सत्ता की चाभी है कोल्हान की 14 सीट ,इसी लिए एक-एक सीट के लिए एनडीए और इंडिया ने झोंकीं पूरी ताकत
दोनों के बीच कांटे की टक्कर,देखिए सह और मात के इस घमासान में किसे मिलती है जीत
झा. डेस्क
झारखंड के चुनावी समर में सत्ता की चाबी हासिल करने के लिए कोल्हान की 14 विधानसभा सीटें महत्वपूर्ण है, इसलिए यहां की एक-एक सीट के लिए एनडीए और इंडिया ने पूरी ताकत झोंक दी है। सभी सीटों पर एनडीए बनाम इंडिया में कांटे की टक्कर दिख रही है।
अगर हम पिछले विधानसभा चुनाव की बात करें तो यहां एनडीए के सभी फॉर्मूले फेल हो गए थे और पूरे कोल्हान में इंडिया गठबंधन ने क्लीन स्वीप कर सत्ता हासिल की थी।
इस बार इंडिया गठबंधन के लिए किला बचाने की चुनौती है तो वहीं एनडीए के समक्ष यहां फिर से पैर जमाने की।
चार-चार पूर्व मुख्यमंत्रियों की भी साख इस बार यहां दांव पर है। पूर्व सीएम चंपाई सोरेन अपने और अपने बेटे के साथ-साथ पूरे एनडीए की नैया पार लगाने के लिए यहां पतवार संभाले हुए हैं। चुनाव परिणाम पर उनका राजनीतिक भविष्य तय होगा। सरायकेल से वे खुद भाजपा प्रत्याशी हैं और घाटशिला से उनके बेटे बाबूलाल भाजपा के उम्मीदवार के तौर पर चुनावी मैदान में हैं। उनके साथ-साथ पूर्व सीएम अर्जुन मुंडा की पत्नी मीरा मुंडा, पूर्व सीएम मधु कोड़ा की पत्नी गीता कोड़ा और पूर्व सीएम रघुवर दास की बहू पूर्णिमा साहू भाजपा के प्रत्याशी के रूप में चुनावी समर में किस्मत आजमा रही है।
वहीं, इंडिया के मोर्चे से भी तीन-तीन मंत्री मैदान में हैं। इनमें बन्ना गुप्ता, रामदास सोरेन और दीपक बिरुवा शामिल हैं।
कोल्हान की सभी सीटों पर मुकाबला एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच ही है। 14 में से 10 पर भाजपा प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं तो तीन सीट पर आजसू प्रत्याशी और एक सीट पर जदयू प्रत्याशी मैदान में हैं। इसी तरह इंडिया में 14 में से तीन पर कांग्रेस और बाकी 11 सीटों पर झामुमो प्रत्याशी मोर्चे पर हैं।
कोल्हान में राजनीतिक रोमांच कुछ दिनों में आए राजनीतिक माहौल के कारण बढ़ा हुआ है। यहां झामुमो को चंपाई सोरेन के दल बदलने के बाद डैमेज कंट्रोल करने में मेहनत करनी पड़ रही है और पहली बार चंपाई के बिना और चंपाई के खिलाफ अपनी टीम बनानी पड़ी। यह झामुमो के लिए आसान नहीं रहा। वहीं, एनडीए के लिए टिकट और सीट बंटवारे के बाद असंतुष्टों को मैनेज करना मुश्किल हो गया। अब कई सीटों पर भाजपा के असंतुष्ट ही भाजपा की राह मुश्किल करते दिख रहे हैं। यहां भाजपा से लेकर आजसू तक के बागियों ने कई सीटों का समीकरण बदल दिया है।झामुमो में भी कई असंतुष्ट कुछ सीटों पर निर्दलीय बन पार्टी के लिए चुनौती बन गए हैं।
