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चुनाव में सेक्टर मजिस्ट्रेटों की भूमिका महत्वपूर्ण : डीसी


धनबाद : डीसी सह जिला निर्वाचन पदाधिकारी माधवी मिश्रा ने कहा कि विधानसभा चुनाव में सेक्टर मजिस्ट्रेटों की महत्वपूर्ण भूमिका है। डिस्पैच सेंटर से लेकर ईवीएम जमा करने तक सेक्टर मजिस्ट्रेट पोलिंग पार्टियों के साथ रहेंगे।

रविवार को डीसी ने न्यू टाउन हॉल में सेक्टर मजिस्ट्रेटों के साथ बैठक की। डीसी ने चुनाव संबंधी आयोग के निर्देशों की जानकारी दी। उनकी जिम्मेवारियों के बारे में भी बताया। बैठक में एसएसपी एचपी जनार्दनन भी थे।

डीसी ने कहा कि सेक्टर पदाधिकारी एवं सेक्टर पुलिस पदाधिकारी डिस्पैच सेंटर से लेकर, मतदान संपन्न होने के तक पोलिंग पार्टियों के साथ रहेंगे। मतदान खत्म होने के बाद ईवीएम के साथ पोलिंग पार्टियों को लेकर काउंटिंग सेंटर लाने के समय भी सेक्टर मजिस्ट्रेट साथ रहेंगे। किसी भी परिस्थिति में पोलिंग पार्टी का साथ सेक्टर मजिस्ट्रेट नहीं छोड़ेंगे।

डीसी ने कहा कि सभी पदाधिकारी 19 नवंबर की सुबह पांच बजे अपने संबंधित डिस्पैच सेंटर में रिपोर्टिंग करेंगे। वहां से ईवीएम तथा अन्य सामग्री लेकर पोलिंग पार्टी को बूथों तक पहुंचाएंगे जबकि रिजर्व ईवीएम इंटरमीडिएट स्ट्रांग रूम में रखेंगे।

सेक्टर पदाधिकारी अपने पास कंट्रोल रूम, निर्वाची पदाधिकारी, सहायक निर्वाची पदाधिकारी, संबंधित थाना के फोन नंबर भी रखेंगे। मतदान के दिन लगातार अपने-अपने बूथों का भ्रमण करते रहेंगे। बूथ में किसी भी प्रकार की बाधा होने पर तुरंत कंट्रोल रूम को सूचित करेंगे। डीसी ने कहा कि मतदान को शांतिपूर्ण एवं निर्बाध रूप से संपन्न करना जिला प्रशासन का उद्देश्य है। इसलिए सभी पदाधिकारी तत्परता से अपने दायित्व का निर्वहन करें। सभी बूथों पर सुबह 5:30 बजे मॉक पोल कराना तथा सुबह सात बजे से वोटिंग शुरू कराना सुनिश्चित करें। किसी मतदान केंद्र में ईवीएम में तकनीकी गड़बड़ी उत्पन्न होने पर तुरंत उसे रिप्लेस करें। रिप्लेसमेंट की रिपोर्ट निर्वाची पदाधिकारी को दें। साथ ही ईवीएम का नंबर कंट्रोल रूम को उपलब्ध कराएं।

उन्होंने सभी बूथों में एश्योर्ड मुलभूत सुविधाएं सुनिश्चित कराने, कतार मैनेजमेंट, बूथों में मतदान की गोपनीय बरतने, हर दो घंटे के अंतराल में मतदान प्रतिशत की सूचना देने, मोबाइल फोन लेकर किसी को बूथ में प्रवेश नहीं करने देने सहित दिशा निर्देश दिए।

एसएसपी हृदीप पी जनार्दनन ने सभी को समय पर बूथों में पहुंचने, वर्दी पहनकर मतदान केंद्र के अंदर प्रवेश नहीं करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि मतदान संपन्न होने के बाद सेक्टर पुलिस पदाधिकारी पोलिंग पार्टी के साथ बूथ से ईवीएम लेकर, निर्धारित वाहन से, बिना बीच में रुके, निर्धारित रूट से, सीधे कृषि बाजार पहुंचेंगे। उन्होंने ईवीएम को कड़ी सुरक्षा में रखने का निर्देश दिया। बैठक के दौरान सेक्टर पदाधिकारी एवं सेक्टर पुलिस पदाधिकारियों को विभिन्न प्रपत्र भरने सहित अन्य बिंदुओं पर बारीकी से जानकारी दी गई।

