उसके पड़ोसी, घरवाले या तांत्रिक होते हैं. यह भी देखने को मिला है कि हर उम्र की महिलाओं को डायन घोषित कर दिया जाता है. महिलाओं को डायन बताकर उनके साथ घोर अमानवीय उत्पीड़न किया जाता है. हद तब हो जाती है जब इनके अपने भी इनका साथ छोड़ देते हैं. अधिकतर महिलाओं के डायन वाली घटनाएं ग्रामीण इलाकों में देखने को मिली हैं.

डायन घोषित हुईं महिलाओं की मदद करने वाली ये महिला

महिलाओं को कोई कैसे डायन घोषित कर देता है? इस सवाल से पहले पद्मश्री पुरूस्कार से सम्मानित छूटनी महतो को जानते हैं. छूटनी महतो एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं. उन्हें साल 2021 में पद्मश्री पुरुस्कार से सम्मानित किया है. उन्होंने डायन प्रथा के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ी. यहां तक कि उन्होंने इस प्रथा के खिलाफ जंग लड़कर कई महिलाओं की मदद की. छूटनी महतो झारखंड के सरायकेला खरसांवा जिले के गम्हरिया थाना क्षेत्र के गांव बीरबांस की रहने वाली हैं. उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया कि उन्हें भी डायन घोषित किया गया था, जिसके बाद उनकी जिदंगी पूरी तरह बदल गई थी.

छूटनी महतो को घोषित किया डायन, जबरन खिलाया मल-मूत्र

छूटनी महतो ने बताया कि उनकी शादी 12 साल की उम्र में गम्हरिया थाने के महतांड डीह गांव में कर दी गई थी. वह दिखने में सुंदर थीं और अच्छे कपड़े पहना करती थीं. गांव में लोग उनसे जलते थे. शादी के बाद उनके तीन बच्चे हुए. वह कहती हैं कि 2 सितंबर 1995 को उनके पड़ोसी भोजहरी की बेटी बीमार हो गई. इसका इल्जाम उनपर लगाया गया कि उसने जादू-टोना कर उसे बीमार कर दिया.

इसी बात को लेकर उन्हें गांववालों ने डायन घोषित कर दिया. उनके घर में घुसकर मारपीट की गई. उनके साथ बलात्कार करने कोई कोशिश की गई. हद तब हुई जब डायन से मुक्ति पान एके लिए उन्हें जबरन मानव मल खिलाया गया. इसके बाद उन्हें गांव से निकाल दिया और वह अपने मायके आ गईं.

पेट में हुआ दर्द तो घोषित कर दिया डायन

एक घटना अभी हाल ही में राजस्थान के बूंदी में हुई. यहां के शाहपुरा निवासी 50 वर्षीय नंदूबाई मीणा के पेट दर्द हुआ. उन्हें डॉक्टर को दिखाया लेकिन वह सही नही हुईं. परिजन उन्हें हिंडोली थाना क्षेत्र के गुडागोकुलपुरा गांव के पास एक स्थानीय देवता के पूजा स्थल ले गए. वहां मौजूद स्वयंभू ओझा बाबूलाल ने उनपर ‘बुरी आत्मा’ का ‘साया’ बताकर नंदूबाई को डायन घोषित कर दिया. दो दिन तक उन्हें पेड़ से बंधे रखा गया. उनके शरीर पर गर्म सलाखें दागी गईं. सिर के बाल काटकर मुंह पर कालिख पोत दी. नंदूबाई ने इसकी शिकायत पुलिस से की. ओझा और उसके दो सहयोगियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया.

60 से ज्यादा महिलाओं से मुलाकात

साल 2012 में बीबीसी में छपी एक रिपोर्ट में विकास अध्ययन संस्थान की प्रोफेसर कंचन माथुर ने महिलाओं को किन आधारों पर डायन घोषित किए जाने के बारे में बताया. उन्होंने बताया कि इसके लिए वह गांव-गांव जाकर डायन करार दी गई 60 से ज्यादा महिलाओं से मुलाकात की थी. इनमें ज्यादातर पीड़ित महिलाएं पिछड़े वर्ग, आदिवासी और दलित समुदाय से हैं. उन्होंने बताया कि अधिकतर महिलाओं को छोटी-छोटी बातों पर गंभीर आरोप लगाकर उन्हें डायन घोषित कर दिया. इनमें अधिकतर कारण अंधविश्वास से जुड़े पाए गए.