इस बार के चुनाव में लोकतंत्र की ताकत के सामने नक्सली बौने साबित हो रहे हैं। एक समय जहां कोल्हान की करीब सात सीटें पूरी तरह नक्सल प्रभाव में हुआ करती थीं, वहीं इस बार किसी सीट पर नक्सल प्रभाव लगभग नहीं के बराबर है। डुमरिया के जंगलों से लेकर सरंडा तक चुनावी डुगडुगी बज रही है और प्रत्याशियों के प्रचार वाहन लोकतंत्र के पर्व का गाना बजाकर लोकतंत्र की ताकत का एहसास करा रहे हैं।
इंडिया गठबंधन हेमंत को बेवजह जेल व 17 साल बनाम पांच साल के नाम पर वोट मांग रहा है। चुनावी सभाओं में आदिवासी-मूलवासियों की झारखंडी सरकार बनाने की अपील की जा रही है। इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी सभी 14 सीटों पर 17 साल बनाम पांच साल के नाम पर वोट मांग रहे हैं। झामुमो प्रत्याशी चुनावी सभाओं में झारखंड में एनडीए के शासनकाल को झारखंड के पिछड़ेपन का ज़िम्मेदार बताते हुए हेमंत सोरेन सरकार के कार्यकाल में किए गए काम के नाम पर समर्थन मांग रहे हैं।
इसमें मंईयां योजना को इंडिया गठबंधन सबसे बड़ी यूएसपी के तौर पर प्रस्तुत करने का कोई मौका नहीं चूक रहा। आदिवासी बहुल विधानसभा क्षेत्र, मसलन पोटका, घाटशिला, चाईबासा, मझगांव, मनोहरपुर, जगन्नाथपुर, चक्रधरपुर, ईचागढ़ में इंडिया प्रत्याशी पूरी मजबूती से भाजपा पर हेमंत सरकार को परेशान करने का आरोप लगा रहे हैं।
एनडीए गठबंधन इस बार मोदी के नाम पर झारखंड में डबल इंजन की सरकार बनाने की अपील चुनावी सभाओं में कर रहा है। इसी के साथ हेमंत सोरेन सरकार पर भ्रष्ट होने के आरोप लगा मतदाताओं से इस सरकार से मुक्ति पाने की अपील की जा रही है। सभाओं में झारखंड के मंत्रियों और उनके सहयोगियों के यहां हो रही छापेमारी में नोट गिनने वाली मशीन तक खराब हो जाने के दावे किए जा रहे हैं।
खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह हेमंत सरकार को भ्रष्ट बता एनडीए को सत्ता में लाने की अपील कर चुके हैं। कोल्हान में भाजपा के देश भर के सभी बड़े नेता सभा क चुके हैं। स्थानीय स्तर पर भी भाजपा प्रत्याशी इंडिया प्रत्याशियों पर भ्रष्टाचार और पांच साल में सिर्फ लूट मचाने का आरोप लगा विधायकों को बदलने की अपील कर रहे हैं। भाजपा प्रत्याशी बहरागोड़ा पोटका, मझगांव, घाटशिला जैसे सीटों पर स्थानीय विधायकों पर भी गंभीर आरोप लगा वोट मांग रहे हैं।
आदिवासी सेंटीमेंट की हवा कई सीटों पर बदल सकती हवा
कोल्हान की आरक्षित सीटों पर आदिवासी सेंटीमेंट की हवा वोटरों का पसंद-नापसंद तय करेगी। इसलिए इंडिया और एनडीए के नेता आदिवासी कार्ड खेलने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे। भाजपा राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मू से लेकर चंपाई तक के नाम पर आदिवासी सेंटीमेंट को साध रही है। सभाओं में भाजपा चंपाई को झामुमो में अपमानित करने की बात कर रही है। वहीं, झामुमो आदिवासी मुख्यमंत्री को कुर्सी से हटाने और जेल भेजने के मुद्दे को रख रहा है।
Nov 11 2024, 18:21