बैठक में डीडीसी सादात अनवर, एडीएम लॉ एंड ऑर्डर पीयूष सिन्हा, एसडीओ राजेश कुमार, अपर समाहर्ता विनोद कुमार, एडीएम सप्लाई जियाउल अंसारी, एलआरडीसी दिलीप कुमार महतो, अपर नगर आयुक्त कमलेश्वर नारायण, डीएसपी डीएन बंका, डीएसपी सुमीत कुमार सभी सेक्टर पदाधिकारी एवं सेक्टर पुलिस पदाधिकारी मौजूद थे।

राहुल गांधी का झारखण्ड से वादा, झारखंडियों को मिलेगा 15 लाख का स्वास्थ बीमा, राज्य में बढ़ेगा आरक्षण


राहुल गांधी ने बताया क्यों कराना चाहते हैं जाति जनगणना

रिपोर्टर जयंत कुमार 

रांची : झारखंड में दूसरे चरण के चुनाव प्रचार के अंतिम दिन लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने रांची में झारखण्ड के लोगों के साथ किया वादा है। इस दौरान राहुल गांधी ने भाजपा पर कई आरोप लगाया है। 

जहां उन्होंने कहा कांग्रेस पार्टी संविधान को बचाने का काम कर रही है। बीजेपी और आरएसएस संविधान को खत्म करने की कोशिश कर रही है।

राहुल गांधी ने पीएम मोदी पर जमकर निशाना साधा। और कहा कि प्रधानमंत्री मोदी सिर्फ और सिर्फ अडानी और अंबानी पर मेहरबान है। हर योजना का लाभ अदानी और अंबानी को ही मिल रहा है। 

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने झारखंडियों को गारंटी दिया है कि राज्य में इंडी गठबंधन की सरकार बनी तो जातिगत जनगणना के साथ आरक्षण को बढ़ाने का काम करेंगे। उन्होंने कहा कि झारखंड में ST को 26-28%, SC को 10 -12%, OBC को 14 -27% आरक्षण करेंगे।

 प्रधानमंत्री मोदी मंच से झूठ बोलते है कि कांग्रेस आरक्षण को खत्म करने में लगी है। राहुल गांधी ने कहा कि लोकसभा में जब मैने प्रधानमंत्री मोदी से पूछा की आप आरक्षण बढ़ा दीजिये। इसपर प्रधानमंत्री चुप्पी साध लेते है। झारखण्ड में इंडी गठबंधन की सरकार बनती है तो मईया सम्मान की राशि बढाकर 2500 रूपये हर महीने राज्य सरकार देगी। इसके अलावा राज्य में गरीब आदिवासी के लिए 15 लाख का स्वास्थ बीमा दिया जाएगा। जिससे वो अपना इलाज करा सकेंगे।

राहुल गांधी ने जातीय जनगणना का विश्लेषण करते हुए कहा कि हमारी लड़ाई विचारधारा की है और इस लड़ाई में एक तरफ पूंजी पति है और दूसरे तरफ गरीब है। हमारी सरकार गरीबों के लिए सोचती है और मोदी सरकार अडानी-अंबानी को आगे बढ़ाती है, लेकिन मरते दम तक यह लड़ाई जारी रहेगी।

 उन्होंने कहा कि देश में जातीय जनगणना होने से यह क्लियर हो जाएगा कि पिछड़े दलित ओबीसी आज किस स्थान में है और देश के विभिन्न सेक्टरों में किस स्थान पर किस जाति धर्म को प्राथमिकता मिली है। आज देश में दलित और पिछड़ों के पास जरूरी हुनर है, प्रतिभा है लेकिन वे सिस्टम से जुड़े नहीं हैं। इसलिए हम जाति जनगणना की मांग कर रहे हैं। हम अलग-अलग समुदायों की सूची चाहते हैं। हमारे लिए जाति जनगणना सिर्फ जनगणना नहीं है, यह नीति निर्माण का आधार है। जाति जनगणना के आधार पर यह समझना भी जरूरी है कि संपत्ति का वितरण कैसे हो रहा है। 

यह पता लगाना भी जरूरी है कि ओबीसी, दलित, नौकरशाही, न्यायपालिका, मीडिया में काम करने वाले कर्मचारियों की भागीदारी कितनी है?

विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण का प्रचार थमा, मतदान की तैयारी पूरी


हर मतदान केंद्र की होगी लाइव निगरानीः के रवि कुमार

रिपोर्टर जयंत कुमार 

रांची : झारखंड विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण का प्रचार प्रसार शाम 5:00 बजे से थम चुका है। विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण की 38 सीटों पर प्रचार अवधि समाप्त हो गयी है। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के रवि कुमार ने कहा है कि इस साइलेंट पीरियड में प्रचार कार्य नहीं होगा। उन्होंने कहा कि मतदान वाले क्षेत्र में चुनाव प्रचार आदि के लिए बाहर से गए राजनीतिक नेता, कार्यकर्ता को वह जगह तत्काल छोड़ देना है। वे ही वहां रह सकेंगे, जो उस क्षेत्र के मतदाता हैं। उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग की स्पष्ट गाइडलाइन है कि कोई भी बाहरी व्यक्ति मतदान वाले क्षेत्र में नहीं रहेगा।

 इसे लेकर जिला प्रशासन होटल आदि की भी जांच करेंगे। बाहरी लोगों के मिलने पर वैधानिक कार्रवाई होगी। इसमें बीमारी की हालत में छूट के लिए मेडिकल बोर्ड के परीक्षण के परिणाम के आधार पर निर्णय होगा। 

उन्होंने कहा कि सभी प्रत्याशी 20 नवंबर की शाम पांच बजे तक काउंटिंग एजेंट के लिए आवेदन दे दें। उसके बाद के आवेदनों पर विचार नहीं होगा। उन्होंने कहा कि 20 नवंबर को स्वतंत्र, निष्पक्ष और भयमुक्त मतदान के लिए पर्याप्त संख्या में सुरक्षा बलों की तैनाती की गयी है। साथ ही हर मतदान केंद्र की लाइव निगरानी के लिए मतदान केंद्र के भीतर और बाहर दो कैमरे लगाये गए हैं। वेबकास्टिंग के माध्यम से इसकी सतत निगरानी जिला से लेकर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के कार्यालय तक से की जाएगी। 

उन्होंने कहा कि 38 विधानसभा सीटों पर कुल 1.23 करोड़ मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। जामताड़ा के मिहिजाम स्थित स्नेहपुर कुष्ठ आश्रम के मतदाताओं के सुगम मतदान के लिए स्नेहपुर सामुदायिक भवन, हांसीपहाड़ी में सहायक मतदान केंद्र का निर्माण किया गया है। यहां कुष्ठ पीड़ित कुल 57 मतदाता हैं। 

मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के रवि ने कहा कि मतदान के दिन सभी प्रत्याशियों को मतदान केंद्र के 200 मीटर की परिधि से बाहर अपना कैंप लगाना है। कैंप में पार्टी और प्रत्याशी से जुड़ा कोई पोस्टर, सिंबल आदि नहीं लगाना है। वहां से वे मतदाताओं को सादे कागज पर उनका सीरियल नंबर दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि मतदान की निजता अनिवार्य है। इस स्थिति में मतदान केंद्र के भीतर मोबाइल ले जाना, फोटो लेना, वीडियो बनाना अवैध है। ऐसा करते पकड़े जाने पर सजा का भी प्रावधान है।

44 सालों से झामुमो का झंडा बुलंद करने वाले लिट्टीपाड़ा विधानसभा को क्या इस बाऱ हेमलाल मुर्मू क्या बचा पाएंगे




 लिट्टीपाड़ा झारखंड का एक ऐसा विधानसभा क्षेत्र है जहां JMM का झंडा 44 सालों से बुलंद है। इस किले को बीजेपी या अन्य पार्टी अब तक भेद नहीं पाई है। इस बार इस किले के उम्मीदवार के रूप में JMM पार्टी ने सीटिंग विधायक दिनेश मरांडी का टिकट काटकर संथाल क्षेत्र के कद्दावर नेता हेमलाल मुर्मू को मैदान में उतारा है।