इन वजहों से किया डायन घोषित

प्रोफेसर कंचन माथुर ने रिपोर्ट में बताया था कि महिलाओं को अंधविश्वास के चलते डायन बताया गया. इनमें दुधारू पशुओं का दूध देना बंद हो जाना. कुएं में पानी सूख जाना, किसी बच्चे का बीमार या मौत हो जाने जैसे मामलों में महिलाओं को डायन घोषित किया गया. वह कहती हैं कि कई मामले ऐसे भी सामने आए जिनमें सम्पत्ति हड़पने की नीयत से भी महिलाओं को डायन करार दिया गया. इनके साथ रेप, बाल काट देना, मुंडन करना, जबरन मल-मूत्र मुंह में ठूसना जैसे अमानवीय घटनाएं की गईं.

डायन प्रथा के खिलाफ बना है कानून

बिहार के बक्सर निवासी पंडित मनोज चौबे के मुताबिक, शास्त्रों में बुरी शक्तियों का उल्लेख मिलता है. शास्त्रों में इस बात का जिक्र है कि राक्षस कुल की महिलाएं सिद्धियां प्राप्त करने के लिए पूजा-पाठ करती थीं. उन्हें अलौकिक शक्तियां भी प्राप्त हुई. लेकिन इन्हें डायन कहना बिल्कुल ठीक नहीं होगा. वहीं, डायन प्रथा के खिलाफ कानून बना है. ऐसे मामले सामने आने पर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाती है.

छत्तीसगढ़ के मुलुगु जिले में नक्सलियों और सुरक्षाबलों के बीच मुठभेड़, 7 नक्सली ढेर

छत्तीसगढ़ के मुलुगु जिले में रविवार को नक्सलियों और सुरक्षाबलों के बीच मुठभेड़ हुई है. मुठभेड़ में सात नक्सली ढेर हो गए. सुरक्षाबलों को मौके से भारी मात्रा में कारतूस और हथियार बरामद हुए हैं. बताया जा रहा है कि मरने वालों में माओवादियों का एक प्रमुख नेता भी शामिल है. पुलिस ने अभी तक इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की है.

एक अधिकारी ने बताया कि इथुरुनगरम के चालपाका के पास वन क्षेत्र में सुरक्षाबलों ने सर्च अभियान चलाया. इसी दौरान सुरक्षाबलों को निशाना बनाते हुए नक्सली फायरिंग करने लगे. ऐसे में जवानों को भी जवाबी कार्रवाई करनी पड़ी. मुठभेड़ में सात नक्सलियों को गोली लगी और उनकी मौत हो गई. इलाके में अब भी जवानों की टीमें नक्सलियों की तलाश में जुटी हैं.

नक्सलियों की हुई पहचान

एक अधिकारी ने बताया कि मारे गए नक्सलियों में से कुछ की पहचान हो गई है. इनमें कुरसम मंगू उर्फ बदरू TSCM ( तेलंगाना स्टेट कमेटी मेंबर) है. यह तेलंगाना और छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती इलाकों में काफी एक्टिव था. यह काफी समय से नक्सली गतिविधी में संलिप्त था. इसके अलावा मृतकों में मधु (डिविजनल कमेटी मेंबर), ​​​​​मुचाकी देवल (एरिया कमेटी मेंबर), कामेश पार्टी (सदस्य) और जयसिंग (पार्टी सदस्य), किशोर (पार्टी सदस्य) शामिल हैं.

जंगल में छिपे थे नक्सली

अधिकारियों के मुताबिक, ऐसी सूचना मिली थी कि छत्तीसगढ़-तेलंगाना के चालपाका के पास वन क्षेत्र में कुछ संदिग्ध नक्सली छिपे हुए हैं. इसके बाद सुरक्षाबलों की टीम ने एरिया को घेर लिया और नक्सलियों को सरेंडर करने को कहा. लेकिन नक्सली जवान पर ही फायरिंग करने लगे. यहीं वजह था कि जवानों को भी गोली चलानी पड़ी.