कौन है हेमलाल मुर्मू जिसपर पार्टी ने जताया भरोसा

हेमलाल मुर्मू संथाल क्षेत्र के कद्दावर नेता माने जाते है। JMM के संस्थापक शिबू सोरेन के साथ राजनीति करने वाले हेमलाल मुर्मू की छवि स्वच्छ मानी जाती है। कई बार उन्होंने संथाल के क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हुए स्वास्थ्य मंत्री और सांसद तक का नेतृत्व संभाल चुके है।

यही वजह है कि JMM के सीटिंग विधायक दिनेश मरांडी का टिकट काटकर हेमलाल मुर्मू को टिकट पार्टी ने दिया है। सूत्र बताते है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और हेमलाल मुर्मू के बीच चाचा भतीजा का रिश्ता रहा है और आज भी हेमंत सोरेन उसी तरह सम्मान देते है।

अब तक सबसे ज्यादा बार साइमन मरांडी के परिवार ने इस क्षेत्र का JMM पार्टी की तरफ से नेतृत्व संभाला है फिर भी क्षेत्र की जनता का कहना है कि ये विधानसभा अपेक्षित विकास से अबतक मिलो दूर है। क्षेत्र के भ्रमण से भी लिट्टीपाड़ा क्षेत्र के पिछड़ापन की झलक साफ दिखाई देती है।

विकास का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि सप्ताह में महज एक दिन सोमवार को लगने वाले हाट पर ही पूरे क्षेत्र के जनता की निगाहें टिकी रहती है जहां आम जनता के जरूरत के सामान की खरीदारी होती है। स्वास्थ्य से लेकर मूलभूत सुविधा का अभाव है।शाम में 6 बजे सुनी सड़के और बंद बाजार इसका गवाह बन जाती है।

सूत्र बताते है कि इस क्षेत्र की जनता का भरोसा JMM पार्टी पर है पूर्व के नेतृत्व कर्ता पर नहीं। कुछ हद तक सीटिंग विधायक दिनेश मरांडी के टिकट करने से लोगों की सहानुभूति उनके साथ थी और निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में भी उनको समर्थन मिल रहा था।

परंतु दिनेश मरांडी के बीजेपी में शामिल होने की खबर आग के जैसी क्षेत्र में फैली और अब उनके समर्थकों की नाराजगी भी खुल कर सामने आने लगी है। लोगों का कहना है कि यदि बीजेपी में ही मिलना था तो निर्दलीय नामांकन करने की वजह क्या थी और बीजेपी में मिलने के पीछे की राजनीति क्या है।

विशेष समुदाय के विरोध के कारण इस वर्ष पुरानी दिल्ली में वर्षों से होने वाला जातरा हो सकता है बाधित


रांची : लगातार पिछले कई वर्षों से पुरानी रांची में आदिवासी समुदाय सरना स्थल मैदान में डुमबु जतरा का आयोजन करते हैं।लेकिन इस वर्ष एक विशेष समुदाय इस जतरा को रोकने का प्रयास कर रही है। जिसके बाद आदिवासी समुदाय के पारंपरिक जतरा को लेकर विरोध देखते हुए आदिवासी समाज में आक्रोश फैल गया है।

इस संबंध में मिली जानकारी के अनुसार जतरा को रोकने की खबर मिलते ही आसपास के सैकड़ों आदिवासी जतरा स्थल पर पहुंच गए।

इस संबंध में मिली जानकारी के अनुसार जतरा को रोकने की खबर मिलते ही आसपास के सैकड़ों आदिवासी जतरा स्थल पर पहुंच गए

 लगातार पिछले कई वर्षों से पुरानी रांची में आदिवासी समुदाय सरना स्थल मैदान में डुमबु जतरा का आयोजन करते हैं।

लेकिन इस वर्ष एक विशेष समुदाय इस जतरा को रोकने का प्रयास कर रही है। जिसके बाद आदिवासी समुदाय के पारंपरिक जतरा को लेकर विरोध देखते हुए आदिवासी समाज में आक्रोश फैल गया है।

इस संबंध में मिली जानकारी के अनुसार जतरा को रोकने की खबर मिलते ही आसपास के सैकड़ों आदिवासी जतरा स्थल पर पहुंच गए।

विशेष समुदाय ने जतरा को रोकने का प्रयास किया

आदिवासियों ने कहा कि हर साल आदिवासी धर्म संस्कृति और परंपरा का निर्वाह इस जतरा स्थल पर होते आया है और यहां पर सैकड़ों खोड़हा जतरा का गवाह भी बना है।

लेकिन इस साल विशेष समुदाय ने जतरा को रोकने का प्रयास किया। इसके बाद दोनों समुदाय के बीच तनाव की स्थित बनने लगी।

मामले की सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस मौके पर पहुंची और दोनों समुदायों को समझाने का प्रयास किया। पुलिस ने दोनों समुदाय के लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है।

भाजपा के एक विज्ञापन पर चुनाव आयोग का कारबाई, झामुमो के शिकायत पर दिया उसे हटाने का निर्णय


झारखंड डेस्क 

झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 में बीजेपी और कांग्रेस समेत अन्य राजनीतिक दल अपने प्रचार के लिए कई तरह के विज्ञापन प्रिंट, वीडियो और ऑडियो के माध्यम से जारी कर चुके हैं. हालांकि, झारखंड में बीजेपी के एक एड ने चुनाव आयोग को एक्शन लेने पर मजबूर कर दिया. 

चुनाव आयोग ने इस विज्ञापन को आचार संहिता का उल्लंघन मानते हुए इसे हटाने के निर्देश दिए हैं. 

केंद्रीय चुनाव आयोग ने कांग्रेस और जेएमएम की शिकायत पर झारखंड चुनाव आयुक्त को निर्देश दिया कि वह प्रदेश बीजेपी के सोशल मीडिया टीम द्वारा एक्स और फेसबुक पेज पर डाले गए विज्ञापन पर कार्रवाई करें और उसे हटाने के निर्देश जारी करें. 

बीजेपी के पोस्ट में क्या था?

दरअसल, बीजेपी के सोशल मीडिया पोस्ट में कहा गया था, "पूरे झारखंड का काया पलट कर देंगे." केंद्रीय चुनाव आयोग ने कहा कि कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा की शिकायत को देखने के बाद चुनाव आयोग ने पाया कि शुरुआती तौर पर झारखंड बीजेपी के द्वारा जारी किया गया यह एड आचार संहिता का उल्लंघन है.

केंद्रीय चुनाव आयोग ने राज्य चुनाव आयुक्त से कहा कि वह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को निर्देशित करें कि इस एड को हटाया जाए. साथ ही प्रदेश बीजेपी को निर्देश दें कि इस एड को जहां कहीं भी जारी किया गया है उसको तुरंत हटाएं.

झारखंड चुनाव का दूसरा चरण 20 नवंबर को

झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए मतदान दो चरण में हो रहे हैं. पहला चरण 13 नवंबर को था, जिसमें 43 सीटों पर वोटिंग प्रक्रिया संपन्न कराई गई है. अब बाकी बची 38 सीटों पर दूसरे चरण का मतदान 20 नवंबर को है. इसके बाद 23 नवंबर को नतीजों की घोषणा होगी और यह तय हो जाएगा कि इस बार जेएमएम-कांग्रेस गठबंधन की सरकार वापसी करेगी या फिर बीजेपी नीत एनडीए की सरकार बनेगी?

भाजपा के वरिष्ठ नेता और बिहार सरकार में पूर्व मंत्री का आज रांची के मेडिका अस्पताल में निधन


झारखंड डेस्क 

रांची। झारखंड में भाजपा के वरिष्ठ नेता, बिहार सरकार के पूर्व मंत्री एवं गोमिया से 5 बार के विधायक रहे भाजपा के वरिष्ठ नेता छत्रुराम महतो का आज रांची के मेडिका अस्पताल में निधन हो गया है.

वे 87 वर्ष के थे. हाल में उनकी स्वास्थ्य ठीक नहीं थी और मेडिका राँची में भर्ती थे. जहाँ ईलाज के दौरान उनका निधन हो गया.