इससे पहले छत्तीसगढ़ के सुकमा में बीते शुक्रवार को मुठभेड़ में जवानों ने 10 नक्सलियों को ढेर कर दिया था. इस दौरान मौके से AK-47, SLR सहित अन्य हथियार भी बरामद हुए थे. नवंबर में ही कांकेर में जवानों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ नें पांच नक्सली मारे गए थे, जिनमें 2 महिलाएं भी शामिल थीं.

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की आज दिल्ली रैली: संविधान बचाओ और जाति जनगणना पर चर्चा की उम्मीद

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे आज दिल्ली में एक विशाल रैली में शामिल होंगे. वो रैली के जरिए संविधान बचाओ के नारे को जनता तक पहुंचाने की कोशिश करेंगे. कांग्रेस प्रमुख वक्फ संपत्ति संशोधन विधेयक का विरोध करेंगे. दिल्ली विधानसभा चुनावों के मद्देनजर कांग्रेस के पार्टी के पारंपरिक दलित और मुस्लिम वोट बैंक को लुभाने और पिछड़े समूह से जुड़े लोगों को प्रभावित करने के लिए जाति जनगणना को दूसरे राज्यों में भी कराए जाने की कोशिश करेंगे.

दिल्ली के एआईसीसी प्रभारी काजी निजामुद्दीन ने मीडिया से बातचीत में कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन जनता के बीच देश के संविधान को बचाने और इसकी जरूरतों को लेकर चर्चा करेंगे. साथ ही वो दूसरे राज्यों में जाति जनगणना को लेकर भी चर्चा करेंगे. उन्होंने बीजेपी और आम आदमी पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि दोनों सरकारों की लापरवाही साफ तौर पर देखी जा सकती है. उनकी लापरवाहियों की वजह से राज्य में रहने वाले लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं. कांग्रेस पार्टी इस पर भी लोगों से बात करेगी. वक्फ संपत्ति कानून पर भी मल्लिकार्जुन खरगे रैली में चर्चा करेंगे.

गंदे पानी के सप्लाई से राहत का इंतजार

उन्होंने कहा कि दिल्ली में रहने वाले लोग जहरीली हवा के बीच सांस लेने को मजबूर हो गए हैं. दिल्ली के लोगों को साफ पानी की आवश्यकता है. वो प्रदूषित यमुना नदी के पानी की सप्लाई से परेशान हो गए हैं. अब उन्हें इससे राहत चाहिए. अब दिल्ली की जनता वादों से थक चुकी है. दिल्ली की जनता ने बीजेपी और आम आदमी पार्टी दोनों को ही आजमा लिया है. अब कांग्रेस पार्टी को मौका दिया जाना चाहिए.

उन्होंने कहा कि दिल्ली में लंबे समय कांग्रेस पार्टी की सरकार ने शासन किया है. 1998 से 2013 तक शीला दीक्षित ने यहां मुख्यमंत्री के तौर पर काम किया. उन्होंने अलग-अलग मुद्दों तक दिल्ली में 15 सालों तक काम किया. उसके बाद कार्यकर्ता अन्ना हजारे के नेतृत्व में भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के दम पर आम आदमी पार्टी पहली बार सत्ता में आई. तब से, नई पार्टी यहां अपनी आक्रामक जमीनी स्तर की राजनीति करती रही है. इन्होंने मुफ्त पानी और बिजली जैसी अनेक सुविधाओं के आधार पर कांग्रेस के पारंपरिक वोट बैंक को छीन लिया.

अब जल्द ठीक हो सकेंगे अस्थमा के मरीज, ये रिसर्च बन सकती है गेम चेंजर

अस्थमा एक ऐसी बीमारी है, जिससे पीड़ित मरीज को सांस लेने में काफी दिक्कत उठानी पड़ती है. आमतौर पर किसी बीमारी से पीड़ित होने के बाद उसके इलाज की आशा मरीज में होती है, लेकिन अस्थमा एक ऐसी बीमारी है, जिससे ग्रसित होने के बाद ताउम्र इससे जुड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. अब अस्थमा और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज से पीड़ित मरीजों के लिए पिछले 50 सालों में पहली बार अब इसका इलाज किया जा सकेगा. इसके इलाज के लिए नए तरीके की खोज की गई है. वैज्ञानिकों का मानना है कि इसका असर गेमचेंजर बन सकता है.

रिसर्च करने वाले वैज्ञानिकों की टीम ने जांच में पाया कि अस्थमा और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) के इंफेक्शन में स्टेरॉयड का इंजेक्शन, दवाइयों के इस्तेमाल से ज्यादा असरदार है. मौजूदा समय में अस्थमा और सीओपीडी के मरीज दवाइयों का इस्तेमाल ज्यादा करते हैं.

वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर शुरुआती समय में ही इसके इंजेक्शन लेने से आगे के इलाज की जरूरत में 30 की कमी आ सकती है. लैसेंट रेस्पिरेटरी मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित लेख के मुताबिक, इस खोज के बाद इस बीमारी से पीड़ित लाखों लोगों को इससे मिल सकती है. ये रिसर्च सीओपीडी और अस्थमा से पीड़ित लोगों के लिए गेम चेंजर साबित हो सकता है.

इंजेक्शन बीमारी में कैसे करेगा काम?

रिसर्च करने वालों के मुताबिक, बेनरालिजुमैब इंजेक्शन लेने से ‘इओसिनोफिलिक एक्ससेर्बेशन’ को खतम करता है. इसके जरिए इओसिनोफिल्स यानी श्वेत रक्त कोशिका की संख्या में कमी आती है. इससे मरीज के फेफड़ों के सूजन में भी कमी आती है. जिससे मरीज को खांसी, सीने में जकड़न जैसी स्थिति से राहत मिलती है. आंकड़ों के मुताबिक, यूनाइटेड किंगडम में हर साल इस दो मिलियन लोग इससे ग्रसित होते हैं.

आमतौर पर अस्थमा के मरीज स्टेरॉयड दवाओं का इस्तेमाल किया करते हैं. ये दवाइयां फेफड़ों के सूजन में आराम तो देती हैं, लेकिन डायबटीज और ऑस्टियोपोरोसिस से पीड़ित मरीजों के लिए हानिकारक हैं. बार-बार इन दवाइयों के असर की वजह से मरीज का इलाज ठीक ढंग से नहीं हो पाता है. उन्हें स्टेरॉयड लेने की वजह से बार-बार अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है. रिपोर्ट के मुताबिक, 90 दिनों के भीतर कई बार मरीज की मौत भी हो जाती है.

WHO के अनुसार अस्थमा क्या है?

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, अस्थमा फेफड़ों से जुड़ी बीमारी है. ये किसी भी उम्र के लोगों को हो सकती है, अमूमन बच्चों में ये ज्यादातर पाई जाती है. सांस लेने वाले छोटे वायुमार्गों में जब सूजन बढ़ जाता है तो उसकी जगह की कमी हो जाती है. WHO की रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 में अस्थमा से कुल 262 मिलियन लोग पीड़ित हुए थे और 4 लाख 55 हजार लोगों की मौत हो गई थी.

अस्थमा बीमारी क्या है?

WHO के मुताबिक, अस्थमा एक प्रमुख गैर-संचारी रोग यानी नॉन कम्युनिकेबल डिजीज है. ये बच्चों, बुजुर्गों और वयस्कों सभी को प्रभावित करती है. ये बीमारी तुरंत ठीक नहीं होती, बल्कि लंबे समय तक मरीजों में बनी रहती है. अस्थमा की वजह से सांस लेने में काफी तकलीफ होती है. इससे पीड़ित मरीज को सांस लेने में परेशानी, सोते समय घरघराहट या सीटी जैसी आवाज़, खांसी और बलगम के साथ-साथ सीने में जकड़न या दर्द की स्थिति बनी होती है.अस्थमा होने के पीछे के कारण धूल, धुआं, प्रदूषण, एलर्जी जैसे धूल मिट्टी के कीटाणु, पालतू जानवरों की रूसी आदि की वजह से हो सकता है.