उनके निधन की खबर से भाजपा के अंदर शोक की लहर है, चुनाव के वक़्त उनके निधन से भाजपा कार्यकर्त्ता मर्महत हैं

कांग्रेस ने रविवार को भाजपा के खिलाफ निर्वाचन आयोग में कराई शिकायत दर्ज,चुनाव आयोग ने भाजपा से माँगा स्पष्टीकरण

झारखंड डेस्क 

कांग्रेस ने रविवार को भाजपा के खिलाफ निर्वाचन आयोग के समक्ष शिकायत दर्ज कराई और झारखंड में कथित रूप से ‘सांप्रदायिक एवं विभाजनकारी’ अभियान जारी रखने के लिए उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की. कांग्रेस ने 20 नवंबर को होने वाले झारखंड विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण से पहले यह शिकायत दर्ज कराई है. आयोग में दर्ज कराई गई शिकायत में कांग्रेस महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने भाजपा की झारखंड इकाई पर सोशल मीडिया पर ‘झूठी और भ्रामक’ जानकारी फैलाने का आरोप लगाया है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इस संबंध में आपराधिक मामला दर्ज होने के बावजूद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) इस तरह के ‘विभाजनकारी’ अभियान में लिप्त है. इस बीच, भाजपा की झारखंड इकाई द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट किए गए ‘भ्रामक और दुर्भावनापूर्ण’ वीडियो के खिलाफ कांग्रेस और झामुमो की शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए निर्वाचन आयोग ने रविवार को अपने झारखंड निर्वाचन अधिकारी को पार्टी को यह पोस्ट हटाने का निर्देश देने को कहा.

आयोग ने वीडियो पोस्ट करके आदर्श आचार संहिता के प्रावधानों के कथित उल्लंघन के लिए प्रदेश भाजपा से स्पष्टीकरण भी मांगा है. आयोग द्वारा झारखंड के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को मामले में तुरंत कार्रवाई करने और आपत्तिजनक पोस्ट को सोशल मीडिया मंच से जल्द से जल्द हटवाने का निर्देश दिया है. इससे पहले रमेश ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में शिकायत साझा करते हुए कहा कि यह पार्टी के आधिकारिक फेसबुक और ‘एक्स’ हैंडल पर अपलोड किए गए ‘भाजपा के झूठे, भ्रामक और सांप्रदायिक’ सोशल मीडिया पोस्ट के खिलाफ आयोग को कांग्रेस द्वारा की गई दूसरी शिकायत है.

कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया, ‘‘आपराधिक मामला दर्ज होने के बावजूद भाजपा ने अपने पहले के सोशल मीडिया पोस्ट नहीं हटाए हैं. वे स्पष्ट रूप से झारखंड में अपने सांप्रदायिक और विभाजनकारी अभियान जारी रखे हुए हैं.’

उन्होंने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि निर्वाचन आयोग भाजपा पदाधिकारियों, जिनमें उनके सोशल मीडिया प्रभारी भी शामिल हैं, के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगा.’ इससे पहले आयोग को सौंपे गए ज्ञापन में कांग्रेस ने भाजपा की झारखंड इकाई द्वारा सोशल मीडिया पर साझा किए गए ‘दुर्भावनापूर्ण, अपमानजनक और विभाजनकारी’ पोस्ट के खिलाफ शिकायत की थी.

रमेश ने भाजपा की झारखंड इकाई पर सोशल मीडिया पर एक वीडियो अपलोड करने का भी आरोप लगाया, जिसमें दृश्य झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के एक समर्थक के घर से शुरू होता है, जिसमें एक विशेष समुदाय के पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को बहुत खराब हालत में दर्शाने की कोशिश की गई है. रमेश ने आरोप लगाया, ‘वीडियो का दुर्भावनापूर्ण मकसद और संदेश बहुत स्पष्ट है.’

बिना अनुमति के दूसरे चरण के मतदान के लिए प्रशिक्षण में अनुपस्थित रहने वाले 97 मतदान कर्मियों को भी शो-कॉज

झारखंड डेस्क 

विधानसभा आम निर्वाचन 2024 के प्रथम चरण में डिस्पैच के दिन मतदान कर्मियों की अनुपस्थिति को ज़िला प्रशासन ने गंभीरता से लेते हुए कार्रवाई शुरू कर दी है। बिना पूर्व अनुमति अनुपस्थित रहनेवाले मतदान कर्मियों के खिलाफ FIR किया जाएगा। 