COPD यानी क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज क्या है?

क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज भी सांस संबंधी बीमारी है. COPD धूम्रपान करने की वजह से होता है. सांस की नली में सूजन आ जाने से है. इसकी बीमारी से ग्रसित मरीज को सांस लेने में परेशानी, खांसी, बलगम और सीने में जकड़न की समस्या होती है

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने जीडीपी के आंकड़ों को लेकर मोदी सरकार पर साधा निशाना, जानें क्या कहा

कांग्रेस पार्टी के महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने जीडीपी के आंकड़ों का हवाला देकर सरकार का जमकर घिराव किया है. उन्होंने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि भारत का विकास काफी धीमी गति से हो रहा है. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ध्यान विकास की मंदी पर न होकर प्रचार और प्रसार में है. उन्होंने कहा कि सकल घरेलू उत्पाद के आंकड़े परेशान करने वाले हैं. जीडीपी वृद्धी में तिमाही के आंकड़ों के मुताबिक प्राइवेट इन्वेस्टमेंट काफी धीमा है.

पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा कि जीडीपी वृद्धि के तिमाही आंकड़ों से पता चलता है कि निजी निवेश सुस्त बना हुआ है. लोग ज्यादा समय के लिए निवेश करने से बच रहे हैं. इसके कारण मध्यम और दीर्घकालिक आर्थिक क्षमता में तेजी से गिरावट देखी जा रही है. जयराम रमेश ने कहा कि लोगों की सैलरी में बढ़ोतरी नहीं होना इसका अहम कारण है.

जुलाई से सितंबर के बीच हुई है मामूली बढ़त

जयराम रमेश ने सोशल मीडिया एक्स पर एक पोस्ट शेयर किया है. उन्होंने पोस्ट में जुलाई से सितंबर 2024 के आंकड़ों जिक्र करते हुए लिखा कि ये जीडीपी विकास के आंकड़े अनुमान से कहीं अधिक खराब हैं. भारत में 5.4 प्रतिशत की मामूली वृद्धि दर्ज की गई है और खपत में भी महज 6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी पार्टी के नेता जीडीपी मंदी के इन आंकड़ों पर जानबूझकर ध्यान नहीं दे रहे हैं. लेबल डायनामिक्स ऑफ इंडियन स्टेट्स नामक एक नई रिपोर्ट के मुताबिक ये साफ किया गया है कि भारत में काम करने वालों की सैलरी स्थिर बनी हुई है.

उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण डेटा का इस्तेमाल किया गया है कि राष्ट्रीय स्तर पर समग्र वास्तविक वेतन में पिछले पिछले पांच सालों में 0.01 प्रतिशत ही रुकी हुई है. भारत के लोग होप में जी रहे हैं जबकि, प्रधानमंत्री सिर्फ हाइप बनाने में लगे हुए हैं.

प्रियंका गांधी ने वायनाड में की जनसभा, बोलीं- मैं आपके लिए यहां आई हूं, जो कुछ भी कर सकती हूं वो करूंगी

केरल के वायनाड से उपचुनाव जीतने वाली प्रियंका गांधी शनिवार को पहली बार अपने भाई और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के साथ अपने संसदीय क्षेत्र पहुंची. इस दौरान उन्होंने जनसभा को संबोधित किया. प्रियंका ने सबसे पहले अपनी जीत के लिए वायनाड के लोगों का शुक्रिया अदा किया और कहा कि वह यहां के लोगों के बेहतर भविष्य के लिए काम करेंगी.

राहुल और प्रियंका दो दिवसीय दौरे पर केरल पहुंचे हैं. जनता को संबोधित करते हुए प्रियंका ने कहा ‘मैं यहां आपसे सीखने आई हूं. मैं यहां आपकी समस्याओं को गहराई से समझने के लिए हूं. बेशक मैं स्वास्थ्य सेवाओं की आवश्यकता के बारे में जानती हूं. यहां बेहतर शैक्षणिक संस्थानों की जरूरत है. मैं अब इन सबके लिए लड़ने के लिए, आपके साथ काम करने के लिए यहां आई हूं. मैं आपके घर आऊंगी आपसे मिलूंगी खुले हैं, मेरे कार्यालय के दरवाजे खुले हैं. मैं आपको निराश नहीं करूंगी’

राहुल गांधी ने साधा बीजेपी पर निशाना

वहीं राहुल गांधी ने भी जनता को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा. राहुल ने कहा कि लोकसभा में हम राजनीतिक विचारधार से लड़ रहे हैं. हम भावनाओं, संवेदनाओं, स्नेह और प्रेम की बात करते हैं, लेकिन वो लोग नफरत, क्रोध, विभाजन और हिंसा को बढ़ावा देते हैं. हम लोगों की बात सुनने और विनम्रता के महत्व पर जोर देते हैं, जबकि वो अहंकारी व्यवहार करते हैं. राहुल ने कहा कि उच्च स्तर पर यह वैचारिक लड़ाई सामने आ रही है. संविधान में कहा गया है कि सभी लोगों के साथ समान व्यवहार किया जाना चाहिए.

हम बीजेपी की विचारधारा को हरा देंगे’

इसके आगे राहुल गांधी ने कहा भारतीय संविधान में सभी लोगों, क्षेत्रों और राज्यों के साथ निष्पक्ष व्यवहार करने का प्रावधान है. पीएम मोदी ने घोषणा की है कि वायनाड में जो त्रासदी हुई है, उसके बावजूद वो वह सहायता नहीं देंगे जिसके वे हकदार हैं. इस माहौल में लाखों लोगों की भावनाओं ने हमें वह आत्मविश्वास दिया है जो हमारी रक्षा करता है. राहुल ने कहा कि दिलचस्प बात यह है कि उनके पास मीडिया, पैसा, खुफिया एजेंसियां, सीबीआई, ईडी और आईटी समेत पूरी सरकार है और हमें लोगों का समर्थन भी है. मुझे पूरा भरोसा है कि हम बीजेपी की विचारधारा को हरा देंगे.

दर्श अमावस्या के दिन जरूर करें ये 5 उपाय, पितरों का मिलेगा आशीर्वाद और घर में बनी रहेगी सुख-समृद्धि!

हिंदू धर्म में दर्श अमावस्या का बहुत अधिक महत्व होता है. दर्श अमावस्या पितरों को समर्पित मानी जाती है. इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए विशेष पूजा और दान किया जाता है. मान्यता है कि इस दिन पितर लोक से पितृ धरती पर आते हैं और अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं. इस दिन पितरों की पूजा करना, तर्पण करना और पिंडदान करना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दिन पितरों की शांति के लिए कुछ उपाय करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है. पितृ दोष होने पर इस दिन विशेष पूजा करने से दोष दूर होता है और इस दिन किए गए दान और पूजा से पुण्य की प्राप्ति होती है.

द्रिक पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष महीने की दर्श अमावस्या तिथि 30 नवंबर को सुबह 10 बजकर 29 मिनट से शुरू होगी और 1 दिसंबर को सुबह 11 बजकर 50 मिनट पर समाप्त होगी. ऐसे में उदया तिथि की मुताबिक दर्श अमावस्या 30 नवंबर दिन शनिवार को ही मनाई जाएगी.

दर्श अमावस्या पर करें ये उपाय

पितृ दोष निवारण के लिए पूजा

पीपल के पेड़ को पितरों का वास माना जाता है. इस दिन पीपल के पेड़ की पूजा करके जल चढ़ाएं और दीपक जलाएं. पितृदोष निवारण के लिए यंत्र की स्थापना कर पूजा करें और तिल के तेल का दीपक जलाकर पितरों का तर्पण करें. इस दिन मंत्रों का जाप करने से पितरों को शांति मिलती है.

काले तिल का दान पितरों को शांति दिलाता है और गरीबों को अन्न का दान करने से पितरों को तृप्ति मिलती है. इसके साथ ही जरूरतमंदों को वस्त्र दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और गाय को चारा खिलाने से पितर प्रसन्न होते हैं.

श्राद्ध कर्म

पितरों के नाम से पिंडदान करना बहुत शुभ माना जाता है. दर्श अमावस्या के दिन विधिवत रूप से श्राद्ध कर्म करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और लोगों को उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है.