साथ ही, मतदान कर्मियों को निलंबित करते हुए विभागीय कार्रवाई शुरू करने के लिए उनके संबंधित संस्थान को ज़िला प्रशासन द्वारा आदेश भी जारी किया जा रहा है।

डिस्पैच के दिन अनुपस्थित रहने वाले 6 मतदान कर्मियों के खिलाफ ज़िला प्रसाशन द्वारा प्राथमिकी दर्ज की जाएगी, जबकि 24 मतदानकर्मियों के संबंधित संस्थान को उन्हें निलंबित करते हुए विभागीय कार्रवाई हेतु आदेश जारी किया जाएगा। उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इनमें बैंक कर्मी, शिक्षक और सार्वजनिक क्षेत्र इकाई (पीएसयू) के कर्मी शामिल हैं।

प्रथम चरण के मतदान के लिए डिस्पैच के दिन 12 नवंबर, 2024) अनुपस्थित रहने वाले मतदान कर्मियों को ज़िला प्रसाशन द्वारा शो-कॉज किया गया था। अनुपस्थित 273 मतदान कर्मियों को 15 नवंबर, 2024 के पूर्वाह्न 11 बजे तक स्पष्टीकरण समर्पित करने का आदेश दिया गया था।

140 मतदान कर्मियों द्वारा प्राप्त स्पष्टीकरण में से 30 मतदान कर्मियों द्वारा स्वीकार्य योग्य स्पष्टीकरण समर्पित नहीं किया गया, जिसके बाद इनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। शेष 113 मतदान कर्मियों को 24 घंटे के अंदर अपना स्पष्टीकरण समर्पित करने का आदेश जारी किया गया है।

विधानसभा आम निर्वाचन 2024 के दूसरे चरण के मतदान के लिए प्रशिक्षण में बिना अनुमति अनुपस्थित रहने वाले मतदान कर्मियों को भी शो-कॉज किया गया है। बिना पूर्व अनुमति अनुपस्थित मतदान कर्मियों द्वारा स्वीकार योग्य स्पष्टीकरण प्राप्त नहीं रहने की स्थिति में इनके विरुद्ध भी लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के सुसंगत धाराओं के तहत कार्रवाई प्रारंभ की जाएगी।

24 साल बाद पहली बार झारखंड के पारम्परिक चुनावी मुद्दे हो गए गौण,वजह जानने के लिए पढ़े पूरी खबर....?

झारखंड डेस्क

इस बार झारखंड में चुनाव का पूरा परिदृश्य बदल गया है.पिछले 24 साल से चली आ रही मुद्दा और जनता को लुभाने के लिए सभी गौण हो गया है ।इस बार ना तो खतियान नीति बड़ा मुद्दा है और न ही 60 वर्सेज 40 की लड़ाई । इसका किया कारण है और चुनाव का इस बार इस बदली हुई परिस्थिति के पीछे का कारण किया है इसको जानने के लिए हम इस तथ्य पर चर्चा करेंगे।

 यूं तो 24 साल पहले गठित झारखंड के जो पारम्परिक मुद्दे रहे हैं न तो इस बार पारंपरिक मुद्दे की गूंज है और न ही पुराने समीकरण की।नेता चाहकर भी उन मुद्दों को जनता के बीच नहीं ले जा पा रहे हैं, जिन मुद्दों के बूते 24 साल तक झारखंड की सियासत प्रभावित होती रही है।

इस बदले समीकरण के लिए सियासी गलियारों में 5 मुख्य कारण को जिम्मेदार माना जा सकताहै। कहा जा रहा है कि इन्हीं 5 फैक्टर्स की वजह से झारखंड के चुनाव में मुद्दे से लेकर समीकरण तक बदल गए हैं।

इस बार गौण हो गए 60 बनाम 40 का मुद्दा

झारखंड गठन के वक्त से ही 60 बनाम 40 का मुद्दा सबसे अहम रहा है। झारखंड की स्थानीय पार्टियों के मुताबिक राज्य की 60 प्रतिशत आबादी स्थानीय है, जबकि 40 प्रतिशत आबादी बाहरी।

राज्य के हर चुनाव में 1932 का खतियान बड़ा मुद्दा रहता है। 2019 में हेमंत सोरेन की सत्ता वापसी ने इसमें बड़ी भूमिका निभाई, लेकिन इस बार इस नारे की चर्चा न के बराबर ही हो रही है।