पितरों का करें स्मरण

दर्श अमावस्या के दिन पितरों को याद करके उन्हें श्रद्धांजलि दें. पितरों के नाम से दान करते समय पूर्वजों के नाम का स्मरण करें.

मंदिर में करें पूजा

दर्श अमावस्या के मौके पर शिव मंदिर में जाकर भगवान शिव की पूजा करें और भगवान शिव से पितरों के आशीर्वाद की प्रार्थना करें. दर्श अमावस्या के दिन इन उपायों को करने से पितरों को शांति मिलेगी और आपका जीवन सुखमय होगा.

दर्श अमावस्या का महत्व

दर्श अमावस्या हिंदू धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण दिन है, जिसे पितृ पक्ष से भी जोड़ा जाता है. यह दिन हमारे पूर्वजों यानी पितरों को समर्पित होता है. इस दिन पितृ देवता धरती पर आते हैं और अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं. इस दिन पितरों की पूजा करना, तर्पण करना और पिंडदान करना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है. यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष है तो इस दिन विशेष पूजा करने से वह दोष दूर होता है. पितरों को शांत करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है. इस दिन किए गए दान और पूजा से पुण्य की प्राप्ति होती है और व्यक्ति के जीवन में आर्थिक उन्नति होती है.

ग्वालियर में ठेकेदार की आत्महत्या: घर में पटाखे जैसी आवाज सुनकर घरवाले कमरे में गए तो खून से लथपथ मिला, सिर में मारी गोली

मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में एक ठेकेदार ने खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली है. ठेकेदार हरि सिंह यादव कांग्रेस पार्षद मंगल सिंह यादव के चाचा आप बताए जा रहे हैं. हरि सिंह यादव ने देसी कट्टे से आत्महत्या की है. सूचना मिलते ही पुलिस भी मौके पर पहुंची और फॉरेंसिक टीम को भी मौके पर बुलाया गया. फॉरेंसिक टीम को जांच पड़ताल में एक सुसाइड नोट बरामद हुआ है, जिसमें काम धंधे में घाटा होने का ज़िक्र किया गया है.

ग्वालियर की हेम सिंह की परेड इलाके में रहने वाले PWD ठेकेदार हरि सिंह यादव ने शुक्रवार शाम अपने ही घर में परिवार की मौजूदगी में देसी कट्टे से अपने सिर में गोली मार ली. जिस समय हरि सिंह यादव ने खुद को गोली मारी, उसे समय घर में उनके बहु बेटे भी मौजूद थे. गोली चलने के बाद उन्हें लगा कि किसी ने कोई पटाखा चलाया है, लेकिन जब कुछ देर बाद लगातार मोबाइल बजने की आवाज आई और किसी ने फोन नहीं उठाया तो, बेटे ने कमरे में जाकर देखा कि लहूलुहान मृत अवस्था में हरि सिंह यादव पलंग की दीवार से टीके बैठे हुए थे.

मृतक के पास से मिला सुसाइड नोट

पिता की मौत का पता चलते ही कुछ देर तक बेटा सन रहा गया. इसके बाद बेटे ने तुरंत पुलिस और परिवार के अन्य सदस्य को घटना की जानकारी दी.घटनास्थल पर पहुंची माधौगंज थाना पुलिस ने पहले तो प्रारंभिक जांच पड़ताल की और फिर फॉरेंसिक एक्सपर्ट को भी मौके पर बुलाया गया, जहां प्रारंभिक जांच में मामला आत्महत्या का बताया गया है. डेड बॉडी के पास से ही एक सुसाइड नोट भी पुलिस को बरामद हुआ है, जिसमें व्यापार में घाटा होने का ज़िक्र किया गया है.

PWD में ठेकेदार था मृतक

ऐसे में ऐसी आशंका है कि घाटे के डिप्रेशन में आकर हरि सिंह यादव ने सुसाइड कर लिया है. हालांकि, पुलिस ने परिजनों से भी पूछताछ की है. परिजनों ने अभी तक कोई भी खास जानकारी पुलिस को नहीं दी है और ना ही यह बता पाए हैं कि आखिर कौन से व्यापार में उन्हें घाटा हुआ है. मृतक हरि सिंह यादव के भतीजे मंगल सिंह यादव वार्ड क्रमांक से कांग्रेस के पार्षद है. उन्होंने बताया कि उनके चाचा हरि सिंह यादव PWD में ठेकेदारी का काम करते थे.

मामले की जांच में जुटी पुलिस

वह कुछ दिनों से मानसिक रूप से परेशान थे.फिलहाल माधौगंज थाना पुलिस ने मृतक हरि सिंह यादव के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है. हालांकि, पुलिस इस पूरे मामले को आत्महत्या मानकर चल रही है, लेकिन अभी परिजनों के बयान पुलिस को लेना है और पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने का इंतजार भी पुलिस कर रही है. वहीं, घटनास्थल पर मिले कट्टे को लेकर भी पुलिस पड़ताल कर रही है कि आखिरकार यह देसी कट्टा कहां से आया है. फिलहाल पुलिस मामले में मर्ग कायम कर, जांच जारी है.

वाराणसी के काल भैरव मंदिर में महिला ने काटा केक, वीडियो वायरल होने के बाद लोगों ने जताई नाराजगी

वाराणसी के काल भैरव मंदिर के अंदर केक काटने का एक वीडियो सामने आया है. यह वीडियो 39 सेकंड की है, जिसमें एक महिला मंदिर के अंदर केक काट काटती हुई नजर आ रही है. वीडियो के वायरल होने के बाद लोगों ने अपनी आपत्ति जाहिर कर है. वहीं, काशी विद्वत परिषद ने भी इस वीडियो पर अपना एतराज जताया है. केक काटने के दौरान काल भैरव मंदिर में मौजूद महंत को विद्वत परिषद नोटिस भेजने की तैयारी कर रहा है.

काल भैरव मंदिर से महिला सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर का एक वीडियो सामने आया है. इस वीडियो में महिला को मंदिर के अंदर केक काटते हुए देखा जा सकता है. यह वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है. गर्भगृह में केक काटने की वीडियो के सामने आने के बाद लोगों ने इसपर अपनी आपत्ति दर्ज कराई है. बताया जा रहा है कि बीते शुक्रवार को महिला अपना जन्मदिन के लिए बाबा काल भैरव मंदिर पहुंची थी.

गर्भगृह में महिला ने काटा केक

मंदिर में पहुंचने के बाद महिला ने पहले पूजा की थी और बाद में केक काटा था. इस दौरान महिला ने अपनी वीडियो भी बनवाई थी, जो कि आज के समय में सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रही है. हैरान की बात यह है कि मंदिर के महंत और जिम्मेदार लोगों ने महिला को केक काटने से नहीं रोका. 39 सेकंड के वायरल वीडियो में महिला काल भैरव मंदिर जाते हुए, गर्भगृह के सामने केक काटते और फिर मंदिर से वापस आते दिखाई दे रही है.

लोगों ने जाहिर की नाराजगी

इस वीडियो के वायरल होते ही लोगों और श्रद्धालुओं ने अपनी नाराजगी जाहिर की है. उनका कहना है कि काशी के कोतवाल के सामने ऐसी हरकत करना बेहद दुख की बात है. काल भैरव मंदिर के गर्भगृह के सामने जब ये घटना हुई तब मंदिर के पुजारी भी वहां थे. अब मंदिर के महंत ये कह रहे हैं कि उन लोगों को केक काटने और वीडियो बनाने से मना किया गया था, लेकिन वो नही माने थे.

महंत को नोटिस भेजने की तैयारी कर रहा विद्वत परिषद

काशी विद्वत परिषद ने मामले को गंभीरता से लिया है और इसे शास्त्रीय विधान के प्रतिकूल बताया है. विद्वत परिषद के महामंत्री राम नारायण द्विवेदी काल भैरव मंदिर के उस महंत को नोटिस भेजने जा रहा है, जो उस समय मंदिर में था. मंदिर प्रशासन अब मंदिर में वीडियो बनाने और फोटो खींचने को प्रतिबंधित करने की बात कर रहा है.