बीजेपी 1932 के खतियान को मुद्दा नहीं बना पा रही है, जबकि जेएमएम इसे लागू न कर पाने की वजह से बैकफुट पर है। झारखंड की 81 सीट में से करीब 55 सीटों का गणित स्थानीय लोग ही सेट करते हैं।

जातीय समीकरण भी इस बार नही कर रहा है काम

झारखंड के चुनाव में आमतौर पर आदिवासी, कुर्मी और यादव जातियों का दबदबा रहा है। इसके अलावा भी पार्टियां अलग-अलग हिस्सों में जातीय गोलबंदी करती रही है, लेकिन इस बार यहां जाति की लड़ाई भी कुंद दिख रही है।

झारखंड की सियासत में इस बार घुसपैठी और आदिवासी अस्मिता ही बड़ा मुद्दा दिख रहा है। चुनाव से पहले कुर्मी समुदाय को जोड़ने के लिए क्षेत्रीय नेता जयराम महतो ने बिगुल जरूर फूंका था, लेकिन अब मामला ठंडे बस्ते में जाता दिख रहा है।

आरजेडी यादवों की गोलबंदी जरूर करती रही है, लेकिन पार्टी इस बार हेमंत के भरोसे ही चुनावी मैदान में है।

जाति धर्म से अलग हटकर इस बार महिला वोट है बड़ा फैक्टर

धर्म, जाति और समुदाय के बीच बंटे झारखंड में इस बार महिलाओं का नया वोटबैंक बना है।दोनों ही गठबंधन के केंद्र में इस बार महिलाएं हैं। इंडिया गठबंधन मईयां (मैया) सम्मान योजना के सहारे महिलाओं को साध रही है।

वहीं एनडीए ने गोगो दीदी और एक रुपए में जमीन रजिस्ट्री का दांव खेला है।दोनों ही गठबंधन ने इस बार महिला उम्मीदवारों को भी जमकर मैदान में उतारा है।

चुनाव आयोग के मुताबिक झारखंड में इस बार 128 महिलाएं चुनावी मैदान में हैं। 2019 में यह संख्या 127 और 2014 में 111 था।

तीसरे मोर्चे का नहीं दिख रहा कोई प्रभाव*

झारखंड के चुनाव में शुरुआत से तीन मोर्चे का दबदबा दिखता रहा है। 2005 के चुनाव में एक तरफ बीजेपी-जेडीयू का गठबंधन था तो दूसरी तरफ कांग्रेस और झामुमो ने मोर्चा तैयार किया था। आरजेडी, आजसू और माले जैसी पार्टियां पूरे चुनाव को प्रभावित करने में कामयाब रही थी।

बीजेपी गठबंधन को इस चुनाव में 27 प्रतिशत, कांग्रेस गठबंधन को 26 प्रतिशत और अन्य को 15 प्रतिशत वोट मिले थे। 15 प्रतिशत वोट निर्दलीय को मिले थे।

2009, 2014 और 2019 के चुनाव में बाबू लाल मरांडी की पार्टी झाविमो तीसरे मोर्चे की भूमिका निभाती रही, लेकिन अब मरांडी बीजेपी के साथ हैं। 2024 का चुनाव सीधे तौर पर एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच लड़ा जा रहा है।

जदयू और राजद के दवाब भी घटा,

झारखंड की सियासत में बिहार की पार्टियों का दबदबा होता था। 2005 में जेडीयू 18 और आरजेडी 51 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। माले ने भी इस चुनाव में 28 उम्मीदवार उतारे थे। 2009 में भी आरजेडी ने 56 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए थे। जेडीयू ने भी 14 उम्मीदवार उतारे थे।

2014 और 2019 में भी बिहार की पार्टियों का दबदबा बना रहा। 2019 में एक सीट जीतने वाली आरजेडी को हेमंत ने कैबिनेट में जगह दी, लेकिन इस बार बिहार की पार्टियों का सियासी दबदबा घट गया है।

आरजेडी 5 सीटों पर समझौते के तहत चुनाव लड़ रही है. जेडीयू को भी सिर्फ 2 सीटें ही मिली है। माले भी 4 सीटों पर ही उम्मीदवार उतार पाई है।